संसदीय चुनावो कि आहट। ।जसवंत सिंह के साथ रूपाराम ,हरीश और तन सिंह कि उम्मीदवारी के चर्चे
बाड़मेर आठ दिसंबर को विधानसभा चुनावो के परिणाम आने के साथ ही थार नगरी में आगामी मई में होने वाले संसदीय चुनावो को लेकर चर्चे आम हो गए। आम जन संसदीय चुनावो में उम्मीदवारो के नामो के कयासों में लगे हें वैसे तो दर्जन भर उम्मीदवारो के नामो के चर्चे हो रहे हें मगर भाजपा से खासतौर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के नाम के चर्चे हें हेंवहि दूसरा बड़ा नाम उभर कर अब तक राजनीती से किनारा कर रहे समाजसेवी तन सिंह चौहान का हें। वाही नाथाराम चौधरीओ ,डॉ प्रियंका चौधरी के नामो को भी हवा दी जा रही हें। विधानसभा चुनावो में कांग्रेस का जातिगत गणित गड़बड़ा जेन के बाद बुरु तरह मात खाये सांसद हरीश चौधरी कि राह बेहद कतरहीं नज़र आने लगी हें चर्चाकारों को। चर्चाकारों का मानना हें जैसलमेर से चुनाव हारे रूपाराम मेघवाल हरीश चौधरी से बेहतर उम्मीदवार हो सकते हें।
विधानसभा चुनावो में जिस प्रकार बाड़मेर जैसलमेर में भाजपा ने परचम लहराया हें उसे भाजपा कि उम्मीदे इस सरहदी जिलो कि सीट पर अपेखये बढ़ गयी हें ,जसवंत सिंह भाजपा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे हें ,बाड़मेर विधानसभा चुनावो में भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी के प्रचार कि कमान सम्भालने वाले तन सिंह चौहान ने राजनीती क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते हुए ऊँची छलांग लगाई हें मगर राजपूत समाज ने ही उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया यही बात डॉ प्रियंका चौधरी पर लागू होती हें ,प्रियंका चौधरी को अन्य समाजो ने भरपूर समर्थन दिया मगर उनके परंपरागत स्वजातीय मतदाता जाट तीन हिस्सो में बाँट गए जिसकले चलते उन्हें मामूली अंतर से हराना पड़ा ,हालांकि उनकी हार में भाजपा संघठन के बड़े खिलाड़ियो ने अपनी भूमिका निभाई हें ,फिर भी तन सिंह और प्रियंका चौधरी भाजपा के दावेदारी में शामिल हें।
कांग्रेस कि सरहदी जिलो में गत बिगड़ने का श्रेय सांसद हरीश चौधरी को दिया जा रहा हें चाहे वो निर्मलदास कि अप्रत्यासित उम्मीदवारी हो या रूपराम मेघवाल को सामान्य सीट से चुनाव लड़ने कि जिद या कांग्रेस के ड्रीम प्रोजेक्ट रिफायनरी स्थल पचपदरा से मदन प्रजापत को चुनाव लड़ने का निरनय सब बेकार गए ,कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी ,एक मात्र सीट बाड़मेर कि मेवाराम जैन ने निकली तो व्यक्तिगत और पैसो के दम पर ,हरीश चौधरी कि जीत के समीकरण तहस नहस हो गए ,हरीश चौधरी के लाख प्रयाद्सो के बावजूद अमिन खान को शिव में जाट वोट नहीं दिला पाये। कर्नल सोनाराम कि हर नहीं ताल सके ,हेमाराम चौधरी कि बात अनसुनी कर सिवाना से कलबी को टिकट नहीं देकर उन्हें हार के रस्ते पर डालने हे भी उनकी हार तय हुई।
आम चुनाव मई में होने जा रहे हें। बाड़मेर से नाथाराम चौधरी के नाम कि चर्चा भी आई। तो बीकानेर के दिग्गज राजपूत नेता देवी सिंह भाटी कि सम्भावना को नक्कारा नहीं जा सकता। कांग्रेस हार से आहात होकर मुस्लिम कार्ड खेलती हें तो चौहटन प्रधान शम्मा खान के नाम पर मोहर भी लगा सकती हें।
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बाड़मेर आठ दिसंबर को विधानसभा चुनावो के परिणाम आने के साथ ही थार नगरी में आगामी मई में होने वाले संसदीय चुनावो को लेकर चर्चे आम हो गए। आम जन संसदीय चुनावो में उम्मीदवारो के नामो के कयासों में लगे हें वैसे तो दर्जन भर उम्मीदवारो के नामो के चर्चे हो रहे हें मगर भाजपा से खासतौर से भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के नाम के चर्चे हें हेंवहि दूसरा बड़ा नाम उभर कर अब तक राजनीती से किनारा कर रहे समाजसेवी तन सिंह चौहान का हें। वाही नाथाराम चौधरीओ ,डॉ प्रियंका चौधरी के नामो को भी हवा दी जा रही हें। विधानसभा चुनावो में कांग्रेस का जातिगत गणित गड़बड़ा जेन के बाद बुरु तरह मात खाये सांसद हरीश चौधरी कि राह बेहद कतरहीं नज़र आने लगी हें चर्चाकारों को। चर्चाकारों का मानना हें जैसलमेर से चुनाव हारे रूपाराम मेघवाल हरीश चौधरी से बेहतर उम्मीदवार हो सकते हें।
विधानसभा चुनावो में जिस प्रकार बाड़मेर जैसलमेर में भाजपा ने परचम लहराया हें उसे भाजपा कि उम्मीदे इस सरहदी जिलो कि सीट पर अपेखये बढ़ गयी हें ,जसवंत सिंह भाजपा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त उम्मीदवार माने जा रहे हें ,बाड़मेर विधानसभा चुनावो में भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी के प्रचार कि कमान सम्भालने वाले तन सिंह चौहान ने राजनीती क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाते हुए ऊँची छलांग लगाई हें मगर राजपूत समाज ने ही उन्हें पूरी तरह स्वीकार नहीं किया यही बात डॉ प्रियंका चौधरी पर लागू होती हें ,प्रियंका चौधरी को अन्य समाजो ने भरपूर समर्थन दिया मगर उनके परंपरागत स्वजातीय मतदाता जाट तीन हिस्सो में बाँट गए जिसकले चलते उन्हें मामूली अंतर से हराना पड़ा ,हालांकि उनकी हार में भाजपा संघठन के बड़े खिलाड़ियो ने अपनी भूमिका निभाई हें ,फिर भी तन सिंह और प्रियंका चौधरी भाजपा के दावेदारी में शामिल हें।
कांग्रेस कि सरहदी जिलो में गत बिगड़ने का श्रेय सांसद हरीश चौधरी को दिया जा रहा हें चाहे वो निर्मलदास कि अप्रत्यासित उम्मीदवारी हो या रूपराम मेघवाल को सामान्य सीट से चुनाव लड़ने कि जिद या कांग्रेस के ड्रीम प्रोजेक्ट रिफायनरी स्थल पचपदरा से मदन प्रजापत को चुनाव लड़ने का निरनय सब बेकार गए ,कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हारी ,एक मात्र सीट बाड़मेर कि मेवाराम जैन ने निकली तो व्यक्तिगत और पैसो के दम पर ,हरीश चौधरी कि जीत के समीकरण तहस नहस हो गए ,हरीश चौधरी के लाख प्रयाद्सो के बावजूद अमिन खान को शिव में जाट वोट नहीं दिला पाये। कर्नल सोनाराम कि हर नहीं ताल सके ,हेमाराम चौधरी कि बात अनसुनी कर सिवाना से कलबी को टिकट नहीं देकर उन्हें हार के रस्ते पर डालने हे भी उनकी हार तय हुई।
आम चुनाव मई में होने जा रहे हें। बाड़मेर से नाथाराम चौधरी के नाम कि चर्चा भी आई। तो बीकानेर के दिग्गज राजपूत नेता देवी सिंह भाटी कि सम्भावना को नक्कारा नहीं जा सकता। कांग्रेस हार से आहात होकर मुस्लिम कार्ड खेलती हें तो चौहटन प्रधान शम्मा खान के नाम पर मोहर भी लगा सकती हें।
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nice
जवाब देंहटाएंKarnal Sona Ram ko ticket milni chahiye
जवाब देंहटाएंabki bar jaswant singh chunav lade to congress ko bhari padenge or dono or jat honge to con.jitegi.
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