रविवार, 6 अक्टूबर 2013

वाराणसी की यह रामलीला 300 साल पुरानी!

वाराणसी। देश के विभिन्न हिस्सों में रामलीला के माध्यम से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चरित्र को रंगमंच पर उतारने की परंपरा काफी प्राचीन है, लेकिन वाराणसी जनपद में एक गांव ऐसा भी है, जहां यह परंपरा 300 वर्षो से भी पहले से चली आ रही है। वाराणसी से 40 किलोमीटर दूर स्थित बरवां गांव के बुजुर्गो की मानें तो वाराणसी के रामनगर में आयोजित होने वाली विश्वप्रसिद्ध रामलीला से भी पहले से इस गांव में रामलीला का मंचन होता आया है। 
वाराणसी की यह रामलीला 300 साल पुरानी!


बरवां गांव में रामलीला करने वालों के मुताबिक, हालांकि इसका कोई लिखित प्रमाण तो नहीं है, लेकिन इस गांव की रामलीला का मंचन लगभग 300 वर्ष पहले से होता आ रहा है। बरवां गांव की रामलीला राघवेंद्र रामलीला समिति के नेतृत्व में पूरी परंपरा और निष्ठा के साथ आज भी अनवरत जारी है और उसी 300 वर्ष पुरानी परंपरा के अनुसार यहां प्रतिवर्ष रामलीला होती है। रामनगर की रामलीला को वैसे तो अति प्राचीन माना जाता है, लेकिन बरवां गांव के बुजुर्गो का कहना है कि अगर उनके पास इस रामलीला मंचन का लिखित अभिलेख सुरक्षित होता तो उनके गांव की रामलीला के रामनगर से भी प्राचीन होने के प्रमाण मिल जाते। समिति के वर्तमान अध्यक्ष महेंद्र दुबे ने बताया, "हमारे पास पिछले 100 वर्षो का प्रमाण तो है, लेकिन उसके पहले के प्रमाण नष्ट हो चुके हैं।" उन्होंने बताया, "बढ़ती महंगाई ने वर्तमान में जहां अन्य जगहों पर होने वाली रामलीलाओं पर असर डाला है, वहीं गांव वालों के सहयोग से हमारी रामलीला इससे अछूती है।" उन्होंने आगे बताया, "11 दिनों चलने वाली रामलीला के आयोजन की तैयारी दो महीने पहले से शुरू हो जाती है। पात्रों के पोशाकों के चयन से लेकर संवाद तक हर पहलू को ध्यान में रखते हुए कड़ी मेहनत की जाती है। संगीत पक्ष भी अपनी तैयारी करता है। रामलीला में इसका बहुत ही महत्व है।" इस गांव में होने वाली रामलीला में कुछ ऐसे कलाकार भी हैं जो लगातार कई वर्षो से हनुमान, रावण और अंगद का किरदार निभाते आ रहे हैं। पिछले 25 वर्षो से रावण का किरदार निभाने वाले 60 वर्षीय पन्नालाल शर्मा ने बताया, "रावण रामकथा का एक विशेष पात्र है। किसी भी कृति के लिए अच्छे पात्रों के साथ-साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किंतु रावण में अवगुणों की अपेक्षा गुण अधिक थे। यदि रावण न होता तो रामायण की रचना भी न हो पाती।" शर्मा ने कहा, "देखा जाए तो रामकथा में रावण ही ऐसा पात्र है, जो राम के उज्ज्वल चरित्र को उभारने का काम करता है।" शर्मा ने कहा, "रावण जहां दुष्ट और पापी था वहीं उसमें शिष्टाचार और ऊंचे आदर्श वाली मर्यादाएं भी थीं। रावण कितना भी अहंकारी क्यों न रहा हो, लेकिन उसके गुणों को विस्मृत नहीं किया जा सकता। रावण एक अति बुद्घिमान ब्राह्मण तथा शंकर भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। वह महा तेजस्वी, प्रतापी, पराक्रमी, रूपवान तथा विद्वान था।"

 

दो बहनों ने कहा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाते थे आसाराम, नारायण साईं

सूरत। संत आसाराम बापू और उनके बेटे नारायण साईं के खिलाफ 10 साल पहले के गड़े हुए मुर्दे उखाड़कर लायीं दो बहनों ने सूरत और अहमदाबाद में दर्ज दो अलग-अलग मामलों में एक और गंभीर आरोप लगाया है, जिसे सोच कर भी आपको घिन आयेगी। 
दो बहनों ने कहा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाते थे आसाराम, नारायण साईं

वह आरोप है आप्राकृतिक यौन संबंध का। अहमदाबाद और सूरत में दर्ज दो अलग-अलग प्राथमिकियों में दोनों बहनों ने आरोप लगाया है कि आसाराम और उनके बेटे उनके साथ अप्राकृतिक यौन संबंध भी स्‍थापित करते थे। दोनों बहनों में एक की उम्र 35 वर्ष है और दूसरी की 30 वर्ष। लड़कियों के मुताबिक दोनों संतों ने जानबूझ कर दोनों बहनों को अलग-अलग शहरों में रखा, ताकि एक दूसरे से मिलें नहीं। जब मिलेंगी नहीं तो उनके खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकेंगी। सूरत में पीडि़ता ने पुलिस को बताया कि यौन शोषण के बाद उसे डराया धमकाया गया और कहा गया कि अगर वो मुंह खोलेगी तो उसके माता-पिता समेत पूरे परिवार को गायब करा दिया जायेगा। वहीं छोटी बहन का कहना है कि नारायण साईं उसे अलग-अलग शहरों में स्थित आश्रमों में व कार्यक्रमों में ले जाता था और कई बार उसके साथ यौन शोषण किया। दोनों बहनों ने इस मामले में आसाराम की पत्‍नी व बेटी की मिलीभगत का भी आरोप लगाया है। दोनों का दावा है कि मां-बेटी इन दोनों की हर चीज से वाकिफ थीं। लिहाजा अब नारायण साईं को पूछताछ के लिये अहमदाबाद पुलिस गिरफ्तार कर सकती है। यही नहीं आसाराम की पत्‍नी व बेटी से भी इस मामले में पूछताछ की जा सकती है।

 

चुनाव आचारसंहिता लागू होने 48 घंटे के बाद भी होर्डिंग्स नहीं हटाए गये



चुनाव आचार संहिता लागू होने 48 घंटे के बाद भी होर्डिंग्स नहीं हटाए गये


बाड़मेर गत 3 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की घोषणा होते ही आचार संहिता लागू हो गया। आचार संहिता के अमल के साथ ही जिलाधीश के मार्गदर्शन में अब तक शहर-जिले में छोटे-बड़े कुल 2400 होर्डिंग्स-बैनर लगे थे। जिसमे से बहुत कम होर्डिंग हटाये गए हें ,जिला मुख्यालय पर अभी भी सरकार के गुणगान करते होर्डिंग चुनाव आयोग को चिढ़ा रहे हें ,जिला प्रशासन की बेरुखी के चलते होर्डिंग हटाये नहीं गए ,आचार संहिता की शिकायतों के लिए कंट्रोल रम तक स्थापित नहीं किया गया। जिला मुख्यालय पर राजकीय अस्पताल प[अरिसर ,सी एम् एच ओ कार्यालय,भूमि अवाप्ति कार्यालय के पास सरकार की योजनाओ के गुणगान करते होर्डिंग अभी लगे हुए हें। जबकि जिले में आचार संहिता लगे कोई अडतालीस घंटे से अधिक हो चुके हें। 

सुशील मोदी का नीतीश कुमार पर ट्वीट बम, दिखाए चारा घोटाले के डॉक्यूमेंट



चारा घोटाले की आंच नीतीश कुमार तक पहुंचाने में बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है. रविवार को सुशील मोदी ने एक के बाद एक चार ट्वीट किए और बताने की कोशिश की कि चारा घोटाले में केवल पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ही नहीं, वर्तमान सीएम नीतीश के हाथ भी रंगे हुए हैं. नीतीश कुमार के साथ ही जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी का नाम भी साफ-साफ अंडरलाइन किया गया है.
सुशील मोदी
रविवार को बीजेपी नेता और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने चार पेज शेयर करते हुए बताया कि ये इकबालिया बयान चारा घोटाले के किंगपिन श्याम बिहारी सिन्हा (S B Sinha) का है, जिससे साफ होता है कि नीतीश कुमार को एक करोड़ रुपये पहुंचाए गए थे. बता दें कि एसबी सिन्हा का निधन हो चुका है.

जो डॉक्यूमेंट सुशील मोदी ने शेयर किया है उसके मुताबिक एसबी सिन्हा ने अपने बयान में कहा है- 'उमेश सिंह ने दिल्ली में मुझसे संपर्क किया और बताया कि मार्च 1995 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश जी कुछ पैसा मांगा है. उमेश ने बताया कि एक करोड़ रुपये की मांग आई है. मैं रांची लौटा और बाकी के कमेटी मेंबर्स के साथ इस मसले पर बात की. कमेटी को लगा कि 1995 के चुनावों में समता पार्टी एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरने वाली है. तभी नीतीश कुमार समता पार्टी के एक मजबूत नेता के तौर पर उभर रहे थे. कमेटी ने श्री नीतीश कुमार को एक करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया. कमेटी के फैसले के बाद मैं फिर दिल्ली लौटा और विजय कुमार मलिक से कहा कि वह उमेश सिंह को एक करोड़ रुपया दे दे, ताकि वह नीतीश कुमार को दिया जा सके. (यहां जहां नीतीश कुमार लिखा है, वहां नीतीश की जगह कुछ और नाम था, जिसे बाद में पेन से काटकर नीतीश किया गया है.) यह नवंबर या दिसंबर की बात है कि विजय मलिक ने उमेश सिंह को नई दिल्ली में एक करोड़ रुपये दे दिए. जब मैं अपनी तीसरी ट्रिप के दौरान दिल्ली में था, तब श्री नीतीश कुमार ने टेलीफोन से पुष्टि की कि उमेश सिंह आए थे और उनके मिले थे...'

इसी बयान में शिवानंद तिवारी का जिक्र भी हुआ है. श्याम बिहारी सिन्हा ने बयान में कहा- 'नवंबर 1994 में मैं दिल्ली में था. तब उमेश सिंह मेरे पास आए और मुझे शिवानंद तिवारी के पास ले गए, जो करोलबाग के होटल खिला हाउस में ठहरे हुए थे. वहां शिवानंद तिवारी ने 50 लाख रुपये की मांग की.'


उसके बाद तय किया गया कि तिवारी को 40 लाख रुपये दिए जाएंगे. बयान में है- 'त्रिपुरारी मोहन प्रसाद ने मुझे 40 लाख रुपये शिवानंद तिवारी को देने का निर्देश दिया. नवंबर 1994 में ही यह रकम अदा की गई. त्रिपुरारी मोहन प्रसाद ने बाद में कन्फर्म किया कि उसने 30 से 35 लाख रुपये शिवानंद तक पहुंचाने के लिए उमेश सिंह को दिए...'

इन्हीं डॉक्यूमेंट्स में उमेश सिंह का बयान भी है. उमेश ने बयान में कहा- '...शिवानंद तिवारी नरम नहीं पड़े. फिर वे चले गए. बाद में उसी दिन, एसबी सिन्हा के कहने पर विजय मलिक के भाई ने चार लाख रुपये शिवानंद तिवारी को देने के लिए मरीन होटल में मुझे सौंपे, मैं पटना लौटा और शिवानंद तिवारी के घर में जाकर उसे पैसे सौंप दिए.'


 

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र। रंगत बदल रही हें चुनावी फिजा की

कड़ी टक्कर और दिलचस्प मुकाबला होगा बाड़मेर में कांग्रेस भाजपा में 

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले की महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर की सीट पर सभी की नज़ारे हें। विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ एक बार फिर हलचल शुरू हो गयी। बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में वाही उम्मीदवार जीतेगा जिसके पक्ष में जातिगत समीकरण होंगे ,बाड़मेर में कांग्रेस की और से वर्तमान विधायक मेवाराम जैन एकमात्र उम्मीदवार हें। कोई आकस्मिक बड़ा फेरबदल टिकट वितरण में न हो तो उनकी उम्मीदवारी तय हें ,मगर बाड़मेर के जाट नेता मुख्यालय की सीट अपने पास रखना चाहते हें। एन वक्त पर कांग्रेस जाट उम्मीदवार मैदान में उतर दे तो कोई आश्चर्य नहीं। भाजपा के उम्मीदवार दावेदारों की लम्बी फ़ौज हें। बाड़मेर के कद्दावर नेता गंगाराम चौधरी की पौती डॉ प्रियंका चौधरी ,पिछला चुनाव हरी मृदुरेखा चौधरी ,राम सिंह बोथिया ,रतन लाल बोहरा ,मूलाराम भाम्भू ,अमिता चौधरी ,रणवीर सिंह भादू ,कैलाश बेनीवाल और भी कई नाम हें। मगर इनमे सबसे सशक्त दावेदारी डॉ प्रियंका चौधरी की हें। गंगाराम चौधरी की पौती होने के नाते उनकी दावेदारी वजनदार बनती हें साथ ही बाड़मेर सीट पर प्रियंका चौधरी ही कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सकती हें। शेष उम्मीदवार मेवाराम जैन के सामने टिक नहीं पाएंगे ,गंगाराम का अपना प्रभाव था जो ग्रामीण अंचलो में आज भी बरकरार हें। 


कहने को जाट बेल्ट के आलावा भाजपा के परंपरागत वोट और कांग्रेस के असंतुष्ट के सहारे भाजपा को बाड़मेर से उम्मीद हें तो वर्तमान विधायक मेवाराम जैन कुछ क्षेत्रो में मजबूत हें मगर त्रिपन हज़ार मतों के साथ सबसे ज्यादा वोट जाटो के हें जो मेवाराम से इस बार छिटक सकते हें। गत चुनावो में भी मेवाराम के साथ कांग्रेस के गोर्धन सिंह और मुकनाराम गोरसिया सारथि बने थे ,बाकी कांग्रेसियों ने अपने आप को दूर रखा था। भाजपा के असंतुष्ट कार्यकर्ता कांग्रेस उम्मीदवार के साथ खुले आम थे। इन कार्यकर्ताओ में कुछ इस बार भाजपा की दावेदारी भी कर रहे हें। मेवार जैन को अपनी सीट बरकरार रखने के लिए एडी से छोटी का जोर लगाना होगा साथ ही उन्हें हराने में जुटे प्रभावशाली लोगो पर भी नज़र रखनी होगी ,बाड़मेर में करीब राजपूत ,बीस हज़ार रावन राजपूत ,बारह हज़ार मुस्लिम ,दस से बारह हज़ार जैन ,तीस हज़ार अनुसूचित जाती जनजाति के थोक वोट हें। पिछले चुनावो की हर जीत का अंतर कोई ज्यादा न था बारह हज़ार वोट भाजपा को इधर उधर करने हें जीतने के लिए तो कांग्रेस उम्मीदवार को गंगाराम चौधरी की चुनावी रणनीति को सबसे पहले पार पाना होगा ,गंगाराम का राजनितिक जीवन अनुभव कांग्रेस प्रत्यासी की उम्र के बराबर हें ,गंगाराम हमेशा एक चुनावी रणनीति अपना कर चुनाव लडे और जीते ,उन्होंने दिग्गजों को आसानी से हराया हें। कांग्रेस उम्मीदवार दुआ करे उनके सामने गंगाराम परिवार न हो। भाजपा के लिए सबसे सशक्त उम्मीदवार प्रियंका हें। कांग्रेस प्रत्यासी अपने पांच साल के कार्यकाल का जवाब भी देंगे। चुनावो में कुछ उम्मीदवार अन्य दलों के उतरेंगे तो कुछ निर्दलीय भी लड़ेंगे जो दोनों दलों को नुकसान करेंगे


बाड़मेर विधायक के पक्ष में। बाड़मेर में गत पांच सालो में विकास कार्य खूब हुए ,ओवर ब्रिज ,नया बस स्टेंड ,विद्यालय ,स्वास्थ्य केंद्र ,,टाँके हेंड पम्प,जैसे कई काम विधायक के पक्ष में हें.


विपक्ष में। . स्थानान्तारानो में राजनीती ,गुटबाजी ,विभिन समाजो के साथ असामंजस्य ,आम आदमी को कम नहीं ,विधायक कोष से चहेतो को लाभ ,ग्रामीण क्षेत्रो में पानी की समस्या का निदान नहीं ,जातिगत असंतुलित समीकरण ,नगर परिषद् कार्यो में अनावश्यक हस्तक्षेप ,प्रभाव शाली व्यक्तियों का आर्थिक नुक्सान


भाजपा उम्मीदवार पक्ष में वसुंधरा राजे और नरेन्द्र मोदी की लोक प्रियता का फायदा ,जाट प्रत्यासी ,भाजपा के साथ अन्य समाजो का जुड़ना ,विधायक से व्यक्तिगत नाराज प्रभावी लोगो का समर्थन


विपक्ष में कमज़ोर संगठन ,नेतृत्व का आभाव ,गुटबाजी ,कार्यकर्ताओ से दुरी ,चार साल लोगो के बीच से नदारद ,आपसी मतभेद ,

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक सिंध कशीदा शैली

हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक सिंध कशीदा शैली

बाड़मेर. कशीदाकारी भारत का पुराना और बेहद खूबसूरत हुनर है । बेहद कम साधनों और नाममात्र की लागत के साथ शुरु किये जा सकने वाली इस कला के कद्रदान कम नहीं हैं । रंग बिरंगे धागों और महीन सी दिखाई देने वाली सुई की मदद से कल्पनालोक का ऎसा संसार कपड़े पर उभर आता है कि देखने वाले दाँतों तले अँगुलियाँ दबा लें । लखनऊ की चिकनकारी,बंगाल के काँथा और गुजरात की कच्छी कढ़ाई का जादू हुनर के शौकीनों के सिर चढ़कर बोलता है। इन सबके बीच सिंध की कशीदाकारी की अलग पहचान है । तेज़ रफ़्तार ज़िन्दगी में जबकि हर काम मशीनों से होने लगा है, सिंधी कशीदाकारों की कारीगरी "हरमुचो" किसी अजूबे से कम नज़र नहीं आती । बारीक काम और चटख रंगों का अनूठा संयोजन सामान्य से वस्त्र को भी आकर्ष्क और खास बना देता है । हालाँकि वक्त की गर्द इस कारीगरी पर भी जम गई है । नई पीढ़ी को इस हुनर की बारीकियाँ सिखाने के लिये भोपाल के राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने पहचान कार्यक्रम के तहत हरमुचो के कुशल कारीगरों को आमंत्रित किया था । इसमें सरला सोनेजा, कविता चोइथानी और रचना रानी सोनेजा ने हरमुचो कला के कद्रदानों को सुई-धागे से रचे जाने वाले अनोखे संसार के दर्शन कराये । हुरमुचो सिंधी भाषा का शब्द है जिसका शब्दिक अर्थ है कपड़े पर धागों को गूंथ कर सज्जा करना। हुरमुचो भारत की प्राचीन और पारम्परिक कशीदा शैलियों में से एक है। अविभाजित भारत के सिंध प्रांत में प्रचलित होने के कारण इसे सिंधी कढ़ाई भी कहते हैं। सिंध प्रांत की खैरपुर रियासत और उसके आस-पास के क्षेत्र हरमुचो के जानकारों के गढ़ हुआ करते थे। यह कशीदा प्रमुख रूप से कृषक समुदायों की स्त्रियाँ फसल कटाई के उपरान्त खाली समय में अपने वस्त्रों की सज्जा के लिये करती थीं। आजादी के साथ हुए बँटवारे में सिंध प्रांत पाकिस्तान में चला गया किंतु वह कशीदा अब भी भारत के उन हिस्सों में प्रचलित है, जो सिंध प्रान्त के सीमावर्ती क्षेत्र हैं। पंजाब के मलैर कोटला क्षेत्र, राजस्थान के बाड़मेर ,जैसलमेर ,बीकानेर और श्री गंगानगर, गुजरात के कच्छ, महाराष्ट्र के उल्हासनगर तथा मध्य प्रदेश के ग्वालियर में यह कशीदा आज भी प्रचलन में है। हुरमुचो कशीदा को आधुनिक भारत में बचाए रखने का श्रेय सिंधी समुदाय की वैवाहिक परंपराओं को जाता है। सिंधियों में विवाह के समय वर के सिर पर एक सफेद कपड़ा जिसे ’बोराणी’ कहते है, को सात रंगो द्वारा सिंधी कशीदे से अलंकृत किया जाता है। आज भी यह परम्परा विद्यमान है। सिंधी कशीदे की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें डिजाइन का न तो कपड़े पर पहले कोई रेखांकन किया जाता है और न ही कोई ट्रेसिंग ही की जाती है। डिजाइन पूर्णतः ज्यामितीय आकारों पर आधारित और सरल होते हैं। जिन्हें एक ही प्रकार के टांके से बनाया जाता है जिसे हुरमुचो टांका कहते हैं। यह दिखने में हैरिंघ बोन स्टिच जैसा दिखता है परंतु होता उससे अलग है। पारम्परिक रूप से हुरमुचो कशीदा वस्त्रों की बजाय घर की सजावट और दैनिक उपयोग में आने वाले कपड़ों में अधिक किया जाता था। चादरों,गिलाफों,रूमाल,बच्चों के बिछौने,थालपोश,थैले आदि इस कशीदे से सजाए जाते थे । बाद में बच्चों के कपड़े, पेटीकोट, ओढ़नियों आदि पर भी हरमुचो ने नई जान भरना शुरु कर दिया । आजकल सभी प्रकार के वस्त्रों पर यह कशीदा किया जाने लगा है।मैटी कशीदे की तरह सिंधी कशीदे में कपड़े के धागे गिन कर टांकों और डिजाइन की एकरूपता नहीं बनाई जाती। इसमें पहले कपड़े पर डिजाइन को एकरूपता प्रदान करने के लिए कच्चे टाँके लगाए जाते हैं। जो डिजाइन को बुनियादी आकार बनाते हैं। सिंधी कशीदा हर किस्म के कपड़े पर किया जा सकता है। सिंधी कशीदे के डिजाइन अन्य पारम्परिक कशीदो से भिन्न होते हैं।


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बाड़मेर बेक डेट में लोकार्पण का दिलचस्प मामला ,चुनाव आयोग की आँखों में धुल झोंकने का प्रयास

बेक डेट में लोकार्पण का दिलचस्प मामला ,चुनाव आयोग की आँखों में धुल झोंकने का प्रयास 
बाड़मेर विधायक पर आचार संहिता उलंघन का मामला ,उप खंड अधिकारी ने जाँच शुरू की 

बाड़मेर पंचायत समिति क्षेत्र के जाखड़ों की ढाणी ग्राम पंचायत में राप्रावि. फतेहपुरा के उप्रावि. में क्रमोन्नत होने पर आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में बाड़मेर जिले के कई जनप्रतिनिधियों ने शिरकत की। हालांकि लोकार्पण समारोह में अधिकारियों ने बड़ी समझदारी दिखाई। अनावरण पट्टिका पर एक दिन पूर्व की तारीख (4 सितंबर 2013) लिखवाई गई है। लेकिन लोकार्पण कार्यक्रम शनिवार को आयोजित हुआ है। आचार संहिता के उल्लंघन के इस मामले को जिला प्रशासन ने गंभीरता से मामले की जांच उप खंड अधिकारी बाड़मेर को सौंप दी हें। बेक डेट में लोकार्पण का पहला मामला सामने आया हें अब तक सरकारी कार्यालयों में बेक डेट के काम होते थे 

जानकारी के अनुसार शनिवार को दोपहर 12 बजे नव क्रमोन्नत स्कूल का लोकार्पण समारोह था। जिसमें जिसमें बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन, बीईईओ बाड़मेर मूलाराम बेरड, सरपंच हेमंत सारण सहित कई अन्य जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। लेकिन स्कूल पर लगी अनावरण पट्टिका से विधायक ने दूरियां बनाए रखी और उसका अनावरण नहीं किया।

वहां आयोजित हुए कार्यक्रम में शिरकत करते हुए सरकार की उपलब्धियों की जमकर प्रशंसा की। इस दौरान राजनीतिक कार्यक्रम में बाड़मेर बीईईओ मूलाराम बेरड सहित कई अन्य कर्मचारी भी मौजूद रहे। इस मामले की मीडिया को भनक लगने के बाद सभी सरकारी अधिकारी और जनप्रतिनिधि लोकार्पण समारोह पर अलग-अलग प्रतिक्रिया देने लगे।

सवाल ये है कि अगर राजनीतिक कार्यक्रम है तो वहां सरकारी कर्मचारी या अधिकारी तो शिरकत कर ही नहीं कर सकते है। अगर सरकारी अधिकारी लोकार्पण करते है और जनप्रतिनिधि राजनीतिक कार्यक्रम करते हंै तो भी आचार संहिता का उल्लंघन है।

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नेताओं पर रहेगी कैमरे की नजर 

जिला प्रशासन ने इस बार राजनीतिक दलों की हर गतिविधि को कैमरे की निगाह में रखने का निर्णय लिया है। कलेक्टर ने बताया कि इसके लिए पर्याप्त संख्या में वीडियोग्राफर की व्यवस्था की जा रही है। अलग से सेल बनाया जा रहा है। आचार संहिता का पालन नहीं करने वालों को वीडियो सेल की नजर में रखा जाएगा। इसके अलावा राजनीतिक दलों की ओर से होने वाली सभा व अन्य आयोजन की जानकारी रखी जाएगी।

प्रशासन ने ली राहत की सांस

आचार संहिता लागू होने पर प्रशासन ने राहत की सांस ली। लोकार्पण, शिलान्यास कार्यक्रमों की होड़ के चलते रोजाना भागदौड़ में व्यस्त रहने वाले अफसरों ने शनिवार को राहत महसूस की। बीते चार साल की तुलना में सितंबर माह में रिकार्ड तोड़ शिलान्यास व लोकार्पण कार्यक्रम हुए। इसके चलते सरकारी मशीनरी पुरी तरह से व्यस्त रही।

॥विधायक मेवाराम जेन, पूर्व प्रधान मूलाराम चौधरी, बीईईओ मूलाराम बेरड सहित अन्य जनप्रतिनिधि स्कूल लोकार्पण कार्यक्रम में आए थे। लेकिन वहां लगी पट्टिका का अनावरण नहीं किया। पट्टिका पर एक दिन पुरानी तारीख लिखी गई। विधायक उद्घाटन से दूर रहे, लेकिन पट्टिका का अनावरण बीईईओ मूलाराम की ओर से किया गया।

चौखाराम, ग्रामीण

॥फतेहपुरा में स्कूल क्रमोन्नत हुआ है, लेकिन वहां उद्घाटन कार्यक्रम नहीं था। मैंने कोई उद्घाटन नहीं किया। वहां केवल लोगों की बैठक ली थी और उसे संबोधित किया है। मैंने आचार संहिता का उल्लंघन नहीं किया।

मेवाराम जैन, विधायक बाड़मेर।

आचार संहिता में विधायक या मंत्री अपने दौरे में सरकारी काम को शामिल नहीं कर सके। कोई नई स्कीम, प्रोजेक्टर, नई मंजूरियां जारी नहीं की जा सकेगी। किसी भी योजना का उद्घाटन या शिलान्यास नहीं किया जा सकता। सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं हो सकते। तबादले व नियुक्तियां नहीं हो सकती। सरकारी खर्चे से उपलब्धियों का विज्ञापन जारी नहीं कर सकते आदि कई नियम लागू होते हंै।

बीईईओ बोले मैंने तो नहीं किया लोकार्पण

॥मैं स्कूल लोकार्पण समारोह कार्यक्रम था, लेकिन स्कूल का लोकार्पण मैंने नहीं किया। एमएलए साहब ने मना कर दिया कि आचार संहिता है उद्घाटन नहीं करूंगा। इसके बाद तो वहां कार्यक्रम हुआ था। जहां मैं भी था।

मूलाराम बेरड, बीईईओ बाड़मेर

कार्रवाई अमल में लाई जाएगी

॥आचार संहिता में कोई लोकार्पण या शिलान्यास नहीं कर सकता है। सरकारी कर्मचारी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते है। अगर ऐसा मामला है तो गभीरता के साथ कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।ञ्जञ्ज अरुण पुरोहित, एडीएम
















राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आगे आना होगा

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आगे आना होगा


संस्कृति अकादमी तथा थार साहित्य संस्था के तत्वावधान में एक दिवसीय राजस्थानी समारोह का आयोजन 


जैसलमेरराजस्थानी भाषा साहित्य अर संस्कृति अकादमी तथा थार साहित्य संस्था के तत्वावधान में एक दिवसीय राजस्थानी समारोह का आयोजन शनिवार को जगाणी पंचायत भवन में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए किसी एक वर्ग विशेष पर आश्रित न रहकर समस्त वर्गों के लोगों को मिलकर जन जागरण करने की आवश्यकता है। 

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा ने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से है तथा इसकी जड़े आमजन की रीति परंपरा, लोक जीवन के माध्यम से जिंदा है। विशिष्ठ अतिथि प्रधान मूलाराम ने कहा कि राजस्थानी भाषा का विपुल साहित्य हमारी विरासत है। भाषा की मान्यता के लिए आमआदमी को आगे आना होगा।

कवि आई दानसिंह भाटी ने कहा कि हमें अपनी भाषा का अभिमान करना होगा तथा अपने घरों में बच्चों को मातृभाषा में बोलने के लिए प्रेरित करना होगा। राजनीतिज्ञ, कवि, साहित्यकार, एवं मीडिया मिलकर राजस्थानी भाषा के प्रति सही तथ्य प्रस्तुत करें। विशिष्ठ अतिथि आनंद पुरोहित ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आवश्यक है कि लोग इसे पढ़े, समझे एवं लिखे।

युवा शक्ति को भाषा का महत्व बताए: राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने इस अवसर पर आह्वान किया कि वे भाषा की मान्यता के लिए इच्छा शक्ति रखें। जनजागरण के लिए युवा शक्ति को भाषा का महत्व बताए। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा ने अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे की बात कही। प्रो. बालकृष्ण जगाणी ने कहा कि अभिव्यक्ति को जितनी ऊंचाइयां राजस्थानी भाषा में है वो किसी अन्य भाषा में नहीं है। प्रेम, विरह, और स्वागत के उच्च आयाम राजस्थानी भाषा में है। ब्रज मोहन रामदेव, डा. जगदीश पुरोहित ने भाषा मान्यता के लिए भाषा की एकरुपता एवं संघर्ष पर ध्यान आकर्षित किया।

सम्मेलन के दूसरे सत्र में डा. दीनदयाल ओझा ने राजस्थानी भाषा की प्राचीनता और हिंदी का विकास तथा मनोहर महेचा ने राजस्थानी भाषा और लोकगीत विषय पर पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता बालकिशन जोशी ने की। अंतिम सत्र में राजस्थानी भाषा में कविता गोष्ठी रखी गई । जिसमें ओम भाटिया व मांगीलाल सेवक विशिष्ठ अतिथि थे। कवि भंवरदान माडवा, लक्ष्मीनारायण खत्री, राजेन्द्र व्यास भोपत, आनंद पुरोहित, सांगीदान भाटिया, सुरेश जगाणी, श्रीवल्लभ पुरोहित, मांगीलाल सेवक, आनंद जगाणी, ओमप्रकाश भाटिया, मनोहर महेचा, बालकिशन जोशी, नंदकिशोर शर्मा, आदि ने काव्य पाठ किया।

एक पखवाड़े बाद आ सकती है भाजपा की पहली सूची

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी राज्य विधानसभा चुनाव के लिए एक पखवाड़े बाद उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर देगी। इसके लिए अगले सप्ताह से पार्टी के बड़े नेता सक्रिय हो जाएंगे। तीन-चार दिन में प्रदेश चुनाव समिति गठित होने के आसार है।एक पखवाड़े बाद आ सकती है भाजपा की पहली सूची
इसकी जयपुर में होने वाली पहली बैठक में 70-80 सीटों पर एक-एक नाम होने की उम्मीद है। दीपावली से पहले करीब सभी सीटों से नाम घोषित हो सकते हैं। हालांकि पार्टी ने कुछ नेताओं को चुनाव की तैयारी का संकेत कर दिया है। इनमें वे शामिल हैं जिनके जीतने के पूरे आसार हैं।

सूत्रों ने बताया कि सभी उम्मीदवारों के नाम जयपुर में ही तय होंगे। पार्टी आलाकमान से औपचारिक मंजूरी ली जाएगी। प्रदेश चुनाव समिति के गठन के बाद से ही चयन प्रक्रिया को गति मिल जाएगी। पहली बैठक में तय हुए 70-80 नामों की घोषणा 20 अक्टूबर के आसपास हो सकती है। इसके बाद जैसे-जैसे चुनाव समिति नाम तय करती जाएगी, शेष नाम भी घोषित होते जाएंगे।

चार स्तर पर हुआ सर्वे

पार्टी ने सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में दिल्ली की एक कम्पनी से दो बार सर्वे कराया। इसके बाद अपने स्तर पर अलग से सर्वे कराया। इन तीन सर्वे के बाद पार्टी अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने अपने स्तर पर जयपुर, धौलपुर व रणकपुर में कार्यकर्ताओं से मिलकर अलग से फीडबैक लिया। इन तीन सर्वे व कार्यकर्ता फीडबैक में जिन दावेदारों के नाम कॉमन हैं, उनकी सूची तैयार कर ली गई है।

जिन पर विचार कर प्रदेश चुनाव समिति एक नाम तय करेगी। समिति दो या इससे अधिक नाम होने पर दावेदारों की छवि, क्षेत्र में लोकप्रियता व जीत के समीकरण को आधार बनाएगी। सूत्रों ने बताया कि पार्टी प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के दावेदारों को लेकर काफी मंथन कर चुकी है। दावेदारों से व्यक्तिगत साक्षात्कार की प्रक्रिया अब नहीं अपनाई जाएगी।

22 विधायकों के कट सकते हैं टिकट

सूत्रों ने बताया कि भाजपा के मौजूदा 78 विधायकों में से करीब 22 के टिकट कट सकते हैं। पिछले दिनों हुए चार स्तरीय सर्वे व फीडबैक में इन लोगों बड़ी कमजोर स्थिति सामने आई है। सर्वे में सभी मौजूदा विधायकों की क्षेत्र में सक्रियता और लोकप्रियता का आकलन कराया गया था। पार्टी का मानना है कि अलोकप्रिय व निष्क्रिय विधायकों को टिकट देने को लेकर पार्टी कोई जोखिम लेना नहीं चाहती।

नमो चाय के बाद अब मोदी टैटू और मोदी कुर्ता



अहमदाबाद। भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी इन दिनों हर जगह छाए हुए हैं। मोदी पूरे देश में इतने पोपुलर हो गए हैं कि उन्हे अब एक ब्रांड बनाकर पेश किए जाने लगा है। कुछ दिन पहले पटना में जहां चाय की दुकानों के नाम नमो टी स्टॉल कर दिया गया था वहीं अब मोदी कुर्ता और मोदी टैटू बाजार में उतारे गए हैं। नवरात्र में मोदी का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। एक अंग्रेजी पत्रिका की वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक मार्केट में मोदी टैटू ही नहीं मोदी कुर्ता, मोदी सूट और मोदी साडियां छाई हुई हैं।
नमो चाय के बाद अब मोदी टैटू और मोदी कुर्ता
मोदी ने फैशन को किया अपडेट

फैशन एक ऎसी चीज है, जो हर वक्त अपडेट होती रहती है, लेकिन इस बार फैशन ने खुद को अपडेट करने के लिए मोदी का सहारा लिया है। गुजरात में फैशन की बात करें तो यहां मोदी ही छाए हुए हैं। यूथ इन दिनों अपने फेवरेट पॉलिटिकल लीडर मोदी का टैटू लगाकर गरबा में धूम मचा रहे हैं। यानी भाजपा के पोस्टरों के बाद अब मोदी यूथ की बाहों और पीठ पर भी टैटू के रूप में छाए हुए हैं। अहमदाबाद के एक टैटू आर्टिस्ट ने मोदी के करीब तीस हजार से ज्यादा टैटू तैयार किए हैं, जिन्हें वे गरबा प्रोग्राम के दौरान लोगों के बीच रख रहे हैं। वहीं यूथ भी इस नई स्टाइल से अपने पॉलिटिकल लीडर को सर्पोट कर काफी एक्साइटेड है।

चलिए अब गुजरात से निकल कर मायानगरी यानी मुंबई चलते हैं। यहां भी मोदी-मोदी ही छाया हुआ है। मुंबई के घाटकोपर के टैटू आर्टिस्ट ने तो मोदी का परमानेंट टैटू फ्री ऑफ कॉस्ट बनाने का एलान किया है। उनकी मानें तो अब तक उन्हें दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरू से 15 से ज्यादा एंट्रीज भी मिल गई हैं। उनका कहना है कि वे अपने फेवरेट लीडर को सपोर्ट करने के लिए यह सब कर रहे हैं।
नमो चाय के बाद अब मोदी टैटू और मोदी कुर्ता


मार्केट में छाया मोदी कुर्ता

इस नवरात्र गुजरात के मार्केट में मोदी आपको 20 कलर्स और 12 स्टाइल में मिलेंगे। यहां हम मोदी कुर्ता की बात कर रहे हैं। मार्केट में हाफ स्लीव्स, बॉटम-अप और स्टैंडिंग कॉलर वैरायटी में मोदी अपने रंग बिखेर रहे हैं। मोदी कुर्ता बनाने वाली जेडे ब्लू कंपनी के 18 आउटलेट्स पर आपको मोदी कुर्ता आसानी से मिल जाएंगे। उधर, सूरत के साड़ी मार्केट ने भी खुद को प्रमोट करने के लिए मोदी का सहारा लिया है। यहां मिल रही साडियों पर स्पेशल स्लोगन भी लिखे हुए, जैसे "मोदी लाओ-देश बचाओ"। इतना ही नहीं कैरी बैग्स पर भी मोदी ही हैं। कैरी बैग्स पर "वोट मोदी-सेव नेशन" जैसे स्लोगन लिखे हुए हैं।

बाडमेर भारत-पाक सरहद वीरातरा माता का मंदिर





बाडमेर भारत-पाक सरहद पर वीरातरा स्थित वीरातरा माता का मंदिर सैकड़ों वषोंर से आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यहां प्रति वर्ष चैत्र,भादवा एवं माघ माह की शुक्ल पक्ष की तेरस एवं चौदस को मेला लगता है। अखंड दीपक की रोशनी,नगाड़ों की आवाज के बीच जब जनमानस नारियल जोत पर रखते है तो एक नई रोशनी रेगिस्तान के वीरान इलो में चमक उठती है। 
वीरातरा माता की प्रतिमा प्रकट होने के पीछे कई दंतकथाएं प्रचलित है। एक दंतकथा के
 मुताबिक प्रतिमा को पहाड़ी स्थित मंदिर से लाकर स्थापित किया गया। अधिकांश जनमानस एवं प्राचीन इतिहास से संबंध रखने वाले लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा एक भीषण पाषाण टूटने से प्रकट हुई थी। यह पाषाण आज भी मूल मंदिर के  बाहर दो टूकड़ों में विद्यमान है। वीरातरा माता की प्रकट प्रतिमा से एक कहानी यह भी जुड़ी हुई है कि पहाड़ी स्थित वीरातरा माताजी के  प्रति लोगों की अपार श्रद्घा थी। कठिन पहाड़ी चढ़ाई, दुर्गम मार्ग एवं जंगली जानवरों के  भय के बावजूद श्रद्घालु दर्शन करने मंदिर जरूर जाते थे। इसी आस्था की वजह से एक 80 वर्षीय वृद्घा माताजी के  दर्शन करने को पहाड़ी के ऊपर चढ़ने के लिए आई। लेकिन वृद्घावस्था के कारण ऊपर चढ़ने में असमर्थ रही। वह लाचार होकर पहाड़ी की पगडंडी पर बैठ गई। वहां उसने माताजी का स्मरण करते हुए कहा कि वह दर्शनार्थ आई थी। मगर शरीर से लाचार होने की वजह से दर्शन नहीं कर पा रही है। उसे जैसे कई अन्य भक्त भी दर्शनों को लालायित होने के बाद दर्शन नहीं कर पाते। अगर माताजी का ख्याल रखती है तो नीचे तलहटी पर आकर छोटे बच्चों एवं वृद्घों को दर्शन दें। उस वृद्घा की इच्छा के  आगे माताजी पहाड़ी से नीचे आकर बस गई। वीरातरा माताजी जब पहाड़ी से नीचे की तरफ आई तो जोर का भूंप आया। साथ ही एक बड़ा पाषाण पहाड़ी से लुढ़कता हुआ मैदान में आ गिरा। पाषाण दो हिस्सों में टूटने से जगदम्बे माता की प्रतिमा प्रकट हुई। इसे बाद चबूतरा बनाकर उस पर प्रतिमा स्थापित की गई। सर्वप्रथम उस वृद्ध महिला ने माताजी को नारियल चढ़ाकर मनोकामना मांगी। 
प्रतिमा स्थापना के बाद इस धार्मिक स्थान की देखभाल भीयड़ नामक भोपा करने लगा। भीयड़ अधिकांश समय भ्रमण कर माताजी के चमत्कारों की चर्चा करता। माताजी ने भीयड़ पर आए संकटों को कई बार टाला। एक रावल भाटियों ने इस इलो में घुसकर पशुओं को चुराने एवं वृक्षों को नष्ट करने का प्रयत्न किया। भाटियों की इस तरह की हरकतों को देखकर भोपों ने निवेदन किया कि आप लोग रक्षक है। ऐसा कार्य न करें, मगर भाटियों ने इसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। उल्टे भोपों को परेशान करना प्रारंभ कर दिया। लाचार एवं दुखी भोपे भीयड़ के  पास आए। भीयड़ ने भी भाटियों से प्रार्थना की। इसे बदले तिरस्कार मिला। अपनी मर्यादा और इलाके  के नुकसान को देखकर वह बेहद दुःखी हुआ। उसने वीरातरा माता से प्रार्थना की। माता ने अपने भक्त की प्रार्थना तत्काल सुनते हुए भाटियों को सेंत दिया कि वे ऐसा नहीं करें। मगर जिद्द में आए भाटी मानने को तैयार नहीं हुए। इस पर उनकी आंखों से ज्योति जाने लगी। शरीर में नाना प्रकार की पीड़ा होने लगी। लाचार भाटियों ने क्षमास्वरूप माताजी का स्मरण किया और अपनी करतूतों की माफी मांगी। अपने पाप का प्रायश्चित करने पर वीरातरा माताजी ने इन्हें माफ किया। भाटियों ने छह मील की सीमा में बारह स्थानों का निर्माण करवाया। आज भी रोईडे का थान,तलेटी का थान, बेर का थान, तोरणिये का थान, मठी का थान,ढ़ोक का थान, धोरी मठ वीरातरा, खिमल डेरो का थान, भीयड़ भोपे का थान, नव तोरणिये का थान एवं बांकल का थान के  नाम से प्रसिद्ध है। वीरातरा माताजी की यात्रा तभी सफल मानी जाती है जब इन सभी थानों की यात्रा कर दर्शन किए जाते है। 
चमत्कारों की वजह से कुल देवी मानने वाली महिलाएं न तो गूगरों वाले गहने पहनती है और न ही चुड़ला। जबकि इन इलो में आमतौर पर अन्य जाति की महिलाएं इन दोनों वस्तुओं का अनिवार्य रूप से उपयोग करती है। वीरातरा माता के  दर्शनार्थ बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात समेत कई प्रांतों के  श्रद्घालु यहां आते हैं।

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता


रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था


जैसलमेर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर दार्न करने आते हैं ।इस मूल मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें श्रमालों का भानदार मनिदर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।तनोअ माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवय बांधता हैं।पगतिदिन आने वाले सैकडो रदालुओं द्घारा इस परिसर में अतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रआलु मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल के एस चौहान नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं40 हजार से अधिक रूमाल बनधे हैाव्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बी हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई।ं। भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दशर्नीय व आकशर्क हैं।

शनिवार, 5 अक्टूबर 2013

युवा तुर्कपूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र भाजपा में शामिल ,विरासत का सियासी बंटवारा



लखनऊ । राजनीतिक विवादों को सुलझाने में माहिर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर के परिवार की सियासी रार खुलकर सामने आ गई। बड़े पुत्र पंकज शेखर ने भाजपा का दामन थाम कर सलेमपुर सीट से दावेदारी ठोंक अपने भतीजे रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू भैया की मुश्किलें बढ़ा दी। वहीं बलिया के अभेद्द दुर्ग में छोटे भाई सांसद नीरज शेखर की राह भी अब आसान नहीं रहेगी।
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ताउम्र समाजवादी सोच के अलम्बरदार रहे चंद्रशेखर का कुनबा विचारधाराओं के अलग-अलग खांचों में बंट गया है। युवा तुर्क की राजनीतिक विरासत पाने की जंग में उनके उत्तराधिकारियों को उनके चिंतन व मूल्यों से कोई सरोकार नहीं रहा। वोट के गणित और चुनावी जीत की चाहत में चंद्रशेखर के बेहद करीब रहे पारिवारिक रिश्ते में पौत्र रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू सिंह अर्से पहले ही बसपा के साथ हो चुके थे। वर्तमान में विधानपरिषद सदस्य पप्पू सिंह सलेमपुर संसदीय क्षेत्र से बसपा प्रत्याशी भी है।

उल्लेखनीय है कि नए परिसीमन में स्व. चंद्रशेखर का पैत्रक गांव इब्राहिमपट्टी अब बलिया के बजाए सलेमपुर संसदीय सीट का हिस्सा बन चुका है। इसी सीट पर गत लोकसभा चुनाव में पप्पू सिंह भाजपा से गठबंधन में जनता दल यू के प्रत्याशी थे लेकिन इस बार बसपा के हाथी पर सवारी कर सांसद बनना चाहते हैं लेकिन पंकज शेखर का भाजपाई हो जाना पप्पू सिंह के लिए शुभ नहीं है।

जानकारों का मानना है पंकज के इस फैसले से केवल सलेमपुर के समीकरण ही नहीं बदलेंगे बल्कि युवा तुर्क चंद्रशेखर के नाम से पहचानी जाने वाली बलिया संसदीय सीट पर छोटे भाई नीरज शेखर का सपा सांसद बने रहना भी मुश्किल होगा। परिसीमन के बाद भूमिहार एवं ब्राह्मण बहुल वाले इस इलाके में नया समीकरण बनने के कयास लगाए जा रहे हैं। वोटों के विभाजन में भाजपा खुद को अधिक मजबूत मान रही है। पंकज शेखर के आने से ताकत मिलने का दावा करते फेफना क्षेत्र से भाजपा के विधायक उपेंद्र तिवारी का कहना है कि मोदी लहर और सपा व कांग्रेस के खिलाफ माहौल भाजपा के पक्ष में है।

सूत्रों का कहना है कि स्व.चंद्रशेखर के परिजनों में आपसी अनबन की चर्चा काफी समय से होती रही है। तेरहवीं कार्यक्रम के दौरान ही पंकज शेखर ने सियासी विरासत का सवाल उठाया था लेकिन समाजवादी पार्टी ने नीरज को आगे कर उनकी उम्मीदों को झटका दिया था। बता दें कि चंद्रशेखर 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार बलिया से लोकसभा चुनाव जीते और उसके बाद से 1984 का चुनाव छोड़कर लगातार विजयी होते रहे लेकिन परिवारिक बिखराव में जीत का यह सिलसिला बनाए रखना नीरज शेखर के लिए आसान नहीं।

केदारनाथ पहुंचा यात्रियों का पहला जत्था



देहरादून  । उत्तराखंड में आई आपदा के करीब साढ़े तीन माह बाद नवरात्र के पहले दिन बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा एक बार फिर शुरू हो गई। बादलों की आंख मिचौली के बीच सोनप्रयाग से 49 यात्रियों का पहला जत्था देर शाम केदारनाथ पहुंचा। इस जत्थे में दो विदेशियों समेत 15 स्थानीय और 32 यात्री अन्य प्रदेशों के हैं।
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वहीं, जोशीमठ से 30 वाहनों में दो सौ श्रद्धालु बदरीनाथ रवाना हुए। हालांकि, जोशीमठ से दस किलोमीटर आगे पिनौला घाट के पास भूस्खलन से सड़क बंद हो गई, जिससे यात्रियों को दूसरी ओर खड़े वाहनों से बदरीनाथ भेजा गया। गौरतलब है कि गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा पहले ही शुरू की जा चुकी है। इसी के साथ चार धाम यात्रा पुन: विधिवत शुरू हो गई है। नवंबर के प्रथम सप्ताह में कपाट बंद होने तक यात्रा जारी रहेगी।

आखिरकार असमंजस खत्म हुआ और शनिवार को सुबह सवा सात बजे सोनप्रयाग से रवाना श्रद्धालुओं का पहला जत्था देर शाम केदारनाथ पहुंच गया। सुरक्षा की दृष्टि से जत्थे के साथ आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षित जवान भी भेजे गए हैं। इससे पहले सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। ये सभी यात्री रात्रि विश्राम के बाद रविवार सुबह केदारनाथ के दर्शन कर वापस लौटेंगे। सोनप्रयाग और गुप्तकाशी में पैदल जाने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। दृसरे जत्थे के लिए 14 यात्रियों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। गुप्तकाशी में तैनात राहत आयुक्त नितिन भदौरिया ने बताया कि केदारनाथ और रास्ते में पड़ने वाले पड़ाव पर यात्रियों के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

हरीश रावत ने किए बाबा के दर्शन : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने शनिवार को भगवान केदारनाथ के दर्शन किए। उन्होंने प्रशासन को धाम में चल रहे कार्यो में तेजी लाने तथा पैदल मार्ग को दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए। इससे पूर्व शुक्रवार सायं रावत ने केदारनाथ त्रासदी में मरे लोगों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी दिया। उल्लेखनीय है कि रावत करीब 25 किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ पहुंचे थे।

जबरन पिलाई शराब, फिर किया गैंगरेप



जबरन पिलाई शराब, फिर किया गैंगरेप



ब्यावर (अजमेर)। अस्पताल जाने के लिए सड़क पर टैम्पो का इंतजार कर रही सेंदड़ा रोड निवासी एक महिला के साथ तीन जनों ने रात भर दुष्कर्म किया। वारदात गत 28 सितम्बर को अंजाम दी गई जिसकी रिपोर्ट पीडिता की ओर से एक सप्ताह बाद शनिवार को दर्ज करवाई गई।




पुलिस ने शिकायत दर्ज करवाए जाने के दो घंटे के भीतर कार्रवाई करते हुए तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर वारदात में इस्तेमाल मोटरसाइकिल बरामद कर ली।




पीडिता गत 28 सितम्बर की शाम अमृतकौर अस्पताल जाने के लिए सड़क पर टैम्पो का इंतजार कर रही थी। इसी दौरान राजेन्द्र मोटरसाइकिल से गुजर रहा था। राजेन्द्र ने उसे अस्पताल छोड़ने की कहते हुए मोटरसाइकिल पर बैठा लिया।




रास्ते में उसने अस्पताल से पहले पीडिता को पेय पदार्थ पिलाया जिसे पीने के बाद वह अपनी सुध-बुध खो बैठी। पीडिता के अनुसार अस्पताल की बजाय राजेन्द्र उसे अपने साथ रास के निकट धुलेट गांव में पहाड़ी की तलहटी में ले गया।




यहां पर राजेन्द्र ने पीडिता को जबरन शराब पिलाई। शराब पिलाने के बाद राजेन्द्र ने मौके पर गांव से ही अपने दो अन्य साथियों पप्पू व किशोर को भी बुलवा लिया। तीनों आरोपियों ने पीडिता के साथ पूरी रात दुराचार किया।