देहरादून । उत्तराखंड में आई आपदा के करीब साढ़े तीन माह बाद नवरात्र के पहले दिन बदरीनाथ और केदारनाथ की यात्रा एक बार फिर शुरू हो गई। बादलों की आंख मिचौली के बीच सोनप्रयाग से 49 यात्रियों का पहला जत्था देर शाम केदारनाथ पहुंचा। इस जत्थे में दो विदेशियों समेत 15 स्थानीय और 32 यात्री अन्य प्रदेशों के हैं।
वहीं, जोशीमठ से 30 वाहनों में दो सौ श्रद्धालु बदरीनाथ रवाना हुए। हालांकि, जोशीमठ से दस किलोमीटर आगे पिनौला घाट के पास भूस्खलन से सड़क बंद हो गई, जिससे यात्रियों को दूसरी ओर खड़े वाहनों से बदरीनाथ भेजा गया। गौरतलब है कि गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा पहले ही शुरू की जा चुकी है। इसी के साथ चार धाम यात्रा पुन: विधिवत शुरू हो गई है। नवंबर के प्रथम सप्ताह में कपाट बंद होने तक यात्रा जारी रहेगी।
आखिरकार असमंजस खत्म हुआ और शनिवार को सुबह सवा सात बजे सोनप्रयाग से रवाना श्रद्धालुओं का पहला जत्था देर शाम केदारनाथ पहुंच गया। सुरक्षा की दृष्टि से जत्थे के साथ आपदा प्रबंधन के प्रशिक्षित जवान भी भेजे गए हैं। इससे पहले सभी यात्रियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। ये सभी यात्री रात्रि विश्राम के बाद रविवार सुबह केदारनाथ के दर्शन कर वापस लौटेंगे। सोनप्रयाग और गुप्तकाशी में पैदल जाने वाले यात्रियों का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। दृसरे जत्थे के लिए 14 यात्रियों का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। गुप्तकाशी में तैनात राहत आयुक्त नितिन भदौरिया ने बताया कि केदारनाथ और रास्ते में पड़ने वाले पड़ाव पर यात्रियों के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।
हरीश रावत ने किए बाबा के दर्शन : केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने शनिवार को भगवान केदारनाथ के दर्शन किए। उन्होंने प्रशासन को धाम में चल रहे कार्यो में तेजी लाने तथा पैदल मार्ग को दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए। इससे पूर्व शुक्रवार सायं रावत ने केदारनाथ त्रासदी में मरे लोगों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी दिया। उल्लेखनीय है कि रावत करीब 25 किलोमीटर पैदल चलकर केदारनाथ पहुंचे थे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें