रविवार, 6 अक्टूबर 2013

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आगे आना होगा

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आगे आना होगा


संस्कृति अकादमी तथा थार साहित्य संस्था के तत्वावधान में एक दिवसीय राजस्थानी समारोह का आयोजन 


जैसलमेरराजस्थानी भाषा साहित्य अर संस्कृति अकादमी तथा थार साहित्य संस्था के तत्वावधान में एक दिवसीय राजस्थानी समारोह का आयोजन शनिवार को जगाणी पंचायत भवन में किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए किसी एक वर्ग विशेष पर आश्रित न रहकर समस्त वर्गों के लोगों को मिलकर जन जागरण करने की आवश्यकता है। 

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा ने कहा कि राजस्थानी भाषा विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से है तथा इसकी जड़े आमजन की रीति परंपरा, लोक जीवन के माध्यम से जिंदा है। विशिष्ठ अतिथि प्रधान मूलाराम ने कहा कि राजस्थानी भाषा का विपुल साहित्य हमारी विरासत है। भाषा की मान्यता के लिए आमआदमी को आगे आना होगा।

कवि आई दानसिंह भाटी ने कहा कि हमें अपनी भाषा का अभिमान करना होगा तथा अपने घरों में बच्चों को मातृभाषा में बोलने के लिए प्रेरित करना होगा। राजनीतिज्ञ, कवि, साहित्यकार, एवं मीडिया मिलकर राजस्थानी भाषा के प्रति सही तथ्य प्रस्तुत करें। विशिष्ठ अतिथि आनंद पुरोहित ने कहा कि राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए आवश्यक है कि लोग इसे पढ़े, समझे एवं लिखे।

युवा शक्ति को भाषा का महत्व बताए: राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने इस अवसर पर आह्वान किया कि वे भाषा की मान्यता के लिए इच्छा शक्ति रखें। जनजागरण के लिए युवा शक्ति को भाषा का महत्व बताए। इतिहासकार नंदकिशोर शर्मा ने अधिक से अधिक लोगों को जोडऩे की बात कही। प्रो. बालकृष्ण जगाणी ने कहा कि अभिव्यक्ति को जितनी ऊंचाइयां राजस्थानी भाषा में है वो किसी अन्य भाषा में नहीं है। प्रेम, विरह, और स्वागत के उच्च आयाम राजस्थानी भाषा में है। ब्रज मोहन रामदेव, डा. जगदीश पुरोहित ने भाषा मान्यता के लिए भाषा की एकरुपता एवं संघर्ष पर ध्यान आकर्षित किया।

सम्मेलन के दूसरे सत्र में डा. दीनदयाल ओझा ने राजस्थानी भाषा की प्राचीनता और हिंदी का विकास तथा मनोहर महेचा ने राजस्थानी भाषा और लोकगीत विषय पर पत्र वाचन किया। सत्र की अध्यक्षता बालकिशन जोशी ने की। अंतिम सत्र में राजस्थानी भाषा में कविता गोष्ठी रखी गई । जिसमें ओम भाटिया व मांगीलाल सेवक विशिष्ठ अतिथि थे। कवि भंवरदान माडवा, लक्ष्मीनारायण खत्री, राजेन्द्र व्यास भोपत, आनंद पुरोहित, सांगीदान भाटिया, सुरेश जगाणी, श्रीवल्लभ पुरोहित, मांगीलाल सेवक, आनंद जगाणी, ओमप्रकाश भाटिया, मनोहर महेचा, बालकिशन जोशी, नंदकिशोर शर्मा, आदि ने काव्य पाठ किया।

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