अजमेर सरकारी स्कूलों में चस्पा होगा शिक्षकों का फोटो एवं प्रोफाइल -प्रो. देवनानी
प्रधानमंत्राी एवं मुख्यमंत्राी ने दिए निर्देश, स्कूलों में लगेंगे दर्पण
प्रधानाचार्यों का लीडरशिप प्रशिक्षण
प्रधानाचार्य शाला विकास की सबसे अहम कड़ी, निभाएं अपनी जिम्मेदारी
अजमेर 12 जून। शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रधानमंत्राी श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे के निर्देशानुसार राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की फोटो एवं प्रोफाइल चस्पा होगा। साथ ही प्रत्येक विद्यालय में दर्पण भी लगवाया जाएगा। यह प्रक्रिया विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों सहित आमजन को शिक्षकों की योग्यता से अवगत कराने के लिए शुरू की जा रही है। साथ ही दर्पण विद्यार्थियों में स्वच्छता की आदत विकसित करेगा ताकि वे प्रफुल्लित मन से विद्यालय में अध्ययन करने के लिए प्रेरित हों।
शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. देवनानी ने आज सावित्राी प्राथमिक विद्यालय में आयोजित प्रधानाचार्य लीडरशिप प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के शिक्षक उच्च योग्यता प्राप्त एवं अनुभवी हैं। संबंधित क्षेत्रा के नागरिकों, अभिभावकों एवं विद्यार्थियों को शिक्षकों के बारे में जानकारी देने के लिए प्रत्येक विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों की फोटो एवं प्रोफाइल चस्पा की जाएगी। साथ ही विद्यालय प्रांगण में एक दर्पण भी लगवाया जाएगा ताकि विद्यार्थियों में स्वच्छता की आदत विकसित हो।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यालय के विकास के लिए पूरी गंभीरता के साथ कार्य कर रही है। राजस्थान में अरबों रूपये खर्च कर विद्यालयों में संसाधनों का विकास किया जा रहा है। राज्य सरकार ने नये कक्षा कक्ष, लैब, खेल मैदान, पुस्तकालय, पीने के पानी एवं अन्य संसाधनों पर बड़ी राशि खर्च की है। स्टाॅफ की कमी पूरी करने के लिए हजारों पदोन्नतियां की गई है। व्याख्याता, प्राचार्य, वरिष्ठ अध्यापक एवं अन्य पदों को भरा गया है। हजारों की संख्या में नई भर्तियां की जा रही है। सरकार अपनी तरफ से विद्यालयों के विकास में कोई कमी नही छोड़ेगी।
प्रो. देवनानी ने कहा कि सरकार के प्रयास लगातार जारी रहेगे लेकिन शिक्षकों को भी अपना दायित्व और अधिक गंभीरता से निभाना होगा। प्रधानाचार्य शाला के मुखिया होते है इसलिए उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। प्रधानाचार्य शाला के विकास के लिए पूरी गंभीरता से प्रयत्न करें। वे स्कूल समय के अतिरिक्त भी समय दें ताकि उनकी शाला को आदर्श रूप मिल सके। प्रधानाचार्य अपने क्षेत्रा के भामाशाहों से भी सम्पर्क बनाए रखे और उनकी सहायता से विभिन्न विकास कार्य करवाएं।
उन्होंने कहा कि शाला में शिक्षण, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की समय पर उपस्थिति, प्रभावी प्रार्थना सभा, विद्यार्थियों से संवाद, उनके अभिभावकों से सम्पर्क आदि ऐसे कार्य है जो किसी प्रधानाचार्य को प्राथमिकता के आधार पर करने चाहिए। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष 1340 आदर्श विद्यालय घोषित किए थे। इस वर्ष 3050 आदर्श विद्यालय बनाए जाएंगे। इन विद्यालयों में उच्च स्तर का शैक्षिक वातावरण तैयार करने की जिम्मेदारी प्रधानाचार्यो की भी है। प्रधानाचार्यों का यह प्रयास होना चाहिए कि उनके विद्यालय का परिणाम पिछले वर्ष की अपेक्षा अधिक हो, उनकी गार्गी पुरस्कार और लैपटाॅप जैसी योजनाओं में भागीदारी और अधिक बढ़े।
इस अवसर पर शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं जिले के 94 आदर्श विद्यालयों के प्राचार्य लीडरशिप प्रशिक्षण में उपस्थित थे।