वेश्याओं को बचाना है इनका मिशन, टॉयलेट और तहखानों तक से छुड़ाईं लड़कियां
वाराणसी. रेड लाइट एरिया में रहनेवाली सेक्स वर्कर्स को दलदल से निकालने और बेहतर जिंदगी देने के लिए एक शख्स पिछले 27 सालों से जुटा है। काशी के अजीत सिंह को इसी नेक काम के लिए 12 जून को लाइफ ओके चैनल पर सम्मानित किया जाएगा। अजीत के मुताबिक कोठे वाले लड़कियों को तहखानों और टॉयलेट तक में छुपाते थे। लिपस्टिक बेचने के बहाने बचाई सेक्स वर्कर्स की जिंदगी...
- खजूरी के रहने वाले अजीत ने पिछले 27 सालों में उन्होंने 40 से अधिक रेस्क्यू आपरेशन जिला प्रशासन और पुलिस के साथ मिलकर किए हैं।
- इन ऑपरेशन्स के जरिए महिलाओं व नाबालिग लड़कियों को कोठे की मालकिन, ब्रोथल कीपर और माफियाओं के चंगुल से आजाद कराया।
- dainikbhaskar.com के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में अजीत ने अपने रेस्क्यू ऑपरेशन के तरीकों का खुलासा किया।
- अजीत ने बताया, "मैं खुद कोठों की रेकी करता था। इसके लिए मैं कभी लिपस्टिक-फेस पाउडर जैसे कॉस्मेटिक्स तो कभी कपड़ों का सेल्समैन बनकर जाता था।"
- इलाहाबाद के रेड लाइट एरिया मीर गंज में भी अजीत ने 7 सालों तक सेक्स वर्कर्स को छुड़ाने की मुहिम चलाई।
- अजीत ने बताया कि इन एरिया की रेकी करने, स्पाई कैमरे से स्टिंग ऑपरेशन करने और सीक्रेट जगहों की इन्फोर्मेशन इकट्ठा करना काफी मुश्किल काम था।
4 शहरों की सेक्स वर्कर्स को दी बेहतर जिंदगी
- अजीत सिंह यह काम 'रेस्क्यू गुड़िया' नाम की संस्थान के रूप में करते हैं।
- वे अपने रेस्क्यू ऑपरेशन उत्तर प्रदेश के 4 जिलों में कर चुके हैं।
- उन्होंने अपने उन ऑपरेशन्स की डीटेल्स शेयर कीं।
टॉयलेट में बनी अलमारियों में छुपाई गईं थीं लड़कियां
- रेस्क्यू गुड़िया संस्था ने 2005 में वाराणसी में सबसे बड़ा ऑपरेशन स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर किया।
- अजीत के मुताबिक उनके ऑर्गेनाइजेशन ने 2000 से ज्यादा महिलाओं व लड़कियों को आजाद करवाया था।
- लड़कियों को जमीन के अंदर बने तहखानों, टॉयलेट में बनी आलमारी, दीवारों पर फोटो फ्रेम से ढके खांचों और बड़े बक्सों में छुपाया गया था।
- अजीत ऑपरेशन के पहले करीब 1 साल तक स्कूटर पर बैठकर पेड़ के नीचे रेड लाइट एरिया के बच्चों को पढ़ाते रहे। - शिवदासपुर में ही जमीन लेकर बालवाड़ी सेंटर भी खोला।
- सालभर रेकी के बाद स्टूडेंट्स, पब्लिक और पुलिस के साथ मिलकर ऑपरेशन को अंजाम दिया।
लिपस्टिक बेचने वाला बनकर बचाया
- इलाहाबाद में अजीत सिंह की संस्था ने 2 बार रेस्क्यू ऑपरेशन किया।
- सबसे पहले 2009 में उन्होंने 20 महिलाओं और लड़कियों को छुड़वाया।
- वहां के ब्रोथल कीपर और माफियाओं को उनके प्लान की भनक लग गई थी।
- इसलिए लड़कियों को गायब कर दिया गया। जैसे-तैसे अजीत ने लड़कियों को खोजकर उन्हें आजाद करवाया।
- इसके बाद इसी साल 1 मई को अजीत सिंह ने मीरगंज में 100 प्लस लड़कियों को छुड़ाया।
- इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए उन्हें 7 साल तक अंडरकवर बनकर रेकी करनी पड़ी।
- अजीत ने बताया कि वे कॉस्मेटिक्स और गार्मेंट्स के सेल्समैन बनकर उस एरिया में जाते थे।
- सबूत इकट्ठा करने के बाद उन्होंने पुलिस के साथ मिलकर 61 कोठों को सील करवाया।
मेरठ-मऊ में भी रहे एक्टिव
- 2012-13 में अजीत ने कबाड़ी बाजार में पुलिस की मदद से 31 महिलाओं और लड़कियों को छुड़ाया।
- अजीत ने बताया, "हमारी ताकत वॉलंटियर होते हैं। यहां ऑपरेशन से पहले कभी ग्राहक, कभी सेल्समैन बनकर रेकी की गई। गुप्त स्थानों की जानकारी इकट्ठा की गई। उसके बाद रिजल्ट मिला।"
- मऊ खड़हरा के रेड लाइट एरिया में अजीत बालवाड़ी केंद्र चला रहे हैं।
- वे बच्चों को पढ़ाई के साथ समाज की मुख्य धारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं।
प्रेसिडेंट ने भी किया था सम्मान
- अजीत सिंह के इस बेहतरीन काम के लिए 2015 में प्रेसिडेंट ने उन्हें नारी शक्ति अवॉर्ड से सम्मानित किया था।
- अजीत ने बताया, "1988 में पहली बार 17 साल की उम्र में मैंने वेश्या का नाच देखा था। तब मैं आजमगढ़ किसी रिश्तेदार की शादी के लिए गया था।"
- "1988-89 में समाज से लड़ते हुए आजमगढ़ में मिली वेश्या और उसके 3 बच्चों को अपने साथ लेकर मैं घर आ गया। तब मैंने नजदीक से वेश्या के दर्द को देखा और समझा।"
- अजीत बताते हैं, "परिवार और समाज के विरोध के बावजूद 1 साल तक वेश्या मेरे साथ रही। ट्यूशन के पैसों से उसकी मदद करता था। अब वो समाज में एक अच्छे नागरिक की तरह जीवन बिता रही है।"
- अजीत पहली बार 1992 में बनारस के रेड लाइट एरिया में विजिट करने गए। उन्होंने यहां वेश्याओं के बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।
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