मंगलवार, 8 अक्टूबर 2013

रेप करने घर में जा घुसा,जान गंवाई

रेप करने घर में जा घुसा,जान गंवाई

समस्तीपुर। बिहार में समस्तीपुर जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के जोगियामठ आधारपुर गांव में सोमवार रात दुष्कर्म की कोशिश कर रहे एक व्यक्ति को ग्रामीणों ने पीट-पीट कर मार डाला।

पुलिस सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि जोगियामठ आधारपुर गांव के एक घर में गांव के ही केशव साह (42) ने प्रवेश कर एक महिला के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। महिला द्वारा शोरगुल मचाए जाने के बाद ग्रामीण इकट्ठा हो गए और आरोपी को पीट-पीट कर मार डाला।

सूत्रों ने बताया कि मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए समस्तीपुर सदर अस्पताल भेज दिया है। इस सिलसिले में संबंधित थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर पुलिस छानबीन कर रही है।

कुएं में गिरने से मां-बेटे की मौत

कुएं में गिरने से मां-बेटे की मौत

भरतपुर। राजस्थान में भरतपुर जिले के भुसावर थाना क्षेत्र में स्थित सुमेरपुर कला गांव में मंगलवार को कुएं में गिरी महिला और उसके बेटे की मौत हो गई तथा छह वर्षीय बेटी प्रिया को बाहर निकाल कर अस्पताल में भर्ती कराया गया।

पुलिस के अनुसार अपराह्न करीब साढे बारह बजे सुुमेरपुर कला गांव में स्थित कुएं में गिरने से बदन सिंह की पत्नी रीना तथा उसके आठ वर्षीय पुत्र प्रान्त की मौत हो गई। शोर मचने पर एकत्र हुए ग्रामीणों ने प्रिया को कुएं से निकाल लिया।

उसे महुआ के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सूत्रों ने बताया कि फिलहाल यह पतानही चल पाया है कि महिला अपने दोनों बच्चों के साथ आत्महत्या करने के लिए कुएं में कूदी अथवा सभी का पैर फिसल जाने के कारण वे कुएं में गिरे थे।

स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन में सभी की भागीदारी जरूरी


स्वतन्त्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन में सभी की भागीदारी जरूरी 

बाडमेर, 8 अक्टूबर। जिला निर्वाचन अधिकारी भानुप्रकाष एटुरू ने चुनाव में स्वच्छता के लिए सभी को अपनी जिम्मेदारी निभाने का आहवान किया है। उन्होने कहा कि मीडिया पेड न्यूज के सन्दर्भ में स्वनियन्त्रण रखें।

एटूरू मंगलवार को जिला कार्यालय सिथत अपने कक्ष में मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि चुनाव के दौरान प्रिन्ट मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में प्रकाशित प्रसारित होने वाली सभी पेड न्यूज और विज्ञापनों पर पैनी नजर रखी जाएगी।

उन्होने कहा कि इलेक्ट्रोनिक मीडिया में प्रसारित होने वाले सभी राजनीतिक विज्ञापन एमसीएमसी द्वारा प्रमाणित होने चाहिए। बिना प्रमाणित प्रसारित होने वाले विज्ञापन तुरन्त प्रभाव से रोके जाएगें।

एटूरू ने कहा कि जिला स्तरीय एमसीएमसी का मुख्य कार्य राजनीतिक विज्ञापन सामग्री का प्रमाणीकरण और अखबारों में प्रकाशित खबरों की मानिटरिंग करना होगा। निर्वाचन विभाग द्वारा दी गर्इ गाइड लाइन के अलावा कमेटी के सदस्यों को पेड न्यूज के चयन में स्वविवेक का भी इस्तेमाल करना होगा।

उन्होने कहा कि अगर कमेटी किसी भी खबर को संदिग्धता के आधार पर पेड न्यूज मानती है तो इस सन्दर्भ में जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा संबंघित प्रत्याशी को नोटिस जारी किया जाएगा। इस सन्दर्भ में किसी भी मीडिया संस्थान को नोटिस जारी नहीं किया जाएगा। यदि जिला निर्वाचन अधिकारी के नोटिस के बाद प्रत्याशी पेड न्यूज को स्वीकार करता है तो उस न्यूज को विज्ञापन मानते हुए डीपीआर द्वारा निर्घारित विज्ञापन दर पर वह खर्चा प्रत्याशी के चुनाव खर्च में जोड दिया जाएगा।

उन्होने कहा कि पेड न्यूज आज गम्भीर बीमारी बन गर्इ है। चुनावों के दौरान इसका इस्तेमाल ज्यादा होता है। पेड न्यूज पर लगाम लगाने के लिए ही आयोग ने राज्य में पहली बार एमसीएमसी का गठन किया है।

जिला निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग के निर्देशानुसार आदर्श आचार संहिता के तहत चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से पूर्व सरकारी अथवा सार्वजनिक खर्च पर लगाये गये होर्डिंग, विज्ञापन, पोस्टर आदि जिनमें सत्ताधारी दल की उपलबिधयां प्रदर्शित हैं, को तत्काल हटाये जाने तथा चुनाव सम्पन्न होने तक इन्हें नहीं लगाये जाने के निर्देश दिए हैं।

इससे पूर्व उप जिला निर्वाचन अधिकारी अरूण पुरोहित ने बताया कि राज्य में विधानसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो चुका है तथा आदर्श आचार संहिता प्रवर्तन में आ चुकी है इसलिए इसकी जानकारी राजनैतिक दलों के साथ साथ आम जन को मिले इसके लिए व्यापक प्रचार प्रसार अति आवश्यक है। उन्होने मीडिया से लोकतन्त्र की मजबूती के लिए अपनी सकि्रया भागीदारी का आहवान किया। उन्होने चुनाव के दौरान प्रलोभनों तथा अवैध रूप से धन के लेन देन के संबंध में कानूनी प्रावधानों की भी जानकारी दी। बैठक में जिला सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी श्रवण चौधरी तथा विभिन्न प्रिन्ट एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया के प्रतिनिधि उपसिथत थे।
 


गूगल सर्च में भी भाजपा के पीएम इन वेटिंग नमो-नमो

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी सर्च इंजन गूगल पर भी कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर भारी पड रहे हैं। गूगल सर्च में भी भाजपा के पीएम इन वेटिंग नमो-नमो
इंटरनेट सर्च इंजन गूगल इंडिया द्वारा एक मार्च 2013 से 31 अगस्त 2013 के बीच कराए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट मंगलवार को जारी की गई। इसमें इंटरनेट पर सर्च किये जाने वाले 10 प्रमुख राजनेताओं में मोदी पहले पायदान पर हैं और राजनीतिक दलों में भी भारतीय जनता पार्टी अव्वल है जबकि कांग्रेस दूसरे स्थान पर है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इंटरनेट पर सर्च किये जाने वाले राजनेताओ के मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से एक पायदान ऊपर है, जबकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चौथे स्थान पर हैं। भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड फेंकने के आह्वान के साथ राजनीति में आए आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल इस मामले में पांचवें स्थान पर हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आठवें स्थान पर और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता एवं लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज नौंवे और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह 10वें पायदान पर हैं।

भाजपा के बाद कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और शिवसेना का नंबर आता है। सर्च किए गए टॉप टेन नेताओं में से चार कांग्रेस और दो भाजपा के नेता शामिल हैं।


40 फीसदी शहरी वोटर्स मतदान को लेकर असमंजस में

भारत का 40 फीसदी शहरी अपने वोट के प्रयोग को लेकर असमंजस की स्थिती में है। वे कोई एक राजनीतिक पार्टी चुन नहीं पा रहे हैं। यह खुलासा भी गूगल के सर्वे में हुआ है। यह सर्वे उस वक्त आया है जब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के अलावा अगले साल लोकसभा चुनाव होने वाले हैं।

सर्वे में ज्यादत्तर मतदाताओं का कहना है कि पार्टी की बजाय स्थानीय उम्मीदवार महत्वपूर्ण है। 11 फीसद ने माना है कि प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मतदाताओं के फैसले को बदलने में भूमिका निभाता है। साथ ही शहरी लोगों ने स्थानीय उम्मीदवारों की इंटरनेट पर मौजूद जानकारी को कम बताया।

गूगन ने चुनाव में इंटरनेट के योगदान को लकेर यह सर्व किया है। इसमें सात हजार इंटरनेट यूजर्स, 108 निर्वाच क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

थार की चुनावी धार बाड़मेर की राजनीती में महिलाओं की भागीदारी

थार की चुनावी धार बाड़मेर की राजनीती में महिलाओं की भागीदारी


एक मात्र महिला विधायक रही श्रीमती मदन कौर 

बाड़मेर।महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बावजूद सीमांत जिले में आधी आबादी को चुनावी भीड़ का हिस्सा ही बनाया जा रहा है। कांग्रेस भाजपा दोनों मुख्य दलों में महिला नेतृत्व का इतिहास कमजोर रहा हैऔर वर्तमान के भी यही हाल है।


जिले में करीब चौदह लाख मतदाताओं में से साढ़े छह लाख महिलाओं के वोट है। पंचायती राज में पचास प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होने से जिले में करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं सरपंच, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य है। वार्ड पंच मिलाए जाए तो यह संख्या ढाई हजार के करीब होगी। इस सबके बावजूद विधानसभा में महिलाओं के नेतृत्व के रूप में एकमात्र श्रीमती मदनकौर सफल रही है।


भाजपा ने पिछली बार मृदुरेखा चौधरी को अवसर दिया लेकिन वे जीतने में असफल रही। इस बार बाड़मेर और शिव विधानसभा क्षेत्र के अलावा महिलाओं की दावेदारी किसी भी जगह सशक्त रूप से सामने नहीं आई है।बाड़मेर से डॉ प्रियंका चौधरी ,मृदुरेखा चौधरी , चौधरी तो शिव में शम्मा खान ने सशक्त दावेदारी पेश की हें।

महिला मतदाता


शिव- 101998
बाड़मेर- 90092
बायतु- 84679
पचपदरा- 85550
सिवाना- 92395
गुड़ामालानी- 87103
चौहटन- 100897
योग- 642714
इस बार दावेदारी
कांग्रेस-
- शम्माखान शिव से
-पचपदरा से शारदा चौधरी
- सिवाना से विजयलक्ष्मी राजपुरोहित
- चौहटन से गीता मेघवाल ( जैसा कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष फतेहखां ने बताया)
भाजपा
- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, मृदुरेखा चौधरी और अमिता चौधरी एवं अन्यत्र से कोई नहीं(जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर पर्बतसिंह ने बताया)
पहली बार ऎसा-
-यह पहला अवसर है जब बाड़मेर में भाजपा में तीन महिलाएं दावेदारी में संघर्षरत है। ऎसा पहले कभी नहीं हुआ।
- कांग्रेस में मौजूदा विधायक और वक्फ मंत्री अमीनखां के सामने भी सशक्त दावेदारी में शम्माखान सामने आई है।
विधान सभा में अब तक
-1957 में बाड़मेर विधानसभा सीट से कांग्रेस की तरफ से श्रीमती रूकमणीदेवी पहली महिला ने राम राज्य परिषद के तनसिंह के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन वे 4359 मतों से हार गई।
-1962 में पचपदरा विधानसभा की सीट पर कांग्रेस की श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय अमरसिंह के सामने चुनाव लड़ा और 2494 मतों से हारी।
-1967 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनसंघ के चम्पालाल बांठिया को 17157 मतों से पराजित किया। जिले में पहली बार महिला को प्रतिनिधित्व मिला।
- 1972 में पचपदरा विधानसभा से कांग्रेस से श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय तेजसिंह को 2983 मतों से हराया।
-1977 में श्रीमती मदनकौर लगातार तीसरी बार पचपदरा से जीती, उन्होंने जनता पार्टी के चम्पालाल बांठिया को 2465 मतों से पराजित किया।
-1980 के मध्यावधि चुनाव में मदनकौर पचपदरा से कांगेस अर्स की प्रत्याशी बनी, इस बार कांग्रेस से अमराराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और वे जीत गए।
-1990 में गुड़ामालानी से श्रीमती मदनकौर ने जनता दल से चुनाव लड़ा,उन्होंने कांग्रेस इ के चैनाराम को 23527 मतों से पराजित किया।
-मदनकौर को 30 मई से 24 नवंबर 1990 तक भैरोसिंह शेखावत सरकार में वन मंत्री बनाया गया।
-1993 में मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा और वे हार गई।
-1998 में श्रीमती मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में निर्दलीय के रूप में बाड़मेर विधानसभा से पप्पूदेवी ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई
-2008 में श्रीमती मृदुरेखा चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन वे कांग्रेस के मेवाराम जैन से हार गई।
भीड़ के लिए महिलाएं
राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को तवज्जां देना भी जरूरी है।जब भी राजनीतिक सभाएं होती है महिलाओं के लिए जगह आरक्षित रहती है। इसे भरने के लिए पूरी कोशिश होती है। जैसे ही सभा खत्म महिलाओं को तमाम राजनीतिक दल भूल जाते है।
महिलाओं से जुड़े मुद्दे-
- महिला सुरक्षा,चिकित्सा एवं शिशु अस्पताल
- महिला महाविद्यालयों की स्थापना
- महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध
-डेयरी और कृषि में महिलाओं को रोजगार
- महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
जिले में क्या स्थिति-
- जिले में बाड़मेर बालोतरा के अलावा कहीं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं
- सड़क किनारे के विद्यालयों के अलावा महिला शिक्षिकाएं नहीं
-महिला अधिकारी जिले मे बहुत कम
- महिलाओं की पुलिस में नफरी भी कम
-महिला साक्षरता व शिक्षा में पिछड़ापन
- गांवों में आठवीं और दसवीं उत्तीर्ण महिलाएं मिलना मुश्किल
जिले की स्थिति
जिला परिषद सदस्य
37 में से 18 महिलाएं
पंचायत समिति सदस्य
पं स सदस्य महिलाएं
सिवाना 25 11
धोरीमन्ना 25 16
बाड़मेर 23 14
चौहटन 23 12
सिणधरी 23 11
बालोतरा 27 16
शिव 17 09
बायतु 21 12
योग 184 101
पंस सरपंच महिला
बालोतरा 54 30
बायतु 47 23
बाड़मेर 50 29
चौहटन 51 30
सिवाना 40 21
शिव 45 26
सिणधरी 46 27
धोरीमन्ना 47 26
योग 380 212
नगरपरिषद बाड़मेर
40 में से 21
नगर परिष्ाद बालोतरा
35 महिला 10

मुश्किल है राजनीति।।मदन कौर
आप राजनीति में कैसे आई-
डॉक्टर बनना चाहती थी। मेरे पिताजी के साथ सामाजिक कार्यो से जुड़ी थी। कॉलेज के जमाने में 1954 में कांग्रेस से जुड़ गई । सामाजिक कार्य के चलते ही 1956 में बालेसर मे पंचायती राज में सदस्य बनी। इसके बाद विधानसभा और अब 78 वर्ष की हो गई हूं, इस राजनीति में।
राजनीति में महिलाएं क्यों अभी तक पीछे है- शिक्षा कमी है। मुश्किल क्षेत्र है। अनिश्चितता और संघर्ष है।पढ़ी लिखी महिलाएं भी इसमें नहीं आना चाहती।यह रूचि का क्षेत्र है।
अब महिलाओं के लिए माहौल कैसा है- अब राजनीति साफ सुथरी नहीं रही। बहुत पैसा खर्चहोता है। कई संघर्ष है।यह रूचि पर निर्भर है। मैं भी सोचती हूं अब राजनीति करना मुश्किल हो गया है।




महिलाओं का नेतृत्व करती है चित्रा सिंह
भाजपा ने वर्ष 2004 में एक नवाचार हुआ।भाजपा के सांसद प्रत्याशी मानवेन्द्रसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती चित्रासिंह महिलाओं के वोट जुटाने के लिए प्रचार प्रसार को पहुंची।उन्होंने गांव गांव सभाएं की।मानवेन्द्र को इस चुनाव में बड़ी जीत मिली।तब से चित्रासिंह भाजपा में किसी पद पर तो नहीं हैलेकिन सक्रिय रहते हुए भाजपा में महिलाओं की अनौपचारिक कमान संभाले हुए है।
महिलाओं को नहीं जोड़ा जाता-
महिलाओं की आमतौर पर शिकायत रहती है कि उनको जोड़ने में कमी रहती है।महिला को नेतृत्व मिलना चाहिए।आधी आबादी है। उनकी अपनी समस्याएं और शिकायतें।बाड़मेर क्षेत्र में महिलाएं महिला को ही सहज रूप से अपनी बात कह पाती है।मैं तो हमेशा ठोस पैरवी करती हूं कि महिला को टिकट दिया जाए। - चित्रासिंह --



डॉ प्रियंका चौधरी पेशे से चिकित्सक डॉ प्रियंका से तालुक रखती हें। जाट नेता गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका समाज सेवा और बाड़मेर के विकास का जज्बा राजनीती में उतारी हें। 

कांग्रेस को दलित समुदाय में नेतृत्व उभारना चाहिए: राहुल

मायावती पर उत्तर प्रदेश में किसी अनुसूचित जाति के नेता को आगे नहीं बढ़ने देने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि इस समुदाय में नेतृत्व को उभारने के लिए कांग्रेस के पास बहुत बड़ा अवसर है और पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी क्षेत्रों में दलित नेतृत्व पैदा हो।
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अनुसूचित जाति सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय जागरुकता पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि भारत में दलित सशक्तिकरण चरणों में हुआ है। पहले चरण में भीमराव अम्बेडकर शामिल थे, जिन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर संविधान लिखने और उनके लिए आरक्षण सुनिश्चित करने में योगदान दिया।

उन्होंने कहा कि दूसरा चरण कांशीराम का था, जिन्होंने सशक्तिकरण का इस्तेमाल आरक्षण से संगठन के निर्माण के लिये किया। इस चरण में मायावती ने भूमिका निभाई।

कांग्रेस नेता ने कहा कि देश तीसरे चरण से गुजर रहा है, जहां सबसे महत्वपूर्ण पहलू है नेतृत्व का विकास। राहुल ने कहा, अगर आप इस दलित आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहते हैं, तो एक दलित नेता या दो दलित देना पर्याप्त नहीं होंगे। लाखों दलित नेताओं की जरूरत होगी। आंदोलन के नेतृत्व पर मायावती ने कब्जा कर रखा है, वह दूसरों को आगे बढने की इजाजत नहीं देतीं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने दावा किया कि पार्टी के लिए यह बड़ा अवसर है, जिसने दलितों के लिए अतीत में बहुत कुछ किया है। उन्होंने पार्टी से व्यवस्थित ढंग से हर स्तर पर - पंचायत से लेकर विधायक और सांसद तक और यहां तक कि नीति निर्धारण के स्तर तक, दलित नेतृत्व तैयार करने को कहा।

राहुल ने दावा किया कि दलित शुरुआत से कांग्रेस के साथ थे, लेकिन मंडल मंदिर आंदोलन के मद्देनजर बसपा ने उन्हें अपने पाले में कर लिया। पार्टी यह मानती है कि उन्हें उनके मूल घर में वापस लाने के प्रयास किये जाने चाहिए।

वाल्मीकि जयंती के मौके पर आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए राहुल ने हाल के अध्यादेश विवाद की चर्चा की और कहा कि मुझे एक पत्रकार ने बताया कि विपक्ष ऐसा कह रही है कि अपनी बात रखने के लिए आपने गलत समय चुना। मैंने पूछा क्या सच कहने के लिए कोई सही समय होता है। अगर आप सच कहने के लिए समय चुनते हैं तो यह सच नहीं, बल्कि झूठ है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद में पारित कुछ विधेयकों का नामकरण ठीक से नहीं होता। उन्होंने कहा कि हाल में मैला ढोने की प्रथा से संबंधित विधेयक पारित हुआ। कायदे से इसका नाम आत्मसम्मान का अधिकार विधेयक होना चाहिए था।

राहुल गांधी ने पार्टी के लिए हर राज्य में नेताओं को तैयार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि लोग कह सकें कि कांग्रेस के पास 40 से 50 नेता हैं, जो प्रधानमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं, जो मुख्यमंत्री के रूप में काम कर सकते हैं।

तंदूर हत्याकांड: सुशील शर्मा को फांसी नहीं, अब होगी उम्रकैद



नई दिल्ली। देश को हिलाकर रख देने वाले तंदूर हत्याकांड में आज 18 साल बाद फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी है। सुशील शर्मा ने निचली अदालत के बाद हाईकोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।



हालांकि सुशील शर्मा को मरने तक जेल में ही रहना पड़ेगा। फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए कोर्ट ने कहा कि सुशील शर्मा ने अपने अपराध पर अफसोस जताया है और उसका पहले का आपराधिक इतिहास भी नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सुशील शर्मा को किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।



क्या है मामला?

1995 में सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या कर उसकी लाश के कई टुकड़े कर उसे तंदूर में जलाया था। ये घटना 2 जुलाई 1995 की है। सुशील शर्मा को शक था कि उसकी पत्नी नैना साहनी के किसी के साथ संबंध हैं, इसी शक में उसने नैना को गोली मार दी। इसके बाद उसके शव को अपनी मारुति कार में डालकर सीधा अशोक यात्री निवास होटल, जो आजकल इंद्रप्रस्थ होटल के नाम से जाना जाता है, वहां ले गया। इस होटल के बगिया रेस्टोरेंट को सुशील कॉन्ट्रैक्ट पर चलाता था। यहीं पर उसने नैना साहनी के शव के टुकड़े किए और फिर उन्हें तंदूर में झोंक दिया। लेकिन दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल और एक होमगार्ड ने रेस्टोरेंट से धुआं निकलते देख कार्रवाई की और देश का सनसनीखेज हत्याकांड सामने आया।



जब मंदिर मार्ग स्थिल अपने फ्लैट पर पहुंचा तो उसने देखा कि नैना टेलीफोन पर किसी से बात कर रही थी सुशील को देखते ही तुरंत उसने टेलीफोन का रिसीवर नीचे रख दिया। सुशील शर्मा को शक हुआ कि नैना मतलूब करीम से ही बात कर रही थी। उसी वक्त उसने टेलीफोन नंबर को री-डायल किया। उसका शक सही साबित हुआ। दूसरी तरफ से टेलीफोन पर मतलूब करीम ने ही जवाब दिया।



सुशील शर्मा बौखला गया कि नैना बेवफा है। इस ख्याल ने उसे पागल कर दिया। उसने अपना लाइसेंसी रिवॉल्वर निकाल लिया और तड़ातड़ तीन गोलियां नैना साहनी पर दाग दीं। पहली गोली नैना के माथे को चीरती हुई पार निकल गई। दूसरी गोली नैना के गले पर लगी। तीसरी गोली अपने निशाने से चूक गई और सीधा दीवार पर लगे एयरकंडिश्नर पर जाकर लगी। नैना की मौका-ए-वारदात पर ही मौत हो गई।



इसके बाद सुशील शर्मा ने नैना की लाश को चादर में लपेट लिया और उसे अपनी मारुति कार में डालकर सीधा अशोक यात्री निवास होटल, (जो आजकल इंद्रप्रस्थ होटल के नाम से जाना जाता है) के बगिया रेस्टोरेंट पर पहुंचा। सुशील बगिया रेस्टोरेंट को कांट्रेक्ट पर चलाता था। वहां उसने नैना की लाश को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और फिर उसे रेस्टोरेंट के तंदूर की आग जलाने लगा।



लाश जलने की बदबू ज्यादा न फैले और लाश जल्दी जल जाए इसके लिए वो तंदूर में मक्खन भी डालता जा रहा था। शर्मा ने सोचा था कि ऐसा करके वो लाश के साथ सारे सबूत मिटा देगा, जिससे कानून के फंदे से साफ बच निकलेगा। बगिया रेस्टोरेंट का मैनेजर केशव कुमार ने नैना की लाश को खत्म करने में सुशील का पूरा साथ दिया।



सुशील शर्मा चाहता था कि नैना के कत्ल के निशान। सभी सुबूत पूरी तरह तंदूर की आग में जलकर खत्म हो जाए। सुशील शर्मा अपने मकसद में करीब-करीब कामयाब हो ही गया था। लेकिन तभी दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल अब्दूल नजरी कुंजू और होमगार्ड चंद्रपाल ने ओपन एयर रेस्टोरेंट बगिया से धुंआ निकलते देखा। दोनों को शक हुआ दोनों होटल के दीवार को फांदकर अंदर दाखिल हुए।



उन्होंने देखा कि तंदूर से आग की लपटे बहुत ऊंची उठ रही हैं। उस वक्त तक सुशील शर्मा वहां से फरार हो चुका था। रेस्टोरेंट के मैनेजर ने दोनों को बताया कि वो लोग होटल की रद्दी और कांग्रेस पार्टी के पुराने बैनर जला रहे हैं। तंदूर से निकलती आग की लपटे छत को छू रहीं थी। आग फैलने के खतरे की वजह से दोनों सिपाहियों ने तंदूर में पानी डालकर आग को बुझा दिया। बाद में तंदूर के अंदर ठीक से तलाशी ली गई तो अंदर लाश को टुकड़े और हड्डियां बरामद हुई और डीएनए टेस्ट में ये साबित हो गया कि वो नैना साहनी की ही थी।

सैन्य शक्ति और भक्ति का अनूठा संगम तनोट माता मंदिर में



सीमा की चौकसी के साथ भक्तों की सेवा 


जैसलमेर रामगढ़ सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा भारतीय सीमा की चौकसी के साथ साथ तनोट माता के दर्शनार्थ आने वाले भक्तों की सेवा भी की जा रही है। मुख्य द्वार से माता के मंदिर तक पैदल चलकर पहुंचने में असमर्थ भक्तों को बीएसएफ के जवान व्हील चेयर पर बिठा कर माता के दर्शन करवा रहे हैं। जवानों की इसी भक्ति भावना से माता के दर्शनार्थ आने वाला हर श्रद्धालु प्रभावित है। 62वीं वाहिनी सीमा सुरक्षा बल के समादेष्टा मनोज कार्की के निर्देशन में जवानों द्वारा तनोट में व्यवस्था सुचारू रूप से चलाई जा रही है। प्रतिदिन दो समय चलने वाले माता के भण्डारे में जवानों की ओर से मान मनुहार कर भक्तों को भोजन करवाया जाता है। जवान सीमा की चौकसी के साथ तनोट मंदिर का जिम्मा बखूबी निभा रहे हैं। तनोट आने वाला हर भक्त सीमा सुरक्षा बल के जवानों के सेवा भावना से किए जा रहे कार्य की सराहना करता है। बीएसएफ द्वारा रात्रि विश्राम करने वाले भक्तों को बिस्तर आदि मुहैया करवाए जा रहे हैं वहीं मंदिर परिसर में निशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से सीमा सुरक्षा बल के जवानों के साथ पुलिसथाना रामगढ़ के सहायक उप निरीक्षक देवीसिंह मय जाब्ते के मौजूद है। 

तनोट में जमता है आरती का अनूठा रंग 

सीमा क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। नवरात्र के मौके पर तनोट में इन दिनों माहौल भक्तिमय बना हुआ है। मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में प्रतिदिन सीमा सुरक्षा बल के जवानों द्वारा की जाने वाली आरती में भक्ति भावना के साथ जोश का अनूठा रंग नजर आता है। आरती के दौरान मंदिर परिसर में उपस्थित हर श्रद्धालु झूमने पर विवश हो जाता है। मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में प्रतिदिन तीन समय आरती होती है इस दौरान समूचा मंदिर परिसर खचाखच भर जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले माता तनोट के मेले में दूर दराज से हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं वहीं सैकड़ों श्रद्धालु पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंच रहे हैं।

दैनिक हवन में दी आहुतियां

सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ मातेश्वरी तनोटरॉय मंदिर में आस्था का ज्वार उमड़ रहा है। तनोट में माता के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो जाता है। मंदिर में सोमवार को हुए हवन में भक्तजनों ने आहुतियां देकर देश में खुशहाली की कामना की। सांयकालीन आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शरीक हुए तथा आरती के बाद माता के भण्डारे में प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया। बाहरी जिलों से आए भक्तों ने तनोट में रात्रि विश्राम किया।

पत्नी गिरफ्तार, प्रेमी हुआ फरार, कबूली वारदात

सादुलपुर।गांव खुड्डी के निकट खेत में बने कुंड के पास शनिवार रात प्रेमी के साथ मिलकर पति की लाठियों से पीट-पीट कर हत्या करने की आरोपित पत्नी गांव चेलाणा बास निवासी सुनीता को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया लेकिन प्रेमी फरार हो गया।पत्नी गिरफ्तार, प्रेमी हुआ फरार, कबूली वारदात

पुलिस के अनुसार आरोपित सुनीता ने पूछताछ में शनिवार रात अपने प्रेमी गांव खुड्डी निवासी रमेश के साथ मिलकर पति रामदयाल की हत्या करना स्वीकार किया। रामदयाल के आदतन शराबी होने से आए दिन पति पत्नी के बीच झगड़ा होता था। शनिवार रात करीब दस बजे सुनीता पति रामदयाल को किसी काम के बहाने से खुड्डी गांव के निकट खेत में लेकर गई। जहां प्रेमी रमेश पहले से ही वहां मौजूद था।


सुनीता की मौजूदगी में रमेश व रामदयाल ने वहां शराब पी। बातों-बातों में प्रेमी रमेश सुनीता के पति से झगड़ा करने लगा। देखते ही देखते सुनीता व प्रेमी रमेश ने रामदयाल पर लाठियों से हमला कर दिया जिससे रामदयाल बेहोश हो गया। सुनीता पति को बेहोशी की हालत में छोड़कर गांव चेलाणा बास स्थित घर आ गई। रमेश बेहोश रामदयाल को कंधे पर लादकर सड़क पर पटक फरार हो गया। रात को रामदयाल की मौत हो गई।

मोबाइल से बनाई हत्या की योजना

पुलिस के अनुसार आरोपित महिला सुनीता ने शनिवार दिन में प्रेमी रमेश से मोबाइल पर बातचीत कर पति की हत्या की योजना बनाई। सुनीता ने हत्या को अंजाम देने के लिए रमेश को अपने घर बुलाया लेकिन रमेश ने घर आने से मना कर दिया।


इसके बाद योजना के अनुसार सुनीता पति रामदयाल को काम का बहाना कर अपने साथ गांव खुड्डी के निकट खेत में ले गई जहां दोनों ने उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी। प्रेमी के साथ मिलकर पति को लाठियों से पीट-पीटकर बेहोश करने के बाद सुनीता घबराई हुई घर लौटी और सुबह पति की मौत होने की पुष्टि करने के बाद ही उसने घर आकर परिजनों को रामदयाल का शव सड़क पर पड़ा होने की सूचना दी।

युवती ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

सुजानगढ़. कस्बे के एक ब्यूटी पार्लर पर काम करने वाली एक विवाहिता ने सोमवार सुबह अपने घर में फांसी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस के अनुसार हनुमान धोरा निवास मुकेश कुमार सोमवार सुबह बाजार से घर लौटा तो पत्नी समता का शव फांसी के फंदे पर झूलता पाया।परिजन समता को फंदे से उतार कर राजकीय अस्पताल लेकर आए जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतका के भाई राजलदेसर निवासी मुकेश ने पुलिस को बताया कि समता की शादी वर्ष 2000 में जालौर निवासी मुकेश कुमार के साथ हुई थी। राजलदेसर निवासी समता व उसकी तीन बहनें परिवार सहित सुजानगढ़ में ही अलग-अलग रहती है।

यूं हुआ हादसे का खुलासा

राजकीय अस्पताल लेकर पहुंचे चिकित्सकों ने शव का पोस्टमार्टम करवाने की बात कही तो परिजनों ने पोस्टमार्टम करवाने से इनकार कर शव जबरन ले गए। इस पर चिकित्सकों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मृतका के घर पहुंची तथा परिजनों को शव का पोस्टमार्टम करवाने को कहा। पीहर एवं ससुराल पक्ष के लोगो ने पोस्टमार्टम करवाने से मना कर दिया लेकिन पुलिस के दबाव पर परिजनों ने शव का पोस्टमार्टम करवाना पड़ा।


मौत पर बना है संदेह परिजनों की ओर से दर्ज करवाई रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं है कि मृतका ने किस समय और क्यों आत्महत्या की। घटना के समय घर पर कौन कौन था। इस संबंध में डा. दिलीप सोनी का कहना है कि सरिता को जब अस्पताल लाया गया तब उसकी मौत हो चुकी थी। परिजन जबरन शव को बिना पोस्टमार्टम करवाए ले गए तब उन्होंने पुलिस को सूचना दी।

चिट्ठी न कोई संदेश...

बाड़मेर। विख्यात गजल गायक जगजीत सिंह की "चिट्ठी न कोईसंदेश न जाने वो कौनसा देश,जहां तुम चले गए"गजल में झलका दर्द इन दिनों बाड़मेर जिले के सुरा जागीर ग्राम पंचायत निवासी सुरताराम का परिवार महसूस कर रहा है। चिट्ठी न कोई संदेश...
इस परिवार का बेटा सऊदी अरब कमाने गया था,लेकिन अब उसके कोईसमाचार नहीं है। नियोक्ता कम्पनी से संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों को आशंका है कि शायद उसकी हत्या हो चुकी है और नियोक्ता कम्पनी इस बात को छिपा रही है। अब परिवार दर-दर भटक रहा है कि शायद कही से उसका समाचार मिल सके।

सुरा जागीर ग्राम पंचायत निवासी सुरताराम के चार पुत्र है। चारों में से एक मंगलाराम की चार साल पहले उसकी शादी हुई और करीब दो साल का बच्चा भी है। इसी बीच गांव के ही रहने वाले एक व्यक्ति ने उसे सउदी अरब में अच्छी कमाई होने की बात कह कर वहां चलने को कहा। उसने ही पासपोर्ट बनाने व वीजा दिलाने की कार्रवाई की। इसके बाद दिसम्बर 2012 को वह स ऊदी अरब चला गया। जाने के पांच-सात माह बाद तक टेलीफोन के जरिए उसका सम्पर्क परिजनों से हुआ। पिछले तीन माह से सम्पर्क कट गया। इसके बाद परिजनों ने उसके साथ ले जाने वाले व्यक्ति से सम्पर्क किया, लेकिन संतोष्ाजनक जवाब नहीं मिला। परिजनों के अनुसार उसने अब बताया कि मंगलाराम का देहांत हो चुका है।

ऎसे में परिजन स्तब्ध रह गए। उन्हें समझ में नहीं आया कि आखिर अचानक उसे क्या हो गया। उन्होंने सऊदी अरब की नियोक्ता कम्पनी से सम्पर्क किया, लेकिन वहां से संतोषजनक जवाब नहीं मिला। टेलीफोन पर भाषा की समस्या भी आड़े आ रही है। परिजनों को देहांत का समाचार मिलने के बाद वे उसकी हत्या की आशंका जता रहे हैं।

कर्ज लेकर गया अरब

मंगलाराम अजजा वर्ग का है। उसके परिवार की आर्थिक स्थिति भी खराब है। सऊदी अरब जाने के लिए उसने कर्ज लिया था। परिजनों को उम्मीद थी कि वह जब कमा कर आएगा तो कर्ज चुकता हो जाएगा, लेकिन अब उनके लिए कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा।

कहां गया मंगलाराम

हमने उम्मीद के साथ मंगलाराम को सऊदी अरब भेजा था। अब पता चला है कि उसका देहांत हो गया है। हमें संदेह है कि उसकी नियोक्ता कम्पनी ने उसकी हत्या करवा दी है। शव वहां की पुलिस के पास है। हमने शव मंगवाने की मांग की है।
- सुरताराम, मंगलाराम का पिता

मंगलाराम का परिवार उसका इंतजार कर रहा है। हत्या की आशंका है। ऎसे में हत्या हो गई है तो भारत सरकार उसका शव मंगवाकर परिजनों को सुपुर्द करें। हम जिला प्रशाासन से भी मदद की गुहार करेंगे। - भलदान चारण, सामाजिक कार्यकर्ता, सुरा चारणान

दरगाह में गुनगुनाए बगैर ना रहीं आबिदा

अजमेर।ख्वाजा साहब की दरगाह में भले ही महिलाओं के गाने पर रोक है लेकिन मशहूर पाकिस्तानी सूफी गायिका आबिदा परवीन सोमवार को यहां गुनगुनाएं बगैर नहीं रह सकीं। दरगाह में उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में "...तुम हो हमारे सामने, मेरी नमाज है यही" कलाम गुनगुनाया। आबिदा फिल्म निर्देशक मुजफ्फर अली के साथ रात आठ बजे दरगाह पहुंचीं। उन्होंने गरीब नवाज के मजार पर चादर और फूल पेश कर अमन-चैन और भारत-पाकिस्तान के बीच मधुर रिश्तों की दुआ की।

आबिदा ने कहा कि ख्वाजा साहब सबको नवाजने वाले हैं। इनके दर पर आकर यही दुआ की है कि पूरी दुनिया में अमन-चैन बना रहे। भारत-पाकिस्तान के बीच की दूरियां हमेशा-हमेशा के लिए मिट जाएं। उन्हें जियारत सैयद मुशर्रफ चौधरी ने कराई।

सोमवार, 7 अक्टूबर 2013

कांग्रेस सांसद बीरेंद्र सिंह ने राजनीति को बताया सबसे कमाऊ धंधा



अंबाला, जागरण संवाददाता। कांग्रेस सांसद बीरेंद्र सिंह ने एक बार फिर अपने बयान से तूफान खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि राजनीति सबसे अच्छा धंधा है। कोई बिजनेस या सरकारी नौकरी में फेल हो जाए, अच्छा डॉक्टर, इंजीनियर या वकील न बन सके तो राजनीति में आ जाए। यहां कई लोगों का ऐसा दांव लगता है कि करोड़ों नहीं अरबों कमा लेते हैं।
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बीरेंद्र सिंह छावनी स्थित बीपीएस प्लेनेटोरियम में भगवान वाल्मीकि प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। अखिल भारतीय वाल्मीकि समाज विकास परिषद के इस आयोजन की मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा थीं।

बीरेंद्र सिंह ने संबोधन में वाल्मीकि समाज के लोगों को मेहनतकश व बहादुर बताया। राजनेताओं पर बोलते हुए वे लय में बहते गए। खूब-खरी खोटी सुनाते हुए वह बोले, ऐसे ही लोग सही आदमियों को दबाने का काम करते हैं और राजनीति में अच्छा काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ विरोध का झंडा उठाने वाले बीरेंद्र सिंह पहले भी अपने बयान को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। कई बार उन्हें बयानों से पलटना भी पड़ा।

भाजपा नेता और विधायक अनिल विज ने बीरेंद्र के ताजा बयान को कांग्रेस की सोच बताया और कहा इसी वजह से देश का आज बुरा हाल है। क्योंकि कांग्रेस राजनीति को सेवा नहीं, वरन धंधा मानती है। उन्होंने कहा कि संभव है कि बीरेंद्र का इशारा अपने मुख्यमंत्री और पार्टी के विधायकों की तरफ हो।

चंद्राबाबू का आरोप-तेलंगाना पर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही कांग्रेस

नई दिल्ली : तेलगू देशम पार्टी (तेदपा) के प्रमुख एन.चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश के विभाजन पर केंद्र सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार को बेमियादी भूख हड़ताल शुरू कर दी। उन्होंने तेलंगाना मसले पर राजनीति करने का कांग्रेस पर आरोप लगाया है। चंद्राबाबू का आरोप-तेलंगाना पर केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही कांग्रेस
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां एक प्रेस वार्ता में कहा, ‘कांग्रेस पार्टी पूरी तरह राजनीतिक कर रही है। सुबह 8.30 बजे से मैं बेमियादी भूख हड़ताल पर हूं। इसकी वजह यह है कि आंध्र प्रदेश, विशेष कर सीमांध्र (तटीय आंध्र व रायलसीमा) पिछले 70 दिनों से जल रहा है। दिन-ब-दिन स्थिति बदतर होती जा रही है।’

उन्होंने कहा, ‘हमने इस पर भारत सरकार का ध्यान खींचने की हर संभव कोशिश की। हमने संसद में यह मामला उठाया। मैं दिल्ली आया और राष्ट्रपति और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से मिला। आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, न ही दोनों तरफ के लोगों को बुलाकर बातचीत करने की कोशिश की गई।’

नायडू ने कहा, ‘लोकतंत्र का मतलब है कि अगर कोई समस्या है तो उस पर बहस, बातचीत होनी चाहिए और अंततोगत्वा उसका कोई समाधान तो निकालना ही होता है।’

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों का राजनीतिक व्यवस्था से विश्वास उठ रहा है। नायडू ने कहा, ‘सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी यह सब भूल गई है। वे कोई समाधान नहीं ढूंढ रहे। दूसरी तरफ वे समस्या खड़ी कर रहे हैं।’

तटीय आंध्र और रायलसीमा (सीमांध्र) में राज्य के विभाजन के खिलाफ विद्युत विभाग के कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से रविवार को कई शहर और सैंकड़ों गांव अंधेरे में डूब गए और कई रेलगाड़ियां रद्द कर दी गईं।

आसाराम पर बनेगी "चल गुरू हो जा शुरू"

मुंबई। नाबालिग से यौन शोषण के आरोपी आसाराम इन दिनों बॉलीवुड के लिए हॉट टॉपिक बन गए हैं। आसाराम पर एक साथ दो फिल्में बनने जा रही है। एक का नाम है "चल गुरू हो जा शुरू" और दूसरी का नाम है "सत्संग"। आसाराम पर बनेगी "चल गुरू हो जा शुरू"
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मशहूर फिल्म निर्देशक प्रकाश झा सत्संग टाइटल से फिल्म बनाने जा रहे हैं। अटकलें है कि फिल्म में अजय देवगन, अर्जुन रामपाल या मनोज वाजपेयी आसाराम की भूमिका निभा सकते हैं। अर्जुन रामपाल से जब फिल्म के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे आसाराम बापू बनने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी।

"चल गुरू हो जा शुरू" टाइटल वाली फिल्म में हेमंत पांडे केन्द्रीय भूमिका में होंगे। पांडे टीवी धारावाहिक ऑफिस ऑफिस से मशहूर हुए थे। पांडे ने इस बात की पुष्टि की है कि वह फिल्म में केन्द्रीय भूमिका में होंगे। उन्होंने बताया कि फिल्म ढोंगी बाबाओं पर केन्द्रित हास्य व्यंग्य फिल्म है। फिल्म में ऎसे सभी बाबाओं के बारे में बताया जाएगा जिन्होंने धर्म को धंधा बना दिया है और सीधी साधी जनता उनकी ठगी का शिकार हो रहा है।

हिमालयन ड्रीम्स के बैनर तले बनने वाली फिल्म में हेमंत पांडे के अलावा चंद्रचूड़ सिंह,मनोज मिश्रा, मनोज पाहवा जैसे कलाकार प्रमुख भूमिकाओं में हैे। फिल्म के निर्देशक हैं मनोज शर्मा। शर्मा 2010 में आसाराम पर स्वाहा नाम से फिल्म बना चुके हैं। यह फिल्म काफी विवादित रही थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद फिल्म रिलीज हो पाई थी। शर्मा ने बताया कि अगले साल मार्च अप्रेल तक फिल्म रिलीज हो जाएगी।

चीन में पहले प्यार पर "पहरा"

बीजिंग। अजीबो-गरीब फैसले लेने में चीन का कोई जवाब नहीं है। ताजा मामला भी बड़ा दिलचस्प है। चीन के सिल्क सिटी के रूप में मशहूर शहर हांगजू के एक स्कूल ने पहले प्यार पर ही पाबंदी लगाने का फैसला किया है। यहां के एक माध्यमिक स्कूल ने बच्चों को बहुत ही महत्वपूर्ण निर्देश दिया।चीन में पहले प्यार पर "पहरा"
लड़के-लड़कियों के बीच हो आधा मीटर की दूरी

इस स्कूल के किशोरवय लड़के-लड़कियों को एक दूसरे से हर समय कम से कम 1.64 फीट या लगभग आधा मीटर दूरी बनाकर रखने के लिए कहा गया है। दिलचस्प बात तो यह है कि स्कूल परिसर में लड़के-लड़कियों के जोड़े बनाकर घूमने पर भी पाबंदी लगा दी गई है। इतना ही नहीं लड़के-लड़कियों के आपस में बातचीत पर भी मनाही है। स्कूल प्रशासन ने नियमों की अनदेखी करने पर कठोर कार्रवाई की भी चेतावनी दी है।


पहले प्यार को कुचलने की तैयारी
चीन के माध्यमिक स्कूलों में बच्चों के दाखिले की उम्र 11 वर्ष है। इस उम्र में बच्चों के हार्मोन्स में बहुत तेज और प्रभावी बदलाव होता है। ऎसे में किशोरों के बीच बढ़ते प्रेम को देखते हुए स्कूल प्रशासन और पेरेंट्स काफी चिंतित थे। उन्हें चिंता थी कि प्रेम के चलते वे अपनी पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। इस बात पर कुछ लोगों का समर्थन भी मिला। फिर क्या, स्कूलों में पनपते पहले प्यार को कुचलने की तैयारी शुरू हो गई।


नियम बने तो विरोध भी हुआ शुरू
नियम बनने के साथ ही लोगों का विरोध भी होना शुरू हो गया है। चीन में इंटरनेट यूजर्स ने इसके खिलाफ गुस्से भरी टिप्पणियां की हैं। कई लोगों ने इस नियम को बर्बर और क्रूरता भरा बताया है। इतना ही नहीं कई अखबारों ने भी इस नियम को हास्यासपद, बेतुका और गैरकानूनी बताया है।

नान्जिंग विश्वविद्यालय के शिक्षा विशेषज्ञ जांग युलिंग का मानना है कि, स्कूल विद्यार्थियों के साथ कैदियों जैसा बर्ताव करे, वे इससे सहमत नहीं हैं।

असल में अब देखने वाली बात यह होगी कि जिन स्कूलों में ऎसे निर्देश दिए हैं, वहां क्या पहले प्यार पर पहरा लग पाएगा, यह देखने वाली बात होगी।