नई दिल्ली। देश को हिलाकर रख देने वाले तंदूर हत्याकांड में आज 18 साल बाद फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने तिहाड़ जेल में बंद कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील शर्मा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी है। सुशील शर्मा ने निचली अदालत के बाद हाईकोर्ट से मिली फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
हालांकि सुशील शर्मा को मरने तक जेल में ही रहना पड़ेगा। फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलते हुए कोर्ट ने कहा कि सुशील शर्मा ने अपने अपराध पर अफसोस जताया है और उसका पहले का आपराधिक इतिहास भी नहीं है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि सुशील शर्मा को किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
क्या है मामला?
1995 में सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या कर उसकी लाश के कई टुकड़े कर उसे तंदूर में जलाया था। ये घटना 2 जुलाई 1995 की है। सुशील शर्मा को शक था कि उसकी पत्नी नैना साहनी के किसी के साथ संबंध हैं, इसी शक में उसने नैना को गोली मार दी। इसके बाद उसके शव को अपनी मारुति कार में डालकर सीधा अशोक यात्री निवास होटल, जो आजकल इंद्रप्रस्थ होटल के नाम से जाना जाता है, वहां ले गया। इस होटल के बगिया रेस्टोरेंट को सुशील कॉन्ट्रैक्ट पर चलाता था। यहीं पर उसने नैना साहनी के शव के टुकड़े किए और फिर उन्हें तंदूर में झोंक दिया। लेकिन दिल्ली पुलिस के एक कॉन्स्टेबल और एक होमगार्ड ने रेस्टोरेंट से धुआं निकलते देख कार्रवाई की और देश का सनसनीखेज हत्याकांड सामने आया।
जब मंदिर मार्ग स्थिल अपने फ्लैट पर पहुंचा तो उसने देखा कि नैना टेलीफोन पर किसी से बात कर रही थी सुशील को देखते ही तुरंत उसने टेलीफोन का रिसीवर नीचे रख दिया। सुशील शर्मा को शक हुआ कि नैना मतलूब करीम से ही बात कर रही थी। उसी वक्त उसने टेलीफोन नंबर को री-डायल किया। उसका शक सही साबित हुआ। दूसरी तरफ से टेलीफोन पर मतलूब करीम ने ही जवाब दिया।
सुशील शर्मा बौखला गया कि नैना बेवफा है। इस ख्याल ने उसे पागल कर दिया। उसने अपना लाइसेंसी रिवॉल्वर निकाल लिया और तड़ातड़ तीन गोलियां नैना साहनी पर दाग दीं। पहली गोली नैना के माथे को चीरती हुई पार निकल गई। दूसरी गोली नैना के गले पर लगी। तीसरी गोली अपने निशाने से चूक गई और सीधा दीवार पर लगे एयरकंडिश्नर पर जाकर लगी। नैना की मौका-ए-वारदात पर ही मौत हो गई।
इसके बाद सुशील शर्मा ने नैना की लाश को चादर में लपेट लिया और उसे अपनी मारुति कार में डालकर सीधा अशोक यात्री निवास होटल, (जो आजकल इंद्रप्रस्थ होटल के नाम से जाना जाता है) के बगिया रेस्टोरेंट पर पहुंचा। सुशील बगिया रेस्टोरेंट को कांट्रेक्ट पर चलाता था। वहां उसने नैना की लाश को टुकड़े-टुकड़े कर दिया और फिर उसे रेस्टोरेंट के तंदूर की आग जलाने लगा।
लाश जलने की बदबू ज्यादा न फैले और लाश जल्दी जल जाए इसके लिए वो तंदूर में मक्खन भी डालता जा रहा था। शर्मा ने सोचा था कि ऐसा करके वो लाश के साथ सारे सबूत मिटा देगा, जिससे कानून के फंदे से साफ बच निकलेगा। बगिया रेस्टोरेंट का मैनेजर केशव कुमार ने नैना की लाश को खत्म करने में सुशील का पूरा साथ दिया।
सुशील शर्मा चाहता था कि नैना के कत्ल के निशान। सभी सुबूत पूरी तरह तंदूर की आग में जलकर खत्म हो जाए। सुशील शर्मा अपने मकसद में करीब-करीब कामयाब हो ही गया था। लेकिन तभी दिल्ली पुलिस का कांस्टेबल अब्दूल नजरी कुंजू और होमगार्ड चंद्रपाल ने ओपन एयर रेस्टोरेंट बगिया से धुंआ निकलते देखा। दोनों को शक हुआ दोनों होटल के दीवार को फांदकर अंदर दाखिल हुए।
उन्होंने देखा कि तंदूर से आग की लपटे बहुत ऊंची उठ रही हैं। उस वक्त तक सुशील शर्मा वहां से फरार हो चुका था। रेस्टोरेंट के मैनेजर ने दोनों को बताया कि वो लोग होटल की रद्दी और कांग्रेस पार्टी के पुराने बैनर जला रहे हैं। तंदूर से निकलती आग की लपटे छत को छू रहीं थी। आग फैलने के खतरे की वजह से दोनों सिपाहियों ने तंदूर में पानी डालकर आग को बुझा दिया। बाद में तंदूर के अंदर ठीक से तलाशी ली गई तो अंदर लाश को टुकड़े और हड्डियां बरामद हुई और डीएनए टेस्ट में ये साबित हो गया कि वो नैना साहनी की ही थी।
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