गुरुवार, 26 सितंबर 2019

जैसलमेर स्थापना दिवस जैसलमेर के संस्थापक रावळ जैसलदेव की कहानी

जैसलमेर  स्थापना दिवस  जैसलमेर के संस्थापक रावळ जैसलदेव की कहानी 


रावल जैसल देव :- यह अपने छोटे भाई रावल बिजयराव लाँझा के पुत्र , रावल भोजदेव को मारकर वि. सं . 1209 ( सन् 1152 ई . ) में लुद्रवा में अत्यन्त दुखद हादसे के बाद राजगद्दी पर बैठे। इनके पाँच रानियाँ , दो राजकुमार एवं दो राजकुमारियाँ थीं। युवराज केलणजी और राजकुमार शालिवाहन , दो पुत्र एवं बाई सरसकॅवर व पेमकंवर , दो पुत्रियाँ थीं ।
रावल जैसल भाटी ने भूतपूर्व रावल बिजयराव लाँझा द्वारा अपनाई गई साम्राज्यिक उपाधियाँ धारण नहीं कीं । इन्होंने रावल भोजदेव की मृत्यु के पश्चात् सम्राट विग्रहराज चौहान ( चतुर्थ ) की प्रभुता स्वीकार करली थी, इसलिए इन्हें उक्त उपाधियाँ त्यागनी पड़ीं । यह आंशिक सत्य था , परन्तु भाटी शासक चौहान सम्राट की प्रभुता को कितना महत्व देते थे , संभवतः नाममात्र से अधिक नहीं ! चौहान सम्राट चालुक्य शासकों की शक्ति का सम्मान करते थे , क्योंकि दोनों आपस में अनेक निष्फल युद्ध लड़ चुके थे ।
रावल बिजयराव लाँझा और भोजदेव , दोनों से कुमारपाल चालुक्य के गहरे पारिवारिक सम्बन्ध थे , इसलिए चालुक्यों की ओर से दंडात्मक कार्यवाही के भय से रावल जैसल भाटी ने चतुराई से पार्श्व भूमिका अपना कर सारी साम्राज्यिक उपाधियाँ त्याग दीं और चालुक्यों के बजाय चौहानों की प्रभुसत्ता स्वीकार करके उनकी सुरक्षा में आ गए ।
वि स.1209 में लुद्रवा की प्रजा की धन – सम्पत्ति लुटी जाने के पश्चात् वहाँ अशांत परिस्थितियाँ हो गई और जनजीवन असुरक्षित रहने से अनेक व्यावसायिक परिवार एवं दोनों भूतपूर्व शासकों के समर्थक भाटियों के परिवार लुद्रवा छोड़कर सिन्ध , मुलतान , नगरथट्टा और पंजाब चले गए । इन लोगों ने वहाँ बसकर क्षत्रियों का सेना संबंधी पेशा त्याग दिया और उद्योग , व्यापार , दुकानदारी आदि के व्यवसाय अपना लिए । इस प्रकार इनका भाटी क्षत्रियों की उच्च – श्रेणी से जातीय अवमूल्यन हो गया , इन्हें ‘ भाटिया ‘ , गौरवहीन भाटी , नाम से विदेशों में पुकारा जाने लगा । ‘ भाटी ‘ के साथ ‘ या ‘ तू प्रत्यय जोड़कर इन्हें ‘ भाटिया ‘ निम्नश्रेणी के तुच्छ भाटी से पहचाना गया । अपने कुलगुरु पुष्करणा पुरोहितों की सहमति से इन माटियों को उनचास पीढ़ियों के अन्तर से आपस में स्वजातीय विवाहों की मान्यता मिल गई । लुद्रवा छोड़कर गए हुए यह भाटी , विदेशों में पहले से रह रहे अपने पूर्वज , राव केहर के राजकुमार जाम के वंशज , भाटिया खत्रियों में विलीन हो गए ।
राजगद्दी पर बैठने के तुरन्त पश्चात् रावल जैसल ने अपने स्वयं के समर्थकों , पूर्व के इनके विद्रोही प्रमुखों व सामंतों को सान्त्वना देने व संतुष्ट करने के लिए उन्हें जागीरें और उदारता से उपहार दिए ।
रावल जैसल ने अनुभव किया कि काक नदी के किनारे समतल मैदान में बना होने से लुद्रवा का किला प्राकृतिक बाधाओं से चारों ओर से रक्षित नहीं होने से रक्षा करने योग्य नहीं था और शत्रुओं के आक्रमण से भेद्य था । पठानों की सहायता से उन्होंने मात्र तीन दिनों में लुदवा के किले का समर्पण करवा कर अधिकार कर लिया था । इसलिए भविष्य में स्वयं वह और अपने वंशजों के लिए ऐसी भयावह स्थिति टालना चाहते थे । अपने पूर्वज रावल सिद्ध देवराज , जो वीरभूमि नहीं होने के कारण देरावर त्यागकर लुद्रवा आए थे , की भाँति लुद्रवा के बजाय भाटियों की नई राजधानी के लिए वह ऐसे स्थान का चयन करना चाहते थे जो सामरिक दृष्टि से अभेद्य हो और शत्रुओं की शक्ति के सामने अडिग रहकर भाटियों को स्थायी सुरक्षा प्रदान का सके । किले के लिए उपयुक्त स्थान की खोज में वह गोडाहरे की पहाड़ियों में पहुँचे , जहाँ उन्हें एक एक सौ चालीस वर्षीय वृद्ध ब्राह्मण , शालु आचार्य , मिले , जिनके पूर्वजों को प्रतिपादन में दी गई पैतृक भूमि इन पहाड़ियों से पश्चिम में थी । आचार्य का पुत्र जगन्नाथ , रावल की राजकीय सेवा में था । आचार्य के आश्रम को ‘ ब्रह्मसर ‘ कहते थे । इसी आश्रम में प्राचीन ऋषि काक ने वर्षों तक ध्यान व तपस्या की थी , जिनके दिव्य चमत्कार से यहाँ के पानी के कुंड में मीठे पानी का सोता फूट पड़ा था , जिससे काक नदी में जल का प्रथम प्रवाह सृजित हुआ ।
वृद्ध ब्राह्मण को परम्परागत श्रद्धा अर्पित करने के पश्चात् रावल जैसल ने उन्हें उस क्षेत्र में अपने भ्रमण के उद्देश्य बताया। बुद्धिमान व पण्डित आचार्य ने रावल जैसल को बताया कि प्राचीनकाल में हस्तिनापुर से द्वारिका जाते हुए श्रीकृष्ण और अर्जुन इस क्षेत्र में पहुंचे थे और श्री कृष्ण ने अर्जन को बताया कि भविष्य के किसी काल में , एक सो इक्कीस पीढ़ियों पश्चात उनके वंशज मरुदेश में शासन करेंगे और गोडाहरे पहाड़ियों पर एक अभेद्य दुर्ग का निर्माण करवाएँगे ।
जैसलनाम भूपति यदुवंशी इक थाय ,
कोई कालरे अंतरै एथ रहसी आय ।
विस्मित अर्जुन ने जिज्ञासु भाव से श्रीकृष्ण की ओर प्रश्नात्मक दृष्टि से ऐसे देखा जैसे कि वह इस सूखे क्षेत्र में जलापूर्ति के विषय में जानना चाहते हो , उसी क्षण श्रीकृष्ण ने चट्टान पर दिव्य बाण मारा , जिससे वहाँ तत्काल मीठे जल का सोता फूट पड़ा । उन्होंने उस स्थान को पत्थर की विशिष्ट शिला से ढक दिया । आचार्य ने रावल जैसल को बताया कि उनके पूर्वजों द्वारा उन्हें दान में दी हुई भूमि पर अनेक वर्षों पहले गायें चराते हुए उन्होंने कपूरदेसर तालाब के बन्धे के नीचे वह शिला देखी थी । कई दिनों तक खेतों में खोज करने के पश्चात् रावल जैसल को वीरान पहाड़ियों शिलावाला वह स्थान मिल गया । शिला को ऊपर उठाने पर नीचे मीठे जल का कुआँ पाया और उसे उलटने पर उस पर एक अभिलेख उत्कीर्ण था ।
लुद्रवा हूँती उगमण , पाँचै कोसे गाम ।
उ पाड़े ओ मंइज्यो , तिण रह अमर नाम । ।
इस अभिलेख में लुद्रवा से पाँच कोस पूरब में किला बनाने के लिए स्थान निर्दिष्ट किया गया था ।
यह शुभ मंगल स्थान पाकर उल्लसित रावल जैसल ने पूजनीय आचार्य को अनेक बहुमूल्य उपहार और भेट देकर संतुष्ट किया । उन्होंने उनके पूर्वजों द्वारा आचार्य को दी हुई भूमि को पुनः अनुमोदित व प्रमाणित किया और किले के प्रस्तावित स्थान से पश्चिम में दो कोस के प्रसार क्षेत्र में अतिरिक्त भूमि की जागीर नित्यता के लिए उन्हें प्रदान की । सन् 1947 ई . तक यह सारे खेत में भूमि, इशालु आचार्य के वंशजों के अधिकार में थी और सभी उन्हें ‘ इशाल के खेत के नाम से पहचानते थे । बुद्धिमान व दूरदर्शी आचार्य ने किले के स्थान के चयन के साथ ही रावल जैसल की किले का भविष्य भी बता दिया ताकि आनेवाली पीढियों को उसके शुभ – अशुभ के विवाद में उलझना पड़े और किले को देरावरा व लुद्रवा की भाँति फिर त्यागने की नौबत नहीं आए । आचार्य ने रावल को बताया कि ढाई बार किला टूटेगा , खून की नदियाँ बहेंगी , उनके वंशजों के लिए सब कुछ समाप्त हो जाएगा , किन्तु थोड़े समय पश्चात् ही उनका वहाँ पुनः अधिकार हो जाएगा ।
प्रारम्भिक अन्वेषणा के पश्चात् रावल जैसल ने लुद्रवा से पाँच कोस पूरब में स्थित गोडाहरे की पहाडियों पर श्रावण शुक्लपक्ष 12 , मूल नक्षत्र , वि . सं . 1212 ( सन् 1155 ई . ) , वार रविवार , 12 जलाई , सन् 1155 ई . को धार्मिक अनुष्ठान से किले की नींव रखी और स्वयं के नाम किले और नगर का नाम ‘ जैसलमेर रखा । चूंकि किले की स्थापना तिकोनी गोडाहरे पहाड़ी पर की गई थी , इसलिए इसे ‘ गोडहारा ‘ या ‘ त्रिकूटाचल ‘ किला भी कहते थे । वि . सं . 1219 ( सन् 1162 ई . ) में किले के पास जैसलमेर नगर की विधिवत स्थापना की गई और मनःकल्पित दृष्टि से लुद्रवा से जैसलमेर राजधानी स्थानांतरित की गई ।
दोहा : बारे सो बारोतरे सावण मास सुदेर ।
जैसल थाप्यो जोरवर महिपत जैसलमेर । ।
लंका ज्यू अगजीत है घणा थाट रे घेर । ।
रिधु रहीसी भाटियाँ मही पर जैसलमेर । ।
रावल जैसल ने भाटियों के बही – भाटों को बुलवाकर अपनी वंशावली अभिलिखित करवाई और स्वयं द्वारा नया किला व नगर स्थापित किए जाने का तथ्य भी बहियों में लिखवाया । उन्होंने टीकमदास भाट को अत्युत्तम उपहार देकर , याँकोहर और भाद्रियो , दो गाँवों की जागीर दान में दी और हाथी के हौदे पर बैठाकर उन्हें उनके घर की ओर विदा किया । उन्होंने इन्हें ‘ कुरब ‘ का सम्मान प्रदान करके राज – दरबार में गलीचे पर बैठने का विशेष अधिकार भी साथ में दिया ।
छप्पय :
बारे सो बरोतरे कियो जैसल जैसल गिरी ,
ईसा वरस सोवनमेर मंइयो मेरावर ,
सुद सावण बारस 12 मूल नक्षत्र रविवारे ,
प्रथी में प्रगटयो त्रकुट गढ़ लंका कारे ,
तहाँ छेद न भेद लगे नको , सुख नीवास जादव रहै । पहवीय गढ़ सिंणगार ए , देखेय दुर्जन उदहे । ।
रावल जैसल के शासनकाल में नए किले की पश्चिमी प्रोल व कुछ अन्य कार्य ही हो सका था , बाकी का काम मय प्रोलों , कुएँ , महल , तहखाने , अन्य मकानात , आवास – गृह आदि इनके पुत्र रावल शालिवाहन ने बनवाए । इस किले में कुल बाईस तिकोने बुर्ज हैं ।
प्रारम्भ के वर्षों में जैसलमेर केवल सांकेतिक राजधानी थी , राज्य प्रशासन का सारा कार्य यथावत लुद्रवा से संचालित किया जाता था और लुद्रवा, , माडप्रदेश का एक बहुत समृद्ध व्यावसायिक व व्यापारिक केंद्र पहले की भांति चलता रहा। जैसलमेर से लुद्रवा केवल पाँच कोस ( 15 कि.मी.) दूर होने से आवागमन और संवाद में कोई कठिनाई नहीं थी । लोगों को भी तत्काल स्थान बदलने की कोई आवश्यकता नहीं हुई । इनके उत्तराधिकारी रावल शालिवाहन ने अपनी वैकल्पिक राजधानी देरावर में रखी हुई थी । वहीं सन् 1189 ई . में उनका देहान्त हो गया था , इसलिए राजधानी के रूप में शीघ्र विकसित करने का कोई ठोस कारण भी नहीं था । तेरहवीं शताब्दी के प्रथम चरण में , स्थापना के पचास वर्षों बाद , कहीं जाकर जैसलमेर राजधानी के कार्य संबंधी व्यवस्था के योग्य बना ।
रावल जैसल ने एक विद्वान् पाहू भाटी , बीरमसी को अपना देश – दीवान नियुक्त किया । यह रावल बाछुजी के पड़पोते व सोढ़ल पाहू भाटी के पुत्र थे । ‘ रावल ने पास – पड़ोस के विस्तत क्षेत्रों को जीतकर अपने राज्यक्षेत्र को बढ़ाया । उन्होंने उन प्रधानों व सामंतों को अतिरिक्त सुविधाएँ और जागीरें देकर राजी किया , जो उनके द्वारा रावल भोजदेव को मारकर राजगद्दी प्राप्त करने में अपनाई गई पद्धति से नाराज थे ।
रावल जैसल के समय में जैसलमेर राज्य के सतरह परगने थे : ( 1 ) जैसलमेर . ( 2 ) देरावर , ( 3 ) तणोट ( तणवट ) , ( 4 ) दीकमपुर , ( 5 ) रोहड़ी ( सिन्ध में ) , ( 6 ) मक्खड़ ( सिन्ध में ) , ( 7 ) घोटड़ा ( घोटारू ) , ( 8 ) फलौदी , ( 9 ) खावड़ , ( 10 ) मारोठ , ( 11 ) सातल , ( 12 ) नोहर ( नोसर , ( 13 ) चोहटन , ( 14 ) पूगल , ( 15 ) बाड़मेर , ( 16 ) नाचणा , ( 17 ) जूनागढ़ ( भटनेर ) ।

छन्ना राजपूतों और बलौचियों के नेतृत्व में एक ‘ कटक ‘ , सशस्त्र लुटेरों का गिरोह , ने खुहड़ी ग्राम पर आक्रमण किया । रावल जैसल ने न केवल उन्हें पराजित किया बल्कि घात लगाकर उनके भाग निकलने का मार्ग भी अवरुद्ध कर दिया । उन्हें जीवनदान तभी दिया जब उन्होंने दाँतों तले घास के तिनके दबाकर बार – बार सौगन्धे खाई कि भविष्य में वह कभी भी भाटियों के राज्य में अनुचित प्रवेश करने का दुस्साह नहीं करेंगे ।
रावल की वृद्धावस्या में भाटियों के प्राचीन शत्रुओं , चौहानों , छन्नों व बलौचियों ने भाटी राज्य में घुसपैठ की अपनी गतिविधियाँ काफी बढ़ा ली थी और धन – सम्पत्ति , गायें , ऊँट , भेड़ – बकरा लूटकर ले जाते थे । ‘ प्रत्येक बार रावल की सेना लुटेरों का पीछा करके लूटा हुआ माल उनसे प्राप्त करके फिर से उनके स्वामियों के सुपुर्द करती थी ।
वि . सं . 1224 ( सन् 1167 ई . ) में रावल जैसल का देहान्त हो गया ।
दोहा : बारे सै चौबीस में सावण सुद पूनम ।
एता दिन सुख भोगवै स्त्रग पोहतो जादम ।।
जैसलमेर कराये गढ़ पाँच वर्ष कियौ राज ।
जैसल सरग पधारिया देय दत्त द्रव वाज । ।
रावल जैसल सन् 1162 ई . में अपनी राजधानी लुद्रवा से जैसलमेर लाए थे । नई राजधानी से उन्होंने केवल पाँच वर्ष , सन् 1167 ई . तक , शासन किया । उनका शासनकाल कुल पन्द्रह वर्षों का रहा । वृद्धावस्था में अल्पकाल के शासन में वह सार्वजनिक हित के ज्यादा कार्य नहीं करवा सकै , केवल जैसलसर तालाब खुदवाया।
रावल जैसल के दो पुत्र , युवराज कालणजी और राजकुमार शालिवाहन थे । देश – दीवान बीरमसी पाहु भाटी और उनके छोटे भाई तालपसी , युवराज कालणजी के प्रति शत्रुमाव रखते थे । इसलिए इन्होंने वृद्ध रावल को बहकाकर छोटे पुत्र राजकुमार शालिवाहन को युवराज कालणजी के स्थान पर उत्तराधिकारी घोषित करवा लिया । इससे पहले भी देश – दीवान बीरमसी पाहू भाटी के पिता सोढ़ल पाहू भाटी की सलाह पर रावल दुसाजी ने युवराज जैसल के स्थान पर उनके छोटे भाई राजकुमार बिजयराव लाँझा को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था , परन्तु अपने भतीजे रावल भोजदेव को मारकर जैसल ने अपना पैतृक अधिकार प्राप्त कर लिया । अब सोढ़ल पाहू भाटी के दोनों पुत्रों के बहकावे में आकर , रावल जैसल ने युवराज कालणजी के साथ भी वैसा ही बरताव करने की भूल की , जैसा उनके पिता रावल दुसाजी ने उनके साथ किया था । परन्तु इस बार भी कालणजी , रावल शालिवाहन के पुत्र बीजल का उसके धाभाई द्वारा वध किए जाने के पश्चात् अपना पैतृक अधिकार प्राप्त करके रावल बन गए । उस काल में पाहू भाटी जैसलमेर के बहुत शक्तिशाली प्रधान रहे । वस्तुतः वही राजा बनाने वाले थे , किन्तु भाटियों की अन्य शाखाओं के भय से स्वय शासक नहीं बन सके ।
रावल दुसाजी के देहान्त के पश्चात् युवराज जैसल को रावल नहीं बनने देने में सोढ़ल पाहू भाटी का कोई योगदान व दोष नहीं था , और न ही दिवंगत रावल ने राजकुमार बिजयराव लाँझा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था । उनके देहान्त के पश्चात् राजकुमार बिजयराब लाँझा ने अपने शक्तिशाली ससुराल – पक्ष के सोलंकियों की सहायता से अन्यायपूर्ण तरीके से राजगद्दी हथिया ली , या जैसल को राजगद्दी से उतार कर स्वयं रावल बन गए । जैसल के भयंकर आक्रोश का संभवतः यही उपरोक्त कारण था कि अपना पैतृक अधिकार प्राप्त करने के लिए वह तीस वर्षों तक अथक प्रयास व धैर्य से प्रतीक्षा करते रहे और जब उनके पास अन्य विकल्प नहीं रहे तभी वृद्धावस्था में वह युवा रावल को मारने से नहीं चूके । अगर उनको रावल नहीं बनने देने में सोढ़ल पाहू भाटी का हाथ होता तो वह उनके पुत्र बीरमसी पाहू भाटी को अपना देश – दीवान बनाने की भूल कभी नहीं करते।
अपनी वृद्धावस्था में रावल जैसल को दो बातों का मलाल रहा , कि तुच्छ सत्ता स्वार्थ के वशीभूत होकर उन्होंने युवा रावल भोजदेव को मरवा डाला और कि उनके स्वयं के बुलावे पर आए पठानी ने उनके सामने उनकी प्रजा को लूटा । इस भीरू कुकृत्य के अपराध बोध से वह जीवनपर्यन्त नहीं उबर सके ।
अनेक इतिहासज्ञों ने जैसलमेर की स्थापना के वर्ष , वि . सं . 1212 ( सन् 1156 ई . ) को विवाद का विषय बनाकर उस पर एक प्रश्नचिह्न लगा दिया है । इससे भाटियों के ऐतिहासिक मुलाधार पर प्रहार करके एक अत्यन्त प्राचीन क्षत्रिय जाति , जिसे पीढ़ियों से इसी सत्य में पाला – पोसा गया था कि वि . सं . 1212 में जैसलमेर की स्थापना की गई थी , के ब्रहा को उखाड़ने का प्रयास है । यह तकालीन सत्तायुक्त प्रभावशाली ऐसी राजपूत जातियों की अन्यायपूर्ण धारणा का है जिन सबको मिलाकर भी भाटियों जैसी गौरवपूर्ण ऐतिहासिक श्रेष्ठता प्राप्त नहीं हो सकती और वह भाटियों के इतिहास को अस्थिर करने के अब भी यदा – कदा प्रयास करती रहती हैं । जैसन भाटी द्वारा लुद्रवा पर अधिकार किए जाने की घटना को सुलतान शाहबुद्दीन मोहम्मद घोरी द्वारा सन् 1175 ई . में मुलतान पर आक्रमण किए जाने को उन्हें सहायता दिए जाने के रूप में जोड़कर उसे एक प्रामाणिक आधार मान लिया । हमारी विकृत मानसिकता , अरबों , फारसियों चीनियों और मुसलमान लेखकों व यात्रियों के कथाप्रसंगों को ब्रह्म – वाक्य मानती है , किन्त हमारे स्वयं के लोगों , ख्यातों एवं इतिहास के वृत्तान्तों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं । दाह पीढ़ी – दर – पीढ़ी मौखिक तौर पर सुनाया गया आख्यान हो , या लिखित इतिहास वृत्तान्त , इस सत्य को झूठा नहीं कहा जा सकता कि जैसलमेर की स्थापना वि . सं . 1212 में की गई थी । इसलिए सुलतान घोरी की सहायता से जैसल भाटी की लुद्रवा – विजय का तथ्य मिथ्या है । उस समय घोर के शासक हुसैन से भगौड़ा शाहबुद्दीन मोहम्मद घोरी , गज़नी के सुलतान बहरामशाह द्वारा नियुक्त किया गया सिन्य प्रदेश का मात्र एक सूबेदार था । उन्होंने सुलतान मोहम्मद घोरी के नाम को ऐसा प्रभावी मोहरा बना दिया , जैसे कि उसके नाम को जोड़ने से जैसल भाटी द्वारा लुद्रवा की राजगद्दी प्राप्त करने को साम्राज्यिक मान्यता मिल गई हो ।
उस समय ऊँच्छ में भाटियों का शासन था , और ऐसा आरोप है कि भाटी राजा के उनकी रानी से संबंधों में तनाव होने से रानी ने सुलतान मोहम्मद घोरी के साथ मिलकर राजा को मरवा दिया और किला घोरी के अधिकार में दे दिया । यह घटना निश्चय ही रावल भोजदेव के शासनकाल की नहीं थी , परन्तु तथाकथित घटना रावल शालिवाहन के शासनकाल की हो सकती थी।
सुलतान मोहम्मद घोरी द्वारा मुलतान , पाटण , दक्षिणी सिन्ध प्रदेश पर सन् 1175 , 1175 व 1182 ई . में किए आक्रमणों के समय रावल शालिवाहन जैसलमेर के शासक थे । वह जैसलमेर छोड़कर ऊच्छ से केवल पचास मील दूर , देरावर में रहने लग गए थे . उन्होंने उस क्षेत्र में सुलतान घोरी के आक्रमणों के विरुद्ध निर्णायक भूमिका निभाई थी ।
“जैसलमेर राज्य का इतिहास” में लेखक माँगीलाल मयंक ने राय व्यक्त की है कि मोहम्मद घोरी के सन् 1178 ई . के गुजरात पर आक्रमण को ध्यान में रखते हुए जैसलमेर के किले निर्माण सन् 1178 – 87 ई . के बीच हुआ होगा । उनके विचार में निर्माण वर्ष वि . स . 1234 (सन 1178 ई . ) होना चाहिए , न कि 1156 ई . । खत्तरागच्छ बृहद्गुर्वावलि के अनुसार वि. स. 1244 (सन् 1187 ई . ) में जैसलमेर का किला अस्तित्व में था । सम्भवतः वह यह भूल गए कि जैसलमेर के किले का निर्माण रावल जैसल ने सन् 1156 ई . में आरम्भ करवाया था , सन् 1167 ई . में अपने देहान्त तक , ग्यारह वर्षों में वह किले का थोड़ा सा निर्माण कार्य करवा पाए थे। अगर प्राम्भिक काल के उत्साह में भी अन्य कठिनाईयों के कारण , रावल जैसल किले के निर्माण में वांछित प्रगति नहीं करा सके , तो ऐसी व अन्य समस्याओं के कारण , दूरस्थ देरावर में रहते हुए रावल शालिवाहन को कार्य सम्पूर्ण करवाने में बीस वर्ष और लग गए । अन्ततः सन 1187 में जाकर जैसलमेर के किले का कार्य सम्पूर्ण हुआ।
सब कठिनाइयों के अलावा रावल शालिवाहन ने अपना अधिकांश समय अपनी वैकल्पिक राजधानी देरावर में व्यतीत किया था, इसलिए जैसलमेर के किले के निर्माण- कार्य को शीघ्र पूर्ण करवाने में स्वाभाविक था , उनकी अधिक रुचि नहीं थी । उस काल में योजनाएँ आज की भाँति समय की परिधि में बन्धी हुई नहीं होती थीं , शासक के लिए वित्तीय कठिनाइयाँ , शत्रुओं की कार्यवाहियाँ , युद्ध, विद्रोह , आपसी मतभेद आदि अनेक समस्याएँ रहती थी , इसलिए जैसलमेर के किले के निर्माण ई में तीस वर्षों का समय लगना कोई अनहोनी बात नहीं थी । इस किले से पहले के भाटियों के किलो के निर्माण में , मारोठ 25 वर्ष ( सन् 599 – 623 ई . ) व तनोट सतरह वर्ष ( सन् 770 – 787 ई ) , में भी कम समय नहीं लगा था ।
History of Jaisalmer ‘ में लेखक रामवल्लभ सोमानी ने माँगीलाल मयंक का अनुरण करने की भूल की है । उनके अनुसार , ‘ अपनी राजगद्दी प्राप्त करने के लिए जैसल सुलतान के पास सहायता माँगने गए । सन् 1175 ई . में सुलतान ने मुलतान पर अधिकार कर लिया । अपनी रानी के कारण ऊँच्छ के भाटी शासक ने समर्पण कर दिया । सुलतान ने मजेजखाँ के नेतृत्व में एक सैनिक दस्ता लुद्रवा भेज दिया और स्वयं फलौदी , ओसियाँ , मेड़ता , सांडेराव , नाडौल व आबू होकर गए । सेना के एक पाश्र्व भाग ने मजेजखाँ के नेतृत्व में लुद्रवा को लूटा और किराडू के मंदिरों को तोड़ा । राजपूतों की संयुक्त सेना ने घोरी को आबू के पास पराजित किया और उसे सिन्ध होकर पीछे लौटने के लिए बाध्य किया । आक्रमणकारियों से जैसल बहुत खिन्न हुए । उन्होंने उनसे धन वापस लूट लिया । इसके पश्चात् मुसलमानों ने उन्हें लुद्रवा का शासक बना दिया , या वह उनसे लुद्रवा छीनकर शासक बन गए । ‘ उपरोक्त वर्णन की गणित बड़ी सुहावनी है , परन्तु अगर हम लगभग पचीस वर्ष पीछे , सन् 1150 ई . के आसपास , लौट जाएँ तो जैसलमेर के स्थापना के वर्ष के विवाद का समाधान मिल जाता है । जैसल ने पड़ोस के सिन्ध प्रदेश में गजनी के सुलतान के सूबेदार मोहम्मद घोरी से सहायता माँगी , जिसने करीमखाँ और मजेजखाँ के नेतृत्व में इन शर्तों पर सेना भेजना स्वीकार किया कि तत्कालीन व्यापारिक केन्द्र , वैभवशाली लुद्रवा की धन – सम्पदा लूटने का उनका स्वतंत्र अधिकार होगा , जिससे वह सेना भेजने पर हुए खर्चे की भरपाई करेंगे और बचे हुए धन को अपने साथ ले जाएंगे । एक बार जैसल के पुष्ट अधिकार में लुद्रवा के आते ही दूरदर्शी और चतुर जैसल ने पठानों को धत्ता बताया और उन्हें जीवित रहने का विकल्प देकर नगरथट्टा लौट जाने का मार्ग बताया ! अगर यह सैनिक टुकड़ी सूबेदार मोहम्मद घोरी की नहीं होकर गज़नी के शासक सुलतान मोहम्मद घोरी की होती , तो जैसल चुनौती देकर मजेजखाँ का वध करने का साहस नहीं कर सकते थे और न ही पठानों द्वारा लूटा हुआ धन अपने कब्जे में वापस लेते । उस समय घोरी केवल सुलतान बहरामशाह सिन्ध में सूबेदार था और वह , और उसका भाई ग्यासुद्दीन , घोर से निर्वासित भगोड़े थे। इसीलिए उसने जैसल भाटी द्वारा उसके सेनानायक का वध , अपमान व दुर्दशा को बिना प्रतिक्रिया किए चुपचाप सह लिया ।
ऐसा लगता है कि माँगीलाल मयंक और रामवल्लभ सोमानी ने उस काल के गज़नी और घोर स पर और उनके आपसी शत्रुतापूर्ण संबंधों की ओर ध्यान नहीं दिया, जिससे वह जैसल व जैसलमेर के ऐतिहासिक निष्कर्षों में भूल कर गए।
रावल जैसल ‘ के शासनकाल में अजमेर के चौहान और गुजरात के चालुक्य एक दूसरे पर * लिए उनके पड़ोस में संघर्षरत थे इसलिए वह अपने राज्य का पूरब की ओर विस्तार नहीं कर पाए, अपितु उन्होंने राज्य के पश्चिम में पड़नेवाली सिन्ध और सतलज नदियों तक राज्य – विस्तार कर लिया ।
जैसलमेर के गढ़ की ख्याति में किसी कवि ने कहा है :
गढ़ दिल्ली , गढ़ आगरो , अधगढ़ बीकानेर । ।
भलो चिणायो भाटियों , सिरेज जैसलमेर । ।
जैसलमेर के किले की चर्चा करते हुए भाटी इस दोहे को कहते हुए पूर्ववर्ती दुर्गा का स्मरण करते हैं :
काशी , मथुरा , प्राग बड़ , गजनी , गढ़ भटनेर ।
दिगम – देरावल , लुद्रवो , नमोह जैसलमेर । ।
इस प्रकार यह विख्यात नौ गढ़ थे , जैसलमेर नौवाँ गढ़ था , जिसे नमस्कार है । जय जैसाण।।


बाड़मेर.अवैध डोडा पोस्त लाने के आरोपी को दस साल की कैद, एक अन्य मफरूर घोषित

बाड़मेर.अवैध डोडा पोस्त लाने के आरोपी को दस साल की कैद, एक अन्य मफरूर घोषित


बाड़मेर.विशिष्ट न्यायधीश एनडीपीएस मामलात (अपर जिला एंव सेशन न्यायधीश संख्या-एक) सुशील कुमार जैन ने एनडीपीएस एक्ट में दर्ज एक मामले में गुरुवार को सुनवाई करते हुए एक आरोपी को दस साल की कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। इसी मामले में एक अन्य आरोपी को कोर्ट ने मफरूर घोषित किया है।
विशिष्ट लोक अभियोजक जसवंत बोहरा ने बताया कि 15 जनवरी 2008 को शहर कोतवाली के तत्कालीन एसएचओ जयसिंह राजकार्य से बालोतरा से बाड़मेर आ रहे थे। बालोतरा और बायतु के बीच गोल फांटे पर काले रंग की एक स्कार्पियो के चालक ने पुलिस की गाड़ी देखकर स्कार्पियों की स्पीड तेज कर दी। इसकी सूचना बायतु के तत्कालीन थानेदार मनीष चारण को दी। पीछा कर स्कार्पियो को रोका। एक व्यक्ति झाड़ियों की तरफ भाग गया तथा दो को पुलिस ने दबोच लिया। पकड़े गए आरोपियों ने अपना नाम मूलसिंह और केवलसिंह बताया।  पुलिस ने गाड़ी में से सात कट्‌टों में भरे 179 किलोग्राम अवैध डोडा पोस्त बरामद किए। मूलसिंह और केवलसिंह को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने एनडीपीएस न्यायालय जोधपुर में तीनों आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया। 
गुरुवार को 11 साल से लंबित मामले की सुनवाई करते हुए विशिष्ट न्यायधीश एनडीपीएस मामलात सुशील कुमार जैन ने आरोपी दिनेश उर्फ दिनिया उर्फ लालाराम पुत्र डूंगराराम जाट निवासी भूरटिया को धारा 8/15 एनडीपीएस एक्ट में दोषी पाये जाने पर दस वर्ष के कठोर कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। इसी प्रकरण में कोर्ट ने केवलसिंह पुत्र बख्तावरसिंह निवासी नाहरखान सिंह की ढाणी को मफरूर घोषित किया। इसलिए पत्रावली के किसी भाग को नष्ट नहीं किया जाए। कोर्ट ने आरोपी केवलसिंह के खिलाफ स्थाई वारंट जारी कर नागाणा और सदर पुलिस को भेजा। इसी मामले में एक अन्य आरोपी मूलसिंह पुत्र शंकरसिंह रावणा राजपूत की निवासी मातासर की मौत हो जाने के कारण उसके खिलाफ कार्यवाही ड्राप की गई। आरोपी दिनेश की ओर से अधिवक्ता राजेश विश्नोई ने पैरवी की। सरकार की ओर से विशिष्ट लोक अभियोजक जसवंत बोहरा ने पैरवी की।

जैसलमेर अमरसागर पंचायत में विधायक कोष से पांच लाख का गबन*

जैसलमेर अमरसागर पंचायत में विधायक कोष से पांच लाख का गबन*
भ्रष्टाचार
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*

*जैसलमेर जिले की अमर सागर ग्राम पंचायत में विधायक कोष से जारी पांच लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया हैं।।सूत्रानुसार तत्कालीन विधायक छोटू सिंह भाटी द्वारा भाटिया समाज को निर्माण कार्य के लिए पांच लाख रुपये विधायक कोष से जारी किए थे।।जिसकी कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत अमरसागर थी।।भाटिया समाज ने उक्त राशि का उपयोग निर्माण कार्य मे करने से मना कर दिया था।।दो रोज पूर्व अमर सागर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि भाटिया बगीची पहुंचे ।तथा समाज के लोगो से आग्रह किया कि भवन पर विधायक कोष निर्माण का उद्घाटन पत्थर लगाकर फोटो खींचने दे।मगर समाज के लोगो ने ऐसा करने से मना कर दिया।।इधर इस फर्जीवाड़े की जानकारी समाज को मिली तो समाज के लोगो ने जिला परिषद में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगा सच्चाई जाननी चाही।।जिला परिषद द्वारा आर टी आई कि सूचना तैयार कर दी। सूत्रों के अनुसार पंचायत समिति जेसलमेर के तत्कालीन सहायक अभियंता और ग्राम पंचायत के कार्मिकों ने एम बी भर बिल बनाकर उक्त पांच लाख को राशि उठा ली। मामले में हुए भरष्टाचार से समाज भी सकते में हेकि आखिर समाज ने निर्माण कार्य करवाया नही तो 5 लाख की राशि कैसे उठ गई।इस मामले की जानकारी के लिए ग्राम सेवक अमर सागर को कई मर्तबा बाडमेर न्यूज़ ट्रैक द्वारा कॉल किया गया।मगर फोन बंद आया।*

जैसलमेर उल्लेखनीय योगदान के लिए बुजुर्गों का सम्मान करेगा ग्रुप फ़ॉर पीपल

जैसलमेर उल्लेखनीय योगदान के लिए बुजुर्गों का सम्मान करेगा ग्रुप फ़ॉर पीपल



जैसलमेर सामाजिक सरोकार और नवाचार के प्रतीक ग्रुप फ़ॉर पीपल जेसलमेर जिले में उल्लेखनीय योगदान देने वाले विभिन समाजों के बुजुर्गों का सम्मान भव्य समारोह में किया जाएगा।ग्रुप फ़ॉर पीपल अध्यक्ष मुकेश गज्जा ने बताया कि ग्रुप द्वारा विभिन समाजों के उन बुजुर्ग पुरुष महिलाओ को सम्मानित करेगा जिन्होंने विभिन क्षेत्रो में अपना अहम योगदान दिया है। इसके लिए आयु सीमा अस्सी साल से ऊपर रखी गई है। उन्होंने बताया कि ग्रुप द्वारा विभिन समाजों से ऐसे बुजुर्गों की जानकारी मांगी है। ग्रुप द्वारा वरिष्ठ सदस्यो की एक कमिटी गठित की गई है जो ऐसे बुजुर्गों की जानकारी हासिल करेगी।उन्होंने बताया कि कमिटी में आसाराम सिंधी,भँवर सिंह साधना,मांगीलाल सोलंकी,गिरिराज गज्जा,श्रीमती प्रेम लता चौहान,सुभान खान चनिया,देवेंद्र परिहार,नवीन भाटिया,जितेंद्र खत्री,को शामिल किया है।उन्होंने बताया कि कोई भी ऐसे बुजुर्गों का आवेदन ग्रुप सदस्यो को दे सकता है।

बुधवार, 25 सितंबर 2019

जयपुर एम् एल ए को पोस्टिंग के लिए रिश्वत देना पड़ा भारी थानेदार को ,हुआ ट्रेप

जयपुर एम् एल ए को पोस्टिंग के लिए रिश्वत देना पड़ा भारी थानेदार को ,हुआ ट्रेप 

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने थानाधिकारी एवं हवाला एजेन्ट को रिश्वत देने के आरोप में किया गिरफ्तार*


  जयपुर 25 सितम्बर। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) मुख्यालय, जयपुर शहर द्वितीय,जयपुर देहात एवं चित्तौड़गढ़ एसीबी टीमों ने बुधवार को संयुक्त कार्यवाही करते हुए रिश्वत देने के आरोप में जिला चित्तौड़गढ़ में बेगू थानाधिकारी विरेन्द्र सिंह को हवाला के माध्यम से बेगू विधायक श्री राजेन्द्र विधुड़ी को 11 लाख 18 हजार रूपये की रिश्वत देने के आरोप में हवाला एजेन्ट हिमांशु सहित गिरफ्तार किया।

   भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी ने बताया कि परिवादी विधायक बेगू श्री राजेन्द्र विधुड़ी ने एसीबी में यह शिकायत दी कि उसे बेगू थानाधिकारी क्षेत्र में अफीम एवं डोडा पोस्त की तस्करी व अन्य गलत तरीकों से कमाए हुए 15 लाख रूपये रिश्वत के रूप में देने की कोशिश कर रहा है, ताकि मैं उसे बेगू थानाधिकारी के पद पर बनाये रखूं एवं अन्यत्र स्थानान्तरण नहीं होने दूं।

   भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो अति. पुलिस अधीक्षक जयपुर शहर प्रथम श्रीमति चंचल मिश्रा एवं अति. पुलिस अधीक्षक जयपुर देहात श्री नरोत्तम वर्मा के संयुक्त नेतृत्व में पुलिस निरीक्षक जयपुर शहर द्वितीय श्री मांगेलाल यादव द्वारा शिकायत का गहनता से अनुसंधान कर उक्त मांग का सत्यापन कर बुधवार को जयपुर एसीबी टीम द्वारा हवाला एजेन्ट हिमांशु को विधायक के आदमी को रिश्वत की राशि देते हुये जयपुर स्थित विद्याधर नगर से गिरफ्तार किया। दूसरी ओर चित्तौड़गढ़ एसीबी टीम द्वारा बेगू थानाधिकारी विरेन्द्र सिंह को हवाला के माध्यम से बेगू विधायक को 11 लाख 18 हजार रूपये की रिश्वत की राशि हवाला के माध्यम से भेजने के आरोप में गिरफ्तार किया एवं अग्रिम कार्यवाही जारी है।

बाड़मेर मंे 282 ग्राम सेवा सहकारी समितियांे में खुलेंगे ई-मित्र -जनसम्पर्क आयुक्त एवं सहकारिता रजिस्ट्रार डॉ. नीरज के. पवन ने दिए निर्देश।

बाड़मेर मंे 282 ग्राम सेवा सहकारी समितियांे में खुलेंगे ई-मित्र
-जनसम्पर्क आयुक्त एवं सहकारिता रजिस्ट्रार डॉ. नीरज के. पवन ने दिए निर्देश।

बाड़मेर, 25 सितंबर। बाड़मेर जिले मंे 282 ग्राम सेवा सहकारी समितियांे मंे ई-मित्र खुलेंगे। इससे आमजन को स्थानीय स्तर पर 500 प्रकार की विभिन्न सेवाआंे का लाभ मिल सकेगा। जनसम्पर्क आयुक्त एवं सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार डॉ.नीरज के. पवन ने दो अक्टूबर से पहले समस्त ग्राम सेवा सहकारी समितियांे मंे ई-मित्र सेवा प्रारंभ करने के निर्देश दिए।
जनसंपर्क आयुक्त एवं सहकारिता विभाग के रजिस्ट्रार डॉ. नीरज के.पवन के मुताबिक राज्य सरकार ने ग्रामीणांे को स्थानीय स्तर पर विभिन्न प्रकार की 500 सेवाएं उपलब्ध कराने के साथ ग्राम सेवा सहकारी समितियांे को सशक्त करने के लिए ई-मित्र खोलने का निर्णय लिया है। उन्हांेने बताया कि ग्राम सेवा सहकारी समिति स्तर पर ई-मित्र खोलने के लिए जमा होने वाली डिपोजिट राशि एवं पुलिस विभाग से जारी होने वाले चरित्र पत्र के बारे मंे रियायत दी गई है। उन्हांेने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं राज्य सरकार की मंशा है कि प्रत्येक ग्रामीण को उसके घर के पास ही सभी सुविधाएं उपलब्घ करायी जाएं। इससे ग्रामीणों का समय एवं श्रम बचने के साथ दस्तावेज बनवाने में आसानी रहेगी। उनके मुताबिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों को गांवों के सशक्तिकरण के लिए उन्नत किया जा रहा है। इसके तहत प्रत्येक जीएसएस पर ई-मित्र सेवा उपलब्घ रहेगी। इसके बाद ग्रामीणों को अपने काम के लिए उपखंड या तहसील मुख्यालय जाने के बजाय अपने गांव के ई-मित्र केन्द्र पर आवेदन करना होगा। इस केन्द्र पर निर्धारित शुल्क देकर जाति, मूल निवास प्रमाण पत्र, पेंशन एवं समाज कल्याण की विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन किया जा सकता है। ई-मित्र के माध्यम से ग्रामीण कृषि, ड्राईविंग लाइसेंस एवं अन्य कामों के लिए भी आवेदन किया जा सकेगा।
ई-मित्र मंे यह सेवाएं होंगी उपलब्ध - कृषि विभाग से संबंधित विभिन्न आवेदन, मोबाइल बिल, बिजली ,पानी के बिल, आस्क ए डॉक्टर, टेलीफोन बिल, मुख्यमंत्री जन आवास योजना आवेदन, सहकारिता विभाग योजनाओं के आवेदन, पशु पालन, ऊर्जा, जलदाय, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के विभिन्न, खाद्य सुरक्षा अधिनियम, श्रमिक कार्ड, राशन कार्ड सहित अन्य योजनाओं के आवेदन निर्धारित दरों पर किए जा सकेंगे।

महात्मा गांधी की जयंती पर आयोजित होंगे तीन रक्तदान शिविर
बाड़मेर, 25 सितंबर। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य मंे दो अक्टूबर को बाड़मेर जिले मंे तीन स्थानांे पर रक्तदान शिविरांे का आयोजन होगा। इसके लिए व्यापक तैयारियां शुरू कर दी गई है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.कमलेश चौधरी ने बताया कि 2 अक्टूबर को प्रातः 9 से दोपहर 2 बजे तक राजकीय महाविद्यालय बाड़मेर, पुलिस लाइन बाड़मेर एवं राजकीय एमबीआर महाविद्यालय बालोतरा मंे रक्तदान शिविरांे का आयोजन होगा। इसके लिए क्रमशः उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा.पी.सी.दीपन, बीसीएमओ डा.अहसान अली मोमीन एवं बालोतरा बीसीएमओ डा. आर. आर.सुथार को शिविर प्रभारी नियुक्त किया गया है। उन्हांेने बताया कि रक्तदान शिविरांे के आयोजन से पूर्व शिविर प्रभारियांे एवं ब्लक बैंक प्रभारियांे को शिविर स्थल का भ्रमण कर संबंधित प्राचार्य एवं संचित निरीक्षक से संपर्क कर कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए गए है। इसके अलावा जिला रक्तदान समिति अधिकाधिक आनलाइन रक्तदाता संकल्प पत्रांे को भरवाने का कार्य करेगी। चोधरी ने बताया कि रक्तदान शिविरांे के आयोजन के लिए व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू की गई है। इन शिविरांे मंे अधिकाधिक रक्तदाताआंे की भागीदारी सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे है।
विद्यालयों में होंगे विशेष आयोजनः राष्ट्रपिता महात्मा गॉंधी की 150 वीं जयंती राजकीय एवं गैर राजकीय विद्यालयों में स्थानीय जन समुदाय की व्यापक भागीदारी से मनाई जाएगी। इसके तहत गांधी जयंती पर विद्यालयों में सर्वधर्म प्रार्थना, गांधीजी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रश्नोतरी कार्यक्रम, उनके विचारों एवं मूल्यों पर आधारित एकांकी, नाटक, भाषण के साथ पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित होंगे। इस बार ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यालयों में प्लास्टिक कचरा संग्रहण के लिए श्रम दान किया जाएगा।

  मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना परामर्श कार्यक्रम आयोजित  
बाड़मेर, 25 सितंबर। राजकीय महाविद्यालय मंे राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम के माध्यम से रोजगारोन्मुख विशेष कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस दौरान जिला रोजगार अधिकारी भानुप्रताप सिंह चारण ने कहा कि मुख्यमंत्री युवा कौशल योजना के तहत 39 कार्यक्रम चलाए जा रहे है। इनमंे सहभागिता के जरिए महाविद्यालयांे मंे अध्ययनरत विद्यार्थी रोजगार प्राप्ति के लिए कुशलता हासिल कर सकते है। उन्हांेने कहा कि इन कौशल कार्यक्रमांे मंे विद्यार्थियांे मंे अतिरिक्त दक्षता प्राप्त होगी। प्राचार्य प्रो. मनोहरलाल गर्ग ने कहा कि यह पाठयक्रम महाविद्यालय मंे ही नियमित कक्षाआंे की समाप्ति के अन्तर्गत आयोजित होंगे। जो पूर्णतया निःशुल्क रहेंगे। जिला कौशल एवं आजीविका के अधिकारी मोहम्मद रफीक ने बताया कि इन पाठयक्रमांे से संबंधित समस्त सुविधाएं निगम की ओर से मुहैया कराई जाएगी। इस दौरान इन कोर्सेज मंे भाग लेने वाले विद्यार्थियांे ने प्रश्न पूछकर अपनी शंका का समाधान किया। कार्यक्रम का संचालन डा.सोहनराज परमार ने किया।

*झुंझुनू नारी शक्ति अभियान में पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव ने की शिरकत,गौरव यादव और अभियान को सराहा*

*झुंझुनू नारी शक्ति अभियान में पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव ने की शिरकत,गौरव यादव और अभियान को सराहा*




 गौरव यादव पुलिस अधीक्षक झुन्झुन ूं न े बताया कि प्रति सप्ताह थान ेवार सशक्त नारी अभियान का आयोजन करवाया जा रहा है। इसी क्रम मे आज दिनांक 25.09.19 को राकेश अकेडमी स्कूल पिलानी मे
’’सशक्त नारी अभियान’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम मे मुख्य अतिथि श्री भूपेन्द ्र यादव
महानिदेशक पुलिस राजस्थान, श्री एस. सेगांथिर महानिरीक्षक जयपुर रेंज जयपुर, श्री गौरव यादव पुलिस
अधीक्षक झुन्झुन ूं, श्री नरेन्द्र सिंह मीणा अति0 पुलिस अधीक्षक झुन्झुनूं, श्री रघुवीर प्रसाद शर्मा वृताधिकारी वृत
चिड़ावा, श्रीमति सुमन एसडीएम सूरजगढ, श्री बंशीधर योगी तहसीलदार सूरजगढ, श्री विप्लव न्यौला उप
निदेशक महिला एंव बाल विकास विभाग झुन्झुनूं, श्री मदनलाल कड़वासरा पु0नि0 थानाधिकारी पिलानी लगभग
सभी स्कूलो के प्रधानाचार्य व संस्था प्रभारी तथा लगभग 3000 छात्र- छात्राओ, स्काउट गाईड, आंगनबाड़ी
कार्यकर्ता, नर्सिग छात्राओ न े इस कार्यक्रम मे भाग लिया।
 इस कार्यक्रम से पूर्व श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा सदर झुन्झुनूं, नवलगढ, उदयपुरवाटी,
खेतड़ी, खेतड़ीनगर, मण्डावा, मण्ड्र ैला, उदयपुरवाटी मे सशक्त नारी अभियान का आयोजन करवाया गया। अब
तक लगभग 22000 महिलाओ व बालिकाओ को महिला सुरक्षा से सबंधित विधिक प्रावधानो की जानकारी दी जा
चुकी है। यह अभियान थान ेवार निरंतर जारी रहेगा।
 उक्त कार्यक्रम मे श्री भूपेन्द्र यादव महानिदेशक पुलिस राजस्थान द्वारा समाज को महिलाओ के प्रति
अपनी सोच बदलने का आह्वान किया तथा महिला सशक्तिरण पर बल दिया। पुलिस द्वारा चलाई जा रही
योजनाओ के बारे मे जानकारी दी गई। श्री एस. सेगांथिर महानिरीक्षक जयपुर रेंज जयपुर व श्री गौरव यादव
पुलिस अधीक्षक झुन्झुनूं द्वारा भी उक्त कार्यक्रम मे महिलाओ व बालिकाओ का संबोधित किया गया। उन्होने कहा
कि वर्त मान सामाजिक व्यवस्था मे कई तरह की विकृतियां उत्पन्न हो गई है। जिसमे अपनी सोच को बदलकर
ही सुधार किया जा सकता है। यदि किसी महिला के साथ कोई घटना घटित होती है तो वह नजदीकी किसी
भी सरकारी संस्था मे जाकर अपनी व्यथा बताकर राहत प्रदान कर सकती है। इस शिकायत पर पुलिस द्वारा
अविलम्ब कार्यवाही की जावेगी। कार्यक्रम मे महिला अत्याचार रोकथाम हेत ु बनाये गये विधिक
प्रावधान/अधिनियम यथा घरेलू ंिहसा मे महिला का संरक्षण, दहेज प्रतिषेध अधिनियम, महिलाओ का कार्यस्थल
पर लैंगिक उत्पीड़न, बाल विवाह निषेध अधिनियम, आपराधिक विधियाॅ संशोधन अधिनियम, लैंगिक अपराधो से
बालको का संरक्षण अधिनियम इत्यादि से संबधित जानकारी दी गई। महिलाओ/बालिकाओ से संबधित अन्य
योजना, महिला सुरक्षा एंव सलाह केन्द्र थाने पर बनी महिला डेस्क इत्यादि के बारे मे जानकारी दी गई। श्री
नरेन्द ्र सिंह मीणा अति0 पुलिस अधीक्षक झुन्झुनूं व श्री रघुवीर प्रसाद शर्मा वृताधिकारी वृत चिड़ावा द्वारा भी
कार्यक्रम मे संबोधित किया गया।
 कार्यक्रम को संबोधित करत े हुये श्रीमति सुमन एसडीएम सूरजगढ द्वारा सभी क्षेत्रो मे महिलाओ के
जागरूक होन े पर बल दिया तथा अपनी भागीदारी सुनिश्चित करन े के बारे मे बताया। श्री विप्लव न्यौला उप
निदेशक महिला एंव बाल विकास विभाग झुन्झुन ूं द्वारा महिला कल्याण व उत्थान से संबधित चलाई जा रही
योजनाओ व अभियान के बारे मे बताया गया।
 कार्यक्रम के दौरान छात्राओ द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्त ुति दी गई। जिनके माध्यम से
महिलाओं की समस्याओ के प्रति जागरूक किया गया व विभिन्न क्षेत्रों मे किये जा रहे कार्यो को रेखांकित किया।
कार्यक्रम मे विभिन्न क्षेत्रो मे उपलब्धिया हासिल करन े वाली महिलाओ व बालिकाओ को श्रीमान महानिदेशक
पुलिस राजस्थान द्वारा सम्मानित किया गया। इसके अलावा पुलिस मित्र सर्वश्री कैलाश डाडा, अशोक तोला,
हीरालाल नायक को भी प्रशस्ति पत्र प्रदान किये गये। पुलिस थाना पिलानी मे पदस्थापित श्री विजय हैड कानि,
श्रीमति सरोज हैड कानि, श्री सन्नी कानि, श्री प्रवीण कानि, श्री रामनिवास कानि, श्री कर्मवीर कानि, श्री अंकित
कानि, श्री राजकुमार कानि को चोरी , लूट व मोस्टवांटेड अपराधियो की गिरफतारी करने पर उल्लेखनीय व
सराहनीय कार्य करन े पर श्रीमान भूपेन्द्र सिंह यादव महानिदेशक पुलिस राजस्थान व श्रीमान एस.सेगाथिर
महानिरीक्षक पुलिस रेंज जयपुर द्वारा प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। राकेश अकेडमी के चैयरमेन
श्री महावीर सिंह पंघाल द्वारा अतिथियो का स्वागत किया गया। कार्यक्रम के दौरान छात्राओ द्वारा श्रीमान भूपेन्द्र
सिंह यादव महानिदेशक पुलिस राजस्थान से फोटो व ओटोग्राफ लेने को उत्साह द ेखा गया।

जैसलमेर , जिला कलक्टर ने श्री जवाहिर चिकित्सालय का किया औचक निरीक्षण, अव्यव्स्थाए देख नाराज हुए



                 जैसलमेर ,  जिला कलक्टर ने श्री जवाहिर चिकित्सालय का किया औचक निरीक्षण,  अव्यव्स्थाए देख नाराज हुए 


जैसलमेर , 25 सितम्बर 2019 / जिला कलक्टर नमित मेहता ने बुधवार को जिला अस्पताल श्री जवाहिर चिकित्सालय जैसलमेर का औचक निरीक्षण किया। जिला कलक्टर ने जिला अस्पताल स्थित ब्लड बैक, जाॅच प्रयोगशाला, टाॅयलेट, बाथरूम, एक्स रे कक्ष, सर्जिकल वार्ड, एमसीएच विंग का सूक्ष्मता से निरीक्षण किया गया। उन्होने जिला अस्पताल की समुचित सफाई व्यवस्था नही होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पीएमओ डाॅ जे.आर.पंवार एवं सफाई ठेकेदार को प्रतिदिन बेहतरीन सफाई व्यवस्था सुनिष्चित के निर्देष दिये। उन्होने चिकित्सालय के समस्त टाॅयलेट की सफाई, मरीजो के लिए साफ सुथरी चद्दरों की व्यवस्था करने , वार्डो में पंखों , कूलर व पर्याप्त रोषनी व्यवस्था को सुधारने तथा पर्याप्त मात्रा में कचरा पात्र रखवाने के निर्देष दिये।
         उन्होने पीएमओ को अस्पताल परिसर में अनावष्यक भीड को रोकने व भर्ती मरीजो को अनावष्यक होने वाली परेषानी से बचाने के लिए प्रत्येक मरीज के साथ एक रिष्तेदार को सहायक के रूप में प्रवेष देने व पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा गार्ड की व्यवस्था सुनिष्चित करने के निर्देष दिये ताकि वार्डाे में भीड नही हो ।  अस्पताल परिसर में रोगी परिजनों के लिए शुद्ध पेयजल तथा मरीजो के रिष्तेदारो के बैठने के लिए भी पर्याप्त मात्रा में बेन्चों की व्यवस्था करने के निर्देष दिये।
          जिला कलक्टर मेहता ने वार्ड में भर्ती मरीजो से उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी प्राप्त की तथा प्रमुख चिकित्सा अधिकारी से मुख्यमंत्री निषुल्क दवा योजना व मुख्यमंत्री निषुल्क जाॅच योजना से लाभान्वित मरीजो के संबंध में जानकारी ली । वक्त निरीक्षण मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, ओमप्रकाष, उपनिवेषन आयुक्त देवाराम सुथार , मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. बी.के.बारूपाल, आयुक्त नगर परिषद जैसलमेर, खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जैसलमेर डाॅ लालचन्द देवन्दा भी उपस्थित थे। जिला कलक्टर द्वारा श्री जवाहिर चिकित्सालय जैसलमेर की चिकित्सा एवं अन्य सेवाओं के निरीक्षण के लिए दो निरीक्षण दलो का गठन भी किया गया है। गठित निरीक्षण दलों द्वारा निर्धारित समयानुसार चिकित्सालय का निरीक्षण कर जिला कलक्टर को प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगे।
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राजस्थान / पोरबंदर से राजघाट के लिए निकले 500 जवानों के साथ केंद्र मंत्री मेघवाल ने चलाई साइकिल

राजस्थान / पोरबंदर से राजघाट के लिए निकले 500 जवानों के साथ केंद्र मंत्री मेघवाल ने चलाई साइकिल

Arjun ram Meghwal cycle rally with 500 soldiers in bikaner
बीकानेर. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पूर्व केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 500 जवान गुजरात के पोरबंदर से राजघाट के लिए साइकिल रैली पर निकले हैं। जो दो दिन पहले बीकानेर पहुंचे थे। जिसके बाद आज केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने उन्हे हरी झंडी दिखाकर बीकानेर से राजघाट के लिए रवाना किया। इस दौरान मेघवान ने जवानों के साथ कुछ दूर तक साइकिल रैली में भी शामिल हुए। उन्होंने भी साइकिल चलाकर जवानों का हौंसला बढ़ाया।

दरअसल, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के 500 जवान अहिंसा, स्वच्छता एवं नशा मुक्ति का संदेश लेकर पोरबंदर से राजघाट तक रैली निकाल रहे हैं। इस दौरान अलग-अलग शहरों में रैली का स्वागत किया गया। बीकानेर में भी रैली का जोर शोर से स्वागत किया गया। वहीं आज केंद्र मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ कई अधिकारी और आर्मी के अफसर भी मौजूद रहे। 

मंत्री जी ने कहा कि साइकिल चालकों के दो अक्टूबर को नई दिल्ली में राजघाट पर पहुंचने की उम्मीद है। इस मौके पर मंत्री ने राष्ट्र के प्रति सशस्त्र बलों के समर्पण की भी सराहना की। 

अंडर 14 राज्य स्तरीय बास्केटबॉल का खिताब जीता जेसलमेर बास्केटबॉल अकेडमी टीम ने*

अंडर 14 राज्य स्तरीय बास्केटबॉल का खिताब जीता जेसलमेर बास्केटबॉल अकेडमी टीम ने



जेसलमेर अलवर में चल रही राज्य स्तरीय अंडर 14 बास्केटबॉल प्रतियोगिता आज जैसलमेर बास्केटबॉल अकेडमी टीम ने सीकर को 45-18 के बड़े और एक तरफ अंतर से हराकर खिताबी जीत दर्ज कर ली।।बास्केटबॉल अकेडमी निदेशके लक्ष्मण सिंह तंवर और जिला खेल अधिकारी,प्रशिक्षक राकेश विश्नोई ने बताया कि बास्केटबॉल की टीम प्रशिक्षक मनीष तँवर के नेतृत्व में अलवर भाग लेने गई थी जंहा टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन कर सभी मैच जीते। आज फाइनल मुकाबले में सीकर को करारी मात देकर खिताबी जीत हासिल की। केबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद ,विधायक रूपाराम धनदे ,जिल कलेक्टर ने मेहता ,पुलिस अधीक्षक डॉ किरण कंग ,जिल प्रमुख अंजना मेघवाल ,प्रधान अमरदीन फकीर ,पूर्व सभापति अशोक तंवर ने जैसलमेर टीम को खिताबी जीत पर बधाईयां दी 

जैसलमेर पुलिस अधीक्षक डॉ किरन कंग द्वारा लूट एवं हत्या के मुल्जिमो को दस्तयाब कराने में सराहनीय कार्य करने पर सम्मानित*

 जैसलमेर पुलिस अधीक्षक डॉ किरन कंग द्वारा लूट एवं हत्या के मुल्जिमो को दस्तयाब कराने में सराहनीय कार्य करने पर सम्मानित*


*जैसलमेर जिला पुलिस अधीक्षक जैसलमेर डॉ किरन कंग द्वारा जैसलमेर जिले में कुछ दिन पूर्व तनोट रोड पर पुलिस थाना रामगढ़ अन्तर्गत टैक्सी लूट व हत्या के मामले में मात्र 6 घंटे में अपराधियों को पकड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाने वाले बहादुर पुलिस अधिकारियों / कर्मचारियों को सम्मानित किया गया। जिसमे थानाधिकारी पुलिस थाना लाठी ओमप्रकाश एवं कानि दीपक तथा प्रभारी पुलिस चौकी नेहड़ाई हैड कानि हरिराम एवं कानि खीमाराम, श्यामसिंह व बिरमाराम  प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते हुए आईन्दा हौसला अफजाई की गई तथा हार्दिक बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी।

इसके साथ-साथ पुलिस अधिकारियों द्वारा उक्त मुल्जिमानों को दस्तयाब करवाने में गाँव नेहड़ाई के निवासी मनोहर बीरा, लीलुसिंह, दिलीप मोहता एवं  रमेश बीरा अपने-अपने साधनों से सहायता की जिसके लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा उनके उक्त कार्य की सराहना करते हुए आईन्दा सम्मानित करने की बात कही।उन्होंने पुलिस थाना लाठी व पुलिस चौकी नेहड़ाई के जवानों को सम्मानित  किया। 

कोटा कसेरा ने किया जिला कलेक्टर पद भार ग्रहण

कोटा कसेरा ने किया जिला कलेक्टर  पद भार ग्रहण 

कोटा आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश कसेरा ने आज कोटा कलेक्टर पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने कहा, ज्वॉइन करने के बाद पहली प्राथमिकता बाढ़ पीडि़तों का पुनर्वास करना है और उनकी कैसे आर्थिक मदद हो सकती है, इसकी योजना पर कार्य करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय दशहरा मेले का आयोजन सुनियोजित तरीके से करना है। इसके साथ ही कोटा में रह रहे लाखों विद्यार्थियों को तनावमुक्त माहौल देने का प्रयास करेंगे। आईएएस ओम प्रकाश कसेरा ने बताया कि वे हाड़ौती से परिचित हैंए पहले वे बारां उप जिला कलेक्टर के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री और नगरीय विकास मंत्री ने शहर के लिए जो विजन देखा है, उसे पूरा करने में हर संभव प्रयास करेंगे।

जैसलमेर शोषित महिलाओ की सहायता के लिए संचालित सखी केंद्र में जमकर अनियमितताएं, जिम्मेदार चुप

जैसलमेर शोषित महिलाओ की सहायता के लिए संचालित सखी केंद्र  में जमकर अनियमितताएं, जिम्मेदार चुप 

जैसलमेर

 गत साल से महिला अधिकारिता विभाग जैसलमेर द्वारा संचालित सखी में जमकर अनियमितताए बरती जा रही हैं ,विभागीय नोटिसों के बाद भी इसमें कोई सुधार  नहीं कर रहे संचालक संस्था ,इन केन्द्रों में मेडिकल, कानूनी, मानसिक-सामाजिक तथा अस्थायी आवास की सहायता प्रदान की जाती है,इस केंद्र पर बारह पद स्वीकृत हैं ,इन पदों पर मानव संसाधन लगाने के लिए संस्था को निविदा दे रखी हैं ,अफसोसजनक स्थति हे की मानदेय तो हर महीने उठाया जा रहा हे मगर केंद्र पर कोई कर्मचारी उपस्थित नहीं रहता,चूँकि केंद्र शोषित महिलाओ के सहायता के लिए हैं तो इन केन्द्रो पर नियमानुसार समस्त स्टाफ महिलाए लगाना  अनिवार्य मगर वर्तमान में सिर्फ एक चौकीदार के भरोसे यह केंद्र दो चार घंटे के लिए ही खुलता हैं ,खुद बाल विकास परियोजना अधिकारी ने तीन चार विजिट की मगर उन्हें भी कोई कर्मचारी केंद्र पर नहीं मिला ,जबकि यह केंद्र चौबीस घंटे खुला रहना होता हैं ,जवाहर चिकित्सालय परिसर में संचालित इस केंद्र में संचालको द्वारा जमकर अनियमितताएं बरती गयी ,सूत्रों के अनुसार महिला बाल विकास विभाग के कार्मिको द्वारा संचालक संस्था से संत गांठ कर अपने परिवार कीमहिलाओँ को बिना निर्धारित योग्यता के केंद्र में नियुक्तियां दिला दी ,ये महिलाए कभी केंद्र पर नहीं आती ,संस्था द्वारा नियम विरुद्ध एक पुरुष चौकीदार लगाया हुआ हे.दो दिन पहले महिला आयोग की सदस्य की विजिट के दौरान भी तीन पुरुष स्टाफ ही उपस्थित मिला ,आश्चर्यजनक पहलु हे की केंद्र संचालन में खामिया और लापरवाही ,अनियमितताएं सामने आने के बावजूद जिम्मेदार  न केवल कार्यवाही करने से बच रहेहे अपितु पुनः इसी संस्था को काम देने की तयारी में हैं ,जबकि खुद बाल विकास परियोजना अधिकारी संस्था के कार्य से असंतुष्ट हे जिसकी टिपण्णी नोट शीट पर भी की हैं ,कहने   यह केंद्र शारीरिक, यौन, मानसिक, मनोवैज्ञानिक तथा आर्थिक शोषण से पीड़ित महिलाओं की सहायता करते हैं।मगर इस केंद्र पर कभी योग्यताधारी महिलाओ को नियुक्ति दी ही नहीं गयी ,कार्मिको ने अपने लोग लगाकर योजना की मिटटी पलीद कर दी। नियमानुसार केंद्र में शोषित महिलाओं को एक ही छत के नीचे में मेडिकल, कानूनी, मानसिक-सामाजिक तथा अस्थायी आवास की सहायता उपलब्ध करवाना होता हैं मगर जैसलमेर केंद्र पर महज खाना पूर्ति हो रही हैं ,पीड़ित शोषित महिलाओं को सिर्फ निराशा हाथ लगती हैं ,जबकि जैसलमेर में हर दूसरे दिन बाल कल्याण समिति के माध्यम से शोषित महिलाओ ,बालिकाओ के प्रकरण सामने आ रहे हैं ,खासकर पोक्सो एक्ट के ,मगर पीड़ितों को इस केंद्र से कोई सहायता नहीं मिलती

जिला कलेक्टर द्वारा भी सखी केंद्र में अनियमितताओं पर नाराजगी व्यक्त की गयी थी ,बाल विकास परियोजना अधिकारी राजेंद्र चौधरी ने बताया की सखी केंद्र के निरीक्षण में सामने आया था की सिर्फ एक चौकीदार कार्यरत हे बाकि स्टाफ की आता नहीं , संबंधित संस्था को नोटिस जारी किये थे ,नोटिस के जवाब आये नहीं   ,ऐसे में दो माह से इनका भुगतान रोक रखा हैं ,इसमें लगे कर्मचारी भी विभाग के कार्मिको के रिश्तेदार थे उन लोगो को हटा दिया गया था ,नए स्तर की निविदाए हो गई हैं ,इसी संस्था की दर कम आने के कार्य आवंटन फ़िलहाल इनकी अनियमितताओं को देख कर रोका गया हैं ,योग्य संस्था को ही कार्य आवंटन किया जायेगा। सखी केंद्र संचालन से हम संतुष्ट नहीं हैं


मंगलवार, 24 सितंबर 2019

अंशदीप होंगे बाडमेर के नए कलेक्टर

अंशदीप होंगे बाडमेर के नए कलेक्टर


बाडमेर आईएएस 2013 बेच के अंशदीप बाडमेर के नए कलेक्टर होंगे।कार्मिक विभाग ने जारी किए आदेश।वर्तमान सीईओ ज़िला परिषद जोधपुर के पद पर कार्यरत है। इसी पद पर अलवर भी रह चुके है 

शरद चौधरी होंगे बाड़मेर के नए पुलिस अधीक्षक

 शरद चौधरी  होंगे बाड़मेर के नए पुलिस अधीक्षक 

आईपीएस शरद चौधरी बाड़मेर के नए पुलिस अधीक्षक होंगे,कार्मिक विभाग ने  आदेश ,पूर्व में भी शरद चौधरी के  हुए थे मगर बाद में उन्हें बदल दिया गया था