जोधपुर।राजस्थान के इस गांव में अगर लड़की कर दे कुंवारे लड़के की पिटाई, तो हो जाती है उसकी शादी!
हमारे देश में कई तरह की मान्यताएं मानी जाती हैं। यूं कहे कि दुनिया में सबसे ज्यादा मान्यताएं हमारे देश में ही हैं तो ये गलत नहीं होगा। आज हम आपको राजस्थान के मारवाड़ प्रांत खासकर जोधपुर में मनाएं जाने वाले एक खास उत्सव के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी मान्यताओं के अनुसार लड़किया कुंवारे लड़कों को पीटती है। अगर लड़की का डंडा किसी लड़के को लग जाता है तो उसकी शादी होना पक्का समझा जाता है। इस उत्सव का नाम "धींगा गवर" है।
ऐसे में धींगा गवर की पूजा करने वाली सुहागिनें अपने हाथ में बेंत या डंडा ले कर आधी रात के बाद गवर के साथ निकलती हैं। वे पूरे रास्ते गीत गाती हुई और बेंत लेकर उसे फटकारती हुई चलती रहती हैं। बताया जाता है कि महिलाएं डंडा फटकारती हैं ताकि पुरुष सावधान हो जाए और गवर के दर्शन करने की बजाय किसी गली, घर या चबूतरी की ओट लेकर छुप जाए। कालांतर में यह मान्यता स्थापित हुई कि जिस युवा पर बेंत (डंडा) की मार पड़ती उसका जल्दी ही विवाह हो जाता। इसी परंपरा के चलते युवा वर्ग इस मेले का अभिन्न हिस्सा बन गया है।
धींगा गवर की पूजा विशेष रूप से मारवाड़ क्षेत्र में ही की जाती है। जोधपुर, नागौर और बीकानेर में धींगा गवर का उत्सव मनाया जाता है। ऐेतिहासिक तथ्यों के अनुसार ईसर एवं गवर शिव और पार्वती के प्रतीक हैं, जबकि धींगा गवर को ईसर की दूसरी पत्नी के रूप में मान्यता मिली हुई है।
किवदंती के अनुसार धींगा गवर मौलिक रूप से एक भीलणी थी, जिसके पति का निधन उसकी यौवनावस्था में ही हो गया था और वो ईसर के नाते आ गई थी। इसलिए धींगा गवर चूंकि विधवा हो गई और उसे ईश्वर की कृपा से पुनः ईसर जैसे पति मिल गए, इसी तथ्य के मद्देनजर विधवाओं को भी इस त्योहार पर पूजन करने की छूट मिल गई थी।