रविवार, 27 नवंबर 2016

हनुमानगढ़ चोरों की ऐसी "लीला" गिनीज रिकॉर्ड में भी नहीं



हनुमानगढ़ चोरों की ऐसी "लीला" गिनीज रिकॉर्ड में भी नहीं
चोरों की ऐसी

अच्छे रिकॉर्ड बनते हैं तो सबको सुहाते हैं। मगर कई दफा अनचाहे रिकॉर्ड भी बन जाते हैं। संगरिया विधायक तथा पूर्व मंत्री के गांव लीलांवाली में चोरों ने ऐसी लीला दिखाई है कि एक रिकॉर्ड सा बन गया है। 'गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्डÓ में भी शायद चोर-उच्चकों की ऐसी कारस्तानी दर्ज नहीं होगी, जैसी लीलांवाली में चोरों ने की है। एसबीआई शाखा में चार दिशाओं से अलग-अलग दफा चोर घुस चुके हैं। मानो किसी ने चारों दिशाओं से बैंक में घुसने की शर्त लगा रखी हो। इस बैंक शाखा में पिछले तीन साल में पांच बार चोरी व चोरी की कोशिश हो चुकी है।

मजेदार तथ्य तो यह है कि चोरों के आगे पुलिस भी पस्त दिख रही है। अब तक एक भी वारदात का सीधा खुलासा पुलिस नहीं कर सकी है। चोरीशुदा सामान की बरामदगी की तो बात ही छोडि़ए। पुलिस की ढिलाई और चोरों की दबंगई का नतीजा यह है कि बैंक प्रबंधन ने शाखा ही उठाकर अन्यत्र ले जाने का फैसला कर लिया है।

गांव के घनी आबादी इलाके में बैंक शाखा शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। चोरों के आगे यह बेबसी पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। गांव के चौपाल में भी चोरी की वारदातों का खूब जिक्र होता है। ग्रामीण इन पर रोक की मांग करते हैं। इसके लिए पुलिस से सख्त एक्शन की उम्मीद जताते हैं।

हर दिशा से

लीलांवाली स्थित एसबीआई शाखा में पिछले तीन साल में पांच तथा इस साल तीन दफा चोर घुस चुके हैं। अब तक चोर बैंक के पीछे, दाएं व बाएं तरफ से पाड़ लगाकर व जंगला काटकर घुस चुके हैं। मुख्य दरवाजे से अभी तक ऐसी वारदात नहीं हुई थी। मगर 16 नवम्बर को तीन अज्ञात चोर शटर काटकर चौथी दिशा से भी बैंक में घुस गए। साथ ही पुलिस को भी एक तरफ की चुनौती पेश कर दी।

फुटेज में दिखे चोर

बैंक शाखा में आठ कैमरे लगे हैं, जिनमें नाइट विजन है। अज्ञात चोरों ने 16 नवम्बर की रात सामने की लाइट बंद कर शटर काटा। वे कैमरे को नहीं देख पाए। तीन चोरों में से एक का थोड़ा चेहरा फुटेज में दिखा। पुलिस हमेशा की तरह गंभीरता से पड़ताल का दावा कर रही है। देखना है कि इसके परिणाम कब व कैसे आते हैं।

प्रहरी फिर भी नहीं

इतनी दफा चोरों के धावे के बावजूद बैंक प्रबंधन भी ढील बरत रहा है। शाखा में रात्रि के समय किसी गार्ड की ड्यूटी नहीं लगाई जा रही। जबकि वारदातों के दृष्टिगत यह ऐसा जरूरी है। इससे सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा।

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