झालावाड़ जिला शिक्षा अधिकारी ने छुट्टी के दिन वापस लिया बेतुका फरमान, शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों की फोटो वाट्सअप पर डालने की बाध्यता हटाई
(प्रतीकात्मक चित्र)
शिक्षकों को अब खुले में शौच करने वालों की फोटो वाट्सअप पर डालने की अनिवार्यता हटाई:
— झालावाड़ जिला शिक्षा अधिकारी ने रविवार को छृट्टी के दिन जारी किए संशोधित आदेश
— संशोधित आदेशों में कहा, वाट्सअप पर फोटो डालने के आदेश गलती से जारी हो गए
— 3 जून के आदेश में कहा था, शिक्षक हर दिन सुबह पांच बजे ड्यूटी पर आएं, खुले में शौच करने वालों के फोटो अनिवार्य रूप से वाट्सअप पर डालें
— अब संशोधित आदेशसों में आदेश की भाषा में आई नरमी, कहा, शिक्षक अभिभावक—छात्रों के संपक में रहते हैं, लिहाजा समझाएं
— सप्ताह में केवल दो—तीन दिन ही तहसीलदार पटवारी के साथ रहना है, सभी पंचायतों में नहीं चुनिंदा पंचायतों में ही निगरानी करनी है
जयपुर। शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों की रोज सुबह पांच बजे से निगरानी करने और वाट्सअप पर फोटो डालने का बेतुका फरमान झालावाड़ के जिला शिक्षा अधिकारी ने वापस ले लिया है। बेतुके फरमान की खबर चलने और शिक्षकों में रोष के बाद रविवार को छुट्टी के दिन ही झालावाड़ के जिला शिक्षा अधिकारी ने संशोधित आदेश जारी किए। संशोधित आदेश में जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि शिक्षकों को खुले में शौच करने वालों के फोटो वाट्सअप पर डालने के आदेश गलती से जारी हो गए हैं।
(डीईओ द्वारा जारी किए गए अजीबों गरीब आदेश की कॉपी)
आदेशों मेें कहा गया है कि खुले में शौच करने से रोकने की की निगरानी तहसीलदार, एसडीएम के साथ करनी है, अकेले शिक्षकों को निगरानी नहीं करनी है। यह काम रोज नहीं करके सप्ताह में दो तीन दिन ही करना है और इसमें तहसीलदार, पटवारी साथ रहेंगे, शिक्षकों को तो उनका केवल सहयोग करना हे। साथ ही खुले में शौच करने वालों को समझाइश का काम चुनिंदा पंचायतों में ही करना है।
(इस संशोधित आदेश में डीईओ ने कहा कि वाट्सअप पर फोटो डालने के आदेश गलती से जारी हो गए)
3 जून को जारी आदेश की भाषा और रविवार 5 जून को जारी संशोधित आदेश की भाषा में फर्क साफ देखा जा सकता है। 3 जून को जारी आदेशों में तो शिक्षकों को साफ आदेश दिए गए थे कि वे सुबह पांच बजे ड्यूटी पर आ जाएं, और खुले में शौच करने वालों की फोटो वाट्सअप ग्रुप पर अनिवार्य रूप से डालें। अब जारी संशोधित आदेश में तो पूरी भाषा ही बदल गई है। संशोधित आदेशों में कहा गया है कि शिक्षक छात्र और अभिभावकों से ज्यादा संपर्क में रहते हैं इसलिए वे खुले में शौच नहीं करने के लिए बेहतर तरीके से समझज्ञइश कर सकते हैं।