बाड़मेर। चिकित्सा महकमा ही नि:शुल्क बांट रहा नशा!
बाड़मेर। राज्य सरकार की कुछ नि:शुल्क दवाएं अब नि:शुल्क नशा बनती जा रही है। डोडा-पोस्त और नशा छोडऩे वाले इसे लत के रूप में लेने लगे हैं। बाड़मेर जिले में वर्ष 2011-12 में सरकारी चिकित्सालयों में महज 66 हजार दर्दनिवारक गोलियां ही उपयोग में ली गई थीं। वहीं अब हर महीने 60 हजार की खपत हो रही है। पांच साल में दस गुणा से ज्यादा बढ़ी इन दर्द निवारक गोलियों को चिकित्सक खुले हाथ से बांट रहे हैं और लोग अब नशे की तरह इसे लेने के आदी हो चुके हैं।
इसलिए बढ़ी खपत
डोडा-पोस्त का नशा छुड़वाने के लिए राज्य सरकार ने नि:शुल्क दवा के नाम पर दर्द निवारक गोलियां देना प्रारंभ किया। दिन में अधिकतम तीन गोली ही दी जानी हैं, लेकिन लंबे समय तक अफीम और डोडा-पोस्त ले रहे नशेडि़यों के लिए तीन गोलियों से दर्द नहीं छूट रहा। एेसे में वे इसकी डोज बढ़ा रहे हैं। स्थिति यह है कि अब इन नि:शुल्क दवा की 5 से 10 गोलियां खाने वालों की संख्या बढ़ रही है। चिकित्सक इन लोगों को लगातार यह दवाइयां उपलब्ध भी करवा रहे हैं।
खतरनाक है गोलियां
दर्द निवारक गोलियों के अधिक और लगातार सेवन करने से मानसिक रोग, चिड़चिड़ापन तो बढ़ेगा ही, साथ ही किडनी पर भी इनका असर हो सकता है। चिकित्सक मानते हैं कि इसका लगातार सेवन करने वाले को लत लगने के बाद ये टेबलट्स छोडऩे के लिए भी उन्हें दूसरी दर्द निवारक ही लेनी पड़ेगी।
मनोचिकित्सक नहीं
इस तरह गोलियां लेने वाले लोग मनोरोगी हो रहे हैं। इनके लिए एक मनो चिकित्सक की जरूरत है, जो नशा छोडऩे के साथ इन्हें लगातार प्रोत्साहित करे कि उन्हें कुछ नहीं होगा, वे नशा छोड़ सकते हैं। उनकी शंकाओं का भी समाधान करें। बाड़मेर जिले में अभी मनोचिकित्सक नहीं है।
चिकित्सकों को दी हिदायत
दर्द निवारक गोलियों की खपत लगातार बढ़ रही है। इसका उपयोग नशा करने वाले लोग कर रहे हैं एेसी जानकारी है। चिकित्सकों को हिदायत दी हुई है कि अधिकतम तीन टेबलेट्स ही दी जाए।
डॉ. सुनिल कुमारसिंह बिष्ट, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बाड़मेर
यूं बढ़ी खपत
वर्ष टेबलेट्स
2011-12 66000
2012-13 92330
2013-14 140220
2014-15 250950
2015-16 285850
2016-17 (अप्रेल व मई ) 116950
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