गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र है पटना का पटन देवी मंदिर



बिहार की राजधानी पटना में स्थित पटन देवी मंदिर शक्ति उपासना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. देवी भागवत और तंत्र चूड़ामणि के अनुसार, सती की दाहिनी जांघ यहीं गिरी थी. नवरात्र के दौरान यहां काफी भीड़ उमड़ती है. सती के 51 शक्तिपीठों में प्रमुख इस उपासना स्थल में माता की तीन स्वरूपों वाली प्रतिमाएं विराजित हैं. पटन देवी भी दो हैं- छोटी पटन देवी और बड़ी पटन देवी, दोनों के अलग-अलग मंदिर हैं.

पटना की नगर रक्षिका भगवती पटनेश्वरी हैं जो छोटी पटन देवी के नाम से भी जानी जाती हैं. यहां मंदिर परिसर में मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की स्वर्णाभूषणों, छत्र व चंवर के साथ विद्यमान हैं. लोग प्रत्येक मांगलिक कार्य के बाद यहां जरूर आते हैं.

इस मंदिर के पीछे एक बहुत बड़ा गड्ढा है, जिसे ‘पटनदेवी खंदा’ कहा जाता है. कहा जाता है कि यहीं से निकालकर देवी की तीन मूर्तियों को मंदिर में स्थापित किया गया था. वैसे तो यहां मां के भक्तों की प्रतिदिन भारी भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्र के प्रारंभ होते ही इस मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है.

पुजारी आचार्य अभिषेक अनंत द्विवेदी कहते हैं, ‘नवरात्र के दौरान महाष्टमी और नवमी को पटन देवी के दोनों मंदिरों में हजारों श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं.’ महासप्तमी को महानिशा पूजा, अष्टमी को महागौरी और नवमी को सिद्धिदात्री देवी के पूजन के बाद हवन और कुमारी पूजन में बड़ी भीड़ जुटती है. दशमी तिथि को अपराजिता पूजन, शस्त्र पूजन और शांति पूजन किया जाता है.

बड़ी पटन देवी मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि महादेव के तांडव के दौरान सती के शरीर के 51 खंड हुए. ये अंग जहां-जहां गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ स्थापित की गई. यहां सती की दाहिनी जांघ गिरी थी. गुलजार बाग इलाके में स्थित बड़ी पटन देवी मंदिर परिसर में काले पत्थर की बनी महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की प्रतिमा स्थापित हैं. इसके अलावा यहां भैरव की प्रतिमा भी है.

यहां के बुजुर्गों का कहना है कि सम्राट अशोक के शासनकाल में यह मंदिर काफी छोटा था. इस मंदिर की मूर्तियां सतयुग की बताई जाती हैं. मंदिर परिसर में ही योनिकुंड है, जिसके विषय में मान्यता है कि इसमें डाली जाने वाली हवन सामग्री भूगर्भ में चली जाती है. देवी को प्रतिदिन दिन में कच्ची और रात में पक्की भोज्य सामग्री का भोग लगता है. यहां प्राचीन काल से चली आ रही बलि की परंपरा आज भी विद्यमान है.

भक्तों की मान्यता है कि जो भक्त सच्चे दिल से यहां आकर मां की अराधना करते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. मंदिर के महंत विजय शंकर गिरि बताते हैं कि यहां वैदिक और तांत्रिक विधि से पूजा होती है.

वैदिक पूजा सार्वजनिक होती है, जबकि तांत्रिक पूजा मात्र आठ-दस मिनट की होती है. परंतु इस मौके पर विधान के अनुसार, भगवती का पट बंद रहता है. वे बताते हैं कि सती की यहां दाहिनी जांघ गिरी थी, इस कारण यह शक्तिपीठों में से एक है. वे कहते हैं कि यह मंदिर कालिक मंत्र की सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है.

गिरि कहते हैं कि नवरात्र में यहां महानिशा पूजा की बड़ी महत्ता है. जो व्यक्ति अर्धरात्रि के समय पूजा के बाद पट खुलते ही 2.30 बजे आरती होने के बाद मां के दर्शन करता है उसे साक्षात् भगवती का आशीर्वाद प्राप्त होता है.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/patan-devi-temple-patna-1-749706.html

युधिष्ठिर: क्या सच में धर्मराज?





युधिष्ठिर पाण्डु के पुत्र और पांच पाण्डवों में से सबसे बड़े भाई थे। महाभारत के नायकों में समुज्ज्वल चरित्र वाले ज्येष्ठ पाण्डव थे। युधिष्ठिर धर्मराज के पुत्र थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात हैं। अनेकानेक धर्म सम्बन्धी प्रश्न एवं उनके उत्तर युधिष्ठिर के मुख से महाभारत में कहलाये गये हैं। शान्तिपर्व में सम्पूर्ण समाजनीति, राजनीति तथा धर्मनीति युधिष्ठिर और भीष्म के संवाद के रूप में प्रस्तुत की गयी है।






युधिष्ठिर भाला चलाने में निपुण थे। वे कभी मिथ्या नहीं बोलते थे। उनके पिता ने यक्ष बन कर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। महाभारत युद्ध में धर्मराज युधिष्ठिर सात अक्षौहिणी सेना के स्वामी होकर कौरवों के साथ युद्ध करने को तैयार हुए थे, जबकि परम क्रोधी दुर्योधन ग्यारह अक्षौहिणी सेना का स्वामी था।






इनका जन्म धर्मराज के संयोग से कुंती के गर्भ द्वारा हुआ था। वयस्क होने पर इन्होंने कौरवों के साथ द्रोणाचार्य से धनुर्वेद सीखा। समय आने पर जब इनको युवराज-पद मिला तब इन्होंने अद्भुत धैर्य, दृढ़ता, सहनशीलता, नम्रता, दयालुता और प्राणिमात्र पर कृपा आदि गुणों का परिचय देते हुए प्रजा का पालन उत्तम रीति से किया। इसके पश्चात दुर्योधन आदि के षड्यंत्र से ये अपने भाइयों और माता समेत वारणावत भेज दिये गये।







उत्कोचक तीर्थ में पहुँचने पर पाण्डवों ने धौम्य मुनि को अपना पुरोहित बनाया। फिर ये लोग द्रुपद राजा की स्वयंवर-सभा में पहुँचे। वहाँ अर्जुन के लक्ष्यभेद करने पर द्रौपदी की प्राप्ति हुई। कुंती ने भिक्षा में मिली हुई वस्तु को देखे बिना ही आज्ञा दे कि पाँचों भाई बाँट लो। अंत में सब हाल मालूम होने पर कुंती बड़े असमंजस में पड़ीं। तब युधिष्ठिर ने कहा कि माता के मुँह से जो बात निकल गई है उसी को हम लोग मानेंगे।






वहाँ पर ये जिस भवन में ठहराये गये थे। वह भड़क उठने वाली वस्तुओं से बनाया गया था, अतएव उससे निकल भागने को इन्होंने गुप्त रीति से सुरंग खुदवाई और भवन में पुरोचन के आग लगाकर उस सुरंग की राह निकल भागे। फिर ये लोग व्यासजी के सलाह से एकचक्रा नगरी में जाकर रहने लगे। यह नगरी इटावा से 16 मील दक्षिण-पश्चिम में है। यहाँ रहते समय भीमसेन ने बक राक्षस को मारा था। यहाँ से दूसरे स्थान को जाते समय रास्ते में अंगारपर्ण गन्धर्वराज के साथ अर्जुन की मुठभेड़ हुई थी। अन्त में युधिष्ठिर की कृपा से, अंगारपर्ण को छुटकारा मिला था।उत्कोचक तीर्थ में पहुँचने पर पाण्डवों ने धौम्य मुनि को अपना पुरोहित बनाया। फिर ये लोग द्रुपद राजा की स्वयंवर-सभा में पहुँचे। वहाँ अर्जुन के लक्ष्यभेद करने पर द्रौपदी की प्राप्ति हुई। कुंती ने भिक्षा में मिली हुई वस्तु को देखे बिना ही आज्ञा दे कि पाँचों भाई बाँट लो। अंत में सब हाल मालूम होने पर कुंती बड़े असमंजस में पड़ीं। तब युधिष्ठिर ने कहा कि माता के मुँह से जो बात निकल गई है उसी को हम लोग मानेंगे।









विवाह हो चुकने पर पाण्डव लोग दुबारा हस्तिनापुर पहुँच गये। सदा धर्म के मार्ग पर चलने वाले धर्मराज युधिष्ठिर ने राजा शैव्य की पुत्री देविका को स्वयंवर में प्राप्त किया और उनसे विवाह किया था। पाण्डवों को खाण्डवप्रस्थ हिस्से में मिला। वहीं राजधानी बनाकर वे निवास करने लगे।





मय दानव बड़ा होशियार था। उसने अर्जुन के कहने से युधिष्ठिर के लिए राजधानी इन्द्रप्रस्थ में बड़ा सुन्दर सभा भवन बना दिया। इसके कुछ समय पीछे युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ करने का विचार किया। श्रीकृष्ण ने उनके इस संकल्प का अनुमोदन किया। इधर तो इन्द्रप्रस्थ में धूमधाम से यज्ञ की तैयारी की जाने लगी और उधर चारों भाई नाना देशों में जा-जाकर राजाओं से कर वसूल करने लगे। उनके लौट आने पर यज्ञ किया गया।






निमंत्रण पाकर प्रभृति कौरव भी यज्ञ में सम्मिलित हुए। ठीक समय पर ब्राह्मणों ने युधिष्ठिर को यज्ञ की दीक्षा दी। इस यज्ञ के उत्सव में उस समय के प्रायः सभी नरेश एकत्र हुए थे। यज्ञ में निमंत्रित होकर जाने वालों के ठहरने आदि के लिए अलग-अलग भवन बनाये गये थे। उन लोगों की खासी खातिर की गई और उन्हें यथायोग्य विदाई भी दी गई।






यज्ञ के अंत में भीष्म की सलाह से युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण को अर्घ्य दिया। इसके सिलसिले में चेदि-नरेश शिशुपाल से झगड़ा हो गया। उसे श्रीकृष्ण ने मार डाला। शुभ अवसर पर इसे अशुभ घटना कहना चाहिए। यज्ञ पूरा हो चुकने पर दुर्योधन आदि हस्तिनापुर लौट गये। वहाँ बेटों के मुँह से पाण्डवों के ऐश्वर्य का हाल सुनकर के मन में कुढ़न हुई।,,






अंत में दुर्योधन की बातों में आकर पाण्डवों को जुआ खेलने का प्रबन्ध किया। युधिष्ठिर को जुआ खेलना पसन्द नहीं था किंतु बुलाये जाने पर न जाना नियम-विरुद्ध समझकर वे उस व्यसन में लिप्त हो गये। इस जुए ने उनको कहीं का न रखा। एक-एक करके वे अपनी सब वस्तुएँ खो बैठे। हाथ में कुछ न रह जाने पर वे अपने चारों भाइयों को, अपने को और द्रौपदी को भी, दाँव में लगाकर, हार गये। इस सिलसिले में द्रौपदी तक की धर्षणा की गई।






अंत में धृतराष्ट्र ने आगा-पीछा सोचकर पाण्डवों को, उनकी सम्पत्ति देकर, और समझा-बुझाकर विदा कर दिया। किंतु इस व्यवस्था को दुर्योधन आदि ने ठीक न समझा। युधिष्ठिर दुबारा जुआ खेलने को बुला भेजे गये। वे भी सब कुछ जान-बूझकर लौट आये। इस बार शर्त यह लगाई गई कि हारने वाला बारह वर्ष तक वनवास करके एक वर्ष अज्ञातवास करे और यदि अज्ञातवास में उसका पता लग जाय तो दुबारा यहीं सिलसिला शुरू हो।



कहना अनावश्यक है कि जुए में पाण्डवों की हार हुई। मृगछाला पहनकर पाण्डव, द्रौपदी के साथ, वनवास करने गये। वहाँ पर उनके रिश्तेदार मिलने-भेंटने को अक्सर जाते थे। पाण्डवों ने वन में बारह वर्ष बिता दिये। वन के क्लेशों से ऊबकर द्रौपदी ने युधिष्ठिर को कौरवों से बदला लेने के लिए बहुत उभाड़ा परंतु उन्होंने तरह-तरह से उपदेश देकर द्रौपदी को समझाया और अवसर की प्रतीक्षा करने के लिए कहा।






वनवास के समय महर्षि धौम्य इन लोंगो के साथ ही थे। वहाँ पर जो ऋषि-मुनि और साधु-महात्मा पाण्डवों से मिलने आते थे उनके उपदेश से युधिष्ठिर आदि ने अनेक तीर्थों की यात्रा की। वनवास की अवधि में ही अर्जुन, अस्त्रों की प्राप्ति के लिए, तपस्या करने गये।






एक बार वन घूमते-फिरते भीमसेन एक अजगर के शिकंजे में फँस गये। उनके लौटने में बहुत देर होने पर युधिष्ठिर पता लगाने को निकले तो उनको अजगर की लपेट में पाया। युधिष्ठिर ने अजगर से भीमसेन को छोड़ देने के लिए प्रार्थना की तो उसने कहा कि यदि मेरे प्रश्नों का ठीक-ठीक उत्तर दे दोगे तो छोड़ दूँगा। युधिष्ठिर सहमत हो गये। अजगर ने युधिष्ठिर से धर्म तथा समाज-नीति के संबंध में बहुतेरे प्रश्न किये। उन सबका ठीक-ठीक उत्तर पाकर अजगर ने भीमसेन को छोड़ दिया।









एक बार मार्कण्डेयजी ने भी कृपा करके पाण्डवों को दर्शन और उपदेशों के द्वारा कृतार्थ किया था। पाण्डवों के वनवास का समाचार दुर्योधन को मिलता रहता था। वह कर्ण और शकुनि आदि के कहने से, उन लोगों के साथ, वन में पाण्डवों को सताने की इच्छा से पहुँचा। किंतु दैवयोग से ऐसी घटना हो गई जिसमें उसे लेने के देने पड़ गये।

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

बहन का अश्लील विडियो बनाया, मामाला दर्ज

कानपुर
नवाबगंज एरिया में बुआ के घर पढ़ने आए एक युवक ने बुआ की लड़की का अश्लील विडियो बना लिया। विडियो को वह इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी देकर रुपये मांग रहा था। कई बार समझाने के बाद भी जब कोई रास्ता नहीं निकला तो परिजनों ने नवाबगंज थाने में घटना की एफआईआर दर्ज कराई। कार्यवाहक थाना इंचार्ज के मुताबिक, रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। आरोपी अब तक पकड़ से बाहर है।
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जानकारी के मुताबिक, लखीमपुर का नितिन बाजपेयी (24) ग्रैजुएशन करने कानपुर आया था। यहां वह नवाबगंज एरिया में अपनी बुआ के घर रहता था। बुआ के यहां बाकी फैमिली के अलावा उनकी बेटी रुचि (बदला हुआ नाम) भी थी, जो बीएससी कर रही थी। भाई-बहन में दोस्ती होने के बाद नितिन ने इसका नाजायज फायदा उठाया और मोबाइल की मदद से बहन का अश्लील विडियो बना लिया। पढ़ाई पूरी करने के बाद नितिन घर लौट गया और बहन को विडियो की बात बताई तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। आए दिन वह विडियो इंटरनेट पर अपलोड करने की धमकी देता था।

युवती ने बात फैमिली के लोगों को बताई तो उन्होंने नितिन को काफी समझाया, लेकिन वह नहीं माना। वह बार-बार विडियो सर्कुलेट करने की धमकी देता था। इसके बाद परेशान परिजनों ने नवाबगंज थाने में बुधवार को घटना की एफआईआर दर्ज करा दी। कार्यवाहक थाना इंचार्ज के मुताबिक, आरोपी के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। उसकी गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

फेसबुक पर गे सिख की फोटो ने मचाई धूम

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए समलैंगिकता को अपराध करार देने वाली धारा 377 को बरकरार रखा हो, लेकिन इस फैसले के बाद देश सहित दुनियाभर में, खासकर भारतीय मूल के लोगों के बीच इसका विरोध शुरू हो गया। फेसबुक पर गे सिख की फोटो ने मचाई धूम
दुनियाभर के 30 देशों में रविवार को इस फैसले के खिलाफ "वैश्विक नाराजगी दिवस" मनाया गया। इस सबके बीच, कंवर अनित सिंह सैनी नामक सिख युवक द्वारा अपने फेसबुक पेज "सिख नॉलेज" पर डाली गई एक फोटो ने चंद घंटों में धूम मचा दी।

इस फोटो में सैनी एक अन्य युवक को किस कर रहे हैं। फोटो के डालते ही चंद घंटो में एक हजार से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया। हालांकि, फोटो पर आई ज्यादातर टिप्पणियों मे लोगों ने अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि उसने अपने धर्म के साथ धोखा किया है, जबकि कुछ लोगों ने उसका समर्थन किया है।

हालांकि, फेसबुक ने फोटो डालने के कुछ देर बाद हटाते हुए एक बयान जारी कर कहा कि ऎसी फोटोज हमारे नियमों और शर्तो का उल्लंघन करती है। यही नहीं, सैनी का अकाउंट 12 घंटे के लिए निलंबित कर दिया गया था।

हार नहीं मानते हुए सैनी ने यही फोटो अन्य सोशल नेटवर्किग साइट्स टि्वटर, इंस्टाग्राम और टमबलर पर डालते हुए फेसबुक की नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं।

कल जरूर चैक करें अपना फेसबुक अकाउंट

न्यूयार्क। अगर आप नियमित फेसबुक यूजर हैं और इस सोशल साईट की हर ताजा अपडेट को सबसे पहले देखना चाहते हैं, तो कल यानि की गुरूवार को अपना फेसबुक जरूर लॉग इन करें।कल जरूर चैक करें अपना फेसबुक अकाउंट
फेसबुक के अनुसार कम्पनी गुरूवार को एक नया प्रयोग करने जा रही है। इसके तहत फेसबुक की न्यूज फीड में वीडियो एडवरटाइजमेंट चुनिंदा यूजर्स को दिखाए जाएंगें।

कम्पनी के अनुसार ये वीडियो अपकमिंग मूवी "डाइवरजेंट" के टीजर के होंगें। यह फिल्म एक एडल्ट नोवल पर आधारित है, जिसे समिट एंटरटेंट ने बनाया है।

कैलिफोर्निया की मेनलो पार्क कम्पनी का कहना है कि फिलहाल वीडियो एड बेचे नहीं जा रहे हैं और कम्पनी को एड की प्राइसिंग का खुलासा करने की जल्दी नहीं है।

कम्पनी का वीडियो एड को टेस्ट करने का एक मकसद है, खास मौकों पर ज्यादा से ज्यादा यूजर्स तक पहुंचना। वीडियो एडवरटीजमेंट से फेसबुक का मुनाफा कई गुना बढ़ जाने का अनुमान है।


चाहो या ना चाहो, एड तो देखने पडेगें
फेसबुक के ये वीडियो एड मोबाइल फोन और पर्सनल कम्प्यूटर सभी प्लेटफार्म पर दिखाई देंगें। आप के पास केवल एक च्वॉइस है, आप फटाफट वीडियो नजरअंदाज कर आगे बढ़ सकते हैं। इसका मतलब यह भी है कि ये वीडियो ऑटोप्ले होंगे। हालांकि वीडियो साउंड तब तक नहीं चलेगा, जब तक कि आप वीडियो पर क्लिक नहीं करते।

मोबाइल डेटा पर क्या होगा असर
मोबाइल फोन पर फेसबुक यूज करने वाले यूजर्स को घबराने की जरूरत नहीं है। ये फेसबुक वीडियो वाई-फाई कनेक्शन पर ही चलेंगे। मतलब कि ये एड आपके मोबाइल डेटा को यूज नहीं करेंगें।

सितम्बर से हो रही टेस्टिंग
फेसबुक वीडियो एड की टेस्टिंग सितम्बर से कर रही है। हालांकि मंगलवार को ही कम्पनी ने इस योजना का खुलासा किया। बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इससे यूजर एक्सपीरियंस बेहद खराब होगा। बैकग्राउण्ड डाउनलोड बढ़ेगा। यूजर्स इस सोशल साईट से किनारा करन लगेंगें।

मुख्यमंत्री राजे ने जाने नि:शुल्क दवा और योजना के हाल

जयपुर। राज्य के सरकारी अस्पतालों में चलाई जा रही नि:शुल्क दवा और जांच योजना की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने समीक्षा की। राजे ने निशुल्क दवा व जांच योजना की जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से ली। विभाग के प्रमुख सचिव ने इन दोनों योजनाओं के बारे में एक घंटे तक विस्तार से मुख्यमंत्री को जानकारी दी। मुख्यमंत्री राजे ने जाने नि:शुल्क दवा और योजना के हाल
सूत्रों का कहना है कि योजना के फीडबैक के बाद हालांकि मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया अफसरों को नहीं दी लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इन दोनों योजनाओं को लेकर आने वाले दिनों में कोई बडा निर्णय सरकार कर सकती है।

गौरतलब है कि निशुल्क दवा व जांच योजना दोनों ही पिछली सरकार ने शुरू की थी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव दीपक उप्रेती से एक घंटे तक इन दोनों योजनाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने योजनाओं पर खर्च हो रहे बजट, दवाइयों आदि के बारे में जानकारी हासिल की। हालांकि उप्रेती ने मुख्यमंत्री राजे से हुई मुलाकात के ब्यौरे का खुलासा नहीं किया।

विधानसभा चुनाव में बना था मुद्दा
गौरतलब है कि प्रदेश में निशुल्क दवा व जांच को कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही चुनावी मुद्दा बनाया था। राजे की ओर से इन योजनाओं के संबंध में फीडबैक मांगे जाने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सरकार कोई नई व्यवस्था कर सकती है।

बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी





बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी

बाड़मेर: राजस्‍थान के थार मरुस्‍थल के सरहदी इलाकों में इन दिनों पाकिस्तान के सिंध सूबे के लोक गीत गूंज रहे हैं। इन लोक गीतों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़े प्रसंगों को फिल्माने के साथ संगीतबद्ध किया गया है।बेनजीर कि मौत के कई साल बाद भी इन अलबमों के प्रति दीवानगी सरहदी क्षेत्रो में देखि जा रही हें। पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर जिले के कई गाँवो के लोग बेनजीर भुट्टो से ख़ास लगाव रखते हें उनकी शहादत को आज भी इस अलबमों के जरिये सुनते हें।

थार और सिंध का पुराना नाता रहा है। इतना ही नहीं, रस्मों-रिवाज के साथ यहां की रवायतों में भी गहरा ताल्लुक रहा है। आपस में रिश्तेदारियां तो आज भी होती हैं। हां, इससे पहले लोकगीतों में अपने इलाके से जुड़े किस्से, रस्मों-रिवाजों का गुनगान होता था, लेकिन अब सिंधी लोक कलाकार अपने गीतों में भुट्टों के जीवन से जुड़े प्रसंगों को गुनगुना रहे है। इंटरनेट पर यूट्यूब के अलावा थार एक्सप्रेस में आने वाले यात्री अपने साथ मोबाइल चिप और पेन ड्राइव में ये गीत लेकर आ रहे हैं।

सिंध के लोक कलाकारों ने अपनी जुबां में गाए गीतों में भुट्टों को ‘चार सूबों की जंजीर, दुश्मनों के सीने में थी तीर’ बताया है। कलाकारों ने गाया है कि ‘या अल्लाह या रसूल बेनजीर बेकसूर।’ ‘आठ साल बाद रखा देश में कदम और कदम पर दुश्मनों ने रखा बम’ एक खास गीत है, जिसमें भुट्टों के पाकिस्तान छोड़ देने के आठ साल बाद पाकिस्तान आने और फिर उनकी हत्या के प्रसंग का उल्‍लेख किया गया है।

गीतों में बेनजीर को शहीद और सिंध की रानी बताते हुए उनके राजनैतिक दौरे, तीखे भाषण, समर्थकों की भीड़ और उनकी अपनी आवाज में ‘क्या मुल्क को बचाने में मेरा साथ दोगे’ जैसे तीखे तेवरों को दिखाया गया है। वीडियों में उनकी हत्या के फुटेज को भी दिखाया गया है। इस अलबम में एक गीत है- ‘सिन्ध की रानी हुई शहीद, घर-घर में कोहराम आया।’

इस विषय में बाड़मेर के लोकगीत म्‍यूजिक कंपोजर सत्तारभाई का कहना है, ‘थार-सिंध के लोक गीतों को पहले भी दोनों मुल्कों में सुना जाता था, लेकिन लोक कलाकारों की ओर से राजनेताओं के बारे में गीत और चित्रण अभी प्रचलन में आने के साथ ही हमजुबां होने से भी पंसद किए जा रहे हैं।’




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पकड़ा गया इंसानी खून का प्यासा "वेम्पायर"

बारां। जंगल में रहने वाला एक अधेड़ जिसे इंसान का खून ऎसा मुंह लगा कि इंसान से वह वेम्पायर(इंसानी खून का प्यासा) बन बैठा, जो इंसानी खून के लिए बेवजह लोगों की हत्याएं करने लगा। जी, हां। यह कोई फिल्मी फसाना नहीं राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीमावृती जंगल में रहने वाले 38 साल के करन सिंह की हकीकत है।
कथित तौर पर करन सिंह ने महज इंसानी खून के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश में बेगुनाह लोगों की हत्याएं की हैं। मंगलवार को मध्यप्रदेश की गुना जिला और राजस्थान की बांरा जिला पुलिस ने संयुक्त अभियान में नाहरगढ़ थाना क्षेत्र के जंगल से करन को हथियार(कुल्हाड़ी) के साथ गिरफ्तार कर लिया है।

डिंगडोली गांव का है करन

पुलिस अधीक्षक पीएस बिस्ट ने बुधवार को बताया कि 38 साल का करन सिंह को मंगलवार को बांरा जिले के बरडीगांव के जंगल से गिरफ्तार किया गया। वह गुना जिले के डिंगडोली गांव का निवासी है जो राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है।

6 दिसम्बर को हरीराम बाबा की हत्या

आरोपी ने हाल में दो लोगों की अलग-अलग घटनाओं में बेवजह उस समय हत्या कर दी जब वह अपने घरों पर सो रहे थे। आरोपी ने गुना जिले के फतेहगढ थाना क्षेत्र के रामपुरिया गांव में 6 दिसंबर की रात्रि में हरीराम बाबा नाम के व्यकित की उस समय सिर पर कुल्हाड़ी से प्रहार करके हत्या कर दी जब वह सो रहे थे। आरोपी का उनसे कोई विवाद या दुश्मनी नहीं थी।

फतेहगढ़ में भी कत्ल

इसी तरह की एक और घटना 13 और 14 दिसंबर की दरम्यानी रात्रि में फतेहगढ़ थाना क्षेत्र के सेमरा गांव में हुई। रामप्रसाद नाम के व्यकित की सोते समय कुल्हाड़ी से प्रहार करके हत्या की गई।

यूं शुरू हुआ तलाशी अभियान

दोनों घटनाएं एक सी प्र्रतीत होने पर आसपास के इलाकों में तलाशी अभियान छेड़ा गया। बताया गया है कि तलाशी के दौरान सेमरा के जंगल में एक पेड़ परमचान बनी हुई मिली। मचान पर एक बिस्तर और कंबल के साथतीन-चार कुल्हाड़ी भी मिलीं। इन वस्तुओं में से कुछ सामान हरीराम बाबा का था और उसके परिजनों ने सामान को पहचान लिया था। पड़ताल के बाद पता चला कि पेड़ पर बनी मचान पर आरोपी सोता था। आखिरकार उसे मंगलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों ही हत्याओं की आरोपी कोई वजह नहीं बता पाया।

विधानसभा चुनाव किसके खाते में गया 17 करोड़ का पेट्रोल खर्च ?

चुनाव आयोग को धत्ता या जानबूझ कर आँखे मूंद के बेठा आयोग

विधानसभा चुनाव किसके खाते में गया 17 करोड़ का पेट्रोल खर्च  ? 


सबलसिंह भाटी

बाड़मेर जिले में 3 दर्जन से ज्यादा पेट्रोल पम्पों से 5 नवम्बर से 1 दिसम्बर तक लगभग 15 करोड़ का पेट्रोल बिक गया है । ये सब कुछ पर्चियों के माध्यम से हुआ है. क्या इस पर चुनाव आयोग की नज़र नही पड़ी या फिर जानबूझ कर अनजान बने रहा।
चुनाव आयोग जो निष्पक्ष चुनाव का ढिढोरा पिट रहा है. उसको इसकी निष्पक्ष जाँच करा कर राजनीतिक पार्टियों के खाते में इसका खर्च भी डालना चाहिए। जो चुनावी उम्मीदवार 7 - 8 लाख में चुनाव लड़ने की बात चुनाव आयोग को बता रहे है , उसकी पोल खोलनी चाहिए। अभी चुनाव आयोग जो प्रत्यासियों द्वारा दिखाए गये खर्च को सही मान कर आम जनता की नज़र में बेवकूफ लग रहा है, जब आम जनता में भी ये मत है कि कोई भी चुनाव 5 - 8 करोड़ से कम नही लड़ा जा सकता, उसको चुनाव आयोग 12 - 13 लाख रुपियों में लड़ा गया मान कर अपनी जग हँसाई करा रहा है। अब भी वक्त है की चुनाव आयोग इसकी निष्पक्ष जाँच करा कर अपने को निष्पक्ष साबित कर सकता है। चुनाव आयोग कि आचार संहिता कि खुले आम धज्जिया उड़ी। चुनाव आयोग को शिकायते मिलने के बाद भी कार्यवाही न होना साबित करता हें कि आयोग सब कुछ जानकार भी अनजान बना हुआ हें। इन पेट्रोल पम्पो कि आयोग ऑडिट करले तो सच्चाई सामने आ जायेगी कि एक नंबर के पेट्रोल कि खपत दो नंबर में कैसे हुई। 

मेहता सालिमसिंह ने जैसलमेर के तीन राजकुमारों को मार डाला


मेहता सालिमसिंह ने जैसलमेर के तीन राजकुमारों को मार डाला

लेखक मोहन लाल गुप्ता 


जिस समय जोधपुर, जयपुर, मेवाड़ और बीकानेर आपस में संघर्षरत थे तथा मराठों और पिण्डारियों का शिकार बन रहे थे उस समय जैसलमेर का भाटी राज्य भयानक आंतरिक कलह में उलझा हुआ था। मरूस्थलीय एवं अनुपजाऊ क्षेत्र में स्थित होने के कारण मराठों और पिण्डारियों को इस राज्य में कोई रुचि नहीं थी। इस काल में एक ओर तो राज्य के दीवान और सामंतों के मध्य शक्ति परीक्षण चल रहा था दूसरी ओर जैसलमेर के शासक मूलराज द्वितीय का अपने ही पुत्र रायसिंह से वैर बंध गया था।


महारावल मूलराज ने मेहता टावरी (माहेश्वरी) स्वरूपसिंह को अपना दीवान नियुक्त किया। वह कुशाग्र बुद्धि वाला चतुर आदमी था। महारावल ने राज्य का सारा काम उसके भरोसे छोड़ दिया। जैसलमेर राज्य के सामंत लूटपाट करने के इतने आदी थे कि वे अपने ही राज्य के दूसरे सामंत के क्षेत्र में लूटपाट करने में नहीं हिचकिचाते थे। जब मेहता स्वरूपसिंह ने सामंतों को ऐसा करने से रोकने का प्रयास किया तो सामंत उसकी जान के दुश्मन बन गये। जब सामंतों ने स्वरूपसिंह के विरुद्ध शिकायत की तो महारावल ने स्वरूपसिंह के विरुद्ध कोई भी शिकायत सुनने से मना कर दिया। इस पर सामंतों ने महारावल के पुत्र राजकुमार रायसिंह को स्वरूपसिंह के विरुद्ध षड़यंत्र में शामिल कर लिया।


दीवान स्वरूपसिंह एक वेश्या पर आसक्त था परंतु वह वेश्या सामंत सरदारसिंह पर आसक्त थी। इससे स्वरूपसिंह खिन्न रहता था। अपनी खीझ निकालने के लिये उसने सरदारसिंह को बहुत तंग किया। सरदारसिंह ने युवराज रायसिंह से स्वरूपसिंह की शिकायत की। रायसिंह पहले से ही स्वरूपसिंह से रुष्ट था क्योंकि स्वरूपसिंह ने युवराज का दैनिक भत्ता कम कर दिया था।


युवराज को दीवान से रुष्ट जानकर, दीवान से असंतुष्ट सामंत, रायसिंह की शरण में आ गये तथा स्वरूपसिंह को पद से हटाने का षड़यंत्र करने लगे। 10 जनवरी 1784 को युवराज रायसिंह ने भरे दरबार में दीवान स्वरूपसिंह का सिर काट डाला। अपने पुत्र का यह दु:साहस देखकर महारावल रायसिंह दरबार छोड़कर भाग खड़ा हुआ और रनिवास में जाकर छुप गया। महारावल को इस प्रकार भयभीत देखकर सामंतों ने रायसिंह को सलाह दी कि वह महारावल की भी हत्या कर दे और स्वयं जैसलमेर के सिंहासन पर बैठ जाये।


युवराज ने पिता की हत्या करना उचित नहीं समझा किंतु सामंतों के दबाव में उसने महारावल को अंत:पुर में ही बंदी बनाकर राज्यकार्य अपने हाथ में ले लिया। अपने पिता के प्रति आदर भाव होने के कारण युवराज स्वयं राजगद्दी पर नहीं बैठा। लगभग तीन माह तक महारावल रनिवास में बंदी की तरह रहा। एक दिन अवसर पाकर महारावल के विश्वस्त सामंतों ने अंत:पुर पर आक्रमण कर दिया तथा महारावल मूलराज को मुक्त करवा लिया। महारावल को उसी समय फिर से राजगद्दी पर बैठाया गया। उस समय युवराज रायसिंह अपने महल में विश्राम कर रहा था। जब महारावल का दूत युवराज के राज्य से निष्कासन का पत्र लेकर युवराज के पास पहुँचा तो युवराज को स्थिति के पलट जाने का ज्ञान हुआ।


महारावल ने क्षत्रिय परम्परा के अनुसार राज्य से निष्कासित किये जाने वाले युवराज के लिये काले कपड़े, काली पगड़ी, काली म्यान, काली ढाल तथा काला घोड़ा भी भिजवाया। युवराज ने अपने पिता की आज्ञा को शिरोधार्य किया तथा काला वेश धारण कर अपने साथियों सहित चुपचाप राज्य से निकल गया। उसने जोधपुर के राजा विजयसिंह के यहाँ शरण प्राप्त की।


महारावल मूलराज ने फिर से राजगद्दी पर बैठकर पूर्व दीवान स्वरूपसिंह के 11 वर्षीय पुत्र सालिमसिंह को राज्य का दीवान बनाया। मेहता सालिमसिंह ने कुछ समय तक बड़ी शांति से राज्य कार्य का संचालन किया। जैसलमेर के इतिहास में मेहता सालिमसिंह का बड़ा नाम है। जैसे ही सालिमसिंह वयस्क हुआ, उसके और सामंत जोरावरसिंह के बीच शक्ति परीक्षण होने लगा। जोरावरसिंह ने ही महारावल को अंत:पुर से मुक्त करवाकर फिर से राजगद्दी पर बैठाया था किंतु सालिमसिंह ने महारावल से कहकर जोरावरसिंह को राज्य से निष्कासित करवा दिया। जोरावरसिंह युवराज रायसिंह के पास चला गया।

शिक्षक ने किया छात्रा से दुष्कर्म

भीलवाड़ा। सरकारी स्कूल के शिक्षक भवनेश कुमार उर्फ बबलू तोमर ने अपनी मां के निजी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा की अस्मत लूट ली। जान से मारने की धमकी देते हुए गत तीन माह से उसने पीडिता का यौन शोषण किया। गर्भपात से छात्रा की हालत बिगड़ने से घटना का खुलासा हुआ। मंगलवार को पुलिस ने आरोपी शिक्षक को हिरासत में ले लिया।

आसींद पुलिस उपाधीक्षक सौभाग्य सिंह ने बताया कि पंचायत समिति रोड स्थित शिशु ज्ञान केन्द की संचालिका सुनीता तोमर के पुत्र भवनेश कुमार उर्फ बबलू तोमर के खिलाफ आसींद निवासी पीडिता के पिता ने दुष्कर्म की रिपोर्ट दी। रिपोर्ट में बताया कि उसकी नाबालिग पुत्री कक्षा दसवीं की छात्रा है।

आरोपी ने ट्यूशन के बहाने तीन माह पूर्व स्कूल के प्रथम मंजिल स्थित कक्ष में उसके साथ जबरन दुष्र्कम किया। इसके बाद उससे दुष्कर्म करता रहा। इससे वो गर्भवती हो गई, आरोपी ने उसे गर्भपात की गोली दे दी। पांच दिन पूर्व परीक्षा के दौरान पीडिता की हालत बिगड़ गई और स्कूल में ही गर्भपात हो गया। गत दिनों लावारिस हालात में कस्बे में मिले भू्र्रण को लेकर पूर्व में ही प्रकरण दर्ज है। इसी प्रकरण में आरोपी को नामजद कर लिया है। आरोपी कांवलास स्थित राजकीय माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक है।

सेक्स रैकेट का भंडाफोड़, मॉडल अरेस्ट

हैदराबाद। आंध्रप्रदेश की राजधानी हैदराबाद में पश्चिम जोन कार्यबल के अधिकारियों ने एक सेक्स रैकेट का भंडाफोड़ करके दो दलालों, दक्षिण भारतीय सिनेमा के जूनियर कलाकार कोलकाता की दो और हैदराबाद की एक मॉडल तथा कुरनूल की कुछ लड़कियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने मंगलवार को बताया कि एक गुप्त सूचना के आधार पर शहर के लक्ष्मीनगर इलाके के एक अपार्टमेंट में सोमवार रात छापा मारकर जूनियर कलाकार और माडलों को गिरफ्तार किया। यह रैकेट वाई पूर्णचंद्र रेड्डी और उसका सहयोगी सुरेश चलाता था। सभी लड़कियों को नारी निकेतन भेज दिया गया।

हिन्दूपथ - राणा साँगा (1509-1528)

हिन्दूपथ - राणा साँगा (1509-1528)

महाराणा साँगा का जन्म 12 अप्रेल 1482 को तथा राज्याभिषेक 24 मई 1509 को हुआ। ये महाराणा कुंभा के पौत्र तथा महाराणा रायमल के पुत्र थे।

1518 मेँ राणा सांगा ने मालवा के शासक मोहम्मद खिलजी द्वितीय को गागरोण के युद्ध मेँ पराजित किया।

राणा साँगा ने 1518 मेँ खातोली युद्ध और 1519 मेँ बाङी के युद्ध मेँ इब्राहीम लोदी की मियाँ मक्कन की अगुवाई वाली सेना को पराजित किया।

खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 को हुआ था। महाराणा साँगा ने खानवा के युद्ध से पहले पाती परवन नामक राजपूती परंपरा के तहत राजस्थान के प्रत्येक सरदार व महाराणा को अपनी ओर से युद्ध मेँ शामिल होने का निमंत्रण दिया। साँगा अंतिम हिन्दू राजा था , जिसके सेनापतित्व मेँ सब राजपूत जातियाँ विदेशियोँ को भारत से निकालने के लिए सम्मिलित हुई। इसलिए सांगा को हिन्दूपथ/हिन्दुपात कहते है।

बाबर ने मुस्लिम सैनिकोँ की धार्मिक भावनाओँ को उत्तेजित करने हेतु खानवा व चन्देरी के युद्ध मेँ जिहाद का नारा दिया।

खानवा के युद्ध मेँ बाबर की विजय का प्रमुख कारण तोपखाना था। उसके तोपची का नाम मुस्तफा अली था।

खानवा के युद्ध के बाद घायल सांगा को बसवा(दौसा) मेँ लाया गया , अपने सरदारोँ द्वारा जहर दिये जाने के कारण राणा सांगा की मौत हुई। उनका अंतिम संस्कार यही पर किया गया।

सांगा का समाधि स्थल (छतरी) मांङलगढ मेँ है , जिसका निर्माण जगनेर के अशोक परमार ने करवाया था।

पत्नी को दहेज के लिए जिंदा जलाने का प्रयास

नागौर।मानवीयता को तार-तार कर देने वाली एक घटना में एक युवक ने दहेज की खातिर पत्नी को जिंदा जलाने का प्रयास किया। विवाहिता ने जैसे-तैसे आग बुझाई तो पति ने उसे रसोईघर में डालकर दरवाजा बंद कर दिया। चार दिन तक बंधक रहने के बाद घायलावस्था में विवाहिता भागकर अपने पीहर पहुंची। मंगलवार को विवाहिता का पिता उसे लेकर इलाज के लिए नागौर के राजकीय अस्पताल पहुंचा।

यहां पुलिस ने विवाहिता के बयान लेकर पति सहित ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना व जान से मारने के प्रयास का मामला दर्ज किया है। आरोपि पति फरार है।


पुलिस के अनुसार नागौर के तेलीवाड़ा निवासी रामपाल घांची की पत्नी बाया ने राजकीय अस्पताल में उपचार के दौरान पर्चा बयान देकर बताया कि ससुराल के लोगों द्वारा दहेज की मांग को लेकर प्रताडित करने पर वह अपने पति के साथ करणी कॉलोनी में किराए का मकान लेकर रह रही थी। ससुराल पक्ष के लोगों से अलग होने के बावजूद वे पति के माध्यम से उसे आए दिन प्रताडित करते थे।


गत 11 दिसम्बर की रात वह चाय बना रही थी, इस दौरान पति रामपाल ने उसके कपड़ों में आग लगा दी, जिससे उसके शरीर के कमर से नीचे का हिस्सा काफी जल गया। इसके बाद पति ने उपचार कराने की बजाए उसे रसोईघर में डालकर बाहर से दरवाजा बंद कर दिया। चार दिन बंद रहने के बाद वह 16 दिसम्बर की रात को जैसे-तैसे कर घर से निकली और अपने पीहर कुचेरा पहुंचकर परिजनों को आपबीती बताई।


मंगलवार को विवाहिता के पिता बालकिशन घांची उसे लेकर नागौर के राजकीय अस्पताल आया जहां चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। विवाहिता ने अपनी रिपोर्ट में पति के साथ ससूर छोटूराम, सास कमला, देवर कालूराम व बबलू तथा ननद पुष्पा के खिलाफ दहेज प्रताड़ना के मामले में आरोपी बनाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

पिता बोले- पहले भी दिए थे रूपए


विवाहिता के पिता बालकिशन घांची ने बताया कि उसका दामाद दहेज की मांग को लेकर उसकी बेटी को काफी समय से प्रताडित करता रहा है। इससे पहले उसने बेटी के जरिए दामाद को पांच हजार रूपए पहुंचाए थे। इसके बावजूद दामाद बार-बार मायके से रूपए लाने के लिए उसे प्रताडित करता था। विवाहिता के दो बच्चे हैं जिसमें एक 5 वर्ष का बेटा है जो उनके पास ननिहाल में रहता है जबकि एक दो वष्ाü की बेटी है। वह अपने माता-पिता के पास रहती है।

संतान नहीं होने पर विवाहिता की हत्या!

भीनमाल(जालोर)। नासोली गांव में शादी के आठ साल बाद भी संतान नहीं होने पर एक विवाहिता को सोमवार देर रात केरोसिन डालकर जलाने का मामला उजागर हुआ है। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सुपुर्द कर पति, ससुर, सास व ननद के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

पुलिस निरीक्षक भवानीसिंह ने बताया कि गुजरात के बनासकांठा जिले के वाव निवासी जगदीश पुत्र पूनमाराम लखारा ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसकी बहन अम्बा (28 ) की शादी आठ साल पूर्व नासोली निवासी शांतिलाल लखारा के साथ हुई थी। शादी के बाद संतान नहीं होने पर सोमवार रात पति शांतिलाल, ससुर बगदाराम, सास अणसीदेवी व ननद मंगलादेवी ने उसकी बहन को केरोसिन उड़ेलकर जला दिया। पुलिस ने चारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।