बुधवार, 18 दिसंबर 2013

हिन्दूपथ - राणा साँगा (1509-1528)

हिन्दूपथ - राणा साँगा (1509-1528)

महाराणा साँगा का जन्म 12 अप्रेल 1482 को तथा राज्याभिषेक 24 मई 1509 को हुआ। ये महाराणा कुंभा के पौत्र तथा महाराणा रायमल के पुत्र थे।

1518 मेँ राणा सांगा ने मालवा के शासक मोहम्मद खिलजी द्वितीय को गागरोण के युद्ध मेँ पराजित किया।

राणा साँगा ने 1518 मेँ खातोली युद्ध और 1519 मेँ बाङी के युद्ध मेँ इब्राहीम लोदी की मियाँ मक्कन की अगुवाई वाली सेना को पराजित किया।

खानवा का युद्ध 17 मार्च 1527 को हुआ था। महाराणा साँगा ने खानवा के युद्ध से पहले पाती परवन नामक राजपूती परंपरा के तहत राजस्थान के प्रत्येक सरदार व महाराणा को अपनी ओर से युद्ध मेँ शामिल होने का निमंत्रण दिया। साँगा अंतिम हिन्दू राजा था , जिसके सेनापतित्व मेँ सब राजपूत जातियाँ विदेशियोँ को भारत से निकालने के लिए सम्मिलित हुई। इसलिए सांगा को हिन्दूपथ/हिन्दुपात कहते है।

बाबर ने मुस्लिम सैनिकोँ की धार्मिक भावनाओँ को उत्तेजित करने हेतु खानवा व चन्देरी के युद्ध मेँ जिहाद का नारा दिया।

खानवा के युद्ध मेँ बाबर की विजय का प्रमुख कारण तोपखाना था। उसके तोपची का नाम मुस्तफा अली था।

खानवा के युद्ध के बाद घायल सांगा को बसवा(दौसा) मेँ लाया गया , अपने सरदारोँ द्वारा जहर दिये जाने के कारण राणा सांगा की मौत हुई। उनका अंतिम संस्कार यही पर किया गया।

सांगा का समाधि स्थल (छतरी) मांङलगढ मेँ है , जिसका निर्माण जगनेर के अशोक परमार ने करवाया था।

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