जयपुर। राज्य के सरकारी अस्पतालों में चलाई जा रही नि:शुल्क दवा और जांच योजना की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने समीक्षा की। राजे ने निशुल्क दवा व जांच योजना की जानकारी चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से ली। विभाग के प्रमुख सचिव ने इन दोनों योजनाओं के बारे में एक घंटे तक विस्तार से मुख्यमंत्री को जानकारी दी।
सूत्रों का कहना है कि योजना के फीडबैक के बाद हालांकि मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया अफसरों को नहीं दी लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इन दोनों योजनाओं को लेकर आने वाले दिनों में कोई बडा निर्णय सरकार कर सकती है।
गौरतलब है कि निशुल्क दवा व जांच योजना दोनों ही पिछली सरकार ने शुरू की थी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव दीपक उप्रेती से एक घंटे तक इन दोनों योजनाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने योजनाओं पर खर्च हो रहे बजट, दवाइयों आदि के बारे में जानकारी हासिल की। हालांकि उप्रेती ने मुख्यमंत्री राजे से हुई मुलाकात के ब्यौरे का खुलासा नहीं किया।
विधानसभा चुनाव में बना था मुद्दा
गौरतलब है कि प्रदेश में निशुल्क दवा व जांच को कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही चुनावी मुद्दा बनाया था। राजे की ओर से इन योजनाओं के संबंध में फीडबैक मांगे जाने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सरकार कोई नई व्यवस्था कर सकती है।
सूत्रों का कहना है कि योजना के फीडबैक के बाद हालांकि मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया अफसरों को नहीं दी लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इन दोनों योजनाओं को लेकर आने वाले दिनों में कोई बडा निर्णय सरकार कर सकती है।
गौरतलब है कि निशुल्क दवा व जांच योजना दोनों ही पिछली सरकार ने शुरू की थी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंगलवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव दीपक उप्रेती से एक घंटे तक इन दोनों योजनाओं की जानकारी ली। मुख्यमंत्री ने योजनाओं पर खर्च हो रहे बजट, दवाइयों आदि के बारे में जानकारी हासिल की। हालांकि उप्रेती ने मुख्यमंत्री राजे से हुई मुलाकात के ब्यौरे का खुलासा नहीं किया।
विधानसभा चुनाव में बना था मुद्दा
गौरतलब है कि प्रदेश में निशुल्क दवा व जांच को कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही चुनावी मुद्दा बनाया था। राजे की ओर से इन योजनाओं के संबंध में फीडबैक मांगे जाने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर सरकार कोई नई व्यवस्था कर सकती है।
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