सरहद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सरहद लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014

बाड़मेर भारत पाक सरहद दीयों की जगमगाहट से नहा उठी

बाड़मेर भारत पाक सरहद दीयों  की जगमगाहट से नहा उठी 

घर से हज़ारो मील दूर जवान सरहद पर मना  रहे दिवाळी 


बाड़मे भारत पाकिस्तान की पश्चिमी सरहद पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने सरहद पर स्थित तारबंदी के सहारे खुबसूरत दीप मालाएं सजा कर दीपावली की पूर्व संध्या पर जश्न मनाया। सरहद दीयो की जगमगाहट से नहा उठी।

अपने घरो से हज़ारो मील दूर बियाबान पाकिस्तान से सटी भारतीय सरहद की सुरक्षा में जुटे सीमा सुरक्षा बल के जवान आपस में मिलकर दीपो का त्यौहार धूमधाम से मना रहे हैं। पिछले दो दिनों से जवानो ने सरहद को दीयों की रौशनी से नहला रखा। धन  तेरस की रात से जवान प्रतिदिन रात को सरहद पर दीपक जला देश की खुशहाली की कामना कर रहे हैं। 

पश्चिमी राजस्थान की करीब एक हज़ार किलोमीटर से अधिक लम्बी सरहद दीपो की जगमगाहट से बेहद खूबसूरत नज़र आ रही हैं। जवान करीब शाम सात बजे से ही दीप  जलने में जुट जाते हैं   ,फिर शुरू होता हे नाच गानो के साथ जश्न 

अपने परिवारो से दूर सरहद की सुरक्षा में जुटे जवानो को थोड़ा अफ़सोस हे इस पावन पर्व पर वो अपने परिवार के साथ नहीं हे मगर सरहद पर सभी जवान एक साथ मिलकर परिवार की तरह दीपावली मानाने की तयारी पूर्ण कर ली हे। इस बार जवान धूमधड़ाके के साथ दीवाली मनाएंगे 

सोमवार, 21 जुलाई 2014

सरहद पर ईद को मीठा करने के लिए सेंवइयाँ बनाने में जुटे मुस्लिम परिवार

ईद का मतलब लज़ीज़ सेवईंयों से भी है. सेवईंयां पकाने के कई तरीक़े तो आप भी जानते होंगे, लेकिन ये सेवईंयां बनती कैसे है..



ईद में मिठास घोले सेवईंयां

ईद में मिठास घोले सेवईंयां




 ईद में मिठास घोले सेवईंयां


 ईद में मिठास घोले सेवईंयां



 ईद में मिठास घोले सेवईंयां



ईद में मिठास घोले सेवईंयां 
 सरहद पर ईद को मीठा करने के लिए सेंवइयाँ बनाने में जुटे मुस्लिम परिवार 

रमजान के मुबारक महीने को लेकर सरहदी क्षेत्रो में जबरदस्त उत्साह हैं। ईद की तैयारियों को  परिवार अभी से जुट गए हैं। मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रो में घर घर में सामूहिक रूप से सेंवइया बनाने का काम चल रहा हैं। घर की महिलाए सामूहिक रूप से आते की सेंवइयाँ बनाने  जुटी हैं ,ईद को मीठी करने के लिए घर घर में इसे बनाया जा रहा हैं ,ईद वाले दिन सेंवइयो से खीर बनाई जाएगी तो सुखी सेंवइया भी देशी घी में बना कर परोसी जाएगी ,ईद से पहले सेंवइयाँ बनाने के परंपरा बहुत पुरानी हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। कहने को इन पर भी आधुनिकता का रंग चढ़ा हैं। शहरी क्षेत्रो के पढ़े लिखे लोग बाजार से तैयार सेंवइयाँ अमूमन ले आते हैं मगर ग्रामीण इलाको में  घर पर बनाया जाता हैं। सरहदी गांव मीठे का टला में  महिलाए सेंवइयाँ बनाने में जुटी थी ,केसर ने बताया की हर साल ईद से पहले घर में सेंवइयाँ बनाते हैं ,यह गेंहू और मैदा के आते से बनती हैं ,इसके बनाने से घर में बरकत आती हैं ,पुरे गांव की महिलाए एक दूसरे के परिवार में सेंवइयाँ बनाने में मदद करती हैं। पूर्व में ईद और रक्षा बंधन का पर्व आस पास होने के कारन हिन्दू परिवारो में भी चाव के साथ सेंवइयाँ बनाई जाती थी ,मगर अब हिन्दू परिवारो में धीरे धीरे रुझान काम हो गया हैं। सेंवइयाँ खाने में बहुत स्वादिष्ट होती। हैं  



गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

बाड़मेर सरहद सुरक्षा में सुराख। । फिर पकड़ा गया पाक नागरिक


बाड़मेर सरहद सुरक्षा में सुराख। । फिर पकड़ा गया पाक नागरिक

बाड़मेर भारत पाकिस्तान कि बाड़मेर जिले कि सरहद पर स्थित बी के डी सीमा चौकी पर गुरूवार को सीमा सुरक्स बल ने पाकिस्तानी सरहद पार कर भारतीय सीमा में घुसे एक पाक नागरिक को गिरफ्तार किया हें। सूत्रानुसार जिले के बाखासर थाना क्षेत्र के ब्रामणो कि ढ़ाणी सीमा चौकी के पास पाकिस्तान कि और से घुसपैठ कर भारतीय सीमा में आये एक पाकिस्तानी नागरिक को सीमा सुरक्स बल के जवानो ने पकड़ा हें। बल पाक नागरिक से पूछताछ कर रहे हें। सीमा सुरक्स बल स्थानीय पुलिस को पाक नागरिक को सुपुर्द करेगी ,समाचार लिखे जेन तक पाक नागरिक सीमा सुरक्स बल के पास था। उससे प्रारंभिक पूछताछ चल रही हें।

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

ख़ास खबर बाड़मेर सरहद पर मदरसो के तालिबानी फरमान ,ख़ुफ़िया तंत्र हुआ सतर्क

ख़ास खबर
बाड़मेर सरहद पर मदरसो के तालिबानी फरमान ,ख़ुफ़िया तंत्र हुआ सतर्क

महिलाए न बाज़ार जाये न ही मोबाईल रखे


चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे पश्चिमी राजस्थान के सरहदी अल्पसंख्यक बाहुल्य गाँवो में तालिबानी और कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनो कि तर्ज पर मदरसा संचालको ने महिलाओ को लेकर फतवा जारी किया हें.फतवा जारी होने के बाद से जिले का सुरक्षा और खुफिया तंत्र सक्रीय हो गया।


खुफिया एजेंसियो से मिली जानकारी के अनुसार बाड़मेर जिले के सरहदी गाँवो में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और कट्टरपंथी मुस्लिम संगठनो के प्रभाव से मदरसा संचालको ने अहम् बैठक गागरिया गाँव में रख जिले कि मुस्लिम महिलाओ को लेकर फतवा जारी किया हें ,फतवा में लिखा हें कि क्षेत्र कि मुस्लिम महिलाए किसी भी सूरत में बाज़ार नहीं जायेगी ,यदि बहुत ही ज्यादा जरुरी हें तो अपने साथ अपने नज़दीकी रिश्तेदार पिटा या भाई को साथ लेकर जाएंगी। इसी तरह एक और फरमान जरी किया कि महिलाए अपने पास मोबाई;ल नहीं रखेगी। महिलाओ के मोबाईल इस्तेमाल पर पाबंदी का फरमान जरी किया हें। साथ ही महिलाओ को घरो से बाहर आने कि स्थति ने बुर्का पहन कर निकलने का फरमान जारी किया हें। 

खुफिया एजेंसी को मिले फतवे के मजमे में गगरिया मदरसा संचालक मौलाना हबीब के दस्तखत हें। खुफिया एजेंसियो का मानना हें कि बाड़मेर के गाँवो में तालिबानी समर्थक मुस्लिम धर्म के जरिये कट्टरता का सन्देश दे रहे हेह जो सरहद कि सुरक्षा के लिए घटक हें। उल्लेखनीय हें बाड़मेर जिले में वेध अवैध रूपसे कोई छह सौ से अधिक मदरसो का सञ्चालन हो रहा हें जबकि पांच साल पहले मदरो कि संख्या कोई डेढ़ सौ के करीब थी।
बाड़मेर जिले में कोई पांच लाख सिंधी मुस्लिम रहते हें ,सिंधी मुस्लिम कट्टरपंथी नहीं हें उनके कई रीती रिवाज हिन्दुओ के सम्मान हें। मगर पिछले कई सालो से सिंधी मुस्लिमो को कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा हें। इससे बढ़के अब सरहदी क्षेत्रो में सक्रीय कट्टरपंथी संगठन फतवो के फरमान जारी कर आम मुस्लिमो में खौफ पैदा कर रहे हें।

शुक्रवार, 10 जनवरी 2014

भारत पाक सरहद पर दो संदिग्ध युवक पकडे गए

भारत पाक सरहद पर दो  संदिग्ध युवक पकडे गए 

बाड़मेर जिले कि भारत पाकिस्तान सरहद पर  सुरक्षा एजेंसियो ने दो संदिग्ध युवको को पकड़ा। एक युवक  बिहार का निवासी हें ,
सूत्रानुसार जिले कि भारत पाकिस्तान सरहद पर स्थित गड़रा थाना क्षेत्र अंतर्गत पाकिस्तान जाने कि फिराक में आये दो संदिग्ध युवको को सुरक्षा एजेंसियो ने धर दिया। उनसे प्रारंभिक पूछताछ में पता चला हें कि एक युवक बिहार और एक पंजाब का रहने वाला हें ,वो सरहद पर किस मकसद से आये इस सिलसिले में उनसे शनिवार को खुफिआ और सुरक्षा एजेंसिया संयुक्त पूछताछ करेगी। उन्हें कल बाड़मेर लाया जाएगा जहा उनसे पूछताछ होगी 

रविवार, 22 दिसंबर 2013

pic.... तारबंदी किसके जिम्मे..रख रखाव के अभाव में देश की सुरक्ष पर खतरा ?





तारबंदी किसके जिम्मे..रख रखाव के अभाव में देश की सुरक्ष पर खतरा ?

बाड़मेर - राजस्थान के चार जिलों की पाकिस्तान से सटी सरहद पर पड़ौसी मुल्क की ओर से राष्ट्र विरोधी गतिवधियों पर अंकुश के उद्देश्य से की गई कांटेदार तारबंदी के रखरखाव की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है। यह मामला केंद्रीय गृह मंत्रालय की फाइलों में अटका है। केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग ने बाड़मेर,जैसलमेर,श्रीगंगानगर और बीकानेर में तारबंदी का काम वर्ष1990 से वर्ष1997 तक पूरा कर लिया, लेकिन बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) को सुपुर्द नहीं हो सका।

वर्ष 1994 तक बॉर्डर के चार जिलों में लगभग अस्सी फीसदी कार्यपूरा कर लिया था। इस दौरान जैसलमेर और बीकानेर के कुछ हिस्सों में कार्य शेष रह गया। यह कार्य भी वर्ष1997 तक पूरा हो गया। सीपीडब्ल्यूडी ने कार्य पूरा कर इसे बीएसएफ को हैण्डओवर कर दिया, लेकिन बीएसएफ ने गृह मंत्रालय से कोई निर्देश नहीं मिल पाने के कारण इसे स्वीकार नहीं किया।

अब हो रही है दिक्कत: चारों जिलों में एक हजार किलोमीटर से अधिक लम्बी इस तारबंदी के रख-रखाव को लेकर बीएसएफ के सामने परेशानियां खड़ी हो रही है।


लोहे की तारबंदी कई स्थानों पर जंग लगने, आंधियों व पशुओं के कारण टूटने, धोरों में दबने के कारण चौकसी में दिक्कते आ रही है। बीएसएफ में भी तारबंदी ठीक करने के लिए अलग से तकनीकी कार्मिक सरहद पर तैनात नहीं हैं। मेंटेनेंस के बड़े कार्य के लिए सीपीडब्ल्यूडी को पत्र भेजा जाता है। इसके बाद वह कार्य शुरू करता है।

यह है स्थिति

वर्तमान में इस समस्याओं से निपटने के लिए बीएसएफ और सीपीडब्ल्यूडी सामूहिक प्रयास कर रहा है। तारबंदी के मेंटेनेंस के दौरान कम खर्चे का कार्य बीएसएफ कर रहा है और बड़ा कार्य सीपीडब्ल्यूडी के जरिए करवाया जाता है।

सोमवार, 9 दिसंबर 2013

सरहद के नए सुलतान मानवेन्द्र सिंह

सरहद के नए सुलतान मानवेन्द्र सिंह





बाड़मेर विधानसभा चुनावो के परिणाम आने के साथ ही सरहदी जिलो बाड़मेर जैसलमेर में जिस तरह कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ हें उनमे एक नए नेता के रूप में कर्नल मानवेन्द्र सिंह सरहद के सुल्तान के रूप में उदीयमान हुए हें। मुस्लिम बाहुल्य बाड़मेर जैसलमेर जिलो कि राजनीती में मुस्लिमो के नेताओ के रूप में गाज़ी फ़क़ीर ,अब्दुल हादी और अमिन खान का वाटचासव रहा मगर इस बार मुस्लिमो ने मानवेन्द्र सिंह को अपना नेता मान बाड़मेर जैसलमेर में भाजपा को खुलकर समर्थन दिया। मानवेन्द्र सिंह को शिव में मुस्लिम समाज ने अप्रत्यासित समर्थन दिया जिसके चलते उन्होंने अमिन खान को बड़े अंतराल से हराया। बाड़मेर जैसलमेर के सिंधी मुस्लिम जसवंत सिंह परिवार के मुरीद हें ,इस परिवार के प्रति उनकी अपणायत देखते बनती हें।


मानवेन्द्र सिंह के चुनाव प्रचार कि कमान भी सिंधी मुस्लिम नेताओ ने थाम राखी थी मुराद अली मेहर ,सफी खान तामलियर ,जब्बल खान ,हसन खान गगरिया ,एडवोकेट मलार खान उनके सारथि बने। मुस्लिमो ने ना केवल मानवेन्द्र सिंह बल्कि उनके समर्थक मुस्लिमो ने जैसलमेर में भाजपा प्रत्यासी छोटू सिंह भाटी ,पोकरण में शैतान सिंह राठोड ,चौहटन में तरुण कागा को भरपूर समर्थन देकर जिताया ,मानवेन्द्र सिंह को अमूमन बीस फीसदी मत मुस्लिमो के मिलते आये हें मगर इस बार चालीस फीसदी मत मुस्लिमो के मिले। जिस तरह मुस्लिमो ने उन्हें समर्थन दिया वो परिणामो से साफ़ हो गया। अलबता भाजपा का शासन होगा पांच साल तक मानवेन्द्र सिंह अल्पसंख्यको के विकास के लिए क्या कदम उठाते हें यह देखने वाली बात होगी ,

मुस्लिमो ने नाकारा अमिन खान का नेतृत्व। । अल्पसंख्यक नेता के रूप में अमिन खान का वर्चस्व बाड़मेर जिले कि राजनीती में चार दसक से हें ,उनका वर्चस्व मानवेन्द्र सिंह ने तोड़ा ,सरहद के मुस्लिम बाहुल्य इन विधानसभा क्षेत्रो में मुस्लिम धर्म गुरु गाज़ी फ़क़ीर ,हुसैन फ़क़ीर ,अमिन खान का जादू नहीं चला




मानवेन्द्र सिंह के विजय जुलुस में जिस प्रकार अल्पसंख्यक समुदाय उम्दा उससे साफ़ लगा कि सरहद के नए सुल्तान कि ताज़पोशी भी हो गयी ,




नरेंद्र मोदी के लिए एक आदर्श। . आगामी लोक सभा चुनावो में नरेंद्र मोदी मानवेन्द्र सिंह को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत कर मुस्लिम समाज के सामने रख सकते हें कि सरहद पर भी मुस्लिम हिन्दू नेता का नेतृत्व स्वीकार कर उनमे विश्वास व्यक्त करते हें , अल्पसंख्यको कि हिमायती हें।




मैंने सांसद रहते हुए और बाद में भी राजनीती में सक्रीय रहते हुए अल्पसंख्यको के विकास के काम प्राथमिकता से किये हें ,इस समाज का मुझे पूरा समर्थन और स्नेह मिला हें ,यह मेरे लिए गौरव कि बात हें। मेरे पास इस समाज के विकास कि कई योजनाए हे जिस पर काम करेंगे। नरेंद्र मोदी के प्रति इन समुदाय में गज़ब का विश्वास हें।

शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

सीमा पार से आते हैं शिकारी बाज

सीमा पार से आते हैं शिकारी बाज

जोधपुर। पाकिस्तान से सटी राजस्थान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर ट्रंासमीटर व एंटीना लगे बाजों का आना सालों से जारी है।
सीमा सुरक्षा बल के जवानों को गश्त के दौरान राजस्थान सरहद पर ऎसे शिकारी बाज पहले भी मिलते रहे हैं। बल के अधिकारियों का कहना है कि अरब के शेख पाकिस्तान में शिकार करने के लिए आते हैं, जो अपने साथ प्रशिक्षित बाज लाते हैं। ये शेख पाकिस्तान के पंजाब में रहीमयार खां और सिन्ध के घोटकी जिले में शिकार करते हैं। ये शिकारी बाज उड़ते-उड़ते जैसलमेर और बाड़मेर तक आ जाते हैं।

आज भी जिंदा है तनोट का बाज
सीमा सुरक्षा बल ने 8 फ रवरी 2011 को तनोट क्षेत्र में एक बाज पकड़ा था, जिसके दांये पैर में एल्युमिनियम का एक छोटा सा छल्ला पड़ा हुआ था, जिस पर “503 Aश्व त्रह्रङक्-ङख्ज्ज् अंकित हो रखा था, जो 9 फ रवरी 2011 को वन विभाग जैसलमेर के सुपुर्द कर दिया गया था। यह बाज आज भी जिंदा है।

बछिया छोर : गुलाबी छल्ला
सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने 18 जनवरी 2011 को थार की सीमा के बछिया छोर से एक बाज पकड़ा था, जिसके दांये पैर में एल्युमिनियम का गुलाबी रंग का छल्ला था, उस पर 10/4 अंकित था और 22 सीएम का एक एन्टीना लगा हुआ था।

शाहगढ़ बल्ज : एंटीना लगा
बीएसएफ ने 29 जनवरी 2008 को शाहगढ़ बल्ज में भी एक बाज पकड़ा था। उस बाज के शरीर में भी एंटीना लगा हुआ था।

जासूसी का संकेत नहीं
अरब के शेख शिकार करने के लिए आते हैं तो यह तरीका अपनाते हैं। अब तक पकडे गए बाजों में से किसी भी बाज के माध्यम से जासूसी करने का कोई संकेत नहीं मिला है क्यों कि इन बाजों में जो एंटीना और टं्रासमीटर लगे मिले हैं, उनकी रेंज केवल तीन से पांच किलोमीटर ही है।
-आर के थापा, उप महानिरीक्षक, सीमा सुरक्षा बल राजस्थान सीमांत मुख्यालय जोधपुर

शुक्रवार, 11 जनवरी 2013

पाकिस्तान ने सरहद बनाए हज़ार से अधिक बंकर ...फिर पाक सैनिको के भी काटो सिर


पाकिस्तान ने सरहद बनाए हज़ार से अधिक बंकर ...फिर पाक सैनिको के भी काटो सिर

चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर पाकिस्तान के सैनिको द्वारा भारतीय सीमा में घुस कर जिस कायरता से भारतीय सैनिको के सिर काटे उससे पूरा देश उदेलित हें ,पाकिस्तान अपनी इस कायराना हरकत की साफगोई में जिस कुटिलता से यह कह रहा हें की भारतीय सैनिको ने भारतीय सरहद में अधिक बंकर निर्माण कराये इस कारण बदला लेने की नियन से इस कृत्य को अंजाम दिया .इस हिसाब से भारतीय सेना को इस जैसे कृत्य को बहूत पहले अंजाम दे देना चाहिय था ,क्योंकि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के आंकड़े कहते हें पाकिस्तान ने ना केवल अपनी सरहद पर बल्कि नो मेन्स लेंड पर भी एक हज़ार से अधिक बंकरो का निर्माण अन्तराष्ट्रीय नियमो का उलंघन कर बने .रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ो पर नज़र डाले पाकिस्तान सेना द्वारा भारत पकिस्तान की सरहद पर आठ सौ छियासी बंकरो का निर्माण अवेध रूप से कराया वहीं दो सौ मोर्चो का निर्माण ,तीन सौ अठानुवे तोवारो का निर्माण एक सौ त्यालिस अग्रीम चौकियो का निर्माण अवेध रूप से कराया ,भारतीय सेना ,सीमा सुरक्षा बल द्वारा समय समय पर पाकिस्तानी सेना और रेंजरो के बेथाको में इन निर्माणों का जमकर विरोध , मगर पाकिस्तानी सेना और रेंजरो ने भारत की आपति को अनदेखा किया ,भारतीय सेना को भी पाकिस्तान की कार्यवाही की तर्ज पर बड़ी कार्यवाही को अंजाम देना चाहिए ,पश्चिमी राजस्थान से लगती लगभग ग्यारह सौ किलोमीटर लम्बी तारबंदी के आस पास सेकड़ो की तादाद में निर्माण कराया ,वहीं बाड़मेर जिले के मुनाबाव रेलवे स्टेशन के हिक सामने स्थित पाकिस्तान के जीरो लाइन प्ल्लेत्फर्म के पास पकिस्तान ने अवेध रूप से मोर्चा बना रखा हें ,और तो और पाकिस्तान ने तो भारत की छाती पर रेलवे प्लेटफार्म भी अवेध रूप से बनाया जिसका राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारतीय सेना और सुरक्षा बल द्वारा विरोध दर्ज कराया मगर पाकिस्तान की सेहत पर कोई असर नहीं पडा ,अब जबकि जम्मू में पाकिस्तान्बी सैनिको द्वारा भारतीय जवानो के सिर महज इसलिए कलम किये की भारतीय जवानो ने सरहद पर बंकरो का निर्माण कराया अब जबकि खुलासा हो चूका हें की पाकिस्तान ने भी पिछले पांच सालो में सरहद पर अवेध रूप से सुलह सौ से अधिक अवेध निर्माण कार्य कराये हें ,फिर भारतीय सेना पाकिस्तानी सैनिको के सर कलम क्यों नहीं करती .

रविवार, 24 अप्रैल 2011

बाडमेर पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा










पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा

बाडमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसें सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में गत दो सालों से पानी की भारी किल्लत झेलनें के बाद गांव में पानी को लेकर खिंचने वाली तलवारों पर लगाम कसकर ग्रामीणों ने आपसी सहमती बना कर प्रत्येक गांव में पानी का बंटवारा कर अनुकरणीय उदाहरण पो किया।यह अलग बात हैं कि गांव में पानी एक माह में चार बार ही आता हैं।खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोा नें बताया कि विगत तीन सालों से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा,बचिया,पूंजराज का पार,सगरानी,पिपरली,द्राभा,गारी,मणिहारी सहित 94 गांवों में पेयजल की जबरदस्त किल्लत के चलतें ग्रामीणें के सामने बडी समस्या खडी हो गई।खबडाला गांव में पानी के दो होज सरकारी योजना में बने हुऐ हैं।एक 20 साल पुराना हैं।दूसरा तीन साल पहलें बना जिसे आज तक पाईप लाईन से जोडा ही नही गया।लाखों रूप्यें खर्च कर हौज के पास ही पुओं कें लियें पानी की खेली भी बनाई गई थी।जो आज भी सूखी पडी हैं।पुराने होज में एक माह में महज चार दिन पानी की आपूर्ति होती हैं।आपूर्ति के समय आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पानी भरने आते हैं।अतना कम पानी हमारे एक गांव की भी प्यास नहीं बुझा पाता ऐसे में दूसरे गांवों के लोगों को कैसे पानी भरने दे।इसी बात को लेकर गांवों के बीच झगडे भी होने लगे।कई बार तलवारें भी खींची।15 रोज पूर्व पानी भरने को लेकर आपसी संर्धश होनें के कारण गिराब थानें में मुकदमा भी दर्ज हुआ।रोज रोज की परोानी सें निपटने के लिऐं ग्रामीणों नें सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत के आठों गांवों की समझौता बैठक बुला कर पानी का बंअवारा करने का निर्णय लिया गया।गांव के ही टीकमारीम मेघवाल नें बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की कि पानी आपूर्ति के दिन निर्णित गांव के लोग ही पानी भरेंगे। दन्होने बताया कि गावों में पेयजल की आपूर्ति नाम मात्र ही होती हैंगांव में परम्परागत पानी के स्त्रोत बेरिया हैं। जिसके कारण आम आदमी की परूस तों जैसे तैसे बुण जती हैं मगर मवोीयों को पानी कहॉ से पिलाऐंगांव में लगभग एक दजार गायें,30 हजार भेड बकरीयॉ हैं।जिन्हें पीने के लिऐ पानी चाहियें।पाुधन के लिऐ पानी की वयवस्था के लियें 15 किलोमीटर दूर तक के गांवों में जाना पडता हैं।गांव की बेरियों का जीर्णेद्घार सरकारी योजलाओं में किया जाऐ तो ग्रामीणे के समक्ष पेयजल की किललत कुछ हद तक हल हो जाऐंगी।जिला प्रासन को कई बार लिखित और मौखिक बताया गया मगर किसी प्रकार की मदद नही हुई।गांव की महिला श्रीमति गोमती मेगवाल नें बताया ि कमणिहारी गांव की होदी में वाल्व खराब होने के कारण पानी फालतू बह जाहैं ,वाल्व को ठीक कर दे तो हमारे गांव को पानी आपूर्ति हो सकती हें।गडरा रोड कें अधिसी अभियंता सुनिल जोाी नें बताया कि खबउाला में पेयजल की समस्या हैं।पाईप लाईन खराब हैं दसे जल्द दुरूस्त कर दिया जाऐगा।एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाऐगा।बहरहाल ग्रामीणों ने रोज के झगडों सें परोान होकर पानी का बंटवाडा तो कर दिया मगर पानी आता ही नही तों बांटे क्या।दो बून्द पानी हलक में उतारनें की ग्रामीणो की तमाम कोािश्ों जिला प्रासन कें ुलमुल रवैयें कारण बेकार हो रही हैं।