गुरुवार, 31 मार्च 2011

राजस्थान दिवस पर जैसलमेर में साँस्कृतिक संध्या खूब जमी


राजस्थान दिवस पर जैसलमेर में साँस्कृतिक संध्या खूब जमी
        जैसलमेर, 31 मार्च/राजस्थान दिवस के उपलक्ष्य में जैसलमेर के सोनार दुर्ग स्थित अखेप्रोल प्रांगण में बुधवार रात आयोजित साँस्कृतिक संध्या खूब जमी और इसने राजस्थानी लोक रंगों और रसों की सरिताएं बहाते हुए रसिकों को खूब आनंदित किया।
        सांस्कृतिक संध्या की अध्यक्षता जिला कलक्टर गिरिराजसिंह कुशवाहा ने की जबकि विधायक छोटूसिंह भाटी मुख्य अतिथि तथा जैसलमेर नगरपालिकाध्यक्ष अशोक तँवर विशिष्ट अतिथि थे। सांस्कृतिक संध्या का संचालन ओजस्वी संचालक, व्याख्याता मनोहर महेचा ने किया।
        आरंभ में अतिथियों ने सरस्वती की तस्वीर पर पुष्पहार अर्पित कर एवं दीप प्रज्वलित कर सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ किया। सांस्कृतिक संध्या में जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती गिरिजा शर्मा, जैसलमेर नगरपालिका आयुक्त मूलाराम लोहिया सहित अनेक अधिकारी, प्रबुद्धजन, स्कूली बच्चे और देशी-विदेशी पर्यटकों ने गीत-संगीत-नृत्यों आदि का आनंद लिया।
        संध्या की शुरूआत इमाम खां के सुरणाई वादन से हुई। ढोलक पर गुले खां, हारमोनियम पर करीम खां ने संगत की। नाद स्वरम संस्था के कलाकारों ने मशहूर राजस्थानी गीतकार कन्हैयालाल सेठिया के प्रसिद्ध गीत ‘धरती धोरां री....’’ की सुमधुर प्रस्तुति पर सोनार किले की घाटी गूंजा दी। इनमें मुख्य गायक शोभा हर्ष एवं रवि शर्मा के साथ तबले पर जयप्रकाश हर्ष, हारमोनियम पर अनिल पुरोहित ने साथ दिया।
        लिटिल हार्ट स्कूल के नन्हें कलाकारों ने ‘केसरिया बालम आवो नी पधारों म्हारे देस...’ की माण्ड गायकी के साथ ही सर पर मंगल कलश लिए फूलों की वृष्टि करते हुए भावपूर्ण नृत्य पेश कर खूब वाहवाही लूटी।
        लोकगायक लुकमान खां एवं साथियों द्वारा ‘हिण्डो सावण रो..’ लोक गीत की मधुर प्रस्तुति दी। चरवाहों के परम्परागत लोकवाद्य ‘अलगोजा’ पर मोहनराम लोहार ने माधुर्य भरी लोक धुनों पर रसिकों को खूब रिझाया।
        प्रतापसिंह भाटी एवं शिवा द्वारा कच्छी घोड़ी नृत्य की सुन्दर प्रस्तुति करते हुए पूरे माहौल को तरंगायित कर दिया। लोक नृत्यांगना दुर्गा और रानी ने चरी नृत्य की धूम मचाते हुए सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। खेते खां, रईस खां ने मोरचंग वादन की स्वर लहरियों पर मस्त कर दिया। ढोलक पर संगत बीरबल खां ने की।
        लोकगायक थाने खां द्वारा वर्तमान दौर के प्रसिद्ध लोक गीत ‘‘जद देखूं बना री लाल लाल अंखियाँ, मैं नहीं डरूं सा...’’ ने प्रेम और श्रृंगार रस की बारिश करा दी।
        घासीराम और उनकी जोड़ायत ने ‘चम चम चमके चुनरी’’ के बोल पर भोपा-भोपी नृत्य पर लोक नृत्य और गायन की विशिष्ट विधाओं से समा बाँध दिया।



        ढोलक और खड़ताल की जुगलबंदी पर खेते खां, देव खां, लतीफ खां ,गुलाम खां, पेपे खां ने दोनों लोक वाद्यों के समवेत स्वरों पर श्रोताओं को खूब आनंदित किया। अनु और शिवा एवं पार्टी द्वारा घुटना चकरी नृत्य और चक्का नृत्य पेश कर अनूठी भाव-भंगिमाओं और मुद्राओं से भरपूर मनोरंजन किया।

Rajasthani song Thane Kajaliyo banalyu thane Nina me ramalyu raj palka m...

hane Kajaliyo banalyu Thane Nina me ramalyu raj palka me band kar rakhuli

घुड़लो घूमे ला जी, घुमेला


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घुड़लो घूमे ला जी, घुमेला 


बाडमेर माट में माटोळी घूमे, कोठी में ज्वारा रे.... गणणौर के ये गीत अब बाडमेर जैसलमेर की गलियों में सुनाई दे रहे हैं। लड़कियों और महिलाओं का इस त्योहार के प्रति आकर्षण देखते ही बन रहा है। घुड़ले के तहत शाम के समय लड़कियां एकत्रित होकर सिर पर छिद्र किया हुआ घड़ा लेकर, जिसमें दीपक जला सिर पर धारण कर समूह में घूमती है और गवर के गीत गाती है। इस त्योहार के प्रति बालिकाओं में ज्यादा उत्साह रहता है। बालिकाएं १५-२० की संख्या में झुंड में गली-गली में घुड़ले के गीत गाती है। 
गली गली घुम रहा है घुड़ला
शहर के कई गली मोहल्लें में घुड़ला लिए बालिकाएं एवं महिलाएं देखी जा सकती है। घुड़ले को मोहल्लें में घुमाने के बाद बालिकाएं एवं महिलाएं अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों के यहां घुड़ला लेकर जाती है। घुड़ला लिए बालिकाएं मंगलगीत गाती हुई सुख व समृद्धि की कामना करती है।
रखा जाता है उपवास
इन दिनों कई लड़कियों द्वारा गणगौर माता का उपवास भी रखा जाता है। जो महिलाएं और लड़कियां परंपरागत ढंग से उपवास रखती आ रही हैं। उन्होंने तो इस बाद उपवास रखा ही साथ ही कई नई लड़कियों ने भी इस पूजा में अपना सहयोग दिया। हाल ही में जिनकी शादी हुई उन महिलाओं ने अपनी पहली गणगौर अपने मायके में मनाई। साथ ही गली-गली में गूंजने वाले लोक गीतों में अपनी सहभागिता निभाई। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी गणगौर की धूम देखी जा सकती है

मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाडा




मल्लीनाथ पशु मेला तिलवाडा
मेलों से बढ़ती हैअपणायत’
बाडमेर जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि ये मेला प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में विख्यात है।प्रशासनिक स्तर पर इस मेले का वेबसाइट बनाकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा ताकि विदेशी पर्यटक भी ज्यादा संख्या में यहां आकर मेले का लुत्फ उठा सकें।पशुपालकों की सुविधा के लिए मेला अवधि के दौरान तिलवाड़ा स्टेशन पर रेलों के ठहराव के संबंध में डीआरएम से बात की है।
मेले हमारी संस्कृति के प्रतीक है,मेलों के आयोजन से आपसी अपणायत बढ़ती है।
ये बात बाड़मेर-जैसलमेर क्षेत्र के सांसद हरीश चौधरी ने निकटवर्तीतिलवाड़ा में मल्लीनाथ पशु मेले के झंडारोहण के अवसर पर मेले में उपस्थित पशुपालकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आमजन का जुड़ाव मेलों से रहता है।लगभग ७५० साल पुराने इस मेले की परंपरा को आज भी क्षेत्र के ग्रामीण बचाये रखे हुए हैं।ये एक गौरव का विषय है।मालाणी की परंपरा रही हैकि यहां मेहमान का सत्कार तन-मन-धन से किया जाता है।मेले में आने वाले पड़ोसी राज्यों के पशुपालकों को पूरी अपणायत दें जिससे कि वो प्रभावित होकर बार-बार इस मेले में आएं।उन्होंने मेले में दिनोंदिन घटने वाले पशुओं की संख्या पर चिंता जताते हुए ग्रामीणों को पशुपालन की ओर रूझान रखने की बात कही।विधायक मदन प्रजापत ने कहा कि सरकार ऐसे मेलों को प्रोत्साहन देने में कोईकसर नहीं रख रही है।उन्होंने कहा कि आगामी वर्षतक नदी के बीच बने मार्ग पर सीसी रोड का निर्माण करवा दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि मेले मे आने वाले पशुपालकों को पेयजल समस्या का सामना करना पड़ रहा है।आगामी वर्ष तक इस समस्या के समाधान के लिए भी पुख्ता प्रबंध कर दिए जाएंगे।

मंगलवार, 29 मार्च 2011

foto...राजस्थान दिवस बाड़मेर: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि...राजस्थान के पश्चिमी सीमान्त का ंिसंहद्वार बाड़मेर











पधारो म्हारे देश.









राजस्थान दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई ओर शुभ कामनाऐं.......

आपणों राजस्थान आपण्ी राजस्थानी


बाड़मेर: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि



राजस्थान के पश्चिमी सीमान्त का ंिसंहद्वार बाड़मेर बहु-आयामी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से सम्पन्न रहा है। पारम्परिक काव्य-साहित्य, समकालीन अभिलेख तथा विविध साक्ष्य इसके प्रमाण है। थार के इस मरु प्रान्त के परिपेक्ष्य में रामायण एवं महाभारत के अन्तर्गत निर्देश समुपलब्ध होते है। रामायण के युद्व काण्ड में सेतु-बन्ध प्रसंग के अन्तर्गत सागर-शोषण हेतु चढ़े अमोध राम बाण के उत्तरवर्त्ति द्रुमकुल्य प्रदेश के आभीरो पर सन्धन से मरुभूमि की उत्पत्ति का वर्णन है।


महाभारत के अश्वमेधिक पर्वान्तर्गत भारत युद्वोपरान्त श्री कृष्ण के द्वारिका प्रत्यागमन प्रसंग की उनकी इसी मरुभमि में उत्तक ऋषि से भेंट और यहां जल की दुर्लभता विषयक उल्लेख मिलते है। मौर्यकाल में सौराष्ट्र से संयुक्त क्षेत्र के रुप यह प्रान्त चन्द्रगुप्त मौर्य के साम्राज्य के अन्तर्गत था। तत्पश्चात इस पर इण्डोग्रिक शासको, मिलिन्द तथा महाक्षत्रप रुद्रदमन का शासन रहा। कतिपय इतिहासज्ञो के अनुसार यूनानियों द्वारा उल्लेख श्ग्व्।छ।श् दुर्ग सम्भवतः सिवाना क्षेत्रान्तर्गत था।


परवर्ती काल में इस क्षेत्र का गुप्त साम्राज्य के अन्तर्गत होना मीरपुर खास में गुप्तकालीन बौद्व स्मारक प्राप्त होने से प्रमाणित होता है।


पूर्व मध्यकालिन इतिहास के परिप्रेक्ष्य में डॉ. गोपीनाथ शर्मा के अनुसार यह प्रदेश गुर्जरत्रा कहलाता था। चीनी यात्री हेंनसांग ने इसी गुर्जर राज्य की राजधानी का नाम पीलो मोलो भीनमाल अथवा बाड़मेर बताया है। डॉ. जे एन आसोपा क ेमत में गुर्जर शब्द अरब यात्रियों द्वारा गुर्जर प्रतिहारो हेतु प्रयुक्त सम्बोधन जुर्ज का समानार्थक है। जिसकी व्युत्पति मरुभूमि में प्रवाही जोजरी नदी से बताई गई है। इस प्रकार प्रतिहारो से सम्बन्ध गुर्जर विशेषण भौगोलिक महत्व का सूचक है। जो यहां गुर्जर प्रतिहार अधिराज्य को निर्दिष्ट करता है। इस तथ्य की पुष्टि 936 ई. के चेराई अभिलेख से होती है। गुर्जर प्रतिहारो के उपरान्त यहां परमारो का अधिपत्य रहा।


मरुमण्डल के ये परमार आबू के परमारो से पृथक माने जाते है। 1161 ई. के किराडू अभिलेख औरा 1183 ई. के मांगता ताम्रपत्र के अन्तर्गत सिन्धुराज (956ई.) को ‘सम्भून मरुमण्डले‘ कहकर यहां के परमारो का आदिपुरुष निर्दिष्ट किया गया है। इनकी राजधानी किरात कूप (किराडू) थी। फिर यहां गुजरात के चालुक्यों का अधिकार ज्ञात होता है।


1152 ई. के कुछ पूुर्व किराडूु पर कुमारपाल चाणक्य के सामंत अल्हण चाहमान का अधिकार था। किन्तु 1161 ई. के किराडू अभिलेख के अनुसार सिंधुराज के वंशज (9वीं पीढ़ी) सोमेश्वर परमार द्वारा अधीनता मानने से संतुष्ट कुमारपाल द्वारा उसे किराडू पुनः प्रदान कर दिया गया। 1171 ई से 1183 ई. तक क्रमशः कीर्त्तिपाल चौहान, मुहम्मद गौरी (1178ई) भीमदेव सोलकी द्वितीय तथा जैसलमेर के भाटियो के किराडू पर अनवरत आक्रमणो एवं तत्कालीन शासको आसलराज और बन्धुराज के अक्षम प्रतिरोध से यहां का परमार राज्य शनै‘ शनै निःशेष होता चला गया।


किराडू राज्य के अवसान का समानान्तर सुन्धामाता मंदिर में चौहान चाचिगदेव के शिलालेख में विर्णत वाग्भट्ट मेरु अथवा बाहड़मेर का उत्थान प्रायः बारहवी शती ई. के उत्तरार्द्व में होना विदित होता है। इसकी संस्थापना का श्रेय क्षमाकल्याण रचित खरतरगच्छ पट्टावली के अनुसार सिद्वराज जयसिंह (1094-1142ई) के मन्त्री उदयन के पुत्र वाग्भट्ट अथवा बाहड़देव परमार को प्रदान किया गया है।


स्थापना के पश्चात यहां जैन श्रावको द्वारा मन्दिर एवं वाटिकाओं के निर्माण तथा 1252 में आचार्य जिनेश्वर सूरि के आगमन की जानकारी मेरुतुग कृत प्रबन्ध चिन्तामणि से मिलती है। बाहड़मेर के आदिनाथ मन्दिर अभिलेख (1295 ई) से हयां परमारो के उपरान्त चौहानो के शासन के संकेत प्राप्त होते है।


कान्हड़ दे प्रबन्ध (पद्मनाम रचित) के अन्तर्गत 1308-09 में अलाउदीन खिलजी की सेनाओं द्वारा जालौर सिवाना अभियान के क्रम में बाहड़मेर पर भी आक्रमण किये जाने सम्बन्धी उल्लेख है।


इस अराजकता का लाभ उठाकर राव धूहड़ राठौड़ के पुत्र राव राजपाल ने लगभग 1309-10ई में यहां के परमारो के प्रायः 560 ग्रामो पर अधिकार कर लिया। इसी के पराक्रमी वंशज रावल मल्लीनाथ के नाम पर इस क्षेत्र को मालानी की संज्ञा से अभिहित किया जाने लगा।


15 वीं शती ई के पूर्वाद्व में मल्लीनाथ के पौत्र मण्डलीक द्वारा बाहड़मेर और चौहटन के शासको क्रमश मुग्धपाल (माम्पा) तथा सूंजा को परास्त करा अपने अनुज लूणकर्ण राठौड़ा (लूंका) को वहां का राज्य सौप दिया गया। इस प्रकार जसोल बाड़मेर एवं सिणदरी जहां मल्लीनाथ के वंशाजो द्वारा शासित हुए वही नगर और गुढ़ा उनके सबसे छोटे भाई जैतमाल की सन्तति के अधिकार मेें रहे। जबकि मंझले भाई वरीमदेव के पुत्र चूण्डा ने परिहारो से मण्डोर छीना। बाहड़मेर में लुंका जी की चौथी पीढी के शासक राव भीमाजी रत्नावत को जोधपुर नरेश राव मालदेव के सामान्तो जैसा भैैर व दासोत और पृथ्वीराज जैैतावत द्वारा लगभग 1551-52 ई. में पराजित किया गया। जैसलमेर के रावल हरराय की सहायता के पश्चात भी पुनः हार जाने एवं बाहड़मेर के राठौड़ो की रतनसी तथा खेतसी के धड़ो में बट जाने पर भीमाजी ने बाहड़मेर छोड़कर बापड़ाऊ क्षेत्रान्तर्गत नवीन बाहड़मेर अथवा जूना और नवीन बाहड़मेर बसाया तभी से पुराना बाड़मेर जुना बाड़मेर कहा जाने लगा। परवर्ती काल में जैसलमेर के सहयोग से भीमाजी ने जुना बाहड़मेर तथा शिव आदि अपने खोए प्रदेश पुनः प्राप्त कर लिए। उपयुक्त तथ्यों की जानकारी विविध ख्यातो विशेषतः नेनसी की और राठौड़ वंश के इतिहास ग्रन्थ से समुचित रुप से हो जाती है। बाड़मेर की वणिका पहाड़ी की तलहटी के जैन मन्दिर के शिलालेख के अन्तर्गत 1622 ई यहां उदयसिंह का शासन निर्दिष्ट है। परवर्ती शासको रावत मेघराज, रामचन्द्र और साहबाजी, भाराजी आदि के सघर्ष प्रायः 19 वी शती ई. के आरम्भ तक यहां की राजनीति तथा समाज को प्रभावित करते रहें। तब मालानी परगने में प्रायः 460 ग्राम 14918 वर्ग किमी क्षेत्रान्तर्गत थे। मारवाड़ नरेश मानसिंह (1804-43 ई) के काल में यहां के सरदारो एवं भोमियों द्वारा गुजरात कच्छ तथा सिंध में उत्पाद मचाने एवं ब्रिटिश कम्पनी सरकार के आदेश के बाबजूद मानसिंह के उन्हे नियत्रित करने में विफल रहने पर रावत भभूतसिंह के समय 1836 ई. में चौहटन मालानी को बम्बई सरकार के अन्तर्गत ब्रिटिश अधिकार में ले लिया गया। सभी उत्पादी सरदारो को कैद कर राजकोट एवं कच्छ भुज भेज दिया गया। क्षेत्र में शान्ति और व्यवस्था स्थापित होने पर मालानी को प्रशासन 700/- मासिक वेतन प्राप्त एक अधीक्षक को सौंपा गया, जिसकी सहायतार्थ मुम्बई रेग्यूलर केवेलरी का दस्ता तथा गायकवाड़ इन्फेन्ट्री के 100 घोड़े बाड़मेर मुख्यालय में रहते थे। (कच्छ भुज के रावल देसुल जी की जमानत से मुक्त हुए रावत भभूतसिंह भी अंग्रेजो से हुए समझौते के अनुसार बाड़मेर आ गए।) 1839 ई में मालानी परगना मुम्बई सरकार से ए.जी.जी. राजस्थान को स्थानान्तरित कर दिया गया। 1844 ई में गायकवाड़ केवेलरी का स्थान 150 मारवाड़ के घुड़सवारो ने ले लिया। अन्तिम स्थानीय अधीक्षक कैप्टन जैकसन के यहां से लौटने पर मारवाड़ के पोलिटीकल एजेन्ट की सता आरम्भ हुई। इस अतिरिक्त प्रभार हेतु उसके लिए 100/- मासिक भत्ता नियत था। 1865 ई में नियुक्त पोलिटिकल एजेन्ट कैप्टन इम्पे के तत्वावधान में मालानी के विस्तृत सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण के प्रभाव स्वरुप जसोल तथा बाड़मेर में 1867 ई में वर्नाक्यूलर स्कलो के माध्यम से आधुनिक शिक्षा का समारम्भ हुआ। सर्वे रिपोर्ट 4 मई 1868 को प्रकाशित हुई। परवर्त्ती काल में इस क्षेत्र के ठाकुरो द्वारा प्रत्यक्षतः मारवाड़-प्रशासन के अधीन होने की इच्छा पर। 1 अगस्त 1891 को मालानी परगना मारवाड़ राज्य के अन्तर्गत आ गया। आगामी छः वर्षो में मालानी प्रशासन सुचारु एवं सुव्यवस्थित रहने, अपराधो में कमी होने और किसी भी प्रकार की शिकायत न आने पर जोधपुर में महाराजा सरदार सिंह को 1898 ई में यहां के सम्पूर्ण अधिकार प्रदान कर दिये गये। 22 दिसम्बर 1900 ई को मालानी के हृदयस्थल से गुजरने वाली बालोतरा सादीपाली रेल्वे लाइन का शुभारम्भ हुआ।


स्वतन्त्रता प्राप्ति तक जोधपुर प्रशासन के अधीनस्थ रहते हुए देशी रियासतो के भारतीय सघ में विलीनीकरण के उपरान्त मालानी परगना 1949 ई में बाड़मेर जिले के रुप में अस्तित्व मान हुआ। जो आधुनिक बाड़मेर कहलाया।

सोमवार, 28 मार्च 2011

. नाग ने लिया बदला ...


सांप को दिन में मारा था पत्थर, रात में आकर डस लिया

बाड़मेर शिव कस्बे में खेल-खेल में 3 बच्चों का सांप को पत्थर मारकर भगाना भारी पड़ गया। बच्चों से परेशान होकर उस वक्त भागे सांप ने देर रात आकर उन्हें डस लिया इससे एक बच्ची की मौत हो गई वहीं दो पर विष का असर बढ़ने से उनका का इलाज बाड़मेर अस्पताल में चल रहा है।

 ग्रामीणों के अनुसार सुगलाराम मेघवाल के घर शनिवार को दिन के समय इन बच्चों ने सांप को देखने के बाद पत्थर मार उसे भगाने की कोशिश की, इस पर सांप वहां से निकल गया। इसके बाद देर रात वह फिर लौटा और आंगन में सो रहे इन तीनों बच्चों को डस लिया, जिससे एक बालिका की मौत हो गई और दो अन्य पर विष का असर रहा । 

जानकारी मिलने पर परिजन बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। जहां एक बालिका को मृत घोषित कर दिया। जबकि एक बालक व बालिका को उपचार के लिए बाड़मेर रेफर किया गया।

OM MANGALAM OMKAR MANGALAM BY JATIN

Laad ladaavo lala ne - Shrinathji ni jhankhi

रविवार, 27 मार्च 2011

श्रृद्धा सहित स्मरण किया शहीद जयसिंह भाटी की शहादत को मातृ भूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य


श्रृद्धा सहित स्मरण किया शहीद जयसिंह भाटी की शहादत को
मातृ भूमि की रक्षा के लिए तत्पर रहना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य

            जैसलमेर, 27 मार्च/ जैसलमेर वासियों ने रविवार को शहीद जयसिंह भाटी स्मृति संस्थान के तत्वावधान में जिला मुख्यालय पर हनुमान चौराहा पर स्थित श्रृद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर ’’ जैसाण ( देवड़ा )  ’’ के वीर सपूत शहीद जयसिंह भाटी की शहादत श्रृद्धा सहित स्मरण किया गया। पूर्व महारावल जैसलमेर श्री बृजराज सिंह के मुख्य आतिथ्य में आयोजित 15 वें श्रृद्धांजलि समारोह की अध्यक्षता जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने की। आसेरी मठ के महन्त श्री शिवसुखनाथ जी के परम् सानिध्य में आयोजित श्रृद्धांजलि कार्यक्रम के अवसर पर जैसलमेर विधायक श्री छोटूसिंह भाटी, नगरपालिका अध्यक्ष श्री अशोक तंवर, पूर्व विधायक श्री गोवर्द्धन कल्ला, श्री किशनसिंह भाटी,  सम समिति की प्रधान श्रीमती लक्ष्मीकंवर, जैसलमेर समिति के प्रधान श्री मूलाराम चौधरी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री गणपतलाल, समादेष्टा सीमा सुरक्षा बल श्री अर्जुन सिंह राठौड़ विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
     देश हित के लिये सर्वोपरी रह कर कार्य करें
            पूर्व महारावल श्री बृजराज सिंह ने शहीद भाटी को श्रृद्धासूमन अर्पित करते हुए कहा कि जैसाण की धरती सदैव वीर सपूतों एवं शहीदों की रही है। देवड़ा निवासी शहीद जयसिंह भाटी ने कश्मीर में आतंकवादियो से लोहा लेते हुए देश की रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहूती दी जो सदैव चिरस्थाई रहेगी। उन्होंने कहा कि मातृ भूमि की रक्षा के लिये तत्पर रहना प्रत्येक नागरिक कर्तव्य है। उन्होने कहा कि हमें जाति-धर्म से ऊपर उठ कर देश के हित के लिये सर्वोपरी कार्य करना है। उन्होंने प्रेम एवं भाईचारे के साथ सभी को संगठित होकर राष्ट्र के प्रति सच्ची भावना जीवन में उतारने का आह्वान किया।
      अपने क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य वीरता प्राप्त करें
            जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने शहीद को श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिन शहीदों ने मातृ भूमि की रक्षा के लिये अपने प्राणों का उत्सर्ग किया है वे सभी शहीद देश वासियों के लिए हमेशा प्रेरणा स्त्रौत बने रहेगें। उन्होने कहा कि शहीद भाटी ने अंतिम सांस तक अपने दायित्वों का निर्वहन कर सच्ची राष्ट्रभक्ति एवं कर्तव्य परायणता का परिचय दिया उससे युवा पीढ़ी को सीख लेनी चाहिए।
            उन्होनें कहा कि हम जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे उनमें ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठा के साथ कार्य करके भी वीरता को प्राप्त कर सकते है इसलिए आज की युवापीढ़ी को अपने क्षेत्र में ईमानदारी से कार्य करने की जरूरत है।
            सीमांतवासी  सुरक्षा के लिये तत्पर रहे
            जैसलमेर विधायक श्री छोटूसिंह भाटी ने कहा कि जैसलमेर जिला भारत-पाक सीमा पर होने के कारण यहां के निवासियों की देश की सुरक्षा के प्रति और अधिक जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि सीमा वाशिन्दों का कर्तव्य है कि सीमा पर यदि को ई असामाजिक तत्व देशद्रौही गतिविधियों को करता हुआ नजर आए तो उसकी सूचना तत्काल सीमा सुरक्षा बल एवं पुलिस को देवें ताकि समय रहते इस प्रकार की गतिविधियों पर लगाम कसी जा सके। उन्होने कहा कि शहीद भाटी ने राष्ट्र भक्ति के लिए अपना बलिदान किया है जिससे जैसलमेर जिले का नाम सदैव रौशन रहेगा।
            शहीद की मूर्ति लगाने में सहयोग का विश्वास दिलाया
            नगरपालिकाध्यक्ष श्री अशोक तंवर ने श्रृद्धा सूमन अर्पित करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजनो से युवापीढ़ी को राष्ट्रभक्ति की भावना की सीख मिलती है। उन्होने नगरपालिका द्वारा शहीद भाटी की मूर्ति स्थापित करने के लिये पूर्ण सहयोग देने का विश्वास दिलाया। पूर्व विधायक श्री गोवर्द्धन कल्ला कहा कि शहीद भाटी ने राष्ट्र की रक्षा के लिये जो बलिदान दिया उससे युवा पीढ़ी को अपने जीवन में उतारना ही शहीद को सच्ची श्रृद्धांजलि अर्पित करना है।
       इन्होंने भी रखे विचार
श्रृद्धांजलि समारोह के अवसर पर समादेष्टा श्री अर्जुन सिंह राठौड़ , जैसलमेर समिति के प्रधान श्री मूलाराम चौधरी ,पुलिस उप अधीक्षक श्री पहाड़ंिसंह राजपुरोहित, समाजसेवी तिलोकखत्री, लखसिंह भाटी, शहीद जयसिंह भाटी के साथ सेवा दे चुके श्री भंवरसिंह राठौड़ ने भी शहीद को श्रृद्धासूमन अर्पित करते हुए कहा कि हमे देश के प्रति समर्पित होकर कार्य करने को सर्वोच्च स्थान देना चाहिए।
    
     जैसाण की पुरातन परम्परा का किया पालन
संस्था केे अध्यक्ष श्री किशन सिंह भाटी ने कहा कि शहीद भाटी ने कश्मीर में उग्रवादियों के साथ शौर्यपूर्ण संघर्ष करते हुए वीरगति प्राप्त कर जैसाण की पुरातन परम्परा का पालन किया गया है। समारोह में डाईट का व्याख्याता उगमदान बारहठ ने कविता प्रस्तुत कर शहीद को काव्यांजलि अर्पित की। मनोहर पुरोहित ने भी शहीद को श्रृद्धांजलि के रूप में कविता पाठ किया।
            प्रारंभ में संस्थान के सचिव एवं पूर्व विधायक डॉ.जालमसिंह रावलोत ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
    
     सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने शस्त्र सलामी दी
श्रृद्धांजलि समारोह में सीमा सुरक्षाबल के जवानों ने शहीद को शस्त्र सलामी दी। अतिथियों द्वारा शहीद की फोटो के समक्ष माल्यार्पण कर श्रृद्धांजलि अर्पित की गई। शहीद की तस्वीर पर उपस्थित लोगों ने भी पुष्प अर्पित कर शहीद को सच्ची श्रृद्धांजलि अर्पित की            गई।
            समारोह में श्री सवाईसिंह देवड़ा, समाजसेवी हरिकृष्ण व्यास, पन्नेसिंह देवड़ा , इन्द्रसिंह देवड़ा , तारेन्द्रसिंह , खुमानसिंह भाटी, प्रभूदान देथा, शम्भूदान ,रामसिंह ओला, भगवानदास गोपा, विद्याधर पालीवाल के साथ ही नगर के प्रबुद्ध नागरिकगण एवं ग्रामीणॉंचलों से आए ग्रामीणजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ अध्यापक श्री शैतानसिंह पूनमनगर ने किया।
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गहलोत को मुख्यमंत्री रहने का हक नहीं


गहलोत को मुख्यमंत्री रहने का हक नहीं
जोधपुर. नेता प्रतिपक्ष वसुंधरा राजे ने शनिवार को राज्य सरकार के खिलाफ जोधपुर से प्रदेशव्यापी जनजागरण अभियान का आगाज करते हुए कहा कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री रहने का हक ही नहीं है। वे तो अपने घर की बहनों को भी नहीं बचा पाए, प्रदेश की हालत क्या बयां करें।
भरी सभा में प्रसूताओं को श्रद्धांजलि देते हुए राजे ने कहा उन माताओं की कसम है जिन्होंने दम तोड़ा है, हम हर मौत का जवाब लेकर रहेंगे। वसुंधरा ने कड़ी से कड़ी जोड़ने के जुमले पर चुटकी लेते हुए लोगों से पूछा कि अब तो खुश हो? चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए गए थे कि कड़ी से कड़ी जोड़ दो, मालामाल हो जाओगे, मजा आ जाएगा। मगर इन्हीं कड़ियों में बंधी जनता अब दुखी हो रही है। किसानों को खाद-पानी और बिजली नहीं मिल रही है। अपराध बढ़ गए हैं। थानों के सामने सिर काट कर फेंक दिए गए।
प्रदेश के डीजीपी पिट गए। जोधपुर जेल में जेलर की हत्या हो गई। गृहमंत्री के जिले के थाने में महिला से दुष्कर्म कर उसे मार दिया गया। हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए एक नौजवान को आत्मदाह करना पड़ा, गुस्साए लोगों ने एसएचओ को जिंदा जला दिया, फिर भी गहलोत कहते हैं कि प्रदेश में शांति है। जोधपुर में 26 प्रसूताओं की मौत हो गई, मगर मुख्यमंत्री को अपने घर की बहनों को संभालने में 14 दिन लग गए।
फिर आए तो पांच लाख रुपए में मौत की कीमत लगा कर चले गए, उन परिवारों का दर्द नहीं देखा। जहरीली शराब से कई लोग मर गए। किसी का बेटा गया तो किसी के सिर से पिता का साया हट गया और कई बच्चे बेसहारा हो गए। जो मुख्यमंत्री अपने घर के लोगों को नहीं बचा सकते, उन्हें एक पल भी कुर्सी पर रहने का हक नहीं है।
राहुल को भी दी नसीहत: वसुंधरा ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर उन्हें भी नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा कि एक नेता है जो किसी भी गरीब के घर चले जाते हैं। वहां खाना खाते हैं। पानी पीते हैं। वहीं सो भी जाते हैं। मीडिया में बड़े-बड़े फोटो छप जाते हैं कि देखो इतना बड़ा नेता गरीब के घर सो रहा है। मगर ये नेता भी समझ ले कि गरीब के घर सोने से ही गरीबी नहीं मिटती। वे गरीब जनता को गुमराह करते हैं। उन्हें वही वादे करने चाहिए जो वे पूरा कर सकें।

शनिवार, 26 मार्च 2011

अवैध हथियारों के साथ तीन गिरफ्तार यूपी की लाल बत्ती कार में सवार थे आरोपी


अवैध हथियारों के साथ तीन गिरफ्तार
यूपी की लाल बत्ती कार में सवार थे आरोपी
बाड़मेर।
जिले के पचपदरा थानान्तर्गत शनिवार की सुबह पचपदरा पुलिस ने अवैध हथियारों के साथ तीन युवको को गिरफ्तार कर एक लालबत्ती लगी गाड़ी सहित दो वाहन जब्त कर लिए। बताया जा रहा हैं कि पुलिस ने इस मामले में करीब एक दर्जन लोगो को हिरासत में लिया था जो सभी उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं। जिनमें से एक यूपी के सांसद का पुत्र भी बताया जा रहा हैं जिनसे हुई पुछताछ के बाद तीन को छोड़कर बाकी को रिहा कर दिया।
भारी मात्रा में अवैध हथियारों के साथ गिरफ्तार हुए इन युवकों के बाड़मेर के तिलवाड़ा में आयोजित होने वाले पशु मेले में शामिल होने की बात बताई जा रही हैं। इसके कारण पूरे कस्बे मंे सनसनी फैल गई। पुलिस के मुताबिक मुखबिर की सूचना के बाद पचपदरा पुलिस ने जोधपुर-बालोतरा रोड़ पर नाकाबंदी करवाई और सुबह करीब 11.30 बजे जोधपुर से एक लालबत्ती गाड़ी यूपी नंबर की आती दिखाई दी। उसके साथ एक ओर भी गाड़ी थी। इन दोनो गाड़ियों में सवार लोगो से पूछताछ के बाद गाड़ी की तलाशी में अवैध हथियार मिलने पर पुलिस ने सभी को हिरासत में लेकर दोनो गाड़िया बरामद कर दी। बाद में दौरान पूछताछ के बाद तीन युवको की पुलिस ने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए एक पिस्टल, दो राईफल एवं 4 कारतुस 7.65 एमएम, 65 कारतुल 0.22 एमएम के बरामद किए गए। गिरफ्तार किए गए युवकों में लाल बत्ती फारच्यून गाड़ी नंबर यूपी.-43, एन.-0033 में सवार युवक की पहचान प्रतीकसिंह उम्र 30 वर्ष पुत्र ब्रजभूषण ठाकुर निवासी विष्णहरपुर, थाना नवाबगंज, जिला गौड़ा, उत्तरप्रदेश के रूप में हुई। इसके पास से एक पिस्टल एवं चार कारतुस बरामद किए गए। जबकि इसी गाड़ी में सवार करणसिंह उम्र 30 वर्ष पुत्र जयराजसिंह ठाकुर निवासी लौहारपुर, थाना नवाबगंज, जिला गौड़ा, उत्तरप्रदेश के पास से एक 12 बोर राईफल एवं करीब 30 कारतुस बरामद किए गए। इसी तरह एक अन्य फारच्यून गाडी यूपी.-32, डीजे.-0999 में से मुकेश पुत्र दंगलसिंह ठाकुर
निवासी सांखीपुर थाना नवाबगंज, जिला गौड़ा, उत्तरप्रदेश को गिरफ्तार किया गया। इसके पास से एक 12 बोर राईफल एवं 35 कारतुस बरामद किए गए। इन युवको से प्रारंभिक रूप से हुई पुछताछ में इन्होंने बताया कि वह लोग तिलवाड़ा मंे होने वाले पशु मेले में भाग लेने आए थे। सूत्रों के मुताबिक इन दोनो गाड़ियों में करीब एक दर्जन युवक सवार थे जिनमें यूपी के एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के सांसद का पुत्र भी शामिल था। लेकिन पुलिस ने इन्हें बाद पूछताछ निर्दोष बताते हुए रिहा कर दिया। पुलिस ने इस संबंध में आम्र्स एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी हैं। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस अधीक्षक संतोष चालके भी पचपदरा पहुंचे एवं पूरे मामले की जानकारी ली।

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थार महोत्सव समापन दे गया अपनापन






थार महोत्सव समापन दे गया अपनापन
थार महोत्सव के समापन पर निकली शोभायात्रा, भगतसिंह सभा स्थल पर हुआ प्रतियोगिताओं का आयोजन
बाड़मेर थार महोत्सव 2011 का समापन समोराह शुक्रवार को उपखंड मुख्यालय बालोतरा पर आयोजित हुआ। समारोह का आगाज शोभायात्रा से किया गया। शोभयात्रा में प्रशासनिक अधिकारियों सहित शहर के सैकड़ों लोगों तथा लोक कलाकारों ने भाग लिया। शोभायात्रा पंचायत समिति से रवाना होकर भगतसिंह सभा स्थल में जाकर विसर्जित हुई। शोभायात्रा का रास्ते में जगह-जगह शहरवासियों ने पुष्पवर्षा से स्वागत किया। इसके बाद भगतसिंह सभा स्थल पर आयोजित हुई विभिन्न प्रतियोगिताओं में लोगों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। । शोभयात्रा में आगे शहनाईवादक, उसके बाद बालिकाएं व महिलाएं सिर पर कलश रखकर चल रही थी। सजे-धजे ऊंट व घोड़ों पर सवार ध्वज पताका लिए चल रहे थे। इस दौरान कीटनोद व स्थानीय गेर दल के कलाकार गेर नृत्य करते हुए शोभायात्रा में चल रहे थे। शोभायात्रा में गुजरात के लोक कलाकार, कालबेलिया नृतक व स्थानीय कलाकारों ने नाचते-गाते हुए शहर का भ्रमण किया।
देर रात तक चलती रही मीठी राग और सधे कदमों की ताल
बाड़मेर थार महोत्सव के समापन समारोह में बालोतरा के भगतसिंह सभा स्थल पर देर शाम सांस्कृतिक कार्यक्रम का रंगारंग आयोजन शुरू हुआ। कार्यक्रम के दौरान लोक कलाकारों ने दर्शकों व अतिथियों का मन मोह लिया। कालबेलिया बालाओं के नृत्य पर दर्शक भी झूमने लगे। वहीं गुजरात से आए कलाकारों ने मनमोहक प्रस्तुतियां देकर खूब तालियां बटोरी। लंगा गायकों ने कार्यक्रम में समां बांध दिया। वहीं अन्य कलाकारों ने देर रात तक लोगों को बांधे रखा।
46 सुरों में भीग नृत्य पर झूमते रहे दर्शक

बालोतरा औद्योगिक नगरी के भगतसिंह सभा स्थल पर शुक्रवार को थार महोत्सव का रंगारंग समापन हुआ। दर्शक देर रात तक टकटकी लगाए लोक संगीत व लोक कला से रूबरू हुए। कलाकारों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने समां बांध दिया। शुक्रवार देर शाम शुरू हुईसांस्कृतिक संध्या का आगाज गफूरखां झांपली के केसरिया बालम से हुआ। इसके बाद धोधेखां व खीमाराम ने अलगोजे पर पणिहारी की प्रस्तुति से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। वहीं पाली की धर्मीबाई एंड पार्टीकी तेरह ताली व कालूखां जोधपुर का ढोल-थाली अग्नि नृत्य भी दर्शकों को खूब भाया। इसके बाद बडऩांवा के मिट्ठूखां लंगा एंड पार्टी ने गोरबंद की मनमोहक प्रस्तुति देकर दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। अलवर के बन्नेसिंह ने रिम भवाईकी आकर्षक प्रस्तुति दी। रमेश चौहान एंड पार्टी, मेहबूबअली व जमालखां की हिचकी व गौतम परमार के चरी नृत्य पर दर्शक झूम उठे। इसके बाद गौतम परमार ने भपंग वादन प्रस्तुत किया। बच्चूभाईव साथियों ने होली नृत्य, स्वरूप पंवार ने धरती धोरां री पर नृत्य तथा पुष्कर प्रदीप व जानकी गोस्वामी के भवाईनृत्य ने अतिथियों को भी तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा अनु सोलंकी व उदाराम के घुटना चकरी व अग्नि तराजू नृत्य तथा पारसनाथ जोगी एंड पार्टीकी ओर से प्रस्तुत कालबेलिया नृत्य ने दर्शकों को देर रात तक बैठे रहने पर मजबूर कर दिया। सांस्कृतिक समारोह का मनमोहक संचालन हिंदी में जफरखां सिंधी व अंग्रेजी में दुर्गा आर्य ने किया। कार्यक्रम में जिले के प्रभारी सचिव मनोहर कांत, विधायक मदन प्रजापत, पूर्वगृह राज्य मंत्री अमराराम चौधरी, जिला एवं सेशन न्यायाधीश के अलावा सैकड़ों लोग उपस्थित थे।




कनाना गेर गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा



 कनाना गेर


गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा
जिले के कनाना गांव में शुक्रवार को शीतला सप्तमी के उपलक्ष्य में मेले का आयोजन किया गया। विश्व भर में विख्यात इस मेले में गेर दलों ने गेर नृत्य की मनमोहक प्रस्तुतियों से समां बाधा। इस मौके पर जिले के जनप्रतिनिधियों सहित जिले के प्रभारी सचिव व पूरा प्रशासनिक लवाजमा मौजूद था। वहीं सैकड़ों भक्तों ने मेला स्थल पहुंच शीतला माता की पूजा-अर्चना की तथा खुशहाली की कामना की। इसके अलावा मेला स्थल पर सजी हाट बाजार में लोगों ने जमकर खरीददारी की। वहीं बच्चों ने झूलों का जमकर लुत्फ उठाया। इस मेले में कनाना के अलावा पारलू, मेली, कीटनोद, मघावास, आसोतरा, भिंडाकुंआ, कुंपावास, मांगला, कमों का वाड़ा, पचपदरा आदि गांवों से गेर दल प्रदर्शन के लिए पहुंचे। बच्चों की गेर ने तो सभी को रोमांचित कर दिया। जिले के प्रभारी सचिव सहित जिला कलेक्टर, विधायक आदि ने मेले का भ्रमण कर गेर नृत्य देखा। इनमें दस आंगी गेर दल, 10 डांडिया गेर दल व एक जत्था गेर दल ने भाग लिया। समारोह के दौरान सभी आंगी गेर दलों को 1500-1500 रुपए, डांडिया गेर दलों को 1000-1000 रुपए व जत्था गेर दल को 500 रुपए प्रोत्साहन राशि देकर पुरस्कृत किया गया। कनाना गांव में आयोजित शीतला सप्तमी के मेले में शुक्रवार को आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा। हजारों की संख्या में आए ग्रामीणों ने शीतला माता के मंदिर में पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। वहीं इस विश्व प्रसिद्ध गेर मेले में आस-पड़ोस से आए गेर दलों ने आगंतुकों का मन मोह लिया। मेला परिसर में आयोजित समारोह में जिला प्रमुख मदनकौर, जिले के प्रभारी सचिव मनोहरकांत, पचपदरा विधायक मदन प्रजापत, कलेक्टर गौरव गोयल, पूर्वगृह राज्यमंत्री अमराराम चौधरी सहित अधिकारियों-जनप्रतिनिधियों ने शिरकत कर ग्रामीणों को मनोबल बढ़ाया। कनाना में शुक्रवार अल सवेरे से ही ग्रामीणों का आना शुरू हो गया। मेले में लगे हाट बाजार में जहां ग्रामीण युवक-युवतियों ने जमकर खरीदारी की, वहीं बच्चों ने झूलों का आनंद उठाया। प्रशासन व कनाना ग्राम पंचायत की ओर से मेले में सुचारू व्यवस्थाएं की गईथी। 

कलेक्टर ने कहा, मेले की विश्व में पहचान बनाएंगे
 

समारोह के दौरान कलेक्टर गौरव गोयल ने कहा कि इस गेर मेले को थार महोत्सव से जोड़ा गया है। मेले के विजुअल इंटरनेट पर डाले जाएंगे, जिससे देशी व विदेशी पर्यटक आकर्षित हो सके। प्रशासन कोशिश करेगा कि इतने उम्दा मेले में विदेशी मेहमान भी पहुंचे। इससे पर्यटन विकास को बल मिलेगा। जिला प्रमुख मदन कौर ने कहा कि मेलों से आपसी भाईचारा व सामंजस्य बढ़ता है। पचपदरा विधायक मदन प्रजापत ने सरकार के विकास कार्यों का बखान करते हुए उपलब्धियां गिनाई। विधायक ने मेला मैदान पर विधायक कोष से स्वीकृत पांच लाख रुपए से बनने वाले शेड का शिलान्यस भी किया। साथ ही उन्होंने देवासी समाज भवन के लिए विधायक कोष से राशि देने की बात कही। कार्यक्रम को पूर्व गृह राज्य मंत्री अमराराम चौधरी ने भी संबोधित किया

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

CHAMATKAR...CHAMATKAR..NANDI DOODH PEE RAHE HAI JI

AAP MANE YA NA MANE MAGAR YEH SOLAH AANE SUCH HAI KI BARMER KE SHIV MANDIRO MAI NANDI DOODH PEE RAHE HAI...NANDI GHAR KE MANDIR KE HO YA BAHAR KE SAB JAGAH DOODH PEE RAHE HAI...AASTHA AUR VISHVAS HILORE MAR RAHA HAI...MERE APANE GHAR PAR SMT JI NE CHAMMACH SE NANDI KO DOODH PILAYA.....HAMNE MANDIR MAI NANDI KE DOODH PEETE KI COVREGE BHI KI....CHAMATKAR KAHO YA ANDHVISHVAS YA AASTHA KA JWAR...HAR HAR MAHADEV

जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई


जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई
       जैसलमेर, 25 मार्च/जैसलमेर के माननीय जिला एवं सैशन न्यायाधीश जमनादास थानवी ने जिले की बीरमाणी में 13 मार्च 2010 को बकरिया चरा रहे खंगारसिंह पर जानलेवा हमले के मामले में निर्णय सुनाते हुए अभियुक्त कोजराजसिंह राजपूत निवासी बीरमाणी (पुलिस थाना झिनझियाली) अलग-अलग धाराओें में दो वर्ष का कठोर कारावास तथा दो सौ रुपया अर्थदण्ड के साथ ही आठ वर्ष छह माह सात दिन का के कारावास और 2200 रुपए अर्थ दण्ड की सजाएं सुनायी हैं। ये सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। निर्णय में कहा गया है कि अभियुक्त द्वारा इस प्रकरण में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बितायी गई अवधि को उक्त कारावास अवधि से मुजरा कर दी जाए।
       जिला एवं सैशन न्यायाधीश के दण्डादेश के अनुसार सैशन प्रकरण संख्या 49/2010 में ये सजाएं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 452, 341, 324, 326 एवं 307 में सुनायी गई हैं। इस मामले में राज्य की ओर से लोक अभियोजक महेन्द्रकुमार चौधरी तथा अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता किशनसिंह भाटी ने पैरवी की।

जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई


जानलेवा हमले के अभियुक्त को दस साल के कारावास की सजा सुनायी गई
       जैसलमेर, 25 मार्च/जैसलमेर के माननीय जिला एवं सैशन न्यायाधीश जमनादास थानवी ने जिले की बीरमाणी में 13 मार्च 2010 को बकरिया चरा रहे खंगारसिंह पर जानलेवा हमले के मामले में निर्णय सुनाते हुए अभियुक्त कोजराजसिंह राजपूत निवासी बीरमाणी (पुलिस थाना झिनझियाली) अलग-अलग धाराओें में दो वर्ष का कठोर कारावास तथा दो सौ रुपया अर्थदण्ड के साथ ही आठ वर्ष छह माह सात दिन का के कारावास और 2200 रुपए अर्थ दण्ड की सजाएं सुनायी हैं। ये सभी मूल सजाएं साथ-साथ चलेंगी। निर्णय में कहा गया है कि अभियुक्त द्वारा इस प्रकरण में पुलिस व न्यायिक अभिरक्षा में बितायी गई अवधि को उक्त कारावास अवधि से मुजरा कर दी जाए।
       जिला एवं सैशन न्यायाधीश के दण्डादेश के अनुसार सैशन प्रकरण संख्या 49/2010 में ये सजाएं भारतीय दण्ड संहिता की धारा 452, 341, 324, 326 एवं 307 में सुनायी गई हैं। इस मामले में राज्य की ओर से लोक अभियोजक महेन्द्रकुमार चौधरी तथा अभियुक्त की ओर से अधिवक्ता किशनसिंह भाटी ने पैरवी की।

सरहद पर शिक्षा सुविधाओं का प्रसार तालीम के मंदिरों को मिली जमीन


सरहद पर शिक्षा सुविधाओं का प्रसार
तालीम के मंदिरों को मिली जमीन

     जैसलमेर, 25 मार्च/हिन्दुस्तान के सीमावर्ती जिले के जैसलमेर में तालीम से तरक्की का सफर तय करने में मददगार बने विद्यालयों के लिए जिला प्रशासन की पहल भावी पीढ़ियों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।
     जिले में कई भूमिहीन विद्यालयों के लिए न खुद का भवन था, न खेल का मैदान। इस बारे में जिले में चलाए गए प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत हुए शिविरों में इस तरह की समस्याओं के निपटारे को प्राथमिकता देते हुए निस्तारण कर दिया लेकिन कुछ मामले प्रक्रियाधीन होने की वजह से तत्काल निस्तारित नहीं हो पाए थे जिन्हें जिला प्रशासन ने गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लिया और समस्या से मुक्ति दिला दी।
     प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविरों में जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों के पास खुद का भवन व खेल मैदान नहीं होने की स्थिति में भूमि मुहैया कराने के बारे में संबंधित स्कूलों की ओर से प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए थे।
     जैसलमेर क्षेत्र के शिविर प्रभारी, उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द्र अग्रवाल ने इस मामले में संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्यवाही को अंजाम दिया और तहसीलदार के माध्यम से विद्यालयों को नियमानुसार आवंटन योग्य भूमि के प्रस्ताव तैयार करवाकर इन स्कूलों की समस्या को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
     जैसलमेर के जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुषवाहने क्षेत्र के सात भूमिहीन विद्यालयों को पांच-पांच बीघा भूमि का आवंटन कर दिया गया है। इनमें नीम्ब की ढाणी एवं रातड़िया की ढाणी (खुहड़ी), हरचंदराम की ढाणी सेलत(खींवसर), करमवाला, झण्डाखारा, हरनाउ, डूंगरराम की ढाणी तथा झण्डाखारा  के राजकीय प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
     इन सभी को 5-5 बीघा भूमि का आवंटन किया गया है। यह भूमि विद्यालयों के भवन तथा खेल मैदानों के लिए इन स्कूलों को आवंटित की गई है।
     इससे पूर्व अभियान की अवधि में ही विभिन्न राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए भवन और खेल मैदान तथा भूमि आवश्यकता के कई मामलों का निस्तारण कर इन स्कूलों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान किया जा चुका है।
     इन सभी स्कूलों के लिए उनके अपने गांव में लगे प्रशासन गांवों के संग शिविर शिक्षा के विस्तार और विकास के साथ ही नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण के महानुष्ठान साबित हुए हैं।

हसन ने शाम को हसीन बना दिया अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..


हसन ने शाम को हसीन बना दिया
अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया..

बाड़मेर  थार महोत्सव के दूसरे दिन आदर्श स्टेडियम में हसन ने शाम को हसीन बना दिया। दूधिया रोशनी के बीच मधुर सूर में ‘अंदाज अपने आइने देखते हैं.. म्होरा पिया घर आया.. की प्रस्तुति पर बच्चे, युवा व युवतियां ने जमकर डांस किया। देर रात सूरों की महफिल जमी रही। प्रभा साधुवानी ने केसरिया बालम आओ नी..व गजरा मोहब्बत वाला.. गीत प्रस्तुत खूब तालियां बटोरी। आदर्श स्टेडियम में गुरुवार शाम आयोजित राजा हसन नाइट में फिल्मी गीत व गजलों पर जनता झूम उठी। सैकड़ों श्रोताओं की मौजूदगी में जब राजा हसन ने ‘टूटा टूटा एक परिंदा..फिर न उड़ पाया’ पेश किया तो तालियां की गडगड़़ाहट से स्टेडियम परिसर गूंज उठा। इसके बाद ख्वाबों में भी बादल ही थे.. अल्हा के बंदे हंस ले सुनाया। इस दौरान हसन गुनगुनाते हुए श्रोताओं के बीच पहुंचे तो हर कोई हसन के साथ ठुमके लगाने को आतुर हो गया। हसन के आह्वान पर बच्चे व युवतियां मंच पर आ गए। जहां हसन के सुरों की धुन पर नाचने लगे। जोश का जुनून इतना जबरदस्त था कि कुछ ही पलों में बड़ी तादाद में युवा मंच पर नाचने को पहुंच गए। हसन ने तेरे बिन नहीं लगता मन.., होगा हमसे प्यारा कौन.., कैसे बताएं तुमको चाहे..,की शानदार प्रस्तुति देकर झूमने को मजबूर कर दिया। इस तरह एक से बढ़कर एक शानदार प्रस्तुतियां ने श्रोताओं का मन मोह लिया। यह सिलसिला यही नहीं थमा, देर रात तक सुरों के सरताज को सुनने के लिए श्रोता जमे रहे। हसन ने लोक देवता बाबा रामदेव को याद करते हुए बाबा थांसू आस लगी है. पेश कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। इस मौके पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके,जिला प्रमुख मदनकौर, नगरपालिका अध्यक्ष उषा जैन समेत तमाम आला अधिकारी, जनप्रतिनिधि व बाड़मेर के नागरिक मौजूद थे। गूंज उठे राजा के जयकारें.हसन नाइट में राजा का जादू सिर चढ़कर बोला। कलाकारों की जुगलबंदी का अद्भुत करिश्मा देखने को मिला। हसन के प्रत्येक गीत की गूंज पर जयकारें गूंज उठे

शीतला सप्तमी


शीतला सप्तमी
शीतला सप्तमी या अष्टमी का व्रत केवल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को होता है और यही तिथि मुख्य मानी गई है। किंतु स्कन्द पुराण के अनुसार इस व्रत को चार महीनों में करने का विधान है। इसमें पूर्वविद्धा अष्टमी (व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा) ली जाती है। चूँकि इस व्रत पर एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है अतः इस व्रत को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। शीतला को चेचक नाम से भी जाना जाता है।

यह व्रत कैसे करे

व्रती को इस दिन प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।

स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-

मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये


संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।

इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएँ।

यदि आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हों तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएँ। जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी और शर्करा से युक्त सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी और शक्कर मिली हुई खीर।

तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और यदि यह उपलब्ध न हो तो शीतला अष्टमी की कथा सुनें।

रात्रि में जगराता करें और दीपमालाएँ प्रज्वलित करें।

विशेष : इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का भक्षण या उपयोग न करे।


गुरुवार, 24 मार्च 2011

विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला



विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला

बाड़मेर अंबों का बाड़ा गांव स्थित संतोष भारती महाराज के समाघि स्थल पर मंगलवार को प्रसिद्ध वार्षिक डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला आयोजित हुआ। समाघि स्थल की पूजा अर्चना करने  क्षेत्र के  हजारों ग्रामीणों ने पारम्परिक वस्त्र पहन मेले में भाग लिया। विख्यात डांडिया गेर नृत्य लाखेटा मेला में भाग लेने को लेकर क्षेत्र भर मेंउत्साह देखने को नजर आया।
सूर्योदय के साथ ही ग्रामीण पुरूष तो महिलाएं पारम्परिक वस्त्रों से सजधज कर मेले को जाने वाले मार्गो पर पैदल जाते नजर आए। दिन चढ़ने के साथ निजी बसों, वाहनों से बड़ी संख्या में पहुंचे मेलार्थियों पर मेला खचाखच भर गया। मेलार्थियों ने संतोष भारती के समाघि स्थल पर विघि विधान से पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ा परिवार में खुशहाली की कामना की। इसके बाद उन्होंने मेले  में लगी दुकानों से दैनिक जरूरत के सामान, खेल खिलौनों, गुब्बारों, चरकी, बाजे आदि  की  बढ़चढ़ कर खरीदारी की। वहीं मिठाईयों, नमकीन, चाट पकौड़ी, आईसक्रीम, गन्ना रस आदि का जमकर लुफ्त उठाया। मौत का कुआ सभी मेलार्थियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। दोपहर दो बजे तक मेला पूरे यौवन पर था।
गेर नर्तकों ने मोहा मन
मेले में क्षेत्र के गांवों से भाग लेने वाले तेरह दलों के गेरियों ने ढोल की ढंकार, थाली की टंकार, चंग की थाप के साथ बजते फागुणी गीतों पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी।
यह रहे परिणाम 
डंाडिया गेर नृत्य में प्रथम कम्मो का बाड़ा, द्वितीय सेवाली, तृतीय लालिया, जत्था गेर में प्रथम मजल, द्वितीय लाखेटा, तृतीय स्थान लालिया ने प्राप्त किया। ढोल वादन में अमिताभ मेली, द्वितीय खेताराम लालिया व तृतीय स्थान घेवरराम कम्मों का बाड़ा ने प्राप्त किया। इसके अलावा मेले में मेली बांध, कोटड़ी, लाखेटा द्वितीय, बुर्ड, मियों का बाड़ा, ढीढ़स, करमवास आदि गांवों के गेर दलों ने भाग लेकर नृत्य की प्रस्तुतियां दी। विजेताओं को ग्राम पंचायत कोटड़ी की ओर से विधायक सिवाना कानसिंह कोटड़ी, उपखंड अघिकारी एन.के.जैन, बीसूका जिला उपाध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने पुरस्कृत किया।
मेले लोक संस्कृति के प्रतीक
बीसूका जिला उपाध्यक्ष गोपाराम मेघवाल ने लाखेटा मेले में मुख्य अतिथि पद से संबोघित करते हुए कहा कि मेले हमारी लोक संस्कृति के प्रतीक है। उम्मेद सागर-खंडप जनपरियोजना का कार्य युद्ध स्तर पर जारी है। शीघ्र ही समदड़ी को मीठा पानी मिलेगा। मेला कमेटी के अध्यक्ष व विधायक सिवाना कानसिंह कोटड़ी ने कहा कि क्षेत्र में पेयजल की भारी किल्लत है। पेयजल योजना को शीघ्र पूरा करने, बिजली, सड़क की समस्या, बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिलवाने की मांग उन्होंने विधानसभा में रखी है।
  भाजपा जिला महामंत्री बाबूसिंह राजगुरू ने उम्मेदसागर जलपरियोजना का पानी क्षेत्र के गांवों को उपलब्ध करवाने व बर्बाद हुई फसलों का मुआवजा दिलाने की मांग की। उपखंड अघिकारी नरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि मेले आपस में जोड़ने का कार्य करते हंै। कोटड़ी सरपंच सुकीदेवी ने आभार ज्ञापित व संचालन प्रदीप व्यास ने किया।


थार महोत्सव कला व संस्कृति का अनूठा संगम







पावणा पधारो म्हारे देस 
सात समंदर पार से आने वाले विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद यहां की कला व संस्कृति है। स्वर्णनगरी पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। यहां आने वाले सैलानियों को धोरों पर घूमना व झूपों में रहना रास आ रहा है। थार महोत्सव के माध्यम से संदेश दिया गया कि बाढ़ाणा में पर्यटन की विपुल संभावनाएं है। यहां भी कला व संस्कृति का अनूठा संगम है।

थार महोत्सव के तहत बुधवार शाम 4 बजे महाबार के धोरों पर ऊंट, घोड़ा दौड़ प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें ग्रामीणों ने उत्साह दिखाया। इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए दूर दराज गांवों से ग्रामीण सजधज कर पहुंचे। पारंपरिक वेशभूषा में आए ग्रामीण ऊंट, घोड़ों पर सवार होकर रेस में शामिल हुए। दौड़ शुरू होने पर दर्शकों ने तालियां बजाकर हौसला अफजाई की। इस कड़े मुकाबले में हर कोई आगे निकलने के लिए आतुर नजर आया। इस मौके पर बीएसएफ के जवान भी ऊंट लेकर मैदान में पहुंचे। जहां जवानों ने ऊंटों पर हैरतअंगेज करतब दिखाकर खूब तालियां बटोरी। इस मौके पर जिला कलेक्टर गौरव गोयल, स्वामी प्रतापपुरी सहित कई अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौजूद थे। विजेताओं को नकद पुरस्कार प्रदान किया गया।

थार महोत्सव के आगाज के बाद स्थानीय आदर्श स्टेडियम में रंगारंग कार्यक्रम के साथ विभिन्न प्रतियोगिताओं में प्रतिभागियों ने उत्साह से भाग लिया। आंगी गेर दलों ने ढोल की थाप व थाली की टंकार पर गेर नृत्य प्रस्तुत किया। इस दौरान ढोल वादन, ऊंट श्रृंगार, रंगोली, मेहंदी, साफा बांध, दादा पोता दौड़, मूंछ समेत कई प्रतियोगिताएं आयोजित हुई। जिला कलेक्टर गौरव गोयल व जिला प्रमुख मदनकौर ने ढोल बजाकर कार्यक्रम का विधिवत रूप से शुभारंभ किया। इसके बाद प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हुआ। दादा पोता दौड़, रस्सा कस्सी, मटका दौड़ व थार श्री व थार सुंदरी प्रतियोगिताएं आकर्षण का केंद्र रही।
 


रेत के समंदर में हिलोरे मारती विकास की उम्मीदें और वक्त की रफ्तार के साथ बढ़ते कदमों ने विश्व पटल पर बाड़मेर की अमिट छाप छोड़ी है। थार की परंपराओं को फिर से जीवंत करने का साझा प्रयास थार महोत्सव में देखने को मिला। पुरखों ने दशकों तक परंपराओं का निर्वहन बखूबी से करते हुए इन्हें जिंदा रखा ताकि युवा पीढ़ी का मोह जुड़ा रहे। यहां के गेर, कालबेलिया नृत्य लुप्त होने के कगार पर है। वहीं होली, दीपावली पर होने वाली ऊंट, घुड़ दौड़ प्रतियोगिताएं भी बीते जमाने की बात हो गई। महोत्सव में कला व संस्कृति फिर से जीवंत हो गई। कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में शानदार प्रस्तुतियां के माध्यम से जागरूकता का संदेश दिया।

बारिश ने भी किया स्वागत : महाबार धोरों में आयोजित कैमल व हॉर्स सफारी प्रतियोगिता के दौरान मौसम पलटी खा जाने से अचानक बारिश शुरू हो गई।



धोरों पर बही सूर सरिता, आतिशबाजी के नजारों ने मनमोहा 

महाबार में बुधवार रात को सांस्कृतिक संध्या में लोक कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां से समा बांध दिया। सुरमयी सांझ में लोक गीतों की धून ने वातावरण में मिठास घोल दी। कलाकारों ने आपसी जुगलबंदी पर हैरतअंगेज करतब दिखाए। गुजरात के कलाकारों की टीम ने विभिन्न मुद्राओं में नृत्य पेश कर खूब तालियां बटोरी। लोक कलाकार अनवर खां ने निंबूड़ा निंबूड़ा.. लोक गीत प्रस्तुत किया। पुष्कर प्रदीप एण्ड पार्टी ने जंवाई जी पावणा.. गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया। अंतरराष्ट्रीय कलाकार स्वरूप पंवार ने भवाई नृत्य पेश कर संतुलन का अद्भूत करिश्मा दिखाया। अलगोजा वादक धोधे खां ने अलगोजा पर रूमाल गीत प्रस्तुत कर खूब तालिया बटोरी। जैसलमेर के कलाकार उदाराम ने अग्नि नृत्य पेश किया। अलवर के कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य कालियो कूद पडय़ो मेला..प्रस्तुत किया। ठिठक गए चांद सितारे: महाबार में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद आतिशबाजी के नजारे मनमोहक थे। पटाखों की गूंज के साथ रंग बिरंग रोशनी कभी जमीं तो कभी आसमान पर नजर आई। आकर्षक आतिशबाजी का लोगों ने धोरों पर बैठकर लुत्फ उठाया। करीब आधे घंटे तक चली आतिशबाजी के बाद कार्यक्रम के समापन की घोषणा की गई।