सरहद पर शिक्षा सुविधाओं का प्रसार
तालीम के मंदिरों को मिली जमीन
जैसलमेर, 25 मार्च/हिन्दुस्तान के सीमावर्ती जिले के जैसलमेर में तालीम से तरक्की का सफर तय करने में मददगार बने विद्यालयों के लिए जिला प्रशासन की पहल भावी पीढ़ियों के लिए वरदान सिद्ध हुई है।
जिले में कई भूमिहीन विद्यालयों के लिए न खुद का भवन था, न खेल का मैदान। इस बारे में जिले में चलाए गए प्रशासन गांवों के संग अभियान के अन्तर्गत हुए शिविरों में इस तरह की समस्याओं के निपटारे को प्राथमिकता देते हुए निस्तारण कर दिया लेकिन कुछ मामले प्रक्रियाधीन होने की वजह से तत्काल निस्तारित नहीं हो पाए थे जिन्हें जिला प्रशासन ने गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ लिया और समस्या से मुक्ति दिला दी।
प्रशासन गांवों के संग अभियान के शिविरों में जिले के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक स्तर तक के विद्यालयों के पास खुद का भवन व खेल मैदान नहीं होने की स्थिति में भूमि मुहैया कराने के बारे में संबंधित स्कूलों की ओर से प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए थे।
जैसलमेर क्षेत्र के शिविर प्रभारी, उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द्र अग्रवाल ने इस मामले में संवेदनशीलता के साथ त्वरित कार्यवाही को अंजाम दिया और तहसीलदार के माध्यम से विद्यालयों को नियमानुसार आवंटन योग्य भूमि के प्रस्ताव तैयार करवाकर इन स्कूलों की समस्या को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
जैसलमेर के जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुषवाहने क्षेत्र के सात भूमिहीन विद्यालयों को पांच-पांच बीघा भूमि का आवंटन कर दिया गया है। इनमें नीम्ब की ढाणी एवं रातड़िया की ढाणी (खुहड़ी), हरचंदराम की ढाणी सेलत(खींवसर), करमवाला, झण्डाखारा, हरनाउ, डूंगरराम की ढाणी तथा झण्डाखारा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
इन सभी को 5-5 बीघा भूमि का आवंटन किया गया है। यह भूमि विद्यालयों के भवन तथा खेल मैदानों के लिए इन स्कूलों को आवंटित की गई है।
इससे पूर्व अभियान की अवधि में ही विभिन्न राजकीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के लिए भवन और खेल मैदान तथा भूमि आवश्यकता के कई मामलों का निस्तारण कर इन स्कूलों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान किया जा चुका है।
इन सभी स्कूलों के लिए उनके अपने गांव में लगे प्रशासन गांवों के संग शिविर शिक्षा के विस्तार और विकास के साथ ही नई पीढ़ी के भविष्य निर्माण के महानुष्ठान साबित हुए हैं।
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