बुधवार, 21 मार्च 2012

रातभर बंधक बना कर गैंग रेप

रातभर बंधक बना कर गैंग रेप

ग्वालियर। मुरार थाना क्षेत्र में हुए गैंगरेप के मामले को अभी 48 घंटे भी नहीं हुए थे, कि झांसी रोड थाना क्षेत्र में एक और गैंगरेप का मामला सामने आ गया। महिला को लिफ्ट देने के बहाने आरोपी ग्वालियर रेलवे स्टेशन से अपने साथ ले गए और एबी रोड स्थित कालेज के पीछे चौकीदार के कमरे में गैंगरेप किया। साथ ही महिला को रातभर बंधक बना कर रखा। एक आरोपी महिला को सुबह मोटरसाइकिल पर छोड़ने बस स्टैंड जा रहा था। झांसी रोड थाने के पास एक सिपाही को देखकर महिला ने शोर मचाया तो मामले का खुलासा हो सका। पुलिस ने आरोपी को पकड़ लिया है।

भिंड निवासी रजिया (परिवर्तित नाम) सोमवार शाम सात और आठ बजे के बीच दिल्ली में इलाज करा रहे अपने भाई को देखकर ग्वालियर स्टेशन पर उतरी थी। रजिया के अनुसार वह भिंड की बस पकड़ने के लिए जाने लगी तभी मोटरसाइकिल पर एक युवक आया और उसे बस स्टैंड तक लिफ्ट देने की बात कह कर बैठा ले गया। युवक उसे बस स्टैंड तक न ले जाकर एबी रोड स्थित एक कालेज के पीछे बने चौकीदार के कमरे में ले गया। महिला के अनुसार दो और लोग पीछे चल रहे थे उन्होंने भी रेप किया।

महिला के शरीर में चोटों के निशान हैं। सुबह करीब ग्यारह बजे मुरारी शर्मा नामक युवक उसे बाइक से बस स्टैंड छोड़ने जा रहा था। झांसी रोड थाने के पास आते ही सिपाही को देखकर महिला चीखने लगी। पुलिस दोनों को थाने ले आई। पूछताछ में तीन लोगों के नाम सामने आए हैं। आरोपी एक कालेज के चौकीदार बताए जा रहे हैं। उधर कम्पू थाना क्षेत्र अंतर्गत अवाड़पुरा में भी एक युवती के साथ बलात्कार का मामला प्रकाश में आया है। घटना 13 मार्च की है, पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

तलाश जारी
महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पुलिस मामले की छानबीन कर शेष आरोपियों की तलाश कर रही है।
प्रदीप पटेल, सीएसपी,झांसी रोड

बलात्कार की घटनाएं
जनवरी: शताब्दीपुरम में एक महिला को 15 दिन तक घर में बंधक बनाकर रेप, एक आरोपी गिरफ्तार।
जनवरी: जनकगंज क्षेत्र अंतर्गत लक्ष्मीगंज में महिला को बहलाफुसलाकर रेप, आरोपी पकड़ा।
मार्च: मुरार में महिला से चार लोगों ने गैंग रेप किया, चारों आरोपी पुलिस ने पकड़े।
मार्च: कम्पू थाना क्षेत्र अंतर्गत अवाड़पुरा में बहलाफुसलाकर रेप, आरोपी फरार।

पति को बचाने के लिए होना पड़ा निर्वस्त्र

पति को बचाने के लिए होना पड़ा निर्वस्त्र

बांसवाड़ा। कुशलगढ़ थाना क्षेत्र के नाथपुरा गांव में पति की जान बचाने के लिए एक आदिवासी महिला को निर्वस्त्र होने को मजबूर करने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। पाटन के आमलीपाड़ा गांव निवासी पति के इस्तगासे पर कुशलगढ़ कोर्ट ने पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए।

इस सम्बंध में एसपी अमनदीप सिंह कपूर ने बताया कि मामला दर्ज कर तीन आरोपियों को नामजद किया है। अभियुक्तों को पकड़ने पुलिस टीम देर रात गांव पहुंची। पूछताछ के लिए तीन-चार को पकड़ा है। एक पुलिस दल को नाथपुरा में ही तैनात किया गया है। घटना 13 मार्च 2012 की बताई जा रही है।

यह बताया इस्तगासे में
पति ने इस्तगासे में बताया कि वह 13 मार्च को अपने ससुराल नाथपुरा में किसी समारोह में आया था। समारोह के बाद ही नाथपुरा के कुछ लोगों ने उससे दुश्मनी निकालने का प्रयास किया। आरोप है कि तीन अभियुक्तों ने उसे जान से मारने की कोशिश की। इस दौरान बचाव में आई पत्नी को तीनों अभियुक्तों ने निर्वस्त्र हो जाने पर पति को छोड़ने की शर्त रखी। इसके बाद आदिवासी महिला को लज्जित किया गया। पति ने नाथपुरा गांव के कुंजी, कमला व आखन सहित अन्य पर आरोप लगाए हंै।

पुलिस की भूमिका पर सवाल
मामला गंभीर है। इस संबंध में बांसवाड़ा एसपी से चर्चा की है। 13 मार्च की घटना पर मामला अब दर्ज हो रहा है। पहले मामला दर्ज क्यों नहीं किया यह बड़ा प्रश्न है। आयोग प्रसंज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करेगा।
लाड कुमारी जैन, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष

नेता प्रतिपक्ष ने जताई चिंता
राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष की नेता वसुंधरा राजे ने महिला को निर्वस्त्र करने की घटना पर चिंता जताते हुए आरोप लगाया कि सरकार ऎसी घटनाओं को रोकने के बजाय कुंभकर्णी नींद सो रही है। उन्होंने कहा कि आए दिन महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं सामने आ रही हैं, ऎसी घटनाओं से स्पष्ट है कि प्रदेश में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।

ललित मोदी दिवालिया घोषित

ललित मोदी दिवालिया घोषित

लंदन। आईपीएल के पूर्व आयुक्त ललित मोदी को लंदन की एक अदालत ने निजी सुरक्षा कंपनी को 65000 पाउंड (लगभग 53 लाख रूपए) का भुगतान करने में नाकाम रहने पर दिवालिया घोषित किया है। मोदी पर अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा कंपनी पेज ग्रुप द्वारा 2010 में मुहैया कराई गई सेवाओं के लिए यह फीस बकाया है। "द टेलीग्राफ" की रिपोर्ट के मुताबिक यह आदेश पिछले महीने दिया गया। मोदी ने बचाव में कहा, "आदेश दिए जाने तक मुझे बिल्कुल जानकारी नहीं थी कि मेरे ऊपर कोई राशि बकाया है।


पता चला तो मैंने पैसा अदालत में जमा कराने की पेशकश की, लेकिन किसी कारण से संबंधित कंपनी ने इससे इनकार कर दिया।" लंदन में रहने वाले मोदी को लगता है कि यह सुरक्षा कंपनी का सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास है।

हमने मोदी को उनके और उनके परिवार के खिलाफ धमकियों के सिलसिले में कई सुरक्षा सेवाएं मुहैया कराई। हमने उन्हें कई बिल दिए, जिनका भुगतान नहीं किया गया।
- स्टुअर्ट पेज, अध्यक्ष, पेजग्रुप

पेड़ से टकराकर शोला बनी कार, जिंदा ही जल गया पूर्व सैनिक!



बाड़मेर एलपीजी किट लगी एक कार मंगलवार को बाड़मेर जोधपुर रोड पर लूणावास गेलावास के निकट पेड़ से टकराई व गैस रिसने से आग के शोले में तब्दील हो गई। दुर्घटना में कार चला रहे मदेरणा कालोनी निवासी पूर्व सैनिक हरिसिंह (55) की आग में झुलसकर मौके पर ही मौत हो गई। जबकि एक बच्चे सहित चार लोगों को पुलिस व क्षेत्रवासियों ने तत्परता से बाहर निकाला।

 

झंवर थानाधिकारी परबत सिंह सोलंकी ने बताया कि मूलतया रिड़मलसर निवासी हरिसिंह के परिजन व कुछ अन्य लोग जोधपुर से जसोल जा रहे थे। सुबह 9:45 बजे लूणावास-गेलावास गांव के पास कार असंतुलित होकर सड़क के दूसरी ओर एक पेड़ से जा टकराई। जबरदस्त टक्कर से कार घूम गई और इसमें लगे गैस किट का पाइप फट गया। गर्म इंजन की चपेट में आने से गैस ने आग पकड़ी और कार लपटों में घिर गई। अचानक घटे इस घटनाक्रम से कार में बैठे लोग अंदर ही फंस गए। हरिसिंह की कार में ही मौत हो गई।



इस दौरान वहां से गुजर रहे एक व्यक्ति ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस व क्षेत्रवासियों ने अन्य चार जनों को बाहर निकाल लिया। हादसे में झुलसे भवानीसिंह (25) पुत्र हरिसिंह, कमलकिशोर (19) पुत्र हरीकिशन पंचारिया, ज्योतिदेवी (45) पत्नी हरीकिशन पंचारिया व गोपाल पुत्र कालू सिंह को एमडीएम अस्पताल पहुंचाया गया।



पुलिस की तत्परता से बची चार जानें



लोगों में आमतौर पर देरी से पहुंचने वाली पुलिस की छवि को गलत साबित करते हुए एसएचओ व उनकी टीम तत्काल मौके पर पहुंची। दुर्घटनास्थल के पास से गुजर रहे क्षेत्रवासी भगवान गिरी ने तत्काल धवा पुलिस चौकी व झंवर थानाधिकारी को सूचना दी। पुलिस टीम मिनटों में ही वहां पहुंची और कुछ लोगों के साथ मिलकर जलती कार के शीशे तोड़े और उसमें फंसे चार लोगों को बाहर निकाल लिया।

मंगलवार, 20 मार्च 2012

सैलानियो को डिस्काउंट देकर आकर्षित करने का "फार्मूला"

सैलानियो को डिस्काउंट देकर आकर्षित करने का "फार्मूला"  

जैसलमेर । गर्मी के मौसम में यहां सैलानियो की आवक न रूके, इसके लिए पर्यटन व्यवसायियो की ओर से सैलानियो को डिस्काउंट देकर आकर्षित करने का "फार्मूला" काफी कारगर साबित हो रहा है। मार्च महीने मे सैलानियो की आवक बढ़ाने के उद्देश्य से पर्यटको को पर्यटन से संबंधित सुविधा के लिए 30 से 40 प्रतिशत डिस्काउंट दिया जा रहा है। ऑफ सीजन मे भी देशी-विदेशी सैलानियो को स्वर्णनगरी की ओर खींचने के लिए पर्यटन व्यवसायियो ने इस बार कमर कस ली है। इसके अलावा बजट क्लास के सैलानियो जैसी ही सुविधाएं अन्य पर्यटको को मुहैया करवाई जा रही हंै।

पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगो की कवायद अब रंग लाती दिख रही है, यही कारण है कि इन दिनो स्वर्णनगरी के सोनार दुर्ग, पटवा हवेली व गड़ीसर तालाब के समीप सैलानियो के बड़े गु्रप देखे जा सकते हैं। विशेषकर इन दिनो फ्रांस, इटली व स्पेन के विद्यार्थी व शिक्षक वर्ग के लोग तथा कम बजट वाले पर्यटक यहां पहुंच रहे हंै।

दोपहर के समय गर्मी की प्रचंडता के बावजूद देशी-विदेशी मेहमानों को स्वर्णनगरी का भ्रमण करते देखा जा सकता है। गर्मी में पर्यटकाें की आवक देखकर पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगाें के चेहरे खिल उठे हंै। पर्यटन स्थलों के अलावा बाजाराें में चमड़े के सामान, रेस्टोरेंट्स व हैण्डीक्राफ्ट्स की दुकानाें में भी सैलानियों की काफी चहल-पहल देखी जा सकती है।

गर्मी मे राहत का अहसास
डिस्काउंट देकर सैलानियो को आकर्षित करने का फार्मूüला कारगर साबित होने व गर्मी के बावजूद सैलानियाें के ग्रुप आने का सिलसिला बना रहने से गाइडिंग के कार्य से जुड़े लोगाें को गत सीजन की तुलना में अच्छा रोजगार मिल रहा है। यही कारण है कि पर्यटन व्यवसायियाें के चेहरे खिले हैं। अमूमन पर्यटकाें के इंतजार में बैठे रहने वाले टैक्सी चालकाें की भी इन दिनाें काफी पूछ होने लगी है। सम व खुहड़ी के रेतीले धोराें पर व अन्य दर्शनीय स्थलाें के समीप कैमल सफारी का कारोबार करने वाले लोग भी इस सीजन में उत्साहित हैं।

"बोनस" का "सीजन"
स्वर्णनगरी में गर्मी के मौसम में भी हस्तशिल्प व्यवसायियाें ने विदेशी पर्यटकाें को रिझाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यहां आने वाले विदेशी सैलानी हस्तशिल्प से निर्मित वस्तुओं से अभिभूत तो है ही, साथ ही हैण्डीक्राफ्ट्स से संबंधित परिधान व सौंदर्य सामग्री उन्हें काफी आकçष्ाüत कर रही है। यहां आने वाले विदेशी सैलानियाें का सबसे अधिक रूझान पेचवर्क से निर्मित तोरण पर दिखाई दे रहा है। सीजन की तरह इन दिनाें में भी अच्छा रोजगार मिलने से पर्यटन कारोबारी उत्साहित है।

इन्होने कहा
गर्मी की दस्तक होने के बावजूद इस बार जैसलमेर मे पहुंचने वाले ये सैलानी कम बजट वाले हैं। ऎसे सैलानी बजट क्लास ट्यूरिस्ट की भांति पर्यटन सीजन मे पर्यटन की इच्छा पूर्ण नहीं कर पाते। वे इन्हीं दिनो मे यहां भ्रमण करते हैं।
-चंद्रशेखर श्रीपत
पर्यटन व्यवसायी व्यवसायी

लेडी गागा का संगीत गैर-इस्लामी!

लेडी गागा का संगीत गैर-इस्लामी!

जकार्ता। इंडोनेशिया की सर्वोच्च इस्लामी संस्था के एक सदस्य ने कहा है कि अमरीकी पॉप गायिका लेडी गागा के आगामी संगीत समारोह से मुसलमानों को दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि गागा विश्व के सबसे बड़े मुस्लिम देश के मूल्यों को कमजोर करना चाहती हैं। इंडोनेशियन काउंसिल ऑफ उलेमा के अध्यक्ष चोलिल रिडवान ने कहा कि राष्ट्र की नैतिकता नष्ट करने के इरादे से यह संगीत समारोह आयोजित किया जा रहा है।

चोलिल ने कहा कि गागा के परिधानों के तौर-तरीकों व उनके नृत्य को गैर-इस्लामी माना जाना चाहिए। वह पश्चिम से हैं और वह प्रस्तुतियां देते हुए अक्सर अंग प्रदर्शित करती हैं। उन्होंने कहा कि खुद उन्होंने कभी भी गागा की प्रस्तुति नहीं देखी है लेकिन दूसरों से उनके बारे में सुना है। उन्होंने कहा कि जिन 25,000 प्रशंसकों ने तीन जून को होने वाले "बॉर्न दिस वे बॉल" संगीत समारोह की टिकटें ली हैं उन्हें वे टिकटें वापस कर देनी चाहिए। गागा के शो की टिकटें 10 मार्च को बिकी थीं और पहले दो घंटे में ही सारी टिकटें बिक गई।

पुणे रेप काण्ड के दोषियों को फांसी की सजा

पुणे रेप काण्ड के दोषियों को फांसी की सजा

नई दिल्ली। पुणे की सत्र अदालत ने मंगलवार को विप्रो कंपनी के कॉल सेंटर की कर्मचारी से बलात्कार और हत्या के दो दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। घटना 2007 की है। अदालत ने शनिवार को दोनों को दोषी करार दिया था। सजा सुनाते हुए न्यायाधीश ने कहा कि हत्या नृशंस तरीके से की गई है। सरकारी वकील उज्जवल निकम ने कहा कि मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था लेकिन पुख्ता सबूत होन और 29 गवाहों के बयानों के बाद कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।

निकम ने दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की थी। 26 साल की युवती 1 नवंबर 2007 को जब ऑफिस की कैब से जा रही थी जब ड्राइवर पुरूषोत्तम बोराटे और उसके दोस्त प्रदीप कोकाटे ने उससे रेप किया और बाद में हत्या कर दी। रेप की शिकार युवती गोरखपुर की रहने वाली थी। वह अपनी बहन और जीजा के साथ रहती थी। 2006 में उसने कॉल सेंटर ज्वाइन किया था।

गुजरात से भागे देवर भाभी, सागर कुंड में कूदकर दी जान


 
जयपुर। गुजरात से भाग निकले देवर -भाभी ने आमेर के प्रसिद्ध सागर कुंड में कूदकर जान दे दी। दो दिन पहले युवती की लाश सागर कुंड में मिलने के बाद उसकी शिनाख्त नहीं हो सकी थी। लेकिन, जब मंगलवार दोपहर को देवर की लाश भी सागर कुंड में मिली। तब मामले का खुलासा हुआ। पुलिस के मुताबिक रिश्ते में देवर -भाभी मृतक युवक व युवती गत 13 मार्च को गुजरात से लापता हो गए थे।


पुलिस ने बताया कि शव की शिनाख्त कपिल सोलंकी (23) पुत्र कांतिभाई तथा उसकी युवती की शिनाख्त पूजा (25) पत्नी चंद्र भाई के रुप में हुई है। दोनों देवर भाभी गुजरात में सूरत के संतोषी नगर के रहने वाले थे। पुलिस का मानना है कि दोनों गुजरात से भागने के बाद जयपुर पहुंचे। इसके बाद आमेर के सागर कुंड में करीब पांच दिन पहले कूदकर खुदकुशी कर ली। हालांकि, इसकी पुष्टि परिजनों के यहां पहुंचने पर की जाएगी। पुलिस ने दोनों शवों को एसएमएस अस्पताल के मोर्चरी में रखवाया है।

काजू बादाम से "ग्वार" की होड़

काजू बादाम से "ग्वार" की होड़
बाड़मेर। ग्वार के दामों में बढ़ोतरी का यही सिलसिला रहा तो काजू बादाम के दाम बिकने लगेगी। जनवरी माह में शुरू हुआ ग्वार के दामों में उछाल थम नहीं रहा है। पिछले साल महज 28 रूपए किलो बिकने वाला ग्वार इस साल 240 रूपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। किसान के घर अब ग्वार जवाब देने लग गई है लेकिन बाजार में मांग खत्म नहीं हो रही है।

ग्वार रेगिस्तानी इलाके की सबसे गरीब फसल मानी जाती थी। इसे बेचने के अलावा बचने पर गाय बकरी को दाले के रूप में खिलाकर खत्म करने की परंपरा रही है। जब कुछ भी खेत में निपजने की उम्मीद नहीं हों तब ग्वार बोया जाता है। कम पानी और मामूली सार संभाल में पैदा होने वाली यह फसल किसान का जितना पसीना बहता है उतना भी दाम नहीं देती है। फिर भी रेगिस्तान के मेहनतकश किसान ने इस फसल से कभी नाता नहीं तोड़ा है। धोरा धरती की पत्थर जैसी जमीन से पत्थर सी दिखने वाली ग्वार को बड़ी मात्रा में बोता रहा है।


इस बार ग्वार के दामों ऎसा उछाल आया कि किसान निहाल हो गए है और इसको चमत्कार से कम नहीं समझा जा रहा है। पिछले साल मात्र 28 रूपए किलोग्राम में बिकी ग्वार का दाम इस साल जनवरी में ही पचास रूपए हो गया था। फरवरी में सौ से हुई शुरूआत डेढ़ सौ रूपए तक पहुंची और मार्च में दाम 240 रूपए किलोग्राम हो गई है। 250 रूपए से काजू के दाम शुरू हो जाते हैं और 350 में बिदाम। यही उछाल रहा तो काजू बादाम और ग्वार एक दाम में बिकते नजर आएंगे।

क्यों आया उछाल
व्यापारियों की मानें तो विलायत मे ग्वार की मांग बहुत बढ़ गई है। इस मांग की पूर्ति के लिए यहां कंपनियां पहुंच गई है। इस कारण ग्वार में यह ज्वार आया है।

फिर भी ठगे ठगे
विडंबना यह है कि किसान इस बार खुद को ठगा महसूस कर रहे है। दिसंबर माह में 45 रूपए किलोग्राम के दाम आने पर अधिकांश किसानों ने ग्वार बेच दी। उन्हें लगा कि अब खूब हो गया लेकिन इसके बाद तो प्रतिदिन दाम बढ़ने लगे। अब जिसने जिस भाव बेची वह खुद को ठगा महसूस कर रहा है।

अब बीज का भी टोटा
इतने दाम बढ़ने पर किसान बची खुची ग्वार भी बेच रहे हैं। अगले साल बीज का भी उनके घर में टोटा आने की आशंका है।

सारी फसलें शर्मसार
ग्वार के सामने सारी नगदी फसलें शर्मसार हो गई है। जीरा 110, अरण्डी 33, मोठ 20, बाजरी, मतीरा 52 और तिल 50 रूपए किलोग्राम ही है। सबसे कम रहने वाला ग्वार सबसे आगे खड़ा हो गया है।

ग्वार ने निहाल किया
ग्वार ने किसानों को निहाल किया है। यह चमत्कारिक उछाल है, शायद भविष्य में कभी नहीं आए।
गौतम चमन
अनाज व्यापारी

थार पर मेहर
रेगिस्तान के जिन इलाकों में पेट्रोल नहीं मिला है, वहां इस साल ग्वार मिल गया है। गरीब लोग लखपति हो गए।
-ईश्वरसिंह, सरपंच, कोटड़ा

तिलवाड़ा मेले में जहरखुरानी की वारदात

तिलवाड़ा मेले में जहरखुरानी की वारदात
बालोतरा। तिलवाड़ा के मल्लीनाथ पशु मेले में तीन पशु व्यवसायी जहरखुरानी का शिकार बनकर लाखों रूपए गंवा बैठे। बेहोशी की हालत में उन्हें उपचार के लिए बालोतरा के राजकीय नाहटा चिकित्सालय पहुंचाया गया। गंभीर हालत को देखते हुए शाम को जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के लिए रेफर किया गया। पीडितों के पूरी तरह से होश में नहीं होने से वारदात के बारे में पूरी जानकारी पुलिस को नहीं मिल पाई है।

तिलवाड़ा मेले में अश्वों की खरीद के लिए उत्तर प्रदेश के मथुरा जिला अंतर्गत नोजिल गांव निवासी बाबू पुत्र किरपा व उसका पुत्र लाला सहित पड़ौसी गांव माठ का रहवासी उनका एक सहयोगी ईमामी पुत्र रोशन शुक्रवार शाम यहां पहुंचे थे। इन लोगों के पास घोड़ों की खरीद के लिए काफी रकम भी थी। एक अज्ञात व्यक्ति ने जान पहचान के बाद शनिवार रात इन्हें दूध में कोई नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया। तीनों बेहोश हो गए। अज्ञात लुटेरा इनके पास उपलब्ध रकम लेकर फरार हो गया।

जानकारी मिलने पर एएसआई शंकरसिंह व शेराराम ने नाहटा अस्पताल में उपचार के लिए दाखिल करवाया। वारदात के शिकार बने पिता पुत्र की बेहोशी रविवार शाम तक नहीं टूट पाई थी। अर्द्ध बेहोशी की हालत में पीडित इमामी ने पुलिस को दिए बयान में वारदात के बारे में जानकारी दी।

मेले की शुरूआत वारदात से
मेले की शुरूआत में ही जहरखुरानी की वारदात हो गई है। इस वारदात के बाद जान-माल की सुरक्षा को लेकर पशुपालकों व मेलार्थियों में काफी चिंता है।
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आठों ब्लॉक सीएमओ को नोटिस परिवार कल्याण लक्ष्यों को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सख्त चेतावनी


आठों ब्लॉक सीएमओ को नोटिस 
परिवार कल्याण लक्ष्यों को लेकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सख्त चेतावनी 
 



बाडमेर। राश्ट्रीय कार्यक्रम परिवार कल्याण के लक्ष्यों को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने सभी खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ नोटिस जारी किए हैं। नोटिस के जरिए चेतावनी दी गई है कि यदि भाीघ्र ही लक्ष्यों के प्रति गंभीरता नहीं बरती गई और स्पश्टीकरण का जवाब नहीं दिया गया तो अनु शासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। वहीं नसबंदी शिविरों को निरस्त करने और कम नसबंदी केस लाने के मामले में भी अनेक चिकित्सा अधिकारियों को अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जितेंद्रसिंह की ओर से भी नोटिस जारी किए गए हैं। 
जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई के अनुसार बाडमेर, बालोतरा, सिवाणा, सिणधरी, चौहटन, शिव, धोरीमन्ना एवं बायतु बीसीएमओ को नोटिस थमाए गए हैं। विभागीय लक्ष्यों के तहत फरवरी 2012 तक नसबंदी लक्ष्यों की 91 प्रतिशत उपलब्धि अपेक्षित थी, लेकिन किसी भी खण्ड द्वारा उक्त उपलब्धि अर्जित नहीं की गई बल्कि इससे काफी कम रही। सीएमएचओ डॉ. हुसैन ने नोटिस के तहत कहा है कि उक्त आंकड़ों से स्पश्ट होता है कि किसी भी खण्ड में नियमित मॉनिटरिंग नहीं की गई। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी अनेक बार बैठकों एवं पत्राचार द्वारा आगाह किया गया था, लेकिन अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। इसलिए आखिरकार सभी बीसीएमओ को चेताया गया है कि राश्ट्रीय कार्यक्रम के कि्रयान्वयन में उदासीनता बरतने का दोशी मानते हुए क्यों न आपके खिलाफ अनुासनात्मक कार्रवाई की जाए। इस संबंध में भाीघ्रातिीघ्र स्पश्टीकरण मांगा गया है और स्पश्टीकरण नहीं मिलने पर संबंधित के खिलाफ आगामी कार्रवाई की जाएगी। 
क्यों हुए नसबंदी शिविर निरस्त ? 
पूर्व निर्धारित नसबंदी शिविरों के नसबंदी केस नहीं आने पर गत दिनों कई शिविर निरस्त हुए, जिस पर संबंधित बीसीएमओ और चिकित्सा अधिकारी से स्पिश्टकरण मांगा गया है। नोटिस जारी करते हुए संबंधित को कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है। परिवार कल्याण के उम्मेदसिंह जाखड़ ने बताया कि खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिणधरी, सिवाणा, बालोतरा एवं बाडमेर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पचपदरा एवं कल्याणपुर और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होडू, मोकलसर, असाड़ा एवं भूणिया के चिकित्सा प्रभारी को नोटिस दिया गया है। इसी तरह नसबंदी शिविर के दिन कम केस होने पर भी स्पिश्टकरण मांगा गया है। अतिरिक्त सीएमएचओ डॉ. जितेंद्रसिंह ने बीसीएमओ सिवाणा, बाडमेर एवं बालोतरा तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खड़ीन, पादरू व नवातला के चिकित्सा प्रभारी को नोटिस जारी किया है। 
आयुश चिकित्सकों व कम्पाउंडरों को नोटिस 
नसबंदी लक्ष्यों में वांछित कार्य नहीं करने और लापरवाही बरतने पर 12 आयुश चिकित्सकों व दो कम्पाउंडरों पर भी नोटिस की गाज गिरी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन की ओर से जिले के 12 आयुश चिकित्सकों व दो कम्पाउंडरों को स्पिश्टकरण नोटिस जारी किया गया है। जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई ने बताया कि आयुश की मासिक प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा करने पर सामने आया कि फरवरी 2012 तक नसबंदी केस लक्ष्य अनुरूप नहीं करवाए गए। कुछ आयुश चिकित्सक एवं कम्पाउंडर ऐसे भी हैं, जिन्होंने माह में एक भी केस नहीं करवाया, जिस कारण संबंधित को नोटिस दिया गया है। 

दो सोनोग्राफी सेंटरों का पंजीकरण होगा निलंबित, दो का निरस्त


दो सोनोग्राफी सेंटरों का पंजीकरण होगा निलंबित, दो का निरस्त 

उपखण्ड सलाहकार समिति की बैठक में कन्या भू्रण हत्या पर हुई गंभीर चर्चा 


बाडमेर। बालोतरा स्थित चार सोनोग्राफी सेंटरों पर पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत प्रासन की ओर से कार्रवाई करने के निर्दो जारी किए गए हैं। यहां के दो सोनोग्राफी सेंटरों का पंजीकरण निलंबित और दो सेंटरों का पंजीकरण निरस्त होगा। इस संबंध में बालोतरा उपखण्ड अधिकारी एवं उपखण्ड सलाहकार समिति के अध्यक्ष कमलो आबुसरिया ने मंगलवार को निर्दो जारी किए हैं। 
जिला आईईसी समन्व्यक विनोद बिनोई ने बताया कि पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत गठित उपखण्ड सलाहकार समिति बालोतरा की मासिक बैठक मंगलवार को उपखण्ड कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक में कन्या भू्रण हत्या सहित पीसीपीएनडीटी एक्त पर गंभीरता से चर्चा की गई। इस दौरान बेटियों को लेकर भविश्य में सकारात्मक प्रासनिक कार्रवाइयों पर भी चर्चा हुई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसडीएम कमलो आबुसरिया ने कहा कि पीसीपीएनडीटी एक्ट को लेकर आमजन में भी जागरूकता पैदा की जाए ताकि इसके सकारात्मक परिणाम सामने आ सकें। पीसीपीएनडीटी समन्वयक विक्रमसिंह चम्पावत ने बताया कि बैठक में दो सोनोग्राफी सेंटरों के पंजीकरण निलंबित किए जाएंगे। इसमें डॉ. निरजा जामरिया डायग्नोस्टिक सेंटर और राजवांी हॉस्पीटल भामिल है, जिन्होंने पंजीकरण समाप्ति की तारीख से निर्धारित अवधि में आवेदन नहीं किया था। इसी तरह संत हरिदास हॉस्पीटल एवं बाबा रामदेव हॉस्पीटल का पंजीकरण निरस्त किया जाएया। उन्होंने बताया कि संत हरिदास हॉस्पीटल में गत दो वशर से सोनोलोजिस्ट (चिकित्सक) नहीं है, जिस कारण 28 जनवरी 2011 को सेंटर का पंजीकरण निलंबित कर माीन को भाील कर दिया गया था। इसी क्रम में उक्त संस्थान के पंजीकरण को निरस्त करने के निर्दो दिए गए हैं। वहीं बाबा रामदेव हॉस्पीटल को पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत पंजीकरण जारी करने के बावजूद संचालक द्वारा माीन नहीं खरीदी गई थी, लिहाजा कारण बताओ नोटिस जारी कर पंजीकरण निरस्त किया जाएगा। 

आइये जाने की नववर्ष विक्रम संवत् 2069 में क्या और केसा रहेगा आपका भविष्य...???




स्वामी विशाल चैतन्य (पंडित दयानन्द शास्त्री )
Mob.--

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आइये जाने की नववर्ष विक्रम संवत् 2069 में क्या और केसा रहेगा आपका भविष्य...???

 


हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।




हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 22 मार्च 2012 को रात 7.10 बजे विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ कन्या लग्न में होगा। इस वर्ष विश्वावसु नाम का संवत्सर रहेगा, जिसका स्वामी राहु है। इस वर्ष का राजा और मंत्री शुक्र है साथ ही दुर्गेश का पद भी शुक्र के ही पास है।

पंचांग (पंच + अंग = पांच अंग) हिन्दू काल-गणना की रीति से निर्मित कालदर्शक को कहते हैं।पंचांग हिन्दुओं को काल अथवा समय के धार्मिक एवं आध्यात्मिक पक्षों के आधार पर कार्य आरम्भ करने की जानकारी देता है ।

चूंकि हमारा राजकीय कैलेंडर ईसवी सन् से चलता है इसलिये नयी पीढ़ी तथा बड़े शहरों पले बढ़े लोगों में बहुत कम लोगों यह याद रहता है कि भारतीय संस्कृति और और धर्म में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला विक्रम संवत् देश के प्रत्येक समाज में परंपरागत ढंग मनाया जाता है।

देश पर अंग्रेजों ने बहुत समय तक राज्य किया फिर उनका बाह्य रूप इतना गोरा था कि भारतीय समुदाय उस पर मोहित हो गया और शनैः शनैः उनकी संस्कृति, परिधान, खानपान तथा रहन सहन अपना लिया भले ही वह अपने देश के अनुकूल नहीं था।

अंग्र्रेज चले गये पर उनके मानसपुत्रों की कमी नहीं है। सच तो यह है कि अंग्रेज वह कौम है जिसको बिना मांगे ही दत्तक पुत्र मिल जाते हैं जो भारतीय माता पिता स्वयं उनको सौंपते हैं।

सच तो यह है कि विक्रम संवत् ही हमें अपनी संस्कृति की याद दिलाता है और कम से कम इस बात की अनुभूति तो होती है कि भारतीय संस्कृति से जुड़े सारे समुदाय इसे एक साथ बिना प्रचार और नाटकीयता से परे होकर मनाते हैं।

दुनिया का लगभग प्रत्येक कैलेण्डर सर्दी के बाद बसंत ऋतू से ही प्रारम्भ होता है, यहाँ तक की ईस्वी सन बाला कैलेण्डर (जो आजकल प्रचलन में है) वो भी मार्च से प्रारम्भ होना था। इस कलेंडर को बनाने में कोई नयी खगोलीये गणना करने के बजाये सीधे से भारतीय कैलेण्डर (विक्रम संवत) में से ही उठा लिया गया था। आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास:

दुनिया में सबसे पहले तारों, ग्रहों, नक्षत्रो आदि को समझने का सफल प्रयास भारत में ही हुआ था, तारों, ग्रहों, नक्षत्रो, चाँद, सूरज......आदि की गति को समझने के बाद भारत के महान खगोल शास्त्रीयो ने भारतीय कलेंडर (विक्रम संवत) तैयार किया, इसके महत्व को उस समय सारी दुनिया ने समझा। लेकिन यह इतना अधिक व्यापक था कि - आम आदमी इसे आसानी से नहीं समझ पाता था, खासकर पश्चिम जगत के अल्पज्ञानी तो बिल्कुल भी नहीं।

किसी भी विशेष दिन, त्यौहार आदि के बारे में जानकारी लेने के लिए विद्वान् (पंडित) के पास जाना पड़ता था। अलग अलग देशों के सम्राट और खगोलशास्त्री भी अपने अपने हिसाब से कैलेण्डर बनाने का प्रयास करते रहे। इसके प्रचलन में आने के 57 वर्ष के बाद सम्राट आगस्तीन के समय में पश्चिमी कैलेण्डर (ईस्वी सन) विकसित हुआ। लेकिन उसमें कुछ भी नया खोजने के बजाए, भारतीय कैलेंडर को लेकर सीधा और आसान बनाने का प्रयास किया था। पृथ्वी द्वारा 365/366 में होने वाली सूर्य की परिक्रमा को वर्ष और इस अवधि में चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मान कर कैलेण्डर तैयार किया और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रख दिए गए।

पहला महीना मार्च (एकम्बर) से नया साल प्रारम्भ होना था।

1. - एकाम्बर ( 31 )

2. - दुयीआम्बर (30)

3. - तिरियाम्बर (31)

4. - चौथाम्बर (30)

5.- पंचाम्बर (31)

6.- षष्ठम्बर (30)

7. - सेप्तम्बर (31)

8.- ओक्टाम्बर (30)

9.- नबम्बर (31)

10.- दिसंबर ( 30 )

11.- ग्याराम्बर (31)

12.- बारम्बर (30 / 29 ), निर्धारित किया गया।

सेप्तम्बर में सप्त अर्थात सात, अक्तूबर में ओक्ट अर्थात आठ, नबम्बर में नव अर्थात नौ, दिसंबर में दस का उच्चारण महज इत्तेफाक नहीं है लेकिन फिर सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म माह का नाम अपने नाम पर आगस्त (षष्ठम्बर को बदलकर) और भूतपूर्व महान सम्राट जुलियस के नाम पर - जुलाई (पंचाम्बर) रख दिया।

इसी तरह कुछ अन्य महीनों के नाम भी बदल दिए गए। फिर वर्ष की शरुआत ईसा मसीह के जन्म के 6 दिन बाद (जन्म छठी) से प्रारम्भ माना गया। नाम भी बदल इस प्रकार कर दिए गए थे।

जनवरी (31), फरबरी (30/29), मार्च (31), अप्रैल (30), मई (31), जून (30), जुलाई (31),

अगस्त (30), सितम्बर (31), अक्टूबर (30), नवम्बर (31), दिसंबर ( 30) माना गया।

फिर अचानक सम्राट आगस्तीन को ये लगा कि - उसके नाम वाला महीना आगस्त छोटा (30 दिन) का हो गया है तो उसने जिद पकड़ ली कि - उसके नाम वाला महीना 31 दिन का होना चाहिए।

राजहठ को देखते हुए खगोल शास्त्रीयों ने जुलाई के बाद अगस्त को भी 31 दिन का कर दिया और उसके बाद वाले सेप्तम्बर (30), अक्तूबर (31), नबम्बर (30), दिसंबर ( 31) का कर दिया।

एक दिन को एडजस्ट करने के लिए पहले से ही छोटे महीने फरवरी को और छोटा करके (28/29) कर दिया गया।

मेरा आप सभी हिन्दुस्थानियों से निवेदन है कि - नकली कैलेण्डर के अनुसार नए साल पर, फ़ालतू का हंगामा करने के बजाये , पूर्णरूप से वैज्ञानिक और भारतीय कलेंडर (विक्रम संवत) के अनुसार आने वाले नव वर्ष प्रतिपदा पर, समाज उपयोगी सेवाकार्य करते हुए नवबर्ष का स्वागत करें .....!!

हिंदू धर्म की तरह ही हर धर्म में नया साल मनाया जाता है। लेकिन इसका समय भिन्न-भिन्न होता है तथा तरीका भी। किसी धर्म में नाच-गाकर नए साल का स्वागत किया जाता है तो कहीं पूजा-पाठ व ईश्वर की आराधना कर। आप भी जानिए किस धर्म में नया साल कब मनाया जाता है-

हिंदू नव वर्ष-----

हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा (इस बार 23 मार्च) से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल का आरंभ भी होता है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इस्लामी नव वर्ष-----

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुसलमानों का नया साल हिजरी शुरू होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है बल्कि दुनियाभर के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं।

ईसाई नव वर्ष-----

ईसाई धर्मावलंबी 1 जनवरी को नव वर्ष मनाते हंै। करीब 4000 वर्ष पहले बेबीलोन में नया वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी । तब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नव वर्ष है।

सिंधी नव वर्ष----

सिंधी नव वर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरु होता है, जो चैत्र शुक्ल दिवतीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुणदेव के अवतार थे।

सिक्ख नव वर्ष----

पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।

जैन नव वर्ष----

ज़ैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं।

पारसी नव वर्ष----

पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन।

हिब्रू नव वर्ष----

हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे । इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है । यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है ।

क्यों मनाते हैं 'गुड़ी पड़वा'..????

चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पड़वा या नववर्ष आरम्भ होता है| 'गुड़ी' का अर्थ होता है 'विजय पताका'| कहा जाता है कि शालिवाहन नामक एक कुम्हार के लड़के ने मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उस पर पानी छिड़कर उनमें प्राण फूंक दिए| उसने इस सेना की सहायता से शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित किया| इसी विजय के प्रतीक के रूप में 'शालिवाहन शक' का प्रारंभ हुआ| महाराष्ट्र में यह पर्व 'गुड़ी पड़वा' के रूप में मनाया जाता है| कश्मीरी हिन्दुओं के लिए नववर्ष एक महत्वपूर्ण उत्सव की तरह है|

संस्कृति से जोड़ता है विक्रम संवत्-

गुलामी के बाद अंग्रेजों ने हम पर ऐसा रंग चढ़ाया ताकि हम अपने नववर्ष को भूल उनके रंग में रंग जाए| उन्ही की तरह एक जनवरी को ही नववर्ष मनाये और हुआ भी यही लेकिन अब देशवासियों को यह याद दिलाना होगा कि उन्हें अपना भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत बनाना चाहिए, जो आगामी 23 मार्च को है|

वैसे अगर देखा जाये तो विक्रम संवत् ही हमें अपनी संस्कृति से जोड़ता है| भारतीय संस्कृति से जुड़े सभी समुदाय विक्रम संवत् को एक साथ बिना प्रचार और नाटकीयता से परे होकर मनाते हैं और इसका अनुसरण करते हैं| दुनिया का लगभग हर कैलेण्डर सर्दी के बाद बसंत ऋतु से ही प्रारम्भ होता है| यही नहीं इस समय प्रचलित ईस्वी सन बाला कैलेण्डर को भी मार्च के महीने से ही प्रारंभ होना था| आपको बता दें कि इस कैलेण्डर को बनाने में कोई नयी खगोलीय गणना करने के बजाए सीधे से भारतीय कैलेण्डर (विक्रम संवत) में से ही उठा लिया गया था|

ये हें 12 महीनों के नाम-

ऐसा कहा जाता है कि पृथ्वी द्वारा 365/366 दिन में होने वाली सूर्य की परिक्रमा को वर्ष और इस अवधि में चंद्रमा द्वारा पृथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मानकर कैलेण्डर तैयार किया और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रखे गए हैं| हिंदी महीनों के 12 नाम हैं चैत्र, बैशाख, ज्‍येष्‍ठ, आषाढ, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्‍गुन|
इस साल में चातुर्मास पांच माह का-----
भारतीय मान्यताओं के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी [देवशयनी] से कार्तिक शुक्ल एकादशी [देवप्रबोधिनी] तक चौमासा माना जाता है। आधा आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और आधा कार्तिक माह बारिश के माने जाते हैं। भाद्रपद दो होने से पूरा एक माह बारिश बढ़ेगा। देवशयनी एकादशी 30 जून 2012 को है और देवप्रबोधिनी एकादशी 24 नवम्बर 2012 को है।
जैन धर्मावलम्बियों के लिए वर्ष 2012 खुशखबर लेकर आया है। वर्ष 2012 में चातुर्मास (वर्षाकाल) पांच महीने का होगा। भाद्रपद दो होंगे यानी हिन्दी महीनों के अनुसार बारिश के समय में सीधे एक माह का इजाफा हो रहा है। विक्रम संवत् 2069 की भाद्रपद शुक्ल प्रतिपदा 18 अगस्त 2012 से अधिक [पुरूषोत्तम] मास शुरू होगा, जो भाद्रपद अमावस्या 16 सितम्बर 2012 तक रहेगा।
ज्यादा समय आराधना का ------
जैन परम्परा की मानें तो चातुर्मास के आयोजनों में एक माह का इजाफा होने से तप-आराधना का समय एक माह और मिलेगा। इससे अगले साल विभिन्न धार्मिक आयोजनों की अधिकता रहेगी।
यह है अधिक मास -----
शास्त्रों के अनुसार अधिक मास का निर्णय अमांत मास [एक अमावस्या के अंत से अग्रिम अमावस्या के अंत तक] आधार पर होता है। हर माह में अलग राशियों की संक्रांति आती है। जिस अमांत मास में किसी राशि की संक्रांति नहीं होती उस मास को अधिक माना जाता है। वर्ष 2012 में भाद्रपद में कन्या संक्रांति नहीं होने पर भाद्रपद अधिक हुआ है।


कैसे मनाएं हिन्दू नववर्ष..????

भारतीय इतिहास में जनप्रिय और न्यायप्रिय शासकों की जब भी बात चलेगी तो वह उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के नाम के बगैर पूरी नहीं हो सकेगी। उनकी न्यायप्रियता के किस्से भारतीय परिवेश का हिस्सा बन चुके हैं। विक्रमादित्य का राज्य उत्तर में तक्षशिला जिसे वर्तमान में पेशावर (पाकिस्तान) के नाम से जाना जाता हैं, से लेकर नर्मदा नदी के तट तक था। उन्होंने यह राज्य मध्य एशिया से आये एक शक्तिशाली राजा को परास्त कर हासिल किया था। राजा विक्रमादित्य ने यह सफलता मालवा के निवासियों के साथ मिलकर गठित जनसमूह और सेना के बल पर हासिल की थी| विक्रमादित्य की इस विजय के बाद जब राज्यारोहण हुआ तब उन्होंने प्रजा के तमाम ऋणों को माफ करने का ऐलान किया तथा नए भारतीय कैलेंडर को जारी किया, जिसे विक्रम संवत नाम दिया गया|

इतिहास के मुताबिक, अवन्ती (वर्तमान उज्जैन) के राजा विक्रमादित्य ने इसी तिथि से कालगणना के लिए 'विक्रम संवत्' का प्रारंभ किया था, जो आज भी हिंदू कालगणना के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है| कहा जाता है कि विक्रम संवत्, विक्रमादित्य प्रथम के नाम पर प्रारंभ होता है जिसके राज्य में न तो कोई चोर हो और न ही कोई अपराधी या भिखारी था|

वहीँ, अगर ज्योतिष की माने तो प्रत्येक संवत् का एक विशेष नाम होता है| विभिन्न ग्रह इस संवत् के राजा, मंत्री और स्वामी होते हैं| इन ग्रहों का असर वर्ष भर दिखाई देता है| सिर्फ यही नहीं समाज को श्रेष्ठ (आर्य) मार्ग पर ले जाने के लिए स्वामी दयानंद सरस्वती ने इसी दिन को 'आर्य समाज' स्थापना दिवस के रूप में चुना था|

नववर्ष की पूर्व संध्या पर दीप दान किया जाता है। घरों में शाम 7 बजे घंटा घडियाल व शंख बजा कर मंगल ध्वनि से नए साल का स्‍वागत किया जाएगा। इसके साथ ही शुरू होगा बधाई पत्रों, ई-मेल व एसएमएस के जरिए शुभकामनाएं भेजने का सिलसिला। नववर्ष के पहले दिन प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर मंगलाचरण कर सूर्य देव को प्रणाम किया जाएगा और इसके बाद हवन करें तथा नए साल के लिए संकल्प लिया जाएगा। इसी दिन नवरात्रा घट स्‍थापना भी होगी। नवरात्रा के नौ दिन तक साधक देवी का ध्‍यान कर मंत्रों को सिद्ध करेंगे। इससे जीवन में श्रेष्‍ठ साधनों और अध्‍यात्‍म में नए सोपान प्राप्‍त करने में सहायता मिलेगी। शास्‍त्रों में देवी को शक्ति का रूप माना गया है। जो साधक जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं वे नवरात्रा के नौ दिन उपवास कर देवी का ध्‍यान करें, इससे कई तरह की समस्‍याओं का समाधान होगा और विकास की गति तेज होगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 22 मार्च 2012 को रात 7.10 बजे विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ कन्या लग्न में होगा। इस वर्ष विश्वावसु नाम का संवत्सर रहेगा, जिसका स्वामी राहु है। विक्रमादित्‍य के समय इस कलेण्‍डर की शुरूआत हुई थी। इस कारण इसे विक्रम संवत कहा जाता है। यही भारतीय पंचांग और काल निर्धारण का आधार भी है। ऐसा माना जाता है कि यह सृष्टि रचना का पहला दिन है। इस वर्ष का राजा और मंत्री दोनों ही शुक्र है| 23 मार्च 2012 को इस धरा की 1955885113वीं वर्षगांठ है| इसी दिन ब्रह्मा जी ने जगत की रचना प्रारंभ की थी इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नए साल का आरम्भ मानते हैं| हिन्दू पंचांग का पहला महीना चैत्र होता है| यही नहीं शक्ति और भक्ति के नौ दिन यानी कि नवरात्रि स्थापना का पहला दिन भी यही है| ऐसी मान्यता है कि इस दिन नक्षत्र शुभ स्थिति में आ जाते हैं और किसी भी नए काम को शुरू करने के लिए यह मुहूर्त शुभ होता है| आज से एक अरब 97 करोड़, 39 लाख 49 हजार 110 वर्ष पूर्व इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा जी ने जगत की रचना की थी। इसी तरह नवरात्र स्थापना का पहला दिन यही है। विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में राज्य स्थापित करने के लिए यही दिन चुना। महाभारत के अनुसार 5111 वर्ष पूर्व युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ।




पश्चिमी कलेण्‍डर गणना पद्धति जहां सौर गणना पर आधारित है वहीं भारतीय गणना पद्धति मास यानी महीने की गणना चंद्रमा और वर्ष की गणना सूर्य के आधार पर करती है। इसके लिए ऋग्‍वेद में एक सूत्र है

‘वेदमासो घृतव्रतो द्वादश प्रजावत:। वेदा य उपजायते।’

इसका अर्थ है घृतव्रत अर्थात वरुण बारह महीनों और उनमें उत्‍पन होने वाले प्राणियों अर्थात अधिक मास को जानता है। यहां अधिक मास स्‍पष्‍ट नहीं किया गया है, लेकिन इस वाक्‍य में अधिक मास निहित है। इसी ऋचा में स्‍पष्‍ट किया गया है कि सामान्‍य तौर पर वर्ष में बारह महीने होते हैं। चंद्रमा को गणना का आधार बनाने का एक कारण यह स्‍पष्‍ट होता है कि रात के समय नक्षत्रों से होकर तेज गति से गुजरता चंद्रमा दिखाई देता था, जबकि दिन में सूर्य की रोशनी में नक्षत्रों को देखने का तब कोई साधन नहीं रहा होगा। ऐसे में मास की गणना चंद्रमा के आधार पर की गई। इसके बहुत बाद में सौरमास का प्रचलन शुरू हुआ होगा।

संवत्‍सर के रूप को बताने वाली ऋचाएं वेदों में मिलती हैं।

‘द्वादश प्रघयश्‍चक्रमेकं त्रीणी नभ्‍यानि क उ तच्चिकेत।

तस्मिन्‍त्‍साकं त्रिशता न शंकवोSर्पिता: षष्टिर्न चलाचलास:।।’

इसका अर्थ है कि संवत्‍सर रूप एक चक्र है। बारह मास ही उसके बारह अरे हैं और 360 दिन उसके 360 कांटे हैं। रात और दिन जुड़े हुए हैं। इसी तरह मास के नाम भी स्‍पष्‍ट किए गए हैं। इनके नाम हैं मधु, माधव, शुक्र, शुचि, नभस्, नभस्‍य, इष, ऊर्ज, सहस्, सहस्‍य, तपस् तथा तपस्‍य । मधु और माधव महीने वसंत ऋतु के, शुक्र और शुचि महीने ग्रीष्‍म ऋतु के, नभस और नभस्‍य महीने वर्षा ऋतु के, इष और ऊर्ज महीने शरद ऋतु के, सहस और सहस्‍य महीने हेमंत ऋतु के तथा तपस और तपस्‍य महीने शिशिर ऋतु के हैं। इस तरह छह ऋतुओं का एक संवत्‍सर होता है।

जानिए वर्ष विक्रम संवत् 2069 के दौरान ग्रहों की स्थिति----

विक्रम संवत् 2069 में शनि अधिकांश समय तुला राशि में ही व्‍यतीत करेगा। यह शनि की उच्‍च राशि है। हालांकि 16 मई को ही यह वक्र गति से घूमता हुआ कुछ समय के लिए कन्‍या राशि में लौटेगा। यहां शनि का ठहराव 4 अगस्‍त तक रहेगा और फिर से तुला राशि में लौट आएगा और पूरे संवत्‍सर वहीं रहेगा। वृहस्‍पति साल के शुरूआत में जहां मेष राशि में होगा वहीं 17 मई को यह अपनी राशि बदलकर वृष में चला जाएगा। मेष जहां मंगल के अधिकार की राशि है वहीं वृष शुक्र के अधिकार वाली राशि है। संवत्‍सर समाप्‍त होने तक गुरु इसी राशि में बना रहेगा। नववर्ष प्रवेश के समय राहू वृश्चिक और केतू वृष राशि में होंगे। हमेशा वक्री चलने वाले ये छाया ग्रह 6 दिसम्‍बर को राशि बदलेंगे। राहू तुला और केतू मेष राशि में आ जाएंगे। बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन संकेत देता है कि मई के बाद देश, समाज, व्‍यापार एवं अन्‍य क्षेत्रों में बड़े परिवर्तन दिखाई देंगे। सितम्‍बर में राजनीति में बड़ी उथल-पुथल के संकेत हैं।

विक्रम संवत् 2069 में होंगे दो सूर्य व एक चंद्र ग्रहण----
विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ 23 मार्च, शुक्रवार से हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार इस संवत् में दो सूर्य व एक चंद्रग्रहण होगा। इनमें से सिर्फ एक सूर्यग्रहण ही भारत में दिखाई देगा शेष दो भारत में दिखाई नहीं देने से इनका विशेष महत्व नहीं रहेगा। मुख्य बात यह रहेगी कि प्रथम दो ग्रहण पंद्रह दिन के अंतराल में होंगे। जानिए संवत् 2069 में कब-कब होंगे ग्रहण-

कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण-----

साल का पहला कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण ज्येष्ठ मास की अमावस्या (20 मई, रविवार) को होगा। यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई, सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनिट पर होगा।

खण्डग्रास चंद्रग्रहण----

संवत् 2069 के ज्येष्ठ मास में दूसरा ग्रहण भी होगा। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (4 जून, सोमवार) को खण्डग्रास चंद्रग्रहण होगा, यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसकी कोई मान्यता नहीं रहेगी। यह ग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक राशि में होगा। एशिया, ऑस्टे्रलिया, उत्तर और दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक महासागर में यह ग्रहण दिखाई देगा।

खग्रास सूर्यग्रहण ----

साल का तीसरा और अंतिम खग्रास सूर्यग्रहण कार्तिक मास की अमावस्या (13/14 नवंबर, मंगलवार) को होगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसका कोई महत्व नहीं रहेगा। यह ग्रहण विशाखा नक्षत्र तुला राशि में होगा। यह ग्रहण दक्षिण अमेरिका, न्यूजीलैंड, ऐन्टार्कटिका, पेसिफिक महासागर और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।


व्यापर/बिजनेस के लिए उथल-पुथल वाला रहेगा विक्रम संवत् 2069 ------

हिंदू नव वर्ष यानी विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ इस बार 23 मार्च से हो रहा है। सितारे कहते हैं कि व्यापार की दृष्टि से यह वर्ष काफी उथल-पुथल वाला रहेगा। सबसे अधिक उतार-चढ़ाव शेयर बाजार में देखने को मिलेगी। इस साल राहु, शनि और मंगल व्यापार पर पूरा-पूरा असर डालेंगे। व्यापार में तेजी-मंदी का दौर साल के अंत तक जारी रहेगा। जानिए कैसा रहेगा व्यापार के लिए संवत् 2069-

विक्रम संवत् 2069 में पूरे वर्ष राहु मंगल के घर वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा जिसके कारण सोना-चांदी, लोहा के बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। शनि राहु का द्विद्वादश योग विश्व बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण रहेगा। औद्योगिक क्षेत्रों में थोड़ी मंदी रहेगी लेकिन तेल, खाद्य पदार्थ, कोयला, बिजली, रसोई गैस व धातु के भावों में वृद्धि होने के योग हैं। मनोरंजन एवं कॉस्मेटिक्स व्यापार में मंदी आएगी। तुला राशि में शनि के जाने से अनाज की कमी होगी जिसके कारण दाम में अचानक वृद्धि होगी।

शेयर बाजार---

शनि-गुरु आमने-सामने (प्रतियोग) सम सप्तम योग बना रह हैं जिससे शेयर बाजार थोड़े घटकर बढ़ेंगे। मार्च के बाद व्यापार थोड़ा सोच-समझकर करें। अप्रैल में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। जून में बड़ा फेरबदल होने की संभावना है। अक्टूबर-नवंबर में शेयर बाजार में अचानक गिरावट दर्ज की जाएगी जो बड़ी नुकसानदायक साबित होगी।


केसा रहेगा नववर्ष विक्रम संवत् 2069 का सभी राशियों पर प्रभाव...????

‘विक्रम संवत 2069 सभी जातकों के लिए फायदेमंद साबित होगा। शुक्र ग्रह के प्रभाव के कारण यह वर्ष विशेष फलदायक भी साबित होगा।’

मेष : राजनीति और व्यापार में रुतबा बढ़ेगा। मेष राशि के जातकों के लिए इस वर्ष स्‍थायीत्‍व में कमी आ सकती है लेकिन अप्रेल और मई जहां शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए अपेक्षाकृत उत्‍तम हैं वहीं साल के अंत तक वित्‍तीय स्थिति में सुधार होने की गुंजाइश है।

वृष :साहित्य, संगीत और नौकरीपेशा के लिए फलदायक रहेगा। वृष राशि के जातकों के लिए हालांकि वर्ष की शुरूआत इतनी अच्‍छी नहीं है, लेकिन मई से 4 अगस्‍त तक स्थितियां फिर से कुछ बेहतर होंगी। वर्ष के अंत में चिंताएं बढ़ सकती हैं।

मिथुन: साल के उत्तरा‌र्द्ध तक वक्त मुश्किल भरा होगा। जून के बाद बाहरी संबंधों से भी लाभ मिल सकता है। बीमारियों का निदान अथवा समाधान दिसम्‍बर के बाद पुख्‍ता होने की संभावना है। स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखे जाने की जरूरत है।

कर्क: रुके हुए काम बनेंगे। प्रेम संबंध में प्रगाढ़ता आएगी। इस वर्ष आय के स्रोत अपेक्षाकृत कम लाभकारी सिद्ध हो सकते हैं। कर्क राशि के जातकों के परिवार में मांगलिक कार्य होंगे। वर्ष के अंत तक छोटी के योग बन रहे हैं।

सिंह : वर्ष के पूर्वाद्ध में नया काम करने से बचें। सिंह राशि वाले जातकों के लिए स्‍थावर संपत्तियां बनाने के लिए यह वर्ष उपयोगी सिद्ध हो सकता है। वर्ष की शुरूआत छोटी यात्राओं के साथ हो सकती है, लेकिन साल के अंत तक यात्राओं का दौर कम होगा।

कन्‍या : दोस्तों का सहयोग मिलेगा, व्यवसाय में परेशानी होगी। साल के अंत तक कई अटके हुए काम निकलने शुरू होंगे। कन्‍या राशि के जातकों को दिसम्‍बर में केतू के राशि परिवर्तन के बाद परिस्थितियों में अपेक्षाकृत तेज सुधार दिखाई देगा।

तुला: कारोबार और आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। शनि के तुला राशि में प्रवेश के साथ ही समय में अपेक्षाकृत सुधार दिखाई देना शुरू हो चुका होगा। मई से अगस्‍त के बीच का समय कुछ कठिन होगा, लेकिन इसके बाद फिर से काम बनने शुरू हो जाएंगे।

वृश्चिक: अपने मन की सुनें। विद्यार्थियों के लिए अनुकूल समय। रोगों के प्रति सावधान रहें। वृश्चिक राशि के जातकों के दिमाग में एक के बाद दूसरा फितूर हावी रह सकता है। भैरव उपासना से लाभ होगा। जीवन साथी के प्रति संबंधों को गंभीरता से लें।

धनु: नौकरीपेशा और व्यापारी वर्ग के लिए विशेष फलदायक। लाभ के कई अवसर बनेंगे। धनु राशि वाले जातक उन्‍हें भुनाने का प्रयास करें। साल की शुरूआत की तुलना में साल के आखिरी महीने अधिक लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। उत्‍पादन से जुड़े लोग अधिक लाभ में रहेंगे।

मकर: पुराने कर्जों से मुक्ति, मुकदमों से परेशानी संभव। कार्यक्षेत्र में प्रगति के अवसर मिलेंगे। मकर राशि के जातकों के पिता एवं बॉस के साथ संबंध सुधरेंगे। कार्य अथवा व्‍यापार में साख एवं प्रसिद्धि में बढ़ोतरी होने की गुंजाइश है।

कुंभ: शुरुआत में कड़ी मेहनत की जरूरत, अंत तक बेहतर होगी स्थिति। इस राशि के जातकों के लिए मांगलिक कार्यों अथवा आमोद-प्रमोद के लिए यात्राओं का सिलसिला चल सकता है। इस साल नए कार्य शुरू करने पर भाग्‍य भी साथ देगा। माता के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति गंभीर रहें।

मीन : मानसिक अशांति का समय, प्रेमभाव से मिलेगा लाभ। अब तक आई जड़ता इस साल खत्‍म हो सकती है। मीन राशि के जातकों के लिए कुछ यात्राएं करना लाभदायक सिद्ध होगा। कुछ आकस्मिक लाभ भी प्राप्‍त हो सकते हैं।

शहर जैसलमेर में मारपीट के मामलो में शरीक आरोपी पुलिस की गिरफ्त


शहर जैसलमेर में मारपीट के मामलो में शरीक आरोपी 


पुलिस की गिरफ्त 


बाद अनुसंधान पेश अभियुक्त न्यायिक हिरासत में 

 जैसलमेर शहरमें मारपीट के मामलो में शरीक आरोपी पुलिस की गिरफ्त 


बाद अनुसंधान पेश अभियुक्त न्यायिक हिरासत में जिला पुलिस अधीक्षक ममता बिश्नोई ने बताया कि 
ज्ञातव्य रहे कि दिनांक 17.3.12 को प्रार्थी श्री शिव सिंह पुत्र श्री अमृत सिंह हजुरी नि0 तालरिया पाडा जैसलमेर ने एक लिखित रिपोर्ट पेश की कि वह व उसका लडका तथा अन्य स्टाफ शिव रोड स्थित अपनी दुकान पर कार्य कर रहे थे। तभी पीरू सिंह वगैरा करीब 150 व्यक्ति एक राय होकर हाथो मे लाठिया वगैरा लेकर दुकान मे प्रवेश हुए तथा उसके, उसके पुत्र व स्टाफ के साथ मारपीट की व दुकान मे तोड फोड कर करीब पचास हजार का नुकसान किया व गल्ला तोड कर तीस हजार रूपये चुराकर ले गये। उक्त घटना के सिलसिले मे थाना हाजा पर मु0न0 98 दिनाक 17.03.12 धारा 143,452,323,427,379 भादस मे दर्ज कर अनुसंधान श्री सुनील कुमार पंवार आरपीएस प्रोब0 द्वारा प्रारम्भ किया गया। 
उक्त घटना व अन्य शहर जैसलमेर मे हुई मारपीट की घटनाओ को पुलिस अधीक्षक जैसलमेर ममता बिश्नोई द्वारा गम्भीरता से लेते हुए, उक्त घटनाओं में शरीक मुलजिमो की शीघ्र गिरफतारी हेतु गणपतलाल अति0 पुलिस अधीक्षक, बंशीलाल वृताधिकारी वृत जेैसलमेर, सुनील कुमार आरपीएस प्रोबे0 एवं श्री वीरेन्द्र सिंह थानाधिकारी पुलिस थाना जैसलमेर को कठोर निर्देश दिये जाकर अलगअलग टीमो का गठन किया गया। उक्त टीमो द्वारा जिले के विभिन्न स्थानो पर तलाश एवं दबीश दी गई । उक्त टीमो के लगातार प्रयासरत रहने पर तथा दबीशो को जारी रखने से उक्त नामजद अभियुक्तो में 1. पीरूसिंह उर्फ प्रियरंजनसिंह पुत्र श्री बलवीरसिंह जाति राजपूत उम्र 22 साल पैशा अध्ययन नि0 बड़ोड़ा गांव हाल इन्द्रा कोलोनी जैसलमेर 2. विक्रमसिंह पुत्र श्री गुलाबसिंह जाति राजपूत उम्र 35 साल नि0 पिथला पुलिस थाना जैसलमेर 3. स्वरूपसिंह पुत्र श्री हिंगोलसिंह जाति राजपूत उम्र 20 साल नि0 पोछीना पुलिस थाना झिझनियाली हाल पुलिस लाईन कच्ची बस्ती जैसलमेर को आज दिनांक 20.03.12 को दस्तयाब कर सुनील कुमार आरपीएस प्रोबे0 एवं वीरेन्द्र सिंह थानाधिकारी पुलिस थाना जेसलमेर मय जाब्ता द्वारा उक्त प्रकरण मे गिरफतार कर बाद अनुसंधान न्यायालय मे पेश किया गया। जहां से न्यायिक अभिरक्षा मे भेजा गया। 


शांति भंग के आरोप में 01 व्यक्ति गिरफतार 
पुलिस थाना मोहनग के हल्खा क्षैत्र में लडाईझगडे पर उतारु लूणाराम पुत्र सूरताराम सुथार उम्र 43 वर्ष निवासी मोहनग को श्री बाबूसिंह हैडकानि.90 पुलिस थाना मोहनग मय जाब्ता के द्वारा शांति भंग के आरोप में 151 सीआरपीसी के तहत गिरफतार किया गया। 

मृतकों के नाम भेज रहे पेंशन!

मृतकों के नाम भेज रहे पेंशन!

हर माह ट्रेजरी से कई मृतकों के नाम जारी हो रहे हैं पेंशन के मनीऑर्डर, डाक विभाग परेशान, ट्रेजरी कर्मचारियों की लापरवाही से हर माह लग रहा है राजस्व को चूना

जिंदा लोगों को इंतजार

बालोतरा/सिवाना

बालोतरा व सिवाना क्षेत्र में जहां सैकड़ों जरूरतमंद बुजुर्ग वृद्धावस्था पेंशन के लिए सरकारी विभागों के चक्कर काट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कोषाधिकारी कार्यालय से कई मृतकों के नाम से पेंशन मनीऑर्डर जारी किए जा रहे हैं। लापरवाही का आलम यह है कि डाक विभाग के बार-बार कारण दर्ज कर मनीऑर्डर लौटाने के बावजूद कोषाधिकारी कार्यालय से पेंशन जारी हो रही है।

मनीऑर्डर पेंशनधारक तक पहुंचाने के लिए डाक विभाग प्रति सौ रुपए पर पांच रुपए का चार्ज वसूलता है। ऐसे में जो मनीऑर्डर हर महीने लौटाए जाते हैं, उनका चार्ज भी कोषाधिकारी कार्यालय को भुगतना पड़ रहा है। इससे राजस्व का भी चूना लग रहा है। डाक विभाग का कहना है कि उसने बाकायदा कई बार लिखित में इस बारे में कोषाधिकारी कार्यालय को सूचित किया। हर बार लौटाए जाने वाले मनीऑर्डर पर स्पष्ट अक्षरों में कारण लिखा जाता है। फिर भी उन्हीं मृतकों के नाम मनीऑर्डर जारी होकर डाक विभाग के पास पहुंच जाते हैं।
मृतक दीपाराम पुत्र उदाराम निवासी बोरावास के नाम भी पेंशन मनीऑर्डर जारी हुआ।

मृतक हाकिम खान पुत्र जामे खान निवासी तिलवाड़ा के नाम पांच सौ रुपए का मनीऑर्डर जारी हुआ।

मृतक रेखों पत्नी लाभू रेबारी निवासी तिलवाड़ा के नाम एक हजार रुपए का मनीऑर्डर जारी हुआ। डाक विभाग ने मनीऑर्डर पर डेड लिखकर वापस लौटाया। मगर उनके नाम फिर से मनीऑर्डर पहुंच गया।

मृतका कदनो पत्नी प्रभुराम रेबारी, निवासी तिलवाड़ा के नाम सितंबर व अक्टूबर माह का एक हजार रुपए का मनीऑर्डर जारी हुआ। इस पर डेड लिखकर वापस लौटाया गया, मगर फिर से एक हजार रुपए का मनीऑर्डर डाक विभाग बालोतरा पहुंच गया।
-- हमने बता दिया, मगर सुधार नहीं हो रहा

॥हमने कोषाधिकारी कार्यालय को बता दिया है, मगर हर बार वही गलती दोहराई जा रही है। हालांकि डाक विभाग को इसका चार्ज मिलता है, मगर इतनी बड़ी गलती बार-बार दोहराए जाने से डाककर्मी परेशान रहते हैं।

जीवणाराम धणदे, पोस्टमास्टर, बालोतरा।

हम सूची बाड़मेर भेज देते हैं

॥डाक विभाग से लौटाए जाने वाले मनीऑर्डर की सूची हम बाड़मेर कार्यालय को भिजवा देते हैं। नाम ऑन लाइन हटाने होते हैं, ऐसे में यह काम बाड़मेर से ही हो सकता है।

बनवारीलाल गुप्ता, उप कोषाधिकारी, पचपदरा।

कलेक्टर ने माना, नहीं है शहर में सफाई व्यवस्था


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कलेक्टर ने माना, नहीं है शहर में सफाई व्यवस्था

लोग बोले नहीं आते सफाई कर्मचारी

बाड़मेरशहर में बिगड़ती सफाई व्यवस्था की शिकायतों को लेकर सोमवार दोपहर कलेक्टर डॉ.वीणा प्रधान पालिका और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ सिटी विजिट पर निकली। जहां कलेक्टर ने शहर के गली मोहल्लों की बिगड़ी सफाई व्यवस्था को देख जिम्मेदारों से सवाल करते हुए कहा, ऐसे रखते हो शहर को क्लीन। डॉ. प्रधान ने मौके पर उपस्थित पालिका अधिकारियों को शीघ्र ही व्यवस्था सुधारने के निर्देश देते हुए कार्य में कोताही बरतने वालों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए। विजिट पर आई कलेक्टर को मोहल्ले वालों ने बताया कि हमारे क्षेत्र में सफाई कर्मचारी आते ही नहीं है,मजबूरन हमें खुद को ही सफाई करनी पड़ती है। इसके अलावा डीएम ने सड़क निर्माण व आरयूआईडीपी के कार्यों का भी निरीक्षण किया। 55कलेक्टर रॉय कॉलोनी पांच बत्ती चौराहे पर रुकी, जहां सफाई व्यवस्था को लेकर पालिका अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। इसके बाद तन सिंह सर्किल के पास लगे गंदगी के ढेर व अटी नालियों को देख पालिका अधिकारियों को फटकारा। वैणासर नाडी के पास फैली निर्माण सामग्री को देख उसे हटाने के निर्देश दिए। रातानाडा मंदिर के पास आरयूआईडीपी की ओर से चल रहे बड़े जलाशय के निर्माण कार्य को देखा। जब कलेक्टर स्टेशन रोड पहुंची तो मुख्य मार्ग पर अवैध रूप से खड़े वाहनों व हाथ ठेलों को देख पालिका के अधिकारियों व ट्रैफिक पुलिस से कहा कि आपको कितनी बार कहा,सुधार के प्रयास क्यों नहीं करते। इसके बाद कलेक्टर ने ओवरब्रिज निर्माण कार्यों का जायजा लेते हुए कार्य की प्रगति को देखा। यहां से कलेक्टर गडरारोड, जोगियों की दड़ी, दूध डेयरी में निर्माणाधीन आरयूआईडीपी के जलाशयों का निरीक्षण करते हुए कार्य की धीमी गति पर नाराजगी जताई। भ्रमण के दौरान पालिका अध्यक्ष उषा जैन, पालिका आयुक्त हरिसिंह यादव व आरयूआईडीपी के अधिकारी मौजूद थे।

श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा चैत्री पशु मेले में आयोजित हुई कई प्रतियोगिताएं


सांस्कृतिक कार्यक्रम से मेेले में बढ़ी रौनक
श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा चैत्री पशु मेले में आयोजित हुई कई प्रतियोगिताएं
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बालोतरा श्री मल्लीनाथ तिलवाड़ा चैत्री मेला अब पूरी रंगत में नजर आने लगा है। दिनभर पशुपालकों की ओर से खरीद-फरोख्त का दौर चलता है तो शाम को आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम पशुपालकों की दिनभर की थकान मिटा देते हैं। इसके अलावा दिन में अलग-अलग विभागों की ओर से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है। मेलाधिकारी के अनुसार सोमवार को भी मेले में पशुओं की आवक जारी रही।
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विचार गोष्ठी का आयोजन

भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के क्षेत्रीय प्रसार निदेशालय बाड़मेर व जोधपुर इकाइयों की ओर से मल्लीनाथ पशु मेले में प्रचार कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आयोजित विचार गोष्ठी में मेला अधिकारी बीआर जेदिया ने पशुपालकों को बताया कि आज के समय में उन्नत नस्ल के पशु रखने से पशुपालकों को आर्थिक फायदा ज्यादा होगा। डॉ. नारायणसिंह ने बताया कि पशुओं को निरोगी रखने के लिए समय पर नियमित टीकाकरण के साथ-साथ पौष्टिक आहार खिलाने की आवश्यकता है। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी नरेंद्र तनसुखानी ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, मनरेगा, मेरा आवास योजना, पेयजल सहित जनहित में चल रही अन्य योजनाओं की जानकारी दी। इस मौके पर निदेशालयों की इकाइयों की ओर से कलेक्टर व पचपदरा विधायक को केंद्रीय योजनाओं की प्रचार सामग्री दी गई।

पशुपालकों ने जीते इनाम

मेले में विभाग की ओर से जारी सरकारी योजनाओं पर आधारित मौखिक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया। जिसमें पशुपालकों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। प्रश्नों का सही जबाव देने वाले पशुपालकों को मेला अधिकारी की ओर से पुरस्कृत किया गया। इस मौके पर तिलवाड़ा सरपंच अन्नपूर्णा, पूर्व सरपंच गोपाराम पालीवाल, जब्बरसिंह, चैनसिंह भाटी, माजीवाला सरपंच कुंपाराम पंवार, नेमीचंद मीणा, संपतराज व कन्हैयालाल सहित सैकड़ों पशुपालक मौजूद थे।

बच्चों को मायड़ भाषा से दूर नहीं करें

बच्चों को मायड़ भाषा से दूर नहीं करें

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बाड़मेर  राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और अंतरप्रांतीय कुमार साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सेवा सदन में सोमवार को साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें अकादमी सचिव पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि अकादमी ऐसे आयोजन को राजस्थानी भाषा और संस्कृति के संरक्षण, संवद्र्धन के लिए महत्वपूर्ण मानती है।सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ.आईदान सिंह भाटी ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को मायड़ भाषा से दूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा नहीं तो संस्कृति की बात करना निराधार है। बाजारवाद में राजस्थानी घर आंगन से दूर हो रही हैं। राजनीति ने इसे वो सम्मान नहीं दिया जिसकी हकदार है। परिषद के अध्यक्ष डॉ.बंशीधर तातेड़ ने कहा कि ऐसे सम्मेलन राजस्थानी भाषा में लिखने वाले साहित्यकारों को एक मंच पर आने का अवसर देते हैं।

प्रथम सत्र भूर चंद जैन के मुख्य आतिथ्य, ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप' की अध्यक्षता एवं जेठमल किंकर के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ। जिसमें भीखालाल व्यास ने राजस्थानी गद्य साहित्य पर पत्र वाचन किया। उपस्थित साहित्यकारों ने पत्र में उन साहित्यकारों के नाम शामिल करने का सुझाव दिया जिनका उल्लेख पत्र में नहीं था। सत्र का संचालन गौतम संखलेचा चमन ने किया।

दूसरा सत्र खुशालनाथ धीर के मुख्य आतिथ्य लालचंद पुनीत की अध्यक्षता एवं नारायणसिंह भाटी के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ, जिसमें राजस्थानी पद्य लेखन पर दलपत सिंह चारण ने पत्र वाचन किया। उसके बाद साहित्यकारों ने अपने सुझाव दिए। सत्र का संचालन सीताराम व्यास राहगीर ने किया।

समापन सत्र में ओमप्रकाश मूथा ने अपने माता-पिता की स्मृति में जिले के राजस्थानी साहित्यकारों की पुस्तक प्रकाशन के लिए प्रतिवर्ष दस हजार रुपए प्रकाशन में सहयोग देने की बात की। सम्मेलन में मीठालाल, दिनेश कुमार चौपड़ा के सहयोग की प्रशंसा की गई। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए जल्द मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया। कार्यक्रम में बाड़मेर नगर के अलावा खंडप, बालोतरा, समदड़ी, रानी गांव शिव, चौहटन व धोरीमन्ना आदि क्षेत्र के साहित्यकारों व भाषा प्रेमियों ने भागीदारी निभाई। संस्था सचिव गौतम चमन ने धन्यवाद दिया।

आग लगने से मासूम जिंदा जला, बालिका गंभीर रूप से झुलसी

आग लगने से मासूम जिंदा जला, बालिका गंभीर रूप से झुलसी

उपरला गांव की ढाणी में तीन झोंपे खाक, आठ बकरियां मरी, बालिका को बाड़मेर रेफर किया, मौके तक नहीं पहुंच सकी दमकल
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 चौहटन  तहसील क्षेत्र के उपरला गांव में सोमवार को एक रहवासी ढाणी में आग लगने से एक मासूम जिंदा जल गया, वहीं बालिका गंभीर रूप से झुलस गई। छप्पर में बंधी आठ बकरियां भी जल गईं। वहीं तीन झोंपे खाक हो गए।

उपरला गांव में स्थित धर्माराम पुत्र रुगाराम जाट की रहवासी ढाणी में शाम साढ़े चार बजे आग लग गई। इस दौरान धर्माराम मजदूरी के लिए बाड़मेर गया हुआ था, वहीं उसकी पत्नी पड़ोस में गई हुई थी। घर में बेटा व बेटी ही थे। लपटें देखकर ग्रामीण पहुंचे तब तक आग विकराल हो चुकी थी। झोपड़े से बच्चों के रोने की आवाज आने पर बाबूराम पुत्र धीराराम आग की लपटों में कूद गया। उसने झुलस चुकी बालिका को बाहर निकाला। घटना में गोगाराम (2) के झुलस जाने से मौत हो गई। वहीं गंभीर रूप से झुलसी चूकी (7) को सीएचसी चौहटन लाया गया। जहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे बाड़मेर रेफर कर दिया गया। घटना में आठ बकरियां भी जिंदा जल गईं और तीन झोंपे खाक हो गए। घटना की सूचना मिलने पर तहसीलदार भूरसिंह राजपुरोहित, एएसआई गोमाराम, हल्का पटवारी गोरखाराम मौके पर पहुंचे।

धोरों में रुक गई दमकल

घटना की सूचना पर बाड़मेर से रवाना दमकल एक घंटे में पहुंच तो गई लेकिन धोरे में फंस गई। ढाणी धोरे के ऊपर होने से दमकल नहीं पहुंचने से आग पर काबू पाने के लिए ग्रामीणों को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

मोटापे की गोली खाकर 30 रुपये में देह बेचने को मजबूर हैं बच्चियां

कांडपारा (बांग्लादेश). किसी भी दूसरे दक्षिण एशियाई देश की तरह बांग्लादेश में भी वेश्यावृत्ति का कारोबार जोरों पर है। बांग्लादेश का बदनाम रेड लाइट इलाका ढाका से उत्तर पूर्व तंगेल कस्बे में मौजूद कांडपारा का झुग्गी झोपड़ी का इलाका है। यहां नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार में धकेला जा रहा है। कांडपारा में सेक्स वर्करों को 'चकरी' कहा जाता है।
 
इस रेड लाइट इलाके में लड़कियां अपनी इज्जत का सौदा 50 टका (करीब 30 रुपये) में भी कर लेती हैं। लेकिन इस धंधे में लड़कियां 12 साल की उम्र से ही शामिल हो जाती हैं। जाहिर है, इतनी कम उम्र में उनका शारीरिक विकास नहीं होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे तरह-तरह के स्टेरॉयड ले रही हैं।

इस इलाके में सेक्स वर्कर के रूप में काम कर रही 17 साल की हाशी ने बताया कि उसका अब का शरीर और रूप उसके पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है। हाशी के मुताबिक, 'मैं दो साल पहले की तुलना में अब बहुत स्वस्थ हूं और कई ग्राहकों की सेवा कर सकती हूं। एक दिन में यह संख्या कभी-कभी 15 तक होती है।'

जानवरों को मोटा करने वाली गोली खाकर करती हैं ग्राहकों को आकर्षित

हाशी जैसी तमाम सेक्स वर्कर डेक्सामेथासोन, ओराडेक्सॉन जैसे स्टेरॉयड का सहारा समय से पहले अपने शरीर का विकास करने के लिए ले रही हैं ताकि वे ग्राहकों को आकर्षित कर सकें। इस इलाके में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांडपारा और बांग्लादेश के 14 अन्य कानूनी वेश्यालयों में 90 फीसदी से ज़्यादा सेक्स वर्कर स्टेरॉयड का सहारा ले रही हैं। ऐसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल किसान अपने जानवरों को मोटा करने के लिए करते हैं। लेकिन सेक्स वर्करों को उनकी सरदारनी ऐसी गोलियां खाने पर मजबूर करती हैं। सरदारनी खुद पहले सेक्स वर्कर रह चुकी होती हैं और वे नई लड़कियों का बंधुआ मजदूर की तरह इस धंधे में शोषण करती हैं।

स्टेरॉयड खाने से सेक्स वर्कर की भूख बढ़ जाती है और वे तेजी से वजन बढ़ाती हैं। ऐसा करने से सेक्स वर्करों की सरदारनी पुलिस से भी बच जाती है क्योंकि बांग्लादेश में सेक्स वर्करों के लिए कानूनन कम से कम 18 साल का होना जरूरी है। स्टेरॉयड खाने से नाबालिग लड़कियां भी वयस्क लगती हैं। हाशी के मुताबिक, 'मेरी सरदारनी ने उसे स्टेरॉयड खाने के लिए मजबूर किया। उसने मुझे पीटा और खाना देना बंद कर दिया। इसके बाद उसने मुझे डराया और कर्ज की याद दिलाई। हाशी के मुताबिक वेश्यालयों में ग्राहक हमेशा स्वस्थ लड़कियों की तलाश करते हैं। मैं ओराडेक्सॉन खाती हूं।' ओराडेक्सॉन सफेद रंग की गोली है, जो कांडपारा में सिगरेट और चाय की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हैं। 10 गोलियों का एक पत्ता 15 टका का आता है।

सेहत पर भारी स्टेरॉयड
ओराडेक्सॉन की मदद से सेक्स वर्कर अपनी जरूरतें तो पूरी कर रही हैं, लेकिन इसका सेहत पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इससे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, त्वचा पर संक्रमण, सिरदर्द जैसी बीमारियां होती हैं। इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी घट जाती है, जिससे बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस इलाके में कम उम्र में ही सेक्स वर्करों के मरने की खबरें आती रहती हैं।


शोषण की दास्तां
हाशी जैसी 900 सेक्स वर्कर तंगेल कस्बे के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके कांडपारा में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। कर्ज और समाज में तिरस्कार के डर से देह व्यापार के दलदल में धंसी इन लड़कियों में से कई की उम्र 12 साल तक है। हाशी खुद 10 साल की उम्र में इस धंधे में धकेल दी गई थी। हाशी का एक चार का बेटा भी है, जो उसके रिश्तेदारों के पास रहता है। हाशी के मुताबिक, 'मुझे ऐसे ग्राहकों की तलाश है जो मेरा कर्ज उतारने में मेरी मदद करें। अगर मुझे किसी दिन ग्राहक न मिले तो मैं अगले दिन खाना तक नहीं खा सकती हूं। मैं चाहती हूं कि अपने बेटे के लिए कुछ पैसे इकट्ठा कर सकूं।' हाशी जैसी लड़कियों को उनके मां-बाप 245 अमेरिकी डॉलर (12500 रुपये) जैसी मामूली रकम में मानव तस्करों को बेच देते हैं। मानव तस्कर इन लड़कियों को सरदारनियों को बेच देते हैं।

जागरूकता की कमी
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शिप्रा गोस्वामी ने बताया कि गरीब देशों में सेक्स वर्कर जिन स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे ज़िंदगी बचाते भी हैं और इसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। गोस्वामी के मुताबिक, 'जागरूकता की कमी, दवाओं की आसानी से उपलब्धता की वजह से स्टेरॉयड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है।'