बच्चों को मायड़ भाषा से दूर नहीं करें
बाड़मेर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और अंतरप्रांतीय कुमार साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सेवा सदन में सोमवार को साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें अकादमी सचिव पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि अकादमी ऐसे आयोजन को राजस्थानी भाषा और संस्कृति के संरक्षण, संवद्र्धन के लिए महत्वपूर्ण मानती है।सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ.आईदान सिंह भाटी ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को मायड़ भाषा से दूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा नहीं तो संस्कृति की बात करना निराधार है। बाजारवाद में राजस्थानी घर आंगन से दूर हो रही हैं। राजनीति ने इसे वो सम्मान नहीं दिया जिसकी हकदार है। परिषद के अध्यक्ष डॉ.बंशीधर तातेड़ ने कहा कि ऐसे सम्मेलन राजस्थानी भाषा में लिखने वाले साहित्यकारों को एक मंच पर आने का अवसर देते हैं।
प्रथम सत्र भूर चंद जैन के मुख्य आतिथ्य, ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप' की अध्यक्षता एवं जेठमल किंकर के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ। जिसमें भीखालाल व्यास ने राजस्थानी गद्य साहित्य पर पत्र वाचन किया। उपस्थित साहित्यकारों ने पत्र में उन साहित्यकारों के नाम शामिल करने का सुझाव दिया जिनका उल्लेख पत्र में नहीं था। सत्र का संचालन गौतम संखलेचा चमन ने किया।
दूसरा सत्र खुशालनाथ धीर के मुख्य आतिथ्य लालचंद पुनीत की अध्यक्षता एवं नारायणसिंह भाटी के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ, जिसमें राजस्थानी पद्य लेखन पर दलपत सिंह चारण ने पत्र वाचन किया। उसके बाद साहित्यकारों ने अपने सुझाव दिए। सत्र का संचालन सीताराम व्यास राहगीर ने किया।
समापन सत्र में ओमप्रकाश मूथा ने अपने माता-पिता की स्मृति में जिले के राजस्थानी साहित्यकारों की पुस्तक प्रकाशन के लिए प्रतिवर्ष दस हजार रुपए प्रकाशन में सहयोग देने की बात की। सम्मेलन में मीठालाल, दिनेश कुमार चौपड़ा के सहयोग की प्रशंसा की गई। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए जल्द मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया। कार्यक्रम में बाड़मेर नगर के अलावा खंडप, बालोतरा, समदड़ी, रानी गांव शिव, चौहटन व धोरीमन्ना आदि क्षेत्र के साहित्यकारों व भाषा प्रेमियों ने भागीदारी निभाई। संस्था सचिव गौतम चमन ने धन्यवाद दिया।
बाड़मेर राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर और अंतरप्रांतीय कुमार साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में सेवा सदन में सोमवार को साहित्यकार सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें अकादमी सचिव पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि अकादमी ऐसे आयोजन को राजस्थानी भाषा और संस्कृति के संरक्षण, संवद्र्धन के लिए महत्वपूर्ण मानती है।सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए डॉ.आईदान सिंह भाटी ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को मायड़ भाषा से दूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाषा नहीं तो संस्कृति की बात करना निराधार है। बाजारवाद में राजस्थानी घर आंगन से दूर हो रही हैं। राजनीति ने इसे वो सम्मान नहीं दिया जिसकी हकदार है। परिषद के अध्यक्ष डॉ.बंशीधर तातेड़ ने कहा कि ऐसे सम्मेलन राजस्थानी भाषा में लिखने वाले साहित्यकारों को एक मंच पर आने का अवसर देते हैं।
प्रथम सत्र भूर चंद जैन के मुख्य आतिथ्य, ओमप्रकाश गर्ग 'मधुप' की अध्यक्षता एवं जेठमल किंकर के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ। जिसमें भीखालाल व्यास ने राजस्थानी गद्य साहित्य पर पत्र वाचन किया। उपस्थित साहित्यकारों ने पत्र में उन साहित्यकारों के नाम शामिल करने का सुझाव दिया जिनका उल्लेख पत्र में नहीं था। सत्र का संचालन गौतम संखलेचा चमन ने किया।
दूसरा सत्र खुशालनाथ धीर के मुख्य आतिथ्य लालचंद पुनीत की अध्यक्षता एवं नारायणसिंह भाटी के विशिष्ट आतिथ्य में प्रारंभ हुआ, जिसमें राजस्थानी पद्य लेखन पर दलपत सिंह चारण ने पत्र वाचन किया। उसके बाद साहित्यकारों ने अपने सुझाव दिए। सत्र का संचालन सीताराम व्यास राहगीर ने किया।
समापन सत्र में ओमप्रकाश मूथा ने अपने माता-पिता की स्मृति में जिले के राजस्थानी साहित्यकारों की पुस्तक प्रकाशन के लिए प्रतिवर्ष दस हजार रुपए प्रकाशन में सहयोग देने की बात की। सम्मेलन में मीठालाल, दिनेश कुमार चौपड़ा के सहयोग की प्रशंसा की गई। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक दर्जा दिलाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए जल्द मान्यता दिए जाने का प्रस्ताव पारित किया। कार्यक्रम में बाड़मेर नगर के अलावा खंडप, बालोतरा, समदड़ी, रानी गांव शिव, चौहटन व धोरीमन्ना आदि क्षेत्र के साहित्यकारों व भाषा प्रेमियों ने भागीदारी निभाई। संस्था सचिव गौतम चमन ने धन्यवाद दिया।
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