कांडपारा (बांग्लादेश). किसी भी दूसरे दक्षिण एशियाई देश की तरह बांग्लादेश में भी वेश्यावृत्ति का कारोबार जोरों पर है। बांग्लादेश का बदनाम रेड लाइट इलाका ढाका से उत्तर पूर्व तंगेल कस्बे में मौजूद कांडपारा का झुग्गी झोपड़ी का इलाका है। यहां नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार में धकेला जा रहा है। कांडपारा में सेक्स वर्करों को 'चकरी' कहा जाता है।
इस रेड लाइट इलाके में लड़कियां अपनी इज्जत का सौदा 50 टका (करीब 30 रुपये) में भी कर लेती हैं। लेकिन इस धंधे में लड़कियां 12 साल की उम्र से ही शामिल हो जाती हैं। जाहिर है, इतनी कम उम्र में उनका शारीरिक विकास नहीं होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे तरह-तरह के स्टेरॉयड ले रही हैं।
इस इलाके में सेक्स वर्कर के रूप में काम कर रही 17 साल की हाशी ने बताया कि उसका अब का शरीर और रूप उसके पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है। हाशी के मुताबिक, 'मैं दो साल पहले की तुलना में अब बहुत स्वस्थ हूं और कई ग्राहकों की सेवा कर सकती हूं। एक दिन में यह संख्या कभी-कभी 15 तक होती है।'
जानवरों को मोटा करने वाली गोली खाकर करती हैं ग्राहकों को आकर्षित
हाशी जैसी तमाम सेक्स वर्कर डेक्सामेथासोन, ओराडेक्सॉन जैसे स्टेरॉयड का सहारा समय से पहले अपने शरीर का विकास करने के लिए ले रही हैं ताकि वे ग्राहकों को आकर्षित कर सकें। इस इलाके में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांडपारा और बांग्लादेश के 14 अन्य कानूनी वेश्यालयों में 90 फीसदी से ज़्यादा सेक्स वर्कर स्टेरॉयड का सहारा ले रही हैं। ऐसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल किसान अपने जानवरों को मोटा करने के लिए करते हैं। लेकिन सेक्स वर्करों को उनकी सरदारनी ऐसी गोलियां खाने पर मजबूर करती हैं। सरदारनी खुद पहले सेक्स वर्कर रह चुकी होती हैं और वे नई लड़कियों का बंधुआ मजदूर की तरह इस धंधे में शोषण करती हैं।
स्टेरॉयड खाने से सेक्स वर्कर की भूख बढ़ जाती है और वे तेजी से वजन बढ़ाती हैं। ऐसा करने से सेक्स वर्करों की सरदारनी पुलिस से भी बच जाती है क्योंकि बांग्लादेश में सेक्स वर्करों के लिए कानूनन कम से कम 18 साल का होना जरूरी है। स्टेरॉयड खाने से नाबालिग लड़कियां भी वयस्क लगती हैं। हाशी के मुताबिक, 'मेरी सरदारनी ने उसे स्टेरॉयड खाने के लिए मजबूर किया। उसने मुझे पीटा और खाना देना बंद कर दिया। इसके बाद उसने मुझे डराया और कर्ज की याद दिलाई। हाशी के मुताबिक वेश्यालयों में ग्राहक हमेशा स्वस्थ लड़कियों की तलाश करते हैं। मैं ओराडेक्सॉन खाती हूं।' ओराडेक्सॉन सफेद रंग की गोली है, जो कांडपारा में सिगरेट और चाय की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हैं। 10 गोलियों का एक पत्ता 15 टका का आता है।
सेहत पर भारी स्टेरॉयड
ओराडेक्सॉन की मदद से सेक्स वर्कर अपनी जरूरतें तो पूरी कर रही हैं, लेकिन इसका सेहत पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इससे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, त्वचा पर संक्रमण, सिरदर्द जैसी बीमारियां होती हैं। इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी घट जाती है, जिससे बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस इलाके में कम उम्र में ही सेक्स वर्करों के मरने की खबरें आती रहती हैं।
शोषण की दास्तां
हाशी जैसी 900 सेक्स वर्कर तंगेल कस्बे के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके कांडपारा में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। कर्ज और समाज में तिरस्कार के डर से देह व्यापार के दलदल में धंसी इन लड़कियों में से कई की उम्र 12 साल तक है। हाशी खुद 10 साल की उम्र में इस धंधे में धकेल दी गई थी। हाशी का एक चार का बेटा भी है, जो उसके रिश्तेदारों के पास रहता है। हाशी के मुताबिक, 'मुझे ऐसे ग्राहकों की तलाश है जो मेरा कर्ज उतारने में मेरी मदद करें। अगर मुझे किसी दिन ग्राहक न मिले तो मैं अगले दिन खाना तक नहीं खा सकती हूं। मैं चाहती हूं कि अपने बेटे के लिए कुछ पैसे इकट्ठा कर सकूं।' हाशी जैसी लड़कियों को उनके मां-बाप 245 अमेरिकी डॉलर (12500 रुपये) जैसी मामूली रकम में मानव तस्करों को बेच देते हैं। मानव तस्कर इन लड़कियों को सरदारनियों को बेच देते हैं।
जागरूकता की कमी
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शिप्रा गोस्वामी ने बताया कि गरीब देशों में सेक्स वर्कर जिन स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे ज़िंदगी बचाते भी हैं और इसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। गोस्वामी के मुताबिक, 'जागरूकता की कमी, दवाओं की आसानी से उपलब्धता की वजह से स्टेरॉयड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है।'
इस रेड लाइट इलाके में लड़कियां अपनी इज्जत का सौदा 50 टका (करीब 30 रुपये) में भी कर लेती हैं। लेकिन इस धंधे में लड़कियां 12 साल की उम्र से ही शामिल हो जाती हैं। जाहिर है, इतनी कम उम्र में उनका शारीरिक विकास नहीं होता है। इस कमी को पूरा करने के लिए वे तरह-तरह के स्टेरॉयड ले रही हैं।
इस इलाके में सेक्स वर्कर के रूप में काम कर रही 17 साल की हाशी ने बताया कि उसका अब का शरीर और रूप उसके पहले की तुलना में बिल्कुल अलग है। हाशी के मुताबिक, 'मैं दो साल पहले की तुलना में अब बहुत स्वस्थ हूं और कई ग्राहकों की सेवा कर सकती हूं। एक दिन में यह संख्या कभी-कभी 15 तक होती है।'
जानवरों को मोटा करने वाली गोली खाकर करती हैं ग्राहकों को आकर्षित
हाशी जैसी तमाम सेक्स वर्कर डेक्सामेथासोन, ओराडेक्सॉन जैसे स्टेरॉयड का सहारा समय से पहले अपने शरीर का विकास करने के लिए ले रही हैं ताकि वे ग्राहकों को आकर्षित कर सकें। इस इलाके में सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि कांडपारा और बांग्लादेश के 14 अन्य कानूनी वेश्यालयों में 90 फीसदी से ज़्यादा सेक्स वर्कर स्टेरॉयड का सहारा ले रही हैं। ऐसे स्टेरॉयड का इस्तेमाल किसान अपने जानवरों को मोटा करने के लिए करते हैं। लेकिन सेक्स वर्करों को उनकी सरदारनी ऐसी गोलियां खाने पर मजबूर करती हैं। सरदारनी खुद पहले सेक्स वर्कर रह चुकी होती हैं और वे नई लड़कियों का बंधुआ मजदूर की तरह इस धंधे में शोषण करती हैं।
स्टेरॉयड खाने से सेक्स वर्कर की भूख बढ़ जाती है और वे तेजी से वजन बढ़ाती हैं। ऐसा करने से सेक्स वर्करों की सरदारनी पुलिस से भी बच जाती है क्योंकि बांग्लादेश में सेक्स वर्करों के लिए कानूनन कम से कम 18 साल का होना जरूरी है। स्टेरॉयड खाने से नाबालिग लड़कियां भी वयस्क लगती हैं। हाशी के मुताबिक, 'मेरी सरदारनी ने उसे स्टेरॉयड खाने के लिए मजबूर किया। उसने मुझे पीटा और खाना देना बंद कर दिया। इसके बाद उसने मुझे डराया और कर्ज की याद दिलाई। हाशी के मुताबिक वेश्यालयों में ग्राहक हमेशा स्वस्थ लड़कियों की तलाश करते हैं। मैं ओराडेक्सॉन खाती हूं।' ओराडेक्सॉन सफेद रंग की गोली है, जो कांडपारा में सिगरेट और चाय की दुकानों पर आसानी से उपलब्ध हैं। 10 गोलियों का एक पत्ता 15 टका का आता है।
सेहत पर भारी स्टेरॉयड
ओराडेक्सॉन की मदद से सेक्स वर्कर अपनी जरूरतें तो पूरी कर रही हैं, लेकिन इसका सेहत पर बहुत ही बुरा असर पड़ता है। इससे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, त्वचा पर संक्रमण, सिरदर्द जैसी बीमारियां होती हैं। इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी घट जाती है, जिससे बीमारियों की चपेट में आने की आशंका बढ़ जाती है। यही वजह है कि इस इलाके में कम उम्र में ही सेक्स वर्करों के मरने की खबरें आती रहती हैं।
शोषण की दास्तां
हाशी जैसी 900 सेक्स वर्कर तंगेल कस्बे के झुग्गी झोपड़ी वाले इलाके कांडपारा में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। कर्ज और समाज में तिरस्कार के डर से देह व्यापार के दलदल में धंसी इन लड़कियों में से कई की उम्र 12 साल तक है। हाशी खुद 10 साल की उम्र में इस धंधे में धकेल दी गई थी। हाशी का एक चार का बेटा भी है, जो उसके रिश्तेदारों के पास रहता है। हाशी के मुताबिक, 'मुझे ऐसे ग्राहकों की तलाश है जो मेरा कर्ज उतारने में मेरी मदद करें। अगर मुझे किसी दिन ग्राहक न मिले तो मैं अगले दिन खाना तक नहीं खा सकती हूं। मैं चाहती हूं कि अपने बेटे के लिए कुछ पैसे इकट्ठा कर सकूं।' हाशी जैसी लड़कियों को उनके मां-बाप 245 अमेरिकी डॉलर (12500 रुपये) जैसी मामूली रकम में मानव तस्करों को बेच देते हैं। मानव तस्कर इन लड़कियों को सरदारनियों को बेच देते हैं।
जागरूकता की कमी
मानवाधिकार कार्यकर्ता और पेशे से वकील शिप्रा गोस्वामी ने बताया कि गरीब देशों में सेक्स वर्कर जिन स्टेरॉयड का इस्तेमाल कर रहे हैं, वे ज़िंदगी बचाते भी हैं और इसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। गोस्वामी के मुताबिक, 'जागरूकता की कमी, दवाओं की आसानी से उपलब्धता की वजह से स्टेरॉयड का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है।'
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