जैसलमेर. लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर में होलकाष्टमी पर फागोत्सव
जैसलमरे फाल्गुन महीने हाेलकाष्टमी लगने के साथ ही नगर आराध्य लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फागोत्सव शुरू हुआ। फागोत्सव में होली के रसियों ने भगवान लक्ष्मीनाथ के साथ फाग खेलकर होली की परंपरागत शुरुआत की। लक्ष्मीनाथजी मंदिर में फाग के अवसर पर अबीर व गुलाल के साथ होली खेली गई। अष्टमी से शुरु हुआ फागोत्सव होली के दिन तक मंदिर में खेला जाएगा। दोपहर में शहर भर के होली के रसिया मंदिर में इकट्ठा होकर भगवान के साथ फाग खेलकर होली का लुत्फ उठाएंगे।
हिंदु कैलेंडर के हिसाब से ग्यारस तिथि को जैसलमेर के राजपरिवार द्वारा लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फाग खेली जाएगी। जिसके बाद से ही परंपरागत गेर निकलेंगी। दोपहर को फाग खेलने के बाद गेरिए शहर भर में भाई बंधुओं के घर जाकर फाग खेलेंगे तथा होली के दिन शाम को गोठ का आयोजन किया जाएगा।
पिछली कई पीढ़ियों से चल रही है फागोत्सव की परंपरा
जैसलमेर में होली का त्यौहार अलग रूप से मनाया जाता है। होलकाष्टमी लगने के साथ ही पहली होली नगर आराध्य लक्ष्मीनाथ जी के साथ खेली जाती है। होली के रसियों द्वारा अष्टमी में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर पहुंचकर परंपरागत रूप से होली का श्रीगणेश किया जाता है। इसके बाद धुलंडी तक मंदिर में होली की धूम रहती है। ग्यारस के दिन राजपरिवार के सदस्यों द्वारा भगवान के साथ होली खेलने की परंपरा है। इसके बाद मंदिर में फाग खेलने के बाद लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर से ही परंपरागत गेर निकलती है। गैरिये सबसे पहले एक साथ राजपरिवार के यहां जाते है। वहां से गेर अपने अपने गुटों में बंटकर होली की गोठ के लिए राशि एकत्रित करने के साथ ही समाज के घर घर जाती है।
जैसलमरे फाल्गुन महीने हाेलकाष्टमी लगने के साथ ही नगर आराध्य लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फागोत्सव शुरू हुआ। फागोत्सव में होली के रसियों ने भगवान लक्ष्मीनाथ के साथ फाग खेलकर होली की परंपरागत शुरुआत की। लक्ष्मीनाथजी मंदिर में फाग के अवसर पर अबीर व गुलाल के साथ होली खेली गई। अष्टमी से शुरु हुआ फागोत्सव होली के दिन तक मंदिर में खेला जाएगा। दोपहर में शहर भर के होली के रसिया मंदिर में इकट्ठा होकर भगवान के साथ फाग खेलकर होली का लुत्फ उठाएंगे।
हिंदु कैलेंडर के हिसाब से ग्यारस तिथि को जैसलमेर के राजपरिवार द्वारा लक्ष्मीनाथ जी मंदिर में फाग खेली जाएगी। जिसके बाद से ही परंपरागत गेर निकलेंगी। दोपहर को फाग खेलने के बाद गेरिए शहर भर में भाई बंधुओं के घर जाकर फाग खेलेंगे तथा होली के दिन शाम को गोठ का आयोजन किया जाएगा।
पिछली कई पीढ़ियों से चल रही है फागोत्सव की परंपरा
जैसलमेर में होली का त्यौहार अलग रूप से मनाया जाता है। होलकाष्टमी लगने के साथ ही पहली होली नगर आराध्य लक्ष्मीनाथ जी के साथ खेली जाती है। होली के रसियों द्वारा अष्टमी में लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर पहुंचकर परंपरागत रूप से होली का श्रीगणेश किया जाता है। इसके बाद धुलंडी तक मंदिर में होली की धूम रहती है। ग्यारस के दिन राजपरिवार के सदस्यों द्वारा भगवान के साथ होली खेलने की परंपरा है। इसके बाद मंदिर में फाग खेलने के बाद लक्ष्मीनाथ जी के मंदिर से ही परंपरागत गेर निकलती है। गैरिये सबसे पहले एक साथ राजपरिवार के यहां जाते है। वहां से गेर अपने अपने गुटों में बंटकर होली की गोठ के लिए राशि एकत्रित करने के साथ ही समाज के घर घर जाती है।