बाड़मेर, औद्योगिक भूमि का आवासीय नियमन नहीं किया जा सकता
बाड़मेर, 2 मार्च। राजस्व मंत्री हरीश चैधरी ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि नियमानुसार औद्योगिक भूमि के आवंटन होने पर उसका आवासीय नियमन नहीं किया जा सकता है। चैधरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यदि रीको को औद्योगिक भूमि का आवंटन किया गया है, तो उस भूमि का उपयोग केवल उद्योग स्थापित करने में ही किया जा सकता है।
इससे पहले चैधरी ने विधायक बलवान पूनियाँ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 16 में जिन श्रेणियों की भूमि को प्रतिबंधित किया गया है उन पर खातेदारी, आवंटनध्नियमन नहीं किया जा सकता है। धारा 16 में वर्णित श्रेणियों की भूमियों में से चारागाह भूमि का वर्गीकरण परिवर्तन कर सिवायचक दर्ज किया जाकर कृषि अथवा अकृषि प्रयोजन हेतु आवंटन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी भूमियों पर अतिक्रमण कर बसी आबादी के नियमन पर विभिन्न न्यायालयों के समय -समय पर पारित निर्णयों में प्रतिबन्धित भूमियों को अतिक्रमण से मुक्त किए जाने के निर्देश दिये हैं। केवल सार्वजनिक प्रयोजनार्थ व्यापक जनहित में ही ऐसे नियमन पर विचार किया जा सकता है। चरागाह भूमि के वर्गीकरण परिवर्तन की प्रक्रिया राजस्थान काश्तकारी (सरकारी) नियम, 1955 के नियम 7 में प्रावधित है।
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बाड़मेर, 2 मार्च। राजस्व मंत्री हरीश चैधरी ने सोमवार को विधानसभा में बताया कि नियमानुसार औद्योगिक भूमि के आवंटन होने पर उसका आवासीय नियमन नहीं किया जा सकता है। चैधरी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा यदि रीको को औद्योगिक भूमि का आवंटन किया गया है, तो उस भूमि का उपयोग केवल उद्योग स्थापित करने में ही किया जा सकता है।
इससे पहले चैधरी ने विधायक बलवान पूनियाँ के मूल प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि राजस्थान काश्तकारी अधिनियम, 1955 की धारा 16 में जिन श्रेणियों की भूमि को प्रतिबंधित किया गया है उन पर खातेदारी, आवंटनध्नियमन नहीं किया जा सकता है। धारा 16 में वर्णित श्रेणियों की भूमियों में से चारागाह भूमि का वर्गीकरण परिवर्तन कर सिवायचक दर्ज किया जाकर कृषि अथवा अकृषि प्रयोजन हेतु आवंटन किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि ऐसी भूमियों पर अतिक्रमण कर बसी आबादी के नियमन पर विभिन्न न्यायालयों के समय -समय पर पारित निर्णयों में प्रतिबन्धित भूमियों को अतिक्रमण से मुक्त किए जाने के निर्देश दिये हैं। केवल सार्वजनिक प्रयोजनार्थ व्यापक जनहित में ही ऐसे नियमन पर विचार किया जा सकता है। चरागाह भूमि के वर्गीकरण परिवर्तन की प्रक्रिया राजस्थान काश्तकारी (सरकारी) नियम, 1955 के नियम 7 में प्रावधित है।
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