लंदन। आपने कभी दस साल के बच्चों के जन्म लेने की खबर इस से पहले नहीं सुनी होगी। और तो और पैदा हुए दोनों बच्चे जुड़वां भी निकल।
जिंबाब्वे की राजधानी हरारे में घटी एक रहस्यमयी घटना में एक महिला ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया।
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इन बच्चों की उम्र दस साल है। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि यह महिला पिछले दस सालों से अपने पेट में यह गर्भ लिए थी।
महिला को अपने ऊपर कोई शैतानी साया होने का अंदेशा था। पिछले दस सालों में उसका पेट काफी फूल गया था व उसे हमेशा पेट में कुछ हिलता सा प्रतीत होता था।
इस असामान्य गर्भ के इलाज के लिए उसने काफी दरवाजे खटखटाए लेकिन उसे हर जगह से निराशा ही हाथ लगी।
फिर उसके एक रिशतेदार ने उसे एक चर्च के पादरी को दिखाने को कहा। सब तरफ से घोर निराशा को झेलने के बाद इस महिला को बिलकुल भी विश्वास नहीं था कि उसकी इस समस्या को कोई दूर कर सकता है।
लेकिन मन को मारते हुए उसने इस पादरी के पास जाकर अपना इलाज करवाने का निर्णया लिया।
चर्च के पादरी ने उसकी हालत देखने के बाद उसे भरोसा दिलाया कि उसे प्रार्थनाओं की शक्ति के द्वारा शैतानी ताकतों से मुक्त करवा लिया जाएगा।
इलाज शुरू किया गया और दो हफ्ते बाद ही नतीजे दिखाई देने लगे। धीरे-धीरे उसके पेट पर एक घाव उभरा जिसमें काफी दर्द होता था। वह घाव जब फूटा तो उसके पेट से दो मरे बच्चे निकले।
इसके बाद महिला का पेट वापस पहले जैसा सामान्य नजर आने लगा। -
मानवेन्द्र सिंह रामसर और गडरारोड़ में करेंगे जन सुनवाई
बाड़मेर, 03 जुलाई।शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह 8 जुलाई को विधानसभा क्षैत्र शिव के उपखण्ड रामसर व तहसील मुख्यालय गडरारोड़ मंे जिला व ब्लाॅक स्तर के अधिकारियों के साथ ग्रामीणों से रूबरू होकर जन सुनवाई करेगे।
विधायक मानवेन्द्रसिह के निजी सचिव रामसिह ने बताया कि शिव विधायक 8 जुलाई को प्रातः 11 बजे रामसर उपखण्ड पर तहसील के बैठक हाॅल में रामसर तहसील के समस्त गांवो के ग्रामीणों की जन सुनवाई कर मौके पर उपस्थित अधिकारियों से समस्या निस्तारण करने के लिए निर्देशित करेगे। इसी तरह विधायक दोपहर 2.30 बजे गडरारोड़ तहसील में सीमावर्ती क्षैत्र के गांवो के ग्रामीणों की जन सुनवाई कर समस्याओं के निस्तारण के लिए संबंधित अधिकारियो को पाबंद करेगे।
विधायक की जन सुनवाई के उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी, अधीक्षण अभियंता जन स्वास्थ्य विभाग, बिजली विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग चिकित्सा एवं शिक्षा विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों एवं नर्मदा परियोजना से संबंधित अधिशाषी अभियंता के साथ जन सुनवाई करेगे। इसमे सीमावर्ती क्षैत्र की पेयजल बिजली सडक, चिकित्सा, चारा, विद्यालयो मे अध्यापकों की कमी आदि समस्या की सुनवाई कि जावेगी। इस जन सुनवाई मे तहसील स्तर के ग्रामीण अपनी समस्याओं के साथ बैठक स्तर पर उपस्थित होवे। इसके साथ ही नर्मदा परियोजना की समीक्षा कर निर्धारित समय में कार्य पूर्ण करने के लिए संबंधित अधिकारियो को निर्देशित करेगे।
मुंबई। हिन्दी सिनेमा जगत में यूं तो अपने दमदार अभिनय से कई सितारों ने दर्शकों के दिलो पर राज किया लेकिन एक ऎसा भी सितारा हुआ जिसने न सिर्फ दर्शकों के दिल पर राज किया बल्कि फिल्म इंडस्ट्री ने भी उन्हें "राजकुमार" माना। वह थे संवाद अदायगी के बेताज बादशाह कुलभूषण पंडित उर्फ "राजकुमार"।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में 8 अक्टूबर 1926 को जन्मे राजकुमार स्नातक करने के बाद वह मुंबई के माहिम पुलिस स्टेशन में सब इंस्पेकटर के रूप में काम करने लगे। यहीं उनकी मुलाकात फिल्म निर्माता बलदेव दुबे से हुई।
वह राजकुमार के बातचीत करने के अंदाज से काफी प्रभावित हुए और उन्होंने राजकुमार से अपनी फिल्म "शाही बाजार" में अभिनेता के रूप में काम करने की पेशकश की। वर्ष 1952 मे प्रदर्शित फिल्म "रंगीली" में एक छोटी सी भूमिका कर ली। यह फिल्म सिनेमा घरो में कब लगी और कब चली गयी। इसके बाद फिल्म शाही बाजार भी प्रदर्शित हुई। इसके बाद वह कई फिल्मों में दिखाई दिए।
महबूब खान की वर्ष 1957 मे प्रदर्शित फिल्म "मदर इंडिया" में राजकुमार गांव के एक किसान की छोटी सी भूमिका में दिखाई दिए। फिर भी वह अपने अभिनय की छाप छोड़ने में कामयाब रहे। इस फिल्म में उनके दमदार अभिनय के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति भी मिली और फिल्म की सफलता के बाद वह अभिनेता के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गए।
वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म "पैगाम" में उनके सामने हिन्दी फिल्म जगत के अभिनय सम्राट दिलीप कुमार थे लेकिन राज कुमार ने यहां भी अपनी सशक्त भूमिका के जरिए दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे। इसके बाद दिल अपना और प्रीत पराई, घराना, गोदान, दिल एक मंदिर और दूज का चांद जैसी फिल्मों में मिली कामयाबी के जरिए उन्होंने दर्शकों के बीच अपने अभिनय की धाक जमा दी।
बी. आर. चोपड़ा की फिल्म वक्त में राजकुमार का बोला गया एक संवाद "चिनाय सेठ" जिनके घर शीशे के बने होते है वो दूसरों पे पत्थर नहीं फेंका करते, दर्शकों के बीच क ाफी लोकप्रिय हुए। इसी तरह पाकीजा में उनका बोला गया एक संवाद "आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा मैले हो जायेगें" इस कदर लोक प्रिय हुआ कि लोग गाहे बगाहे उनकी आवाज की नकल करने लगे।
उन्होंने हमराज, नीलकमल, मेरे हुजूर, हीर रांझा और पाकीजा जैसी फिल्मों में रूमानी भूमिकाएं भी स्वीकार कीं और दर्शकों की वाहवाही लूटी। वर्ष 1978 मे प्रदर्शित फिल्म "कर्मयोगी" में राज कुमार के अभिनय और विविधता के नए आयाम दर्शकों को देखने को मिले। इस फिल्म मे उन्होंने दो अलग-अलग भूमिकाओं मे अपने अभिनय की छाप छोड़ी।
वर्ष 1991 में सुभाष घई की फिल्म सौदागर में राज कुमार वर्ष 1959 मे प्रदर्शित फिल्म "पैगाम" के बाद दूसरी बार दिलीप कुमार के सामने थे और अभिनय की दुनिया के इन दोनों महारथियों का टकराव देखने लायक था। नब्बे के दशक में राजकुमार ने फिल्मों मे काम करना काफी कमकर दिया। इस दौरान उनकी तिरंगा, पुलिस और मुजिरम, इ ंसानियत के देवता, बेताज बादशाह, जवाब, गाड और गन जैसी फिल्में प्रदर्शित हुई।
नितांत अकेले रहने वाले राजकुमार ने शायद यह महसूस कर लिया था कि मौत उनके काफी करीब है, इसीलिए अपने पुत्र पुरू राजकुमार को उन्होंने अपने पास बुला लिया और कहा कि देखो मौत और जिंदगी इंसान का निजी मामला होता है। मेरी मौत के बारे में मेरे मित्र चेतन आनंद के अलावा और किसी को नहीं बताना।
मेरा अंतिम संस्कार करने के बाद ही फिल्म उद्योग को सूचित करना। अपने संजीदा अभिनय से लगभग चार दशक तक दर्शकों के दिलपर राज करने वाले महान अभिनेता राजकुमार आज ही के दिन 3 जुलाई 1996 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।
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जयपुर। राजधानी जयपुर के श्याम नगर में एक आयकर अधिकारी के मकान में छह महीने से किराए से रह रही युवतियां यहां वेश्यावृत्ति का धंधा कर रही थी। एसीपी सोढाला की टीम ने बुधवार शाम इसका भंडाफोड़ कर तीनों युवतियों और एक ग्राहक को गिरफ्तार कर लिया।
सोढ़ाला एसीपी प्रेमदान रत्नू ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि श्याम नगर स्थित मकान नंबर के 74 में बाहर से लड़कियां बुलाकर देह व्यापार किया जा रहा है। तस्दीक के लिए श्याम नगर एसएचओ चंद्रप्रकाश चौधरी को निर्देश दिए गए।
पुलिस की ओर से भेजे गए बोगस ग्राहक के इशारे पर पुलिस टीम ने उक्त मकान पर छापा मारा तो दो अलग-अलग कमरों से फालना पाली निवासी प्रिया सेठ (22), मुंबई निवासी पूनम (21), दिल्ली निवासी अरविना खातून (22) तथा नागौर हाल रजत पथ मानसरोवर निवासी ग्राहक गजानंद शर्मा (33) को गिरफ्तार किया गया।
तलाशी में महिला दलाल प्रिया के पास 50 हजार, पूनम के पास 12 हजार तथा अरविना के पास 18 हजार रूपए व अन्य अनैतिक कार्ये का सामान मिला।
तीनों ने ये रकम देह व्यापार से कमाना बताया। प्रिया सेठ लड़कियों को लेकर आती थी और उसी ने मकान किराए पर ले रखा था।
बेंगलूरू। महाराष्ट्र में 21 हत्याएं करने के बाद चंद्रकांत एस.शर्मा बेंगलूरू शिफ्ट हो गया। यहां उसने 22 वीं हत्या की। पत्नी और अपने दो बेटों के साथ मिलकर शर्मा ने हत्या को अंजाम दिया। तीन दिन के अंदर ही पूरा परिवार जेल चला गया।
शर्मा को पहले की गई हत्याओं में शायद ही दोषी करार दिया जाए क्योंकि महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के सभी 21 मामले बंद कर दिए हैं। 54 साल के शर्मा,उसकी पत्नी हर्षा (49) और बेटे मोंटू शर्मा (27)को पिछले महीने एसवी राघवन की हत्या में दोषी करार दिया गया। 10 जनवरी 2008 को राघवन की हत्या हुई थी। पेशे से इंजीनियर राघवन चामराजपेट के नानजांबा अग्रहारा इलाके में रहते थे।
शर्मा और उसका परिवार सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। पहले की गई 21 हत्याओं का राज पूछताछ के दौरान खुला। शर्मा ने स्वीकार किया कि उसने अकेले महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में 21 हत्याएं की थी। ये हत्याएं 1978 से 1981 के दौरान की थी। 1985 में वह बेंगलूरू शिफ्ट हो गया।
शर्मा ने इंस्पेक्टर केपी गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता वाली पुलिस टीम के समक्ष 21 हत्याओं की बात कबूली। केपी गोपाल रेड्डी केजी नगर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर थे,जो अब मल्लेश्वरम के एसीपी हैं। रेड्डी उन स्थानों पर गए जहां शर्मा ने हत्याएं की थी लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। आईजी(जनशिकायत)आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने पूछताछ के दौरान 21 लोगों की हत्या की बात कबूल की।
हमने उसके दावों की पुष्टि के लिए महाराष्ट्र में टीमें भेजी लेकिन पुलिस ने सभी मामले बंद कर दिए हैं। कई फाइलें उपलब्ध नहीं है क्योंकि उन्हें नष्ट कर दिया गया है। शर्मा ने पुणे की होटल आम्रपाली में चार हत्याएं की थी। आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने क्लोरोफॉर्म सूंघाकर पीडितों को बेहोश करने की कला सीख ली थी। उसने कुछ लोगों को चाकू से गोदकर मार डाला जबकि अन्य को गला दबाकर मारा। शर्मा ने दावा किया कि उसने दुबई स्थित इब्राहिम की हत्या की थी। इब्राहिम सोने का तस्कर था। इब्राहिम और शर्मा के बीच बिजनेस को लेकर विवाद हुआ था।
एसवी राघवन ने शर्मा को अपना मकान किराए पर दिया था। शर्मा ने नौ महीने का किराया नहीं दिया था। शर्मा ने 10 जनवरी 2008 को राघवन को किराए लेने के लिए अपने घर बुलाया। राघवन किराया लेने शर्मा के घर पहुंचा। शर्मा ने अपनी पत्नी और बेटों के साथ मिलकर राघवन का तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी। उन्होंने राघवन पर चाकू से वार किए। शर्मा राघवन के शव को तमिलनाडु के सूलीगेरे ले गया। वहां शव को जला दिया।
एसीपी गोपाल रेड्डी ने बताया कि शर्मा ने फर्जी कागजात तैयार किए और दावा किया कि राघवन ने एचबीआर लेआउट प्रोपर्टी उसे बेच दी थी। जब राघवन के बेटे ने अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई तो शर्मा ने हमें बताया कि राघवन एक महिला के साथ आए थे। वह बकाया किराया और 50 लाख रूपए सेल्क एडवांस के रूप में लेकर चले गए। एसीपी ने बताया कि शर्मा से हत्या की बात उगलवाना आसान नहीं था लेकिन जब हमने उसे बताया कि राघवन का शव मिल गया है तो वह हमारी चाल में फंस गया।
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खास खबर कुख्यात आंतकवादी हाफिज सईद का एक और चेहरा ,सिंध के लोगो का हे रॉबिनहुड ?
हाफ़िज़ स्वयं सेवी संस्था के माध्यम से कट्टरपंथ का पाठ पढ़ा रहा हैं सिंध प्रान्त में
बाड़मेर मुंबई हमले का मुख्य आरोपी कुख्यात आंतकवादी हाफिज सईद पाकिस्तान में महफूज हैं। इन दिनों हाफिज पाकिस्तान के राजस्थान प्रान्त से साते सिंध प्रान्त के गाँवो में अपनी स्वयं सेवी संस्था फलह ए इंसानियत तंज़ीम के सेवा कार्यो का जायजा लेने के साथ लोगो को रहत पहुंचा रहा हैं। हाफिज को पाकिस्तान की खिफिया एजेंसी आई इस आई ने सिंध प्रान्त को हिन्दू मुक्त करने का टारगेट दे रखा हैं।
सीमा पर से मिली जानकारी के अनुसार हाफिज सईद का एन जी ओ चार वर्ष पूर्व सिंध प्रान्त में आए बाढ़ के समय सक्रीय हुआ था ,हाफिज के संस्था का मुखिया शफकत हुसैन अब्बासी और चेयरमैन अब्दुल गफ्फूर सिद्दीकी हैं ,इस संस्था द्वारा सिंध प्रान्त के ग्रामीण इलाको में चिकित्सा सेवा का कार्य किया जा रहा हैं ,संस्था द्वारा बड़ी संख्या में एम्बुलैंस सेवा आम लोगो के लिए उपलब्ध करा राखी हैं साथ ही एक खैराती अस्पताल भी खोल रखा हैं जिसमे आधुनिक चिकित्सा सुविधाए आम जान के लिए उपलब्ध हैं। चूँकि हाफिज सईद पर पाकिस्तान में किसी तरह का कोई प्रतिबन्ध नहीं हे ऐसे में वह खुले में आसानी से कहीं भी आ जा रहा हैं। अमूमन सिंध प्रान्त वह तीन माह के अंतराल के बाद आता रहता हैं। सूत्रों की माने तो हाफिज की संस्था आम लोगो के लिए सेवार्थ कार्य करने के साथ सरहदी क्षेत्रो में कट्टरपंथ का पाठ पद्धति हैं इसी के चलते कट्टरपंथियों के निशाने पर सिंध के हिन्दू परिवार आ गए ,इनसे परेशान हिन्दू परिवार थार एक्सप्रेस के जरिये पाकिस्तान से भारत पलायन कर रहे हैं। गत दो सालो में सिंध से करीब दस हज़ार से अधिक परिवार राजस्थान के विभिन जिलो में आकर बस चुके हैं।
सिंध प्रान्त के सिंधी मुस्लिम जिन्हे मुहाजिर मन जाता हे को मुस्लिम धर्म की मुख्य धरा में शामिल कर उन्हें कटटर पंथ की रह में रहा हैं हाफिज वाही सिंध के युवाओ को आंतकवादी प्रशिक्षण शिविरो में भी भेज रहा हैं। सूत्रानुसार हाफिज सईद की संस्था मीठी ,छाछरो ,सांगड ,बहावलपुर ,,नौकात, गड़रा सिटी ,खैपुर ,नवाब सिटी ,जेकबाबाद ,लरकाना ,सक्कर ,दादु आदि जगहों पर काम कर रहा हैं। सईद करींबी चार दिन से सिंध हैं ,सामान्य लोगो की तरह आम जन के साथ घुल मिल रहा हैं। अपनी संस्था द्वारा उपलब्ध कराई जा रही राहत का जायजा ले रहा हैं ,सूत्रानुसार हाफिज सिंध के पश्चिमी सीमावर्ती गाँवो में पड़े भीषण अकाल के मदीनज़र राहत शिविर शुरू करने जा रहा हैं। सूत्रानुसार हाफिज की संस्था में कचरा संग्रह के दो बड़े ख़रीदे हैं।
सिंध प्रान्त में हाफिज खुले आम आंतकी गतिविधियों का हिस्सा नहीं बनते। परदे के पीछे रह कर अपनी कार्य योजना को समाज सेवा के माद्फ्ह्यम से अंजाम तक पहुँचाने का प्रयास में जूता हैं। हाफिज सईद संस्था के लिए पैसो का इंतज़ाम खुद करता हैं। बहरहाल सिंध प्रान्त में हाफिज का ठहराव होने से पश्चिमी सरहद पर चर्चा अवश्य हैं मगर हाफिज के कारन हाई अलर्ट की स्थति नहीं हैं। सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो का कहना हैं की सरहद पर सीमा सुरक्षा बल सदैव हाई अलर्ट रहता हैं। हाफिज के सिंध आने से हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर कोई असर नहीं पडेगा ,
जोधपुर। विश्वस्तरीय ट्रेनिंग के आधारभूत ढांचे से सुसज्जित भारतीय सेना की दक्षिणी-पश्चिमी कमान की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में नवम्बर 2014 में भारत व चीन की थलसेना का संयुक्त युद्धाभ्यास होगा। यह चौथा अवसर होगा जब भारत और चीन की थलसेना के जवान संयुक्त अभ्यास के दौरान युद्ध कौशल व क्षमता का प्रदर्शन करेंगे। युद्घाभ्यास दस दिन तक चलेगा।
150 भारतीय सैनिकों का दल करेगा शौर्य प्रदर्शन
रक्षा सूत्रों के अनुसार पश्चिमी राजस्थान के सूरतगढ़ के पास स्थित महाजन फील्ड फाइरिंग रेंज में दोनो देशों के सैनिक रक्षा, युद्धकौशल, संयुक्त हमला, रणनीति व बचाव का अभ्यास करेंगे। दस दिवसीय युद्धाभ्यास में भारतीय सेना के 150 सैनिकों का दल भाग लेगा।
भारत-चीन युद्घाभ्यास एक नजर में
4 पहला युद्घाभ्यास वर्ष 2007 में चीन के कुन्मिंग शहर में।
4 दूसरा युद्घाभ्यास वर्ष 2008 में कर्नाटक के बेलगांव में।
4 तीसरा युद्घाभ्यास नवम्बर 2013 में चीन के चेंगदू शहर में।
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जयपुर। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद इंद्र देवता प्रसन्न हुए और राजस्थान के कई हिस्सों में मानसून की बारिश हुई। प्रदेश की राजधानी जयपुर में गुरूवार अल सुबह 4 बजे से बारिश का दौर शुरू हुआ जो सुबह 8 बजे तक चला। तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने शहर के सभी हिस्सों को जमकर भिगोया। बारिश के चलते गर्मी से परेशान लोगों को जमकर राहत मिली। मौसम विभाग के अनुसार अगले बरसात का यह दौर अगले तीन दिनों तक जारी रहेगा।
तेज बारिश से शहर के निचले इलाकों में पानी भर गया, वहीं सड़कें भी पानी से लबालब हो गई। जयपुर के आसपास के इलाकों में भी जोरदार बारिश हुई। ग्रामीण इलाकों में देर राते से ही बारिश होने की खबर है। हालांकि अभी मौसम विभाग की ओर से मानसून के राजस्थान में प्रवेश की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि अगले दो-चार दिनों में मानसून राजस्थान में दस्तक दे देगा। बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई।
वहीं मुंबई में भी बुधवार को जोरदार बरसात हुई और सड़के नालों की तरह उफन पड़ी। मौसम विभाग के अनुसार मुंबई के पश्चिमी तटीय हिस्सों तक मानसून पहुंच गया है। बारिश का पानी मेट्रो ट्रेन और स्टेशन पर भी पानी भर गया। इसके चलते लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ी। मेट्रो में पानी आने की फोटो टि्वटर और अन्य सोशल साइट्स पर वायरल हो गई। तेज बारिश के कारण मेट्रो की एक एसी यूनिट की छत में दरार आ गई और पानी अंदर आ गया। बुधवार दोपहर तक मुंबई में 105 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। देश की राजधानी दिल्ली में भी बुधवार को जोरदार बरसात हुई।
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जोधपुर। हैकरों द्वारा ईमेल आईडी हैक कर लाखों रूपए की ठगी की वारदातें होने लगी है। ऎसी ही एक वारदात शहर के हैण्डीक्राफ्ट व्यवसायी के साथ हुई। उसकी आईडी हैक कर फर्जी ईमेल आईडी बना दी गई।
इस फर्जी आईडी से जर्मनी की फर्म से करीब साढ़े दस लाख रूपए अपने अकाउन्ट में ट्रांसफर करवा लिए। ठगी का मामला बासनी थाने में दर्ज में किया है। साइबर क्राइम के मामले की जांच में जुटी पुलिस को अभी कुछ हाथ नहीं लगा है।
यूं हुई ठगी
बासनी पुलिस के अनुसार कुम्पलिया बाड़मेर निवासी चुन्नीलाल पुत्र पन्नालाल गोदारा ने रिपोर्ट दी कि उसकी हैण्डीक्राफ्ट फैक्ट्री बासनी सैकण्ड फैज में हस्तकलां हैण्डीक्राफ्ट नाम से है।
यहां लोहे के आर्टकलस व फर्नीचर बनते हैं। कम्पनी ने गत दिनों जर्मनी की एक फर्म को गत 16 जून को 15 लाख रूपए का वूडन व आयरन का माल भेजा। इसके पेटे उसे तीस प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान किया। शेष राशि 26 जून को देना तय हुआ था।
तभी 28 जून को जर्मनी की फर्म का एक मेल आया कि उसकी मेल से नया अकाउन्ट नम्बर मिला है। जर्मनी के फर्म मालिक से व्यवसायी ने अपने ऑपरेटर रावतराम की व्हाट्सएप पर वार्तालाप की।
इसमें पता चला कि उसने नए अकाउन्ट नम्बर में 17 हजार 4 सौ 46 अमेरिकन डॉलर यानी करीब दस लाख अड़सीस हजार रूपए ट्रांसफर किए है। जबकि चुन्नीलाल के खाते में यह राशि जमा नहीं हुई।
चुन्नीलाल की ईमेल से कोई नया अकाउन्ट नम्बर नहीं दिया। पड़ताल में पता चला कि अज्ञात व्यक्ति ने फर्जी ईमेल आईडी बनाकर जर्मनी की फर्म से रकम मंगवा ली।
याहू कम्पनी से मांगी यह डिटेल की मांग की है जिसमें व्यवसायी की ईमेल आईडी, हैकर कौन व किस सर्वर से जुड़ा, अकाउन्ट नम्बर किस व्यक्ति का, कैसे हैक हुई ईमेल आईडी का ब्योरा मांगा है।
डिटेल के बाद ही पता चलेगा
साइबर क्राइम से जुड़ा मामला है। याहू कम्पनी से आईडी की डिटेल मांगी है। उसके बाद ही जांच आगे बढ़ पाएगी। मामले की स्थानीय स्तर पर भी गहनता से जांच की जा रही है।
जोधपुर।डांगियावास थाना क्षेत्र के खात्यासनी रोड पर बुधवार शाम एक हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने गई पुलिस की जीप पर हिस्ट्रीशीटर ने बोलेरो चढ़ा दी। इसमें चार पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालांकि पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर सहित तीन जनों को गिरफ्तार कर लिया। हमले में पुलिस जीप पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गई। इस दौरान हिस्ट्रीशीटर की जीप भी पलट गई इससे उसके भी चोटे आई।
पुराना अपराधी है विकास: पुलिस के अनुसार रूडकली निवासी विकास उर्फ रौनक पुत्र वीरमाराम विश्नोई डांगियावास थाने का हिस्ट्रीशीटर है। उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट आए हुए हैं व उसके खिलाफ पूर्व में 14 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। वह पुलिस पर फायर भी कर चुका है।
उतरकर भागा, तब दबोचा
इस दौरान हिस्ट्रीशीटर की गाड़ी भी पलट गई। वह अपने साथियों से पुलिस की जीप को आग लगाने का कहने लगा और उतरकर भागने लगा तो पुलिसकर्मियों ने उसे दबोच लिया। जीप में सवार उसके साथी पीपाड़ निवासी जितेन्द्र पुत्र भगवान सिंह राजपूत व सोहनलाल पुत्र हरसुखराम विश्Aोई को भी गिरफ्तार किया। तीनों से देर रात तक पूछताछ जारी थी। पुलिसकर्मियों का प्राथमिक उपचार करवाया है। तीनों आरोपियों के खिलाफ राजकार्य में बाधा पहंुचाने, जानलेवा हमले करने सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया है।
गुप्त सूचना पर गए थे पकड़ने
पुलिस को शाम को सूचना मिली कि वह गाड़ी में सवार होकर खात्यासनी रोड की ओर जा रहा है। एक मामले में वह फरार है उसे गिरफ्तार करने के लिए पुलिस अपनी जीप लेकर शाम करीब साढ़े छह बजे निकली। हिस्ट्रीशीटर के पास बोलेरो जीप थी। उसने अपनी जीप (बोलेरो) पुलिस की जीप पर चढ़ा दी। इससे पुलिस की जीप क्षतिग्रस्त हो गई तथा उसमें सवार हैडकांस्टेबल गोरधनराम, कांस्टेबल परसाराम, कांस्टेबल नानकराम घायल हो गए।
जोधपुर।जोधपुर संभाग में करीब 450 ऎसी निजी स्कूलें है, जिन्हें बंद हुए एक लम्बा अरसा हो गया। लेकिन शिक्षा विभाग के कागजों में यह स्कूलें संचालित हो रही हैं। विभाग की ओर से बाकायदा मान्यता दी हुई है। अब इन स्कूलों की जांच शुरू हो गई है।
शिक्षा विभाग अपने कार्य को लेकर कितना सजग है। इसका खुलासा हाल ही में सरकार को सभी जिलों से मिली रिपोर्ट में हुआ है। हर वष्ाü प्रदेश में सैंकड़ों नई निजी स्कूलें खुलती है। शिक्षा विभाग मान्यता तो दे देता है लेकिन यह स्कूलें खुलकर कब बंद हो जाती है यह विभाग को भी पता नहीं है। प्रदेश में ऎसी 1200 व जोधपुर संभाग में 450 स्कूलें सामने आई है जो बंद है। लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जांच नहीं होने से इनकी मान्यता खत्म नहीं की गई।
यह है जोधपुर संभाग की स्थिति
जोधपुर जिले में 152 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलें ऎसी है जो कागजों में मान्यता प्राप्त चल रही है। जबकि मौके पर स्कूलों का नामोनिशान तक नहीं है। इनमें लूणी, बिलाड़ा में 7-7, फलोदी में 5, बालेसर में 4 व जोधपुर शहर की 129 स्कूलें शामिल है। यह तो प्रारम्भिक रिपोर्ट है। यह संख्या करीब 150 से ऊपर जाएगी। अब इन स्कूलों की रिपोर्ट बनाकर अधिकारियों ने सरकार को भेजी है। इसी प्रकार संभाग के पाली में 68, बाड़मेर में 53, जैसलमेर में 36, सिरोही में 25, जालोर में 41 व नागौर में 67 स्कूलें ऎसी है जो बंद हो गई लेकिन मान्यता खत्म नहीं हुई।
कैसे खुले नए सरकारी विद्यालय
निजी स्कूलों के चलते सरकार ऎसे क्षेत्रों में नई सरकारी स्कूलें खोलने से बचती है। क्योंकि अधिकांश बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश लेते हैं। ऎसे में बंद स्कूलों की सूचना शिक्षा विभाग को समय पर मिलती है तो नई स्कूलें खुलने की राह प्रशस्त हो सकती है। अब सरकार इस बात की जांच कर रही है कि बंद स्कूलों में कोई ऎसी स्कूल तो नहीं है जिसने सरकार से रियायती दर पर जमीन ली और बाद में स्कूल ही बंद कर दी। ऎसी बंद स्कूलों को मिली जमीन वापस ली सकती है।
सूचना मांगी है
प्रदेश के किस जिले में कितनी निजी स्कूलें बंद है। इसकी सूचना सभी डीईओ से मांगी है। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। -रवि जैन, निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान -
उदयपुर। नाई थाना क्षेत्र के डोडावली गांव में पांच वर्ष पूर्व मौत के बदले मौत की आग में पिता-पुत्र के हत्या करने वाले एक ही परिवार के बीस जनों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपियों में नौ महिलाएं शामिल है। निर्णय के बाद आरोपियों के परिजन व मासूम न्यायालय परिसर में बिलख पड़े।
डोडावली के आम्बा खादरा में गत 26 जून 2009 को दो परिवार के बीच हुए खूनी संघर्ष मे नारू गमेती (45) व उसका पुत्र नानजी (20) की मौत हो गई और नारू की पत्नी झमकू (40) व कुछ परिवार के सदस्य घायल हो गए थे। पुलिस ने झमकू की रिपोर्ट पर दोहरा हत्याकांड का मामला दर्ज कर बीस आरोपियों के विरूद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया।
सुनवाई के दौरान अपर लोक अभियोजक सैय्यद हुसैन बंटी ने 28 गवाह व 111 दस्तावेज पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रम-2 की पीठासीन अधिकारी ईश्वरीलाल वर्मा ने सभी आरोपियो को उम्र कैद की सजा सुनाई। पढ़ें उम्रकैद ञ्च पेज 21
इन्हे मिली सजा
न्यायालय ने आम्बा का खादरा निवासी वक्ता पुत्र धन्ना, लोगर पुत्र वक्ता, तकुड़ी पत्नी वक्ता, लीला पत्नी लोगर, वजा पुत्र चतरा, हरकू पत्नी चतरा, कमला पत्नी मोहन, मंगला पुत्र वागा, कालिया पुत्र मंगला, तकतिया पुत्र मंगला, चम्पा पत्नी तकतिया, देवला पुत्र भीमा, लक्ष्मी पत्नी देवला, चोखला पुत्र खीमा, झमकू पत्नी राजू, प्रभू पुत्र खीमा, सवली पत्नी कालिया, राजू पुत्र बागा, धूलिया पुत्र कन्ना व वरदी पत्नी धूलिया गमेती को धारा 302 व विभिन्न धाराओं में उम्रकैद व 38-38 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी लोगर व वक्ता को धारा 4/25 में दो-दो वर्ष की कैद व दो-दो हजार रूपए जुर्माने की अलग से सजा सुनाई।
घटनास्थल पर ही तोड़ा था दम
आरोपियों ने नारू के परिवार पर पहले पथराव किया और बाद में मकान में घुसकर तलवार, कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर दिए। हमले में नारू की एक टांग कट कर अलग हो गई व सिर में गहरी चोट लगी। उसके पुत्र नानजी के सिर व पेट में गंभीर चोटें आई। दोनों ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था।
मौत का बदला मौत से
परिवादिया झमकू ने रिपोर्ट में बताया था कि घटना से करीब आठ माह पूर्व उसके पुत्र केसूलाल ने उसकी पत्नी वालकी को डोडावली निवासी मोहन पुत्र वक्ता के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था। केसू ने आवेश में आकर मोहन की हत्या कर दी थी। तब से वह जेल में ही है। इस हत्या के बाद मृतक के परिवार वालों के भय से केसा का पूरा परिवार गांव छोड़कर जंगल में चला गया। जून माह में बारिश होने यह परिवार खेतीबाड़ी के लिए वापस डोडावली गांव आया था। इन्हें देखते ही आरोपी वक्ता व उसके परिवार ने हमला कर दिया।
जायका। … पुरानी दिल्ली के पकवानचांदनी चौक क्षेत्रजब आप पुरानी दिल्ली में आओगे, तो आप यहां के खानों को नहीं भूल पाओगे। यहां चहल-पहल भरी गलियां मिलेंगी, जो विभिन्न व्यंजनों की महक से सरोबर होती हैं। व्यंजनों के कद्रदानों के लिए करीम जैसे रेस्तरां हैं, साथ ही मांसाहारी खानों के पुराने शौकीन हैं, वे मोती महल में बटर-चिकन का लुत्फ उठा सकते हैं। स्ट्रीट फूडचांदनी चौक को प्रायः भारत की फूड-कैपिटल भी कहा जाता है, जो अपने स्ट्रीट फूड के लिए प्रसिद्ध है। यहां अनेक प्रकार के स्नैक्स, विशेषकर चाट, मिलते हैं। टदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं। आप सभी यहां आएं...और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं। चांदनी चौक में प्रतिदिन मेले जैसा माहौल रहता है। गलियों में हलवाई, नमकीन बेचने वालों तथा परांठे-वालों की कतार में दुकाने हैं।बेहतर होगा कि आप परांठे वाली गली से शुरुआत करें, 1870 के दशक से, जब यहां परांठों की दुकान खुली थी, तभी से यह स्थान चटोरों के स्थान के नाम से लोकप्रिय हो गया था। इस गली में भारत की कई नामी हस्तियां आ चुकी हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पं.जवाहरलाल नेहरु और उनके परिवारजन - इंदिरा गांधी और विजयलक्ष्मी पंडित यहां आ चुके हैं तथा यहां के परांठों का स्वाद ले चुके हैं। नियमित रूप से आने वाली हस्तियों में जयप्रकाश नारायण और अटल बिहारी बाजपेयी का नाम भी शामिल है। यद्यपि इस गली में कई दुकानें अब नहीं रही हैं, आपको अचरज होगा कि इनके मालिक मैकडॉनाल्डकी फ्रैंचाइज़ी में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं - अब पुराने दौर की कुछ ही दुकानें यहां रह गई हैं। संभवतः इनमें सबसे पुरानी दुकान 1872 में स्थापित, पंडित गया प्रसाद-शिव चरण की है। अन्यों में पंडित देवी दयाल (1886) और कन्हैया लाल-दुर्गा प्रसाद (1875) की दुकानें अभी मौजूद हैं। परांठों को लोहे की कड़ाही में देसी घी में फ्राई किया जाता है। इन परांठों के साथ पोदीने की चटनी, केले व इमली की चटनी, सब्जी के अचार तथा आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है। आधा सदी पहले यहां कुछ किस्में जैसे - आलू परांठा, गोभी परांठा और मटर परांठा, क्रमशः आलू, फूलगोभी और मटर से भरकर बनाया जाता था। इनके अलावा कई नई किस्में जैसे मसूर की दाल, मैथी, मूली,पापड़, गाजर और मिक्स परांठे शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ महंगे परांठे भी हैं, जो पनीर, पोदीने, नींबू, मिर्ची, सूखे मेवों, काजू, किशमिश, बादाम, रबड़ी, खुर्चन केले, करेले, भिंडी तथा टमाटर के बनते हैं। दिल्ली स्ट्रीट फूड का प्रमुख स्वादिष्ट व्यंजन यहां की चाट है। मूल चाट में उबले आलू के टुकड़े, करारी तली ब्रेड, दही भल्ले, छोले तथा स्वादिष्ट चाट मसाले मिले होते हैं। इस मिश्रण को मिर्च और सौंठ (सूखी अदरक और इमली की चटनी) से बनी चटनी ताजे हरा धनिया और मट्ठे की दही के साथ सजाकर परोसा जाता है। बहरहाल, इसके अलावा और भी मशहूर व्यंजन हैं, जिनमें आलू की टिक्की भी शामिल है। कुछ चाट की दुकानों जैसे - श्री बालाजी चाट भंडार (1462, चांदनी चौक; दोपहर से रात्रि 10 बजे तक) चांदनी चौक की संभवतः सबसे मशहूर और सर्वश्रेष्ठ दुकान है। हम विशेषकर चाट-पापड़ी, जिसमें कचालू की चटनी, खस्ता पापड़ी और सौंठ शामिल है, खाने के लिए आपसे आग्रह करेंगे। दूसरी मशहूर दुकान बिशन स्वरूप (1421, चांदनी चौक; प्रातः 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक) की है, जो चांदनी चौक की बाईं लेन में है, इसका भी अपना विशेष आकर्षण, विशेष स्वाद है।1923 से इस छोटे से स्टाल में केवल तीन आइटम : सुस्वादु आलू चाट, आलू के स्वादिष्ट कुल्ले और फ्रूट चाट बेचे जाते हैं। आप लाला बाबू चाट भंडार (77, चांदनी चौक, मैक्डॉनाल्ड्स के निकट; प्रातः 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक) भी जाना न भूलें। यहां स्वादिष्ट गोलगप्पों के साथ हींग वाला पाचक जलजीरा भरकर परोसा जाता है। साथ ही आलू और मटर की स्टफ कचौड़ी, गोभी मटर के समोसे, दही-भल्ले तथा मटर-पनीर की टिक्की यहां ज्यादा बिकती है। फ्रूट-चाट के लिए जुगल किशोर-रामजी लाल (23, दुजाना हाउस, चावड़ी बाज़ार, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 10 बजे तक) सुविख्यात है, हालांकि यहां पाव-भाजी और आलू की टिक्की भी मिलती है किंतु फ्रूट चाट अधिक बिकती है। दही-भल्ले सदैव चाट के साथ नहीं दिए जाते बल्कि इसे नटराज दही भल्ले वाले के यहां मुख्य व्यंजन के तौर पर बेचा जाता है। दही-भल्ले उड़द की दाल की पिट्ठी से डीप फ्राई करके बनाए जाते हैं और दही-सौंठ के साथ परोसे जाते हैं। नटराज चांदनी चौक के मेट्रो स्टेशन के मोड़ पर भाई मतिदास चौक के निकट स्थित है। एक अन्य सुस्वादु व्यंजन कचौड़ी है, जो पिसी दालों और आलू की करी के साथ परोसी जाती है, जो आपके मुंह में पानी ले आएगी। जंग बहादुर कचौड़ी वाला (1104, छत्ता मदन गोपाल, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 8 बजे तक) संभवतः उड़द की दाल की कचौड़ी के लिए मशहूर है जिसे आलू की चटपटी सब्जी के साथ परोसा जाता है। यह जगह वस्तुतः जाने लायक है। मिठाई में सबसे पहला नाम, रबड़ी फलूदा का आता है। इसके लिए फतेहपुरी मस्जिद के निकट ज्ञानी दी हट्टी पर पधारें। अब यह आइसक्रीम पार्लर बन गया है जहां लीची और बबलगम तक के ज़ायके मिल सकते हैं। आइसक्रीम के अलावा यहां मिल्क-शेक, फ्रूट-शेक, आइसक्रीम-शेक और सनडीज़ भी उपलब्ध हैं। यदि आप कुल्फी (ज़ायकेदार जमाया गया दूध) के शौकीन हैं तो अजमेरी गेट की तरफ जाएं, सियाराम-नन्नूमल कुल्फी वाले (629, गली लोडन, अजमेरी गेट; प्रातः 7 जे से सायं 4 बजे तक) मशहूर नाम है। यहां की कुल्फी बेहद स्वादिष्ट है। आप किसी भी ज़ायके जैसे -केसर, पिस्ता, रोज़, केवड़ा, बनाना, मैंगो और अनार से बनी ज़ायकेदार कुल्फी उपलब्ध हैं अथवा इससे भी बेहतर होगा...इनमें से प्रत्येक का आनंद उठाएं! वापस चांदनी चौक की बात करें तो आपको दरीबां कलां में प्रवेश करते समय दाहिने ओर प्राचीन एवं प्रख्यात जलेबीवाला दिखाई देगा। आप यहां गर्मा-गर्म जलेबी का आनंद उठाएं, जलेबी - एक मिष्ठान है जो मैदे के खमीर से बनाई जाती है, इसे सेंककर, चाश्नी में डुबाकर छाना जाता है। साथ ही, चहल-पहल से भरपूर जामा मस्जिद क्षेत्र की ओर जाना भी न भूलें। जामा मस्जिद के गेट नं. 1 के आगे उर्दू बाज़ार और अंदर जाती मटियामहल नामक सड़क पर भी विभिन्न व्यंजनों के स्टाल देखने को मिलेंगे। यहां आपको मछली, खुश्बूदार कबाब और फ्राइड चिकन की महक की नुभूते होगी। यहां आपको दुकानदार रुमाली रोटी (पतली रोटी) में लिपटे सस्ते दाम वाले कबाब और टिक्का (भैंस के मांस से बने) बेचते दिखेंगे। यहां शहर का सबसे अच्छा मटन-बर्राह बेचा जाता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आपको निहारी और पाया मिल सकते हैं, जो प्रातः 8.30 बजे तक बिक जाते हैं। अन्य मुख्य व्यंजनों में इस्टु, मटन कोरमा, शामी कबाब और शाहजहानी कोरमा शामिल है। चांदनी चौक स्थित घंटेवाला हलवाई 200 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यहां मिठाइयां शुद्ध देसी घी में तैयार की जाती हैं। सोहन हलवा पापड़ी, पिस्ता समोसा और बादाम की बर्फी- धरती पर वस्तुतः जैसे स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देते हैं। दिल्ली का एकमात्र टी-बुटीक अपना नाम सिद्ध करता है, यहां का माहौल देखने लायक होता है। यह नई और पुरानी दिल्ली के मध्य स्थित है, यहां स्टोर-सह-ड्राइंग रूम के अद्भुत कुप्पे मिलेंगे। यदि आपको चाय पसंद नहीं है, तो आप अपने दोस्तों के लिए अन्य उपहार चुन सकते हैं। इस रेस्तरां में शहर के विख्यात व्यंजन जैसे - दाल मक्खनी, बटर चिकन, रेशमी कबाब, मुर्ग मुसल्लममिलते हैं। तंदूरी चिकन हमेशा से रसीला व्यंजन रहा है। चोर बिजारे में कुछ ऐसे रेस्तरांओं में से एक है, जहां कश्मीरी व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां की सजावट में 'चोर-बाज़ार' का रूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। तबाक माज़ मांसाहारी के शौकीनों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। साथ ही यहां रोचक ग्रीन्स हॉक के अलावा यखनी, रिश्ता और गोश्तबा भी बहुत अच्छे हैं। दिल्ली में बटर चिकनबटर चिकन की शुरुआत 1950 के दशक में मोती महल, दरिया गंज में हुआ था। यह अपने तंदूरी चिकन के लिए मशहूर है। यहां के खानसामे चिकन जूस में मक्शन और टमाटर मिक्स करके इसे रिसाइकिल करते हैं। इसे संयोग कहिए या डिजाइन, इस चटनी को तंदूरी चिकन के टुकड़ों के साथ सजाकर परोसा जाता है। इस प्रकार इस बटर चिकन का आविष्कार हुआ और पूरे विश्व में यह मन-पसंदीदा व्यंजन बन गया। बटर चिकन मक्खन और गाढ़े लाल टमाटर की ग्रेवी से बनाया जाता है। इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है। मुंह में घुल जाने वाला बटर चिकन तंदूरी रोटी या नान के साथ खाया जाता है।