बेंगलूरू। महाराष्ट्र में 21 हत्याएं करने के बाद चंद्रकांत एस.शर्मा बेंगलूरू शिफ्ट हो गया। यहां उसने 22 वीं हत्या की। पत्नी और अपने दो बेटों के साथ मिलकर शर्मा ने हत्या को अंजाम दिया। तीन दिन के अंदर ही पूरा परिवार जेल चला गया।
शर्मा को पहले की गई हत्याओं में शायद ही दोषी करार दिया जाए क्योंकि महाराष्ट्र पुलिस ने हत्या के सभी 21 मामले बंद कर दिए हैं। 54 साल के शर्मा,उसकी पत्नी हर्षा (49) और बेटे मोंटू शर्मा (27)को पिछले महीने एसवी राघवन की हत्या में दोषी करार दिया गया। 10 जनवरी 2008 को राघवन की हत्या हुई थी। पेशे से इंजीनियर राघवन चामराजपेट के नानजांबा अग्रहारा इलाके में रहते थे।
शर्मा और उसका परिवार सेंट्रल जेल में उम्र कैद की सजा काट रहा है। पहले की गई 21 हत्याओं का राज पूछताछ के दौरान खुला। शर्मा ने स्वीकार किया कि उसने अकेले महाराष्ट्र के विभिन्न इलाकों में 21 हत्याएं की थी। ये हत्याएं 1978 से 1981 के दौरान की थी। 1985 में वह बेंगलूरू शिफ्ट हो गया।
शर्मा ने इंस्पेक्टर केपी गोपाल रेड्डी की अध्यक्षता वाली पुलिस टीम के समक्ष 21 हत्याओं की बात कबूली। केपी गोपाल रेड्डी केजी नगर पुलिस थाने के इंस्पेक्टर थे,जो अब मल्लेश्वरम के एसीपी हैं। रेड्डी उन स्थानों पर गए जहां शर्मा ने हत्याएं की थी लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। आईजी(जनशिकायत)आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने पूछताछ के दौरान 21 लोगों की हत्या की बात कबूल की।
हमने उसके दावों की पुष्टि के लिए महाराष्ट्र में टीमें भेजी लेकिन पुलिस ने सभी मामले बंद कर दिए हैं। कई फाइलें उपलब्ध नहीं है क्योंकि उन्हें नष्ट कर दिया गया है। शर्मा ने पुणे की होटल आम्रपाली में चार हत्याएं की थी। आलोक कुमार ने बताया कि शर्मा ने क्लोरोफॉर्म सूंघाकर पीडितों को बेहोश करने की कला सीख ली थी। उसने कुछ लोगों को चाकू से गोदकर मार डाला जबकि अन्य को गला दबाकर मारा। शर्मा ने दावा किया कि उसने दुबई स्थित इब्राहिम की हत्या की थी। इब्राहिम सोने का तस्कर था। इब्राहिम और शर्मा के बीच बिजनेस को लेकर विवाद हुआ था।
एसवी राघवन ने शर्मा को अपना मकान किराए पर दिया था। शर्मा ने नौ महीने का किराया नहीं दिया था। शर्मा ने 10 जनवरी 2008 को राघवन को किराए लेने के लिए अपने घर बुलाया। राघवन किराया लेने शर्मा के घर पहुंचा। शर्मा ने अपनी पत्नी और बेटों के साथ मिलकर राघवन का तकिए से मुंह दबाकर हत्या कर दी। उन्होंने राघवन पर चाकू से वार किए। शर्मा राघवन के शव को तमिलनाडु के सूलीगेरे ले गया। वहां शव को जला दिया।
एसीपी गोपाल रेड्डी ने बताया कि शर्मा ने फर्जी कागजात तैयार किए और दावा किया कि राघवन ने एचबीआर लेआउट प्रोपर्टी उसे बेच दी थी। जब राघवन के बेटे ने अपने पिता की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई तो शर्मा ने हमें बताया कि राघवन एक महिला के साथ आए थे। वह बकाया किराया और 50 लाख रूपए सेल्क एडवांस के रूप में लेकर चले गए। एसीपी ने बताया कि शर्मा से हत्या की बात उगलवाना आसान नहीं था लेकिन जब हमने उसे बताया कि राघवन का शव मिल गया है तो वह हमारी चाल में फंस गया।
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