शनिवार, 2 फ़रवरी 2013

17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं मेरठ की वेश्‍याएं, आईपीएस-डॉक्‍टर बन रहे इनके बच्‍चे

मेरठ. मेरठ के कबाड़ी बाजार स्‍थि‍त वेश्‍यावृत्‍ति कारोबार में क्रांति‍कारी परि‍वर्तन देखने को मि‍ल रहा है। यहां पर काम करने वाली डेढ़ हजार से भी ज्‍यादा वेश्‍याओं के बच्‍चे देश के नामी गि‍रामी स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, एक कोठे की मालकि‍न की तो सबसे रोचक कहानी नि‍कलकर आई है। फि‍लहाल वह जिंदा नहीं हैं, पर उनकी जगह कोठा देख रही नई मालकि‍न का कहना है कि उन्‍होंने अपने दोनों भाइयों को यहीं पर काम करके पढ़ाया लि‍खाया। आज उनका एक भाई मध्‍य प्रदेश में आईपीएस है और दूसरा भाई उत्‍तर प्रदेश में वेटनरी डॉक्‍टर है।
17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं मेरठ की वेश्‍याएं, आईपीएस-डॉक्‍टर बन रहे इनके बच्‍चे17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं मेरठ की वेश्‍याएं, आईपीएस-डॉक्‍टर बन रहे इनके बच्‍चे17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं मेरठ की वेश्‍याएं, आईपीएस-डॉक्‍टर बन रहे इनके बच्‍चे
यहां काम करने वाली वेश्‍याएं औसतन महीने में एक लाख रुपये कमाती हैं और इसका बड़ा हिस्‍सा वे बच्‍चों की पढ़ाई पर खर्च कर रही हैं। उनके बच्‍चे महंगे स्‍कूलों में और ऊंची शिक्षा प्राप्‍त कर रहे हैं। कबाड़ी बाजार में काम करने वाली वेश्‍याओं की जिंदगी में आए कुछ सकारात्‍मक बदलावों पर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक  की इस खास रि‍पोर्ट वेस्‍ट यूपी में सबसे बड़ा वेश्‍यावृत्‍ति का ठि‍काना कबाड़ी बाजार को माना जाता है। बुधवार को यहां पर पुलि‍स ने नेपाल से तस्‍करी करके लाई गई युवति‍यों की तलाश में छापा मारा था, इस वजह से शुक्रवार को यहां पर वेश्‍याओं की संख्‍या कम पाई गई। कबाड़ी बाजार में साठ से भी ज्‍यादा कोठे हैं। इनमें से एक कोठे की मालकि‍न बताती हैं कि फि‍लहाल बाजार में 1100 से 1500 के बीच में वेश्‍याएं हैं। इनमें पचास फीसदी वेश्‍याएं पारंपरि‍क रूप से वेश्‍यावृत्‍ति करती आ रही हैं। ये मूल रूप से राजस्‍थान की हैं। बाकी वेश्‍याओं में नेपाल, बंगाल, उड़ीसा आदि क्षेत्रों से तस्‍करी करके लाई गई लड़कि‍यां हैं।

इन वेश्‍याओं के बीच काम करने वाली संकल्‍प संस्‍था की अध्‍यक्ष अतुल शर्मा बताती हैं कि जि‍न वेश्‍याओं ने यहां काम करना स्‍वीकार कर लि‍या है, उनमें से कि‍सी के भी बच्‍चे सरकारी स्‍कूलों में नहीं पढ़ते। मेरठ के टॉप स्‍कूलों में, जहां अच्‍छी डोनेशन देने वालों के बच्‍चों का एडमीशन नहीं होता है, इनके बच्‍चे उन स्‍कूलों में पढ़ते हैं। इतना ही नहीं, इनके बच्‍चे देश के सबसे अच्‍छे स्‍कूलों में पढ़ रहे हैं। उनका दावा है कि इस वक्‍त यहां रहने वाली सभी वेश्‍याओं के बच्‍चे अच्‍छी पढ़ाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, एक दो के बच्‍चे तो एमटेक और एमबीए करके मल्‍टी नेशनल कंपनि‍यों में काम कर रहे हैं।

एक कोठे से पुलि‍स को मि‍लते हैं तकरीबन चार हजार रुपये

एक कोठे की मालकि‍न के मुताबि‍क उसे रोज पुलि‍स को छह सौ रुपये देने होते हैं। यह रकम कोठे पर काम करने वाली लड़कियां अपनी कमाई में से इकट्ठा कर देती हैं। इसके अलावा हर लड़की को रोज 300 रुपये पुलि‍स को और 300 रुपये कोठे का कि‍राया देना होता है। एक कोठे पर औसतन 10 से 12 लड़कि‍यां काम करती हैं।

कबाड़ी बाजार की जिस्‍म मंडी में देह की कीमत 400 रुपये से लगनी शुरू होती है। कोठे की मालकि‍नों के मुताबि‍क इन लड़कि‍यों के ग्राहक ज्‍यादातर नि‍म्‍न वर्ग से होते हैं। अक्‍सर सादी वर्दी में सेना के लोग भी आते हैं। कबाड़ी बाजार से बाहर ले जाने के लि‍ए भी लड़कि‍यों की बुकिंग होती है। बुकिंग रेट 1200 रुपये से 2000 रुपये तक होता है, लेकि‍न 30-40 हजार रुपये की सिक्‍योरि‍टी जमा करनी होती है, जो बाद में वापस हो जाती है।30 साल की जरीना (काल्‍पनि‍क नाम) के बच्‍चे की उम्र 17 साल हो गई है। वह बंगाल से तस्‍करी करके लाई गई थीं, पर यहीं बस गईं। उनका बच्‍चा पूना में बीटेक करने लगा है। जरीना कहती हैं कि उनका ख्‍वाब है कि उनका बच्‍चा आईएएस बने। इसके लि‍ए कि‍तना भी पैसा लगे, अच्‍छी से अच्‍छी कोचिंग हो, पर ख्‍वाब पूरा होना चाहि‍ए। जरीना अकेली नहीं हैं, शुक्रवार को मौजूद हजार से भी ज्‍यादा वेश्याओं के यही ख्‍वाब दि‍खे।

एक कोठे से करीब एक लाख रुपये महीना वसूलती है पुलिस, 17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं वेश्��
यहां सभी कोठों के बीच एक सीढ़ी भर का ही फासला है। और सीढ़ी भी इतनी संकरी कि एक बार में एक ही व्‍यक्‍ति इसका प्रयोग कर सकता है। एक कोठे की मालकि‍न ने बताया कि यहां पर काम करने वाली एक वेश्‍या महीने में कम से कम एक लाख रुपये कमाती है। यहां वेश्‍यावृत्‍ति शुरू करने की औसतन उम्र 13 साल है और रि‍टायरमेंट कीएक कोठे से एक लाख रुपये महीना वसूलती है पुलिस, 17 साल के 'कॅरियर' में दो करोड़ कमा लेती हैं वेश्‍याएं 

औसत उम्र 30 साल है। 17 साल में वेश्‍याएं दो करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा कमाती हैं।

संकल्‍प संस्‍था की अध्‍यक्ष अतुल शर्मा कहती हैं कि दरअसल इनके बच्‍चों की पढ़ाई ही इनका रि‍टायरमेंट प्‍लान है। इनमें से कुछ तो शादी भी करने लगी हैं। अभी हाल ही में यहां काम करने वाली एक लड़की ने अपनी बच्‍ची के पि‍ता से शादी कर ली। सबसे अच्‍छी बात तो यह है कि अब कोई यह नहीं कह सकता है कि वेश्‍याओं के बच्‍चों के बाप का नाम नहीं पता। ये लोग इतनी सावधानी बरतती हैं कि इन्‍हें पता होता है कि उनके गर्भ में पल रहे बच्‍चे का पि‍ता कौन है। यहां पर पि‍छले पांच सालों में जन्‍मे सभी बच्‍चों का जन्‍म प्रमाण पत्र है जि‍समें उनके पि‍ता का नाम दर्ज है।

बाड़मेर ..काम और अध्यात्म का संबंध है इन मंदिरों से


बाड़मेर ..काम  और अध्यात्म का संबंध है इन मंदिरों से


बाड़मेर किराड़ू को राजस्थान का खजुराहो कहा जाता है, जबकि जगत लघु खजुराहो के रूप में जाना जाता है। दक्षिण भारतीय शैली में बना किराड़ू का मंदिर अपनी स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन मंदिरों की बनावट शैली देखकर लोग अनुमान लगाते है कि इनका निर्माण दक्षिण के गुर्जर-प्रतिहार वंश, संगम वंश या फिर गुप्त वंश ने किया होगा। मंदिरों की इस शृंखला में केवल विष्णु मंदिर और शिव मंदिर (सोमेश्वर मंदिर) थोड़े ठीक हालात में है। अन्य मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं।

श्रृंखला में सबसे बड़ा मंदिर शिव को समर्पित नजर आता है। खम्भों के सहारे निर्मित यह मंदिर भीतर से दक्षिण के मीनाक्षी मंदिर की याद दिलाता है, तो इसका बाहरी आवरण खजुराहो का रंग लिए हैं। बाड़मेर से 43 किलोमीटर दूर हात्मा गांव में ये मंदिर है। खंडहरनुमा जर्जर से दिखते पांच मंदिरों की श्रृंखला की कलात्मक बनावट देखने वालों को मोहित कर लेती हैं। माना जाता है कि 1161 ईसा पूर्व इस स्थान का नाम 'किराट कूप' था। करीब 1000 ई. में यहां पर पांच मंदिरों का निर्माण कराया गया। लेकिन इन मंदिरों का निर्माण किसने कराया, इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है।


काले व नीले पत्थर पर हाथी-घोड़े व अन्य आकृतियों की नक्काशी मंदिर की कलात्मक भव्यता को दर्शाती है। श्रृंखला का दूसरा मंदिर पहले से आकार में छोटा है। लेकिन यहां शिव की नहीं विष्णु की प्रधानता है। जो स्थापत्य और कलात्मक दृष्टि से काफी समृद्ध है। शेष मंदिर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। लेकिन बिखरा स्थापत्य अपनी मौजूदगी का एहसास कराता है। किराड़ू के इन मंदिरों को देखने के बाद ये सवाल उठता है कि आखिर इन्हें खजुराहो की तरह लोकप्रियता क्यों नहीं मिली।

मंदिर के आगे मिली नवजात कन्या/ मंदिर के पुजारी ने किया पुलिस के हवाले/


मंदिर के आगे मिली नवजात कन्या/ मंदिर के पुजारी ने किया पुलिस के हवाले/

जवाहर चिकित्सालय में चल रहा उपचार/ चाइल्ड लाइन के हवाले किया जाएगा नवजात कन्या को/
जैसलमेर / 2 फरवरी / मनीष रामदेव
Photo: मंदिर के आगे मिली नवजात कन्या/ मंदिर के पुजारी ने किया पुलिस के हवाले/जवाहर चिकित्सालय में चल रहा उपचार/ चाइल्ड लाइन के हवाले किया जाएगा नवजात कन्या को/ 
जैसलमेर / 2 फरवरी / मनीष रामदेव 

कहते हैं कि मां के दिल का कोई पैमाना नहीं होता है जो समन्दर से भी गहरा और आसमान से भी अधिक पसरा होता है और उसमें भरा होता है अपनी औलाद के लिये असीम प्यार लेकिन जैसलमेर के मोहनगढ गांव में एक मां ने अपनी ममता को ज़ार ज़ार कर कलंकित कर दिया है। मां के आंचल की छांव से दुनिया में कदम रखने वाली इस बदनसीब बच्ची को मिल रहा है पुलिस व चिकित्सकों का साथ क्योंकि शायद इसकी मां को इसकी जरूरत नहीं है।
जी हां मामला है जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मोहनगढ कस्बे का जहां पर करीब दो दिन पहले गांव के पास ही स्थित हनुमान जी के मंदिर के पास इस मंदिर के पुजारी प्रमोद शर्मा को एक नवजात बच्ची मिली थी। मासूम बच्ची को लावारिस पडा देख इस पुजारी का मन पसीज गया और इसने इस बच्ची को अपने पास रख लिया ताकि सही देखभाल कर इसकी जान बचाई जा सके साथ ही पुजारी ने दो दिनों तक गांव में पूछताछ कर इस बच्ची के मां बाप को ढूंढने का प्रयास भी किया लेकिन जब कोई नहीं मिला तब हार कर यह पुजारी पुलिस के पास पहुंचा और मामला दर्ज करवाया। 
पुलिस ने बताया कि पुजारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के साथ बच्ची को पुलिस के कब्जे में लिया गया जहां से इसे मोहनगढ उपस्वास्थ्य केन्द्र उपचार के लिये ले गये चिकित्सकों द्वारा इस बच्ची की जांच के बाद इसे जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जवाहिर चिकित्सालय लाया गया जहां पर बाल चिकित्सक इसका इलाज कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार इस बच्ची की कस्टडी उन्होंने राजकीय जवाहिर चिकित्सालय को दे दी है जहां से उपचार के बाद चाईल्ड लाईन द्वारा बाल विकास समिति के माध्यम से इस बच्ची को उपयुक्त बाल एवं  शिशु गृह में भिजवाया जायेगा।
आज के इस कलयुग में जहां इन्सान एक अदद औलाद के लिए तरस रहा है वहीँ इस तरह अपने जिगर के टुकड़े को यूँ मंदिर के आगे फेंक जाना इंसानीयत को तार तार कर देने वाली घटना है, इस मासूम खूबसूरत बच्ची का क्या कुसूर रहा की उसने दुनिया में अपना पहल कदम बिना माँ बाप के गुज़ारा है,कहते हैं की " कोई तो मजबूरी रही होगी वरना यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता , मगर क्या मजबूरी  रही होगी जो इस मासूम को इस कदर छोड़ गया, खेर कोई तो हाथ आगे  और इस बच्ची को अपने घर ले जाएगा मगर ये बच्ची बड़ी होकर शायद अपने माँ बाप को  माफ़ ना कर पाए
कहते हैं कि मां के दिल का कोई पैमाना नहीं होता है जो समन्दर से भी गहरा और आसमान से भी अधिक पसरा होता है और उसमें भरा होता है अपनी औलाद के लिये असीम प्यार लेकिन जैसलमेर के मोहनगढ गांव में एक मां ने अपनी ममता को ज़ार ज़ार कर कलंकित कर दिया है। मां के आंचल की छांव से दुनिया में कदम रखने वाली इस बदनसीब बच्ची को मिल रहा है पुलिस व चिकित्सकों का साथ क्योंकि शायद इसकी मां को इसकी जरूरत नहीं है।
जी हां मामला है जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मोहनगढ कस्बे का जहां पर करीब दो दिन पहले गांव के पास ही स्थित हनुमान जी के मंदिर के पास इस मंदिर के पुजारी प्रमोद शर्मा को एक नवजात बच्ची मिली थी। मासूम बच्ची को लावारिस पडा देख इस पुजारी का मन पसीज गया और इसने इस बच्ची को अपने पास रख लिया ताकि सही देखभाल कर इसकी जान बचाई जा सके साथ ही पुजारी ने दो दिनों तक गांव में पूछताछ कर इस बच्ची के मां बाप को ढूंढने का प्रयास भी किया लेकिन जब कोई नहीं मिला तब हार कर यह पुजारी पुलिस के पास पहुंचा और मामला दर्ज करवाया।
पुलिस ने बताया कि पुजारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के साथ बच्ची को पुलिस के कब्जे में लिया गया जहां से इसे मोहनगढ उपस्वास्थ्य केन्द्र उपचार के लिये ले गये चिकित्सकों द्वारा इस बच्ची की जांच के बाद इसे जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जवाहिर चिकित्सालय लाया गया जहां पर बाल चिकित्सक इसका इलाज कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार इस बच्ची की कस्टडी उन्होंने राजकीय जवाहिर चिकित्सालय को दे दी है जहां से उपचार के बाद चाईल्ड लाईन द्वारा बाल विकास समिति के माध्यम से इस बच्ची को उपयुक्त बाल एवं शिशु गृह में भिजवाया जायेगा।
आज के इस कलयुग में जहां इन्सान एक अदद औलाद के लिए तरस रहा है वहीँ इस तरह अपने जिगर के टुकड़े को यूँ मंदिर के आगे फेंक जाना इंसानीयत को तार तार कर देने वाली घटना है, इस मासूम खूबसूरत बच्ची का क्या कुसूर रहा की उसने दुनिया में अपना पहल कदम बिना माँ बाप के गुज़ारा है,कहते हैं की " कोई तो मजबूरी रही होगी वरना यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता , मगर क्या मजबूरी रही होगी जो इस मासूम को इस कदर छोड़ गया, खेर कोई तो हाथ आगे और इस बच्ची को अपने घर ले जाएगा मगर ये बच्ची बड़ी होकर शायद अपने माँ बाप को माफ़ ना कर पाए

सूंदरा गांव में मिला हैंड ग्रेनेड


सूंदरा गांव में मिला हैंड ग्रेनेड

बाड़मेर होम गार्ड परेड ग्राउंड में एक साथ 60 जिंदा बम मिलने के बाद सरहदी गांव सुंदरा में शुक्रवार को हैंड ग्रेनेड मिलने से गांव में सनसनी फैल गई। सूचना मिलने पर पुलिस थाना गिराब के थानाधिकारी व बीएसएफ के अफसर मौके पर पहुंचे। जहां पर हैंड ग्रेनेड को सुरक्षित रखा गया है। ग्रेनेड बम डिस्पोजल के लिए आर्मी की टीम बुलाई गई है। गिराब थानाधिकारी देवीचंद ने बताया कि सरहदी गांव सुंदरा व बीएसएफ यूनिट के बीच रेत के धोरे पर हैंड ग्रेनेड की सूचना मिली। इस पर टीम के साथ वे मौके पर पहुंचे। जहां पर बीएसएफ के अधिकारियों को मौके पर बुलाया गया। प्रथम दृष्टया ग्रेनेड जिंदा होने की पुष्टि हुई है। जिसे सुरक्षित स्थान पर रखा गया है।

आर्मी के अधिकारियों को बम डिस्पोजल के लिए टीम भेजने की सूचना दी है। शनिवार को टीम आने के बाद ग्रेनेड का निस्तारण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले जिला मुख्यालय पर स्थित बॉर्डर होमगार्ड के परेड ग्राउंड में 60 बम मिले थे।

पति ने पत्नी को छोड़ रचाई दूसरी शादी


पति ने पत्नी को छोड़ रचाई दूसरी शादी 

बाड़मेर अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेने के साथ जिंदगी भर साथ निभाने की कसमें खाने वाला पति बेवफा हो जाएगा यह तो मधू ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। शादी के दो साल बाद दहेज की खातिर पति व ससुराल पक्ष के लोगों ने पहले प्रताडि़त किया। अब पति ने दो दिन पहले मधु को तलाक दिए बगैर ही दूसरी शादी रचाई। यह मामला रावतसर गांव का है। पति की बेवफाई से खफा मधु ने एसपी को दर्द भरी दास्तां सुनाते हुए न्याय की गुहार की।

रावतसर निवासी हिम्मताराम की बेटी मधू की दो साल पूर्व बाड़मेर के बलदेव नगर निवासी भैराराम के साथ हुई थी। हिम्मताराम ने बेटी को दहेज, गहने देकर घर से विदा किया। दो साल तक मधु की गृहस्थ जिंदगी हंसी खुशी चलती रही। इस बीच पति, सास, ससुर ने मधू को दहेज के लिए परेशान शुरू किया। मधू को दहेज के लिए प्रताडि़त किया गया। बाद में उसे पीहर छोड़ दिया तो बेटी के पिता ने समाज के पंचों को बुलाकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन उसे न्याय नहीं मिला। इधर, भैराराम ने दूसरी जगह शादी रचाने को तैयार हो गया। इसकी भनक लगने पर मधू ने महिला पुलिस थाना में तलाक दिए बिना पति की ओर से दूसरी शादी रचाने की शिकायत दर्ज करवाई गई। पुलिस ने भैराराम को पाबंद कर दिया। दो दिन पहले भैराराम ने दूसरी लड़की से शादी रचा दी। सोमवार को मधु ने एसपी को ज्ञापन सौंपकर बताया कि उसके पति ने दूसरी शादी रचाकर धोखा किया है। पहले दहेज के लिए प्रताडि़त किया, अब बिना तलाक के शादी की। उसने पति के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

बाड़मेर जीप व ट्रोले की भिड़ंत में नौ की मौत, तीन घायल

जीप व ट्रोले की भिड़ंत में नौ की मौत, तीन घायल 
खुशी बदली मातम में : बारातियों से भरी जीप मंडली गांव से धोरीमन्ना के पास बूल गांव जा रही थी 
बाड़मेर  दूल्हे को जब दुल्हन के साथ वापिस घर लाया जा रहा था और घर में खुशियां मनाने की तैयारी चल रही थी, उस दरम्यान यह समाचार मिलता है कि बारातियों की गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया है और सब कुछ तबाह हो गया है। कुछ ऐसा ही हुआ शुक्रवार देर रात बूल गांव के एक परिवार के साथ। यहां मनाई जा रही खुशी एकाएक मातम में बदल गई। 

नेशनल हाइवे १५ पर शुक्रवार देर रात एक जीप व ट्रोले की भिड़ंत होने से मदनसिंह पुत्र उदयसिंह सहित नौ जनों की मौत व तीन घायल हो गए। मरने वालो में दो बच्चे भी शामिल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार धोरीमन्ना के पास बूल गांव से बारात बालोतरा क्षेत्र के मंडली गांव गई थी। जहां से शुक्रवार को वापस बूल लौट रही थी। रात करीब एक बजे एनएच पर खेतसिंह की प्याऊ से पहले बाड़मेर की तरफ जीप व ट्रोले में भिड़ंत हो गई। भिड़ंत इतनी जोरदार थी कि जीप के परखच्चे उड़ गए । जीप में करीब बारह-तेरह बाराती सवार थे। जीप में सवार नौ लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गई। मृतकों व घायलों को १०८ एम्बुलेंस से बाड़मेर के राजकीय अस्पताल लाया गया। जहां से दो घायलों की स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें जोधपुर रेफर किया गया। सूचना मिलने पर सदर थानाधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे। समाचार लिखे जाने तक ट्रोले के ड्राईवर के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई थी।



शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013

पॉश इलाके में विदेशी लड़कियों के साथ रंगरेलियां, गंदे खेल से उठा पर्दा!

पुणे. महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी पुणे शहर के पॉश इलाके कोरेगांव पार्क में चलने वाले हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंड़ाफोड़ पुलिस ने किया है।
पॉश इलाके में विदेशी लड़कियों के साथ रंगरेलियां, गंदे खेल से उठा पर्दा!
समाज सेवा शाखा (पुणे) के अधिकारियों ने तीन विदेशी महिलाओं सहित 12 महिला और पांच एजेंटों को गिरफ्तार किया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पुणे पुलिस ने सोमवार की देर रात कोरेगांव इलाके के साऊथ मेन रोड, गोल्ड फिल्ड प्लाजा इस इमारत की तिसरी मंजिल पर छापा मारकर हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का भंड़ाफोड़ किया।

पुलिस का कहना है कि पकड़ी गई विदेशी महिलाओं में एक उजेबेकिस्तान, एक नेपाल और एक बांग्लादेश की है। बता दें कि इससे पहले भी पुणे जिले के पॉश इलाके में चलने वाले हाई प्रोफाइल सेक्स रैकेट का पुलिस भंड़ाफोड़ कर चुकी है।

एक दर्दनाक त्रासदी: पूरे परिवार को निर्वस्त्र कर घुमाया फिर एक-एक कर काट डाले अंग

पुणे। महाराष्ट्र के भंडारा जिले में एक गांव है जिसे खैरलांजी के नाम से जाना जाता है। 29 सितम्बर 2006 तक इस नाम से शायद ही कोई परिचित था।
एक दर्दनाक त्रासदी: पूरे परिवार को निर्वस्त्र कर घुमाया फिर एक-एक कर काट डाले अंग
यह एक ऐसी तारीख है जिसे भारतीय इतिहास के उन दिनों में शामिल किया जा सकता है जो मानव सभ्यता के विकास पर एक ऐसा कलंक है जो किसी भी भारतीय का सिर शर्म से झुका दे।

इस गांव में दलित सम्प्रदाय का भोतमंगे परिवार खेती कर अपना जीवन गुजार रहा था। 29 सितम्बर को गांव के कुछ लोगों ने अचानक इस परिवार पर हमला कर दिया। उस वक़्त घर का मुखिया नहीं था। लेकिन उसकी पत्नी, एक बेटी और दो बेटे मौजूद थे।

भीड़ ने उस पूरे परिवार को घर से बाहर घसीटा। दोनों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया (हालांकि, सीबीआई ने अपनी जांच में बलात्कार की पुष्टि नहीं की)।

फिर पूरे परिवार को निर्वस्त्र कर गांवभर में घुमाया और सबके सामने उन चारों के अंग तब तक एक-एक कर काटे गए जब तक कि उन सबकी मौत नहीं हो गई।

इस पूरी वारदात को इसी गांव के राजनीतिक रूप से दबंग एक परिवार ने अंजाम दिया। चौंकाने वाली बात ये है कि इस भयंकर नरसंहार को देश के किसी भी बड़े मीडिया संस्थान ने तवज्जो नहीं दी।

सामूहिक हत्या की इस घटना ने उस इलाके में दंगे भड़का दिए। तब जाकर मीडिया को इस वारदात की गंभीरता का पता चला। मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इस हत्याकांड की जांच का काम सीबीआई को सौंपा।

पंचायत का फरमान,बीवी को बहन मान

पंचायत का फरमान,बीवी को बहन मान

हिसार। हरियाणा में हिसार जिले के बिठमडा गांव में आठ माह पहले प्रेम विवाह करने वाले एक युवक को गांव के ही लोग प्रताडित कर पत्नी को बहन बनाने को दबाव बना रहे हैं। ग्रामीणों से प्रताडित ज्योति प्रकाश पिछले आठ माह से गांव छोड़कर उकलाना में रहने को मजबूर है। अब ग्रामीणों ने उस पर पत्नी को बहन बनाने का दबाव डालना शुरू कर दिया है।

रोहतक जिले के सांपला की एक लड़की के साथ लव मैरिज करने वाले ज्योति प्रकाश ने हिसार के आइजी को शिकायत देकर गांव के सरपंच तथा अन्य लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पुलिस अधिकारी को शिकायत में उसने कहा है कि प्रेम विवाह केबाद अनेक लोग तथा उसके पिता गोत्र विवाद को लेकर परेशान कर रहे हैं जिसके कारण उसे गांव से निकाल दिया गया। गांव घुसने पर उसे जान से मार देने की धमकी दी जा रही है। कुछ परिजनों, सरपंच तथा अन्य ग्रामीणों का कहना है कि गांव में घुसने नहीं देंगे। युवक ने लिखित में आरोप लगाया है कि उस पर पत्नी को बहन बनाए जाने का दबाव बनाया जा रहा है।

आइजी को दी गई शिकायत के अलावा युवक ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक को प्रति भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। दूसरी ओर गांव बिठमडा के सरपंच बलशेर सिंह का कहना है कि यह मसला युवक तथा उसके परिजनों के बीच है1अन्य ग्रामीणों तथा सरपंच पर आरोप निराधार है। ज्योति के मामले से ग्रामीणों तथा पंचायत का कोई लेना-देना नहीं है।

पुलिस थाना पोकरण के परिसर में नव निर्मित विश्राम गृह का लोकार्पण


पुलिस थाना पोकरण के परिसर में नव निर्मित विश्राम गृह का लोकार्पण 

स्थानिय विधायक द्वारा पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस प्रशासन के कार्यो की प्रशंसा 

पुलिस थाना पोकरण के परिसर में नगरपालिका मद से निर्मित विश्राग गृह का लोकार्पण शुक्रवार स्थानीय विधायक साले मोहम्मद के मुख्य आतिथ्य, ममता राहुल जिला पुलिस अधीक्षक की अध्यक्षता व छोटेश्वरी देवी माली अध्यक्ष नगरपालिका पोकरण के विशिष्ट आतिथ्य में समपन्न हुआ । 

इस अवसर पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विघालय की छात्राओं द्वारा अतिथियों का तिलक लगाकर स्वागत किया गया। विधायक साले मोहम्मद, व नगरपालिका अध्यक्षा श्रीमति छोटेश्वरी देवी माली द्वारा विश्राम गृह का फिता काटकर व लोकार्पण पट्कि का पर्दा हटाकर विश्राम गृह का लोकार्पण किया गया। विश्राम गृह के पास मुख्य अतिथियों द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में चन्दमल वर्मा एसडीएम पोकरण, सायरसिंह शेखावत वृताधिकारी जैसलमेर, जोधाराम अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका पोकरण, आईदान माली नायब तहसील भणियाणा, इस्माइलखां मेहर सरपंच गोमट, साबीरखां मंगलिया, विजय व्यास, दिनेश व्यास व कस्बा पोकरण के कई गणमान्य नागरिक व सीएलजी के सदस्य उपस्थित रहे। इस अवसर पर उपस्थित सभी मुख्य अतिथियों का मालायर्पण कर व साल ओ़ाकर तथा साफा पहनाकर स्वागत किया गया। रमेश शर्मा थानाधिकारी पोकरण ने सभी अतिथियों व गणमान्य नागरिको का स्वागत उद्बोधन दिया। एसडीएम साहब पोकरण द्वारा पुलिस थाना पोकरण में नगरपालिका मद से विश्राम गृह बनवाने के लिए नगरपालिका अध्यक्ष को धन्यवाद दिया गया। रतनलाल पुरोहीत एडवोकेट द्वारा स्थानीय थानाधिकारी व पुलिस प्रशासन के सराहनीय कार्यो पर प्रकाश डाला तथा पुलिस थाना परिसर में स्थानीय निकाय द्वारा प्रथम बार विकास कार्य करवाने के लिए नगरपालिका के कार्यो की सराहना की गई तथा पुलिस थाना की समस्याओं जैसे बैरिक रिपेयरिंग, शैचालय निर्माण, बरसाती पानी की निकासी व कान्फ्रेस हाल की आवश्यकताओं पर प्रकाश डाला गया।

विधायक साले मोहम्मद द्वारा जिला पुलिस अधीक्षक व स्थानीय पुलिस प्रशासन के कार्यो की सराहना की गई। राज्य सरकार द्वारा पुलिस थाना रामदेवरा, महिला पुलिस थाना जैसलमेर व एससीएसटी सैल जैसलमेर में खोलने पुलिस विभाग में महिलाओं की ब़ती भागीदारी के मध्यनजर महिला पुलिसकर्मीयों की सुविधा हेतु बैरिक निर्माण के लिए 5 लाख रूप्यों की घोषणा की गई। श्रीमति छोटेश्वरी देवी माली नगरपालिका अध्यक्ष द्वारा नगरपालिका मद से थाना परिसर में 2 लाख रूप्ये से शौचालय निर्माण व सी.सी. सड़क निर्माण की घोषणा की गई।

कार्यक्रम के समापन्न पर श्रीमति ममता राहुल जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा उपस्थित मुख्य अतिथियों व गणमान्य नागरिकों का हार्दिक धन्यवाद ज्ञापित किया गया। नगरपालिका द्वारा थाना परिसर में विश्राम गृह निर्माण पर नगरपालिका अध्यक्षा को धन्यवाद दिया। स्थानीय पुलिस थाना के स्टाफ व जनता के बिच मधुर सम्बन्धों को लेकर थानाधिकारी व सभी पुलिस कर्मीयों को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम में मंच का संचालन मनोहर जोशी द्वारा किया गया। इस अवसर पर पुलिस कानि. भर्ती परिक्षा के दौरान सराहनीय कार्यो के लिए श्री चैनसुख बीईओ पं.सं. सांकड़ा, जगदीश टावरी प्राचार्य राजकीय कालेज पोकरण, रेवन्ताराम बारूपाल प्राचार्य रा.उ.मा.वि.पोकरण, श्रीमति निलम सक्सेना प्राचार्य रा.बा.उ.मा.वि.पोकरण को व विजयदान कानि. को समानित किया गया।

जैसलमेर जिले में प्रशासन गांवों के संग अभियान में बेहतर उपलब्धियों का सफर जारी



जैसलमेर जिले में प्रशासन गांवों के संग अभियान में बेहतर उपलब्धियों का सफर जारी

7379 मूल निवास एवं जाति प्रमाण पत्र जारी, सामाजिक सरोकारों में 1621 लाभान्वित

1052 नामांतरण खोल कर तस्दीक किए गए, 919 पासबुकें आदिनांक,

9445 किसानों ने सहकारी योजनाओं में लाभ पाया

जैसलमेर, एक फरवरी/राज्य सरकार द्वारा आम जन की समस्याओं के निराकरण के लिए चलाए जा रहे ‘प्रशासन गांवों के संग अभियान’ के शिविरप्रदेश के सरहदी जिले जैसलमेर में आम ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। इन शिविरों में ग्रामीणों के व्यक्तिगत लाभ एवं सामुदायिक विकास कीगतिविधियों से जुड़े कामों के होने से ग्रामीण खुश हैं वहीं गांवों तथा ग्रामीणों की समस्याओं के हाथों हाथ समाधान ने गाँववासियों को सुकून का अहसास करायाहै।

अभियान के दौरान ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर लगने वाले शिविरों में ग्रामीणों की तमाम समस्याओं का शिविर में ही समाधान हो रहा है। इसी प्रकारसामजिक सरोकारों से जुड़ी योजनाओं और कार्यक्रमों में सभी संबंधित विभागों का ध्यान अधिक से अधिक जरूरतमन्दों को लाभान्वित किए जाने पर केन्द्रितहै वहीं पेंशन के पात्र लोगांे के पेंशन स्वीकृति आदेश भी मौके पर ही जारी किये जाकर उनको पेेंशन का लाभ दिया जा रहा है।

जनवरी में 67 ग्राम पंचायतों में शिविरों की धूम रही

जिला कलक्टर शुचि त्यागी ने बताया कि जैसलमेर जिले में 10 जनवरी से प्रारम्भ हुए इस अभियान में 31 जनवरी तक 67 ग्राम पंचायत मुख्यालयों परशिविर आयोजित हो चुके हैं। इन शिविरों में राजस्व विभाग द्वारा इस आलोच्य अवधि तक 1052 नामान्तकरण खोलकर तस्दीक किए गए वहीं 12 गैर खातेदारोंको खातेदारी अधिकार प्रदान कर उन्हें भूमि का असली मालिकाना हक प्रदान किया गया। शिविर में 919 पास बुकें आदिनांक की गई वहीं 490 पासबुकंे किसानोंको वितरित की गई। इसके साथ ही शिविर में मौके पर ही राजस्व रिकार्ड की 2122प्रतिलिपियां लोगांे को उपलब्ध कराई गई।

राजस्व विभाग द्वारा 104 प्रकरणों में विद्यालयों के लिए भूमि आवंटन, 76 अन्य लोक प्रयोजनार्थ तथा 12चिकित्सालयों के लिए भूमि आवंटन केप्रस्ताव तैयार किए गए। कुल मिलाकर 192 संस्थानों के लिए भूमि आवंटन के प्रस्ताव तैयार किए गए ।

इसके साथ ही 56 प्रकरणों में जन उपयोगी प्रयोजनार्थ के लिए भूमि का आरक्षण किया गया। 7 चालू रास्तों का राजस्व रिकार्ड में इन्द्राज किया गयाएवं 262 प्रकरण कृषि जोत विभाजन के निपटाए जाकर उनका राजस्व रिकार्ड में अमल-दरामद किया गया। शिविरों में 2 हजार 985 जाति प्रमाण पत्र, 5 हजार 394मूल निवास प्रमाण-पत्र जारी किए जाकर संबंधितों को प्रदान किए गए।

शिविरों में उपनिवेशन विभाग द्वारा 486 नामान्तकरण खोल कर तस्दीक किए गए एवं 472 दर्ज शुदा...

30 साल बाद अरबपति बन घर लौटी चंदा

30 साल बाद अरबपति बन घर लौटी चंदा
कोलकाता। यह फर्श से अर्श पर पहुंचने की दास्तां है। चंदा जावेरी 17 साल की उम्र में ही ब्याहे जाने के भय से घर से भाग गई और फिर 30 साल बाद अरबपति बन कर लौटी। एक रूढिवादी मारवाड़ी परिवार में जन्मी इस लड़की की मां शादी करने का दबाव डाल रही थीं वहीं वह अपनी पसंद के खिलाफ जीवन शुरू करने को राजी नहीं थी।


एक्टीवेटर की सीईओ चंदा जावेरी कहती हैं - मैंने अपनी मां को समझाया कि यह मेरा रास्ता नहीं है,मेरी मंजिल कुछ और है। मां ने मेरी नहीं सुनी और कहा अगर तूने शादी नहीं की तो मैं जान दे दूंगी। 17 की उम्र में एक साड़ी और बिना कोई रूपए-पैसे के चंदा अमरीका पहुंच गई। चंदा की जिन लोगों के साथ भारत में दोस्ती हुई उनके साथ वह अमरीका अजनबियों के बीच रहने पहुंची। ये अजनबी बाद में उसका परिवार बन गए। चंदा ने कहा - मैंने अपना घर,देश छोड़ा और वह सबकुछ जो मैं जानती थी। उस समय मुझे आजादी का अहसास हुआ।


वहीं भारत में चंदा को घर से चला जाना परिवार की छवि पर दाग लगने से कम नहीं था। चंदा के भाई अरूण कुमार ने कहा,हमारी खूब बुराई हुई। पड़ोसियों ने हमारा खूब मजाक उड़ाया। आज चंदा पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा है। चार पेटेंट्स के साथ एक सफल मोलीक्यूलर बॉयोलोजिस्ट चंदा अमरीका में एक स्किन केअर कंपनी की सफल सीईओ हैं। वे ऎसा ही जीवन जीना चाहती थीं। चंदा ने कहा - मुझे किसी बात का कोई मलाल नहीं है,दुख नहीं है। अगर फिर ऎसा करना पड़ा तो मैं फिर करूंगी।

बीकानेर में ट्रेलर भिड़े,2 जिंदा जले

बीकानेर में ट्रेलर भिड़े,2 जिंदा जले

बीकानेर। बीकानेर जिले के जामसर थाना क्षेत्र में शुक्रवार सुबह दो ट्रकों की टककर में दो लोगों की जलने से मौत हो गई जबकि एक घायल हो गया। पुलिस के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 पर खारा औद्योगिक क्षेत्र में अम्बिका धर्मकांटे के सामने तड़के करीब चार बजे बीकानेर से जामसर की ओर जाने वाले ट्रक को विपरीत दिशा से आ रहे ट्रक ने गलत दिशा में आकर टक्कर मार दी।

इससे दोनों ट्रकों में आग लग गई। पुलिस के अनुसार इस टक्कर से दोनों ट्रकों में आग लग गई इसमें एक ट्रक में सवार चालक और खलासी निकल नहीं पाए और दोनोंं की जलकर मौत हो गई। दूसरे ट्रक में सवार सुखविंदर सिंह (20) घायल हो गया उसे बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं जबकि चालक मौके से फरार हो गया। पुलिस के अनुसार दोनों ट्रक पंजाब के हैं। फिलहाल मृतकों की शिनाख्त नहीं हो पाई हैं।

तिवाड़ी,चतुर्वेदी,कटारिया को बुलाया दिल्ली

तिवाड़ी,चतुर्वेदी,कटारिया को बुलाया दिल्ली

जयपुर। प्रदेश भाजपा में प्रदेशाध्यक्ष के बाद नेता प्रतिपक्ष को लेकर विवाद शनिवार को सुलझने की संभावना है। इस संबंध में केंद्र्रीय नेतृत्व ने शनिवार को सभी प्रमुख नेताओं को दिल्ली बुलाया है। बैठक में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर अंतिम निर्णय होगा। इस पद के लिए घनश्याम तिवाड़ी के नाम पर आम सहमति बनने की संभावना है। वहीं बैठक में एक धड़ा अभी भी अंतिम दांवपेच के रूप में दबे छुपे तरीके से असहयोग का मंतव्य जाहिर कर सकता है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार भाजपा के आला नेताओं और संघ पदाधिकारियों के बीच गुरूवार को हुई बैठक के बाद विभिन्न मुद्दों पर सहमति में प्रदेशाध्यक्ष पद पर वसुंधरा राजे के नाम को दोनों ही पक्षों ने हरी झंडी दे दी। वहीं राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए करीब आधा दर्जन नामों पर विचार हुआ लेकिन सहमति नहीं बन पाई है। इसे देखते हुए प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी, गुलाबचंद कटारिया सहित कई नेताओं को दिल्ली बुलाया गया है। अंतिम निर्णय कल आहूत बैठक में होगा।

सामंजस्य का प्रयास
तमाम कवायद के बीच पिछले चार साल से पार्टी के अंदर चल रही अंदरूनी उठापटक को देखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष निर्विवाद नेता प्रतिपक्ष का चयन टेढ़ी खीर बन गया है। इसको देखते हुए सभी के साथ तालमेल बैठाने वाले नेता पर केंद्रीय नेतृत्व की निगाह है।

जातिगत समीकरण
माना जा रहा है कि प्रदेशाध्यक्ष के पद पर वसुंधरा राजे का नाम आने के बाद अब नेता प्रतिपक्ष के लिए जातिगत समीकरण के आधार पर निर्णय होगा। इसके तहत गैर राजपूत वर्ग में ब्राह्मण-वैश्य और पिछड़े वर्ग में पैठ रखने वाले को प्राथमिकता की पैरवी की जा रही है।

बजट सत्र भी केंद्र में
बैठक में 21 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र में राज्य सरकार को घेरने की तैयारी, लोकसभा चुनाव के लिए तैयारियों पर भी बात होने की संभावना है।

मैं आज पारिवारिक कार्यक्रम के तहत सीकर में हूं, केंद्रीय नेतृत्व ने मुझे शनिवार को दिल्ली बुलाया है, जहां पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा होगी।
घनश्याम तिवाड़ी,उपनेता प्रतिपक्ष,राजस्थान विधानसभा

केजरीवाल खोलेंगे शीला की पोल

Kejriwal to expose 'connivance' between Dikshit, power companies today

नई दिल्ली। कांग्रेस सरकार की पोल खोलने के बाद अरविंद केजरीवाल अब शीला सरकार का भंडाफोड़ करने की तैयारी में जुट गए हैं। शुक्रवार को केजरीवाल शीला सरकार और अन्य बिजली कंपनियों के रिश्ते पर से पर्दा उठाएंगे। इतने दिनों से बिजली कंपनियों को सरकार की ओर से मिल रही शय का सबूतों के साथ खुलासा करेंगे।

केजरीवाल का यह कदम उस वक्त उठ रहा है जब राजधानी में शुक्रवार से बिजली की दरों में वृद्धि होने जा रही है। दिल्ली बिजली नियामक आयोग ने बिजली खरीद लागत समायोजन शुल्क (पीपीसीए) में वृद्धि कर दी है। यह वृद्धि एक फरवरी से 30 अप्रैल तक लागू रहेगी।

आयोग द्वारा गुरुवार शाम को जारी आदेश के मुताबिक टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) डेढ़ प्रतिशत और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) व बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) तीन प्रतिशत पीपीसीए वसूल सकती है।

निजी बिजली कंपनियों ने तर्क दिया था कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां रोजाना अलग-अलग दरों पर बिजली बेचती हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए हर तीन माह पर उनके द्वारा बिजली की खरीद लागत की समीक्षा की जाए। इस प्रस्ताव को आयोग ने स्वीकार कर लिया था।

इसी के चलते निजी बिजली कंपनियों ने आयोग को साल 2012 में अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर के दौरान बिजली की खरीद पर खर्च का ब्योरा पेश किया था। इसके मुताबिक टीपीडीडीएल ने 2.80 फीसद, बीवाईपीएल ने 7.44 फीसद और बीआरपीएल ने 9.18 फीसद वृद्धि करने की मांग की थी।

आयोग के अध्यक्ष पी.डी. सुधाकर ने बताया कि कंपनियों की मांगों की समीक्षा के बाद गुरुवार को नई दरों की घोषणा की गई है। उत्तरी दिल्ली व उत्तर पश्चिमी दिल्ली में बिजली की सप्लाई करने वाली कंपनी टीपीडीडीएल को 1.50 प्रतिशत, पूर्वी और मध्य दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी बीवाईपीएल को तीन प्रतिशत, दक्षिण दिल्ली में सप्लाई करने वाली कंपनी बीआरपीएल को तीन फीसद पीपीसीए वसूलने की इजाजत दी गई है।

उन्होंने बताया कि जुलाई-अगस्त-सितंबर में बिजली की खरीद लागत में कोई विशेष अंतर न होने के कारण नवंबर में आयोग ने तीन माह तक पीपीसीए न वसूलने के निर्देश दिए थे।

देश का नाम रोशन करें-जांगिड़

देश का नाम रोशन करें-जांगिड़
बाड़मेर। छात्राएं अवसर का लाभ उठाकर कठिन परिश्रम कर अपना हक प्राप्त करें और देश का नाम रोशन करें। यह बात अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस चैन्नई सांगाराम जांगिड़ ने गुरूवार को राजकीय महिला महाविद्यालय के वार्षिकोत्सव भोर 2013 के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही।

जांगिड़ ने कहा कि छात्राएं स्वयं को छात्रों से कमतर नहीं समझें और अपनी प्रतिभा का पूरा प्रदर्शन कर लक्ष्य अर्जित करें। कार्यक्रम के अध्यक्ष पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने कहा कि लक्ष्य तय कर उसके अनुरूप तैयारी करें। विशिष्ट अतिथि मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद बाड़मेर एल आर गुगरवाल ने कहा कि अभावो का बहाना नहीं बनाएं और मेहनत करें। राजवेस्ट पावर लि. भादरेस के निदेशक कमलकांत ने कहा कि छात्रों की अपेक्षा छात्राओं में ई क्यू अधिक होती है।

उन्होंने छात्राओं को प्लाण्ट देखने के लिए भादरेस आने का न्यौता दिया। समाज सेवी तनसिंह चौहान ने छात्राओं को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दी। कॉलेज प्राचार्य प्रो बेंसिल फर्नांडिस ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि महाविद्यालय का परिणाम 98 प्रतिशत रहा। छात्रसंघ अध्यक्ष सुश्री कीर्तिका चौहान ने कहा कि यह कॉलेज पीजी किया जाए ताकि छात्राओं को उच्च अध्ययन के समुचित अवसर मिल सके। एबीवीपी के जिला संयोजक नरपतराज मूंढ ने विवेकानंद के आदर्शाें पर चलने का आह्वान किया। इस अवसर पर हिमांशु ढोलिया, हेमलता सोनी, प्रमिला सोनी ने नृत्य की प्रस्तुति दी।

सरस्वती वंदना वर्षा, वैशाली, सरस्वती ने पेश की। एकल नृत्य प्रतियोगिता में वर्षा सोलंकी प्रथम, कविता छाजेड़ द्वितीय, प्रियंका राजपुरोहित तृतीय रही। कार्यक्रम में किसान छात्रावास की व्यवस्थापिका अमृतकौर, रेवंतसिंह चौहान, बालसिंह राठौड़, स्वरूपसिंह, शंभू मांकड़, हरीश जांगिड़, एम आर गढवीर, जांगिड़ समाज के अध्यक्ष बालाराम, डॉ. हरीश जांगिड़ सहित कई जने शरीक हुए। कार्यक्रम का संचालन छात्रसंघ परामर्शदाता डॉ. हुकमाराम सुथार व वैशाली शर्मा ने किया। डॉ. संजय माथुर ने धन्यवाद दिया।

आसाराम के आश्रम में शिष्‍य को जहर पिलाया गया !

नई दिल्‍ली। दिल्‍ली गैंगरेप की शिकार दामिनी को ही दोषी ठहराने और फिर आलोचकों की तुलना कुत्‍ते से करने वाले आसाराम बापू एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। जबलपुर स्थित उनके आश्रम में उनके एक शिष्‍य को जहर देकर मार डाला गया। परिजनों का आरोप है कि इसके लिए आसाराम ही जिम्‍मेदार हैं।
आसाराम के आश्रम में शिष्‍य को जहर पिलाया गया !
आसाराम का विवादों से पुराना नाता रहा है। खुद को संत कहने वाले आसाराम को बात बात में गुस्‍सा आ जाता है। वह कभी मीडिया पर भड़क जाते हैं तो कभी नरेंद्र मोदी पर। इतना ही नहीं, आसाराम के आश्रम में बच्‍चों की लाश भी मिल चुकी है। आरोप लगा कि आश्रम में काला जादू होता है। दवाइयों में भी मिलावट का आरोप लगा तो आश्रम में छापे पड़े।

लेकिन इस बार जबलपुर में संत आसाराम बापू के करीबी शिष्य 23 वर्षीय राहुल पचौरी की रहस्यमय मौत पर परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। परिजनों का कहना है कि आसाराम के आश्रम में उसे जहर पिलाया गया है, जिससे उसकी मौत हुई। उधर पिछली रात्रि आश्रम से घर लौटते समय राहुल को उल्टी होने पर गंभीरावस्था में जबलपुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान सुबह उसकी मौत हो गई। अस्पताल से सूचना मिलने पर ग्वारीघाट पुलिस चौकी में मर्ग कायम कर मामले को विवेचना में लिया है।

इस संबंध में पुलिस को दिए बयान में गौर एकता मार्केट निवासी मृतक राहुल के पिता डीके पचौरी ने बताया कि 27 जनवरी को संत आसाराम बापू जबलपुर आये थे, यहां पर दो दिनों तक प्रवचन देने के बाद वे 30 जनवरी को नरसिंहपुर रवाना हुए थे। नरसिंहपुर रवाना होने के पूर्व आसाराम ने राहुल से लंबी बातचीत की थी। उन्होंने आरोप लगाया है कि अकेले में हुई चर्चा के बाद राहुल को एक घोल पिलाया गया था। उसके बाद राहुल रामपुर स्थित कल्याणिका परिसर से घर के लिये रवाना हुआ और कुछ दूरी तय करने के बाद उसे उल्टी होने लगी थी। तबियत बिगडऩे पर राहुल सीधे जबलपुर हॉस्पिटल पहुंचा और वहां से उसने पड़ोस में रहने वाले शुक्ला परिवार को फोन पर सूचना देकर पिता को जबलपुर हॉस्पिटल भेजने को कहा था। सूचना पाकर हॉस्पिटल पहुंचे परिजनों को राहुल बेहोश मिला और सुबह 4 बजे के करीब उसकी मौत हो गई। युवक की मौत की सूचना पर पुलिस ने मर्ग कायम किया है।

जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास

जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के आरंभ में ११७८ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल के द्वारा किया गया। भाटी मूलत: इस प्रदेश के निवासी नहीं थे। यह अपनी जाति की उत्पत्ति मथुरा व द्वारिका के यदुवंशी इतिहास पुरुष कृष्ण से मानती है। कृष्ण के उपरांत द्वारिका के जलमग्न होने के कारण कुछ बचे हुए यदु लोग जाबुलिस्तान, गजनी, काबुल व लाहौर के आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए थे। कहाँ इन लोगों ने बाहुबल से अच्छी ख्याति अर्जित की थी, परंतु मद्य एशिया से आने वाले तुर्क आक्रमणकारियों के सामने ये ज्यादा नहीं ठहर सके व लाहौर होते हुए पंजाब की ओर अग्रसर होते हुए भटनेर नामक स्थान पर अपना राज्य स्थापित किया। उस समय इस भू-भाग पर स्थानीय जातियों का प्रभाव था। अत: ये भटनेर से पुन: अग्रसर होकर सिंध मुल्तान की ओर बढ़े। अन्तोगत्वा मुमणवाह, मारोठ, तपोट, देरावर आदि स्थानों पर अपने मुकाम करते हुए थार के रेगिस्तान स्थित परमारों के क्षेत्र में लोद्रवा नामक शहर के शासक को पराजित यहाँ अपनी राजधानी स्थापित की थी। इस भू-भाग में स्थित स्थानीय जातियों जिनमें परमार, बराह, लंगा, भूटा, तथा सोलंकी आदि प्रमुख थे। इनसे सतत संघर्ष के उपरांत भाटी लोग इस भू-भाग को अपने आधीन कर सके थे। वस्तुत: भाटियों के इतिहास का यह संपूर्ण काल सत्ता के लिए संघर्ष का काल नहीं था वरन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष था, जिसमें ये लोग सफल हो गए।


सन ११७५ ई. के लगभग मोहम्मद गौरी के निचले सिंध व उससे लगे हुए लोद्रवा पर आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया व राजसत्ता रावल जैसल के हाथ में आ गई जिसने शीघ्र उचित स्थान देकर सन् ११७८ ई. के लगभग त्रिकूट नाम के पहाड़ी पर अपनी नई राजधानी स्थापित की जो उसके नाम से जैसल-मेरु - जैसलमेर कहलाई।

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारत में सल्तनत काल के प्रारंभिक वर्षों में हुई थी। मध्य एशिया के बर्बर लुटेरे इस्लाम का परचम लिए भारत के उत्तरी पश्चिम सीमाओं से लगातार प्रवेश कर भारत में छा जाने के लिए सदैव प्रयत्नशील थे। इस विषय परिस्थितियों में इस राज्य ने अपना शैशव देखा व अपने पूर्ण यौवन के प्राप्त करने के पूर्व ही दो बार प्रथम अलउद्दीन खिलजी व द्वितीय मुहम्मद बिन तुगलक की शाही सेना का
कोप भाजन बनना पड़ा। सन् १३०८ के लगभग दिल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की शाही सेना द्वारा यहाँ आक्रमण किया गया व राज्य की सीमाओं में प्रवेशकर दुर्ग के चारों ओर घेरा डाल दिया। यहाँ के राजपूतों ने पारंपरिक ढंग से युद्ध लड़ा। जिसके फलस्वरुप दुर्ग में एकत्र सामग्री के आधार पर यह घेरा लगभग ६ वर्षों तक रहा। इसी घेरे की अवधि में रावल जैतसिंह का देहांत हो गया तथा उसका ज्येष्ठ पुत्र मूलराज जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। मूलराज के छोटे भाई रत्नसिंह ने युद्ध की बागडोर अपने हाथ में लेकर अन्तत: खाद्य सामग्री को समाप्त होते देख युद्ध करने का निर्णय लिया। दुर्ग में स्थित समस्त स्रियों द्वारा रात्रि को अग्नि प्रज्वलित कर अपने सतीत्व की रक्षा हेतु जौहर कर लिया। प्रात: काल में समस्त पुरुष दुर्ग के द्वार खोलकर शत्रु सेना पर टूट पड़े। जैसा कि स्पष्ट था कि दीर्घ कालीन घेरे के कारण रसद न युद्ध सामग्री विहीन दुर्बल थोड़े से योद्धा, शाही फौज जिसकी संख्या काफी अधिक थी तथा खुले में दोनों ने कारण ताजा दम तथा हर प्रकार के रसद तथा सामग्री से युक्त थी, के सामने अधिक समय तक नहीं टिक सके शीघ्र ही सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।



तत्कालीन योद्धाओं द्वारा न तो कोई युद्ध नीति बनाई जाती थी, न नवीनतम युद्ध तरीकों व हथियारों को अपनाया जाता था, सबसे बड़ी कमी यह थी कि राजा के पास कोई नियमित एवं प्रशिक्षित सेना भी नहीं होती थी। जब शत्रु बिल्कुल सिर पर आ जाता था तो ये राजपूत राजा अपनी प्रजा को युद्ध का आह्मवाहन कर युद्ध में झोंक देते थे व स्वयं वीरगति को प्राप्त कर आम लोगों को गाजर-मूली की तरह काटने के लिए बर्बर व युद्ध प्रिया तुर्कों के सामने जिन्हें अनगिनत युद्धों का अनुभव होता था, निरीह छोड़े देते थे। इस तरह के युद्धों का परिणाम तो युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व ही घोषित होता था।

सल्तनत काल में द्वितीय आक्रमण मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५-१३५१ ई.) के शासन काल में हुआ था, इस समय यहाँ का शासक रावल दूदा (१३१९-१३३१ ई.) था, जो स्वयं विकट योद्धा था तथा जिसके मन में पूर्व युद्ध में जैसलमेर से दूर होने के कारण वीरगति न पाने का दु:ख था, वह भी मूलराज तथा रत्नसिंह की तरह अपनी कीर्ति को अमर बनाना चाहता था। फलस्वरुप उसकी सैनिक टुकड़ियों ने शाही सैनिक ठिकानों पर छुटपुट लूट मार करना प्रारंभ कर दिया। इन सभी कारणों से दण्ड देने के लिए एक बार पुन: शाही सेना जैसलमेर की ओर अग्रसर हुई। भाटियों द्वारा पुन: उसी युद्ध नीति का पालन करते हुए अपनी प्रजा को शत्रुओं के सामने निरीह छोड़कर, रसद सामग्री एकत्र करके दुर्ग के द्वार बंद करके अंदर बैठ गए। शाही सैनिक टुकड़ी द्वारा राज्य की सीमा में प्रवेशकर समस्त गाँवों में लूटपाट करते हुए पुन: दुर्ग के चारों ओर डेरा डाल दिया। यह घेरा भी एक लंबी अवधि तक चला। अंतत: स्रियों ने एक बार पुन: जौहर किया एवं रावल दूदा अपने साथियों सहित युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ। जैसलमेर दुर्ग और उसकी प्रजा सहित संपूर्ण-क्षेत्र वीरान हो गया।

परंतु भाटियों की जीवनता एवं अपनी भूमि से अगाध स्नेह ने जैसलमेर को वीरान तथा पराधीन नहीं रहने दिया। मात्र १२ वर्ष की अवधि के उपरांत रावल घड़सी ने पुन: अपनी राजधानी बनाकर नए सिरे से दुर्ग, तड़ाग आदि निर्माण कर श्रीसंपन्न किया। जो सल्तनत काल के अंत तक निर्बाध रुपेण वंश दर वंश उन्नति करता रहा। जैसलमेर राज्य ने दो बार सल्तनत के निरंतर हमलों से ध्वस्त अपने वर्च को बनाए रखा।

मुगल काल के आरंभ में जैसलमेर एक स्वतंत्र राज्य था। जैसलमेर मुगलकालीन प्रारंभिक शासकों बाबर तथा हुँमायू के शासन तक एक स्वतंत्र राज्य के रुप में रहा। जब हुँमायू शेरशाह सूरी से हारकर निर्वासित अवस्था में जैसलमेर के मार्ग से रावमाल देव से सहायता की याचना हेतु जोधपुर गया तो जैसलमेर
के भट्टी शासकों ने उसे शरणागत समझकर अपने राज्य से शांति पूर्ण गु जाने दिया। अकबर के बादशाह बनने के उपरांत उसकी राजपूत नीति में व्यापक परिवर्तन आया जिसकी परणिति मुगल-राजपूत विवाह में हुई। सन् १५७० ई. में जब अकबर ने नागौर में मुकाम किया तो वहाँ पर जयपुर के राजा भगवानदास के माध्यम से बीकानेर और जैसलमेर दोनों को संधि के प्रस्ताव भेजे गए। जैसलमेर शासक रावल हरिराज ने संधि प्रस्ताव स्वीकार कर अपनी पुत्री नाथीबाई के साथ अकबर के विवाह की स्वीकृति प्रदान कर राजनैतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया। रावल हरिराज का छोटा पुत्र बादशाह दिल्ली दरबार में राज्य के प्रतिनिधि के रुप में रहने लगा। अकबर द्वारा उस फैलादी का परगना जागीर के रुप में प्रदान की गई। भाटी-मुगल संबंध समय के साथ-साथ और मजबूत होते चले गए। शहजादा सलीम को हरिराज के पुत्र भीम की पुत्री ब्याही गई जिसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया गया था। स्वयं जहाँगीर ने अपनी जीवनी में लिखा है - 'रावल भीम एक पद और प्रभावी व्यक्ति था, जब उसकी मृत्यु हुई थी तो उसका दो माह का पुत्र था, जो अधिक जीवित नहीं रहा। जब मैं राजकुमार था तब भीम की कन्या का विवाह मेरे साथ हुआ और मैने उसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया था। यह घराना सदैव से हमारा वफादार रहा है इसलिए उनसे संधि की गई।'

मुगलों से संधि एवं दरबार में अपने प्रभाव का पूरा-पूरा लाभ यहाँ के शासकों ने अपने राज्य की भलाई के लिए उठाया तथा अपनी राज्य की सीमाओं को विस्तृत एवं सुदृढ़ किया। राज्य की सीमाएँ पश्चिम में सिंध नदी व उत्तर-पश्चिम में मुल्तान की सीमाओं तक विस्तृत हो गई। मुल्तान इस भाग के उपजाऊ क्षेत्र होने के कारण राज्य की समृद्धि में शनै:शनै: वृद्धि होने लगी। शासकों की व्यक्तिगत रुची एवं राज्य में शांति स्थापित होने के कारण तथा जैन आचार्यों के प्रति भाटी शासकों का सदैव आदर भाव के फलस्वरुप यहाँ कई बार जैन संघ का आर्याजन हुआ। राज्य की स्थिति ने कई जातियों को यहाँ आकर बसने को प्रोत्साहित किया फलस्वरुप ओसवाल, पालीवाल तथा महेश्वरी लोग राज्य में आकर बसे व राज्य की वाणिज्यिक समृद्धि में अपना योगदान दिया।

भाटी मुगल मैत्री संबंध मुगल बादशाह अकबर द्वितीय तक यथावत बने रहे व भाटी इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र शासक के रुप में सत्ता का भोग करते रहे। मुगलों से मैत्री संबंध स्थापित कर राज्य ने प्रथम बार बाहर की दुनिया में कदम रखा। राज्य के शासक, राजकुमार अन्य सामन्तगण, साहित्यकार, कवि आदि समय-समय पर दिल्ली दरबार में आते-जाते रहते थे। मुगल दरबार इस समय संस्कृति, सभ्यता तथा अपने वैभव के लिए संपूर्ण विश्व में विख्यात हो चुका था। इस दरबार में पूरे भारत के गुणीजन एकत्र होकर बादशाह के समक्ष अपनी-अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया करते थे। इन समस्त क्रियाकलापों का जैसलमेर की सभ्यता, संस्कृति, प्राशासनिक सुधार, सामाजिक व्यवस्था, निर्माणकला, चित्रकला एवं सैन्य संगठन पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

मुगल सत्ता के क्षीण होते-होते कई स्थानीय शासक शक्तिशाली होते चले गए। जिनमें कई मुगलों के गवर्नर थे, जिन्होंने केन्द्र के कमजोर होने के स्थिति में स्वतंत्र शासक के रुप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। जैसलमेर से लगे हुए सिंध व मुल्तान प्रांत में मुगल सत्ता के कमजोर हो जाने से कई राज्यों का जन्म हुआ, सिंध में मीरपुर तथा बहावलपुर प्रमुख थे। इन राज्यों ने जैसलमेर राज्य के सिंध से लगे हुए विशाल भू-भाग को अपने राज्य में शामिल कर लिया था।
अन्य पड़ोसी राज्य जोधपुर, बीकानेर ने भी जैसलमेर राज्य के कमजोर शासकों के काल में समीपवर्ती प्रदेशों में हमला संकोच नहीं करते थे। इस प्रकार जैसलमेर राज्य की सीमाएँ निरंतर कम होती चली गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आगमन के समय जैसलमेर का क्षेत्रफल मात्र १६ हजार वर्गमील भर रह
गया था। यहाँ यह भी वर्णन योग्य है कि मुगलों के लगभग ३०० वर्षों के लंबे शासन में जैसलमेर पर एक ही राजवंश के शासकों ने शासन किया तथा एक ही वंश के दीवानों ने प्रशासन भार संभालते हुए उस संझावत के काल में राज्य को सुरक्षित बनाए रखा।

जैसलमेर राज्य में दो पदों का उल्लेख प्रारंभ से प्राप्त होता है, जिसमें प्रथम पद दीवान तथा द्वितीय पद प्रधान का था। जैसलमेर के दीवान पद पर पिछले लगभग एक हजार वर्षों से एक ही वंश मेहता (महेश्वरी) के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता रहा है। प्रधान के पद पर प्रभावशाली गुट के नेता को राजा के द्वारा नियुक्त किया जाता था। प्रधान का पद राजा के राजनैतिक वा सामरिक सलाहकार के रुप में होता था, युद्ध स्थिति होने पर प्रधान, सेनापति का कार्य संचालन भी करते थे। प्रधान के पदों पर पाहू और सोढ़ा वंश के लोगों का वर्च सदैव बना रहा था।

मुगल काल में जैसलमेर के शासकों का संबंध मुगल बादशाहों से काफी अच्छा रहा तथा यहाँ के शासकों द्वारा भी मनसबदारी प्रथा का अनुसरण कर यहाँ के सामंतों का वर्गीकरण करना प्रारंभ किया। प्रथा वर्ग में 'जीवणी' व 'डावी' मिसल की स्थापना की गई व दूसरे वर्ग में 'चार सिरै उमराव' अथवा 'जैसाणे रा थंब' नामक पदवी से शोभित सामंत रखे गए। मुगल दरबार की भांति यहाँ के दरबार में सामन्तों के पद एवं महत्व के अनुसार बैठने व खड़े रहने की परंपरा का प्रारंभ किया। राज्य की भूमि वर्गीकरण भी जागीर, माफी तथा खालसा आदि में किया गया। माफी की भूमि को छोड़कर अन्य श्रेणियां राजा की इच्छानुसार नर्धारित की जाती थी। सामंतों को निर्धारित सैनिक रखने की अनुमति प्रदान की गई। संकट के समय में ये सामन्त अपने सैन्य बल सहित राजा की सहायता करते थे। ये सामंत अपने-अपने क्षेत्र की सुरक्षा करने तथा निर्धारित राज राज्य को देने हेतु वचनबद्ध भी होते थे।

ब्रिटिश शासन से पूर्व तक शासक ही राज्य का सर्वोच्च न्यायाधिस होता था। अधिकांश विवादों का जाति समूहों की पंचायते ही निबटा देती थी। बहुत कम विवाद पंचायतों के ऊपर राजकीय अधिकारी, हाकिम, किलेदार या दीवान तक पहुँचते थे। मृत्युदंड देने का अधिकार मात्र राजा को ही था। राज्य में कोई लिखित कानून का उल्लेख नही है। परंपराएँ एवं स्वविवेक ही कानून एवं निर्णयों का प्रमुख आधार होती थी।

भू-राज के रुप में किसान की अपनी उपज का पाँचवाँ भाग से लेकर सातवें भाग तक लिए जाने की प्रथा राज्य में थी। लगान के रुप में जो अनाज प्राप्त होता था उसे उसी समय वणिकों को बेचकर नकद प्राप्त धनराशि राजकोष में जमा होती थी। राज्य का लगभग पूरा भू-भाग रेतीला या पथरीला है एवं यहाँ वर्षा भी बहुत कम होती है। अत: राज्य को भू-राज से बहुत कम आय होती थी तथा यहाँ के शासकों तथा जनसाधारण का जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण था।

संत जाम्भोजी चिन्तनशील एवं मननशील



मध्यकाल में राजस्थानमें अनेक संत हुए, जिन्होंने यहाँ के धार्मिक एवं सामाजिक आन्दोलन को नवीन गति प्रदान की। डॉ पेमाराम के अनुसार, "उन्होंने हिन्दू तथा इस्लाम में प्रचलित आडम्बरों तथा रुढियों का खण्डण किया और समाज के वास्तविक रुप को समझने का निर्देश दिया।"

जाम्भोजी :

जाम्भोजी का जन्म, १४५१ ई० में नागौर जिले के पीपासर नामक गाँव में हुआ था। ये जाति से पंवार राजपूत थे। इनके पिता का नाम लोहाट और माता का नाम हंसा देवी थी। ये अपने माता - पिता की इकलौती संतान थे। अत: माता - पिता उन्हें बहुत प्यार करते थे। डॉ० जी० एन० शर्मा के अनुसार,"जाम्भोजी बाल्यावस्था से ही मननशील थे तथा वे कम बोलते थे, इसलिए लोग उन्हें गूँगा कहते थे। उन्होंने सात वर्ष की आयु से लेकर १६ वर्ष कीआयु तक गाय चराने का काम किया। तत्पश्चात् उनका साक्षात्कार गुरु से हुआ। माता - पिता की मृत्यु के बाद जाम्भोजी ने अपना घर छोड़ दिया और सभा स्थल (बीकानेर) चले गये तथा वहीं पर सत्संग एवं हरि चर्चा में अपना समय गुजारते रहे। १४८२ ई० में उन्होंने कार्तिक अष्टमी को विश्नोई सम्प्रदाय की स्थापना की।

जाम्भोजी चिन्तनशील एवं मननशील थे। उन्होंने उस युग की साम्प्रदायिक संकीर्णता, कुप्रथाओं एवं अंधविश्वासों का विरोध करते हुए कहा था कि -


"सुण रे काजी, सुण रे मुल्लां, सुण रे बकर कसाई।
किणरी थरणी छाली रोसी, किणरी गाडर गाई।।
धवणा धूजै पहाड़ पूजै, वे फरमान खुदाई।
गुरु चेले के पाए लागे, देखोलो अन्याई।।"

वे सामाजिक दशा को सुधारना चाहते थे, ताकि अन्धविश्वास एवं नैतिक पतन के वातावरण को रोका जा सके और आत्मबोध द्वारा कल्याण का मार्ग अपनाया जा सके। संसार के मि होने पर भी उन्होंने समन्वय की प्रवृत्ति पर बल दिया। दान की अपेक्षा उन्होंने ' शील स्नान ' को उत्तम बताया। उन्होंने पाखण्ड को अधर्म बताया और विधवा विवाह पर बल दिया। उन्होंने पवित्र जीवन व्यतीत करने पर बल दिया। ईश्वर के बारे में उन्होंने कहा -


"तिल मां तेल पोहप मां वास,
पांच पंत मां लियो परगास।"

जाम्भोजी ने गुरु के बारे में कहा था -


"पाहण प्रीती फिटा करि प्राणी,
गुरु विणि मुकति न आई।"

भक्ति पर बल देते हुए उन्होंने कहा था -


"भुला प्राणी विसन जपो रे,
मरण विसारों के हूं।"

जाम्भोजी ने जाति भेद का विरोध करते हुए कहा था कि उत्तम कुल में जन्म लेने मात्र से व्यक्ति उत्तम नहीं बन सकता, इसके लिए तो उत्तम करनी होनी चाहिए। उन्होंने कहा -


"तांहके मूले छोति न होई।
दिल-दिल आप खुदायबंद जागै,
सब दिल जाग्यो लोई।"

तीर्थ यात्रा के बारे में विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था :


"अड़सठि तीरथ हिरदै भीतर, बाहरी लोकाचारु।"

सास की शह पर युवती से दुष्कर्म


सास की शह पर युवती से दुष्कर्म 
गिरादड़ा गांव की आरोपी महिला व पाली का आरोपी रिमांड पर, कोर्ट में पीडि़ता के बयान दिए
पाली सदर थाना अंतर्गत गिरादड़ा गांव निवासी एक महिला की शह पर उसकी पुत्रवधू के अपहरण व दुष्कर्म का मामला सामने आया है। पीडि़ता का आरोप है कि उसकी सास उससे अश्लील हरकत कर मारपीट भी करती थीं, उसकी मदद से ही पाली का युवक जीप में डाल कर उसे जंगल में ले गया और उससे दुष्कर्म किया। पीडि़ता का कहना है कि सास की शह पर आरोपी ने ससुराल में भी उससे दुष्कर्म किया। 

यह घटना तो गिरादड़ा गांव में गत 14 से 18 जनवरी के बीच की बताई जाती है, लेकिन पीडि़ता ने अहमदबाद के अस्पताल में उपचार कराने के बाद 23 जनवरी को वहां वटवा थाने में अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई। चंूकि घटनास्थल स्थल पाली जिले का था। ऐसे में अहमदाबाद के वटवा थाना पुलिस ने जीरो नंबरी एफआईआर दर्ज कर मूल पत्रावली पाली पुलिस को भेजी है। एसपी के निर्देश पर गत 25 जनवरी को सदर थाने में दर्ज इस प्रकरण की जांच औद्योगिक थाना प्रभारी पारस चौधरी को सौंपी गई। मामले की जांच के बाद आरोपी कानाराम गुर्जर पुत्र मोडाराम निवासी निंबली-मांडा हाल मंडिया रोड तथा गिरादड़ा गांव से पीडि़ता की सास को गिरफ्तार किया, जिन्हें कोर्ट के आदेश पर रिमांड पर लिया गया है। मामले में पीडि़ता के ससुर की भूमिका का भी पता लगाया जा रहा हैं। गुरुवार को पुलिस ने पीडि़ता को ले जाकर कोर्ट में बयान कराए तथा बयान की कॉपी मिलने के बाद पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई करेगी।

ये लगाए आरोप

अहमदाबाद के वटवा इलाके में रहने वाली युवती की ओर से दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया गया है कि पाली के गिरादड़ा गांव के युवक से उसकी शादी हुई है। उसका पति मजदूरी के सिलसिले में मुंबई में रहता है। 14 जनवरी को माता-पिता उसे गिरादड़ा गांव में सास-ससुर के पास छोड़कर चले गए। आरोप है कि घर पर अकेला देख उसकी सास उससे अश्लील हरकत कर मारपीट करती थीं। पाली के मंडिया रोड निवासी कानाराम गुर्जर का अक्सर उसकी सास के घर आना-जाना था। आरोपी का बजरी परिवहन का काम है, जिसने गत 14 जनवरी को उसकी सास की मदद से बोलेरो जीप में उसका अपहरण किया। आरोप है कि सास की शह पर आरोपी ने पहले उससे जीप में दुष्कर्म किया और बाद में घर आकर भी मारपीट कर उससे ज्यादती की। आरोप है कि तबीयत बिगडऩे पर आरोपियों ने उसे जीप से मारवाड़ जंक्शन छोड़कर डरा धमकाकर ट्रेन में बिठा दिया। अहमदाबाद पहुंचने पर परिजनों ने उसका उपचार कराया और वटवा थाने में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई।