मेरठ. मेरठ के कबाड़ी बाजार स्थित वेश्यावृत्ति कारोबार में क्रांतिकारी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। यहां पर काम करने वाली डेढ़ हजार से भी ज्यादा वेश्याओं के बच्चे देश के नामी गिरामी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, एक कोठे की मालकिन की तो सबसे रोचक कहानी निकलकर आई है। फिलहाल वह जिंदा नहीं हैं, पर उनकी जगह कोठा देख रही नई मालकिन का कहना है कि उन्होंने अपने दोनों भाइयों को यहीं पर काम करके पढ़ाया लिखाया। आज उनका एक भाई मध्य प्रदेश में आईपीएस है और दूसरा भाई उत्तर प्रदेश में वेटनरी डॉक्टर है।
यहां काम करने वाली वेश्याएं औसतन महीने में एक लाख रुपये कमाती हैं और इसका बड़ा हिस्सा वे बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर रही हैं। उनके बच्चे महंगे स्कूलों में और ऊंची शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कबाड़ी बाजार में काम करने वाली वेश्याओं की जिंदगी में आए कुछ सकारात्मक बदलावों पर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक की इस खास रिपोर्ट वेस्ट यूपी में सबसे बड़ा वेश्यावृत्ति का ठिकाना कबाड़ी बाजार को माना जाता है। बुधवार को यहां पर पुलिस ने नेपाल से तस्करी करके लाई गई युवतियों की तलाश में छापा मारा था, इस वजह से शुक्रवार को यहां पर वेश्याओं की संख्या कम पाई गई। कबाड़ी बाजार में साठ से भी ज्यादा कोठे हैं। इनमें से एक कोठे की मालकिन बताती हैं कि फिलहाल बाजार में 1100 से 1500 के बीच में वेश्याएं हैं। इनमें पचास फीसदी वेश्याएं पारंपरिक रूप से वेश्यावृत्ति करती आ रही हैं। ये मूल रूप से राजस्थान की हैं। बाकी वेश्याओं में नेपाल, बंगाल, उड़ीसा आदि क्षेत्रों से तस्करी करके लाई गई लड़कियां हैं।
इन वेश्याओं के बीच काम करने वाली संकल्प संस्था की अध्यक्ष अतुल शर्मा बताती हैं कि जिन वेश्याओं ने यहां काम करना स्वीकार कर लिया है, उनमें से किसी के भी बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते। मेरठ के टॉप स्कूलों में, जहां अच्छी डोनेशन देने वालों के बच्चों का एडमीशन नहीं होता है, इनके बच्चे उन स्कूलों में पढ़ते हैं। इतना ही नहीं, इनके बच्चे देश के सबसे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। उनका दावा है कि इस वक्त यहां रहने वाली सभी वेश्याओं के बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, एक दो के बच्चे तो एमटेक और एमबीए करके मल्टी नेशनल कंपनियों में काम कर रहे हैं।
एक कोठे से पुलिस को मिलते हैं तकरीबन चार हजार रुपये
एक कोठे की मालकिन के मुताबिक उसे रोज पुलिस को छह सौ रुपये देने होते हैं। यह रकम कोठे पर काम करने वाली लड़कियां अपनी कमाई में से इकट्ठा कर देती हैं। इसके अलावा हर लड़की को रोज 300 रुपये पुलिस को और 300 रुपये कोठे का किराया देना होता है। एक कोठे पर औसतन 10 से 12 लड़कियां काम करती हैं।
कबाड़ी बाजार की जिस्म मंडी में देह की कीमत 400 रुपये से लगनी शुरू होती है। कोठे की मालकिनों के मुताबिक इन लड़कियों के ग्राहक ज्यादातर निम्न वर्ग से होते हैं। अक्सर सादी वर्दी में सेना के लोग भी आते हैं। कबाड़ी बाजार से बाहर ले जाने के लिए भी लड़कियों की बुकिंग होती है। बुकिंग रेट 1200 रुपये से 2000 रुपये तक होता है, लेकिन 30-40 हजार रुपये की सिक्योरिटी जमा करनी होती है, जो बाद में वापस हो जाती है।30 साल की जरीना (काल्पनिक नाम) के बच्चे की उम्र 17 साल हो गई है। वह बंगाल से तस्करी करके लाई गई थीं, पर यहीं बस गईं। उनका बच्चा पूना में बीटेक करने लगा है। जरीना कहती हैं कि उनका ख्वाब है कि उनका बच्चा आईएएस बने। इसके लिए कितना भी पैसा लगे, अच्छी से अच्छी कोचिंग हो, पर ख्वाब पूरा होना चाहिए। जरीना अकेली नहीं हैं, शुक्रवार को मौजूद हजार से भी ज्यादा वेश्याओं के यही ख्वाब दिखे।
यहां सभी कोठों के बीच एक सीढ़ी भर का ही फासला है। और सीढ़ी भी इतनी संकरी कि एक बार में एक ही व्यक्ति इसका प्रयोग कर सकता है। एक कोठे की मालकिन ने बताया कि यहां पर काम करने वाली एक वेश्या महीने में कम से कम एक लाख रुपये कमाती है। यहां वेश्यावृत्ति शुरू करने की औसतन उम्र 13 साल है और रिटायरमेंट की
यहां काम करने वाली वेश्याएं औसतन महीने में एक लाख रुपये कमाती हैं और इसका बड़ा हिस्सा वे बच्चों की पढ़ाई पर खर्च कर रही हैं। उनके बच्चे महंगे स्कूलों में और ऊंची शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कबाड़ी बाजार में काम करने वाली वेश्याओं की जिंदगी में आए कुछ सकारात्मक बदलावों पर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक की इस खास रिपोर्ट वेस्ट यूपी में सबसे बड़ा वेश्यावृत्ति का ठिकाना कबाड़ी बाजार को माना जाता है। बुधवार को यहां पर पुलिस ने नेपाल से तस्करी करके लाई गई युवतियों की तलाश में छापा मारा था, इस वजह से शुक्रवार को यहां पर वेश्याओं की संख्या कम पाई गई। कबाड़ी बाजार में साठ से भी ज्यादा कोठे हैं। इनमें से एक कोठे की मालकिन बताती हैं कि फिलहाल बाजार में 1100 से 1500 के बीच में वेश्याएं हैं। इनमें पचास फीसदी वेश्याएं पारंपरिक रूप से वेश्यावृत्ति करती आ रही हैं। ये मूल रूप से राजस्थान की हैं। बाकी वेश्याओं में नेपाल, बंगाल, उड़ीसा आदि क्षेत्रों से तस्करी करके लाई गई लड़कियां हैं।
इन वेश्याओं के बीच काम करने वाली संकल्प संस्था की अध्यक्ष अतुल शर्मा बताती हैं कि जिन वेश्याओं ने यहां काम करना स्वीकार कर लिया है, उनमें से किसी के भी बच्चे सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ते। मेरठ के टॉप स्कूलों में, जहां अच्छी डोनेशन देने वालों के बच्चों का एडमीशन नहीं होता है, इनके बच्चे उन स्कूलों में पढ़ते हैं। इतना ही नहीं, इनके बच्चे देश के सबसे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं। उनका दावा है कि इस वक्त यहां रहने वाली सभी वेश्याओं के बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं। इतना ही नहीं, एक दो के बच्चे तो एमटेक और एमबीए करके मल्टी नेशनल कंपनियों में काम कर रहे हैं।
एक कोठे की मालकिन के मुताबिक उसे रोज पुलिस को छह सौ रुपये देने होते हैं। यह रकम कोठे पर काम करने वाली लड़कियां अपनी कमाई में से इकट्ठा कर देती हैं। इसके अलावा हर लड़की को रोज 300 रुपये पुलिस को और 300 रुपये कोठे का किराया देना होता है। एक कोठे पर औसतन 10 से 12 लड़कियां काम करती हैं।
कबाड़ी बाजार की जिस्म मंडी में देह की कीमत 400 रुपये से लगनी शुरू होती है। कोठे की मालकिनों के मुताबिक इन लड़कियों के ग्राहक ज्यादातर निम्न वर्ग से होते हैं। अक्सर सादी वर्दी में सेना के लोग भी आते हैं। कबाड़ी बाजार से बाहर ले जाने के लिए भी लड़कियों की बुकिंग होती है। बुकिंग रेट 1200 रुपये से 2000 रुपये तक होता है, लेकिन 30-40 हजार रुपये की सिक्योरिटी जमा करनी होती है, जो बाद में वापस हो जाती है।30 साल की जरीना (काल्पनिक नाम) के बच्चे की उम्र 17 साल हो गई है। वह बंगाल से तस्करी करके लाई गई थीं, पर यहीं बस गईं। उनका बच्चा पूना में बीटेक करने लगा है। जरीना कहती हैं कि उनका ख्वाब है कि उनका बच्चा आईएएस बने। इसके लिए कितना भी पैसा लगे, अच्छी से अच्छी कोचिंग हो, पर ख्वाब पूरा होना चाहिए। जरीना अकेली नहीं हैं, शुक्रवार को मौजूद हजार से भी ज्यादा वेश्याओं के यही ख्वाब दिखे।
औसत उम्र 30 साल है। 17 साल में वेश्याएं दो करोड़ रुपये से भी ज्यादा कमाती हैं।
संकल्प संस्था की अध्यक्ष अतुल शर्मा कहती हैं कि दरअसल इनके बच्चों की पढ़ाई ही इनका रिटायरमेंट प्लान है। इनमें से कुछ तो शादी भी करने लगी हैं। अभी हाल ही में यहां काम करने वाली एक लड़की ने अपनी बच्ची के पिता से शादी कर ली। सबसे अच्छी बात तो यह है कि अब कोई यह नहीं कह सकता है कि वेश्याओं के बच्चों के बाप का नाम नहीं पता। ये लोग इतनी सावधानी बरतती हैं कि इन्हें पता होता है कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का पिता कौन है। यहां पर पिछले पांच सालों में जन्मे सभी बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र है जिसमें उनके पिता का नाम दर्ज है।
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