नई दिल्ली। कांग्रेस सरकार की पोल खोलने के बाद अरविंद केजरीवाल अब शीला सरकार का भंडाफोड़ करने की तैयारी में जुट गए हैं। शुक्रवार को केजरीवाल शीला सरकार और अन्य बिजली कंपनियों के रिश्ते पर से पर्दा उठाएंगे। इतने दिनों से बिजली कंपनियों को सरकार की ओर से मिल रही शय का सबूतों के साथ खुलासा करेंगे।
केजरीवाल का यह कदम उस वक्त उठ रहा है जब राजधानी में शुक्रवार से बिजली की दरों में वृद्धि होने जा रही है। दिल्ली बिजली नियामक आयोग ने बिजली खरीद लागत समायोजन शुल्क (पीपीसीए) में वृद्धि कर दी है। यह वृद्धि एक फरवरी से 30 अप्रैल तक लागू रहेगी।
आयोग द्वारा गुरुवार शाम को जारी आदेश के मुताबिक टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) डेढ़ प्रतिशत और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (बीवाईपीएल) व बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड (बीआरपीएल) तीन प्रतिशत पीपीसीए वसूल सकती है।
निजी बिजली कंपनियों ने तर्क दिया था कि बिजली उत्पादन करने वाली कंपनियां रोजाना अलग-अलग दरों पर बिजली बेचती हैं, जिसकी वजह से उन्हें कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए हर तीन माह पर उनके द्वारा बिजली की खरीद लागत की समीक्षा की जाए। इस प्रस्ताव को आयोग ने स्वीकार कर लिया था।
इसी के चलते निजी बिजली कंपनियों ने आयोग को साल 2012 में अक्टूबर-नवंबर-दिसंबर के दौरान बिजली की खरीद पर खर्च का ब्योरा पेश किया था। इसके मुताबिक टीपीडीडीएल ने 2.80 फीसद, बीवाईपीएल ने 7.44 फीसद और बीआरपीएल ने 9.18 फीसद वृद्धि करने की मांग की थी।
आयोग के अध्यक्ष पी.डी. सुधाकर ने बताया कि कंपनियों की मांगों की समीक्षा के बाद गुरुवार को नई दरों की घोषणा की गई है। उत्तरी दिल्ली व उत्तर पश्चिमी दिल्ली में बिजली की सप्लाई करने वाली कंपनी टीपीडीडीएल को 1.50 प्रतिशत, पूर्वी और मध्य दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनी बीवाईपीएल को तीन प्रतिशत, दक्षिण दिल्ली में सप्लाई करने वाली कंपनी बीआरपीएल को तीन फीसद पीपीसीए वसूलने की इजाजत दी गई है।
उन्होंने बताया कि जुलाई-अगस्त-सितंबर में बिजली की खरीद लागत में कोई विशेष अंतर न होने के कारण नवंबर में आयोग ने तीन माह तक पीपीसीए न वसूलने के निर्देश दिए थे।
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