मंदिर के आगे मिली नवजात कन्या/ मंदिर के पुजारी ने किया पुलिस के हवाले/
जवाहर चिकित्सालय में चल रहा उपचार/ चाइल्ड लाइन के हवाले किया जाएगा नवजात कन्या को/
जैसलमेर / 2 फरवरी / मनीष रामदेव
कहते हैं कि मां के दिल का कोई पैमाना नहीं होता है जो समन्दर से भी गहरा और आसमान से भी अधिक पसरा होता है और उसमें भरा होता है अपनी औलाद के लिये असीम प्यार लेकिन जैसलमेर के मोहनगढ गांव में एक मां ने अपनी ममता को ज़ार ज़ार कर कलंकित कर दिया है। मां के आंचल की छांव से दुनिया में कदम रखने वाली इस बदनसीब बच्ची को मिल रहा है पुलिस व चिकित्सकों का साथ क्योंकि शायद इसकी मां को इसकी जरूरत नहीं है।
जी हां मामला है जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मोहनगढ कस्बे का जहां पर करीब दो दिन पहले गांव के पास ही स्थित हनुमान जी के मंदिर के पास इस मंदिर के पुजारी प्रमोद शर्मा को एक नवजात बच्ची मिली थी। मासूम बच्ची को लावारिस पडा देख इस पुजारी का मन पसीज गया और इसने इस बच्ची को अपने पास रख लिया ताकि सही देखभाल कर इसकी जान बचाई जा सके साथ ही पुजारी ने दो दिनों तक गांव में पूछताछ कर इस बच्ची के मां बाप को ढूंढने का प्रयास भी किया लेकिन जब कोई नहीं मिला तब हार कर यह पुजारी पुलिस के पास पहुंचा और मामला दर्ज करवाया।
पुलिस ने बताया कि पुजारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के साथ बच्ची को पुलिस के कब्जे में लिया गया जहां से इसे मोहनगढ उपस्वास्थ्य केन्द्र उपचार के लिये ले गये चिकित्सकों द्वारा इस बच्ची की जांच के बाद इसे जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जवाहिर चिकित्सालय लाया गया जहां पर बाल चिकित्सक इसका इलाज कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार इस बच्ची की कस्टडी उन्होंने राजकीय जवाहिर चिकित्सालय को दे दी है जहां से उपचार के बाद चाईल्ड लाईन द्वारा बाल विकास समिति के माध्यम से इस बच्ची को उपयुक्त बाल एवं शिशु गृह में भिजवाया जायेगा।
आज के इस कलयुग में जहां इन्सान एक अदद औलाद के लिए तरस रहा है वहीँ इस तरह अपने जिगर के टुकड़े को यूँ मंदिर के आगे फेंक जाना इंसानीयत को तार तार कर देने वाली घटना है, इस मासूम खूबसूरत बच्ची का क्या कुसूर रहा की उसने दुनिया में अपना पहल कदम बिना माँ बाप के गुज़ारा है,कहते हैं की " कोई तो मजबूरी रही होगी वरना यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता , मगर क्या मजबूरी रही होगी जो इस मासूम को इस कदर छोड़ गया, खेर कोई तो हाथ आगे और इस बच्ची को अपने घर ले जाएगा मगर ये बच्ची बड़ी होकर शायद अपने माँ बाप को माफ़ ना कर पाए
कहते हैं कि मां के दिल का कोई पैमाना नहीं होता है जो समन्दर से भी गहरा और आसमान से भी अधिक पसरा होता है और उसमें भरा होता है अपनी औलाद के लिये असीम प्यार लेकिन जैसलमेर के मोहनगढ गांव में एक मां ने अपनी ममता को ज़ार ज़ार कर कलंकित कर दिया है। मां के आंचल की छांव से दुनिया में कदम रखने वाली इस बदनसीब बच्ची को मिल रहा है पुलिस व चिकित्सकों का साथ क्योंकि शायद इसकी मां को इसकी जरूरत नहीं है।
जी हां मामला है जैसलमेर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर मोहनगढ कस्बे का जहां पर करीब दो दिन पहले गांव के पास ही स्थित हनुमान जी के मंदिर के पास इस मंदिर के पुजारी प्रमोद शर्मा को एक नवजात बच्ची मिली थी। मासूम बच्ची को लावारिस पडा देख इस पुजारी का मन पसीज गया और इसने इस बच्ची को अपने पास रख लिया ताकि सही देखभाल कर इसकी जान बचाई जा सके साथ ही पुजारी ने दो दिनों तक गांव में पूछताछ कर इस बच्ची के मां बाप को ढूंढने का प्रयास भी किया लेकिन जब कोई नहीं मिला तब हार कर यह पुजारी पुलिस के पास पहुंचा और मामला दर्ज करवाया।
पुलिस ने बताया कि पुजारी द्वारा दी गई रिपोर्ट के साथ बच्ची को पुलिस के कब्जे में लिया गया जहां से इसे मोहनगढ उपस्वास्थ्य केन्द्र उपचार के लिये ले गये चिकित्सकों द्वारा इस बच्ची की जांच के बाद इसे जिला मुख्यालय स्थित राजकीय जवाहिर चिकित्सालय लाया गया जहां पर बाल चिकित्सक इसका इलाज कर रहे हैं। पुलिस के अनुसार इस बच्ची की कस्टडी उन्होंने राजकीय जवाहिर चिकित्सालय को दे दी है जहां से उपचार के बाद चाईल्ड लाईन द्वारा बाल विकास समिति के माध्यम से इस बच्ची को उपयुक्त बाल एवं शिशु गृह में भिजवाया जायेगा।
आज के इस कलयुग में जहां इन्सान एक अदद औलाद के लिए तरस रहा है वहीँ इस तरह अपने जिगर के टुकड़े को यूँ मंदिर के आगे फेंक जाना इंसानीयत को तार तार कर देने वाली घटना है, इस मासूम खूबसूरत बच्ची का क्या कुसूर रहा की उसने दुनिया में अपना पहल कदम बिना माँ बाप के गुज़ारा है,कहते हैं की " कोई तो मजबूरी रही होगी वरना यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता , मगर क्या मजबूरी रही होगी जो इस मासूम को इस कदर छोड़ गया, खेर कोई तो हाथ आगे और इस बच्ची को अपने घर ले जाएगा मगर ये बच्ची बड़ी होकर शायद अपने माँ बाप को माफ़ ना कर पाए
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