बुधवार, 29 अगस्त 2012

जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी


 
जोधपुर.पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार देर रात दो बजे एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से आए कॉल से जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी मिली। आधी रात बाद मिली इस धमकी के बाद पुलिस ने पूरे रेलवे स्टेशन को खाली करवाया और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली, लेकिन वहां कुछ भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।

पुलिस की छानबीन अभी चल ही रही थी कि एक स्थानीय मोबाइल नंबर से कंट्रोल रूम में इसी संदर्भ में फोन आया। पुलिस की ओर से उदयमंदिर थाने में अज्ञात शख्स के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है।

उदयमंदिर पुलिस ने बताया कि सोमवार रात पुलिस कंट्रोल रूम में हैड कांस्टेबल उमेश व अन्य ड्यूटी पर थे। रात ठीक दो बजे 0034441211463 नंबर से कंट्रोल रूम के फोन पर एक कॉल आया। फोन करने वाले ने पहले तो गाली-गलौच की, फिर जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी दी।

पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल के अनुसार यह इंटरनेट के जरिए किया गया कॉल हो सकता है। वहीं, सुबह 6:50 बजे मोबाइल नंबर 9001879322 से रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस के अनुसार यह स्थानीय मोबाइल नंबर है। इन दोनों नंबरों के बारे में पड़ताल की जा रही है।

2:00 सोमवार देर रात अंतरराष्ट्रीय मोबाइल नंबर से मिली धमकी

3:00 AM एक घंटे में पुलिस ने पूरा स्टेशन खाली करवाया

6:50 AM मंगलवार सुबह स्थानीय मोबाइल नंबर से आया कॉल

पुलिस कंट्रोल रूम में सोमवार देर रात दो बजे एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से आए कॉल से जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी मिली। कंट्रोल रूम स्टाफ ने इसकी सूचना तत्काल उच्च अधिकारियों के साथ जीआरपी व आरपीएफ को दी। आधी रात बाद मिली इस धमकी के बाद पुलिस ने पूरे रेलवे स्टेशन को खाली करवाया और चप्पे-चप्पे की तलाशी ली, लेकिन वहां कुछ भी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।

पुलिस की छानबीन अभी चल ही रही थी कि एक स्थानीय मोबाइल नंबर से कंट्रोल रूम में इसी संदर्भ में फोन आया। पुलिस की ओर से उदयमंदिर थाने में अज्ञात शख्स के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया गया है। उदयमंदिर पुलिस ने बताया कि सोमवार रात पुलिस कंट्रोल रूम में हैड कांस्टेबल उमेश व अन्य ड्यूटी पर थे।

रात ठीक दो बजे 0034441211463 नंबर से कंट्रोल रूम के फोन पर एक कॉल आया। फोन करने वाले ने पहले तो गाली-गलौच की, फिर जोधपुर रेलवे स्टेशन को बम से उड़ाने की धमकी दी। उसका कहना था कि स्टेशन के प्लेटफॉर्म, प्रतीक्षालय में सो रहे अनगिनत लोगों की जान बचा सको तो बचा लो। कंट्रोल रूम ने तत्काल इसकी सूचना रात्रि गश्त कर रहे एडीसीपी (मुख्यालय) गजानंद वर्मा व अन्य अधिकारियों को दी। वर्मा तत्काल रेलवे स्टेशन पहुंचे।

कुछ देर बाद जीआरपी एसपी प्रेमप्रकाश टाक, उप अधीक्षक मंसूर अली, जीआरपी थानाधिकारी अनिल पुरोहित के साथ सभी सुरक्षा एजेंसियों व रेलवे के अधिकारी, सीआईडी, बम निरोधक दस्ता आदि भी रेलवे स्टेशन पहुंचा। पुलिस की टीमों ने रेलवे स्टेशन का हर कोना छान मारा, लेकिन काफी तलाश के बाद भी उन्हें कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।

पुलिस की प्रारंभिक पड़ताल के अनुसार यह इंटरनेट के जरिए किया गया कॉल हो सकता है। वहीं, सुबह 6:50 बजे मोबाइल नंबर 9001879322 से रेलवे स्टेशन को उड़ाने की धमकी दी गई थी। पुलिस के अनुसार यह स्थानीय मोबाइल नंबर है। इन दोनों नंबरों के बारे में पड़ताल की जा रही है।

घोषणा के बाद मची भागमभाग

रात करीब ढाई बजे अधिकांश अधिकारी रेलवे स्टेशन पहुंच गए। इस दौरान रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म व प्रतीक्षालय में सैकड़ों लोग सो रहे थे। पुलिस ने रेलवे स्टेशन खाली करवाने के लिए माइक पर उद्घोषणा की तो लोगों की नींद उड़ गई और वे बाहर की ओर भागने लगे।

कुछ ही देर में पूरा स्टेशन खाली करा लिया गया। इसके साथ ही डॉग स्क्वाड की टीम व बम निरोधक दस्ते ने स्टेशन का हर कोना खंगाला और स्टेशन पर खड़ी गाड़ियों, ऑफिस, टी- स्टॉल, फुट ओवरब्रिज व रेल पटरियों की तलाशी ली। इसी बीच वहां पहुंची दिल्ली-जोधपुर इंटरसिटी, बाड़मेर लोकल ट्रेन की भी तलाशी ली गई। करीब तीन घंटे की मशक्कत के बाद भी वहां कुछ नहीं मिला, तब कहीं जाकर अधिकारियों ने चैन की सांस ली।

भीड़ नियंत्रित करने में हुई मशक्कत

आधी रात को स्टेशन खाली करवाया गया तो वहां सो रहे जातरुओं के साथ अन्य यात्री, भिखारियों व अन्य लोगों की भीड़ स्टेशन के बाहर एकत्र हो गई। अलसुबह तक चली तलाशी के दौरान लोगों की भीड़ को बाहर ही रोकने के लिए रात्रि गश्त कर रही सभी पुलिस पार्टियों और आरएसी की टुकड़ी को मौके पर बुलाया गया।

मौत या माफी : आज इस फैसले पर होगी पूरे देश की निगाह


मौत या माफी : आज इस फैसले पर होगी पूरे देश की निगाह 
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मुंबई हमले के दोषी पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब की अपील पर बुधवार को फैसला सुनाएगा।

कसाब ने इस आतंकी हमले में मिली मौत की सजा के विशेष अदालत के निर्णय को चुनौती दे रखी है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति चंद्रमौलि कुमार प्रसाद की खंडपीठ ने कसाब की अपील पर 25 अप्रैल को सुनवाई पूरी की थी।

अदालत ने कसाब की याचिका पर करीब ढाई महीने सुनवाई की। शीर्ष अदालत ने कसाब की मौत की सजा पर पिछले साल 10 अक्टूबर को रोक लगा दी थी।
 मौत का अंतहीन इंतजार कर रहे सैकड़ों कैदियों को नहीं मालूम कि उन्हें जीने का कानूनी अधिकार है या नहीं। कोई स्पष्ट नीति न होने की वजह से न्यायपालिका और कार्यपालिका सजा-ए-मौत पर आखिरी फैसला नहीं कर पा रहीं। जिंदगी भर चलने वाली मौत की सजा पर विवेक शुक्ला की रिपोर्ट मौत से बुरा क्या हो सकता है? शायद मौत का इंतजार। खास तौर पर तब, जब इंतजार कुछ घंटों का नहीं, चंद दिनों या महीनों का नहीं, बल्कि वर्षो का हो। कुछ मामलों में तो इंतजार दशकों का है। भारतीय जेलों में सड़ रहे कैदियों की बड़ी तादाद इसी इंतजार से गुजर रही है, क्योंकि यह तय नहीं हो पा रहा है कि ऐसे खूंखार गुनहगारों के साथ आखिर करना क्या है? उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया जाए, जैसा कि देश की अदालतें एक-एक मामले में कई-कई बार फैसला कर चुकी हैं या फिर संविधान में दिए गए माफी के प्रावधान के तहत जीवनदान दे दिया जाए। दरअसल, दिक्कत उन्हें फांसी देने या माफी देने से नहीं जुड़ी। दिक्कतहै इन दोनों में से कुछ न करने की, हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने की। क्या कुछ चल रहा है, यह न तो न्यायपालिका जानती है, न सरकार और न राष्ट्रपति। गुनहगारों और पीड़ितों से इस बात की उम्मीद करना बेमानी है कि उन्हें इस बारे में कुछ पता होगा। तो आखिर किसकी जिम्मेदारी बनती है? कड़वी सच्चाई यह है कि जिम्मेदारी किसी की नहीं बनती। न कोई यह जिम्मेदारी लेने या तय करने में दिलचस्पी रखता है। देवेंद्र सिंह भुल्लर का मामला ले लीजिए। दिल्ली में 1993 में हुए बम विस्फोट में 13 लोग मारे गए। इस मामले में भुल्लर को दोषी ठहराया गया। अगले 13 साल में सेशनकोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट, सभी ने उसे सजा-ए-मौत दी। उसने दया याचिका दाखिल की और मई, 2011 में जाकर राष्ट्रपति ने उसकी याचिका खारिज कर दी। लेकिन इतने लंबे वक्त बाद भी मामले का अंत नहीं हुआ। सितंबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने भुल्लर की सजा घटाने पर विचार करने संबंधी वह याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें उसने अपने जीने के अधिकार का हवाला दिया था। फिलहाल, यह किसी को नहीं पता कि भुल्लर का भविष्य क्या होगा? अपवाद ज्यादा, नियम कम अगर आपका मानना है कि भुल्लर का मामला अपवाद है, तो जरा इस मामले पर निगाह डालिए, जो इससे भी बदतर हालात बयां कर रहा है। 1991 में राजीव गांधी की हत्या हुई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मुरुगन, संतन और ए जी पेरारीवालन को जनवरी 1998 में सजा-ए-मौत दी। इन सभी की दया याचिका अगस्त 2011 में खारिज कर दी गई। एक तरफ जहां अब तक इन्हें फांसी पर नहीं लटकाया जा सका, वहीं दूसरी तरफमद्रास हाईकोर्ट ने फांसी देने में हुई देरी का हवाला देते हुए मामले में स्टे भी दे दिया। गुनहगारों की ओर से दलील पेश करने वाले वरिष्ठ एडवोकेट राम जेठमलानी ने कहा, ‘अगर फांसी का इंतजार कर रहे दोषी को लंबे समय तक जेल में रखा जाता है, तो इसका मतलब है दोहरी सजा। यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जो सभी नागरिकों को सुरक्षा का अधिकार देता है।’ किसी को नहीं पता कि इन तीनों हत्यारों को फांसी के फंदे पर कब लटकाया जाएगा? फिर एक मामला पंजाब का भी है, जहां दोषी को इसलिए फांसी नहीं दी जा सकी, क्योंकि जेलर के पास जल्लाद उपलब्ध नहीं था देश में आखिरी फांसी आठ साल पहले हुई थी, जब धनंजय चटर्जी को 2004 में फंदे पर लटकाया गया। फांसी या माफी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में तब आया, जब राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने दया याचिका के 40 लंबित मामलों का निपटारा किया। उन्होंने 5 याचिकाएं खारिज कर दीं, जबकि 35 अन्य को राहत देते हुए फांसी की सजा उम्र कैद में बदल दी। 18 और दया याचिकाओं पर फैसला होना अभी बाकी है, लेकिन यह कम बड़ी बात नहीं कि उन्होंने फैसला तो किया। उनसे पहले कई राष्ट्रपतियों ने पूरे कार्यकाल में एक भी दया याचिका पर फैसला नहीं किया। जैसा कि बताया गया, राष्ट्रपति का फैसला भी अंतिम नहीं माना जा सकता। जाने-माने वकील मजीद मेनन ने रसरंग से कहा, ‘मैं मानता हूं कि दया याचिकाओं के मामले में देरी कैबिनेट के लेटलतीफ रवैये की वजह से होती है। अगर वहां से राष्ट्रपति को सिफारिश जल्दी भेजी जाने लगें, तो इस स्तर पर होने वाली देरी दूर की जा सकती है।’ राष्ट्रपति दया यचिकाओं के मामले में अकेले फैसला नहीं कर सकतीं। संविधान के अनुच्छेद 74 के मुताबिक राष्ट्रपति को केंद्रीय मंत्रिमंडल दया याचिकाओं पर मशविरा देता है और महामहिम उसके हिसाब से फैसला करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, अतीत खंगालने पर ऐसे भी कई मामले मिले, जिनमें सरकार की ओर से सलाह मिलने के बावजूद राष्ट्रपतियों ने कई साल तक अंतिम फैसले का एलान नहीं किया। निर्णय में देरी और बैकलॉग के मामले 1990 के दशक की शुरुआत से ज्यादा बढ़े। राष्ट्रपति या सरकार की ओर से दया याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय नहीं है, लेकिन 1980 के दशक के अंतिम वर्षो तक इस तरह के फैसलों में दो-तीन साल से ज्यादा वक्त नहीं लगता था। सीनियर एडवोकेट केटीएस तुलसी के अनुसार, ‘1990 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि लंबित दया याचिकाओं पर दो साल के भीतर फैसला करने को लेकर राष्ट्रपति को बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर मामले में सबूत अलग-अलग होते हैं।’ तब से अब तक मौत या माफी के फैसले लगातार अटकते और लटकते रहे हैं।समयसीमा नहीं होगी तय केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मुल्लापली रामचंद्रन ने इसी साल 20 मार्च को लोकसभा में बताया कि दया याचिकाओं पर फैसला करने के लिए कोई समयसीमा तय करने की सरकार की मंशा नहीं है। इसके अलावा सियासी और मजहबी वजहें भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि जब ऐसी चीजें शामिल होती हैं, तो पहले से ढीला रुख रखने वाली सरकार और भी हिचकिचाहट दिखाने लगती है। बलवंत सिंह राजोआना का मामला ले लीजिए, जिसे पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की हत्या का दोषी ठहराया गया। उसे 31 मार्च, 2011 को फांसी होनी थी। पर पटियाला जेल के जेलर ने कहा कि यह फांसी नहीं हो सकती, क्योंकि उनके पास जल्लाद की व्यवस्था नहीं है। यह अलग बात है कि गृह मंत्रालय ने राजोआना की फांसी पंजाब सरकार के आग्रह पर टाली। बताया जाता है कि इस मामले में राज्य सरकार शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के दबाव में आई। दिसंबर 2001 में संसद पर हमले के गुनहगार मोहम्मद अफजल गुरु को सुप्रीमकोर्ट ने 2004 में सजा-ए-मौत दी। अफजल की दया याचिका लंबे वक्त से राष्ट्रपति के पास फैसले का इंतजार कर रही है। 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले की साजिश रचने और उसे अंजाम देने के दोषी मोहम्मद अजमल कसाब को चार आरोपों के लिए सजा-ए-मौत और पांच आरोपों के लिए उम्र कैद की सजा सुनाई गई। लेकिन कुछ कानूनी जानकारों को आशंका है कि उसे निकट भविष्य में शायद ही फांसी हो पाएगी। फांसी जीरो, फैसले सैकड़ों भारत में पिछले आठ साल में किसी को फांसी नहीं दी गई, लेकिन देश की अलग-अलग अदालतें सजा-ए-मौत देना जारी रखे हुए हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2010 से इस साल जून तक 221 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई। नेशनल क्राइम रिकॉर्डस ब्यूरो के मुतबिक 31 दिसंबर, 2010 को 402 लोग फांसी का इंतजार कर रहे थे। जिन राज्यों में सबसे ज्यादा गुनाहगार फांसी का इंतजार कर रहे हैं, उनमें उत्तर प्रदेश (131), कर्नाटक (60) और महाराष्ट्र (49) प्रमुख हैं। ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं, जो दया याचिकाओं पर फैसले के लिए कोई वक्त निर्धारित करे, लेकिन फिर ऐसा क्यों होता है कि कुछ याचिकाएं लंबे वक्त तक लटकी रहती हैं, जबकि अन्य पर फैसले को लेकर तेजी दिखाई जाती है? सुप्रीम कोर्ट ने इस साल सरकार से यह सवाल किया। लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला। 3.85 करोड़ रुपए हर दिन का खर्च वॉल स्ट्रीट जर्नल के माइकल एडिसन हेडन ने अपने ब्लॉग में लिखा है, ‘अंतिम फैसले में कई दशक लग जाते हैं। इसलिए भारत में सैकड़ों कैदी तब तक जेलों में सड़ते रहते हैं, जब तक कि प्राकृतिक कारणों से उनकी मौत नहीं हो जाती।’ हेडन कर्नाटक के बेलगाम सेंट्रल जेल गए। वहां उनकी मुलाकात ऐसे दो कैदियों से हुई, जो मौत मांग रहे हैं, लेकिन उन्हें इंतजार मिल रहा है। सजा-ए-मौत या उसमें होने वाले देरी पर करदाताओं के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। यह पैसा ऐसे सिस्टम पर खर्च हो रहा है, जिसमें कैदियों को दशकों तक फांसी का इंतजार रहता है। और कई तो मौत का इंतजार करते-करते खुद ही मर जाते हैं। दिल्ली की तिहाड़ जेल के पीआरओ सुनील गुप्ता के मुताबिक सरकार हर रोज एक कैदी पर 125 रुपए खर्च करती है। इस हिसाब से देश भर के कैदियों पर एक दिन में 3.85 करोड़ रुपए खर्च होता है। इनमें सजा-ए-मौत और उम्र कैद पाने वाले गुनाहगारों के अलावा विचाराधीन कैदी शामिल हैं। इस देरी के जाने-अनजाने सभी कारणों के बीच देश कम से कम एक मुद्दे पर निश्चित फैसला कर सकता है। हमें इस बात का निर्णय लेना होगा कि क्या सजा-ए-मौत खत्म कर दी जानी चाहिए। एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 175 मुल्क सजा-ए-मौत खत्म कर चुके हैं, जबकि 18 देशों में अभी भी इसका प्रावधान है। चीन में सबसे ज्यादा लोगों को फांसी दी गई, उसके बाद ईरान का नंबर आता है। अमेरिका ने 2011 में करीब 50 लोगों को फांसी दी। महात्मा गांधी के पुत्र ने नाथू राम गोडसे को जीवनदान देने की अपील की थी और खुद गांधीजी भी सजा-ए-मौत पर विरोध जताया करते थे। जिस हिसाब से सजा-ए-मौत के फैसले लटक रहे हैं, ऐसा मालूम देता है कि देश में फांसी पर व्यावाहारिक रोक लगी हुई है। तो क्यों न फांसी पर आधिकारिक रूप से पूर्णविराम लगा दिया जाए? पिछले महीने ही केरल में मावेलीकारा एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट-2 ने 22 साल के विश्वराजन को फांसी की सजा सुनाई। उसे 34 साल की विधवा और एक बच्ची की मां से बलात्कार और उसकी हत्या करने का दोषी ठहराया गया। विश्वराजन ने जो गुनाह किया, वह भले कितना गंभीर हो, लेकिन उसकी जिंदगी लंबी रहेगी, क्योंकि अब वह मौत का इंतजार करेगा। वह दया के लिए गुहार लगा सकता है। वह इंतजार और भी लंबा होगा। ‘अगर सजा-ए-मौत पाए किसी मुजरिम को लंबे समय तक कालकोठरी में रखा जाता है, तो इसका यह मतलब हुआ कि उसे अतिरिक्त सजा दी जा रही है। एक सजा-ए-मौत, और दूसरे कालकोठरी में बिताए दिन। किसी भी मुजरिम को एक जुर्म के लिए दो सजाएं नहीं दी जा सकतीं’ : राम जेठमलानी, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीमकोर्ट ‘1990 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबित दया याचिकाओं पर दो साल के भीतर फैसला करने को लेकर राष्ट्रपति को बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हर मामले में सबूत अलग-अलग होते हैं’ : केटीएस तुलसी, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीमकोर्ट

पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला आज

पदोन्नति में आरक्षण पर फैसला आज

जयपुर । पदोन्नति में आरक्षण मामले में तत्कालीन मुख्य सचिव सलाउद्दीन अहमद व तत्कालीन प्रमुख कार्मिक सचिव खेमराज की अपील पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा।

इधर, मंगलवार को समता आंदोलन समिति की ओर से पांच माह से लम्बित इस अपील पर कोर्ट का ध्यान दिलाते हुए प्रार्थना पत्र पेश करने की अनुमति चाही गई थी, इस पर कोर्ट ने कहा था कि जल्द फैसला आने वाला है। बुधवार को न्यायाधीश अल्तमस कबीर व जे. चेलमेश्वर की खण्डपीठ के सामने यह अपील कॉज लिस्ट में सबसे ऊपर है।

अब सोनिया जाएंगी मदरामपुरा

अब सोनिया जाएंगी मदरामपुरा

जयपुर। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी गुरूवार को बाड़मेर के साथ ही अब जयपुर दौरे पर भी आएंगी। वे यहां अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्र मदरामपुरा का दौरा करेंगी। उनका विस्तृत कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है।

मंगलवार शाम राज्य सरकार व प्रदेश कांग्रेस को खबर मिली कि 30 अगस्त को बाड़मेर आ रहीं सोनिया गांधी दिल्ली वापसी के दौरान जयपुर रूक कर अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेंगी। इस खबर से शासन-प्रशासन में खलबली मच गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तुरत-फुरत अफसरों की बैठक कर सोनिया के जयपुर दौरे की तैयारियों तथा प्रभावित इलाकों में राहत कार्य पर चर्चा की। मुख्यमंत्री लगातार बैठक कर अतिवृष्टि प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यो की समीक्षा करते रहे हैं। अब गहलोत बुधवार को खुद भी मदरामपुरा का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे। राज्यपाल मार्गे्रट आल्वा पहले ही इस क्षेत्र का दौरा कर चुकी हैं।


जयपुर में 21 अगस्त की रात हुई भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने थे, जिसमें 10 जनों की मौत हो गई थी। बस्तियों में पानी भर जाने से हजारों लोग बेघर हो गए थे। इस दौरान प्रशासन के इन्तजाम नाकाफी साबित हुए थे। इस स्थिति से चिन्तित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 22 अगस्त को मुख्यमंत्री गहलोत से फोन पर बातचीत कर हालात की जानकारी की थी।

इस बीच मंगलवार देर रात सांसद महेश जोशी और पुलिस के वरिष अफसरों ने मदरामपुरा जाकर वहां के हालात और सोनिया के दौरे की तैयारियों का जायजा लिया।

यह रहेगा कार्यक्रम
जानकारी के अनुसार सोनिया गांधी विमान से दिल्ली से सीधे बाड़मेर पहुंचेंगी। वहां वे आदर्श स्टेडियम में बाड़मेर लिफ्ट परियोजना का उद्घाटन तथा आम सभा को सम्बोधित भी करेंगी। इसके बाद में जयपुर पहुंचेगी। इधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चन्द्रभान सहित पार्टी के अन्य पदाधिकारी व नेता सोनिया गांधी के सांगानेर हवाई अaे पर पहुंचने पर स्वागत करेंगे। इस दौरे पर मुख्यमंत्री गहलोत व प्रदेश अध्यक्ष चंद्रभान सोनिया गांधी के साथ ही रहेंगे।

बिना अनुमति के पाक सांसद के दौरे पर जताई नाराजगी

बिना अनुमति के पाक सांसद के दौरे पर जताई नाराजगी

जैसलमेर। पाकिस्तान के मनोनीत संसद सदस्य मोहम्मद अब्दुल सत्तार शेख के गत दिनों बिना पूर्वानुमति के जैसलमेर जिले के प्रतिबंधित थाना क्षेत्रों में पहुंचने के मामले पर सीमाजन कल्याण समिति ने कड़ी नाराजगी जताते हुए इस संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित किया है।

समिति के जिला मंत्री शरद व्यास ने बताया कि समिति के प्रतिनिधिमंडल द्वारा आज इस संबंध में जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। प्रतिनिधिमंडल में व्यास के साथ समिति के मुरलीधर खत्री और भीखसिंह भाटी शामिल थे। ज्ञापन में कहा गया कि सीमावर्ती जैसलमेर जिले में मोहनगढ़, नाचना आदि प्रतिबंधित थाना क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में जाने के लिए विदेशी नागरिक तो दूर, जिले के मूल निवासियों और भारतीय नागरिकों तक को प्रशासनिक पूर्वानुमति लेनी अनिवार्य है। समिति ने बताया कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के मनोनीत संसद सदस्य मोहम्मद अब्दुल सत्तार शेख गत 26 -27 अगस्त को वीजा नियमों का उल्लंघन करते हुए जैसलमेर के प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंच गए। पाकिस्तानी नागरिक की जिले की यात्रा पूर्णतया नियम विरूद्ध है। यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था के हितों के भी प्रतिकूल है।


व्यास ने बताया कि समिति ने मांग की है कि पाकिस्तानी संसद सदस्य के जैसलमेर जिले के प्रतिबंधित क्षेत्र में भ्रमण पर आने के संबंध में जिन जिम्मेदार अधिकारियों ने लापरवाही बरती, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।

साथ ही समिति ने भविष्य में विदेशी नागरिकों की इस तरह नियम विरूद्ध यात्रा न हो, इसके लिए प्रशासन व पुलिस को आवश्यक निर्देश जारी करवाने की मांग मुख्यमंत्री से की है।

चप्पा-चप्पा चाक चौबंद

चप्पा-चप्पा चाक चौबंद

बाड़मेर। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के 30 अगस्त को प्रस्तावित बाड़मेर दौरे को लेकर युद्धस्तर पर तैयारियां प्रारंभ हो गई। आदर्श स्टेडियम में होने वाली सभा के लिए राज्यभर से प्रशासन और पुलिस के अधिकारी पहुंच चुके हैं। मंत्रियों व कांग्रेस के विभिन्न पदाधिकारियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। सुरक्षा के विशेष बंदोबस्त के लिए पुलिस के साथ एसपीजी भी पहुंच चुकी है। स्टेडियम में करीब एक लाख लोगों के बैठने का इंतजाम किया गया है। वाटर प्रुफ टैंट लग रहा है। इसके ठीक सामने संबोधन के लिए मंच तैयार किया जा रहा है।

सभा में ही उद्घाटन!
जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान, सांसद हरीश चौधरी, पुलिस अधीक्षक बाड़मेर राहुल बारहट ने मंगलवार शाम को यहां व्यवस्थाओं का जायजा लिया। यहां पर एक पटि्टका लगाई जा रही है। बताया जा रहा है कि सोनिया गांधी बाड़मेर लिफ्ट कैनाल की पटि्टका का यहीं पर अनावरण करेंगी और बाद में इस पटि्टका को नियत स्थल पर लगाया जाएगा।
बाड़मेर पहुंचा लवाजमा
पुलिस का राज्यभर से लवाजमा बाड़मेर पहुंचा है। विशेष कमांडो दस्ते भी आ चुके हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है जो बाड़मेर पहुंुचने वाली है। संभाग भर से पुलिस अधीक्षकों के अलावा कई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और अन्य उच्चाधिकारी बुधवार को पहुंचेंगे।

नेताओं के आने का सिलसिला जारी
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव अरूण यादव मंगलवार को बाड़मेर पहुंचे हैं। इसके अलावा बी डी कल्ला, महेन्द्रजीतसिंह मालवीय, जोधपुर सांसद चन्द्रेश कुमारी, करणसिंह यादव, विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा सहित कई नेताओं के देर रात को पहुंचने की सूचना है। सर्किट हाऊस, डाक बंगलो सहित शहर के अधिकांश होटलों में कमरे बुक हो गए है। इनको ठहराने के लिए इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है।

शक्ति प्रदर्शन की तैयारी
सारे कार्यक्रम की कमान सांसद हरीश चौधरी ने संभाली है। सारे विधायकों को अपने क्षेत्र से लोगों को लाना है। इसके अलावा कांगेे्रस के अन्य वरिष्ठ नेता भी अपने शक्ति प्रदर्शन की तैयारी में लगे हुए है। हजारों की संख्या में लोगों को लाने की रणनीति तय की गई है।

लालबत्तियों की कतार
बाड़मेर में लाल बत्तियों की कतार लग गई है। पुलिस, प्रशासन, जनप्रतिनिधि इतनी बड़ी संख्या में पहुंचे है कि लालबत्तियों की कतार लग गई है।

होडिंüग की होड़
शहर में इसको लेकर बड़े बड़े होर्डिग तैयार किए गए है, जो मुख्य स्थलों पर लगने लगे है। आदर्श स्टेडियम में भी बड़े होर्डिंग सभा स्थल के ईर्दगिर्द लगने प्रारंभ हो गए है।

पूरी रोड कवर
उत्तरलाई से बाड़मेर आदर्श स्टेडियम तक पुलिस ने पूरी रोड को कवर करना शुरू कर दिया है। साथ ही शहर के मुख्य चौराहों, सर्किट हाऊस, बाजार और आदर्श स्टेडियम के इर्दगिर्द सैकड़ों की संख्या में पुलिस कर्मी तैनात करने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है।

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

करौली से हथियार तस्कर गिरफ्तार

करौली से हथियार तस्कर गिरफ्तार

जयपुर। राजस्थान के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप(एसओजी) ने मंगलवार को करौली से एक हथियार तस्कर को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से दस पिस्टल और चार कारतूस बरामद किए हैं। पुलिस गिरफ्तार अभियुक्त से पूछताछ कर उसके साथियों की तलाश में लगातार दबिश दे रही है।

एसओजी के डीआईजी विशाल बंसल ने बताया कि करौली में हथियारों की बड़ी डील होने की जानकारी मिली थी। इस पर एसओजी ने करौली बस स्टैंड के आस-पास अपना जाल बिछा लिया। संदेह के आधार पर पुलिस ने एक युवक को पकड़ कर तलाशी ली। एसओजी ने युवक के बैग से दस पिस्टल और चार जिंदा कारतूस बरामद किए।

बंसल के मुताबिक गिरफ्तार तस्कर सलीम मुरैना के औरा गांव का रहने वाला है। एसओजी सलीम से हथियार खरीदने वालों की भी जानकारी ले रही है। इस मामले में पुलिस ने करौली को दो युवकों को भी पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है।

बीकानेर में मेला देखने गई लड़कियों की मौत

बीकानेर में मेला देखने गई लड़कियों की मौत

बीकानेर। बीकानेर के नजदीकी गांव सुजानदेसर में रामदेवजी का मेला देखने गई एक ही परिवार की दो लड़कियां मंगलवार को मृत मिली। मंगलवार की सुबह पुलिस ने गांव के बाहर ईट के भट्टों पर तालाब से मदीना(20) और मुस्कान(05) के तैरते हुए शव बरामद किए। पुलिस ने पोस्टमार्डम करवा शव परिवारजनों को सौंप दिए हैं। प्रथम दृष्टिया इसे दुर्घटना माना जा रहा है।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार मृत दोनों लड़कियों चचेरी बहनें थी और रविवार को बीकानेर से करीब 7 किलोमीटर दूर उदयरामसर गांव से रामदेवजी का मेला देखने करीबी गांव सुजानदेसर गई थी। रात को देर होने के कारण रात को अपने रिश्तेदारों के यहां वहीं ठहर गई। लेकिन सुबह उनको नदारद देखकर रिश्तेदारों ने तलाश की लेकिन असफल रहे। पुलिस में सूचना देने पर सोमवार सुबह से गांव के आस-पास तलाश की गई। गांव के बाहर तालाब पर उनकी चप्पल मिलने पर तालाब में उनकी तलाश की गई लेकिन सोमवार देर रात तक सफलता नहीं मिली। 24 घंटे बाद मंगलवार सुबह उनके शव पानी पर तैरते हुए नजर आए।

जानकारी के अनुसार मारी जाने वाली दोनों चचेरी बहनों में से बड़ी मदीना पांच भाई-बहनों मे सबसे बड़ी थी और 3 महीने पहले ही पनतालसर में उसकी शादी हुई थी। उधर,दो भाईयों की इकलौती बहन 5 साल की मुस्कान भी इस हादसे का शिकार बन गई। गांव वालों के अनुसार दोनों सोमवार सुबह शौच के लिए बाहर निकली थी लेकिन छोड़ी बहन को डूबते देख मदीना भी पानी में उतर गई और दोनों पानी में डूब गई।

अधूरी लिफ्ट योजना का उदघाटन करेगी सोनिया गाँधी

अधूरी लिफ्ट योजना का उदघाटन करेगी सोनिया गाँधी
चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर। वर्षो से पीने के पानी की किल्‍लत झेल रहे बाड़मेर के लोगों को मीठा पानी पिलाने के लिए बनाई गई बाड़मेर लिफ्ट केनाल परियोजना के प्रथम चरण का कार्य अब भी अधुरा है, दुसरे चरण के लिए तैयारियां शुरू कर दी गयी है और तीसरे चरण के लिए सर्वे रिपोर्ट का आना अभी बाकी है। सीधे शब्‍दों में बाड़मेर लिफ्ट केनाल परियोजना के लिए 1992 में दिए गए प्रस्‍ताव के प्रथम चरण का काम ही 2012 के अंत तक पूरा होगा। बावजूद इसके, ऐसी आधी अधुरी परियोजना का उदघाटन करने कांग्रेस की अध्‍यक्षा सोनिया गांधी आगामी 30 अगस्‍त को बाड़मेर आ रही है।



राजस्‍थान में अगले साल चुनाव होने वाले है और चुनावों से कुछ समय पहले आचार संहिता लागू हो जाती है। लिहाजा झुठी ही सही वाह‑वाही लुटने के लिए सरकार आधी अधुरी परियोजना का उदघाटन कराने के लिए उतावली हो रही है।



योजना में अधुरा क्या हें


इस योजना में बाड़मेर तक एक सौ चौतीस किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई जानी थी जो एक सौ बीस किलोमीटर ही बिछाई गई हें शेष कार्य मार्च २०१३ तक पूर्ण करने का दावा आर यु दी पि विभाग ने किया हें वही इस योजना में दस जलाशयों का निर्माण किया जाना था जिसमे से मात्र चार का ही निर्माण किया हें शेष छः अभी बाकी हें ,इस योजना के तहत लाभान्वित गाँवो में जी एज आर का निर्माण भी अभी नहीं कराये गए हें ,इस योजना में बाड़मेर शहर के प्रत्येक घर में मीठे पानी के लिए अलग से कनेक्सन दिया जाना था मगर शहर में आज भी पुरानी पाइप लाइन से पानी सप्लाय किया जा रहा हें ,




योजना का प्रारूप

बाड़मेर के पूर्व कांग्रेसी विधायक वृद्विचंद जैन्‍ ने 1992 में बाड़मेर के लोगों को मीठा और शुद्व पानी पिलाने के लिए जैसलमेर के मोहनगढ़ से इन्दिरा गांधी केनाल से पानी लिफट करवाकर बाड़मेर तक पहुंचाने के लिए एक प्रस्‍ताव तत्‍कालीन भैरोसिंह सरकार को भेजा था।

करीब छ: साल तक ठण्‍डे बस्‍ते में रहने के बाद 1998 में गहलोतनीत कांग्रेस सरकार ने राज्‍य की नीति निर्धारण कमेटी की 145 वीं बैठक में उस प्रस्‍ताव को स्‍वीकृति प्रदान करते हुए बाड़मेर लिफट केनाल परियोजना के लिए 424.91 करोड़ रूपए का प्रावधान किया। अपनी पिछली सरकार के कार्यकाल में गहलोत ने साल 2002 में बाड़मेर में इस योजना का शिलान्‍यास भी किया था। 2003 में गहलोत की सरकार जाते ही यह परियोजना फिर से ठण्‍डे बस्‍ते में चली गयी।


2007 में तत्‍कालीन वसुंधरा सरकार ने नए सिरे से दुसरे स्‍थान पर योजना को शिलान्‍यास किया और इसके लिए 113 करोड़ रूपए के बजट की पहली किश्‍त जारी की। इसके बाद गहलोत सरकार के मौजुदा कार्यकाल में योजना के बजट आवंटित होता रहा और अब जब राज्‍य में अगले साल चुनाव होने वाले है 1998 में स्‍वीकृत हुई इस परियोजना के प्रथम चरण का कार्य पूरा होने पर है।



क्‍या है योजना

वर्ष 2036 मे बाड़मेर और जैसलमेर जिले के 691 गांवों और 3880 ढाणीयां की 15.65 लाख की आबादी के लिये कुल 172 एम.एल.डी. पानी की व्‍यवस्‍था की जाएगी, जिसमें 120 एम.एल.डी. पानी की आपूर्ति गांव‑ढाणियों के लिए और 52 एम.एल.डी. पानी आर्मी और सीमा सुरक्षा बल के लोगों के होगा। योजना के तहत जैसलमेर जिले के 162 गांवों की कुल 104933 आबादी, बाड़मेर शहर और बाड़मेर के 529 गांवों की कुल 495454 आबादी के लिए पीने के पानी की व्‍यवस्‍था की जाएगी।


योजना के प्रथम चरण के पहले भाग के काम के लिए 18 महीने के निर्धारित अवधि के बावजूद ही 36 महीने का अतिरिक्‍त समय दिया गया। बावजूद इसके अब भी प्रथम चरण कुछ काम अब भी अधुरा है। परियोजना अधिकारियों के मुताबिक योजना के प्रथम चरण के लिए 265 करोड़ का वर्क आर्डर एलएण्‍डटी को मार्च 2008 में दिया गया। यह काम 9 अक्‍टूबर 2009 तक कुल 18 माह में पूरा होना था, लेकिन समय पर काम पूरा ना होने के कारण इसकी अवधि 30 अप्रेल 2012 तक के लिए बढ़ा दी गयी।

प्रथम चरण के भाग दो की हालत भी कुछ ऐसी ही रही। 370 करोड़ रूपए की लागत के भाग दो का काम भी मार्च 2008 में वर्क आर्डर जारी होने के बाद अक्‍टूबर 2009 तक कुल 18 माह में पूरा होना था, लेकिन समय पर काम पूरा ना होने के कारण इसकी अवधि भी 30 जून 2012 तक के लिए बढ़ाई गयी।



रेलवे और डिस्‍काम का काम भी अधुरा

योजना के प्रथम चरण में रेलवे और डिस्‍काम को भी कुछ काम आवंटित किया गया था। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक काम प्रगति पर है और जल्‍द ही पूरा होगा।



रक्षा संस्थानों के लिए काम बाकी

विभागीय अधिकारियों के मुताबिक योजना से बाड़मेर के रक्षा संस्थानों को जलपुर्ति हेतु 20.04.2011 टेण्‍डर कर दिए गए थे और काम प्रगति पर है।



फैक्‍ट फाइल :

विभाग को अब भी परियोजना के प्रथम चरण को पूर्ण करने के लिये रक्षा विभाग से रू 57.37 करोड की राशि प्राप्त करनी है। प्रथम चरण के पूर्ण होने के पश्चात् बाड़मेर शहर, मुख्य पाईप लाईन के आस-पास के 74 राजस्व गांव तथा जैसलमेर जिले में आर्मी क्षैत्र की जलापूर्ति हो सकेगी।



पी.पी.सी. की 27.10.11 को आयोजित 187वीं बैठक में बाडमेर लिफ्ट् परियोजना के द्वितीय चरण के पार्ट अ के लिए 202.36 करोड़ रु. की प्रषासनिक व वित्तिय स्वीकृति प्रदान की गयी। इससे चरण के बाद बाड़मेर के 172 गांवों को मीठा पानी मिलेगा। मामलें का दिलचस्‍प पहलु यह है कि योजना के द्वितीय चरण के लिए भूमि अवाप्‍त करने का काम अब भी बाकी है।



परियोजना के तीसरे चरण का सर्वे अब शुरू होगा और इसके लिए 156 लाख की स्वीकृति मिली है। योजना के कुल 691 गांवों को लाभान्वित करने हेतु 797.75 करोड के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गये है।

बाड़मेर लिफ्ट केनाल का नाम पूर्व सांसद तन सिंह के नाम करने की मांग

बाड़मेर लिफ्ट केनाल का नाम पूर्व सांसद तन सिंह के नाम करने की मांग


मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपा


बाड़मेर मोहनगढ़ बाड़मेर लिफ्ट केनाल परियोजना का नाम पूर्व सांसद तन सिंह के नाम करने को लेरकर राजपूत युवा संगठन बाड़मेर ने मंगलवार को जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा .मंगलवार को राजपूत युवा संगठन ने संग सिंह लुनु के नेतृत्व में मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सुपुर्द किया ,ज्ञापन देने राजपूत समाज के सेकड़ो लोग उपस्थित थे .,ज्ञापन में लिखा हें की पूर्व सांसद तन सिंह का बाड़मेर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा हें .तन सिंह दो बार विधायक भी रहे हें साथ ही क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक भी हें ,इस संगठन के माध्यम से विभिन्न समाजो में सामाजिक जागरूकता का कार्य कराये जा रहे हें ,ज्ञापन में लिखा हें की तन सिंह नगर पालिका के प्रथम अध्यक्ष रहने साथ उच्च कोटि के वकील ,साहित्यकार ,कवी तथा लेखक भी थे ,उन्होंने बाड़मेर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई .मोहन गढ़ बाड़मेर लिफ्ट केनाल का नाम पूर्व सांसद तन सिंह के नाम किया जाये ,ज्ञापन में लिखा हें की बाड़मेर की आम जनता की मंशा अनुरूप केनाल का नाम तन सिंह के नाम किया जाये .ज्ञापन देने भीम सिंह सोधा ,राय सिंह बाखासर ,रिड़मल सिंह दांता ,पहाड़ सिंह तिबनियार ,मांग सिंह लुणु ,खुमान सिंह सोढा ,दीप सिंह रणधा ,भाखर सिंह गोरडिया ,मान सिंह दुधोदा ,छात्र संघ अध्यक्ष रघुवीर सिंह तामलोर ,किशोर सिंह कानोड़ ,उदय भान सिंह ,महावीर सिंह चुली ,विक्रम सिंह चुली ,सवरूप सिंह भदरू ,कैलाश सिंह कोटडिया ,डूंगर सिंह गोरडिया ,गोपाल सिंह रावलोत ,मनमोहन सिंह ,महेंद्र सिंह तारातरा ,रमेश सिंह इन्दा ,लूण सिंह महाबार ,गिरधर सिंह उन्डू ,रतन सिंह चुली ,विक्रम सिंह आंटा ,भोम सिंह बलाई ,कल्याण सिंह चुली ,मोखम सिंह गोरडिया ,भगवान् सिंह झिन्झानियाली ,जीतेन्द्र सिंह फलसुंड ,प्रेम सिंह आगोर ,हठे सिंह रामदेरिया ,कमल सिंह खारिया ,सहित राजपूत समाज के सेकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित थे ,

13 साल से पाकिस्तानी पति की कैद में है भारत की शिर्ले

बुर्के में महिला 

कराची।। पाकिस्तानी प्रेमी से शादी करने के लिए शिर्ले ने घर, देश और मजहब तक छोड़ दिया लेकिन बदले में मिली जिल्लत भरी कैद की जिंदगी। उसके पति ने उसे 13 साल से पाकिस्तान में अपने घर की छत पर बने एक छोटे से कमरे में बंद करके रखा है। अब वहां के मानवाधिकार आयोग के प्रयासों से शिर्ले के भारत लौटने की हसरत पूरी होने की उम्मीद जगी है।

शिर्ले की वर्ष 1997 में गुजरात के अहमदाबाद में एक पाकिस्तानी साहूकार गुल मोहम्मद से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। शिर्ले ने अपना नाम बदलकर शबनम गुल खान रख लिया था और वह अपनी नवजात बेटी के साथ छह महीने के वीजा पर 2000 में पाकिस्तान आ गई थी। उस समय गुल मोहम्मद ने कहा था कि वे उसके परिवार से मिलने पाकिस्तान जा रहे हैं और छह महीनों में भारत लौट आएंगे।

शिर्ले ने 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' से कहा कि कराची पहुंचकर उस समय हैरान रह गई, जब वह खान की पहली पत्नी और उनके छह बच्चों से मिली। उसका भारतीय पासपोर्ट छीन लिया गया और बुर्का पहनाकर घर की छत पर एक कमरे में बंद कर दिया गया। तब से वह मकान के ऊपरी मंजिल पर स्थित कमरे में ही बंद है। उसे किसी से मिलने नहीं दिया जाता। जब यह मामला सामने आया तो पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग और सामाजिक कार्यकर्ता अस्मा जहांगीरव अंसार बर्नी मदद के लिए आगे आए।आयोग के सदस्य अब्दुल हई और बर्नी ने बताया कि अहमदाबाद स्थित उसके परिवार ने शबनम की रिहाई के लिए उनसे मदद मांगी है। इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिये ही शिर्ले बाहरी दुनिया से जुड़ी है। उसने अखबार को बताया कि उसकी जिंदगी नरक हो गई है। कई सालों से वह कमरे से बाहर नहीं निकली है। अब वह अपने घर लौटना चाहती है। उसकी बच्ची को भी स्कूलों नहीं भेजा जाता। मां-बेटी की डंडे से पिटाई की जाती है।

शिर्ले ने कहा कि अपने परिवार वालों से भी वह बातचीत पति के सामने ही कर सकती थी। इस कारण उन्हें कुछ नहीं बोल पाती थी। कुछ महीने पहले किसी तरह अकेले में वह अपने परिवार से बात कर पाई और सारी व्यथा उन्हें बता दी। इसके बाद उसके परिवार ने उसकी भारत वापसी के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव, पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त और मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर को पत्र लिखा है। इस बीच, स्थानीय पुलिस ने गुल और उसकी पत्नी से पूछताछ की है।

सोनिया का बाड़मेर दौरा कल, पीले चावल बांटकर दिया न्‍यौता


सोनिया का बाड़मेर दौरा कल, पीले चावल बांटकर दिया न्‍यौता

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बाड़मेर। बाड़मेर लिफ्ट केनाल परियोजना का उद्घाटन करने गुरूवार को बाड़मेर आ रही कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी के दौरे के मदे्नजर कांग्रेसी नेताओं ने पीले चावल बांटकर लोगों को कार्यक्रम में आने का न्‍यौता दिया।

जिला कांग्रेस कमेटी के उपाध्‍यक्ष एडवोकेट यज्ञदत्‍त जोशी ने बताया कि मंगलवार को विधि प्रकोष्‍ठ के अध्‍यक्ष सोहनालाल चौधरी सहित कई कांग्रेसी नेताओं ने उत्‍तरलाई, कवास, सर का पार,नागाणा, मुढ़ों की ढाणी, नागाणा और लाखेटाली गांवों का दौरा कर लोगों को पीले चावल बांटकर सोनिया गांधी की प्रस्‍तावित आम सभा में आने का न्‍यौता दिया।

जोशी ने कहा कि बाड़मेर जिले की पेयजल समस्‍या का समाधान करने वाली सबसे महत्‍वपूर्ण योजना का उद्घाटन एक ऐतिहासिक मौका है और इस मौके पर कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी का बाड़मेर आना सौभाग्‍य की बात है। इस दौरे में जगदीश जाखड़, मेवाराम सोनी, गुमनाराम डउकिया,मोहन मेघवाल, लखाना खान, गोर्वद्वन माली, चेतन माली सहित कई लोग शामिल रहे।

गहलोत का भविष्य टिका हें सोनिया गाँधी की रेली पर

गहलोत का भविष्य टिका हें सोनिया गाँधी की रेली पर


बाड़मेर कांग्रेस की अध्यक्ष और यु पि ए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी का तीस अगस्त का राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर का दौरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए महत्वपूर्ण मन जा रहा हें .लम्बे अरसे बाद सोनिया गांधी राजस्थान आ रही हें ,बाड़मेर जिले में पेयजल योजना का उद्घाटन करेगी सोनिया .सोनिया गाँधी के दौरे को सफल बनाने के लिए अशोक गहलोत ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी .गहलोत को करीब एक लाख की भीड़ एकत्रित करनी हे जो मौजूदा समय में किसी चुनौती से कम नहीं हें ,गहलोत राज्य में असंतुष्टो द्वारा उनके खिलाफ किये जा रहे बार बार अभियान और राज्य में गहलोत की पकड़ ढीली होने जैसे बयानों का जवाब देने के लिए इससे उपयुक्त मौका नहीं मिल सकता .अशोक गहलोत जानते हें की असंतुष्टो की गतिविधियों से उनकी छवि आलाकमान के समक्ष काफी हद तक प्रभावित हुई हें ,गहलोत इस रेली के माध्यम से राज्य में जनता पर अपनी पकड़ साबित करने के लिए स्थानीय विधायको तथा सांसद को ख़ास जिम्मेदारी सौंपी हें ,इन विधायको में सबसे अधिक असंतुष्ट और चर्चित विधायक कर्नल सोना राम भी शामिल हें ,सोनिया गांधी के दौरे का सोना राम ने विरोध किया था ,बात समाचार पत्रों तक गई तब कांग्रेस महासचिव अहमद पटेल ने सोनाराम को समझाईस कर सोनिया गाँधी के दौरे को सफल बनाने के निर्देश दिए तब जाकर सोनाराम सोनिया की रेली की तयारी में जुटे .गहलोत के मंत्रिमंडल के दो सदस्य भी बाड़मेर जिले से हें हेमाराम चौधरी और अमीन खान ,दोना अपने समाजो में अच्छी पकड़ रखते हें ,गहलोत सोनिया की रेली में लोगो की तादाद एक लाख के पर पंहुचा कर सोनिया के समक्ष अपनी ताकत दिखाना चाहते हें ,की असंतुष्टो की बातो में दम नहीं हें ,मगर स्वयं अशोक गहलोत की तीन दिन पूर्व बाड़मेर में उसी स्थान पर आम सभा का आयोजन किया गया था जहा सोनिया की सभा राखी जा रही वहा उस वक़्त महज हज़ार पन्द्र सौ लोग ही आये उसमे भी अधिकांस अधिकारी कर्मचारी थे ,इतमी कम भीड़ ने अशोक गहलोत के माथे पर चिंता की लकीरे जरुर खींच दी हें ,गहलोत ने अपने पुरे प्रशासन को सोनिया की रेली सफल बनाने में झोंक दिया हें ,इसके बावजूद रेली को लखी बना पाएंगे इसमे शक हें ,रेली में भीड़ कम हुई तो उसका खामियाजा अशोक गहलोत को भुगतना पड़ सकता हें

सोनिया गांधी के लिए 1600 बसें!

 

नेताओं की सफल रैलियों के पीछे आम आदमी को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है उसका जीता जागता उदाहरण आपके सामने है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 30 अगस्त को राजस्थान के सीमावर्ती जिले बाड़मेर के दौर पर हैं. क्योंकि वहां सरकार भी कांग्रेस की ही है इसलिए वहां उनके दौरे को सफल बनाने के लिए जी जान से कोशिश की जा रही है. परिवहन विभाग को मुख्यमंत्री कार्यालय से सख्त निर्देश दिये गये हैं कि सारे काम छोड़कर जितनी बसें हैं वे सब भीड़ जुटाने के लिए इस्तेमाल की जाएं. बाड़मेर में प्रस्तावित सोनिया गांधी की सभा में भीड़ जुटाने के लिए परिवहन विभाग को करीब एक हजार 6 सौ बसें उपलब्ध करवानी है.

इसलिए इन दिनों परिवहन विभाग के ज्यादातर अधिकारी सारे काम छोड़कर सोनिया गांधी के बाड़मेर दौरे के लिए बसों का इंतजाम करने में लगे हैं। विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि सोमवार दोपहर को उन्हें जानकारी मिली कि सोनिया गांधी की बाड़मेर में प्रस्तावित आम सभा में बसों की व्यवस्था करनी है। दर्जनों बसों की बात हो तो व्यवस्था करने में आसानी रहती लेकिन यहां एक हजार बसों की व्यवस्था करनी है जो कि मुश्किल कार्य है.

प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से दौ सौ बसों का लक्ष्य
यूपीए अध्यक्षा सोनिया गाँधी के दौरे में एक लाख की भीड़ एकत्रित करने का लक्ष्य हें जिसमे बाड़मेर जिले की सात विधानसभाओ में प्रत्येक विधानसभा से दो सौ बसे लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं जैसलमेर से बीस हज़ार, जालोर सिरोही जोधपुर, पाली से करीब तीस हज़ार लोगो को लाने के प्रबंध किये जा रहे है, इतनी बड़ी संख्या में बसे नहीं मिल रही.

भीड़ कम होने की आशंका
हाल ही में हुई बारिश के बाद ग्रामीण लोग अपने खेतो में जुटे हैं, खेतों का काम छोड़कर किसान और ग्रामीणों के आने की संभावना कम है. दो रोज पूर्व मुख्यमंत्री की आदर्श स्टेडियम में आमसभा रखी थी जिसमे बमुश्किल हज़ार लोग पहुंचे, इस सभा में कम भीड़ देख मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का माथा ठनक गया, उन्होंने बसों की व्यवस्था से लेकर भीड़ जुटाने का काम की कमान अपने हाथ में ले ली.

लाख नहीं दो लाख की भीड़ करो।
श्रीमती सोनिया गांधी के तीस अगस्त को दौरे को लेकर स्थानीय नेता एक लाख की भीड़ करने का दम भर रहे थे मगर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डॉ चन्द्रभान ने कहा की भीड़ एक लाख की नहीं दो लाख की करनी है, चंद्रभान के इस बयां ने स्थानीय नेताओ की नींद उड़ा दी ,क्योंकि भीड़ जुटाने वाले नेता को ही विधानसभा चुनाव में टिकेक मिलेगी.

कहां से कितनी बसें
आधिकारिक तौर पर अधिकारियों ने बताया कि एक हजार छः सौ बसें जोधपुर संभाग के परिवहन अधिकारियों को जुटानी हैं। इसमें जोधपुर कार्यालय को अनुमानित 600 बसें, पाली को 200 बसें, बाड़मेर को 600 बसें और जालोर, सिरोही व जैसलमेर कार्यालय को 600 बसों की व्यवस्था करने को कहा गया है। ज्यादातर अधिकारी इस काम में लगने से परिवहन विभाग का निरीक्षण, परमिट, लाइसेंस और राजस्व संग्रहण का कार्य प्रभावित हो रहा है.

कहां से लाएं इतनी बसें
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर संभाग के सभी जिलों के जिला परिवहन अधिकारी, निरीक्षक और उप निरीक्षक सारे काम छोड़कर बसों की व्यवस्था करने में लगे हैं। परेशानी यह है कि बसों के बदले बस संचालकों को नाममात्र के तेल के दाम दिए जाएंगे। ऐसे में मैंटेनेस सहित अन्य खर्चो का भुगतान नहीं होने से बस संचालक बसें लगाने के लिए राजी नहीं हो रहे हैं.

महिलाओं ने कर दी मंत्रीजी की धुनाई

महिलाओं ने कर दी मंत्रीजी की धुनाई

नागपुर। बलात्कार की शिकार महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी महाराष्ट्र के मंत्री लक्ष्मणराव धोबले को भारी पड़ गई। महिलाओं ने मंत्री महोदय की धुनाई कर दी।

एनसीपी नेता वाटर सप्लाई और सैनिटेशन मिनिस्टर पर चप्पल तक फेंकी गई। वे खुद भी दलित हैं। नागपुर में हो रहे अन्नाभाऊ साठे साहित्य सम्मेलन के दौरान ढोबले ने रविवार शाम कहा, बलात्कार पीडिताओं के लिए धरना-प्रदर्शन में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मामले का वजन कम हो जाता है।

महिलाओं पर अत्याचार के मुद्दे पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, प्रदर्शन से ऎसे अपराध रूकने वाले नहीं हैं। उन्होंने बलात्कार पीडिताओं को प्रदर्शन करने के बजाए अपने बच्चों की परवरिश पर ध्यान लगाने को कहा। उन्होंने कहा, बलात्कार की शिकार महिलाओं को उचित शिक्षा दी जानी चाहिए। उन्हें कानून की शिक्षा दी जाए ताकि दोषियों को कानून के अनुसार सजा मिले। इससे वहां मौजूद महिलाएं भड़क गई। एक अखबार के अनुसार वहां अफरातफरी का महौल हो गया। ढोबले जब अपनी कार में बैठने जा रहे थे तभी महिलाओं ने उन पर हमला कर दिया और उनकी पिटाई कर दी। हालांकि वे वहां से चले गए।

वहीं ढोबले ने उन पर हमले की बात से इनकार किया है लेकिन उन्होंने बलात्कार पीडिताओं के बारे दी गई अपनी सलाह के बारे में कुछ नहीं कहा।