कराची।। पाकिस्तानी प्रेमी से शादी करने के लिए शिर्ले ने घर, देश और मजहब तक छोड़ दिया लेकिन बदले में मिली जिल्लत भरी कैद की जिंदगी। उसके पति ने उसे 13 साल से पाकिस्तान में अपने घर की छत पर बने एक छोटे से कमरे में बंद करके रखा है। अब वहां के मानवाधिकार आयोग के प्रयासों से शिर्ले के भारत लौटने की हसरत पूरी होने की उम्मीद जगी है।
शिर्ले की वर्ष 1997 में गुजरात के अहमदाबाद में एक पाकिस्तानी साहूकार गुल मोहम्मद से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली। शिर्ले ने अपना नाम बदलकर शबनम गुल खान रख लिया था और वह अपनी नवजात बेटी के साथ छह महीने के वीजा पर 2000 में पाकिस्तान आ गई थी। उस समय गुल मोहम्मद ने कहा था कि वे उसके परिवार से मिलने पाकिस्तान जा रहे हैं और छह महीनों में भारत लौट आएंगे।
शिर्ले ने 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' से कहा कि कराची पहुंचकर उस समय हैरान रह गई, जब वह खान की पहली पत्नी और उनके छह बच्चों से मिली। उसका भारतीय पासपोर्ट छीन लिया गया और बुर्का पहनाकर घर की छत पर एक कमरे में बंद कर दिया गया। तब से वह मकान के ऊपरी मंजिल पर स्थित कमरे में ही बंद है। उसे किसी से मिलने नहीं दिया जाता। जब यह मामला सामने आया तो पाकिस्तानी मानवाधिकार आयोग और सामाजिक कार्यकर्ता अस्मा जहांगीरव अंसार बर्नी मदद के लिए आगे आए।आयोग के सदस्य अब्दुल हई और बर्नी ने बताया कि अहमदाबाद स्थित उसके परिवार ने शबनम की रिहाई के लिए उनसे मदद मांगी है। इंटरनेट और मोबाइल फोन के जरिये ही शिर्ले बाहरी दुनिया से जुड़ी है। उसने अखबार को बताया कि उसकी जिंदगी नरक हो गई है। कई सालों से वह कमरे से बाहर नहीं निकली है। अब वह अपने घर लौटना चाहती है। उसकी बच्ची को भी स्कूलों नहीं भेजा जाता। मां-बेटी की डंडे से पिटाई की जाती है।
शिर्ले ने कहा कि अपने परिवार वालों से भी वह बातचीत पति के सामने ही कर सकती थी। इस कारण उन्हें कुछ नहीं बोल पाती थी। कुछ महीने पहले किसी तरह अकेले में वह अपने परिवार से बात कर पाई और सारी व्यथा उन्हें बता दी। इसके बाद उसके परिवार ने उसकी भारत वापसी के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव, पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त और मानवाधिकार कार्यकर्ता अस्मा जहांगीर को पत्र लिखा है। इस बीच, स्थानीय पुलिस ने गुल और उसकी पत्नी से पूछताछ की है।
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