शुक्रवार, 18 मार्च 2011

पाकिस्तान जाने वाले यात्रियों के वीजा व पासपोर्ट की जांच अब भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर



पाकिस्तान जाने वाले यात्रियों के वीजा व पासपोर्ट की जांच अब भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर
बाडमेर, आंतकी हमले की आशंका की वजह से थार एक्सप्रेस की सुरक्षा मजबूत करने के बारे में बीएसएफ मुख्यालय में लीड इंटेलीजेंस एजंेसीज की बैठक में मंथन किया गया। इसमें तय किया गया कि पाकिस्तान जाने वाले यात्रियों के वीजा व पासपोर्ट की जांच अब भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर होगी। जोधपुर में लिंक थार एक्सप्रेस की यार्ड में सुरक्षा मजबूत करने सहित महिला यात्रियों की जांच केबिन में करने और एक्स-रे मशीन लगाने का निर्णय भी किया गया। 

बीएसएफ राजस्थान सीमांत के आईजी केएल मीणा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में थार एक्सप्रेस की सुरक्षा को लेकर गहन विचार-विमर्श किया गया। मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा बंदोबस्त में खामियों पर चर्चा करते हुए खुफिया एजेंसियों ने यात्रियों के सामान की गहन जांच करने पर जोर दिया। साथ ही सीमा पार से थार एक्सप्रेस के भारतीय सीमा में प्रवेश करने पर मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर डॉग स्क्वायड से जांच का भी सुझाव दिया। बैठक में सहमति बनी कि यात्रियों की इमिग्रेशन जांच भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर ही की जाए, क्योंकि मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के वीजा व पासपोर्ट में गड़बड़ी पाए जाने पर उन्हें लौटाना पड़ता है। इसके लिए जोधपुर सीआईडी जोन का स्टाफ अब पाकिस्तान जाने वाले हर यात्री के वीजा व पासपोर्ट की जांच करेगा, ताकि गड़बड़ी पाए जाने पर यहीं रोक दिया जाए।

महिलाओं की जांच के लिए अलग केबिन
भगत की कोठी रेलवे स्टेशन पर महिला यात्रियों की चैकिंग खुले में करने की बजाय अलग केबिन में करने के बारे में एडीआरएम ने सहमति जताई। इसके साथ ही यात्रियों के सामान की चैकिंग के लिए जल्द ही एक्स-रे मशीन लगाने के मुद्दे पर उन्होंने बताया कि प्रस्ताव मुख्यालय भेजा हुआ और जल्द मशीन लगने की उम्मीद है। बैठक में बॉर्डर पर अवांछित गतिविधियों, सीमा पार निगरानी के लिए टॉवर बनाने और घुसपैठ के प्रयास पर खुलकर चर्चा की गई। साथ ही आंधियों के कारण तारबंदी खिसकने से घुसपैठ व तस्करी की आशंका पर विचार किया गया। बैठक में जोधपुर पुलिस कमिश्नर, एडीआरएम, आईबी, कस्टम, बीएसएफ, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, रॉ, सीआईडी सहित तमाम एजेंसियों के अधिकारियों ने भाग लिया।

जिला कलेक्टर गौरव गोयल कीबाडमेर में अनूठा आगाज एक सौ बेटियों के जन्म का ढ्रंढ महोत्सव मनाया गया।


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बेटियों की की ढ्रंढ
बाडमेर में अनूठा आगाज


बताया बेटो से बेहतर
बाडमेर, 18 मार्च। कम लिंगानुपात तथा बेटियों के प्रति उपेक्षित व्यवहार वाले बाडमेर जिले में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब होली पर ढ्रंढ  के बेटो के एकाधिकार वाले उत्सव पर बेटियों के जन्म की खुशी मनाई गई तथा बेटियों की ढ्रंढ  कर सूचना प्रौद्योगिकी के युग में पुत्री रत्न की महता जताई गई।
जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य भवन में शुक्रवार प्रातः जिला कलेक्टर गौरव गोयल की मौजूदगी में करीब एक सौ बेटियों के जन्म का ढ्रंढ  महोत्सव मनाया गया। चंग की थाप तथा थाली की झन्कार के बीच बेटियों को बेटो के समान बताया गया तथा बेटे बेटी के बीच भेदभाव को मिटाने की प्रेरणा लेने का आव्हान किया गया। इस मौके पर बेटियों का ढ्रंढ  संस्कार विधिवत रूप से किया गया और उन्हें माला पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम के दौरान 2010 में जन्मी 100 बेटियों को खिलौने, कपडे व अन्य उपहार भेट किये गये। कार्यक्रम के दौरान चंगधमाल पर गीतों से माहौल रंगीन हुआ। वहीं स्वास्थ्य भवन के मुख्य द्वार पर रंगोली उकेरी गई।
महिला आईएएस से प्रेरणा
इस मौके पर जिला कलेक्टर गोयल ने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के बेहतर प्रदार्न के उदाहरण देते हुए कहा कि उनके आईएएस के बैच में पहली बार सबसे ज्यादा लडकियां आई थी, जो बेटियों के बेहतर होने का प्रमाण है। उन्होने बालिका शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि यदि एक बेटी पती है तो दो परिवार पते है। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डां. गणपतसिंह राठौड ने कहा कि बेटियों के प्रति इस तरह के आयोजन नियमित रूप से करवाए जाएगे। महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदोक विनिता सिंह ने बेटियों के जन्म पर ढ्रंढ महोत्सव के आयोजन को अनोखा बताया। वहीं केयर्न इण्डिया की ओर से सीएसआर प्रमुख बी आर ग्वाला ने भी बेटियों को सम्मानित किया।
पिता के लिए बजी तालियां
मुख्यतः बेटियों के लिए आयोजित कन्या ढ्रंढ  महोत्सव में अधिकाश बेटियों को लेकर उनकी माताएं ही पहुंची थी। इस स्थिति को देखते हुए जिला कलेक्टर गोयल ने बेटियों के पिता के बारे मे पूछा तो वहां एक बेटी के पिता जयप्रका मौजूद थे। इस पर जिला कलेक्टर ने उनका स्वागत करते हुए ताली बजाई तो स्वास्थ्य भवन तालियों से गूंज उठा।
भविश्य मे भी होंगे आयोजन
इस कार्यक्रम का मुख्य उदृश्य जिले में गिरते लिंगानुपात को बराबर करना है। जिला कलेक्टर ने बताया कि बेटे बेटियों के बीच भेदभाव को मिटाने के लिए भविश्य मे भी इस तरह के आयोजन किए जाते रहेंगे।
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गुरुवार, 17 मार्च 2011

चार लाख के जाली नोट सहित चार गिरफ्तार


जोधपुर। शहर पुलिस ने बुधवार शाम बोरानाडा रोड, कमला नेहरू नगर हुडको क्वार्टर व कुछ अन्य क्षेत्र में दबिश देकर जाली नोट छापने के उपकरणों के साथ 4 लाख रुपए के नोट बरामद किए। इस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस उपायुक्त हरिप्रसाद शर्मा ने बताया कि बुधवार शाम मुखबिर की सूचना मिली कि बोरानाडा रोड पर पाल शिल्पग्राम क्षेत्र में मोबाइल शॉप चलाने वाला जगदीश की गतिविधियां संदिग्ध है। पुख्ता जानकारी के आधार पर सहायक पुलिस अधीक्षक हरेन्द्र कुमार के साथ चौहाबो थानाधिकारी सुरेश जांगिड़ व अन्य बाड़मेर निवासी जगदीश पुत्र प्रकाशचंद जैन की मोबाइल शॉप पर दबिश दी।

यहां से पुलिस को जाली नोट छापने के विभिन्न तरह के उपकरण बरामद हुए। जगदीश की दुकान के पास वाली गली में कारपेंटर का काम करने वाले झंवर निवासी बालाराम पुत्र देवाराम को भी गिरफ्तार किया। उससे पुलिस को जाली नोटों के साथ 7.65 एमएम के छह जिंदा कारतूस भी मिले। दोनों से की गई पूछताछ में कुछ अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी मिली।


इस आधार पर आईपीएस के साथ कांस्टेबल चंचल प्रकाश, कमरुद्दीन, स्वरूप राम, शकील व नरसिंह की टीम ने कमला नेहरू नगर हुडको क्वार्टर में दबिश दी। यहां से टीम ने बालेसर निवासी महिपाल पुत्र किशनदान और उसकी बुआ के बेटे जैसलमेर भीखोडाई निवासी महिपाल पुत्र रूपदान को गिरफ्तार कर लिया। चारों आरोपियों के कब्जे से चार लाख रुपए के जाली नोट, तीन कलर प्रिंटर सहित अन्य उपकरण बरामद किए हैं।

सवाईमाधोपुर में एसएचओ को जिंदा जलाया

सवाईमाधोपुर में एसएचओ को जिंदा जलाया

सवाईमाधोपुर। दाखादेवी हत्याकाण्ड में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए ग्रामीणों की ओर से दी गई चेतावनी की समय सीमा समाप्त होने के बाद गुरूवार को शाम 5 बजे राजस्थान ग्रामीण युवा शक्ति मोर्चा के प्रदेश संयोजक राजेश बाडोलास ने शरीर पर पेट्रोल छिड़कर आग लगाने के बाद कस्बा स्थित पानी की टंकी से छलांग लगाकर जान दे दी।

इससे गुस्साए ग्रामीणों ने दो पुलिस जीपों व बाइक को आग के हवाले कर दिया। इससे एक जीप में सवार मानटाउन थानाप्रभारी फूल मोहम्मद की जिन्दा जलने से मृत्यु हो गई। ग्रामीणों ने पथराव के आगे पुलिस बल को भागना पड़ा।

शाम करीब साढ़े छह बजे भारी संख्या में सवाईमाधोपुर से आए पुलिस बल ने हवाई फायर कर कस्बे में घुसने के बाद जीप से जला हुआ शव बरामद किया। इससे पहले बाड़ोलास व राजस्थान ग्रामीण युवा शक्ति मोर्चा के प्रदेश महासचिव बनवारी मीणा दाखादेवी हत्याकाण्ड में आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर गुरूवार सुबह 8 बजे ही कस्बे की करीब 22 मीटर ऊंची पानी की टंकी पर चढ़ गए।

वे दिनभर पुलिस प्रशासन को शाम 5 बजे तक हत्यारों को गिरफ्तार करने की बात कहते रहे। उनका कहना था कि शाम तक गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे अपनी जान दे देंगे। ये समय सीमा समाप्त होने पर बाडोलास ने बनवारी से बनियान उतरवारकर उसे पेट्रोल में भिगोने के बाद स्वयं पर उंडेल आग लगा ली। गम्भीर घायल बाडोलास
सवाईमाधोपुर अस्पताल लेकर आए, लेकिन बाडोलास ने दम तोड़ दिया।

थार महोत्सव 2011 अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार की




थार महोत्सव 2011
अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा होगी उजागरथार थार  की

बाडमेर, 17 मार्च। होली के बाद आयोजित होने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के दौरान बाडमेर की अक्षुण्ण सांस्कृतिक परम्परा को साक्षात उजागर किया जाएगा। महोत्सव के समापन पर सीतला सप्तमी को कनाना में आयोजित विख्यात परम्परागत गैर थार की अनमोल कला की कहानी कहेगी। गुरूवार को कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित बैठक में जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने महोत्सव के दौरान कार्यक्रमों में सांस्कृतिक परम्परा की झलक के साथ साथ भरपूर रोचकता एवं मनोरंजन को भी समाहित करने के निर्दो दिए है।
इस मौके पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि थार महोत्सव में रोचक एवं मनोरंजक कार्यक्रमों के जरिये अधिकाधिक लोगों को भामिल किया जाए। उन्होने 23 से 25 मार्च तक आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय थार महोत्सव के संबंध में आयोजित विभिन्न व्यवस्थाओें से जुडे अधिकारियों से अब तक की तैयारियों की समीक्षा की।
इस अवसर पर जिला कलेक्टर गोयल ने कहा कि बाडमेर जिले की कला, संस्कृति, हस्तिल्प को जग जाहिर करने तथा पर्यटन विकास के मकसद से आयोजित किए जाने वाले थार महोत्सव में सभी की भागीदारी जरूरी है। उन्होने कहा कि कार्यक्रमों को रोचक एवं मनोरंजन रूप प्रदान किया जाए तथा अधिकाधिक दोी विदोी पर्यटकों को महोत्सव में आमन्ति्रत करने के प्रयास किए जाए। इस सबंध में उन्होने व्यापक प्रचार प्रसार करने के संबंधित अधिकारियों को निर्दो दिए।
उन्होने बताया कि तीन दिवसीय थार महोत्सव का आगाज 23 मार्च को प्रातः 830 बजे निकाली जाने वाली भव्य भाोभा यात्रा के साथ होगा। भाोभा यात्रा गांधी चौक से प्रारम्भ होकर भाहर के प्रमुख मार्गो से गुजरती हुई आदार स्टेडियम पहुचेगी जहां पर विभिन्न प्रकार की विचित्र एवं रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन सायं को महाबार में पतंग प्रतियोगिता, कैमल सफारी, सांस्कृतिक संध्या एवं आतिबाजी के कार्यक्रम आयोजित किए जाएगे। वहीं 24 मार्च को प्रातः 9 से 12.00 बजे तक किराडू में सांस्कृतिक यात्रा आयोजित होगी। इसी दिन साय काल में आदार स्टेडियम में ख्यातनाम कलाकार राजा हसन द्वारा आकशर्क कार्यक्रम प्रस्तुत किया जाएगा। थार महोत्सव के आखिरी दिन 25 मार्च को बालोतरा में भाोभा यात्रा एवं विभिन्न प्रतियोगिताओं के अलावा भगत सिंह स्टेडियम में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी दिन कनाना में गैर नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा।
थार श्री तथा थार सुन्दरी के प्रतियोगिताओं के पंजीयन के लिए आवेदन उपखण्ड अधिकारी गुडामालानी मुख्यालय बाडमेर में प्रस्तुत करने होंगे। इससे पूर्व जिला कलेक्टर ने थार महोत्सव के पोस्टर का विमोचन किया। 

Holi Khele Raghuvira Baghban

मंगलवार, 15 मार्च 2011

फाग की मस्ती ,थार मरुस्थल में चंग बजने लगे



बाड़मेर[चन्दन भाटी] बाड़मेर जिले में मदोत्सव एवं रंगोत्सव की मस्ती छाई हुई हैं।आधुनिकता की दौड़के बावजूद थार मरुस्थल में लोक कला और संस्कृति से जुड़ी परम्पराओं का निर्वाह किया जा रहा हैं।ग्रामीण अंचलों में होली की धूम मची हैं।ग्रामीण अंचलों में रंगोत्सव की मदमस्ती बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों पर सूरज लते ही ग्रामीण चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।वहीं फागुनी लूर गाती महिलाओं के दल फागोत्सव के प्रति दीवानगी का एहसास कराती हैं।



सीमावर्ती बाड़मेर जिले की लोक परम्पराओं का निर्वहन ग्रामीण क्षैत्रों में आज भी हो रहा हैं।रंग और मद के इस त्यौहार के प्रति ग्रामीण अंचलों में दीवानगी बरकरार हैं।ग्रामीण चौपालों परगा्रमीणों के दल सामुहिक रुप से चंग की थाप पर फाग गीत गाते नजर आते हैं।जिले में लगातार

पड़ रहे अकाल का प्रभाव अधिक नजर नहीं आ रहा ।अलबता होली के धमाल के लिए प्रसिद्धसनावड़ा गांव के बुर्जुग रुपाराम ने बताया कि अकाल के कारण गांव के युवा रोजगार के लिए गुजरात गए हुए हैंअकाल के कारण हमारे गॉव में होली का रंग फीका नही। पडता।होली से

तीन चार रोज पूर्व रोजगार के लिए बाहर गए युवा पर्व मनाने पहफॅच जाएगे।गांव की परम्परा हैंजो हम अपने बुजुर्गों के समय से देखते आ रहे हैं।इसकी पालना होती हैं।



होली से 15 दिन पूर्व गांव में होली का आलम शुरु होता हैं।चोपाल पर शाम होते होते गांव के बडे बुड़े जवान बच्चे सभी एकत्रित हो जाते हैं।चंग बजाने वालो की थाप पर गा्रमिण सामुहिक रुप से फाग गाते हैं।वहीं गांव की महिलाए रात्री में एक जगह एकत्रित हो कर बारी बारी से घरों के आगे फाग गाती हैं।जो महिलाऐं इस दल में नहीं आती उस महिला के घर के आगे जाकर महिला दल अश्लील फाग गाती हैं,जिसे सुनकर अन्दर बैठी महिला शर्माकर दल मे शामिल हो जाती हैं।



महिलाओं द्घारा दो दल बनाकर लूर फाग गाती हैं।लूर में दोनों महिला दल आपस में गीतों के माध्यम से सवालजवाब करती हैं।लूर थार की परम्परा हैं।लुप्त हो रही लूर परम्परा सनावडा तथा सिवाना क्षैत्र के ग्रामीण अंचलों तक सिमट कर रह गई हे ।फाग गीतों के साथ साथ डाण्डिया गेर नृत्य का भी आयोजन होता हैं।भारी भरकम घुंघरु पांवों में बांध कर हाथें में आठ आठ मीटर लम्बे डाण्डियेंल करोल की थाप और थाली टंकार पर जब गेरिऐं नृत्य करते हैं तों लोक संगीत की छटा माटी की सौंधी में घुल जाती हैं। सनावडा में होली के दूसरे दिन बडे स्तर पर गेर नृत्यो का आयोजन होता हैं।जिसमें आसपास के गांवों के कई दल हिस्सा लेते हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में होली का रंग जमने लगा हैं।शहरी क्षैत्र में भी गेरियों के दल इस बार नजर आ रहे हैं।जो शहर की गलियों में चंग की थाप पर फाग गाते नजर आते हैं।

सोमवार, 14 मार्च 2011

खूबसूरत ,लाजवाब नचनिया काजल


खूबसूरत ,लाजवाब नचनिया काजल

बाडमेर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर लुणु कला गांव में मैं अपने साथी पूर्व सरपंच खमीसा खान के बच्चों की भादी में उपस्थित होने अपने मित्रों रिउमल सिंह दांता,सुरतान सिंह देवडा पाशर्द,युसुफ खान के साथ गया।वहां बेहद खूबसूरत घोडी काजल को देखा।वाकई ऐसी धोडी मैंने कभी नही देखी।क्या नाचती हैं।आधा घण्टा लगातार नाची।सादी में भामिल होने गया था,इसलिऐं वीडियों कैमरा साथ नही ले गया,मगर कैमरा किसी का उधार ले कर फोटो खींचे। देखिऐ आपने ऐसी खूबसूरत धोडी कभी देखी हेैं।सलीम भाई की इस काजल को नजर से बचाने के लिऐ काला टीका भी लगाया।

सोनिया के सलाहकारों पर बरसे कर्नल सोना राम

कांग्रेस में उपेक्षा से नाराज पार्टी के बायतु विधायक कर्नल सोना राम ने रविवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सलाहकारों पर जमकर प्रहार किया। कर्नल ने कहा कि एआईसीसी में प्रदेश से एक भी जाट नेता को शामिल नहीं किया गया। जाटों की खिलाफत कर सोनिया गांधी के सलाहकार पार्टी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं।

सोना राम ने बोरानाडा स्थित वीर तेजा मंदिर परिसर में रविवार को आयोजित सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने छुट भैय्या नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल कर रखा है जबकि कई सीनियर व काबिल विधायक मौजूद हैं। कर्नल ने कहा, ‘राज्य सरकार के मंत्रियों का कच्चा-चिट्ठा मेरे पास है। मौका आने पर मैं इसका खुलासा कर दूंगा। किसी जमाने में पार्टी में दबदबा रखने वाले विश्नोई समाज के विधायक मलखानसिंह को पार्टी ने कोने में बैठा दिया। समाजों की उपेक्षा पार्टी को आगे भारी पड़ सकती है।

वर्ष 1999 में 156 सीटें जीतने वाली पार्टी वर्ष 2004 में 56 पर सिमट गई थी। यही हाल रहा तो अगले चुनाव में यह आंकड़ा चार पर आ टिकेगा।’ कर्नल ने कहा कि कोई सोनिया गांधी से कितनी ही शिकायत कर ले, हम किसी के भरोसे राजनीति नहीं करते। उनके सुर में सुर मिलाते हुए पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सत्ता लोलुपता में कुछ लोग समाज में फूट डाल रहे हैं।

रामेश्वरम् में शिवलिंग


रामेश्वरम् में शिवलिंग 

रामेश्वरम् का मंदिर भारतीय निर्माण-कला और शिल्पकला का एक सुंदर नमूना है। इसके प्रवेश-द्वार चालीस फीट ऊंचा है। प्राकार में और मंदिर के अंदर सैकड़ौ विशाल खंभें है, जो देखने में एक-जैसे लगते है ; परंतु पास जाकर जरा बारीकी से देखा जाय तो मालूम होगा कि हर खंभे पर बेल-बूटे की अलग-अलग कारीगरी है।
रामनाथ की मूर्ति के चारों और परिक्रमा करने के लिए तीन प्राकार बने हुए है। इनमें तीसरा प्राकार सौ साल पहले पूरा हुआ। इस प्राकार की लंबाई चार सौ फुट से अधिक है। दोनों और पांच फुट ऊंचा और करीब आठ फुट चौड़ा चबूतरा बना हुआ है। चबूतरों के एक ओर पत्थर के बड़े-बड़े खंभो की लम्बी कतारे खड़ी है। प्राकार के एक सिरे पर खडे होकर देखने पर ऐसा लगता है मारो सैकड़ों तोरण-द्वार का स्वागत करने के लिए बनाए गये है। इन खंभों की अद्भुत कारीगरी देखकर विदेशी भी दंग रह जाते है। यहां का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है।
रामनाथ के मंदिर के चारों और दूर तक कोई पहाड़ नहीं है, जहां से पत्थर आसानी से लाये जा सकें। गंधमादन पर्वत तो नाममात्र का है। यह वास्तव में एक टीला है और उसमें से एक विशाल मंदिर के लिए जरूरी पत्थर नहीं निकल सकते। रामेश्वरम् के मंदिर में जो कई लाख टन के पत्थर लगे है, वे सब बहुत दूर-दूर से नावों में लादकर लाये गये है। रामनाथ जी के मंदिर के भीतरी भाग में एक तरह का चिकना काला पत्थर लगा है। कहते है, ये सब पत्थर लंका से लाये गये थे।
रामेश्वरम् के विशाल मंदिर को बनवाने और उसकी रक्षा करने में रामनाथपुरम् नामक छोटी रियासत के राजाओं का बड़ा हाथ रहा। अब तो यह रियासत तमिल नाडु राज्य में मिल गई हैं। रामनाथपुरम् के राजभवन में एक पुराना काला पत्थर रखा हुआ है। कहा जाता है, यह पत्थर राम ने केवटराज को राजतिलक के समय उसके चिह्न के रूप में दिया था। रामेश्वरम् की यात्रा करने वाले लोग इस काले पत्थर को देखने के लिए रामनाथपुरम् जाते है। रामनाथपुरम् रामेश्वरम् से लगभग तैंतीस मील दूर है।

कथा



राम ने पहले सागर से प्रार्थना की, कार्य सिद्ध ना होने पर धनुष चढ़ाया, तो सागर प्रकट हुआ
रामेश्वरम् के विख्यात मंदिर की स्थापना के बारें में यह रोचक कहानी कही जाती है। सीताजी को छुड़ाने के लिए राम ने लंका पर चढ़ाई की थी। उन्होने लड़ाई के बिना सीताजी को छुड़वाने का बहुत प्रयत्न किया, पर जब राम सफलता न मिली तो विवश होकर उन्होने युद्ध किया। इस युद्ध में रावण और उसके सब साथी राक्षस मारे गये। रावण भी मारा गया; और अन्ततः सीताजी को मुक्त कराकर श्रीराम वापस लौटे। इस युद्ध हेतु राम को वानर सेना सहित सागर पार करना था, जो अत्यधिक कठिन कार्य था। 
रावण भी साधारण राक्षस नहीं था। वह पुलस्त्य महर्षि का नाती था। चारों वेदों का जाननेवाला था और था शिवजी का बड़ा भक्त। इस कारण राम को उसे मारने के बाद बड़ा खेद हुआ । ब्रह्मा-हत्या का पाप उन्हें लग गया। इस पाप को धोने के लिए उन्होने रामेश्वरम् में शिवलिंग की स्थापना करने का निश्चय किया। यह निश्चय करने के बाद श्रीराम ने हनुमान को आज्ञा दी कि काशी जाकर वहां से एक शिवलिंग ले आओ। हनुमान पवन-सुत थे। बड़े वेग से आकाश मार्ग से चल पड़े। लेकिन शिवलिंग की स्थापना की नियत घड़ी पास आ गई। हनुमान का कहीं पता न था। जब सीताजी ने देखा कि हनुमान के लौटने मे देर हो रही है, तो उन्होने समुद्र के किनारे के रेत को मुट्ठी में बांधकर एक शिवलिंग बना दिया। यह देखकर राम बहुत प्रसन्न हुए और नियम समय पर इसी शिवलिंग की स्थापना कर दी। छोटे आकार का सही शिवलिंग रामनाथ कहलाता है।


सेतु का हवाई दृश्य, सामने की ओर श्रीलंका को जाता है
बाद में हनुमान के आने पर पहले छोटे प्रतिष्ठित छोटे शिवलिंग के पास ही राम ने काले पत्थर के उस बड़े शिवलिंग को स्थापित कर दिया। ये दोनों शिवलिंग इस तीर्थ के मुख्य मंदिर में आज भी पूजित हैं। यही मुख्य शिवलिंग ज्योतिर्लिंगहै।
सेतु का पौराणिक संदर्भ
पूरे भारत, दक्षिण पूर्व एशिया और पूर्व एशिया के कई देशों में हर साल दशहरे पर और राम के जीवन पर आधारित सभी तरह के नृत्य-नाटकों में सेतु बंधन का वर्णान किया जाता है। राम के बनाए इस पुल का वर्णन रामायण में तो है ही,महाभारत में भी श्री राम के नल सेतु का जिक्र आया है। कालीदास की रघुवंश में सेतु का वर्णन है। अनेक पुराणों में भी श्रीरामसेतु का विवरण आता है।]एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका में इसे एडम्स ब्रिज के साथ-साथ राम सेतु कहा गया है। नासा और भारतीय सेटेलाइट से लिए गए चित्रों में धनुषकोडि से जाफना तक जो एक पतली सी द्वीपों की रेखा दिखती है, उसे ही आज रामसेतु के नाम से जाना जाता है। इसी पुल को बाद में एडम्स ब्रिज का नाम मिला।  यह सेतु तब पांच दिनों में ही बन गया था। इसकी लंबाई १०० योजन व चौड़ाई १० योजन थी। इसे बनाने में उच्च तकनीक का प्रयोग किया गया था।मेश्वरम् शहर और रामनाथजी का प्रसिद्ध मंदिर इस टापू के उत्तर के छोर पर है। टापू के दक्षिणी कोने में धनुषकोटि नामक तीर्थ है, जहां हिंद महासागर से बंगाल की खाड़ी मिलती है। इसी स्थान को सेतुबंध कहते है। लोगों का विश्वास है कि श्रीराम ने लंका पर चढाई करने के लिए समुद्र पर जो सेतु बांधा था, वह इसी स्थान से आरंभ हुआ। इस कारण धनुष-कोटि का धार्मिक महत्व बहुत है। यही से कोलम्बो को जहाज जाते थे। अब यह स्थान चक्रवाती तूफान में बहकर समाप्त हो गया है।