जोधपुर.न्यायधीश के पद पर विराजमान शनि ग्रह 16 मई को अपनी उच्च राशि तुला से वक्री होकर वापस कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। आमतौर पर शनिदेव ढाई साल तक एक ही राशि में रुकते हैं, लेकिन वक्री होने वजह से वे आगे की राशि में जाने के बजाय पीछे की राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। इसके पूर्व शनि ग्रह ने 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर चित्रा नक्षत्र के तृतीय चरण में कन्या राशि से तुला में प्रवेश किया था।
पं.राजेश दवे (वैदिक ज्योतिष अनुसंधान केंद्र) के अनुसार वक्री शनिदेव 16 मई की सुबह 6.30 बजे वापस कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। वे 25 जून को दोपहर 1.30 बजे मार्गी होंगे। इसके बाद 4 अगस्त को तुला राशि में लौटने के साथ अपनी सीधी चाल चलने लगेंगे। इस फेरबदल के कारण जातक 19 मई से 1 अगस्त के बीच प्रभावित रहेंगे। शनि की ढैय्या अथवा साढ़ेसाती वाले जातकों को कुछ समय के लिए राहत मिलेगी।
इन जातकों पर ढैय्या अथवा साढ़े साती का प्रभाव
पं.रमेश भोजराज द्विवेदी (अज्ञात दर्शन) ने बताया कि वर्तमान में कन्या, तुला एवं वृश्चिक राशि पर साढ़े साती है। मीन एवं कर्क राशि पर ढैय्या चल रही है। अब 16 मई से 4 अगस्त तक शनि के कन्या राशि में संचरण करने के साथ ही सिंह, कन्या एवं तुला राशि पर साढ़े साती हो जाएगी। मिथुन एवं कुंभ राशि पर पुन: शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा। वृश्चिक, कर्क एवं मीन राशि शनि देव के सीधे प्रभाव से मुक्त हो जाएंगी।
शनि के वक्री होने के मायने
पं. हेमंत बोहरा शनि धाम (शास्त्रीनगर) ने बताया कि आम तौर पर ग्रह पश्चिम से पूर्व दिशा में बढ़ते हैं, लेकिन कभी-कभी ये अपनी चाल बदल भी लेते हैं। ऐसी स्थिति में, जब ये पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने लगते हैं तो ज्योतिषीय भाषा में इन्हें वक्री होना कहा जाता हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 16 मई को शनि ग्रह कन्या राशि में प्रवेश करेगा। शनिदेव अपनी धीमी गति के कारण जाने जाते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि जिसके पीछे वे लग जाते हैं उसका पीछा नहीं छोड़ते। शनिदेव दो साल छह महीने बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं।
राशियों पर प्रभाव
मेष : शत्रु और विरोधी प्रबल होंगे।
वृषभ : संतान के लिए चिंता बनी रहेगी।
मिथुन : दाम्पत्य जीवन में परेशानी, आजीविका के लिए संघर्ष रहेगा।
कर्क : परिवार से मधुर संबंध, मानसिक और शारीरिक पीड़ा रहेगी।
सिंह : दूसरे भाव में शनि का आगमन होने से अधिक खर्च होगा।
कन्या : सबसे अधिक प्रभाव रहेगा, मानसिक और शारीरिक पीड़ा रहेगी।
तुला : व्यर्थ की चिंताएं और मानसिक परेशानी रहेगी।
वृश्चिक : धन का आगमन, लंबे समय से रुका काम पूरा होगा।
धनु : शनि दशम भाव में आकर शत्रुओं को अधिक बलवान करेगा।
मकर : परिश्रम के साथ सफलता, स्थान परिवर्तन के योग, बुजर्गो के अनुभव से कार्य करें।
कुंभ : शनि आठवें भाग में आकर आजीविका और नौकरी को लेकर समस्या उत्पन्न करेगा।
मीन : सामाजिक कल्याण के कामों में रुचि रहेगी।
पं.राजेश दवे (वैदिक ज्योतिष अनुसंधान केंद्र) के अनुसार वक्री शनिदेव 16 मई की सुबह 6.30 बजे वापस कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। वे 25 जून को दोपहर 1.30 बजे मार्गी होंगे। इसके बाद 4 अगस्त को तुला राशि में लौटने के साथ अपनी सीधी चाल चलने लगेंगे। इस फेरबदल के कारण जातक 19 मई से 1 अगस्त के बीच प्रभावित रहेंगे। शनि की ढैय्या अथवा साढ़ेसाती वाले जातकों को कुछ समय के लिए राहत मिलेगी।
इन जातकों पर ढैय्या अथवा साढ़े साती का प्रभाव
पं.रमेश भोजराज द्विवेदी (अज्ञात दर्शन) ने बताया कि वर्तमान में कन्या, तुला एवं वृश्चिक राशि पर साढ़े साती है। मीन एवं कर्क राशि पर ढैय्या चल रही है। अब 16 मई से 4 अगस्त तक शनि के कन्या राशि में संचरण करने के साथ ही सिंह, कन्या एवं तुला राशि पर साढ़े साती हो जाएगी। मिथुन एवं कुंभ राशि पर पुन: शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा। वृश्चिक, कर्क एवं मीन राशि शनि देव के सीधे प्रभाव से मुक्त हो जाएंगी।
शनि के वक्री होने के मायने
पं. हेमंत बोहरा शनि धाम (शास्त्रीनगर) ने बताया कि आम तौर पर ग्रह पश्चिम से पूर्व दिशा में बढ़ते हैं, लेकिन कभी-कभी ये अपनी चाल बदल भी लेते हैं। ऐसी स्थिति में, जब ये पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ने लगते हैं तो ज्योतिषीय भाषा में इन्हें वक्री होना कहा जाता हैं। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 16 मई को शनि ग्रह कन्या राशि में प्रवेश करेगा। शनिदेव अपनी धीमी गति के कारण जाने जाते हैं। इसी कारण कहा जाता है कि जिसके पीछे वे लग जाते हैं उसका पीछा नहीं छोड़ते। शनिदेव दो साल छह महीने बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं।
राशियों पर प्रभाव
मेष : शत्रु और विरोधी प्रबल होंगे।
वृषभ : संतान के लिए चिंता बनी रहेगी।
मिथुन : दाम्पत्य जीवन में परेशानी, आजीविका के लिए संघर्ष रहेगा।
कर्क : परिवार से मधुर संबंध, मानसिक और शारीरिक पीड़ा रहेगी।
सिंह : दूसरे भाव में शनि का आगमन होने से अधिक खर्च होगा।
कन्या : सबसे अधिक प्रभाव रहेगा, मानसिक और शारीरिक पीड़ा रहेगी।
तुला : व्यर्थ की चिंताएं और मानसिक परेशानी रहेगी।
वृश्चिक : धन का आगमन, लंबे समय से रुका काम पूरा होगा।
धनु : शनि दशम भाव में आकर शत्रुओं को अधिक बलवान करेगा।
मकर : परिश्रम के साथ सफलता, स्थान परिवर्तन के योग, बुजर्गो के अनुभव से कार्य करें।
कुंभ : शनि आठवें भाग में आकर आजीविका और नौकरी को लेकर समस्या उत्पन्न करेगा।
मीन : सामाजिक कल्याण के कामों में रुचि रहेगी।