नई दिल्ली .अब बच्चों को 'एडल्ट' विज्ञापनों से बचाने की कवायद शुरू हो गई है। विज्ञापनों पर नजर रखने वाली संस्था 'एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया' (एएससीआई) ने ऐसे कई टीवी विज्ञापनों का प्रसारण रात 11 बजे से सुबह 6 बजे के बीच करने की सिफारिश की है।
सूचना व प्रसारण मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। काउंसिल की यह सिफारिश विशेषकर 'फास्ट ट्रैक' (इसमें एक पुरुष और स्त्री को एक कार में आपत्तिजनक अवस्था में दिखाया गया था), 'वाइल्ड स्टोन डिओ' (कार में पुरुष और स्त्री आपत्तिजनक अवस्था में), 'टाटा डोकोमो' जैसे विज्ञापनों के संदर्भ में दी गई। इन विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को हालांकि काउंसिल ने सही नहीं ठहराया।
रात 11 बजे के बाद का स्लॉट ए सर्टिफिकेट प्राप्त फिल्मों के लिए माना जाता है। पुरुषों के परफ्यूम हों या फिर मोबाइल फोन, बच्चों के कपड़े हों या साबुन, टीवी पर इन उत्पादों के कई विज्ञापनों को अश्लील मानते हुए पिछले एक साल में कई शिकायतें हुई हैं। एएससीआई (विज्ञापन इंडस्ट्री द्वारा गठित आत्म नियंत्रण से जुड़ी संस्था) ने संबंधित विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन हटाने की अपनी सलाह दी है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने ऐसे विज्ञापनों के प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस भेजे हैं।
हाल में टीवी पर सबसे अधिक दिखने वाले डियोडरेंट के विज्ञापनों को सबसे अधिक अश्लील मानते हुए देश भर से व्यक्तियों और समूहों या संगठनों ने सरकार और एएस सीआई के सामने एक्स इफैक्ट, जटक, सेट वेट, किलर डिओ, वाइल्ड स्टोन डिओ, एक्स्ट्रा स्ट्रांग एक्स जैसे कई उत्पादों के टेलीविजन विज्ञापनों को बंद करने से जुड़ी शिकायतें भेजी हैं जिनमें महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने के कारण इन्हें अश्लील माना गया है।
एएससीआई ने कई विज्ञापनदाताओं को इन विज्ञापनों में संशोधन करने या इन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं लेकिन इनमें से कई विज्ञापन हर चैनल पर बाकायदा जारी हैं। ऐसी कुछ शिकायतों को इसने सही नहीं ठहराया और उन विज्ञापनों को जारी रखने की सलाह भी दी है । इनमें आयडिया थ्री जी मोबाइल, मेनफोर्स कंडोम , लिलिपुट किड्सवेयर आदि से जुड़े टीवी विज्ञापन थे।
हाल में जिस एक उत्पाद के टीवी विज्ञापन (क्लीन एंड ड्राइ इंटिमेट वाश) को निहायत ही अश्लील माना गया है(रिलेटेड आर्टिकल में देखें ऐड का वीडियो), उसके विज्ञापनदाताओं को एएससीआई ने सलाह दी कि वे या तो विज्ञापन को सुधार लें या फिर इसे हटा लें। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने भी हाल में इस विज्ञापन का प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सरकार बुलाएगी बैठक
टीवी पर आपत्तिजनक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए विभिन्न दलों की राय ली जाएगी। इसके लिए सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल में यह जानकारी दी। सोनी ने बताया कि इस संबंध में मंत्रियों का एक समूह बनाया गया है। यह समूह सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है।
इससे पहले विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बैठक का सुझाव दिया था। उनके मुताबिक विपक्षी दल इस बैठक में न केवल अपनी राय देंगे बल्कि सरकार को सहयोग भी करेंगे। सोनी ने कहा कि ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए 15 कानून मौजूद हैं। लेकिन इस बारे में कोई सख्त कानून नहीं होने से उनका मंत्रालय इन्हें पूरी तरह नहीं रोक पा रहा। इसलिए इस दिशा में सही निर्णय लेने के लिए संसद के सभी सदस्यों का सहयोग चाहिए।
सूचना व प्रसारण मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। काउंसिल की यह सिफारिश विशेषकर 'फास्ट ट्रैक' (इसमें एक पुरुष और स्त्री को एक कार में आपत्तिजनक अवस्था में दिखाया गया था), 'वाइल्ड स्टोन डिओ' (कार में पुरुष और स्त्री आपत्तिजनक अवस्था में), 'टाटा डोकोमो' जैसे विज्ञापनों के संदर्भ में दी गई। इन विज्ञापनों के खिलाफ शिकायतों को हालांकि काउंसिल ने सही नहीं ठहराया।
रात 11 बजे के बाद का स्लॉट ए सर्टिफिकेट प्राप्त फिल्मों के लिए माना जाता है। पुरुषों के परफ्यूम हों या फिर मोबाइल फोन, बच्चों के कपड़े हों या साबुन, टीवी पर इन उत्पादों के कई विज्ञापनों को अश्लील मानते हुए पिछले एक साल में कई शिकायतें हुई हैं। एएससीआई (विज्ञापन इंडस्ट्री द्वारा गठित आत्म नियंत्रण से जुड़ी संस्था) ने संबंधित विज्ञापनदाताओं को विज्ञापन हटाने की अपनी सलाह दी है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने ऐसे विज्ञापनों के प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस भेजे हैं।
हाल में टीवी पर सबसे अधिक दिखने वाले डियोडरेंट के विज्ञापनों को सबसे अधिक अश्लील मानते हुए देश भर से व्यक्तियों और समूहों या संगठनों ने सरकार और एएस सीआई के सामने एक्स इफैक्ट, जटक, सेट वेट, किलर डिओ, वाइल्ड स्टोन डिओ, एक्स्ट्रा स्ट्रांग एक्स जैसे कई उत्पादों के टेलीविजन विज्ञापनों को बंद करने से जुड़ी शिकायतें भेजी हैं जिनमें महिलाओं को आपत्तिजनक तरीके से पेश करने के कारण इन्हें अश्लील माना गया है।
एएससीआई ने कई विज्ञापनदाताओं को इन विज्ञापनों में संशोधन करने या इन्हें हटाने के निर्देश दिए हैं लेकिन इनमें से कई विज्ञापन हर चैनल पर बाकायदा जारी हैं। ऐसी कुछ शिकायतों को इसने सही नहीं ठहराया और उन विज्ञापनों को जारी रखने की सलाह भी दी है । इनमें आयडिया थ्री जी मोबाइल, मेनफोर्स कंडोम , लिलिपुट किड्सवेयर आदि से जुड़े टीवी विज्ञापन थे।
हाल में जिस एक उत्पाद के टीवी विज्ञापन (क्लीन एंड ड्राइ इंटिमेट वाश) को निहायत ही अश्लील माना गया है(रिलेटेड आर्टिकल में देखें ऐड का वीडियो), उसके विज्ञापनदाताओं को एएससीआई ने सलाह दी कि वे या तो विज्ञापन को सुधार लें या फिर इसे हटा लें। सूचना व प्रसारण मंत्रालय ने भी हाल में इस विज्ञापन का प्रसारण करने वाले चैनलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
सरकार बुलाएगी बैठक
टीवी पर आपत्तिजनक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए विभिन्न दलों की राय ली जाएगी। इसके लिए सरकार सर्वदलीय बैठक बुलाएगी। सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल में यह जानकारी दी। सोनी ने बताया कि इस संबंध में मंत्रियों का एक समूह बनाया गया है। यह समूह सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है।
इससे पहले विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस बैठक का सुझाव दिया था। उनके मुताबिक विपक्षी दल इस बैठक में न केवल अपनी राय देंगे बल्कि सरकार को सहयोग भी करेंगे। सोनी ने कहा कि ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए 15 कानून मौजूद हैं। लेकिन इस बारे में कोई सख्त कानून नहीं होने से उनका मंत्रालय इन्हें पूरी तरह नहीं रोक पा रहा। इसलिए इस दिशा में सही निर्णय लेने के लिए संसद के सभी सदस्यों का सहयोग चाहिए।
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