सोमवार, 25 अप्रैल 2011

जिला कलक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण विकास कार्यो का जायजा एवं ग्रामीणों की सुनी समस्याऍ


जिला कलक्टर द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो का भ्रमण विकास कार्यो का जायजा एवं ग्रामीणों की
सुनी समस्याऍ
 जैसलमेर,जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा ने शनिवार को गांव करड़ा, पोछीणा, ख्यालामठ, म्याजलार, सत्तो, दव एवं खुहड़ी क्षेत्रों का भ्रमण कर विकास कार्यो के साथ ही राजीव गांधी सेवा केन्द्रों,शिक्षण संस्थाओं का जायजा लिया। उन्होने करड़ा में उच्च प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया एवं वहां बी.ए.डी.पी.योजनान्तर्गत बन रहे कक्षा कक्ष एवं स्टेडियम कार्य का अवलोकन किया। जिला कलक्टर ने ग्राम पोछीणा ने राजीवगांधी सेवा केन्द्र निर्माण कार्य का जायजा लिया एवं इस कार्य को शीघ्र ही पूर्ण करने के निर्देश प्रदान किए। उन्होने माध्यमिक विद्यालय पोछीणा में बन रहे स्टेडियम का अवलोकन किया एवं यहां ग्रामीणजनों से पानीबिजली एवं स्वास्थ्य सेवाओं के संबंध में जानकारी ली। यहां ग्रामीणजनों से नलकूप को चालू कराने का आग्र्रह किया। भ्रमण के दौरान ख्यालामठ के निवासियों ने नलकूप खुदवाए जाने का आग्रह किया वहीं गूंजनग़ के पास स्थित सखीवाला नलकूप से गूंजनग़ जा रही लाईन को वापिस चालू करने के संबंध में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत किया। जिला कलक्टर ने ग्रामीणों को अधीक्षण अभियंता जलदाय से आवश्यक कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने गांव करड़ा, पोछीणा, ख्यालामठ, म्याजलार, सत्तो, दव एवं खुहड़ी ग्राम म्याजलार, सत्तो एवं दव में राजीवगांधी सेवाकेन्द्रों के निर्माण कार्यो का अवलोकन किया जहां कार्य प्रगति पर पाये गये। यहां पर पटवारी, ग्रामसेवक एवं सहायक ग्रामसेवक भी उपस्थित मिले। उन्होने ग्राम खुहड़ी में ग्रामीणजनों की समस्याऍ सुनी तो ग्रामीणों ने बताया कि यहां पानी खारा आता है तथा 8 नलकूप में से एक नलकूप चालू है। यहां पर जीवराज सिंह की ांणी के ग्रामीणजनों से प्लास्टिक पाईप लाईन की जगह लोहे की पाईप लाइ्रन लगाए जाने का आग्रह किया।
 खुहड़ी में की रात्री चौपाल एवं सुनी समस्याऍ
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने ग्रामपंचायत खुहड़ी में रात्री चौपाल की एवं ग्रामीणजनों की समस्याऍ सुनी एवं विभागीय अधिकारियों के माध्यम से उनका निराकरण कराने का विश्वास दिलाया। रात्री चौपाल के दौरान श्री प्रेमसिंह, सुश्री हवाकंवर, श्री नारायणसिंह निवासी वरणा ने बताया कि उन्हें पालनहार योजना के तहत एक बार ही पेंशन मिली एवं पिछले छह माह सें उन्हें पेंशन नहीं मिली है। इस संबंध में जिला कलक्टर ने गंम्भीरता से लिया एवं ग्रामसेवक से पूछताछ की तो उसने बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के कनिष्ठ लिपिक श्री लीलाधर से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा अवगत कराया कि इन बच्चों को जैसलमेर लाना पड़ेगा। जिस पर जिला कलक्टर ने कनिष्ठ लिपिक श्री लीलाधर को निलम्बन करने के निर्देश दिए।
जिला कलक्टर ने रविवार को ग्राम सिपला, पिथला,कुलधरा, खाभा, लौद्रवा, गूंजनग़ एवं सम क्षेत्र का भ्रमण किया। उन्होने ग्राम सिपला एवं पिथला में राजीवगांधी सेवाकेन्द्रों के निर्माण कार्य का अवलोकन किया। उन्होने कुलधरा ,खाभा एवं लौद्रवा में विन्डमीलों के सहयोग से इन पर्यटन स्थलों के सौंदर्यकरण को ध्यान में रखते हुए विशेष कार्य कराने के तहसीलदार जैसलमेर श्री नाथूसिंह राठौड़ को निर्देश प्रदान किए। उन्होने पटवारी से विन्डमील के प्रस्तावित योजनाओं की जानकारी भी ली।
गूंजनग़ में चौपाल में सुनी ग्रामीणों की समस्याऍ

जिला कलक्टर ने ग्राम गुंजनग़ में ग्रामवासियों के साथ चौपाल आयोजित कर उनसे पानीबिजली ,शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी ली। यहां पर ग्रामीणों ने बताया कि गांव में जी.एल.आर बनी हुई जो क्षतिग्रस्त है तथा पाईप लाईन भी जगहजगह लिकेज है। इस संबंध में जिला कलक्टर ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से दूरभाष पर वार्ता कर आवश्यक कार्यवाही कराने के निर्देश दिये। यहां पर विद्यालय से जी.एल.आर.तक सड़क बनी हुई है जिस पर छोटे पत्थर लगे हुए है उसकी जगह बड़े पत्थर लगाने की ग्रामीणों ने मांग की। इसा संबंध में जिला कलक्टर ने सहायक अभियंता पंचायत समिति सम को इस मार्ग पर बड़े पत्थर लगाने के निर्देश दिये।
ग्रामीणजनों ने चिकित्सा सुविधा हेतु सम से पन्द्रह दिन में एक बार चिकित्सक भेजकर रोगियों के उपचार कराने की व्यवस्था कराने का आग्रह किया। यहां ग्रामीण उम्मेदसिंह ने बताया कि विद्यालय में मीठालाल मीणा अध्यापक कार्यरत था जिसका स्थानान्तरण तिब्बनसर होगया है उनको वापिस लगाया जायें। यहां ईश्वर सिंह पुत्र जब्बर सिंह जो गूंगा एवं बहरा है जिसे विकलांग पेंशन दिलवाने का आग्रह किया। जिला कलक्टर ने इस संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने का विश्वास दिलाया।
 सम में की रात्री चौपाल
 जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने ग्रामपंचायत सम में रात्री चौपाल के दौरान बिजलीपानी एवं अन्य सेवाओं के संबंध में ग्रामीणजनों से जानकारी ली एवं समस्याओं के बारे में पूछताछ की। यहां ग्राम वासियों ने अवगत कराया कि मुरीद की ांणी व कमाल की ांणी में लाईट नहीं है अतः सौलर लाईट से जोड़ा जायें। यहां ग्रामीणों ने बालिका विद्यालय खोलने का भी आग्रह किया।
रात्री चौपाल के दौरान ए.एन.एम ने अवगत कराया कि उप स्वास्थ्य केन्द्र मेघवालों की बस्ती में लाईट कनेक्शन करवाने के लिये 18 माह पूर्व पत्रावली बिजली विभाग में जमा कराई गई है। लेकिन अभी तक कनेक्शन नहीं हुआ है। जिला कलक्टर ने चौपाल के दौरान उपस्थित बिजली विभाग के अधिकारियों को तीन दिवस में विद्युत कनेक्शन जारी करने के निर्देश दिए। जिला कलक्टर ने रात्री विश्राम सम में किया।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने सोमवार को ग्राम कनोई एवं दामोदरा का भ्रमण कर राजीवगांधी सेवा निर्माण केन्द्रों निरीक्षण किया। यहां छत तक का कार्य किया हुआ पाया गया। जिला कलक्टर ने शीघ्र ही कार्य पूर्ण कराने के निर्देश दिए।
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जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा


जिले में खारा/लवणयुक्त पानी को मीठे पानी में बदलने के लिये परिचर्चा
जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट
लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा
 जैसलमेर, जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के तत्वावधान में जल भागीरथी फाउण्डेशन के सहयोग से सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिले में खारा/लवणयुक्त पानी के समाधान के संबंध में ’’ परिचर्चा एवं प्रस्तुतीकरण ’’ कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेव सिंह उज्जवल, जल भागीरथी फाउण्डेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर कानूप्रिया हरीश के साथ ही प्रशासनिक ,जलदाय विभाग के अधिकारी एवं ग्राम पंचायतों के सरपंचगण भी उपस्थित थे।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने अधीक्षण अभियंता जलदाय श्री मुकेश गुप्ता को निर्देश दिए कि जिले के जिन गांवों में खारा एवं लवणयुक्त पानी है ऐसे गांवों में आर.ओ.प्लान्ट लगा कर मीठे पानी में बदलने की कार्यवाही करावें ताकि ग्रामीणजनों के सहयोग से इस प्लान्ट के माध्यम से लोगों को पीने का शुद्ध एवं मीठा पानी उपलब्ध कराया जा सकें। उन्होने कहा कि जल भागीरथी संस्था द्वारा बाड़मेर के पचपदरा में खारे एवं लवणयुक्त पानी की मीठा करने के लिये जो आर.ओ.प्लान्ट लगाया गया है उसी तर्ज पर शीघ्र ही रामदेवरा, खुहड़ी एंवं अन्य गांवों को चिन्हित कर उसे संचालित करने की कार्यवाही करावें।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने इस सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्ज्वल एवं अधीक्षण अभियंता जलदाय को कहा कि वे चिन्हित ग्रामपंचायतों के सरपंचों को पचपदरा का भ्रमण करवा कर खारे पानी से मीठे पानी के लिये संचालित किए जा रहे प्लान्ट का अवलोकन करावें ताकि वे वहां के ग्रामीणजन जिस प्रकार इस प्रोजेक्ट को चला रहे है उसे देखे एवं वहां से सीख लेकर अपने यहां ग्रामीणजनों के सहयोग से ऐसे मीठे पानी के आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही कर सकें। उन्होने विशेष रूप से रामदेवरा में तत्परता के साथ चालू करने पर विशेष जोर दिया।
जिला कलक्टर ने कहा कि यदि इस प्रोजेक्ट का संचालन इस जिले में प्रारंभ हो जायें तो खारे पानी वाले गांव वासियों के लिये तो वरदान सिद्ध होगा। उन्होने अधीक्षण अभियंता जलदाय को जल भागीरथी के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के संचालन के सम्बन्ध में विशेष प्रयास कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होने जल भागीरथी संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर से आग्रह किया है कि वे भी इस प्रोजेक्ट के संचालन में पूर्ण सहयोग प्रदान करावें। उन्होंने प्रारंभिक रूप से जिले के रामदेवरा खुहड़ी, म्याजलार, सत्तो, सिहड़ार, दव, गुंजनग़, बैरसियाला, सम, दबड़ी के सरपंचों एवं स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इसमें रूचि दिखा कर मीठे पानी के आर.आ.े प्लान्ट लगा कर न्यूनतम दर ग्रामीणों से वसूल कर इसके संचालन की कार्यवाही करावें।
अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्जवल ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे तकनीकी रूप से इस प्रोजेक्ट की कार्ययोजना तैयार करावें। प्रोजेक्ट मैनेजर जल भागीरथी फाउण्डेशन जोधपुर की प्रोजेक्ट मैनजर कानूप्रिया ने कार्यशाला में प्रोजेक्टर के माध्यम से पचपदरा में खारे/लवणयुक्त पानी को आर.ओ.प्लान्ट के माध्यम से मीठे पानी के रूप में बदलने की कार्यवाही के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की एवं ग्राम जल प्रबन्धन समिति द्वारा किस प्रकार से ग्रामीणजनों से न्यूनतम दर लेकर पानी वितरण किए जाने की व्यवस्था के बारे में भी प्रकाश डाला। उन्होने तालाबों एवं नाडियों में वर्षाती जल संग्रहण एवं उसके संरक्षण के बारे में भी प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी प्रदान की। 

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था


रूमालों वाली मातारानी तनोट माता






रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था
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भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर दार्न करने आते हैं ।इस मूल मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें श्रमालों का भानदार मनिदर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।तनोअ माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवय बांधता हैं।पगतिदिन आने वाले सैकडो रदालुओं द्घारा इस परिसर में अतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रआलु मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल के एस चौहान नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं40 हजार से अधिक रूमाल बनधे हैाव्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बी हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई।ं। भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दशर्नीय व आकशर्क हैं।

रविवार, 24 अप्रैल 2011

बाडमेर पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा










पानी पर खिंची तलवारें,पानी का हुआ बंटवारा

बाडमेर भारत पाकिस्तान की सरहद पर बसें सबसे दुर्गम ग्राम पंचायत खबडाला में गत दो सालों से पानी की भारी किल्लत झेलनें के बाद गांव में पानी को लेकर खिंचने वाली तलवारों पर लगाम कसकर ग्रामीणों ने आपसी सहमती बना कर प्रत्येक गांव में पानी का बंटवारा कर अनुकरणीय उदाहरण पो किया।यह अलग बात हैं कि गांव में पानी एक माह में चार बार ही आता हैं।खबडाला गांव के पूर्व सरपंच रतन सिंह सोा नें बताया कि विगत तीन सालों से खबडाला ग्राम पंचायत सहित बंधडा,बचिया,पूंजराज का पार,सगरानी,पिपरली,द्राभा,गारी,मणिहारी सहित 94 गांवों में पेयजल की जबरदस्त किल्लत के चलतें ग्रामीणें के सामने बडी समस्या खडी हो गई।खबडाला गांव में पानी के दो होज सरकारी योजना में बने हुऐ हैं।एक 20 साल पुराना हैं।दूसरा तीन साल पहलें बना जिसे आज तक पाईप लाईन से जोडा ही नही गया।लाखों रूप्यें खर्च कर हौज के पास ही पुओं कें लियें पानी की खेली भी बनाई गई थी।जो आज भी सूखी पडी हैं।पुराने होज में एक माह में महज चार दिन पानी की आपूर्ति होती हैं।आपूर्ति के समय आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पानी भरने आते हैं।अतना कम पानी हमारे एक गांव की भी प्यास नहीं बुझा पाता ऐसे में दूसरे गांवों के लोगों को कैसे पानी भरने दे।इसी बात को लेकर गांवों के बीच झगडे भी होने लगे।कई बार तलवारें भी खींची।15 रोज पूर्व पानी भरने को लेकर आपसी संर्धश होनें के कारण गिराब थानें में मुकदमा भी दर्ज हुआ।रोज रोज की परोानी सें निपटने के लिऐं ग्रामीणों नें सर्व सम्मति से ग्राम पंचायत के आठों गांवों की समझौता बैठक बुला कर पानी का बंअवारा करने का निर्णय लिया गया।गांव के ही टीकमारीम मेघवाल नें बताया कि पानी के बंटवारे के तहत दो दो गांवों की बारी तय की कि पानी आपूर्ति के दिन निर्णित गांव के लोग ही पानी भरेंगे। दन्होने बताया कि गावों में पेयजल की आपूर्ति नाम मात्र ही होती हैंगांव में परम्परागत पानी के स्त्रोत बेरिया हैं। जिसके कारण आम आदमी की परूस तों जैसे तैसे बुण जती हैं मगर मवोीयों को पानी कहॉ से पिलाऐंगांव में लगभग एक दजार गायें,30 हजार भेड बकरीयॉ हैं।जिन्हें पीने के लिऐ पानी चाहियें।पाुधन के लिऐ पानी की वयवस्था के लियें 15 किलोमीटर दूर तक के गांवों में जाना पडता हैं।गांव की बेरियों का जीर्णेद्घार सरकारी योजलाओं में किया जाऐ तो ग्रामीणे के समक्ष पेयजल की किललत कुछ हद तक हल हो जाऐंगी।जिला प्रासन को कई बार लिखित और मौखिक बताया गया मगर किसी प्रकार की मदद नही हुई।गांव की महिला श्रीमति गोमती मेगवाल नें बताया ि कमणिहारी गांव की होदी में वाल्व खराब होने के कारण पानी फालतू बह जाहैं ,वाल्व को ठीक कर दे तो हमारे गांव को पानी आपूर्ति हो सकती हें।गडरा रोड कें अधिसी अभियंता सुनिल जोाी नें बताया कि खबउाला में पेयजल की समस्या हैं।पाईप लाईन खराब हैं दसे जल्द दुरूस्त कर दिया जाऐगा।एक सप्ताह में पानी की समस्या का कुछ हद तक समाधान कर दिया जाऐगा।बहरहाल ग्रामीणों ने रोज के झगडों सें परोान होकर पानी का बंटवाडा तो कर दिया मगर पानी आता ही नही तों बांटे क्या।दो बून्द पानी हलक में उतारनें की ग्रामीणो की तमाम कोािश्ों जिला प्रासन कें ुलमुल रवैयें कारण बेकार हो रही हैं।




श्री घंटियाली राय मन्दिर ,जैसलमेर







श्री घंटियाली राय मन्दिर

श्री घंटियाली राय मन्दिर स्थान तनोट मन्दिर से बी. एस. ऍफ़. मुख्यालय से आते समय १० की. मी प्रूव की और इसी रोड पर हें ! जब मातेश्वरी तणोट से पधार रही थी तब इस स्थान के धोरों मे भयंकर वन मानुस असुर रहता था ! उसके गले मे बड़ी भयंकर मवाद भरी प्राकुतिक गाठ थी उकत असुर इतना भयंकर था की जब वह चलता तो उसके शरीर से गाठ टकराने पर बड़ी भरी आवाज निकलती थी वह भोजन की तलास मे प्रत्येक प्राणियो के साथ साथ मनुष्यों को भी खा जाता था ! वहा की प्रजा इसके आतंक से दुखी थी ! प्रत्येक ग्रामो मे रात्रि को पहरा बैठाया जाता था ज्यादा मनुष्य देखकर वह भाग जाता था ! उसे जो भी अकेला मिलता उसे खा जाता था ! ऐसे भयंकर देत्य को मैया ने उसकी घंटिया पकड़ कर मार गिराया व वहा के निवासियों ने उसे रेत मे गाड दिया व पास मे मातेश्वरी का मन्दिर बना दिया ! उस घंटिवाले असुर को मारने से घंटियाली राय नाम से प्रशिद्ध हुवा !!!!
घंट भज्यो घंटियालरो , राकस मेटी राड़, पाट बैठी परमेश्वरी , खुशी भई खडाल !!

शनिवार, 23 अप्रैल 2011

बुल्ले शाह मुरली बाज उठी अघातां,




भगवान श्रीकृष्ण के प्रति बुल्ले शाह के मन में अपार श्रध्दा और प्रेम था। वे कहते हैं :


मुरली बाज उठी अघातां,


मैंनु भुल गईयां सभ बातां।


लग गए अन्हद बाण नियारे,


चुक गए दुनीयादे कूड पसारे,


असी मुख देखण दे वणजारे,


दूयां भुल गईयां सभ बातां।






असां हुण चंचल मिर्ग फहाया,


ओसे मैंनूं बन्ह बहाया,


हर्ष दुगाना उसे पढ़ाया,


रह गईयां दो चार रुकावटां।






बुल्ले शाह मैं ते बिरलाई,


जद दी मुरली कान्ह बजाई,


बौरी होई ते तैं वल धाई,


कहो जी कित वल दस्त बरांता।

जैसाणा का पत्थर पहुंचा अरब


जैसलमेर
। अपनी स्वर्णमयी आभा से दूर से ही रिझाने वाले जैसलमेर के कलात्मक पत्थरों की चमक अब विदेशों तक जा पहुंची है। चीन, कनाडा, दोहा, कतर, बांग्लादेश, स्पेन, आस्ट्रेलिया व यूके के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात सहित अरब देशों में जैसलमेरी पत्थरों ने दस्तक दे दी है। जानकाराें के अनुसार जैसलमेर के पीले पत्थर का हर दिन 20 लाख रूपए का टर्न ओवर होता है। इसके कारण हर महीने मे करीब छह करोड़ रूपए की आय होती है।

यूरोपीय देशो के बाद अब अरब देशो मे भी इस पत्थर की मांग बढ़ रही है। इससे पहले इलाहाबाद में महर्षि महेश योगी के संस्थान को जैसलमेर के पीले पत्थरों से बनाया गया है, वहीं गुजरात, महाराष्ट्र, पूना, नासिक, दिल्ली व तमिलनाडु के साथ ही राज्य के कोटा, बीकानेर, अजमेर जैसे शहरों में पीले पत्थरों के मकान और चौराहे बनाए गए हैं।
   गौरतलब है कि जैसलमेर में गेंगसा मशीन, गेंगसा ब्लॉक कटर, लेंथ मशीन, ग्राइंडर व पॉलिश मशीन के प्रचलन से पत्थरों के कार्य में समय की बचत हुई है, वहीं व्यापार भी बढ़ा है।

रोजगार का खुला रास्ता
पीले पत्थरों के व्यापार में हो रही दिनों दिन बढ़ोतरी का अनुमान केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि रीको कॉलोनी में ही एक हजार मजदूर लगे हुए हैं। इसके अलावा यहां करीब दो सौ माइन्स चल रही है, वहीं सौ से अधिक ट्रक चल रहे हैं।
मार्बल आगे, ग्रेनाइट पीछे
पत्थर व्यवसायियो की माने तो च्यो-च्यो बाहरी देशो मे ग्रेनाइट की खपत बढ़ रही है, त्यो-त्यो जैसलमेरी पत्थर या मार्बल स्टोन की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। स्वर्णनगरी से आए दिन पत्थर व्यवसायियो द्वारा इसका निर्यात किया जाता है। देश के विभिन्न भागों में पीले पत्थरों का उपयोग हो रहा है, वहीं विदेशों में खास कर अरब देशों में इसकी अच्छी डिमांड है।


खाड़ी में बढ़ रही मांग
जैसलमेर के पीले पत्थरों के व्यवसाय का भविष्य उज्ज्वल है। दुनिया में अपनी तरह का एक अनूठा पत्थर होने के कारण इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है। संयुक्त अरब अमीरात, दोहा व कतर मे मांग मे यह इन दिनो पत्थर काफी भिजवाया जा रहा है, इसकी वहां काफी मांग भी है।
-सलीम खां  पत्थर व्यवसायी, जैसलमेर

Shobha gurtu - choti si umar

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

आत्महत्या.


बेटी के साथ टांके में कूद जान दी 
बाड़मेरहीरा की ढाणी  ग्राम पंचायत परेऊ के ग्राम बेनी वालों की ढाणी में एक विवाहिता ने गुरुवार को पुत्री के साथ टांके में कूद कर जान दे दी। मौत के कारणों का पता नहीं चला है। गिड़ा थानाधिकारी मनोज मूढ के अनुसार मृतका के ससुर मदाराम ने बताया कि उसकी पुत्रवधु मांगीदेवी पत्नी भोमाराम (21)सुबह दस बजे पुत्री मनीता (1) को लेकर टांके में कूद गई। इससे दोनों की मौत हो गई। पुलिस ने मौके पर पहुंच दोनों शव बाहर निकलवाया। घटना की जांच बायतु एसडीएम कर रहे हैं। सरपंच की उपस्थिति में मेडिकल बोर्ड ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम किया। 

बालोतरा तीसरी फाटक के आगे पुलिया के समीप एक युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली। तृतीय फाटक के आगे पुलिया के पास गुरुवार शाम लगभग ५.३० बजे जोधपुर से बाड़मेर की ओर जाने वाली साधारण सवारी गाड़ी के आगे राजू पुत्र घेवरचंद पालीवाल ( 28) निवासी बूड़ीवाड़ा ने कूदकर अपनी इहलीला समाप्त कर ली।सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची।पुलिस ने शव कब्जे में ले लिया है।

शराब माफियाओं ने चलाई गोलियां


शराब माफियाओं ने चलाई गोलियां 
जयपुर। जयपुर के शास्त्री नगर थानान्र्तगत स्वामी बस्ती में शुक्रवार को शराब माफिया के साथियों की ओर से की गई फायरिंग में करीब आधा दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। फायरिंग में दो लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जिन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना के बाद इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। सूत्रों के मुताबिक स्थानीय विधायक मोहनलाल गुप्ता की समझाइश के बाद मामला शांत हो गया और स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।
ठेके के विरोध में थे लोग
सूत्रों के मुताबिक स्वामी बस्ती में शहजाद डूटी नाम के एक शराब माफिया ने कुछ दिन पहले शराब का ठेका लगाया था। स्थानीय लोग करीब सात-आठ दिन से ठेके का विरोध कर रहे थे। शुक्रवार को भी लोग ठेके का विरोध करने के लिए जमा हुए थे। इसी दौरान शराब माफिया शहजाद डूटी अपने साथियों के साथ वहां आ धमका। उससे लोगों ने शराब का ठेका हटाने को कहा लेकिन वह नहीं माना। लोगों से नोंक झोंक तेज होते देख शहजाद के साथी भी वहां आ धमके। उन्होंने हवाई फायर कर दिया। इसमें करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए।
फायरिंग की घटना के बाद प्रदर्शनकारी और उग्र हो गए। इस बीच कुछ और लोग भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने पथराव करना शुरू कर दिया। घटना से इलाके में तनाव व्याप्त हो गया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा। उग्र प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। इस बीच स्थानीय विधायक मोहनलाल गुप्ता भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने लोगों को शांत करने की कोशिश की। गुप्ता ने लोगों को ठेका बंद करवाने का आश्वासन दिया। गुप्ता की समझाइश के बाद मामला शांत हो गया।

विश्व पृथ्वी दिवस


विश्व पृथ्वी दिवस
आज विश्व पृथ्वी दिवस है। इसे पहली बार अप्रैल 1970 में इस उद्देश्य से मनाया गया था कि लोगों को पर्यावरण के प्रति
संवेदनशील बनाया जा सके। इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति अल गोर की पुस्तक 'इनकन्वीनिएंट ट्रुथ' और 2007 में उन्हें संयुक्त राष्ट्र के आईपीसीसी के साथ संयुक्त रूप से मिले नोबेल पुरस्कार ने इस ओर जागरूकता बढ़ाने में मदद की है।
इसके बावजूद मसले का समाधान अभी बहुत दूर है, जैसा कि ब्रिटेन के पूर्व ऊर्जा मंत्री और हाउस ऑफ लार्ड्स की जलवायु परिवर्तन पर रिपोर्ट देने वाली समिति के सदस्य निगेल लॉसन की हाल में आई एक पुस्तक में कहा गया है। इस बार का पृथ्वी दिवस हम उस वैश्विक खाद्य संकट की पृष्ठभूमि में मना रहे हैं जिसने जलवायु परिवर्तन से जुड़े कुछ नए सवाल खड़े किए हैं।
पर्यावरण का सवाल जब तक तापमान में बढ़ोतरी से मानवता के भविष्य पर आने वाले खतरों तक सीमित रहा, तब तक विकासशील देशों का इसकी ओर उतना ध्यान नहीं गया। अब जलवायु चक्र का खतरा खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ रहा है- किसान यह तय नहीं कर पा रहे कि कब बुवाई करें और कब फसल काटें। ऐसे में कुछ ही देश इस खतरे की अनदेखी करने का साहस कर सकते हैं। 

गुरुवार, 21 अप्रैल 2011

Kabhi Kitabon Mein Phool Rakhna - Ghulam Ali Version with Lyrics

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लाखों पेड़ों की रक्षा को उठेंगे हजारों हाथ




लाखों पेड़ों की रक्षा को उठेंगे हजारों हाथ 
ओरण की सुरक्षा का बीड़ा 22 दिन में 24 लाख गायत्री मंत्रों का उच्चारण
बाड़मेर। एक ओर जहां अतिक्रमण और सरकारी स्तर पर आबंटन के कारण ओरण गोचर जमीन खतरे में है, वहीं सीमावर्ती क्षेत्र के चालीस गांवो लोगों ने ओरण की सुरक्षा का बीड़ा उठाया है। इसके लिए 22 दिन में 24 लाख गायत्री मंत्रों का उच्चारण किया जाएगा। 27 गांवों के चारों ओर अखण्ड ज्योत के साथ परिक्रमा की जाएगी और हजारों लोग एक साथ संकल्प लेंगे कि वे न तो ओरण की जमीन पर अतिक्रमण करेंगे न करने देंगे। ओरण के वृक्षों पर कुल्हाड़ी चलाना भी महापाप होगा। पर्यावरण शुद्धता को लेकर हो रहे स्वप्रेरित आंदोलन के लिए चालीस गांवों के लोगों ने करीब तीस लाख रूपए एकत्रित किए हैं।
 पर्यावरण की शुद्धता, वृक्षों के बचाव, चारागाह की जमीन के संरक्षण और सामाजिक भाईचारे की मिसाल का उदाहरण बनेंगे सीमावर्ती हरसाणी क्षेत्र के 40 गांव। बाड़मेर एवं जैसलमेर जिले में जमीनों के दाम बढ़ने के बाद सरकारी जमीन पर अतिक्रमण सबसे बड़ी समस्या हो गई है। लोगों ने ओरण की जमीन को भी नहीं बख्शा, जिसे यहां सदियों से देवी देवताओं की जमीन माना जाता है। इस जमीन को बचाने के कई नियम हैं, लेकिन पालना नहीं हो रही है।
हरसाणी क्षेत्र के रोहिड़ाला गांव में मालण देवी(लोकदेवी) के नाम ओरण की जमीन संरक्षित है। वहीं निकटवर्ती गांवों में नागणेच्या माता के नाम से ओरण है। हजारों बीघा इस ओरण की जमीन के भरोसे ही सीमावर्ती क्षेत्र का पशुधन जिंदा है। इसकी सुरक्षा को लेकर ग्रामीणों ने ग्रामीणों ने महापुरश्चरण यज्ञ करवाने का निर्णय किया है। इस यज्ञ में गायत्री मंत्र की 24 लाख आहूतियां दी जाएगी। 18 मई से 22 दिन तक चलने वाले इस आयोजन के दौरान 27 गांवों की परिक्रमा, ओरण के चारों तरफ दूध की कार, ओरण बचाव का संकल्प, संत महात्माओं के प्रवचन, नई पीढ़ी को ओरण के बारे में साहित्य प्रदान किया जाएगा। 
छत्तीस कौम की भागीदारी
ओरण बचाने के इस आयोजन में छत्तीस कौम की भागीदारी है। करीब तीस लाख रूपए ग्रामीणों ने एकत्रित किए हैं। आयोजन में सभी की भागीदारी सुनिश्चत करने के लिए गांव के अनुसार व्यवस्थाएं और कार्यक्रम तय किए गए हैं।
भावना से जुड़े हैं लोग
ओरण के प्रति लोगों में आस्था है। सदियों से ओरण में लाखों पशु पले हैं। लाखों पेड़ लगे हैं। पुरखों की इस परंपरा को जीवंत किया जा रहा है। - भूरसिंह, नखतसिंह गोरडिया, आयोजन समिति सदस्य

कुलधरा,खाभा अवशेषों के साथ ही गुम हो जाएंगे




































कुलधरा,खाभा अवशेषों के साथ ही गुम हो जाएंगे


पशिचमी सरहदी जेसलमेर जिले का वैभवाली इतिहास इसकी कहानी खुद कहता हैं।जैसलमैर जिले के प्राचीन ,समृद्धाली,विकसित और वैभवाली इतिहास के साथ पालीवालों कें 84 गांवों की दर्दनाक किंदवन्तिया भी जुडी हैं।जैसलमेर जिला मुख्यालय सें 18 से 35 किलो मीटर के दायरे में पालीवालों कें वीरान और उजडे 84 गांवों की दास्तान आम आदमी कें रोंगटे खडे कर देता हैं।कुलधरा में हनुमान और खाभा में श्री कृश्णा मन्दिर आज भी वीरानी के साक्षी हैं।मेरा पुतैनी गांव खाभा जहॉ किलें की तलहटी पर मेरें परदादा पूज्य श्री शोभ सिंह जी की मूर्ति आज भी विद्यमान हैें।

कुलधरा पालीवालों का गांव था और पता नहीं क्‍या हुआ कि एक दिन अचानक यहां फल-फूल रहे पालीवाल अपनी इस सरज़मीं को छोड़कर अन्‍यत्र चले गये । उसके बाद से कुलधरा,खाभा,नभिया,धनाव सहित 84 गांवों  पर कोई बस नहीं सका । कोशिशें हुईं पर नाकाम हो गयीं । कुलधरा के अवशेष आज भी विशेषज्ञों और पुरातत्‍वविदों के अध्‍ययन का केंद्र हैं । कई मायनों में पालीवालों ने कुलधरा को वैज्ञानिक आधार पर विकसित किया था 
कुलधरा जैसलमेर से तकरीबन अठारह किलोमीटर की दूरी पर स्थिति है । पालीवाल समुदाय के इस इलाक़े में चौरासी गांव थे और ये उनमें से एक था । मेहनती और रईस पालीवाल ब्राम्‍हणों की कुलधार शाखा ने सन 1291 में तकरीबन छह सौ घरों वाले इस गांव को बसाया था । पालीवालों का नाम दरअसल इसलिए पड़ा क्‍योंकि वो राजस्‍थान के पाली इलाक़े के रहने वाले  थे । पालीवाल ब्राम्‍हण होते हुए भी बहुत ही उद्यमी समुदाय था । अपनी बुद्धिमत्‍ता, अपने कौशल और अटूट परिश्रम के रहते पालीवालों ने धरती पर सोना उगाया था । हैरत की बात ये है कि पाली से कुलधरा आने के बाद पालीवालों ने रेगिस्‍तानी सरज़मीं के बीचोंबीच इस गांव को बसाते हुए खेती पर केंद्रित समाज की परिकल्‍पना की थी । रेगिस्‍तान में खेती । पालीवालों के समृद्धि का रहस्‍य था जिप्‍सम की परत वाली ज़मीन को पहचानना और वहां पर बस जाना । पालीवाल अपनी वैज्ञानिक सोच, प्रयोगों और आधुनिकता की वजह से उस समय में भी इतनी तरक्‍की कर पाए थे ।
पालीवाल समुदाय आमतौर पर खेती और मवेशी पालने पर निर्भर रहता था । और बड़ी शान से जीता था ।
 पालीवाल खेती और मवेशियों पर निर्भर रहते थे और इन्‍हीं से समृद्धि अर्जित करते थे । दिलचस्‍प बात ये है कि रेगिस्‍तान में पालीवालों ने सतह पर बहने वाली पान या ज़मीन पर मौजूदपानी का सहारा नहीं लिया । बल्कि रेत में मौजूद पानी का इस्‍तेमाल किया । पालीवाल ऐसी जगह पर गांव बसाते थे जहां धरती के भीतर जिप्‍सम की परत हो । जिप्‍सम की परत बारिश के पानी को ज़मीन में अवशोषित होने से रोकती और इसी पानी से पालीवाल खेती करते । और ऐसी वैसी नहीं बल्कि जबर्दस्‍त फसल पैदा करते । पालीवालों के जल-प्रबंधन की इसी तकनीक ने थार रेगिस्‍तान को इंसानों और मवेशियों की आबादी या तादाद के हिसाब से दुनिया का सबसे सघन रेगिस्‍तान बनाया । पालीवालों ने ऐसी तकनीक विकसित की थी कि बारिश का पानी रेत में गुम नहीं होता था बल्कि एक खास गहराई पर जमा हो जाता था ।
कुलधरा की वास्‍तुकला के बारे में कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य कि कुलधरा में दरवाज़ों पर ताला नहीं लगता था । गांव का मुख्‍य-द्वार और गांव के घरों के बीच बहुत लंबा फ़ासला था । लेकिन ध्‍वनि-प्रणाली ऐसी थी कि मुख्‍य-द्वार से ही क़दमों की आवाज़ गांव तक पहुंच जाती थी । दूसरी बात उन्‍होंने ये बताई कि गांव के तमाम घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे इसलिए एक सिरे वाले घर से दूसरे सिरे तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सकती थी । घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढि़यां कमाल के हैं । कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गये थे कि हवाएं सीधे घर के भीतर होकर गुज़रती थीं । कुलधरा के ये घर रेगिस्‍तान में भी वातानुकूलन का अहसास देते थे । 


ऐसा उन्नत और विकसित 84 गांव एक दिन अचानक खाली कैसे हो गया । ये एक रहस्‍य ही है ।

कहते हैं कि जैसलमेर की राजा सालम सिंह को कुलधरा की समृद्धि बर्दाश्‍त नहीं हो रही थी । उसने कुलधरा के बाशिंदों पर भारी कर/टैक्‍स लगा दिये थे । पालीवालों का तर्क था कि चूंकि वो ब्राम्‍हण हैं इसलिए वो ये कर नहीं देंगे । जिसे राजा ने ठुकरा दिया । ये बात स्‍वाभिमानी पालीवालों को हज़म नहीं हुई और मुखियाओं के विमर्श के बाद उन्‍होंने इस सरज़मीं से जाने का फैसला कर लिया । इस संबंध में एक कथा और है । कहते हैं कि जैसलमेर के दिलफेंक दीवान को कुलधरा की एक लड़की पसंद आ गयी थी । ये बात पालीवालों को बर्दाश्‍त नहीं हुई और रातों रात वो यहां से हमेशा हमेशा के लिए चले गये । अब सच क्‍या है ये जानना वाक़ई बेहद मुश्किल है । लेकिन कुलधरा के इस वीरान खंडहर में घूमकर मुझे बहुत अजीब- सा लगा । इन घरों, चबूतरों, अटारियों को देखकर पता नहीं क्‍यों ऐसा लग रहा था कि अभी कोई महिला सिर पर गगरी रखे निकल पड़ेगी या कोई बूढ़-बुजुर्ग चबूतरे पर हुक्‍का गुड़गुड़ाता दिखेगा । बच्‍चे धूल मिट्टी में लिपटे खेलते नज़र आएंगे । पगड़ी लगाए पालीवाल अपने खेतों पर निकल रहे होंगे । पर सच ये है कि सदियों से पालीवालों का ये गांव पूरी तरह से वीरान है ।
अफ़सोस के पालीवालों के वैज्ञानिक रहस्‍य कुलधरा के अवशेषों के साथ ही गुम हो जाएंगे ।