शनिवार, 23 अप्रैल 2011

जैसाणा का पत्थर पहुंचा अरब


जैसलमेर
। अपनी स्वर्णमयी आभा से दूर से ही रिझाने वाले जैसलमेर के कलात्मक पत्थरों की चमक अब विदेशों तक जा पहुंची है। चीन, कनाडा, दोहा, कतर, बांग्लादेश, स्पेन, आस्ट्रेलिया व यूके के बाद अब संयुक्त अरब अमीरात सहित अरब देशों में जैसलमेरी पत्थरों ने दस्तक दे दी है। जानकाराें के अनुसार जैसलमेर के पीले पत्थर का हर दिन 20 लाख रूपए का टर्न ओवर होता है। इसके कारण हर महीने मे करीब छह करोड़ रूपए की आय होती है।

यूरोपीय देशो के बाद अब अरब देशो मे भी इस पत्थर की मांग बढ़ रही है। इससे पहले इलाहाबाद में महर्षि महेश योगी के संस्थान को जैसलमेर के पीले पत्थरों से बनाया गया है, वहीं गुजरात, महाराष्ट्र, पूना, नासिक, दिल्ली व तमिलनाडु के साथ ही राज्य के कोटा, बीकानेर, अजमेर जैसे शहरों में पीले पत्थरों के मकान और चौराहे बनाए गए हैं।
   गौरतलब है कि जैसलमेर में गेंगसा मशीन, गेंगसा ब्लॉक कटर, लेंथ मशीन, ग्राइंडर व पॉलिश मशीन के प्रचलन से पत्थरों के कार्य में समय की बचत हुई है, वहीं व्यापार भी बढ़ा है।

रोजगार का खुला रास्ता
पीले पत्थरों के व्यापार में हो रही दिनों दिन बढ़ोतरी का अनुमान केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि रीको कॉलोनी में ही एक हजार मजदूर लगे हुए हैं। इसके अलावा यहां करीब दो सौ माइन्स चल रही है, वहीं सौ से अधिक ट्रक चल रहे हैं।
मार्बल आगे, ग्रेनाइट पीछे
पत्थर व्यवसायियो की माने तो च्यो-च्यो बाहरी देशो मे ग्रेनाइट की खपत बढ़ रही है, त्यो-त्यो जैसलमेरी पत्थर या मार्बल स्टोन की मांग दिनों दिन बढ़ रही है। स्वर्णनगरी से आए दिन पत्थर व्यवसायियो द्वारा इसका निर्यात किया जाता है। देश के विभिन्न भागों में पीले पत्थरों का उपयोग हो रहा है, वहीं विदेशों में खास कर अरब देशों में इसकी अच्छी डिमांड है।


खाड़ी में बढ़ रही मांग
जैसलमेर के पीले पत्थरों के व्यवसाय का भविष्य उज्ज्वल है। दुनिया में अपनी तरह का एक अनूठा पत्थर होने के कारण इसकी मांग बढ़ती ही जा रही है। संयुक्त अरब अमीरात, दोहा व कतर मे मांग मे यह इन दिनो पत्थर काफी भिजवाया जा रहा है, इसकी वहां काफी मांग भी है।
-सलीम खां  पत्थर व्यवसायी, जैसलमेर

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