मंगलवार, 24 जून 2014

शादी के 5 दिन बाद ही बहू बनी मां

शिवपुरी।पांच दिन पहले खुशी-खुशी बेटे के लिए बहू ब्याह कर लाए पिता की खुशियों को उस समय ग्रहण लग गया जब बहू ने एक बच्चे को जन्म दे दिया। मुंह दिखाई की रस्म के दौरान महिलाओं ने बहू को देखकर यह खुलासा किया कि यह तो गर्भवती है। Mother in law made 5 days after wedding

बहू के गर्भवती होने के संदेह पर सोमवार दोपहर दोनों परिवार नववधू के चिकित्सकीय परीक्षण के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचे। परीक्षण के दौरान ही प्रसव पीड़ा के बाद वधू ने एक बालक को जन्म दे दिया। फिर क्या था नवविवाहिता के माता-पिता के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई और वे बेटी को अस्पताल में ही छोड़कर भाग गए। जबकि ससुर, बहू के परिजनों पर धोखे में रखकर ब्याह रचाने का आरोप लगाते हुए कोतवाली जा पहुंचा।

इस मामले को लेकर पुलिस ने भी फिलहाल कोई कायमी नहीं की है और संबंधित थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कहकर नववधू के ससुर को चलता कर दिया।


17 जून को हुआ था विवाह: ग्राम मोतीपुर नई कॉलोनी निवासी इमरत जाटव के पुत्र लाखन का विवाह 17 जून को ग्राम सलैया पिछोर में हुआ था।

मुझे न बहू चाहिए न पोता

न्याय की आस में कोतवाली पहुंचे इमरत जाटव का कहना था कि कोई उसे उसकी बहू व उसके परिजनों से बचा ले। उसे न तो ऎसी बहू चाहिए न पोता और न ही ऎसे धोखेबाज रिश्तेदार।

बेटी की रेप के बाद हत्या, बेटे ने देखा तो उसे भी मार डाला



रोहट(पाली)। राजस्थान के पाली जिले में एक व्यक्ति ने सोमवार देर रात खूनी खेल खेला। पहले तो उसने अपनी आठ वर्षीय बेटी से दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी, वारदात को अंजाम देते हुए देखने पर 6 वष्ाीüय बेटे को भी जान से मार दिया। सनसनीखेज घटना रोहट थाना क्षेत्र के राखांणा गांव की है।
Man raped, murdered own 6 year old daughter and son
पुलिस के अनुसार राखांणा निवासी पप्पाराम (32) पुत्र सुलताराम भील अपनी पुत्री सुमित्रा (8) और पुत्र ओमाराम (6) के साथ रहता था। उसकी पत्नी छह माह पहले उसे छोड़ चुकी है। सोमवार देर रात उसने हवस में आकर अपनी ही बेटी से पहले दुष्कर्म किया और बाद में उसकी हत्या कर दी। इस वारदात को अंजाम देते हुए उसके बेटे ओमाराम ने देख लिया तो उसने उसे भी मौत के घाट उतार दिया।

घटना के बाद वह फरार हो गया। मंगलवार अल सुबह ग्रामीणों को वारदात की जानकारी मिली तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पुलिस अधीक्षक जयनरायण समेत आला अधिकारी पहुंचे। पुलिस ने दोनों शव पोस्टमार्टम के लिए रखवाए हैं। आरोपी की तलाश में पुलिस दल भेजे गए हैं।

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पत्नी को जान से मारा, सीसीटीवी फुटेज ने पहुंचाया जेल -



नई दिल्ली। कल्याणपुरी इलाके में कॉल सेंटर कर्मी ने अवैध संबंधों के चलते पत्नी नीतू की गला घोंटकर हत्या कर दी। मंगलवार सुबह उसका शव यमुना खादर की झाडियों में बैग में पड़ा मिला। मेट्रो के सीसीटीवी फुटेज से खुलासा होने के बाद पुलिस ने उसके पति ओमप्रकाश को गिरफ्तार कर लिया है और शव पोस्टमार्टम के लिए लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल भिजवा दिया गया है। हत्या के बाद ओमप्रकाश नीतू के परिजनों को गुमराह करने के लिए उनके साथ रहा ओर उसे ढूंढने का नाटक करता रहा।
Missing woman found dead in mayur vihar
गाजियाबाद में जीटी रोड पर स्थित 36, अरूण एनक्लेव निवासी ओमप्रकाश ग्रेटर नोएडा स्थित एक कॉल सेंटर में काम करता है। उसकी नवंबर, 2013 में कल्याणपुरी निवासी नीतू से शादी हुई थी। विगत 8 जून को नीतू कल्याणपुरी अपने माता.पिता से मिलने आई थी। इस दौरान ओमप्रकाश उससे दो बार मिलने आया था। विगत 21 जून को ओमप्रकाश ने फिल्म देखने के बहाने नीतू को नोएडा सेक्टर 18 मेट्रो स्टेशन पर बुलाया, उसके बाद वह घर नहीं पहुंची। ओमप्रकाश ने नीतू के परिजनों को बताया कि उसने नीतू को बुलाया था, लेकिन वह नहीं आई। उसका मोबाइल फोन भी बंद था। परिजनों द्वारा पुलिस को सूचना देने पर मेट्रो स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज देखने पर यह पता चला कि मेट्रो स्टेशन पर नीतू ओमप्रकाश से मिली थी।

पुलिस द्वारा कड़ाई से पूछताछ करने पर ओमप्रकाश ने हत्या की बात कुबूल ली। उसने बताया कि उसके अपनी पत्नी से संबंध अच्छे नहीं थे। इसी वजह से उसने नीतू की हत्या कर शव बैग में रखकर मयूर विहार में समाचार अपार्टमेंट के पास यमुना खादर में फेंक दिया। पुलिस के अनुसार, ओमप्रकाश के नोएडा निवासी किसी शादीशुदा महिला से अवैध संबंध थे। नीतू इस पर आपत्ति करती थी जिसके बाद परिजनों ने ओमप्रकाश को डांटा भी था। उसने इसी बात से नाराज होकर वारदात को अंजाम दिया।

"जयपुर में मन नहीं लगता तो सरकार घूमने निकल जाती है" -



जयपुर। जब सरकार का जयपुर में मन नहीं लगता है तो भ्रमण पर निकल जाती है। पहले भरतपुर और अब बीकानेर संभाग का दौरा करना गुड गवर्नेन्स नहीं है। गुड गवर्नेन्स तो जयपुर से बैठकर ही दी जा सकती है। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य की भाजपा सरकार की कार्यशैली पर जमकर बरसे।
Former CM Ashok Gehlot slams Raje government
संजय गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के बाद गहलोत ने पत्रकारों से कहा कि जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में मरीजों को पशुओं की चिकित्सा में काम आने वाले इंजेक्शन लगाने, भीलवाड़ा के एक पुलिस थाने में विधायक-सांसद द्वारा मुल्जिम को छुड़ा ले जाने जैसे मामलों को राज्य सरकार की नाकामी बताया। उन्होंने कहाकि ऎसे जन प्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए थी।

इराक में फंसे भारतीयों के मुद्ये पर गहलोत ने कहा कि अच्छी बात है कि विदेश मंत्री ने मुख्यमंत्री से इस संबंध में बात की है। उम्मीद करता हूं कि भारत सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर पूरा सहयोग देने की बात कही है।

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मोदी ने निहाचंद को सौंपा सूखे से निपटने का काम



नई दिल्ली। मोदी मंत्रिमंडल में राजस्थान से एकमात्र केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री निहाल चंद मेघवाल देश में सूखे की संभावित समस्या से निपटने में जुट गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें विशेष तौर पर कहा है कि वे सूखे के मोर्चे पर जुटें। दुष्कर्म के आरोप को लेकर विपक्ष द्वारा उन पर बनाए जा रहे इस्तीफे का दबाव के कम होते ही निहाल ने सूखे के खिलाफ अपनी जंग तेज कर दी है।
PM Modi directs state minister Nihalchand to focus on drought issue
निहाल का कहना है कि वे देश के किसी भी हिस्से में किसानों को खाद की कमी नहीं होने देंगे। बीते सप्ताह उन्होंने अपने मंत्रालय समेत परिवहन विभाग के तमाम सचिवों की बैठक बुलाई थी। उन्होंने जहाजरानी और रेलवे मंत्रालयों के अधिकारियों से कहा है कि वे खाद की ढुलाईमें कोताही न बरतें।

मेघवाल ने सूखे की समस्या से निपटने के लिए तमाम विभागों के सचिवों की एक अहम बैठक 25 जून को बुलाई है, जिसमें वे पिछले सप्ताह दिए अपने निर्देशों के पालन की समीक्षा लेंगे। उन्होने विभागों के अधिकारियों से कहा है कि वे खाद ढुलाई की स्थिति को लेकर हर माह के अंत में बैठक करेंगे और सच्चाइयों का पता लगाएंगे। उन्होंने रेलवे मंत्रालय से भी आग्रह किया है कि देश में संभावित सूखे की समस्या को देखते हुए रेलवे खाद ढुलाई के रेट चार्ज में कटौती करे। साथ ही रैकों का प्रतीक्षा शुल्क घटाए।

उन्होंने खाद का उत्पाद करने वाली कंपनियों को आश्वस्त किया है कि उन्हें खाद ढुलाई में कोई परेशानी नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार मेघवाल अपने उर्वरक एवं रसायन मंत्रालय के आगामी सौ दिनों की कार्य योजना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ 29 जून को बैठक करेंगे। इसी दिन प्रधानमंत्री के यहां माइंस, स्टील और श्रम मंत्रालयों के मंत्री भी अपने सौ दिन के एजेंडे से प्रधानमंत्री को अवगत कराएंगे।

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बाड़मेर भाजपा न घर के रहे न घाट के पार्टी के प्रति वफ़ादारी महँगी पड़ी


बाड़मेर भाजपा न घर के रहे न घाट के पार्टी के प्रति वफ़ादारी महँगी पड़ी

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में लोकसभा चुनावो में पूर्व वित्त विदेश मंत्री जसवंत सिंह के मैदान में उतरने के बाद आये चक्रवात में पार्टी के प्रति वफ़ादारी दिखने वाले भाजपा की जिला संघठन को चुनावो में जीत के बाद भी पूरी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर पार्टी नेता की स्थति न घर के न घाट के वाली हो गयी हैं ,पार्टी के प्रति वफ़ादारी के बदले उन्हें पार्टी से पद गंवाने पड़े ,दबी जुबान में लोग कहते हैं  की पार्टी के लोगो ने जसवंत सिंह का साथ नहीं दिया इसीलिए उन्हें पद गंवाना पड़ा ,भाजपा जिला अध्यक्ष सहित पार्टी के कई अग्रिम संघठनो के नेता पार्टी प्रत्यासी कर्नल सोनाराम के पक्ष में काम कर रहे थे ,इन लोगो ने ईमानदारी से अपना काम पार्टी हिट में किया ,मगर कांग्रेस संस्कृति से भाजपा में आये कर्नल सोनाराम ने इनकी वफ़ादारी पर शक करते हुए इनकी शिकायत चुनाव परिणाम से पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और दी की इन लोगो ने अप्रत्यक्ष रूप से जसवंत सिंह का साथ दिया ,नए नवेले उम्मीदवार कर्नल सोनाराम की बात मन प्रदेश इकाई ने आनन फानन में जिला कार्यकारिणी भांग कर बाड़मेर से अस्तित्व ही ख़त्म कर दिया क्यूंकि पूर्व में पार्टी के जिन लोगो ने बागी जसवंत सिंह का साथ खुले में दिया उन्हें पहले ही निष्कद्शित कर दिया ,जबकि जिला संघठन के परीति के साथ होते हुए भी उन्हें हटाने से कार्यकर्ता मायूस हैं ,कार्यकर्ताओ को अब लगने लगा हे की संघठन पर कांग्रेसनीत लोगो का कब्ज़ा होने जा रहा हैं।जीत के बाद भाजपा संसद ने भाजपाईयों से दूरी बने राखी हैं वाही कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ से नज़दीकियां बना राखी हैं। अब भांग जिला संघठन के पदाधिकारी पछता रहे हैं की उन्होंने जसवंत सिंह जैसे कद्दावर नेता का साथ छोड़ कर्नल का साथ देकर गलती की थी ,बहरहाल वफ़ादारी के बड़कले पद गंवाने की यह पहली अनूठी घटना राजनीती में हुई ,इस सदमे से संघठन उबार नहीं पा रहा हैं ,

श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव 23 से 29 जून,2014 तक-

जगन्नाथ रथयात्रा ( 23 से 29 जून,2014 तक) महोत्सव : ---एक नजर में---


श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव 23 से 29 जून,2014 तक----

पंडित दयानंद शास्त्री 

भारत भर में मनाए जाने वाले महोत्सवों में जगन्नाथपुरी की रथयात्रा सबसे महत्वपूर्ण है। यह परंपरागत रथयात्रा न सिर्फ हिन्दुस्तान, बल्कि विदेशी श्रद्धालुओं के भी आकर्षण का केंद्र है। श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना गया है। 

इस वर्ष रथयात्रा महोत्सव 23 से 29 जून,2014 तक मनाया जाएगा। 
रथयात्रा का शुभारंभ सोमवार को होना है। आषाढ़ शुक्ल द्वितिया को संपूर्ण भारतवर्ष में रथयात्रा-उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। सबसे अधिक प्रतिष्ठित समारोह जगन्नाथ पुरी में मनाया जाता है। इस उत्सव का देश ही नहीं विदेशों में भी धूमधाम से आयोजन होता है। बंगाल की खाड़ी के निकट बसा यह पवित्र स्थान उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्राचीन काल में पुरी को पुरुषोत्तम क्षेत्र एवं श्रीक्षेत्र भी कहा जाता था। पुरी में यात्रा प्रारंभ होने के एक दिन पूर्व रविवार को नवयौवन दर्शन के मौके पर लाखों भक्त भगवान के दर्शन करते थे। नव यौवन दर्शन को नेत्रोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। 
यह एक बड़ा समारोह है, जिसमें भारत के विभिन्न भागों से श्रद्धालु आकर सहभागी बनते हैं। दस दिन तक मनाए जाने वाले इस पर्व/ यात्रा को 'गुण्डीय यात्रा' भी कहा जाता है। 

पिछले नौ सौ वर्ष से आयोजित होने वाली जगन्नाथपुरी रथ यात्रा की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के पंद्रह दिन के एकांतवास समाप्त होने की याद में इसे मनाया जाता है। मान्यता है कि पन्द्रह दिन की बीमारी के बाद भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होकर श्रध्दालुओं को दर्शन देते हैं, जिसे नेत्रोत्सव के रूप में जाना जाता है। उसके अगले दिन भगवान अपनी मौसी के घर नौ दिन के प्रवास के लिए रवाना होते हैं। 

माना जाता है कि इस रथयात्रा में सहयोग से मोक्ष प्राप्त होता है, अत: सभी कुछ पल के लिए रथ खींचने को आतुर रहते हैं। जगन्नाथ जी की यह रथयात्रा गुंडीचा मंदिर पहुंचकर संपन्न होती है। जगन्नाथपुरी का वर्णन स्कंद पुराण, नारद पुराण, पद्म पुराण और ब्रह्म पुराण में मिलता है।

पुरी का जगन्नाथ मंदिर भक्तों की आस्था केंद्र है, जहां वर्षभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। जो अपनी बेहतरीन नक्काशी व भव्यता लिए प्रसिद्ध है। यहां रथोत्सव के वक्त इसकी छटा निराली होती है, जहां प्रभु जगन्नाथ को अपनी जन्मभूमि, बहन सुभद्रा को मायके का मोह यहां खींच लाता है। रथयात्रा के दौरान भक्तों को सीधे प्रतिमाओं तक पहुंचने का मौका भी मिलता है।

यह दस दिवसीय महोत्सव होता है। इस दस दिवसीय महोत्सव की तैयारी का श्रीगणेश अक्षय तृतीया को श्रीकृष्ण, बलराम और सुभद्रा के रथों के निर्माण से होता है और कुछ धार्मिक अनुष्ठान भी महीने भर किए जाते हैं। 

=== भगवान जगन्नाथजी का रथ 'गरुड़ध्वज' या 'कपिलध्वज' कहलाता है। 16 पहियों वाला रथ 13.5 मीटर ऊंचा होता है जिसमें लाल व पीले रंग के कप़ड़े का इस्तेमाल होता है। विष्णु का वाहक गरुड़ इसकी हिफाजत करता है। रथ पर जो ध्वज है, उसे 'त्रैलोक्यमोहिनी' कहते हैं।

===बलराम का रथ 'तलध्वज' के बतौर पहचाना जाता है, जो 13.2 मीटर ऊंचा 14 पहियों का होता है। यह लाल, हरे रंग के कपड़े व लकड़ी के 763 टुकड़ों से बना होता है। रथ के रक्षक वासुदेव और सारथी मताली होते हैं। रथ के ध्वज को उनानी कहते हैं। त्रिब्रा, घोरा, दीर्घशर्मा व स्वर्णनावा इसके अश्व हैं। जिस रस्से से रथ खींचा जाता है, वह बासुकी कहलाता है।

==='पद्मध्वज' यानी सुभद्रा का रथ। 12.9 मीटर ऊंचे 12 पहिए के इस रथ में लाल, काले कपड़े के साथ लकड़ी के 593 टुकड़ों का इस्तेमाल होता है। रथ की रक्षक जयदुर्गा व सारथी अर्जुन होते हैं। रथध्वज नदंबिक कहलाता है। रोचिक, मोचिक, जिता व अपराजिता इसके अश्व होते हैं। इसे खींचने वाली रस्सी को स्वर्णचुडा कहते हैं। 

===मंदिर से जुड़ी कथाएं ---

इस मंदिर के उद्गम से जुड़ी परंपरागत कथा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की इंद्रनील या नीलमणि से निर्मित मूल मूर्ति, एक अंजीर वृक्ष के नीचे मिली थी। यह इतनी चकचौंध करने वाली थी, कि धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपाना चाहा। मालवा नरेश इंद्रद्युम्न को स्वप्न में यही मूर्ति दिखाई दी थी। तब उसने कड़ी तपस्या की, और तब भगवान विष्णु ने उसे बताया कि वह पुरी के समुद्र तट पर जाए, और उसे एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा। 
उसी लकड़ी से वह मूर्ति का निर्माण कराए। राजा ने ऐसा ही किया, और उसे लकड़ी का लठ्ठा मिल भी गया। उसके बाद राजा को विष्णु और विश्वकर्मा बढ़ई कारीगर और मूर्तिकार के रूप में उसके सामने उपस्थित हुए। किंतु उन्होंने यह शर्त रखी, कि वे एक माह में मूर्ति तैयार कर देंगे, परन्तु तब तक वह एक कमरे में बंद रहेंगे, और राजा या कोई भी उस कमरे के अंदर नहीं आए। माह के अंतिम दिन जब कई दिनों तक कोई भी आवाज नहीं आई तो उत्सुकता वश राजा ने कमरे में झांका, और वह वृध्द कारीगर द्वार खोलकर बाहर आ गया, और राजा से कहा, कि मूर्तियां अभी अपूर्ण हैं, उनके हाथ अभी नहीं बने थे। 
राजा के अफसोस करने पर, मूर्तिकार ने बताया, कि यह सब दैववश हुआ है, और यह मूर्तियां ऐसे ही स्थापित होकर पूजी जाएंगी। तब वही तीनों जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां मंदिर में स्थापित की गईं।

===मंदिर का आकर्षण---

 ऐसी धारणा है कि कभी यहां भगवान बुध्द का दांत गिरा था, इसलिए इसे दंतपुर भी कहा जाता था। यहां का जगन्नाथ मंदिर अपनी भव्य एवं ऐतिहासिक रथयात्रा के लिए पूरे संसार में प्रसिद्ध है। पश्चिमी समुद्र तट से लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर उत्तर में नीलगिरी पर्वत पर 665 फुट लंबे और इतने ही चौड़े घेरे में 22 फुट ऊंची दीवारों के मध्य स्थित यह प्राचीन एवं ऐतिहासिक मंदिर कलिंग वास्तुशैली में बना 12वीं सदी का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है। कृष्णवर्णी पाषाणों को तराशकर बनाए गए इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी के नरेश चोड़गंग ने करवाया था।

पुष्‍कर में विदेशी दंपति के साथ हुई मारपीट


पुष्कर में एक विदेशी महिला के साथ मारपीट हुई और उसके कपडे फाड़ दिए गए. यही नहीं, उसके गले से सोने की चेन और नकद रुपये भी शराबी युवकों ने छीन लिए.

यह विदेशी युवती आस्ट्रेलिया मूल की हैं. इसने भगवान पुरा के पास एक गांव के भारतीय युवक से विवाह किया है. विदेशी युवती अपने पति के साथ घर से खाना खाकर आ रही थी. इस दौरान रास्ते में शराब के नशे में धुत युवकों ने विदेशी युवती के साथ बदसलूकी की, उसके कपड़े फाड़े और फिर मार-पिटाई की. रात के समय हुई इस घटना से युवती बहुत डरी हुई है और कुछ बता नहीं पा रही है.

भगवान पुरा गांव में विदेशी दंपति के साथ हुई इस घटना की रिपोर्ट तो लिख ली गई है, लेकिन शराबी युवक पकड़ से दूर है. इस दंपति ने आरोप लगाया कि जब वे अपने साथ हुई मारपीट की घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने पुष्कर थाने पहुंचे तो पुलिस ने उनकी बताई गई घटना का विश्वास नहीं किया और रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार कर दिया.

पुलिस ने मीडिया को देखकर मामला दर्ज किया और फिर पीड़‍ितों का मेडिकल करवाकर जांच शुरू की.


 

खजुराहो की कामुक मूर्तियों की हैरान करने वाली दास्तान


कभी खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था खजुराहो




खजुराहो मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। कभी यह स्थान खजूर के जंगल के लिए जाना जाता था। यही कारण है कि इसका नाम खजुराहो पड़। लेकिन खजुराहो आज खजूर के वन नहीं बल्कि कामुक मूर्तियों से सजी मंदिरों के लिए जाना जाता है

कामुक मूर्तियां क्यों बनाई गयी हैं?

मंदिर के बाहर काम क्रिया करती तस्वीरें कई बार श्रद्घालुओं और दर्शनार्थियों को आश्चर्य में डाल देते हैं कि, भोग और मुक्ति का ऐसा मेल क्यों हुआ है। इस विषय में कई कथाएं जिनसे यह भेद खुलता है कि मंदिर की दीवारों पर कामुक मूर्तियां क्यों बनाई गयी हैं।





चन्द्रमा की कामुकता का परिणाम
खजुराहो के मंदिर के निर्माण के बारे मे एक कहानी कही जाती है कि हेमावती एक सुन्दर ब्राह्मण कन्या थी। वह वन में स्थित सरोवर में स्नान कर रही थी। उसे चन्द्रमा ने देख लिया और उस पर मुग्ध हो गया।

चन्द्रमा ने उसे वशीभूत कर उससे संबंध बना लिए। इससे हेमावती ने एक बालक को जन्म दिया। लेकिन बालक और हेमावती को समाज ने अपनाने से मना कर दिया। उसे बालक का पालन-पोषण वन में रहकर करना पड़ा।

बालक का नाम चन्द्रवर्मन रखा गया। बड़ा होकर चन्द्रवर्मन ने अपना राज्य कायम किया। हेमावती ने चन्द्रवर्मन को ऐसे मन्दिर बनाने के लिए प्रेरित किया जिससे मनुष्य के अन्दर दबी हुई कामनाओं का खोखलापन दिखाई दे। जब वह मन्दिर में प्रवेश करे तो इन बुराइयों का छोड चुके हो।



खत्म हो रहा था काम कला में उत्साह

एक मान्यता यह भी है कि गौतम बुद्घ के उपदेशों से प्ररित होकर आम जनमानस में कामकला के प्रति रुचि खत्म हो रही थी। इसीलिए उन्हें इस और आकर्षित करने के लिए इन मंदिरों का निर्माण किया गया होगा।


तंत्र-मंत्र में विश्वास

खजुराहों के संबंध में एक जनश्रुति यह भी है कि उस समय बच्चे गुरुकुल में पढ़ते थे। इसलिए उन्हें सांसारिक बातों का ज्ञान कराने के लिए इन मंदिरों का निर्माण कराया गया।

गिरनार पहाड़ियों की तलहटी में बसा है जूनागढ़



जूनागढ़  
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके का हिस्सा है। जूनागढ़ गिरनार पहाड़ियों के निचले हिस्से पर स्थित है। मंदिरों की भूमि जूनागढ़ के प्राचीन शहर का नामकरण एक पुराने दुर्ग के नाम पर हुआ है। यहां पूर्व-हड़प्पा काल के स्थलों की खुदाई हुई है। इस शहर का निर्माण नौवीं शताब्दी में हुआ था। गिरनार के रास्ते में एक गहरे रंग की बेसाल्ट चट्टान है जिस पर तीन राजवंशों का प्रतिनिधित्व करने वाला शिलालेख अंकित है। शहर के निकट स्थित कई मंदिर और मस्जिदें इसके लंबे और जटिल इतिहास को उद्घाटित करते हैं। जूनागढ़ इतिहास व वास्तुकला की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण शहर है। अपनी हरियाली और नवाबों के समकालीन किलों और महलों के कारण पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। गिरनार पर्वत पर स्थित जैन, हिंदू, मुस्लिम अनुयायियों को भी बरबस अपनी ओर खिंचता है।
प्रमुख आकर्षण:-

अशोक के शिलालेख (आदेशपत्र)-गिरनार जाने के रास्ते पर सम्राट अशोक द्वारा लगवाए गए शिलालेखों को देखा जा सकता है। ये शिलालेख विशाल पत्थरों पर उत्कीर्ण हैं। अशोक ने चौदह शिलालेख लगवाए थे। इन शिलालेखों में राजकीय आदेश खुदे हुए हैं। इसके अतिरिक्त इसमें नैतिक नियम भी लिखे हुए हैं। ये आदेशपत्र राजा के परोपकारी व्यवहार और कार्यो का प्रमाणपत्र है। अशोक के शिलालेखों पर ही शक राजा रुद्रदाम तथा [स्कंदगुप्त] के खुदवाए अभिलेखों को देखा जा सकता है। रुद्रदाम ने 150 ई. में तथा स्कंदगुप्त ने 450 ई. में ये अभिलेख खुदवाये थे। इस अभिलेख की एक विशेषता यह भी है कि रुद्रदाम के अभिलेख को ही संस्कृत भाषा का प्रथम शिलालेख माना जाता है।

अपरकोट किला-माना जाता है कि इस किले का निर्माण यादवों ने द्वारिका आने पर करवाया था (जो कृष्ण भगवान से संबंधित थे)। अपरकोट की दीवारें किसी-किसी स्थान पर 20 मीटर तक ऊंची है। किले पर की गई नक्काशी अभी भी सुरक्षित अवस्था में है। इस किले में पश्चिमी दीवार पर दो तोपे लगी हैं। इन तोपों का नाम नीलम और कांडल है। इन तोपों का निर्माण मिस्त्र में हुआ था। इस किले के चारों ओर 200 ईस्वी पूर्व से 200 ईस्वी तक की बौद्ध गुफाएं है।

सक्करबाग प्राणी उद्यान-जूनागढ़ का यह प्राणीउद्यान गुजरात का सबसे पुराना प्राणीउद्यान है। यह प्राणीउद्यान गिर के विख्यात शेर के अलावा चीते और तेंदुआ के लिए प्रसिद्ध है। गिर के शेरों को लुप्तप्राय होने से बचाने के लिए जूनागढ़ के नवाब ने 1863 ईस्वी में इस प्राणीउद्यान का निर्माण करवाया था। यहां शेर के अलावा बाघ, तेंदुआ, भालू, गीदड़, जंगली गधे, सांप और चिड़िया भी देखने को मिलती है। यह प्राणीउद्यान लगभग 500 एकड़ में फैला हुआ है।

गिर राष्ट्रीय उद्यान-वन्य प्राणियों से समृद्ध गिर राष्ट्रीय उद्यान गिरनार जंगल के करीब है। यह राष्ट्रीय उद्यान आरक्षित वन है और एशियाई शेरों के लिए एकमात्र घर है। इस वन्य अभ्यारण्य में अधिसंख्य मात्रा में पुष्प और जीव-जन्तुओं की प्रजातियां मिलती है। यहां स्तनधारियों की 30 प्रजातियां, सरीसृप वर्ग की 20 प्रजातियां और कीड़ों-मकोड़ों तथा पक्षियों की भी बहुत सी प्रजातियां पाई जाती है। यहां हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, बारहसिंगा, भालू और लंगूर भी देखा जा सकता है।

बौद्ध गुफा-बौद्ध गुफा चट्टानों को काट कर बनायी गई है। इस गुफा में सुसज्जित खंभे, गुफा का अलंकृत प्रवेशद्वार, पानी के संग्रह के लिए बनाए गए जल कुंड, चैत्य हॉल, वैरागियों का प्रार्थना कक्ष, चैत्य खिड़कियां स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण पेश करती हैं। शहर में स्थित खापरा-कोडिया की गुफाएं भी देखने लायक है।

अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं-अड़ी-काड़ी वेव और नवघन कुआं का निर्माण चूडासमा राजपूतों ने कराया था। इन कुओं की संरचना आम कुओं से बिल्कुल अलग तरह की है। पानी के संग्रह के लिए इसकी अलग तरह की संरचना की गई थी। ये दोनों कुएं युद्ध के समय दो सालों तक पानी की कमी को पूरा कर सकते थे। अड़ी-कड़ी वाव तक पहुंचने के लिए 120 पायदान नीचे उतरना होता है, जबकि नवघन कुंआ 52 मीटर की गहराई में है। इन कुंओं तक पहुंचने के लिए गोलाकार सीढि़यां बनी हुई है।

जामा मस्जिद-जामा मस्जिद मूलत: रानकीदेवी का निवास स्थान था। मोहम्मद बेगड़ा ने जूनागढ़ फतह के दौरान (1470 ईस्वी) अपनी विजय की याद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया था । यहां अन्य आकर्षणों में नीलम तोप है जिसे तुर्की के राजा सुलेमान के आदेश पर पुर्तगालियों से लड़ने के लिए बनवाया गया था। यह तोप मिस्त्र से दीव के रास्ते आई थी।

भावनाथ मंदिर-यहां पर हर साल दो त्योहार मनाए जाते हैं। अक्टूबर-नवंबर के महीने में पांच दिनों की अवधि के दौरान पांचवे दिन यानी पूर्णिमा के दिन कार्तिक महीने के समापन पर इस मंदिर की परिक्रमा करने के बाद झंडा लगाने के बाद आयोजित किया जाता है। गिरनार पर्वत के चारों ओर लगभग 40 किमी की परिक्रमा या परिपत्र यात्रा पांच दिनों तक चलती है। फरवरी-मार्च के दौरान माघ महीने के अमावस्या के दिन इस मंदिर में महाशिवरात्री का त्योहार मनाया जाता है।



दामोदर कुंड-इस पवित्र कुंड के चारों ओर घाट (नहाने के लिए) का निर्माण किया गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस घाट पर भगवान श्री कृष्ण ने महान संत कवि नरसिंह मेहता को फूलों का हार पहनाया था।

बोली जाने वाली भाषाएं:-

गुजराती, हिंदी और अंग्रेजी

जाने का सही समय:-

अक्टूबर से मार्च

कैसे पहुंचे:-

वायुमार्ग-निकटतम हवाई अड्डा राजकोट है जो भारत के प्रमुख शहरों से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

रेलमार्ग-जूनागढ़ भारत में कई महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ने वाला एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है।

सड़कमार्ग-जूनागढ़ गुजरात के सभी स्थानों से सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।

अच्छा तो यहां है क्षीर सागर जहां शेषनाग पर रहते हैं भगवान विष्णु


जहां रहते हैं भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी के साथ

शास्त्रों पुराणों में भगवान शिव का निवास कैलाश पर्वत बताया गया है। और विष्णु का निवास स्थान क्षीर सागर बताया गया है। यह क्षीर सागर कहां है यह आप जरुर जानना चाहते होंगे।






दर्शन कीजिए क्षीर सागर का
क्षीर सागर के दर्शन के लिए चल पड़े हैं तो क्यों न मार्ग में क्षीर सागर के कुछ चमत्कारी गुणों को जान लें। पुराणों की मानें तो क्षीर सागर की एक परिक्रमा करने वाला व्यक्ति एक जन्म में किए पाप और कर्म बंध से मुक्त हो जाता है।

जो व्यक्ति इसकी दस परिक्रमा कर लेता है उसे दस हजार जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। क्षीर सागर की 108 परिक्रमा करने वाला व्यक्ति जीवन मरण के चक्र से मुक्त होकर परमपिता परमेश्वर में लीन हो जाता है।

जो इस झील के मीठे जल का पान करता है वह शिव के बनाए स्वर्ग में स्थान पाने का अधिकारी बन जाता है। यहीं कुबेर ने भगवान शिव की तपस्या करके शिव का सखा और ईश्वरीय खजाने का खजांची होने का वरदान प्राप्त किया था।


चलिए डुबकी लगाएं क्षीर सागर में
यह पवित्र क्षीर सागर भगवान शिव की जटा से निकलने वाली गंगा के वेग निर्मित हुआ माना जाता है। भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर क्षीर सागर है जिसे मानसरोवर झील के नाम से जाना जाता है।

ऐसी मान्यता है कि इस झील में एक बार डुबकी लगाने मात्र से रुद्रलोक में स्थान प्राप्त होता है। कैलाश पर्वत की यात्रा के दौरान मार्ग में यह पवित्र सरोवर स्थित है। यहां से श्रद्घालु कैलाश पर्वत के दर्शन करके अपनी यात्रा को सफल मानते हैं।


सोमवार, 23 जून 2014

बाड़मेर 6000 की रिश्वत लेते डिस्काम जेइएन का आदमी गिरफ्तार


बाड़मेर जिले के बालोतरा में ए सी बी की कार्यवाही
6000 की रिश्वत लेते डिस्काम जेइएन का आदमी गिरफ्तार 

बाड़मेर जिले के बालोतरा उप खंड मुख्यालय पर भरष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बड़ी कार्यवाही करते हुए जोधपुर विद्युत् वितरण निगम के कनिष्ठ अभियंता के लिए रिश्वत की राशी लेने वाले बिचोलिये को रंगे हाथो गिरफ्तार किया। जबकि कनिष्ठ अभियंता भगवानाराम मौके से फरार हो गया। अभियंता ने परिवादी धन सिंह राजपुरोहित से जुरमाना राशी कम करने की एवज में छ हज़ार की राशी की मांग की थी। जिसकी परिवादी ने जोधपुर ब्यूरो से शिकायत की थी। शिकायत की पुष्टि के बाद आज राशी अभियंता के कहे अनुसार उसके बिचोलिये नेमाराम को दे दी। जिस पर ब्यूरो ने कार्यवाही कर उसे छ हज़ार की राशी के साथ पकड़ लिया। कार्यवाही जारी हे। अभियंता फरार हे।जोधपुर ब्रांच की टीम ने की कार्यवाही

बाड़मेर नरेंद्र मोदी से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता की मांग ,भेजा ज्ञापन

बाड़मेर नरेंद्र मोदी से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता की मांग ,भेजा ज्ञापन





बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघरश समिति बाड़मेर द्वारा राजस्थानी भाषा को संविधान की आठंवी अनुसूची में शामिल कर मान्यता देने की मांग को लेकर  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन जिला कलेक्टर को जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता द्वारा प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में सौंपा। मोटियार ओरिषद के प्रदेश मंत्री रमेश सिंह इन्दा ,मोटियार परिषद के जिला पाटवी हिन्दू सिंह तामलोर ,संघठन मंत्री बाबू भाई शेख ,किशोर सिंह ,अब्दुल रहमान जायडू ,चुतर सिंह ,मुराद खान सहित कई कार्यकर्ता पदाधिकारी उपस्थित थे ,प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने बताया की 25 अगस्त को राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु राजस्थान विधानसभा में लिए गए सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव को 11वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। 25 अगस्त 2003 के संकल्प के तुरंत बाद राज्य सरकार ने केन्द्र को पत्र लिखा था। 17 दिसंबर 2006 को लोकसभा में तत्कालीन गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने घोषणा की थी कि ‘राजस्थानी एवं भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केन्द्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है और बजट सत्र 2007 में इस हेतु विधेयक आ जाएगा। इसके लिए सरकार कृत संकल्प है।’ श्री जायसवाल ने उन दिनों यह बयान 5-7 बार अलग-अलग जगहों पर दोहराया भी था।

उन्होंने बताया की आपत्तियां एवं उनका निराकरण: तत्पश्चात गृह मंत्रालय ने कहा कि रिजर्व बैंक के गर्वनर का पत्र आया है कि नोट पर लिखने के लिए जगह नहीं है। UPSC के अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा कि आयोग की परीक्षाओं में इससे कार्यभार बढ़ जाएगा। मान्यवर, नौकरशाही द्वारा पैदा की गई यह तकनीकी समस्या मान्यता में बाधा व देरी का कारण बनी। जबकि सर्वविदित है कि नोट पर 15 भाषाएं लिखी हैं एवं 8 वीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। इसलिए रिजर्व बैंक की आपत्ति अर्थहीन साबित हो गई है। वर्तमान में 2013 के शुरू में केन्द्र सरकार में एक कमेटी बनी जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा कनि आठवीं अनुसूची में जोड़ने हेतु UPSC का अनापत्ति प्रमाण पत्र आवश्यक नहीं है। इससे पूर्व डॉ. मनमोहन सिंह सरकार के प्रथम कार्यकाल में 8 वीं अनुसूची में भाषा में भाषाओं को जोड़ने हेतु श्री सीताकान्त महापात्र समिति बनी जिसने राजस्थानी को समृद्ध व सशक्त भाषा माना परन्तु 2035 तक किसी भी भाषा को 8 वीं अनुसूची में नहीं जोड़ने की सिफारिश की। सरकार ने इस समिति की सिफारिश को अस्वीकार कर दिया। रिजर्व बैंक व UPSC की दोनों तकनीकी समस्याओं से भी निजात मिल गई है। अब राजस्थानी भाषा को 8 वीं अनुसूची में जोड़ने में कोई सरकारी तकनीकी समस्या नहीं रह गई है।

जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता के अनुसार मान्यता से होने वाले प्रमुख लाभ: मान्यवर, आप जानते ही हैं कि डोगरी, मैथिली, संथाली सहित देश की 22 भाषाओं के माध्यम से IAS बनने की सुविधा है, जब कि देश की अत्यंत समृद्ध और बड़े समुदाय की भाषा राजस्थानी में यह सुविधा नहीं प्रदान की जाती। संवैधानिक मान्यता होने से IAS की मुख्य परीक्षा में 2000 में से 600 अंक का राजस्थानी भाषा-साहित्य का प्रश्न पत्र एवं राजस्थानी माध्यम की सुविधा देश के अन्य प्रांतों के युवाओं के समान राजस्थानी युवा को भी मिल सकेगी। केन्द्र की अन्य समस्त नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में अन्य राज्यों के युवाओं के समान राजस्थानी युवाओं को अपनी भाषा की सुविधा मिल सकेगी। RAS सहित प्रदेश की अन्य नौकरियों में राजस्थानी को तवज्जो मिलने से राजस्थान में राजस्थान मूल के प्रतिभागी ही अधिक सफल हो सकेंगे। उर्दू, सिंधी, गुजराती, पंजाबी की भांति राजस्थान के बालक तृतीय भाषा राजस्थानी भी पढ़ सकेंगे। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने बताया की हमारा निवेदन: राजस्थानी भाषा को 8 वीं अनुसूची में जोड़ने की मांग अब सम्पूर्ण राजस्थानियों द्वारा प्रदेश व प्रवास से जोर-शोर से उठाई जा रही है। इस मांग के सर्थन में राजस्थाने सभी 25 सांसद भी एकमत हैं । जनगणना 2011 में भी राजस्थान के 4 करोड़ 83 लाख लोगों ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी दर्ज करवाई है। प्रवासी राजस्थानियों की संख्या भी कम नहीं है। वहीं ‘घूमर’ लोकनृत्य को दुनिया के टोप टैन नृत्यों में चौथा स्थान मिलना, कालबेलिया नृत्य को UNO द्वारा विश्व विरासत घोषित किया जाना, अमेरिका की लायब्रेरी ऑफ कांग्रेस द्वारा राजस्थानी को दुनिया की तेरह समृद्धतम भाषाओं में शुमार किया जाना, अमेरिका की शिकागो, रूस की मास्को, लंदन की कैंब्रिज सहित दुनिया की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटियों में राजस्थानी का अध्ययन-अध्यापन, अमेरिका सरकार की नौकरियों के लिए राजस्थानी को मान्यता दिए जाने सहित कई ऐसे प्रमाण हैं जो राजस्थानी को समृद्ध और बड़े समुदाय की भाषा ठहराते हैं। चूंकि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। अतः निवेदन है कि राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु आप एवं गृहमंत्री श्री राजनाथसिंह जी निर्णय ले कर राजस्थानी भाषा को शीघ्र ही मान्यता दिलवाएं। ऐसा होने से राजस्थान ही नहीं पूरे देश के प्रांतों से राजस्थानी समाज में हर्ष होगा एवं इस काम में अग्रणी नेताओं के साथ-साथ आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। अन्य दलों से ताल्लुक रखने वाले राजस्थानी भाषा प्रेमियों का स्वाभाविक झुकाव आपकी ओर होगा। इस काम का यश आपको पूरे देश से मिलेगा। अतः संसद के आगामी सत्र में राजस्थानी भाषा को संविधान की 8 वीं अनुसूची में जुड़वाने का पुनीत एवं ऐतिहासिक काम आप करवाएं और आप ही ऐसा करने में सक्षम भी हैं । आपसे ऐसी ही अपेक्षा भी है। इतिहास में इस काम के लिए आप सदा याद किए जा राजस्थानी समाज द्वारा चिरकाल तक सराहना के भागीदार होंगे।

रेल बजट 8 और आम बजट 10 जुलाई को होगा पेश

Modi govt to present Union Budget on July 10, Rail  Budget on July 8

नई दिल्ली। मोदी सरकार का बजट सत्र सात जुलाई से शुरू हो 14 अगस्त तक चलेगा और उसका पहला रेल बजट आठ जुलाई को और आम बजट 10 जुलाई को पेश होगा । गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति की सोमवार को हुई बैठक में बजट सत्र के कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया गया। इसके अनरूप आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट 9 जुलाई को पेश की जाएगी।

पिछली सरकार ने जो लेखानुदान पारित कराया था, उसकी अवधि 31जुलाई को समाप्त हो रही है। इसलिये उससे पहले नए बजट को पारित कराना जरूरी है।

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विंबलडन को निशाना बना सकता है अल कायदा



लंदन। आतंकी संगठन अल कायदा ब्रिटेन में शुरू होने वाली टेनिस की सबसे बड़ी प्रतियोगिता-विंबलडन को निशाना बना सकता है। ब्रिटेन के एक अखबार "डेली एक्सप्रेस" में छपी एक खबर के अनुसार, देश में रह रहे जिहादियों को प्रतियोगिता को निशाना बनाने के लिए कहा गया है।
Al Qaeda planning to attack Wimbledon tournament
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन ने भी माना है कि आतंकी संगठन प्रतियोगिता के दौरान बम धमाके करनेक ी कोशिश कर सकता है। अल कायदा ने सीरिया और इराक में लड़ रहे चरमपंथियो से कहा है कि वे यह लड़ाई ब्रिटेन भी लेकर आएं।

उल्लेखनीय है कि विंबलडन प्रतियोगिता 23 जून से शुरू हो रही है और इस दौरान फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग, राजनेता और शाही परिवार के सदस्य मौजूद रहेंगे। दो हफ्ते तक चलने वाली इस प्रतियोगिता को बड़ी संख्या में आम लोग भी देखने आएंगे।