सोमवार, 6 जनवरी 2014

जानलेवा हमला,बाल-बाल बचे बीजेपी विधायक

अजमेर। भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक पर सोमवार को जानलेवा हमला का मामला सामने आया है। विधायक शत्रुघन गौतम इस हमले में बाल-बाल बचे। हालांकि, उनके काफिले की वह कार क्षतिग्रस्त हो गई जिसमें वे सवार थे।

पुलिस सूत्रों के अनुसार विधायक शत्रुघन गौतम विधानसभाक्षेत्र के पीपरोली में एक कार्यक्रम में जा रहे थे तभी उनके काफिले से एक गाड़ी टकरा गई।

उधर, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार गौतम पीपरोली जा रहे थे तभी कुछ लोगों ने उन पर हमला किया जिससे उनकी गाडी को नुकसान पहुंचा। हमले के दौरान उनके साथ चल रहे कुछ कार्यकर्ताओं को चोंटें आई हैं। हमले के तुरंत बाद विधायक अपनी गाड़ी से अपने निर्धारित कार्यक्रम स्थल की ओर रवाना हो गए।

विधायक शत्रुघन गौतम के अनुसार हमलावरों में गोपाल सिंह नामक एक युवक ने उनकी गाड़ी को टक्कर मारी। उन्होंने बताया कि हमलावरों के पास बंदूकें भी थी। हमलावरों ने गाड़ी को टक्कर माने के बाद लगभग दो किलोमीटर तक उनका पीछा भी किया लेकिन उनके ड्राईवर ने गाड़ी को भगा दिया जिससे उन्हेंं किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा।

उन्होंने बताया कि इस हमले की जानकारी तुरंत पुलिस के उच्चाधिकारियों को दी गई है और अब हमलावरों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया जाएगा।


विधायक के काफिले पर हमले की जानकारी मिलते ही थाने से पुलिस बल को मौके पर भेजा गया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध मेंं किसी भी पक्ष की ओर से कोई मामला दर्ज नहीं कराया गया है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।

एक खूबसूरत हसीना का खौफनाक जाल



इश्क और हुस्न सदियों से इंसानी जिंदगी का हिस्सा रहे हैं. लेकिन इसी इश्क और हुस्न के चलते नामालूम कितनी जिंदगियां तबाह हुई हैं. बात करते हैं उस हसीना की जिसे देख कर कोई भी आशिक मिजाज उस पर मर मिटेगा. इस बात का इल्म इस हसीना को भी था और उसके साथ रहनेवाले दो दोस्तों को भी. और फिर एक रोज इस तिकड़ी ने जो कुछ किया, वो किसी की सोच से भी परे था.
इंटरनेट पर हुस्न का जाल बिछाने वाली लड़कियों से सावधान!
तीनों ने बुनी एक गहरी साजिश. एक ऐसी साजिश, जिसमें शिकार हुस्न के जाल में कुछ ऐसा फंसा कि फिर वहीं फंस कर रह गया, क्योंकि ये था हुस्न का जाल. आशिकी की चाल. बंद कमरा और ब्लैकमेल!

ये कहानी आपको चौंका देगी क्योंकि ये कहानी है उस खूबसूरत जाल की, जिसमें जो एक बार फंसा बस समझ लीजिए कि बर्बाद हो गया. मुमकिन है आपके इर्द-गिर्द भी कोई ऐसा हो, जो ये जाल बुन रहा हो. तो देखिए और बचिए.

इस जाल में जो फंसा, वो काम से भी गया और नाम से भी. क्योंकि ये वो जाल है जो अब तक ना मालूम कइयों के जी का जंजाल बन चुका है. हैरानी की बात तो ये है कि इस जाल में फंसने वाले शख्स को इस बात की जरा भी भनक नहीं लगती की वो हुस्न और फरेब के एक ऐसे जाल में उलझने वाला है कि जिससे वो जितना बाहर निकलने की कोशिश करेगा वो उसमें उतना ही उलझता जाएगा.

जाल बुनने वाले सिर्फ तीन लोग
ये पूरा जाल एक बंद कमरे मे बुना जाता है. जाल बुनने वाले सिर्फ तीन लोग हैं. और इन्हीं तीनों के हाथ में जाल का पूरा सिरा है. ये तीनों इस वक्त इस कमरे में खास मिशन के लिए इकट्ठा हुए हैं. मिशन ऑपरेशन जाल में शिकार फांसना और इन्हें इतंजार है तो बस एक अदद शिकार की.

कमरे में कुछ खास तैयारी के बाद तीनों अपने साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए बेकरार होने लगते हैं. कमरे के अंदर का काम पूरा हो चुका था. अब मसला कमरे के बाहर का है. लिहाजा तीनों होटल से बाहर निकलते हैं और फिर उसकी तलाश शुरू हो जाती है जिसे इनके जाल में फंसना है.

थोड़े से इंतजार के बाद ये तलाश भी पूरी हो जाती है. मोनिका उस तक पहुंच चुकी थी जो अब शिकार होने वाला था.

अब फिर से वही जगह, वही होटल और वही कमरा... लेकिन इस बार मोनिका के दोनों आशिक कमरे और सीन दोनों से गायब हैं. कमरे में पहुंचते ही मनिका तमाम खिड़की-दरवाज़े बंद कर देती है. कमरा बंद होते ही मोनिका फौरन अपने रंग में आ जाती है. अब कमरे में सिर्फ दो लोग हैं.

लेकिन इस वक्त इस कमरे में नजर भले ही दो ही लोग आ रहे हैं पर ऐसा है नहीं. इस कमरे में इस वक्त कई आंखें हैं जो लगातार दोनों को घूर रही हैं. जो लगातार दोनों की हरकतों को अपनी नजरों में कैद कर रही हैं.

जाहिर है इस खेल को अब आप थोड़ा-थोड़ा समझ रहे होंगे. आपको एहसास हो रहा होगा कि बंद कमरे में आखिर कौन सा जाल बुना जा रहा है? एक खूबसूरत लड़की. कमरे में कैमरे का खेल... और इनके जाल में एक शिकार फंस भी चुका है और उसे इस बात का ज़रा भी इल्म नहीं कि जैसे ही वो इस कमरे के बाहर कदम रखेगा तो उसके साथ भी ब्लैकमेलिंग का वो खेल शुरू हो जाएगा. जिससे वो चाह कर भी बाहर नहीं निकल पाएगा.

इंटरनेट पर सोशल साइट बनाकर बिछाया जाल
दरअसल ब्लैकमेलिंग का ये धंदा मोनिका ने अपने दो विदेसी दोस्तों चिवेंदु और विलियम्स के साथ मिलकर शुरू किया और इंटरनेट पर एक टैग्ड डॉट कॉम के नाम से एक सोशल साइट बनाई. इस वेबसाइट पर मोनिका ने कई खूबसूरत तस्वीरें डाल रखी थी और अपने शिकार को आकर्षित करती थी.

लुधियाना के शख्स को फांसा
एसे ही एक खूबसूरत धोखे का शिकार बने लुधियाना के रहने वाले चार्टर्ड एकाउंटेंट अरुण. अरुण को इन तीनों ने अपने जाल में फंसाकर दिल्ली बुलाया. और मोनिका कार से शुद अरुण को रिसीव करने जनकपुरी पहुंची. और फिर सीआर पार्क में अपने घर पर ले आई. वहां पर मोनिका अरुण के करीब आने की कोशिश करने लगी और इसी बीच पहले से कमरे में छुपे उसके दोनों साथियों ने दोनों की तस्वीरें लेनी शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने अरुण को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और जब बात नहीं बनी तो अरुण को बंधक बनाकर उसके घरवालों से चार लाख की फिरौती की मांग कर डाली.

अश्लील वीडियो बनाने के बाद मांगते थे फिरौती
इन फरेबियों की वेबसाइट की टैगलाइन थी नए लोगों से मिलने की जगह. इस साइट पर अपनी खूबसूरत तस्वीरें डालकर ये लोगों से दोस्ती करती और फिर शुरू होती उनका एक बेहद खूसूरत और कौफनाक खेल. दोस्ती करने के बाद मोनिका अपने शिकार को मिलने के के लिए बुलाती. हुस्न के जाल में फंसकर उसका शिकार खुद ही उसके जाल में फंस जाता. मोनिका पहले तो अपने शिकार को किडनैप करती और फिर उनका अश्लील वीडियो बनाती. और फिर शुरु होता फिरौती का खेल.

हुस्न के इस जाल में उसका साथ देते थे उसके दो विदेशी दोस्त. चिवेंदु और विलियम. फरीदाबाद की मोनिका घर से नाराज होकर दिल्ली आई थी और यहीं उसकी मुलाकात सोशल साइट पर आईटी की पढ़ाई कर रहे चिवोंदु से हुई और दोनों जयपुर में साथ रहने लगे. बाद में इनकी मुलाकात नाइजारिया के रहने वाले विलियम्स से हुई और फिर इन तीनों ने सोशल साइट के जरिए लोगों को ब्लैकमेल कर पैसे एंठने की योजना बनाई.

इस बार फंस गई मोनिका और उसका गैंग
अरुण मोनिका और उसके दोस्तों के चंगुल में फंस चुका था. और मोनिका ने प्लान के मुताबिक उसके घरवालों को फिरौती के लिए फोन भी कर दिया था. लेकिन उससे एक गलती हो गई. एक ऐसी गलती जिसकी वजह से पुलिस उस तक पहुंच गई.

लुधियाना में मौजूद अरुण के घरवालों ने 4 लाख की फिरौती की रकम मोनिका के एकाउंट में डलवा भी दी. लेकिन इस दौरान दिल्ली पुलिस लगातार मोनिका के फोन को ट्रैप कर रही थी और पुलिस ने सीआर पार्क के एक मकान से मोनिका और उसके दो साथियो को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने सीए अरुण वाही को सही सलामत छुड़ा भी लिया.

पुलिस तीनों की गिरफ्तारी के बाद मोनिका के खातों की तलाश कर रही है. पुलिस को शक है कि मोनिका के साथियों ने अरुण के साथ मोनिका की अश्लील वीडियो भी बना रखी है पुलिस इन को मोबाइल की भी गहराई से जांच कर रही है.


 

गेंद से टूटा था कार का शीशा, तो क्या राखी ने झूठ बोला?



नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में मंत्री राखी बिड़ला की कार का शीशा टूटने के बाद रविवार को खबर फैली कि उनकी कार पर हमला किया गया। राखी ने पुलिस में इसकी शिकायत भी की। लेकिन जब पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि कार का शीशा एक बच्चे की गेंद लगने से टूटा था। खुद उस बच्चे और उसके पिता ने राखी से माफी भी मांगी। लेकिन आरोप है कि राखी ने पुलिस को ये बात नहीं बताई। इलाके के लोगों का कहना है कि राखी के पिता ने बच्चे के परिवार को अपशब्द भी कहे।



दिल्ली की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री राखी बिड़ला रविवार शाम को अपने भाई की वैगन आर कार में एक मंदिर से लौट रही थीं, इसी दौरान उनकी कार पर कोई चीज आकर गिरी और कार का शीशा चटक गया। इसके बाद खबर फैल गई कि राखी की कार पर अज्ञात लोगों ने हमला किया है। राखी ने इस मामले की शिकायत मंगोलपुरी पुलिस स्टेशन में की।



मामला दिल्ली की मंत्री से जुड़ा था, इसलिए पुलिस फौरन हरकत में आई। लेकिन जब मौके पर पुलिस की टीम पहुंची तो जांच में हकीकत कुछ और ही निकली। दरअसल, राखी की कार पर कोई पत्थर नहीं बल्कि एक गेंद गिरी थी। और ये गेंद 11 साल के एक बच्चे की थी। बच्चे के मुताबिक रविवार शाम को जब अपने घर की छत पर खेल रहा था, उसी दौरान उसकी गेंद नीचे से गुजर रही राखी की कार पर जा गिरी और उनकी कार का शीशा टूट गया। इसके बाद बच्चा और उसके पिता ने नीचे आकर राखी बिड़ला से माफी मांगी।



बच्चा ने कहा कि उसकी गेंद से राखी की कार का शीशा टूटा, और उसने इसके लिए माफी भी मांगी। इस बात की गवाही इलाके के लोग भी दे रहे हैं लेकिन सवाल ये है कि राखी बिड़ला ने ये बात पुलिस से क्यों छिपाई। उन्होंने पुलिस को दी शिकायत में बच्चे के माफी मांगने की बात क्यों नहीं बताई। वहीं, घटना के तुरंत बाद जब राखी से ये पूछा गया कि क्या वो सुरक्षा लेंगी तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया।



राखी ने कहा, 'मैं कोई सुरक्षा नहीं लूंगी। यह हमारे सिद्धांत पर आधारित फैसला है। मैं डरी-सहमी नहीं हूं। मैं लोगों के कल्याण के लिए काम करना जारी रखूंगी।' हमारी पाटच् की नेता संतोष कोली ने समाज के लिए अपनी जान दे दी। हम लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे संतोष कोली से प्रेरणा मिलती है और ऐसी घटनाओं से डरूंगी नहीं।'















राखी मंगोलपुरी इलाके की विधायक भी हैं। लोगों का कहना है कि जिस नेता को उन्होंने खुद चुनकर मंत्री बनाया हो वो भला उन पर क्यों हमला करेंगे। लोगों का कहना है कि इस घटना को लेकर राखी ने जो रवैया अपनाया वो सुर्खियां बटोरने का सियासी स्टंट है। यही नहीं लोगों का आरोप है कि माफी मांगने के बावजूद राखी के पिता ने बच्चे के परिवार को अपशब्द भी कहे।

एमबीएम इंजीनियरिंग हॉस्टल में फर्स्ट ईयर के छात्र के साथ रैगिंग



जोधपुर. शनिवार दोपहर- एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज। इंजीनियरिंग फस्र्ट ईयर का स्टूडेंट्स देवकिशन (परिवर्तित नाम) कॉलेज की ही किसी लड़की से बात कर रहा था। चार-पांच छात्र वहां आते हैं और देवकिशन के साथ मारपीट करते हैं और चेतावनी देकर चले जाते हैं।
एमबीएम इंजीनियरिंग हॉस्टल में फर्स्ट ईयर के छात्र के साथ रैगिंग
सीनियर्स बुला रहे हैं, हॉस्टल में चल...
शनिवार रात बारह बजे
देवकिशन और उसके सहपाठी राजेश (परिवर्तित नाम) हॉस्टल में पढ़ रहे थे। रात 12 बजे चार-पांच लड़के आते हैं और कहते हैं हॉस्टल संख्या आठ के कमरा नंबर 15 में चलो 'बॉसÓ बुला रहे हैं। दोनों छात्र कमरा संख्या में 15 में जाते हैं। वहां पहले से ही करीबन 20 छात्र मौजूद थे। इन छात्रों ने पहले तो दोनों के साथ मारपीट की। फिर डराया धमकाया और गाली-गलौच की।

फिर देवकिशन को थप्पड़ मारकर कहा लड़की से बात करता है, चल-बे, मुर्गा बन जा। लड़की से बात करना भूल जाएगा। चल जल्दी से मुर्गा बन। दूसरे छात्र राजेश के साथ भी मारपीट हुई। इससे घबराए दोनों छात्रों ने वार्डन डॉ.एसके सिंह से लिखित में शिकायत की। इस बीच छात्रों के अभिभावक आ गए और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं होने का उलाहना दिया। वार्डन ने कार्रवाई का भरोसा देते हुए अभिभावकों को शांत कर दिया।


बचाने आए तो साथी का पैर तोड़ दिया था

रविवार दोपहर सवा बजे
लाठियों व अन्य हथियारों से लैस होकर कई छात्र हॉस्टल सात व आठ के मेन गेट पर आते हैं। यहां खड़े देवकिशन व राजेश व अन्य छात्रों के साथ मारपीट करते हैं। उन्हें कुछ सीनियर बचाने आए तो उनको भी पीटा गया। इस बीच देवकिशन को बचा रहे एक अन्य छात्र शक्तिसिंह के पैर में फ्रैक्चर हो गया। ये लड़के बचने के चक्कर में हॉस्टल के बाहर भी भागे, लेकिन यहां भी उन छात्रों ने उनकी पिटाई की। पुलिस आने की सूचना मिली तो वे वहां से भाग गए।

रविन्द्र शर्मा त्न जोधपुर
एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज हॉस्टल में सीनियर द्वारा जूनियर के साथ मारपीट का एक और मामला सामने आया है। शनिवार और रविवार कोछात्र देवकिशन को लड़की के साथ बातचीत करना महंगा पड़ गया। सीनियर ने उसके साथ जमकर पिटाई की और रैगिंग लेते हुए मुर्गा बना दिया। देवकिशन के सहपाठी राजेश के साथ भी मारपीट की गई।


इस संबंध में रातानाडा थाना पुलिस ने नौ छात्रों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की है। पीडि़त पक्ष के एक छात्र शक्तिसिंह के पैर की हड्डी टूटने पर उसे एमडीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। घबराए दोनों छात्रों ने वार्डन डॉ.एसके सिंह से लिखित में शिकायत की।



दूसरे गुट के छात्रों ने लाठियों व अन्य हथियारों से लैस होकर रविवार दोपहर करीब सवा बजे हॉस्टल सात व आठ के मेन गेट पर खड़े देवकिशन व राजेश के अलावा कुछ अन्य छात्रों के साथ मारपीट कर दी। इस बीच देवकिशन को बचा रहे शक्तिसिंह के पैर में फ्रैक्चर हो गया। इस बीच पुलिस आने की सूचना मिली तो वे वहां से भाग गए। मारपीट करने के मामले में मनीष मीणा, संतोष मीणा, दीपक मीणा, हेमेंद्र मीणा, सागर मीणा, विकास मीणा, राहुल मीणा, महेंद्र मीणा, अर्जुन मीणा सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है।

तेलुगु फिल्म अभिनेता उदय किरण ने खुदकुशी की

हैदराबाद। तेलुगु फिल्म अभिनेता उदय किरण (33) ने आत्महत्या कर ली है। प्रारंभिक खबरों के अनुसार उदय ने रविवार रात श्रीनगर कॉलोनी स्थित अपने फ्लैट में फांसी लगा ली। उदय की पत्नी विशिता व पड़ौसी उन्हें जुबली हिल्स स्थित अपोलो अस्पताल ले गए जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उदय की मौत के कारणों का पता अभी नहीं चला है। उदय ने अपने 34वें जन्मदिन से 20 दिन पहले ही जान दे दी।
तेलुगु फिल्म अभिनेता उदय किरण ने खुदकुशी की
प्राप्त जानकारी के अनुसार उदय रविवार रात अपने फ्लैट पर अकेले थे। उनकी पत्नी किसी काम से मनिकोंडा गई थीं। विशिता ने उदय को फोन किया लेकिन उन्होंने उठाया नहीं। बार-बार फोन करने पर भी जब उन्होंने फोन नहीं सिसीव किया तो वे घर आई जहां उदय को फांसी के फंदे से झूलते पाया।


उदय किरण ने चितराम, नुव्वू नेनू, मनसन्था नुव्वे, नी स्त्रेहम जैसी फिल्में कीं। उदय को अंतिम बार एक्शन एंटरटेनर जय श्रीराम में देखा गया था। उदय ने अक्टूबर 2012 में विशिता से शादी की थी।


उदय की मेगा स्टार व केंद्रीय मंत्री चिरंजीवी की बेटी से 2003 में सगाई हुई थी। लेकिन सगाई टूट गई। उदय ने फिल्मों में काम करना जारी रखा लेकिन उन्हें कोई खास सफलता हााथ नहीं लगी।

सावधान! डबल के चक्कर में कहीं डूब न जाए फर्जी कंपनियों में जमा करवाई आपकी पूंजी


सावधान! डबल के चक्कर में कहीं डूब न जाए फर्जी कंपनियों में जमा करवाई आपकी पूंजी


बालोतरा की कंपनी के लोगों के खिलाफ पैसे हड़पने का मामला दर्ज
कंपनी के मैनेजर ने इस्तगासे के आधार पर दर्ज करवाया नामजद मुकदमा
जालोर बाड़मेर की एक निवेशक कंपनी पर धोखाधड़ी कर लोगों के लाखों रुपए हड़पने का मामला प्रकाश में आया है। जालोर कोतवाली थाने में इस्तगासे के आधार पर मुकदमा दर्ज हुआ है। जानकारी के अनुसार आशापूर्णा कॉलोनी निवासी निलाभ सक्सेना पुत्र रमेशचंद्र सक्सेना ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि उन्होंने रिपोर्ट में बताया है कि अमित कुमार दवे व अन्य लोगों ने धोखाधड़ी करने की नियत से रिसर्च इंडिया इन कॉर्पोरेशन कंपनी की स्थापना बालोतरा (बाड़मेर) में 2009 में की। मैं अमित कुमार दवे एवं उनके पिता पृथ्वीराज दवे को पहले से ही जानता था, इसलिए उन्होंने मुझे रिसर्च इंडिया इन कार्पोरेशन कंपनी बालोतरा (बाड़मेर) की जालोर शाखा में ब्रांच मैनेजर के पद पर नियुक्त किया गया था। इसके बाद जालोर के लोगों से संपर्क कर कंपनी में लाखों रुपए का निवेश किया। इस बीच जिन लोगों ने कंपनी में पैसे जमा करवाए उनके खाते पूरे होने पर उन्हें पैसे वापस लौटाए गए, जिससे लोगों में पैठ बन गई और कई लोगों ने इसमें निवेश करना शुरू कर दिया।

लेकिन मार्च 2013 के बाद में कंपनी की ओर से लोगों को करीब करीब पैसे देने बंद कर दिए। कंपनी की ओर से नवंबर 2013 में जालोर का ऑफिस बंद कर दिया। इस बारे में कंपनी के पदाधिकारियों से संपर्क किया तो वे कुछ दिन में पैसे देने का कहकर बात टालते रहे। वर्तमान में कंपनी में कई लोगों के करोड़ों रुपए अटके पड़े है, कंपनी की ओर से अब बहाना बनाया जा रहा है और पैसे नहीं दिए जा रहे हैं। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

कंपनी की पूरी जानकारी के बाद ही जमा करवाएं अपनी रकम, कई कंपनियां कम दिनों में धन दुगुना, तिगुना करने का लालच देकर जमा कर ठगा, अब ऑफिस कर दिए बंद, निवेशक हो रहे परेशान

जालोर

यदि आप अपनी मेहनत की कमाई अधिक ब्याज मिलने के लालच में किसी कंपनियों में जमा करवा रहे है तो सावधान हो जाए, वरना आपकी ओर से जमा करवाई गई राशि डूब सकती है। कई शातिर लोग कम समय में धन दुगुना व तिगुना करने का लालच देकर लोगों की गाढ़ी कमाई की राशि लूटने में लगे हुए हैं।

जिले में ऐसे कई लोग है जिन्होंने अपनी मेहनत की कमाई किसी ऐसी कंपनी में जमा करवाई जो डूब गई है, और कंपनी वाले अब उन्हें कोई जवाब तक नहीं दे रहे हैं। ऐसी कंपनियों की ओर से जिले भर में अपने एजेंट भी बनाए जाते हैं, यह एजेंट गांव गांव में घूम घूम कर लोगों को अधिक ब्याज देने का लालच देते हैं, जिससे लोग इनके झांसे में आकर अपने पैसे उनके पास जमा करवा देते हैं, लेकिन जब समय सीमा पूरी हो जाती है तो उन्हें वह पैसे वापस नहीं मिलते। ऐसी कंपनियों या उनकी फर्म की ओर से लोगों को प्रभावित करने के लिए अपने दफ्तर खोले जाते हैं तथा दफ्तरों में सारी सुविधाएं होती है जिसे देखकर लोग कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं।



तथा अपने पैसे जमा करवा देते हैं। इस तरफ का गोरखधंधे करने वाले लोग सोची समझी साजिश के तहत लोगों को ठगने का कारोबार चलाते हैं, कई लोग चैन सिस्टम की आड़ में भी लोगों को लूटने का कार्य किया जाता है। जिले में कई लोग ऐसे है जिन्होंने ऐसी कंपनियों में पैसे जमा करवाए, लेकिन अब समय सीमा पूरी हुई तो वे अपने दफ्तर पर ताला लगाकर रातों रात खाली कर चले गए। लोग अब पैसे के लिए इधर उधर चक्कर काट रहे हैं, मगर उनको कोई जवाब नहीं मिल रहा है।

शर्म के मारे नहीं करवाते मुकदमा

कई लोग ऐसी कंपनियों के जाल में फंस जाते हैं, लेकिन जब समय सीमा पूरी होने के बाद उन्हें पैसे नहीं मिलते तो वे ठगी का पता चलने के बाद भी लोगों की शर्म के मारे वे पुलिस में इसकी रिपोर्ट करने से डरते हैं।

अधिक ब्याज दें तो पहले सोचे

फर्जी कंपनियों वाले लोगों को कम समय में अधिक ब्याज देने का लालच देते हैं, कई बार वे इस पैसे के बदले में किसी स्थान की जमीन भी बता देते हैं, लालच देते है कि यदि पैसे नहीं चाहिए तो आप कंपनी की जमीन भी खरीद सकते हैं। यदि किसी कंपनी, बैंक या सोसायटी का कोई प्रतिनिधि या एजेंट आपको कम समय में धन दुगुना, तिगुना या अधिक ब्याज देने का लालच देता हो तो पहले सके बारे में सोचे समझे और कंपनी का पता करें इसके बाद ही अपनी पूंजी जमा करवाए।

॥इस्तगासे के आधार पर आशापूर्णा कॉलोनी निवासी निलाभ सक्सेना पुत्र रमेशचंद्र सक्सेना ने बालोतरा की कंपनी के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है, रिपोर्ट के आधार पर धारा 420, 406 में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। -मांगीलाल, कोतवाल, जालोर

पूरी जांच पड़ताल के बाद ही जमा करवाएं पूजी

इस प्रकार की ठगी के मामले सामने आते रहते हैं, इसलिए अपना धन किसी सोसायटी, बैंक या कंपनी के एजेंट के पास पैसे जमा करवाने से पहले उस कंपनी की पूरी जांच पड़ताल करें, इसके बाद ही उस कंपनी या बैंक या एजेंट के पास पैसे जमा करवाए, वरना अधिक ब्याज के चक्कर में मूल धन भी वापस नहीं मिलेगा।

यदि आपके साथ भी ऐसी घटना हुई है तो हमें बताए

यदि आपके साथ भी इस प्रकार की कोई घटना हुई हो तो आप हमें इसकी जानकारी मोबाइल नंबर 9587653030 पर दें सकते हैं, हम आपकी इस घटना का हमारे समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे ता कि इस पर कोई कार्रवाई हो और दूसरे लोग इस प्रकार की कंपनियों के बहकावे आकर अपना धन नहीं गवाएं।

जालोर के राजेंद्र नगर निवासी सुरेंद्रसिंह पुत्र मदनसिंह ने रिसर्च इंडिया इन कॉर्पोरेशन कंपनी में करीब 1 लाख रुपए जमा करवाए थे, समय पूरा हुआ जितने में कंपनी ने जालोर से ऑफिस बंद कर दिया, अब उन्होंने कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया लेकिन कोई समाधान नहीं हो रहा है।

बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी निवासी उम्मेदसिंह पुत्र भीकसिंह ने जालोर में रिसर्च इंडिया इन कॉर्पोरेशन की स्थानीय शाखा में दो साल पहले अपने परिवार के सदस्यों के नाम करीब 3 लाख रुपए जमा करवाए थे, अब इस कंपनी का ऑफिस बंद हो गया है, कंपनी की ओर से उन्हें चेक भी दिए गए थे, जब इन्होंने बैंक में चेक लगाया तो चेक बाउंस हो गया। कंपनी के मुख्य कार्यालय बालोतरा में संपर्क किया तो वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा।

पति को लिखा खत,मैंने रचा ली है शादी

हिसार। हरियाणा के भिवानी जिले के प्रहलादगढ गांव की एक विवाहिता ने दांत दर्द का बहाना करके दूसरी शादी रचा डाली। सूरजन सिंह की पत्नी और साढ़े तीन साल के बच्चे की मां दांत उखड़वाने का बहाना बनाकर भिवानी के सिविल अस्पताल गई और दूसरी शादी रचा ली। दूसरे दिन महिला ने पत्र भेजकर अपने पति को दूसरी शादी रचाने की बात का खुलासा किया।


अब मासूम बच्चे को लेकर न्याय के लिए भटक रहे पति ने मामले की शिकायत सदर पुलिस थाने में दर्ज करवाई है। पुलिस महिला की खोजबीन में जुटी हुई है। सूरजन सिंह ने बताया कि उसकी शादी करीब चार साल पहले गांव झडोदा निवासी गीता से हुई थी। शादी के बाद उसे एक लड़का हुआ जो अब साढे तीन साल का है। वह मजदूरी कर अपने परिवार को पाल रहा है।

एक जनवरी को उसकी पत्नी गीता सुबह करीब दस बजे भिवानी के सिविल अस्पताल में दांत निकलवाने की बात कहकर गई थी और वापस नहीं लौटी। दूसरे दिन मिले पत्र में गीता ने बताया कि उसने फरीदाबाद के एक लड़के से शादी रचा ली है और बच्चे को अब तुम पालना। पीडित ने बताया कि उसकी पत्नी व उसका कभी कोई झगड़ा तक नहीं हुआ और उसने उसे इस तरह बेवजह धोखा देकर दूसरी शादी रचा ली।

एक महान कवि संत नरसिंह मेहता


संत नरसिंह मेहता गुजरात के एक महान कवि  संत थे| महात्मा गाँधी जी को अति प्रिय भजन “वैष्णव जन तो ते ने कहिये रे जो पीड पराई जाने रे “ नरसिंह मेहता द्वारा ही रचा गाया है| बचपन से ही आप कृष्ण भगवान के भजन गाते थे |



आप का जन्म १४०० इ. के लगभग तलाजा, जिल्हा भावनगर, सौराष्ट्र में हुआ | आप काफी कम उम्र के थे जब आप जी के माता पिता का देहांत हो गाया| माता पिता के देहांत के बाद आप अपने भाई और भाभी के साथ जूनागढ़ में रहने लगे| आप घर के काम काज में बिलकुल भी ध्यान नहीं देते थे| सारा समय कृष्ण भगति में ही लगे रहते| आप के भाई ने आप की शादी मानेकबाई से कार दी ताकि आप घर की जिम्मेदारी सँभालने लगें, लेकिन शादी से भी नरसिंह को कोई फरक नहीं पडा |




नरसिंह मेहता की भाभी आप को बहुत भला बुरा कहती थी| एक दिन भाभी की बातों से तंग आकर आप जंगल चले गए और बिना खाए पिये ७ दिन तक शिवजी के मंदिर में आराधना की | भगवान शिव एक साधु के रूप में प्रगट हुए| नरसिंह जी के अनुरोध पर भगवान शिव आप को वृन्दावन में रास लीला दिखाने को ले गए| आप रास लीला देखते हुए इतने खो गए की मशाल से अपना हाथ जला बेठे | भगवान कृष्ण ने अपने स्पर्श से हाथ पहले जैसा कर दिया और नरसिंह जी को आशीर्वाद दिया | घर आकर आप ने भाभी का धन्यवाद किया |

इसके बाद आप को दो संताने हुई पुत्र श्यामलदास और पुत्री कुंवरबाई | आप हमेशा कृष्ण भगति में खोए रहते, खुद को गोपियों की तरह सजा लेते|

नरसिंह जी सब में परमेश्वर को हि देखते थे| उनके लिये ऊँच नीच कुछ नहीं था | भजन उनके जीवन का अभिन्न अंग था| परमेश्वर के प्रति उनका अपार प्रेम था | जहां नरसिंह अपनी भक्ति के कारण विख्यात हो गये थे वहीं ब्राह्मण समाज उनसे जलने लगा था |



नरसिंह जी के जीवन में कई बार चमत्कार हुए|



एक समय नरसिंह और उनके भाई तीर्थ यात्रा पर जाते समय एक जंगल में से गुजर रहे थे| दोनों बहुत थक चुके थे और भूख भी बहुत लगी थी | कुछ दुरी पर एक गाँव दिखाई दिया | उस गाँव के कुछ लोग इन दोनों के पास आये और कहा की अगर आप कहें तो हम आप के लिये खाना ले आते हैं, पर लेकिन हम शुद्र (नीच ) जाती के हैं | नरसिंह जी ने उन्हें कहा की सभी परमेश्वर की संतान हैं आप तो हरि के जन हैं मुझे आप का दिया भोजन खाने में कोई आपत्ति नहीं | नरसिंह ने खुशी से भोजन खाया लेकिन उनके भाई ने भोजन खाने से इनकार कार दिया | चलने से पहले नरसिंह जब गाँव वालों का धन्यवाद करने के लिये उठे तो उन्हें कहीं भी गाँव नजर नहीं आया |



आचार्य श्री गरीब दास महाराज जी ने भक्त माल में नरसिंह मेहता जी के साथ हुए दो घटनाओं का वर्णन किया है |

१. सांवल शाह की घटना

आये हैं साधु नरसीला के पास | हुंडी करो नै नरसीला जो दास || ५५ ||

पांच सौ रूपये जो दीन्हें जो रोक | करो बेग हुंडी द्वारा नाथ पोष || ५६ ||

सड़ सड़ लिखी बेग कागज मंगाय | टीके दिया शाह सांवल चढाय || ५७ ||

द्वारा नगर बीच पौहंचे हैं संत | पाया न सांवल लिया है जु अंत || ५८ ||

द्वारा नगर के जु बोले बकाल | नहीं शाह सांवल नरसीला घर घाल || ५९ ||

करी है जु करुणा अबरना आनंद | भये शाह सांवल जो साहिब गोविन्द || ६० ||

चिलकी करारे हजारे हजार | दिने दुचंद जो सांवल मुरार || ६१ ||

दोहरी कलम टांक बहियां बिनोद | भये शाह सांवल नरसीला प्रमोध || ६२ ||

चौरे गिने बेग पल्ला बिछाय | देखैं द्वारा नगर के सकल शाह || ६३ ||

खरचे खाये संतौं किन्हें मुकाम | द्वारा नगर बीच दीन्हें जु दाम || ६४ ||

सांवल शाह संतौं से किन्हा बसेख | नरसीला से बन्दगी हुंडी ध्यों अनेक || ६५ ||

पहली नरसीला नै दीन्हा भंडार | पीछे सांवल शाह पौहंचे पुकार || ६६ ||



एक बार द्वारका को जाने वाले कुछ साधु नरसिंह जी के पास आये और उन्हें पांच सौ रूपये देते हुए कहा की आप काफी प्रसिद्ध व्यक्ति हो आप अपने नाम की पांच सौ रुपयों की हुंडी लिख कर दे दो हम द्वारका में जा कर हुंडी ले लेंगे| पहले तो नरसिंह जी ने मना करते हुए कहा की मैं तो गरीब आदमी हूँ , मेरे पहचान का कोई सेठ नहीं जो तुम्हे द्वारका में हुंडी दे देगा, पर जब साधु नहीं माने तो उन्हों ने कागज ला कर पांच सौ रूपये की हुंडी द्वारका में देने के लिये लिख दी और देने वाले (टिका) का नाम सांवल शाह लिख दिया|

( हुंडी एक तरह के आज के डिमांड ड्राफ्ट के जैसी होती थी| इससे रास्ते में धन के चोरी होने का खतरा कम हो जाता था | जिस स्थान के लिये हुंडी लिखी होती थी, उस स्थान पर जिस के नाम की हुंडी हो वह हुंडी लेन वाले को रोख दे देता था | )

द्वारका नगरी में पहुँचने पर संतों ने सब जगह पता किया लेकिन कहीं भी सांवल शाह नहीं मिले | सब कहने लगे की अब यह हुंडी तुम नरसीला से हि लेना |

उधर नरसिंह जी ने उन पांच सौ रुपयों का सामान लाकर भंडारा देना शुरू कर दिया| जब सारा भंडारा हो गाया तो अंत में एक वृद्ध संत भोजन के लिये आए | नरसिंह जी की पत्नी ने जो सारे बर्तन खाली किये और जो आटा बचा था उस की चार रोटियां बनाकर उस वृद्ध संत को खिलाई | जैसे ही उस संत ने रोटी खाई वैसे ही उधर द्वारका में भगवान ने सांवल शाह के रूप में प्रगट हो कर संतों को हुंडी दे दी |

आचार्य जी अन्न्देव की छोटी आरती में भी इस बात का प्रमाण देते हैं| जैसे

रोटी चार भारजा घाली, नरसीला की हुंडी झाली |



(भारजा – पत्नी, घाली- डाली, देना, झाली- हो गई)

सांवल शाह एक सेठ का भेष बनाकर संतों के सामने आए | और भरे चौक में संतों को हुंडी के रूपये दिये | द्वारका के सभी सेठ देखते ही रह गये |





२. नरसीला जी की ध्योती की शादी की घटना



बेटी नरसीला की भेली चढ़ाय | चालो पिता तेरी ध्योती का व्याह || ६७ ||

मैं निर्धन भिखारी नहीं मेरै दाम | आऊंगा बेटी मैं सुमरुन्गा राम || ६८ ||

नरसीला खाली गये पल्ला झार | आगे खरी एक समधनि उजार || ६९ ||

भातई आये हैं जो धी के पिता | करुवे के घाल्या जु हम कूं बता || ७० ||

समधनि कहै सखियों मैं सुनाय | दो भाठे घाले हैं करुवे पिताय || ७१ ||

नरसीला सुनि कर जो हुये आधीन | लज्जा राखो मेरे साहिब प्रबीन || ७२ ||

आये विश्वम्भर जो गाडे लदाय | ल्याये माल मुक्ता जो कीन्ही सहाय || ७३ ||
सुहे जरीबाब मसरू अपार | गहना सुनहरी और मोती हजार || ७४ ||

हीरे हरी भांति लाली सुरंग | चाहै सु देवै छुटी धार गंग || ७५ ||

नगदी और जिनसी खजानें मौहर | उतरैं जरीबाब झीनी दौहर || ७६ ||

चुन्नरी चिदानन्द ल्याये अनूप | झालर किनारी जरीदार सरूप || ७७ ||

समधनि सुलखनी खरी है जु पास | भरे भात नरसी जो हीर्यों निवास || ७८ ||

घोरे तुरंगम दिये हैं जो दान | अरथ बहल पालकी किये हैं कुर्बान || ७९ ||

कलंगी रु झब्बे सुनहरी हमेल | हीरे जड़ाऊँ मोती रंगरेल || ८० ||

नरसी अरसी है समुद्र में सिर | गैबी खजाने अमाने जो चीर || ८१ ||

भाठे परे दोय धूं धूं धमाक | देखें दुनी चिश्म खौलै जो आंख || ८२ ||

चांदी सोने के हैं भाठे जु दोय | समधनि लिया मुख उलटाई गोय || ८३ ||



भेली – गुड की डली ( शगुन के तोर पर दी जाती थी| जैसे आज कल कार्ड के साथ मिठाई का डिब्बा देते है|)

समधनि – कुडमनी (बेटी/बेटे की साँस )

भातई – मामा

भात – नानकशक (लड़की या लड़के के विवाह में नाना / मामा की तरफ से दि जाने वाली सामग्री)

करुवे – कन्यादान

भाठे – मिट्टी के ठेले या बर्तन,





एक समय नरसिंह की ध्योती की शादी थी| नरसिंह की लड़की उन्हें शगुन के तोर पर गुड देते हुए बोली की पिता जी आप ने शादी में जरुर आना है | नरसिंह बहुत गरीब थे उन्होंने कहा की बेटी मेरे पास तो शादी में देने के लिये कुछ भी नहीं है | मैं आ जाऊंगा लेकिन भगवान का नाम ही लूँगा | जब नरसिंह जी ध्योती की शादी में पहुंचे तो किसी स्त्री ने उन की समधनि ने पूछा की लड़की के मामा और नाना में आये है, उन्होंने कन्यादान में क्या दिया है | आगे से समधनि ने मजाक में कह दिया की दो भाठे दिये हैं|

यह सुन कर नरसिंह शर्मिंदा हो गये और भगवान को याद कर उन्हें उसकी इज्जत बचाने को कहने लगे | तभी भगवान बैल गाडी लाद कर सामान की लाए | भगवान लड़की के लिये लाल सूट, चुनरी, विवाह की सारी जरी(कपडे), गहना, मोती, हीरे, घोड़े, पालकी तथा अनेक तरह के उपहार ले कर आए | नरसिंह जी ने खुशी खुशी भात (नानकशक) दिया | तभी दोनों भाठे धूं धूं कर टूट गये और सभी देख कर हैरान रह गये की दोनों भाठे सोने और चांदी से भरे थे | और इस तरह भगवान ने अपार सामग्री देकर अपने प्रिय भगत नरसिंह की लाज रख ली |



इसी तरह भगवान ने कई बार नरसीला की मदत की |

कृष्ण मंदिर में गायी जाती है मुसलिम भक्त के नाम की आरती

राजस्थान के करौली नगर में मदन मोहन का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में भगवान मदन मोहन यानी श्री कृष्ण विराजमान हैं। यहां के निवासियों में मदन मोहन के प्रति अपार श्रद्धा और आस्था है। करौली के मदन मोहन की एक कथा यहां काफी लोकप्रिय है। कथा है कि ताज खां नाम का एक मुसलमान कृष्ण की प्रतिमा की एक झलक पाते ही उनका अनन्य भक्त बन बैठा।

ताज खां कचहरी में एक चपरासी था। एक बार कचहरी के काम से इन्हें मदनमोहन जी के पुजारी गोस्वामी जी के पास भेजा गया। ताज खां मंदिर के बाहर खड़े रहकर ही गोस्वामी जी को अवाज लगाने लगे। इसी समय उनकी नजर मंदिर में स्थित मदनमोहन जी की मूर्ति पर गयी और वे कृष्ण के मुख को देखते रह गये। गोस्वामी जी के आने पर उनका ध्यान भंग हुआ और कचहरी का संदेश गोस्वमी जी को देकर ताज खां विदा हो गये।

ताज खां के मन मस्तिष्क पर मदन मोहन की ऐसी छवि बनी की हर पल उन्हें देखने की ताक में रहने लगे। मुसलमान होने के कारण वह मंदिर में जाने से डरते और बाहर से ही मदनमोहन को निहारते रहते। गोस्वामी जी को जब शंका हुई कि ताज खां छुपकर मदनमोहन का दर्शन करते हैं तो ताज खां को मंदिर आने से मना कर दिया। ताज खां गोस्वामी जी के मना करने के बाद भी मदर्शन के लिए मंदिर पहुंच गये तो एक कार्यकर्ता ने ताज खां को धक्का मार कर भगा दिया।

ताज खां इससे बहुत दुःखी हुए और भोजन पानी त्याग कर मदनमोहन को याद करके रोते रहे। कहते हैं कि भक्त की इस लगन पर भगवान का हृदय करूणा से भर उठा। मंदिर का नियम है कि रात्रि में आरती पूजा के बाद भगवान के सामने प्रसाद का थाल रखकर मंदिर का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया जाता है। रात्रि पूजा के बाद जब मंदिर बंद हुआ तो भगवान ने मंदिर के कार्यकर्ता का रूप धारण किया और प्रसाद की थाल लेकर भक्त ताज खां के घर पहुंच गये।

भगवान ने ताज खां से कहा कि गोस्वामी जी ने आपके लिए प्रसाद भेजा है। आप प्रसाद ग्रहण कर लें और सुबह थाल लेकर मंदिर में मदनमोहन के दर्शन के लिए पधारें। ताज खां को विश्वास नहीं हो रहा था कि गोस्वामी जी ने ऐसा कहा है। फिर भी ताज खां ने मंदिर के कार्यकर्ता का रूप धारण किये हुए भगवान की बात मानकर भावुक मन से प्रसाद ग्रहण किया।

इसके बाद भगवान वहां से विदा हो गये। दूसरी ओर गोस्वमी जी को भगवान ने स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वह प्रसाद की थाल ताज खां के घर छोड़ आये हैं सुबह जब वह प्रसाद की थाल लेकर आए तो उसे मेरे दर्शन से मना मत करना।

गोस्वामी जी सुबह उठे तो देखा सचमुच मंदिर में प्रसाद का थाल नहीं था। गोस्वामी जी दौरकर महाराज के पास गये और सब हाल कह सुनाया। महाराज और गोस्वामी जी दोनों मंदिर लौट आये। मंदिर में पूजा के समय जब ताज खां आया तो उसके हाथ में प्रसाद का थाल देखकर सभी लोग हैरान रह गये। महाराज ने आगे बढ़कर ताज खां को गले से लगा लिया। सभी लोग भक्त ताज खां की जयजयकार कर उठे।

भक्त ताज खां को आज भी करौली के मदनमोहन मंदिर में संध्या आरती के समय 'ताज भक्त मुसलिम पै प्रभु तुम दया करी। भोजन लै घर पहुंचे दीनदयाल हरी।।' इस दोहे के साथ याद किया जाता है।

बालोतरा रंग रेलिया मनाते हुए रंगे हाथो पकड़े जाने का मामला



बालोतरा। शहर के रबारियो के टांके इलाके में रविवार की शाम को एक निजी स्कूल में लडक़े ओर लड़कियो के रंग रेलिया मनाते हुए रंगे हाथो पकड़े जाने का मामला सामने आया हैं। जानकारी के अनुसार स्कूल के पड़ोसियो की इत्तिला पर पुलिस मोके पर पहुची ओर कमरे में बंद लडक़े ओर लडक़ी को थाने लाया। जानकारी के अनुसार पकड़े गये लडक़ो में स्कूल संचालक का लडक़ा ओर एक पुलिस कार्मिक का रिश्तेदार भी शामिल हैं। खबर लिखे जाने तक थाने में मामले को लेकर रिर्पोट दर्ज नही हुुई थी।

रविवार, 5 जनवरी 2014

मुहब्बत, मां और मर्डर... कत्ल गैर मजहब के लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी बेटी, करवाया कत्ल



मुहब्बत, मां और मर्डर... कत्ल तो इससे पहले भी हुए और आगे भी होंगे. लेकिन एक लड़की के कत्ल की ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी. क्योंकि रिश्तों के भंवर में उलझी एक आजाद ख्याल लड़की के ये अंत की ये वो वारदात है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल लगता है.
पुष्पा और किरण
ये वारदात है फरीदाबाद की. तारीख 28 दिसंबर, 2013. वक्त सुबह 6 बजे. सुबह सुबह यहां के एक मकान के बाहर मौजूद पुलिसवालों की भीड़ ये बता रही थी कि यहां कोई अनहोनी जरूर हुई है. पुलिस को देख कर आस-पड़ोस के लोग भी मौके पर इकट्ठा होने लगे थे.

और फिर मकान के अंदर से अनहोनी की खबर कानों-कान बाहर निकली और देखते ही देखते पूरे शहर में आम हो गई. ये खबर जितनी अजीब थी, उतनी ही डरावनी. इस घर में एक कत्ल हुआ था. घर की इकलौती जवान बेटी का कत्ल. 22 साल की किरण को कोई रात के अंधेरे में घर में घुस कर तेजधार हथियार से गला रेत कर मौत के घाट उतार गया था. जबकि घर के बाकी लोगों को कातिलों ने छुआ तक नहीं.

फरीदाबाद के सेक्टर 45 में ये मकान था बिल्डिंग मेटेरियल के सप्लायर सुरेंद्र कोहली का. सुरेंद्र मोहल्ले के अमनपसंद लोगों में गिने जाते थे और अपने काम से काम रखते थे. जबकि उनके अलावा इस घर में उनकी पत्नी पुष्पा, बेटी किरण, और 15 साल का बेटा कुणाल रहता था. किरण का भी अपने मोहल्ले में लोगों से मिलना-जुलना कम ही होता था. क्योंकि वो नोएडा के किसी रियल स्टेट कंपनी में काम करती थी और अक्सर देर रात को घर लौटती थी. वारदात की रात सुरेंद्र अपने बेटे कुणाल के साथ किसी काम से बाहर थे, जबकि घर में पुष्पा बेटी किरण के साथ मौजूद थी. यानी इस मकान के अंदर हई कत्ल की इस रहस्यमयी वारदात का अगर कोई चश्मदीद था, तो वो थी मरनेवाली लड़की किरण की मां पुष्पा.

चूंकि मामला बेटी की मौत का था. पुलिस भी फौरन पुष्पा से ज्यादा पूछताछ करने से झिझक रही थी. लेकिन मौका ए वारदात की हालत इशारा कर रही थी कि कातिलों ने पहले पुष्पा के हाथ-पांव बांधे और फिर उसकी बेटी की जान लेने के बाद फरार हो गए. चूंकि पुष्पा पहले ही लूटपाट जैसी किसी वारदात से इनकार कर चुकी थी, पुलिस को शक होने लगा कि हो ना हो किसी ने किरण से दुश्मनी निकालने के लिए ही घर में घुस कर उसकी जान ले ली. लेकिन आखिर कौन हो सकता था किरण का कातिल? और किरण से उसकी क्या थी दुश्मनी?

पुष्पा का चौंकाने वाला खुलासा
जाहिर है, सारे सवालों का जवाब किरण की मां पुष्पा के पास ही था. लिहाजा, थोड़े इंतजार के बाद पुलिस ने पुष्पा से ही कातिलों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. लेकिन पुष्पा ने पुलिस को जो कुछ बताया, उसे सुन कर वर्दीवाले बुरी तरह चौंक उठे. पुष्पा ने कहा कि बीती रात उनकी बेटी की दो सहेलियां उससे मिलने आई थी और उन्हीं दोनों ने उनकी बेटी का कत्ल कर दिया. तो, क्या ये एक ओपन एंड शट केस था...? और क्या फकत उन सहेलियों की गिरफ्तारी पर ही मामले की तफ्तीश टिकी थी? लेकिन इसके आगे जो कुछ हुआ, वैसा किसी ने नहीं सोचा था.

घर में दाखिल हुई दो लड़कियों ने आख़िर रातोरात किरण का कत्ल कैसे कर दिया? वो भी तब जब किरण की मां भी घर में में ही मौजूद थी? अगर, वो लड़कियां किरण की दुश्मन थी, तो किरण ने उन्हें पहचाना क्यों नहीं? सवाल कई थे.

तो क्या पुष्पा ने अपनी बेटी की क़ातिल सहेलियों को देखा था? और क्या अब पुलिस के लिए उसकी बताई गई बातों और हुलिए की बिनाह पर कातिल लड़कियों को गिरफ्तार करना ही बाकी रह गया था...? ये सवाल बेहद अहम था.

जाहिर है, अब पुलिस लड़की की कातिल सहेलियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना चाहती थी, ताकि जल्द से जल्द उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन पुष्पा से पूछताछ में पुलिस एक कदम आगे बढ़ाती, तो उसे दो कदम पीछे हटाने पड़ते. मामला इतना आसान भी नहीं था जितना लग रहा था.

पूछताछ के दौरान पुष्पा पर हुआ पुलिस को शक
दरअसल, जब पूछताछ आगे बढ़ी तो पुष्पा ने बताया कि ये सहेलियां उसकी बेटी के दफ्तर में ही काम करती हैं. और रात दोनों दफ्तर के काम-काज के सिलसिले में ही यहां पहुंची थीं. रात को उन्होंने यहीं रुक कर काम निपटाने की बात कही और उन्हें सोने के लिए कह दिया. लेकिन सोने से पहले खुद उनकी बेटी किरण ने उन्हें पीने के पानी में कोई ऐसी चीज मिला दी, जिससे वो बेहोश हो गईं और उन्हें बगल में कमरे में हुई अपनी बेटी के कत्ल का पता ही नहीं चला. ये सारी बातें सुनने में ही अजीब लग रही थीं. लेकिन पुलिस जल्दबाजी में किसी नतीजे तक नहीं पहुंचना चाहती थी. लिहाजा, उसने पुष्पा से और पूछताछ करने का फैसला किया.

आखिर कौन थी ये लड़कियां?
अगर वो दोनों वाकई किरण की दुश्मन थी, तो फिर किरण ने उन्हें अपने घर में आने की इजाजत कैसे दी? उसके दफ्तर का ऐसा कौन सा काम था, जिसे दफ्तर में नहीं निपटाया जा सकता था? और किरण उसे अपनी कलीग्स के साथ रात भर में घर में बैठ कर पूरा करना चाहती थी? पुलिस को ये तमाम सवाल लगातार उलझा रहे थे.

अब पुलिस के सवाल लड़कियों के हुलिए को लेकर थे. पुलिस ये जानना चाहती थी कि आखिर उनकी बेटी की कातिल सहेलियां दिखतीं कैसी थीं और उन्होंने क्या पहन रखा था, ताकि हुलिए, डील-डौल और उनकी बोली की बदौलत इन लड़कियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा कर उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन लड़कियों की शक्ल-सूरत के बारे में पूछे गए सवालों ने पुलिस को जैसे किसी दीवार के सामने लाकर खड़ा कर दिया. क्योंकि पुष्पा ने कहा कि लड़कियों की सूरत तो वो तब बताती, जब वो उन्हें देख पातीं. क्योंकि दोनों ही लड़कियां बुर्कानशीं थी. यानी दोनों ने ही बुर्के से अपना चेहरा ढंक रखा था. और जब दोनों ने बुर्का हटाया ही नहीं, तो चेहरा देखने के सवाल ही नहीं उठता था. कुल मिलाकर, पुलिस लड़कियों के हुलिए के बारे में भी ज़्यादा कुछ पता नहीं लगा सकी.

लेकिन इस बातचीत ने पुलिस को एक सुराग जरूर दे दिया कि हो ना हो किरण की जान लेनेवाली दोनों ही लड़कियां मुस्लिम रही होंगी. अब पुलिस ने इस एंगल में किरण के दफ्तर में काम करनेवाली ऐसी दो लड़कियों की तलाश शुरू की, लेकिन इसमें उसे कोई कामयाबी नहीं मिली. लेकिन इसी बीच पुलिस ने इस घर में एक ऐसी अजीब बात नोटिस की, जिसने पूरे मामले की तफ्तीश का ओर-छोर ही बदल कर रख दिया. अब ये केस पूरी तरह यू टर्न ले चुका था.

पुलिस के कान हुए खड़े पुलिस के पास मकतूल भी था. और इस कत्ल का चश्मदीद भी. लेकिन इसके बावजूद पुलिस कातिल का पता नहीं लगा पा रही थी. लेकिन तभी वर्दीवालों के ध्यान में एक ऐसी बात आई, जिसने उनके कान खड़े कर दिए. तो क्या, क़ातिल कोई और था?

पुलिस को इस कत्ल की खबर रात तकरीबन दो बजे ही मिल चुकी थी. बेहोशी से जगी पुष्पा ने पहले तो इसके बारे में अपने पड़ोसियों को बताया और फिर पड़ोसियों ने पुलिस को इत्तिला दी.

पुष्पा का अटपटा रवैया
लेकिन जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो ना तो पुष्पा ज्यादा रो रही थी और ना ही उसका व्यवहार ही सामान्य था. और तो और जिस कमरे में उसकी बेटी की लाश पड़ी थी, वो पुलिस के आने के बाद यानी रात करीब दो बजे से लेकर अगले दिन सुबह तक एक बार भी उधर झांकने तक नहीं गई. जबकि आम तौर पर कोई भी मां अपनी इकलौती लाडली के कत्ल पर ना सिर्फ रो-रो कर बेहाल हो जाती, शायद बेटी की लाश को भी अपने सीने से लगाकर रोना पसंद करती. लेकिन यहां पुष्पा का रवैया थोड़ा अटपटा जरूर था.

ऊपर से पुष्पा की बताई गई बातें मसलन किरण के हाथों से पानी पीने के बाद ही उसका बेहोश हो जाना, रात को डेढ़ बजे अपने-आप जग जाना और घर में आई किसी भी लड़की का चेहरा ठीक से ना देख पाना, पहले ही शक पैदा कर रहा था. जिस तरह पुष्पा का पति सुरेंद्र कोहली और उसका बेटा कुणाल भी वारदात की रात इस घर से ग़ायब थे, वो भी अपने-आप में एक सवाल था. पुलिस के पूछने पर पता चला कि दोनों को पुष्पा ने ही अपने मायके में अपनी बुज़ुर्ग मां से मिलने के लिए भेजा था.

पुष्पा ने ही ली बेटी की जान
पुष्पा के व्यवहार, बयानों और हालात की बदौलत अब पूरी तफ़्तीश पुष्पा के ऊपर ही जाकर टिक गई. पुलिस को लगने लगा का कि हो ना हो पुष्पा ने ही अपनी बेटी की जान ली है, लेकिन एक मां को अपनी बेटी का कातिल करार देने से पहले पुलिस थोड़ी और तसल्ली करना चाहती थी. लिहाजा, उसने धीरे-धीरे पुष्पा को घेरना शुरू कर किया. और तब पुलिस के सख्ती के सामने उसने घुटने टेक दिए. जी हां, ये पुष्पा ही थी, जिसने अपनी बेटी किरण की जान ली थी. मगर, क्यों और कैसे?

अब पुष्पा ने ये मान लिया था कि उसी ने अपनी बेटी का क़त्ल किया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही था कि एक मां के लिए आखिर ऐसा करना कैसे मुमकिन है? आखिर वो कौन सी बात है, जिसने पुष्पा को इतना बेकाबू कर दिया कि उसने खुद अपने ही हाथों से अपने खून का खून कर दिया?

पुष्पा ने सिर्फ इसलिए अपनी बेटी के मौत के परवाने पर अपने दस्तखत कर दिए, क्योंकि उसकी हरकतें उसे नागवार गुजरती थी. उसे लगता था कि उनकी बेटी उनके परिवार की इज्जत मटियामेट कर देगी. और बस, इसी झूठी शान में वो बन गई कातिल मां.

बेटी किरण के आजाद ख्याल से नाखुश थी पुष्पा
दरअसल, वो किरण के आजाद ख्याल होने से काफ़ी दिनों से नाखुश रह रही थी. पहले तो किरण ने अपने ही साथ काम करनेवाले एक शख्स से अपनी मर्जी से शादी की और फिर उसे तलाक भी ले लिया. और इन दिनों वो एक और गैर मजहब के लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी. बल्कि उससे शादी भी करना चाहती थी. इतना ही नहीं, पिछले कुछ दिनों से किरण अक्सर देर रात तक दोस्तों के साथ पार्टी करती, डिस्कोथेक जाती और शराब के नशे में चूर होकर घर लौटती थी. और तो और उसे समझाने-बुझाने का भी कोई असर नहीं होता था.

पुष्पा को था बदनामी का डर
पुष्पा को लग रहा था कि दूसरे धर्म के लड़के के साथ किरण के दूसरी शादी करने से उनके परिवार की बदनामी हो सकती थी, इसलिए उसने अपने एक मुंहबोले चाचा के साथ मिलकर ये पूरी साजिश रची. उसका ये मुंहबोला चाचा कुलविंदर सिंह पंजाब पुलिस में काम करता है. उसने अपनी बेटी के कत्ल की सुपारी के तौर पर कुलविंदर को एक लाख रुपए और जेवर दिए और कत्ल के लिए 28-29 की रात मुकर्रर कर दी. अपने पति और बेटे को इससे अलग रखने के लिए बहाने से उन्हें शहर से बाहर भेज दिया और फिर वारदात की रात कुलविंदर को घर बुला लिया.

कुलविंदर ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक मां के इशारे पर उसकी बेटी की गला रेत कर हत्या कर दी. लेकिन नफरत में पुष्पा इस कदर अंधी हो चुकी थी कि कत्ल के दौरान अपनी बेटी की चीखों से बचने के लिए वो कान में रूई डाल कर दूसरे कमरे में सो गई. और तो और पूछताछ में ये भी साफ हो गया कि एक बार उसने पहले भी तकिए से मुंह दबा कर किरण की जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन तब किरण बच निकली थी.


 

एक गांव ऐसा भी जहां घर में नहीं लगता दरवाजा!



लखनऊ आज जहां चोरी और लूट की वारदात से सबक लेकर गांव-शहर सभी जगह लोग अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम इंतजाम करते हैं, वहीं इलाहाबाद में एक ऐसा गांव है जहां के लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते।
VILLAGE
उनका मानना है कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान काली मां उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के सिंगीपुर गांव के किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। इस गांव में कच्चे, पक्के और झोपड़े को मिलाकर कुल 150 घर हैं।

सिंगीपुर के रहने वाले सहजू लाल ने कहा, 'यह बात बाकी लोगों को चौंका सकती है, लेकिन हमारे लिए यह एक परंपरा बन चुकी है। हम दशकों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं।' इलाहाबाद शहर के करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी करीब 500 है। गांव में निचले मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो फेरी, छोटी-मोटी दुकानें चला कर और मजदूरी से परिवार चलाते हैं। गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।

कोरांव थाना प्रभारी सुरेश कुमार सैनी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे न लगाते हों।' वह कहते हैं, 'जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया।' सैनी ने कहा कि उन्होंने गांव के किसी भी घर में पूरी तरह से लगे दरवाजे नहीं देखे। हां, कुछ घरों में यह देखा कि वहां खस (घास) की पर्देनुमा चटाई लटक रही थी ताकि घर के अंदर का दृश्य बाहर से न दिखे।

उन्होंने कहा कि गांव में पिछले कई सालों से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है। ग्रामीणों का विश्वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी की कोशिश करेगा, मां उसे दंड देंगी। ग्रामीण बड़े लाल निषाद कहते हैं, 'गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है, इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते।' निषाद के मुताबिक, उनके बुजुर्ग कहा करते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।

AAP की मंत्री राखी बिड़ला की कार पर हमला

नई दिल्ली
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में महिला और बाल कल्याण मंत्री राखी बिड़ला की कार पर रविवार को मंगोलपुरी इलाके में कुछ लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया। राखी बिड़ला इस हमले में सुरक्षित बताई जा रही हैं। यह हमला क्यों और किसने किया, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। राखी बिड़ला ने इस हमले के बाद हमारे सहयोगी चैनल 'टाइम्स नाउ' से कहा कि वह इस हमले से बिल्कुल में भयभीत नहीं हैं और सुरक्षा की मांग नहीं करेंगी।
Delhi Minister Rakhi Birla's car attacked in Mangolpuri
जानकारी के मुताबिक रविवार शाम को मंगोलपुरी के आर ब्लॉक में राखी बिड़ला की कार को भीड़ ने निशाना बनाया। बताया जा रहा है कि राखी स्थानीय लोगों को संबोधित कर रही थीं, तभी किसी ने उनकी कार की ओर पत्थर फेंक दिया। इससे कार का अगला शीशा टूट गया। यह राखी बिड़ला की निजी कार थी। इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ है। राखी बिड़ला ने मंगोलपुरी पुलिस स्टेशन में इसकी शिकायत दर्ज कराई है।

गौरतलब है कि 26 साल की राखी बिड़ला आप सरकार में सबसे कम उम्र की मंत्री हैं। पद संभालने के बाद से वह काफी ऐक्टिव हैं। रैन-बसेरों में रह रहे लोगों की स्थिति का जायजा लेने के लिए उन्होंने पूरी रात बाहर गुजारी थी। सूत्रों के मुताबिक शनिवार रात दस बजे निरीक्षण किया और सुबह चार बजकर तक काम करती रहीं।

आशिक के प्‍यार में अंधी मां ने तीन मासूम बेटियों को ट्रेन में छोड़ा



अपने आशिक के प्यार में अंधी हो चुकी एक महिला ने अपनी तीन मासूम बच्चियों को एक ट्रेन में लावारिस हालत में छोड़ दिया. महिला अपने प्रेमी के साथ चैन से जीना चाहती थी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था.
Symbolic Image
ट्रेन में लावारिस मिली बच्चियां एक संस्था में पहुंचाई गईं. बाद में उसके असली पिता को भी खोज निकाला गया. पर मां और उसका प्रेमी नहीं पहुंचे, जिन्होंने इन्हें लावारिस बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था.

तीन साल से 8 साल तक की इन बहनों को यह तक नहीं मालूम है कि जिस मां ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें ननिहाल ले जाने के बहाने ट्रेन में छोड़कर फरार हो गई.

दस दिन बाद जब पुलिस ने पिता को खोज निकाला, तब पिता ने इसके लिए इन बच्चों की मां को जिम्मेदार ठहराया, जिसने प्रेम-प्रसंग के चक्कर में इन्हें रास्ते हटाने के लिए ऐसा किया. लड़कियों के मुताबिक इनकी मां और मुंहबोले बाप ने इन्‍हें ट्रेन में छोड़ा.

महिला का प्लान था कि इन बच्चियों को रास्ते से हटाकर हमेशा के लिए ही लावारिस बना दिया जाए. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. जिस गंगासागर ट्रेन पर इन बच्चियों को छोड़ा गया, उस ट्रेन में पुलिस की नजर बच्चियों पर पड़ी. तब ये बच्चियां पटना की एक संस्था में पहुंचा दी गईं.

सबसे बड़ी बच्‍ची 8 साल की, दूसरी 5 साल की और तीसरी 3 साल की है. छोटी बहनों को संभाल रही नंदिनी को मालूम है कि उसकी मां ने उनके साथ जान-बूझकर दगा किया. यही वजह है कि पिता को देखने पर उसे न तो खुशी हुई, न ही वो पिता के साथ जाने तैयार हुई.

बिहार के बरौनी स्टेशन पर 27 दिसंबर को दस बजे जीआरपी ने इन बच्चो को गंगासागर एक्सप्रेस से उतारा और 28 तारीख को 'प्रयास भारती' संस्था को सौंप दिया गया. ये बच्चियां आपस में बहन हैं और अपने पिता का नाम राहुल राज बताती है. गांव का नाम गंगापुर बता रही हैं. बड़ी बहन नंदिनी ही कैमरे पर कुछ बता पा रही है, जबकि दोनों छोटी- निधि और रानी कुछ नहीं बोल पा रही है. बच्चों को लेने आया पिता का नाम नंदलाल विश्वकर्मा है, जो अपनी पत्नी और उसके प्रेमी राहुल राज को बच्चों को छोड़ने का आरोप लगा रहा है. पिता के मुताबिक जिस राहुल राज को उसकी बेटियां पिता कह रही हैं, दरअसल वो उसकी पत्नी का प्रेमी है, जिसने उसकी पत्नी के साथ मिलकर इन बच्चों को छोड़ दिया है.

जिस संस्था 'प्रयास भारती' में बच्चियां लाई गई हैं, उसने फिलहाल इन बच्चियों को पिता के हवाले करने से मना कर दिया है, क्योंकि जो अपने बच्चों को नहीं रख पाया, वो आगे कैस रख पाएगा.

फिलहाल पिता को कहा गया है कि वह कैसे इनका पालन-पोषण करेगा, यह बताए. निधि और रानी इतनी छोटी है कि उसे पता ही नहीं है कि उसके साथ क्या हुआ है. लेकिन नंदिनी के चेहरे पर उदासी यह साफ बता रही है कि वह खुद और अपने दोनों बहनो को लेकर कितनी फ्रिक में है. अब 'प्रयास भारती' ही इनका घर बन चुकी है.

ऐसा पहली बार नहीं है, जब लड़कियों के साथ ऐसा हो रहा है. दरअसल, लड़कियों को मार देने, उन्हें लावारिस छोड़ देने, या उन्हें बेच देने की वारदातें अक्‍सर होती रहती हैं. यह तो इन बच्चियों का सौभाग्य है कि वे बिहार में ही पुलिसवालों के नजर में आ गईं, नहीं तो इनका क्या होता, किसी को नहीं मालूम.



यहां औरतें अपना रेप करवाना चाहती हैं

जोहान्सबर्ग। इस जगह को दुनिया की रेप राजधानी का खिताब मिला है। कुछ आंकड़े ही इस बात को साबित करने के लिए पर्याप्त होंगे ...
हर दूसरी औरत का उसकी जिंदगी में कभी न कभी रेप हुआ...

5 लाख रेप हर साल किए गए...

हर 17 सेकण्ड में एक रेप का होना...

सबसे हैरतअंगेज बात तो यह है कि 20 प्रतिशत पुरूष यह कहते हैं कि महिलाए ने खुद ही उनसे अपना रेप करने के लिए कहा ...

एक चौथाए पुरूषों ने यह माना है कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार रेप किया ...

तीन चौथाए पुरूषों ने कहा कि उन्होंने 20 साल से कम उम्र की लड़कियों को अपना शिकार बनाया वहीं दसवें हिस्से ने 10 साल से कम उम्र की लड़कियों का रेप किया...

साउथ अफ्रिका में समलैंगिकता वैध है और इसीलिए यहां के पुरूष खुले आम करेक्टिव रेप करने को जायज ठहराते हैं यानि कि महिलाओं को समलैंगिक से विपरीतलैंगिक बनाना।

यहां के पुरूषों का कहना है कि इस से वे महिलाओं को असली औरत बनना सिखा रहे हैं ताकि वे दुबारा ऎसे घटिया काम न कर सके।

एक ऎसे ही घटनाक्रम में एक महिला अधिकार और समलैंगिकता के लिए लड़ने वाली और उसकी महिला दोस्त को एक बार के बाहर कुछ पुरूषों ने घेर लिया और उनका बेरहमी से गैंग रेप व टार्चर किया, उन्हें उनके अंत:वस्त्रों से बांधा और फिर सिर में गोली मार दी।