रविवार, 5 जनवरी 2014

एक गांव ऐसा भी जहां घर में नहीं लगता दरवाजा!



लखनऊ आज जहां चोरी और लूट की वारदात से सबक लेकर गांव-शहर सभी जगह लोग अपने घरों को सुरक्षित रखने के लिए तमाम इंतजाम करते हैं, वहीं इलाहाबाद में एक ऐसा गांव है जहां के लोग अपने घरों में दरवाजे तक नहीं लगाते।
VILLAGE
उनका मानना है कि गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान काली मां उनके घरों की रक्षा करती हैं। इलाहाबाद जिले के सिंगीपुर गांव के किसी भी घर में दरवाजा नहीं है। इस गांव में कच्चे, पक्के और झोपड़े को मिलाकर कुल 150 घर हैं।

सिंगीपुर के रहने वाले सहजू लाल ने कहा, 'यह बात बाकी लोगों को चौंका सकती है, लेकिन हमारे लिए यह एक परंपरा बन चुकी है। हम दशकों से बिना दरवाजों के घरों में रह रहे हैं।' इलाहाबाद शहर के करीब 40 किलोमीटर दूर सिंगीपुर गांव की आबादी करीब 500 है। गांव में निचले मध्यम वर्गीय परिवार और गरीब तबके के लोग रहते हैं, जो फेरी, छोटी-मोटी दुकानें चला कर और मजदूरी से परिवार चलाते हैं। गांव में दलितों, जनजातियों और पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है।

कोरांव थाना प्रभारी सुरेश कुमार सैनी ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई दूसरा इस तरह का गांव होगा, जहां लोग घरों में दरवाजे न लगाते हों।' वह कहते हैं, 'जब मुझे पहली बार इस गांव के बारे में पता चला तो मैं आश्चर्यचकित रह गया।' सैनी ने कहा कि उन्होंने गांव के किसी भी घर में पूरी तरह से लगे दरवाजे नहीं देखे। हां, कुछ घरों में यह देखा कि वहां खस (घास) की पर्देनुमा चटाई लटक रही थी ताकि घर के अंदर का दृश्य बाहर से न दिखे।

उन्होंने कहा कि गांव में पिछले कई सालों से चोरी की कोई घटना नहीं हुई है। ग्रामीणों का विश्वास है कि मां काली उनके घरों की रक्षा करती हैं और जो भी उनके घरों में चोरी की कोशिश करेगा, मां उसे दंड देंगी। ग्रामीण बड़े लाल निषाद कहते हैं, 'गांव के बाहर बने मंदिर में विराजमान मां काली पर हमें पूरा भरोसा है, इसीलिए हम अपने घरों की चिंता नहीं करते।' निषाद के मुताबिक, उनके बुजुर्ग कहा करते थे कि जिन लोगों ने इस गांव में चोरी की, उनकी या तो मौत हो गई या वे गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें