मुहब्बत, मां और मर्डर... कत्ल तो इससे पहले भी हुए और आगे भी होंगे. लेकिन एक लड़की के कत्ल की ये कहानी आपके रौंगटे खड़े कर देगी. क्योंकि रिश्तों के भंवर में उलझी एक आजाद ख्याल लड़की के ये अंत की ये वो वारदात है, जिसके बारे में सोचना भी मुश्किल लगता है.
ये वारदात है फरीदाबाद की. तारीख 28 दिसंबर, 2013. वक्त सुबह 6 बजे. सुबह सुबह यहां के एक मकान के बाहर मौजूद पुलिसवालों की भीड़ ये बता रही थी कि यहां कोई अनहोनी जरूर हुई है. पुलिस को देख कर आस-पड़ोस के लोग भी मौके पर इकट्ठा होने लगे थे.
और फिर मकान के अंदर से अनहोनी की खबर कानों-कान बाहर निकली और देखते ही देखते पूरे शहर में आम हो गई. ये खबर जितनी अजीब थी, उतनी ही डरावनी. इस घर में एक कत्ल हुआ था. घर की इकलौती जवान बेटी का कत्ल. 22 साल की किरण को कोई रात के अंधेरे में घर में घुस कर तेजधार हथियार से गला रेत कर मौत के घाट उतार गया था. जबकि घर के बाकी लोगों को कातिलों ने छुआ तक नहीं.
फरीदाबाद के सेक्टर 45 में ये मकान था बिल्डिंग मेटेरियल के सप्लायर सुरेंद्र कोहली का. सुरेंद्र मोहल्ले के अमनपसंद लोगों में गिने जाते थे और अपने काम से काम रखते थे. जबकि उनके अलावा इस घर में उनकी पत्नी पुष्पा, बेटी किरण, और 15 साल का बेटा कुणाल रहता था. किरण का भी अपने मोहल्ले में लोगों से मिलना-जुलना कम ही होता था. क्योंकि वो नोएडा के किसी रियल स्टेट कंपनी में काम करती थी और अक्सर देर रात को घर लौटती थी. वारदात की रात सुरेंद्र अपने बेटे कुणाल के साथ किसी काम से बाहर थे, जबकि घर में पुष्पा बेटी किरण के साथ मौजूद थी. यानी इस मकान के अंदर हई कत्ल की इस रहस्यमयी वारदात का अगर कोई चश्मदीद था, तो वो थी मरनेवाली लड़की किरण की मां पुष्पा.
चूंकि मामला बेटी की मौत का था. पुलिस भी फौरन पुष्पा से ज्यादा पूछताछ करने से झिझक रही थी. लेकिन मौका ए वारदात की हालत इशारा कर रही थी कि कातिलों ने पहले पुष्पा के हाथ-पांव बांधे और फिर उसकी बेटी की जान लेने के बाद फरार हो गए. चूंकि पुष्पा पहले ही लूटपाट जैसी किसी वारदात से इनकार कर चुकी थी, पुलिस को शक होने लगा कि हो ना हो किसी ने किरण से दुश्मनी निकालने के लिए ही घर में घुस कर उसकी जान ले ली. लेकिन आखिर कौन हो सकता था किरण का कातिल? और किरण से उसकी क्या थी दुश्मनी?
पुष्पा का चौंकाने वाला खुलासा
जाहिर है, सारे सवालों का जवाब किरण की मां पुष्पा के पास ही था. लिहाजा, थोड़े इंतजार के बाद पुलिस ने पुष्पा से ही कातिलों के बारे में पूछताछ शुरू कर दी. लेकिन पुष्पा ने पुलिस को जो कुछ बताया, उसे सुन कर वर्दीवाले बुरी तरह चौंक उठे. पुष्पा ने कहा कि बीती रात उनकी बेटी की दो सहेलियां उससे मिलने आई थी और उन्हीं दोनों ने उनकी बेटी का कत्ल कर दिया. तो, क्या ये एक ओपन एंड शट केस था...? और क्या फकत उन सहेलियों की गिरफ्तारी पर ही मामले की तफ्तीश टिकी थी? लेकिन इसके आगे जो कुछ हुआ, वैसा किसी ने नहीं सोचा था.
घर में दाखिल हुई दो लड़कियों ने आख़िर रातोरात किरण का कत्ल कैसे कर दिया? वो भी तब जब किरण की मां भी घर में में ही मौजूद थी? अगर, वो लड़कियां किरण की दुश्मन थी, तो किरण ने उन्हें पहचाना क्यों नहीं? सवाल कई थे.
तो क्या पुष्पा ने अपनी बेटी की क़ातिल सहेलियों को देखा था? और क्या अब पुलिस के लिए उसकी बताई गई बातों और हुलिए की बिनाह पर कातिल लड़कियों को गिरफ्तार करना ही बाकी रह गया था...? ये सवाल बेहद अहम था.
जाहिर है, अब पुलिस लड़की की कातिल सहेलियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना चाहती थी, ताकि जल्द से जल्द उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन पुष्पा से पूछताछ में पुलिस एक कदम आगे बढ़ाती, तो उसे दो कदम पीछे हटाने पड़ते. मामला इतना आसान भी नहीं था जितना लग रहा था.
पूछताछ के दौरान पुष्पा पर हुआ पुलिस को शक
दरअसल, जब पूछताछ आगे बढ़ी तो पुष्पा ने बताया कि ये सहेलियां उसकी बेटी के दफ्तर में ही काम करती हैं. और रात दोनों दफ्तर के काम-काज के सिलसिले में ही यहां पहुंची थीं. रात को उन्होंने यहीं रुक कर काम निपटाने की बात कही और उन्हें सोने के लिए कह दिया. लेकिन सोने से पहले खुद उनकी बेटी किरण ने उन्हें पीने के पानी में कोई ऐसी चीज मिला दी, जिससे वो बेहोश हो गईं और उन्हें बगल में कमरे में हुई अपनी बेटी के कत्ल का पता ही नहीं चला. ये सारी बातें सुनने में ही अजीब लग रही थीं. लेकिन पुलिस जल्दबाजी में किसी नतीजे तक नहीं पहुंचना चाहती थी. लिहाजा, उसने पुष्पा से और पूछताछ करने का फैसला किया.
आखिर कौन थी ये लड़कियां?
अगर वो दोनों वाकई किरण की दुश्मन थी, तो फिर किरण ने उन्हें अपने घर में आने की इजाजत कैसे दी? उसके दफ्तर का ऐसा कौन सा काम था, जिसे दफ्तर में नहीं निपटाया जा सकता था? और किरण उसे अपनी कलीग्स के साथ रात भर में घर में बैठ कर पूरा करना चाहती थी? पुलिस को ये तमाम सवाल लगातार उलझा रहे थे.
अब पुलिस के सवाल लड़कियों के हुलिए को लेकर थे. पुलिस ये जानना चाहती थी कि आखिर उनकी बेटी की कातिल सहेलियां दिखतीं कैसी थीं और उन्होंने क्या पहन रखा था, ताकि हुलिए, डील-डौल और उनकी बोली की बदौलत इन लड़कियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटा कर उन तक पहुंचा जा सके. लेकिन लड़कियों की शक्ल-सूरत के बारे में पूछे गए सवालों ने पुलिस को जैसे किसी दीवार के सामने लाकर खड़ा कर दिया. क्योंकि पुष्पा ने कहा कि लड़कियों की सूरत तो वो तब बताती, जब वो उन्हें देख पातीं. क्योंकि दोनों ही लड़कियां बुर्कानशीं थी. यानी दोनों ने ही बुर्के से अपना चेहरा ढंक रखा था. और जब दोनों ने बुर्का हटाया ही नहीं, तो चेहरा देखने के सवाल ही नहीं उठता था. कुल मिलाकर, पुलिस लड़कियों के हुलिए के बारे में भी ज़्यादा कुछ पता नहीं लगा सकी.
लेकिन इस बातचीत ने पुलिस को एक सुराग जरूर दे दिया कि हो ना हो किरण की जान लेनेवाली दोनों ही लड़कियां मुस्लिम रही होंगी. अब पुलिस ने इस एंगल में किरण के दफ्तर में काम करनेवाली ऐसी दो लड़कियों की तलाश शुरू की, लेकिन इसमें उसे कोई कामयाबी नहीं मिली. लेकिन इसी बीच पुलिस ने इस घर में एक ऐसी अजीब बात नोटिस की, जिसने पूरे मामले की तफ्तीश का ओर-छोर ही बदल कर रख दिया. अब ये केस पूरी तरह यू टर्न ले चुका था.
पुलिस के कान हुए खड़े पुलिस के पास मकतूल भी था. और इस कत्ल का चश्मदीद भी. लेकिन इसके बावजूद पुलिस कातिल का पता नहीं लगा पा रही थी. लेकिन तभी वर्दीवालों के ध्यान में एक ऐसी बात आई, जिसने उनके कान खड़े कर दिए. तो क्या, क़ातिल कोई और था?
पुलिस को इस कत्ल की खबर रात तकरीबन दो बजे ही मिल चुकी थी. बेहोशी से जगी पुष्पा ने पहले तो इसके बारे में अपने पड़ोसियों को बताया और फिर पड़ोसियों ने पुलिस को इत्तिला दी.
पुष्पा का अटपटा रवैया
लेकिन जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो ना तो पुष्पा ज्यादा रो रही थी और ना ही उसका व्यवहार ही सामान्य था. और तो और जिस कमरे में उसकी बेटी की लाश पड़ी थी, वो पुलिस के आने के बाद यानी रात करीब दो बजे से लेकर अगले दिन सुबह तक एक बार भी उधर झांकने तक नहीं गई. जबकि आम तौर पर कोई भी मां अपनी इकलौती लाडली के कत्ल पर ना सिर्फ रो-रो कर बेहाल हो जाती, शायद बेटी की लाश को भी अपने सीने से लगाकर रोना पसंद करती. लेकिन यहां पुष्पा का रवैया थोड़ा अटपटा जरूर था.
ऊपर से पुष्पा की बताई गई बातें मसलन किरण के हाथों से पानी पीने के बाद ही उसका बेहोश हो जाना, रात को डेढ़ बजे अपने-आप जग जाना और घर में आई किसी भी लड़की का चेहरा ठीक से ना देख पाना, पहले ही शक पैदा कर रहा था. जिस तरह पुष्पा का पति सुरेंद्र कोहली और उसका बेटा कुणाल भी वारदात की रात इस घर से ग़ायब थे, वो भी अपने-आप में एक सवाल था. पुलिस के पूछने पर पता चला कि दोनों को पुष्पा ने ही अपने मायके में अपनी बुज़ुर्ग मां से मिलने के लिए भेजा था.
पुष्पा ने ही ली बेटी की जान
पुष्पा के व्यवहार, बयानों और हालात की बदौलत अब पूरी तफ़्तीश पुष्पा के ऊपर ही जाकर टिक गई. पुलिस को लगने लगा का कि हो ना हो पुष्पा ने ही अपनी बेटी की जान ली है, लेकिन एक मां को अपनी बेटी का कातिल करार देने से पहले पुलिस थोड़ी और तसल्ली करना चाहती थी. लिहाजा, उसने धीरे-धीरे पुष्पा को घेरना शुरू कर किया. और तब पुलिस के सख्ती के सामने उसने घुटने टेक दिए. जी हां, ये पुष्पा ही थी, जिसने अपनी बेटी किरण की जान ली थी. मगर, क्यों और कैसे?
अब पुष्पा ने ये मान लिया था कि उसी ने अपनी बेटी का क़त्ल किया है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही था कि एक मां के लिए आखिर ऐसा करना कैसे मुमकिन है? आखिर वो कौन सी बात है, जिसने पुष्पा को इतना बेकाबू कर दिया कि उसने खुद अपने ही हाथों से अपने खून का खून कर दिया?
पुष्पा ने सिर्फ इसलिए अपनी बेटी के मौत के परवाने पर अपने दस्तखत कर दिए, क्योंकि उसकी हरकतें उसे नागवार गुजरती थी. उसे लगता था कि उनकी बेटी उनके परिवार की इज्जत मटियामेट कर देगी. और बस, इसी झूठी शान में वो बन गई कातिल मां.
बेटी किरण के आजाद ख्याल से नाखुश थी पुष्पा
दरअसल, वो किरण के आजाद ख्याल होने से काफ़ी दिनों से नाखुश रह रही थी. पहले तो किरण ने अपने ही साथ काम करनेवाले एक शख्स से अपनी मर्जी से शादी की और फिर उसे तलाक भी ले लिया. और इन दिनों वो एक और गैर मजहब के लड़के के साथ डेटिंग कर रही थी. बल्कि उससे शादी भी करना चाहती थी. इतना ही नहीं, पिछले कुछ दिनों से किरण अक्सर देर रात तक दोस्तों के साथ पार्टी करती, डिस्कोथेक जाती और शराब के नशे में चूर होकर घर लौटती थी. और तो और उसे समझाने-बुझाने का भी कोई असर नहीं होता था.
पुष्पा को था बदनामी का डर
पुष्पा को लग रहा था कि दूसरे धर्म के लड़के के साथ किरण के दूसरी शादी करने से उनके परिवार की बदनामी हो सकती थी, इसलिए उसने अपने एक मुंहबोले चाचा के साथ मिलकर ये पूरी साजिश रची. उसका ये मुंहबोला चाचा कुलविंदर सिंह पंजाब पुलिस में काम करता है. उसने अपनी बेटी के कत्ल की सुपारी के तौर पर कुलविंदर को एक लाख रुपए और जेवर दिए और कत्ल के लिए 28-29 की रात मुकर्रर कर दी. अपने पति और बेटे को इससे अलग रखने के लिए बहाने से उन्हें शहर से बाहर भेज दिया और फिर वारदात की रात कुलविंदर को घर बुला लिया.
कुलविंदर ने अपने एक दोस्त के साथ मिलकर एक मां के इशारे पर उसकी बेटी की गला रेत कर हत्या कर दी. लेकिन नफरत में पुष्पा इस कदर अंधी हो चुकी थी कि कत्ल के दौरान अपनी बेटी की चीखों से बचने के लिए वो कान में रूई डाल कर दूसरे कमरे में सो गई. और तो और पूछताछ में ये भी साफ हो गया कि एक बार उसने पहले भी तकिए से मुंह दबा कर किरण की जान लेने की कोशिश की थी, लेकिन तब किरण बच निकली थी.
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