अपने आशिक के प्यार में अंधी हो चुकी एक महिला ने अपनी तीन मासूम बच्चियों को एक ट्रेन में लावारिस हालत में छोड़ दिया. महिला अपने प्रेमी के साथ चैन से जीना चाहती थी, पर नियति को कुछ और ही मंजूर था.
ट्रेन में लावारिस मिली बच्चियां एक संस्था में पहुंचाई गईं. बाद में उसके असली पिता को भी खोज निकाला गया. पर मां और उसका प्रेमी नहीं पहुंचे, जिन्होंने इन्हें लावारिस बनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था.
तीन साल से 8 साल तक की इन बहनों को यह तक नहीं मालूम है कि जिस मां ने उन्हें पाल-पोसकर बड़ा किया, अचानक ऐसा क्या हुआ कि उन्हें ननिहाल ले जाने के बहाने ट्रेन में छोड़कर फरार हो गई.
दस दिन बाद जब पुलिस ने पिता को खोज निकाला, तब पिता ने इसके लिए इन बच्चों की मां को जिम्मेदार ठहराया, जिसने प्रेम-प्रसंग के चक्कर में इन्हें रास्ते हटाने के लिए ऐसा किया. लड़कियों के मुताबिक इनकी मां और मुंहबोले बाप ने इन्हें ट्रेन में छोड़ा.
महिला का प्लान था कि इन बच्चियों को रास्ते से हटाकर हमेशा के लिए ही लावारिस बना दिया जाए. पर होनी को कुछ और ही मंजूर था. जिस गंगासागर ट्रेन पर इन बच्चियों को छोड़ा गया, उस ट्रेन में पुलिस की नजर बच्चियों पर पड़ी. तब ये बच्चियां पटना की एक संस्था में पहुंचा दी गईं.
सबसे बड़ी बच्ची 8 साल की, दूसरी 5 साल की और तीसरी 3 साल की है. छोटी बहनों को संभाल रही नंदिनी को मालूम है कि उसकी मां ने उनके साथ जान-बूझकर दगा किया. यही वजह है कि पिता को देखने पर उसे न तो खुशी हुई, न ही वो पिता के साथ जाने तैयार हुई.
बिहार के बरौनी स्टेशन पर 27 दिसंबर को दस बजे जीआरपी ने इन बच्चो को गंगासागर एक्सप्रेस से उतारा और 28 तारीख को 'प्रयास भारती' संस्था को सौंप दिया गया. ये बच्चियां आपस में बहन हैं और अपने पिता का नाम राहुल राज बताती है. गांव का नाम गंगापुर बता रही हैं. बड़ी बहन नंदिनी ही कैमरे पर कुछ बता पा रही है, जबकि दोनों छोटी- निधि और रानी कुछ नहीं बोल पा रही है. बच्चों को लेने आया पिता का नाम नंदलाल विश्वकर्मा है, जो अपनी पत्नी और उसके प्रेमी राहुल राज को बच्चों को छोड़ने का आरोप लगा रहा है. पिता के मुताबिक जिस राहुल राज को उसकी बेटियां पिता कह रही हैं, दरअसल वो उसकी पत्नी का प्रेमी है, जिसने उसकी पत्नी के साथ मिलकर इन बच्चों को छोड़ दिया है.
जिस संस्था 'प्रयास भारती' में बच्चियां लाई गई हैं, उसने फिलहाल इन बच्चियों को पिता के हवाले करने से मना कर दिया है, क्योंकि जो अपने बच्चों को नहीं रख पाया, वो आगे कैस रख पाएगा.
फिलहाल पिता को कहा गया है कि वह कैसे इनका पालन-पोषण करेगा, यह बताए. निधि और रानी इतनी छोटी है कि उसे पता ही नहीं है कि उसके साथ क्या हुआ है. लेकिन नंदिनी के चेहरे पर उदासी यह साफ बता रही है कि वह खुद और अपने दोनों बहनो को लेकर कितनी फ्रिक में है. अब 'प्रयास भारती' ही इनका घर बन चुकी है.
ऐसा पहली बार नहीं है, जब लड़कियों के साथ ऐसा हो रहा है. दरअसल, लड़कियों को मार देने, उन्हें लावारिस छोड़ देने, या उन्हें बेच देने की वारदातें अक्सर होती रहती हैं. यह तो इन बच्चियों का सौभाग्य है कि वे बिहार में ही पुलिसवालों के नजर में आ गईं, नहीं तो इनका क्या होता, किसी को नहीं मालूम.
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