शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

"खम्मा घणी, अन्नदाता मोटा है..."पद्मश्री साकर खां

"खम्मा घणी, अन्नदाता मोटा है..."
 
जैसलमेर। गुनगुनी धूप मे घर के बाहर वयोवद्ध लोक कलाकार और हाल में पद्म श्री से सम्मानित साकर खां जब कमायचे पर अपनी दिल की भावनाओ को संगीत की धुनो के रूप मे फिजां में बिखेरते हंै तो हमीरा गांव मे अनूठा समां बंध जाता है। जब साकर खां केसरिया बालम, आओ नी.. की धुने छेड़ते हैं तो उनका छोटा भाई पेपे खां शहनाई बजाकर उसके सुर मे सुर मिलाता है।

इसी बीच साकर खां के पोते जावेद व आजाद कमायचा व तबला लेकर वहां पहुंच जाते हैं और फिर जो माहौल बनता है वह सुनने वालों को अंदर तक झंकृत कर देता है। साकर खां को पद्मश्री मिलने से सरहदी जैसलमेर जिले का यह पूरा गांव उत्साहित है। लेकिन साकर खां गांव वालो के सम्मान और प्यार को सबसे बड़ा सम्मान मानते हैं। यह संवाददाता मंगलवार को जैसलमेर से 25 किमी दूर साकर खां के गांव हमीरा पहुुंचा तो जीवन के 75 बसंत पार कर चुके साकर खां मे अभी भी किशोर कलाकार की तरह कला के प्रति जज्बा व नया कुछ करने की हसरत देखने को मिली।

सब ऊपर वाले की कृपा
देश का प्रतिषित सम्मान प्राप्त करने को साकर खां ऊपर वाले की कृपा बताते हैं। उन्होंने कहा खम्मा घणी, अन्नदाता मोटा है, म्हे तो धोराें री धरती मे पैदा हुआ..। आम की लकड़ी, शीशम के काष व हाथीदांत से तैयार होने वाले कमायचे को बजाने मे माहिर साकर खां के विवाह व रस्मो पर पेश किए जाने वाले तोनरिया, बनड़ा, घूमर, बरसाले रा मौसम, चौमासा, मूमल, मणियारा, सियालो, हालरिया का हर कोई दीवाना है। उन्हें कमायचे पर ट्रेन के चलने व घोड़े के दौड़ने की आवाज निकालने मे भी महारत हासिल है। वे इंदिरा गांधी के साथ रूस मे इंडिया फेस्टिवल मे जाने को यादगार दिन मानते हंै।

कई यात्राएं व सम्मान
देश-विदेश में थार के लोक संगीत की स्वर लहरियां बिखेरने वाले साकर खां 50 वर्ष से संगीत साधना से जुड़े है। पुरस्कारो की फेहरिस्त मे पद्मश्री व राज्यस्तरीय सम्मान के अलावा केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी, मध्यप्रदेश सरकार का प्रतिषित तुलसी अवार्ड, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी का स्वर्ण जयंती सम्मान आदि शामिल हैं। वे फ्रांस, रूस, जिनेवा, बेल्जियम, जर्मनी, अमरीका, जापान, हांगकांग सहित कई देशो की यात्रा कर चुके हैं।

केवल खुशी मे ही शरीक
साकर खां अपनी कला को व्यावसायिक रूप नहीं देना चाहते। उन्होने बताया कि जब वह 11 साल के थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। तब पिता की धरोहर कमायचा था। इसे बजाने में महारत हासिल की और गांव के लोगो की हौसला अफजाई के कारण उन्हे यह मुकाम मिला, इसलिए वे केवल उनकी खुशी के मौको पर ही अपनी कला पेश करते हैं। सैलानियो को खुश करने के लिए कला का प्रदर्शन उन्हे पसंद नहीं है।

व्यापारी से 50 हजार छीनकर भागा बदमाश

जोधपुर। सदर कोतवाली थानान्तर्गत लायकान मोहल्ला में शुक्रवार रात को घर के बाहर रुपए गिन रहे बिजनेसमैन के हाथ से 50 हजार रुपए लेकर एक हिस्ट्रीशीटर भाग गया। हालांकि पुलिस ने शनिवार को उसे दबोच लिया, लेकिन उसके कब्जे से रुपए बरामद नहीं हो पाए हैं। उसका एक साथी रुपए लेकर फरार हो गया।

एएसआई मोहनलाल ने बताया कि माणक चौक में रहने वाले पुनीत गहलोत शेयर टे्रडिंग का काम करते हैं। शुक्रवार रात को वह लायकान मोहल्ला में अपने परिचित कैलाश आचार्य को उधार दिए ५० हजार रुपए वापस लेने गया था। कैलाश आचार्य के घर के बाहर जब वे रुपए गिन रहे थे, इसी दौरान लायकान मोहल्ला में रहने वाला हिस्ट्रीशीटर सुल्तान और उसका साथ कालू बाइक पर सवार होकर आए। गहलोत के हाथों में रुपए देख उन्होंने झपट लिए। उसके बाद पुलिस को सूचना दी गई लेकिन वह रात भर नहीं मिला। शनिवार सुबह उसे पुलिस ने पकड़ लिया। उसका साथी कालू अभी भी फरार है। हिस्ट्रीशीटर सुल्तान के खिलाफ शहर के कई थानों में विभिन्न धाराओं में डेढ़ दर्जन मुकदमे दर्ज हैं।

मुसलमान अमीन खान के खिलाफ, कहा - मंत्रिमंडल से बर्खास्त करें गहलोत!

भीलवाड़ा.अल्पसंख्यक मामलात राज्यमंत्री अमीन खान के अजमेर में दिए बयान के बाद मुस्लिम समाज में विरोध के स्वर मुखर हो उठे हैं। आल इंडिया काजी काउंसिल की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मौलाना हफीजुर्रहमान ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से खान को तुरंत मंत्रिमंडल से बाहर करने की मांग की है।

ऐसा नहीं करने पर खान के कार्यक्रमों के बहिष्कार की घोषणा की गई है। मौलाना हफीजुर्रहमान शुक्रवार को जामा मस्जिद में पत्रकारों से बात कर रहे थे। उधर, अल्पसंख्यक विकास मोर्चा ने राज्यपाल शिवराज पाटिल को पत्र भेज कर अमीन खां को तत्काल पद से बर्खास्त करने की मांग की है। शनिवार को आम मुसलमानों की ओर से विरोध भी जताया जाएगा।

मौलाना का कहना है कि खान का बयान शरीयत के खिलाफ है। इससे मुस्लिम समाज आहत हुआ है। खान हमेशा ऐसे बयान देते रहते है जिससे वे खबरों और चर्चा में बने रहे।

खान जब शरीयत के खिलाफ बात कर रहे हैं तो वे कौम और मुल्क के क्या होंगे? एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार अमीन खान को नहीं हटाएगी तो मुस्लिम समाज अपने स्तर बहिष्कार करेगी।

भीलवाड़ा में खान के हर कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा। मौलाना ने कहा कि ऐसे में मामले में इमामों को आगे आकर अपनी राय रखनी चाहिए। अजमेर में कई मस्जिदें बंद पड़ी हैं उनकी मरम्मत जरूरी है।

राजस्थानी भाषा के प्रचार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रम तय


अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर 


राजस्थानी भाषा के प्रचार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रम तय 


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर  ने राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यकर्मो को तय किया हें ,समिति द्वारा आयोजित आम बैठक में समिति के प्रदेश कार्यकारिणी से मिले निर्देशानुसार राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार पर व्यापक चर्चा कर इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रमों का निर्धारण किया गया ,समिति के संयोजक चन्दन सिंह बहती ने बताया की सेवा सदन में समिति ,मोटियार परिषद् ,महिला परिषद् तथा चिंतन परिषद् की संयुक्त बैठक का आयोजन जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता की अध्यक्षता में आयोजित की गई बैठक में सांग सिंह लूनू ,प्रकाश जोशी ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,एडवोकेट विजय कुमार ,श्रीमती उर्मिला जैन ,श्रीमती देवी चौधरी ,रघुवीर सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,रमेश गौड़ ,सुल्तान सिंह रेडाना ,दीप सिंह रणधा ,डॉ हरपाल सिंह राव ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सहित समिति के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे ,इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी के निर्देशानुसार राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रमों को तय किया गया तथा शीघ्र पुरे जिले में राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार के कार्यक्रम आरम्भ करने का निर्णय लिया गया ,जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने बताया की  
राजस्थानी भाषा व संस्कृति रा प्रचार वास्ते इक्कीस सुत्रीय कार्यक्रम निम् तय किये जाकर अमल में लाये जायेंगे 
1. राजस्थानी लोगा ने आपस में राजस्थानी में इज बाता करणी चाइजे।
2. राजस्थानी फ़िल्मा, गाणा, भजना री कैसेट व सी.डी. खरीदणी, सुणनी व साथ-साथ मित्रां व रिस्तेदारां ने भी सुणाणी।
3. ब्याव-शादियाँ रा कार्ड राजस्थानी भाषा में छपवाणा व इण अवसरा पर राजस्थानी गाणा व गीतों पर विशेष कार्यक्रमा रो आयोजन करणों व राजस्थानी गायका ने आमंत्रित करणों।
4. हज़ारां री संख्या में राजस्थानी भाषा रा कैलेंडर, टेबल कैलेंडर आदि छपवाणा तथा बांटणा।
5. हर एक राजस्थानी परिवार ने राजस्थानी भाषा री किताब, अख़बार, साहित्य, कविता, संग्रह आदि रे वास्ते हर महीने 10-1,00 रुपया ख़र्च करणा।
6. मित्रा, रिस्तेदारा, आडौस-पडौस आदि में राजस्थानी भाषा री पुस्तका बांटणी।
7. मेळा, सामाजिक कार्यक्रमां व धार्मिक कार्यक्रमा सु जुडी सामग्री ने राजस्थानी भाषा में छपवाणों। सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यक्रमों रा व्याख्यान, व भाषण राजस्थानी भाषा में देणा व सुणवा रे वास्ते आग्रह करणों।
8. हर एक जिला सु राजस्थानी भाषा में चार पेज रो साप्ताहिक या दैनिक समाचार पत्र निकाळणो व बांटणों। या माइने बालका व युवा वास्ते अलग सु राजस्थानी भाषा में ज्ञान-विज्ञान, राजनीति, खेल, देश-विदेश, समाज, धर्म व मनोरंजन री खबरा वेवें। (500-1000 कापियॉ सु शुरुआत की जाई सके।)
9. राजस्थानी भाषा री फिल्मा रो निर्माण करणों व पुराणी राजस्थानी फ़िल्मा रा नुवा डिजिटल संस्करण सी.डी. व डी.वी.डी. रे रूप में निकालणा।
10. देश-विदेश, छोटा-छोटा गांव, तथा शहरा मा राजस्थानी भाषा रा सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन, नाटक, कवि सम्मेलन आदि रा नियमित आयोजन करणा। इण रा आयोजना रे वास्ते राजस्थानी कलाकारा ने बुलाणों।
11. राजस्थानी भाषा रे प्रचार-प्रसार रे वास्ते राजस्थान रा सभी गाँवा व शहरा में समितियाँ बणावणी और विशेष कोष स्थापित करणो तथा इके वास्ते राजस्थानी लोगा सु भी आगे आवा रो आग्रह करणों।
12. राजस्थानी तीज-त्यौहार, ब्याव-शादियों में राजस्थानी वेश भुषा पेहननो।
13. विधान सभा व लोक सभा रा चुनाव रा पोस्टर, घोषणा पत्र व अन्य सामग्री राजस्थानी भाषा में छपवावा रो आग्रह सभी राजनैतिक दला सु करणों तथा नेता लोगा सु राजस्थानी में भाषण देवा को आग्रह करणों।
14. राजस्थानी भाषा व साहित्य रे क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करवा वाळा ने पुरस्कार व सम्मान देणों इण्सु अन्य दुसरा लोग भी प्रोत्साहित वेवेला।
15. पुराणा ज्ञान भंडारा में जो हस्तलिखित राजस्थानी भाषा रा ग्रंथ पड़या है वाणै छपवावा के वास्ते सब राजस्थानी उधोगपति सु एक-एक ग्रंथ उणारे जीवन काल में छपवावा र वास्ते निवेदन करणों।
16. पुरा देश में जठे-जठे राजस्थानी लोग ज्यादा संख्या में रेवे, वा जगहा रेडियों स्टेशन व टी.वी. चैनल पर राजस्थान (राजस्थानी) सु जुडा छोटा-छोटा कार्यक्रम शुरू करणा।
17. हर एक शहर में राजस्थानी मॉल खोलणां जिणामें खाली राजस्थानी चीजां मिलें।
18. राजस्थान री सभी स्कुल व कॉलेज स्तर रे पाठयक्रम में एक राजस्थानी भाषा व साहित्य रो सर्टीफिकेट स्तर रो विषय चालु करवाणों।
19. राजस्थानी भाषा में वेबसाईटा रो निर्माण करणों और ज्यादा सु ज्यादा साहित्यकारां व दुसरा विशिष्ट लोगा ने इण कार्य सु जोडणो।
20. पुराणा किला व इमारता ने स्कुल, कॉलेज व विश्वविधालय में बदल देणो ताकि राजस्थान रा असली इतिहास सु, आगे आवा वाली पीढियां सीधी जानकारी लेई सके।
21. विश्व राजस्थानी संघ री स्थापना करणो।

चीन में 1 करोड़ साठ लाख महिलाएं झेल रही हैं 'गे हज्बंड' का बोझ?

बीजिंग ।। चीन के प्रमुख विशेषज्ञ ने दावा किया है कि करीब एक करोड़ साठ लाख महिलाएं गे हज्बंड के चक्कर में पड़ी हैं और उनकी तकलीफ समझने की कोशिश कोई नहीं कर रहा। उनके मुताबिक इन महिलाओं ने अनजाने में समलैंगिक पुरूष से शादी कर ली है और अब अपने विवाह को बचाए रखने के लिए इसके दुष्परिणामों को 'चुपचाप सह' रही हैं। women-in-china.jpg 
एड्स और एचआईवी पर शोध करने वाले किंगदाओ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर झांग बेई चुआन ने कहा कि 90 फीसदी समलैंगिक व्यक्ति इसलिए शादी करते हैं क्योंकि उन पर देश में चल रहे परंपरागत मूल्यों के पालन करने का दबाव होता है। लेकिन, उनकी पत्नियां सामंजस्य बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं और उनकी दुर्दशा को पहचानने की जरूरत है।'

देर से शादी हो सकती है कैंसर की वजह


महिलाओं की करियर संवारने की चाहत के साथ ही अन्य कारणों से देर से शादी करना भी कैंसर की वजह बन सकता है। एक्सपर्टों का कहना है कि आजकल लड़कियां पढ़ाई के साथ ही अपने करियर को लेकर खासी जागरूक हो चुकी हैं। इस कारण ऐसी लड़कियों की तादाद तेजी से बढ़ रही है जो ज्यादा उम्र में शादी करती हैं।
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वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ और एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के चेयरमैन डॉ. एन. के. पांडेय का कहना है कि देर से शादी होने के कारण बच्चेदानी के मुंह और ब्रेस्ट का कैंसर के होने की आशंका बढ़ जाती है। ऐसा हॉर्मोंस के असंतुलन के साथ ही देर से ब्रेस्ट फीडिंग कराने के कारण होता है। डॉ. पांडेय के मुताबिक, उन्होंने निजी अनुभव में पाया है कि हाल के वर्षों में देर से शादी करने वाली महिलाओं में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।

डॉ. पांडेय और अन्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ने अगर कैंसर पर काबू पाने के लिए कड़े कानूनी इंतजाम नहीं किए तो यह रोग भारत में एक महामारी बन जाएगा। उनका कहना है कि इस मामले में अब तक किए गए इंतजाम आधे-अधूरे हैं। उनके मुताबिक, तंबाकू और शराब के बढ़ते सेवन के साथ ही लाइफस्टाइल में आ रहे बदलावों के कारण भारत में कैंसर तेजी से फैल रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि तंबाकू का सेवन रोकने के लिए की जा रही तमाम कोशिशों के बावजूद देश में इसकी खपत बढ़ती जा रही है। डॉ. पांडेय कहते हैं कि जगह-जगह खुल रहे हुक्का पार्लर समस्या को और बढ़ा रहे हैं।

देश में हर साल कैंसर के करीब 10 लाख नए केस सामने आ रहे हैं। इनमें से 30 फीसदी लोगों की उम्र 30 साल से कम होती है। कैंसर के कारण भारत में हर साल लगभग साढ़े पांच लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके 70 से 80 फीसदी मामलों का पता तब चलता है जब कैंसर तीसरी या चौथी स्टेज पर पहुंच चुका होता है।

बहन को परेशान किया तो दो टुकड़े कर कुएं में फेंका

नई दिल्ली।। बहन के पीछे पड़े शख्स का मर्डर करने के इल्जाम में भाई को गिरफ्तार किया गया है। उसने युवक की हत्या कर सिर एक कुएं में और बाकी शरीर दूसरे कुएं में फेंक दिया था। murder.jpg 
उत्तर-पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क में बुलंद मस्जिद इलाके में रहने वाले मुहम्मद आरिफ की बहन के पीछे अबरार अहमद पड़ा हुआ था। आरिफ ने उसे कई बार रोकने की कोशिश की, लेकिन अबरार नहीं माना। आरिफ ने उससे पीछा छुड़ाने के मकसद से अपनी बहन की शादी कर दी, लेकिन अबरार ने उसका पीछा नहीं छोड़ा। आखिरकार आरिफ ने उसका काम तमाम करने का फैसला कर लिया।

अडिशनल पुलिस कमिश्नर डी.सी. श्रीवास्तव के मुताबिक, 6 फरवरी 2006 को आरिफ अपने चचेरे भाई शब्बीर के साथ अबरार के घर गया। उसने अपने बीमार दादा को देखने के लिए अबरार को मेवात में साथ चलने के लिए तैयार कर लिया। मेवात के नूंह इलाके में आरिफ और शब्बीर ने कसाई वाले चाकू से अबरार की गर्दन अलग कर दी। गर्दन एक कुएं में डाली, जबकि धड़ और चाकू दूसरे कुएं में फेंक दिया।

अगले दिन धड़ और चाकू बरामद कर नूंह पुलिस ने मर्डर केस दर्ज किया, लेकिन न तो मृतक की पहचान हो सकी और न ही मुलजिम गिरफ्तार किए जा सके थे। अबरार के घरवालों ने आरिफ से पूछताछ की तो उसने कोई जानकारी होने से इनकार करते हुए उसकी खोज में सहयोग देने का भरोसा दिलाया। हौज काजी थाने के एएसआई नस्सू अहमद को खबर मिली कि अबरार का मर्डर आरिफ ने किया था। एसएचओ (हौज काजी) विजय चंदेल की टीम ने आरिफ को फराशखाने से गिरफ्तार कर लिया। वह कसाई की दुकान पर काम करता है। नूंह पुलिस को आरिफ की गिरफ्तारी की खबर दे दी गई है।

शादी से पहले ही करीना कपूर प्रेगनेंट?

शादी से पहले ही करीना कपूर प्रेगनेंट?

मुंबई। शादी से पहले ही करीना कपूर के प्रेगनेंट होने की चर्चा है। करीना के एक फोटो ने इस चर्चा को हवा दी है। हाल ही में एक समाचार पत्र में करीना का फोटो छपा है। यह फोटो एक एयरपोर्ट पर खींचा गया था। करीना ने हरे रंग का एक लंबा टी शर्ट पहना हुआ था।

ऎसा लग रहा था कि लंबे टी शर्ट के जरिए वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने शॉल से अपना पेट ढ़का हुआ था। इस कारण कहा गया कि करीना प्रेगनेंट है और वह कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है। हाल ही में खबर आई थी कि करीना कपूर और सैफ अली खान 10 फरवरी को सगाई कर रहे हैं लेकिन इसी दिन करीना और इमरान की फिल्म एक मैं और एक तू 10 फरवरी को रिलीज होने वाली है।

जन सुनवाई में समस्याओं का लगा अंबार


जन सुनवाई में समस्याओं का लगा अंबार


ग्रामीणों ने पेयजल समस्या से निजात दिलाने की मांग की

सिणधरीसीएम की पहल पर डाक बंगले में पंचायत समिति स्तर की पहली जनसुनवाई का शुक्रवार को सिणधरी पंचायत में आयोजन हुआ। जनसुनवाई में ग्रामीणों ने कलेक्टर से पेयजल संकट से निजात दिलाने के साथ ही नाडी खुदाई कार्य शुरू करवाने की मांग की। सरपंच प्रभात कंवर ने सिणधरी के लोहिड़ा, नाकोड़ा, गेहूं वाली नाडी में पेयजल संकट के बारे में अवगत कराया। इसी तरह पांचला खुर्द, होडू, कमठाई में मीठे पानी की आपूर्ति नहीं होने पर प्रधान सोहनलाल भांभू ने खेद जताया। जनप्रतिनिधि ने पक्के कार्यों के साथ ही नाडी खुदाई कार्य शुरू करवाने की मांग की ताकि ग्रामीणों को रोजगार के साथ गांव वालों को पानी मिल सके। कादानाडी सरपंच चुन्नीलाल ने नए बीपीएल परिवारों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग की। सिणधरी चारणान रामावि में क्षतिग्रस्त छीणो से हादसे की आशंका जताई। पायला खुर्द के सऊओ की ढाणी में हैंडपंप के लिए कलेक्टर ने स्वीकृति दी। इसी तरह अग्नि पीडि़तों को एक सप्ताह में राहत पहुंचाने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम का हवाला देते हुए जल्द ही जनसमस्याओं का समाधान करने के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए। इस मौके गुड़ामालानी एसडीएम विनिता सिंह, तहसीलदार सुनिल कुमार, उप तहसीलदार पेमाराम, विकास अधिकारी बृजेश श्रीवास्तव, खंड शिक्षा अधिकारी देवाराम, डिस्कॉम अधिशासी अभियंता सोनाराम पटेल, जलदाय विभाग के अधिशासी अभियंता धर्मेंद्र परिहार सहित संबंधित विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। कलेक्टर ने कहा राजस्व मंडल से सिणधरी को तहसील बनाने का प्रस्ताव मांगा है। जल्द ही प्रस्ताव बनाकर भेजा जाएगा। सरपंच प्रभात कंवर ने आने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों का आभार व्यक्त किया।

धोरीमन्नात्नपंचायत समिति मुख्यालय पर आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम के तहत ग्रामीणों ने अधिकारियों को समस्याएं बताईं। अधिकांश समस्याओं का मौके पर ही समाधान कर दिया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कलेक्टर डॉ.वीणा प्रधान ने कहा कि सरकार ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम लाकर एक्ट लागू किया जिससे आमजन की समस्याओं का समय पर समाधान हो। ग्रामीण जवानाराम गोसाई ने बताया कि चार-पांच दिन में एक बार पानी की जलापूर्ति होती है,उन्होंने कलेक्टर से समस्या का समाधान जल्द करवाने की मांग की। । जनसुनवाई के दौरान अतिक्रमण मामले को गंभीरता से लिया गया। कलेक्टर ने उपस्थित अधिकारियों को हिदायत दी कि लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। विकास अधिकारी संजय अमरावत ने उपस्थित ग्रामीणों को धन्यवाद दिया। संचालन जसवंत सिंह ने किया।

इस मौके एसडीएम विनिता सिंह तथा तहसीलदार सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम में धोरीमन्ना प्रधान पन्नी देवी, पूर्व प्रधान ताजाराम चौधरी, मंगलाराम विश्नोई, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष दिनेश कुलदीप सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

घी की खेप जब्त, नकली होने का संदेह

घी की खेप जब्त, नकली होने का संदेह

पुलिस ने की कार्रवाई, सीएमएचओ व टीम ने लिया सैंपल, बालोतरा, सुमेरपुर व आबूरोड में होनी थी सप्लाई

बालोतरा नकली घी की सूचना पर बालोतरा पुलिस ने एक जीप का पीछा कर घी व जीप जब्त किए। बाड़मेर से पहुंचे मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मय टीम ने घी के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भिजवाए। ड्राइवर व एक अन्य साथी से पूछताछ में पता चला कि इस घी की सप्लाई बालोतरा के अलावा सुमेरपुर व आबूरोड में देनी थी। जीप में घी के 40 टिन व 80 कार्टन भरे हुए थे।

बालोतरा थानाधिकारी मनोज शर्मा ने बताया कि गुरुवार देर रात सूचना मिली कि एक जीप में नकली घी परिवहन किया जा रहा है। पुलिस गांधीपुरा क्षेत्र में मौके पर पहुंची तो चालक ने जीप भगाने का प्रयास किया। पुलिस ने पीछाकर जीप रुकवाई और नकली घी के संदेह में घी व जीप को जब्त कर लिया।

इसके बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन को सूचना दी गई, जिस पर वे खाद्य सुरक्षा अधिकारी भूराराम मय टीम को साथ लेकर बालोतरा पहुंचे और सैंपल लिए। शर्मा ने बताया कि पूछताछ में चालक व साथी ने बताया कि वे शर्मा ट्रेडिंग कंपनी, बालाजी रोड, सदर बाजार नोखा (बीकानेर) से माल भरकर रवाना हुए थे। उन्हें एमपी एजेंसी, शारदा बाल निकेतन स्कूल के पास, गांधीपुरा बालोतरा, साकेत मार्केटिंग, आजाद मैदान आबूरोड व विजेता ट्रेडिंग कंपनी, मैन मार्केट सुमेरपुर पर सप्लाई देनी थी। पुलिस ने अपनी जांच शुरू की।

किस ब्रांड का कितना घी जब्त:राघव ब्रांड के 15 लीटर वजन के 40 टिन, आधा लीटर के सात कार्टन (प्रति कार्टन में 32 डिब्बे), आधा लीटर के 15 कार्टन (प्रत्येक में 36-36 डिब्बे), एक लीटर के 21 कार्टन (प्रति कार्टन में 16 डिब्बे), एक लीटर के पांच कार्टन (प्रति कार्टन में 18 डिब्बे), पांच लीटर के चार डिब्बे, दो लीटर के 9 डिब्बे जब्त किए। इसी तरह यश ब्रांड के आधा लीटर के 25 कार्टन (प्रति कार्टन में 32 डिब्बे) व सीता ब्रांड के आधा लीटर के 5 कार्टन (प्रति कार्टन में 36 डिब्बे) बरामद हुए। जब्त किए गए पूरे घी को पुलिस थाने के माल गोदाम में रखवाया गया है।

मरु महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में




मरु महोत्सव की तैयारियां अंतिम चरण में

शोभायात्रा के साथ रविवार को होगा आगाज

जैसलमेर मरु महोत्सव की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। शुक्रवार को अधिकारियों ने शोभायात्रा के मार्ग का अवलोकन किया। अतिरिक्त कलेक्टर परशुराम धानका, उपअधीक्षक पुलिस बंशीलाल, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवाराम सुथार, सहायक निदेशक पर्यटन विभाग अजीतसिंह, आयुक्त नगरपालिका मूलाराम लोहिया के साथ ही मेला व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारियों ने 5 फरवरी को गड़सीसर से निकलने वाली शोभायात्रा के मार्ग का अवलोकन किया एवं जहां कही भी कमी देखी गई वही उसकों संबंधित अधिकारी सुधारने के निर्देश दिए।

नगरपालिका आयुक्त मूलाराम लोहिया ने बताया कि मरु महोत्सव के दौरान देशी-विदेशी पर्यटकों को की अच्छी संख्या में आवक को देखते हुए स्वर्ण नगरी को साफ सुथरा किया जा रहा है। उन्होने बताया कि नगर के प्रमुख ऐतिहासिक स्थलों, चौराहो को रंगीन रोशनी से सजाया गया है। साथ ही दुर्ग स्थित फ्लड लाइट चालू कर दी गई है।

सहायक निदेशक अजीतसिंह ने बताया कि महोत्सव के पहले दिन शहीद पुनमसिंह स्टेडियम में होने वाली सांस्कृतिक संध्या में मुंबई के ख्यातनाम सरोद वादक पंडित सुरेश व्यास, उदयपुर के गजल गायक प्रकाश भंडारी द्वारा शानदार गजलों की प्रस्तुति दी जाएगी। साथ ही जैसलमेर के अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार एवं पद्मश्री से सम्मानित शाकरखां तथा पेपे खां द्वारा शहनाई एवं कमायचा प्रस्तुति दी जाएगी। इस सांस्कृति संध्या में देश-विदेशों में अपनी कला बिखेर चुके मूलसागर के तगाराम भील द्वारा अलगोजा वादन प्रस्तुत किया जाएगा।

व्यवस्थाओं को दिया अंतिम रूप: मरू महोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप देने के संबंध में अतिरिक्त कलेक्टर परशुराम धानका की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। जिसमें विभिन्न व्यवस्थाओं पर चर्चा की गई।अतिरिक्त कलेक्टर धानका ने मेला व्यवस्थाओं से जुड़े अधिकारियों को निर्देश दिए की मेला व्यवस्था के संबंध में किसी प्रकार की कमी नहीं रहनी चाहिए। उन्होने बैठक में शोभा यात्रा के साथ ही शहीद पूनमसिंह स्टेडियम, डेडासर मैदान, सम एवं कुलधरा में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के लिए की गई व्यवस्थाओं पर चर्चा की।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवाराम सुथार, उपखण्ड अधिकारी रमेशचन्द जैन्थ, सहायक निदेशक अजीतंिसंह, आयुक्त मूलाराम लोहिया, तहसीलदार जब्बरसिंह चारण के साथ ही अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

जापान में होने वाले एक समारोह में देगी परफॉरमेंस


 ऊ ला ला.... पर थिरकी विदेशी बाला 

जापान में होने वाले एक समारोह में देगी परफॉरमेंस

जापान से आई हिराको इन दिनों स्वर्णनगरी में डर्टी पिक्चर के गीत पर नृत्य की महारत हासिल कर रही है।

जैसलमेर स्वर्णनगरी की एक होटल की छत पर साउंड सिस्टम पर गूंजता डर्टी पिक्चर का गीत ऊ ला ला... जिस पर एक विदेशी बाला परफार्म कर रही है। इन दिनों सभी की जुबान पर ऊ ला ला... गीत चढ़ा हुआ है। इसकी गूंज शहरों से लेकर विदेशों तक भी पहुंच चुकी है।

जैसलमेर के नृतक क्वीन हरीश इन दिनों जापान से आई हिराको को ऊ ला ला.. के स्टेप्स सीखा रहे है। उनकी शिष्या हिराको ने बताया कि उसने यह फिल्म मुंबई में देखी थी। उसके बाद से ऊ ला ला.. गीत के स्टेप्स सीखने की ठानी तथा हरीश से संपर्क किया। क्वीन हरीश ने बताया कि हिराको ने पूर्व में भी जैसलमेर आकर राजस्थानी कालबेलिया व धूमर नृत्य सीखा था। अब वह विशेष रूप से ऊ ला ला... के स्टेप्स में महारत हासिल करने के लिए जैसलमेर आई है।



पसंद है ऊ ला ला...

हिराको ने बताया कि उसने डर्टी पिक्चर फिल्म मुंबई में देखी थी। इस फिल्म के गीत ऊ ला ला के स्टेप्स उसे खासे पसंद आए। जिन्हें सिखने के लिए क्वीन हरिश से संपर्क किया तथा जैसलमेर इस गीत को ही तैयार करने आई है। पांच दिनों की इस विशेष ट्रेनिंग के दौरान क्वीन हरीश द्वारा उसे इस डांस के सारे स्टेप्स सिखाए जाएंगे। हिराको ने बताया कि वह इस गीत पर जापान में होने वाले एक समारोह में परफार्म करेगी। हिराको को बॉलीवुड की फिल्में भी पसंद है। जिस में खास तौर पर वह फिल्में जिसमें भरपूर नाच व गान होता है।

सोनार के संरक्षण के लिए पहुंचे विशेषज्ञ


सोनार के संरक्षण के लिए पहुंचे विशेषज्ञ


जैसलमेर  दुनिया के एक मात्र लिविंग फोर्ट को बचाने के लिए प्रयास तेज हो गए हैं। बॉम्बे कोलेबरेटरी अर्बन डिजाइन एवं कंजर्वेशन की जांच में पहाड़ी में हो रही हलचल सामने आने पर एएसआई हरकत में आई और अन्य कई संस्थाएं जो धरोहरों के संरक्षण के लिए काम कर रही हैं, वे भी आगे आ रही हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को जैसलमेर में देश विदेश के विशेषज्ञों की एक टीम पहुंची और दुर्ग का दौरा कर उसकी नाजुक हालत को परखा। इसके बाद इन विशेषज्ञों ने बैठक कर दुर्ग को बचाने के गंभीर प्रयासों के बारे विचार विमर्श किया।

शुक्रवार को जैसलमेर पहुंची टीम ने सुबह 9 बजे दुर्ग का अवलोकन किया। यह टीम पहले ढूंढा पाड़ा पहुंची जहां पहाड़ में झुकाव है। इस स्थान पर विशेषज्ञों ने प्राचीन निकासी सिस्टम गुटनालियों को भी देखा। इसके पश्चात कोटड़ी पाड़े में भी इस टीम ने पहुंचकर वहां हो रही पहाड़ की जांच कार्यों का निरीक्षण किया। इस दौरान दुर्ग वासियों ने विशेषज्ञों के सामने समस्याएं भी रखीं लेकिन विशेषज्ञों ने उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं दिए। जैसलमेर पहुंचने वालों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक गौतम सैन गुप्ता के साथ बॉम्बे कोलेबरेटरी अर्बन डिजाइन एवं कंजर्वेशन के डायरेक्टर जियोटेक्निकल वक्र्स एस.सी. देशपांडे, वल्र्ड वॉच मॉन्यूमेंट की भारत में प्रतिनिधि अमिता बेग, एएसआई की डायरेक्टर कंजर्वेशन जाह्नवी शर्मा, नेशनल कल्चर फंड की यामिनी मोबाय तथा विदेशी विशेषज्ञ भी शामिल थे।

प्राधिकरण का इंतजार

एएसआई व अन्य संस्थाओं के जैसलमेर पहुंचे प्रतिनिधियों ने हर बात पर यही जवाब दिया कि प्राधिकरण बनने के बाद हर एक समस्या का समाधान हो जाएगा। अब तक दुर्ग के संरक्षण में जुटी एएसआई भी अब प्राधिकरण के इंतजार में है। डायरेक्टर कंजरवेशन जाहनवी शर्मा के अनुसार राज्य सरकार ने एक माह में प्राधिकरण की प्रक्रिया पूरी होने का आश्वासन दिया है। उनके अनुसार इसमें कलेक्टर, एएसआई प्रतिनिधि, लोकल प्रतिनिधि व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।

'जांच की आड़ में मदेरणा व विश्नोई परिवार को तबाह कर रही है सीबीआई'

 

जोधपुर.एएनएम भंवरी अपहरण और हत्या मामले में पूर्व मंत्री रामसिंह विश्नोई के परिवार की महिलाओं और बच्चों को सीबीआई द्वारा कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने से उद्वेलित विश्नोई समाज शुक्रवार को सीबीआई के खिलाफ सड़कों पर उतर आया।



सैकड़ों लोगों की सभा में सीबीआई की कार्यप्रणाली का जमकर विरोध किया तथा इसे मारवाड़ के दो दिग्गज राजनीतिक परिवारों को तबाह करने की साजिश बताया। रातानाडा विश्नोई धर्मशाला में सभा करने के बाद ये लोग नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट पहुंचे।



वहां करीब तीन घंटे तक धरना-प्रदर्शन किया, फिर कलेक्टर की गैरमौजूदगी में एडीएम को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन देकर सीबीआई पर अंकुश लगाने की मांग की गई। उधर, अमरी देवी को शुक्रवार शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।



यह भी तय किया गया कि 7 फरवरी को फिर से बैठक कर मुख्यमंत्री के प्रस्तावित जोधपुर दौरे पर उन्हें भी ज्ञापन दिया जाएगा। उधर, अमरी देवी को शुक्रवार शाम अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।



पूर्व मंत्री रामसिंह विश्नोई की वृद्ध पत्नी अमरी देवी को बार-बार सर्किट हाउस बुलाए जाने तथा इस वजह से उनकी तबीयत बिगड़ने से विश्नोई समाज में रोष व्याप्त हो गया। शुक्रवार को किसान केसरी संघर्ष समिति के बैनर तले विश्नोई धर्मशाला में समाज के लोगों तथा रामसिंह विश्नोई के समर्थकों ने बैठक आयोजित की।



सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सीबीआई ने पहले महिपाल मदेरणा को, मलखान सिंह व परसराम को गिरफ्तार कर लिया, समाज जांच में सहयोग करते हुए चुप रहा, मगर अब मासूम बच्चों, बहुओं व वृद्ध मां को प्रताड़ित करना बर्दाश्त नहीं होगा।



वक्ताओं ने यहां तक आरोप लगा दिया कि सीबीआई जांच की आड़ में मदेरणा व विश्नोई परिवार को तबाह करने की साजिश के रूप में काम कर रही है।



सभा को पूर्व विधायक हीरालाल विश्नोई, समिति के अध्यक्ष हनुमान सिंह राजपुरोहित, भाजपा नेता पब्बाराम विश्नोई, बीरबल विश्नोई, भैराराम कास्टी, अखिल भारतीय विश्नोई जीव रक्षा सभा के महासचिव मांगीलाल बूड़िया, करण सिंह उचियारड़ा, हनुमान सिंह खांगटा, सेवानिवृत्त एएसपी आईदान राम चौधरी, मंडोर प्रधान रुघनाथराम आदि ने संबोधित किया।



मदेरणा की न्यायिक हिरासत 17 तक बढ़ी



भंवरी मामले में जेल में बंद पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखान सिंह के भाई परसराम की वीडियो कान्फ्रेंसिंग से पेशी के बाद न्यायिक हिरासत अवधि 17 फरवरी तक बढ़ा दी गई है। इस बीच, दिनेश, पुखराज व रेशमाराम को शनिवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा।



शनिवार को उनका रिमांड खत्म हो रहा है। भंवरी मामले में फंसे आरोपी परसाराम नशीली गोलियां बनाने के प्रकरण में मुंबई में वांछित आरोपी है। इस मामले में शनिवार को कोर्ट में पेशी है। उधर, सीबीआई तीन माह से फरार इंद्रा विश्नोई की तलाश करने शुक्रवार को रेशमाराम को साथ लेकर लूणी क्षेत्र के गांवों में छानबीन करने गई, मगर इंद्रा का पता नहीं चला।



इंद्रा को शरण देने वाले प्रहलाद, बेटे, श्रवण, श्याम व ओमप्रकाश से पूछताछ की गई।

जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास








जैसलमेर के शासक तथा इनका संक्षिप्त इतिहास

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के आरंभ में ११७८ई. के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल के द्वारा किया गया। भाटी मूलत: इस प्रदेश के निवासी नहीं थे। यह अपनी जाति की उत्पत्ति मथुरा व द्वारिका के यदुवंशी इतिहास पुरुष कृष्ण से मानती है। कृष्ण के उपरांत द्वारिका के जलमग्न होने के कारण कुछ बचे हुए यदु लोग जाबुलिस्तान, गजनी, काबुल व लाहौर के आस-पास के क्षेत्रों में फैल गए थे। कहाँ इन लोगों ने बाहुबल से अच्छी ख्याति अर्जित की थी, परंतु मद्य एशिया से आने वाले तुर्क आक्रमणकारियों के सामने ये ज्यादा नहीं ठहर सके व लाहौर होते हुए पंजाब की ओर अग्रसर होते हुए भटनेर नामक स्थान पर अपना राज्य स्थापित किया। उस समय इस भू-भाग पर स्थानीय जातियों का प्रभाव था। अत: ये भटनेर से पुन: अग्रसर होकर सिंध मुल्तान की ओर बढ़े। अन्तोगत्वा मुमणवाह, मारोठ, तपोट, देरावर आदि स्थानों पर अपने मुकाम करते हुए थार के रेगिस्तान स्थित परमारों के क्षेत्र में लोद्रवा नामक शहर के शासक को पराजित यहाँ अपनी राजधानी स्थापित की थी। इस भू-भाग में स्थित स्थानीय जातियों जिनमें परमार, बराह, लंगा, भूटा, तथा सोलंकी आदि प्रमुख थे। इनसे सतत संघर्ष के उपरांत भाटी लोग इस भू-भाग को अपने आधीन कर सके थे। वस्तुत: भाटियों के इतिहास का यह संपूर्ण काल सत्ता के लिए संघर्ष का काल नहीं था वरन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष था, जिसमें ये लोग सफल हो गए।



सन ११७५ ई. के लगभग मोहम्मद गौरी के निचले सिंध व उससे लगे हुए लोद्रवा पर आक्रमण के कारण इसका पतन हो गया व राजसत्ता रावल जैसल के हाथ में आ गई जिसने शीघ्र उचित स्थान देकर सन् ११७८ ई. के लगभग त्रिकूट नाम के पहाड़ी पर अपनी नई राजधानी स्थापित की जो उसके नाम से जैसल-मेरु - जैसलमेर कहलाई।

जैसलमेर राज्य की स्थापना भारत में सल्तनत काल के प्रारंभिक वर्षों में हुई थी। मध्य एशिया के बर्बर लुटेरे इस्लाम का परचम लिए भारत के उत्तरी पश्चिम सीमाओं से लगातार प्रवेश कर भारत में छा जाने के लिए सदैव प्रयत्नशील थे। इस विषय परिस्थितियों में इस राज्य ने अपना शैशव देखा व अपने पूर्ण यौवन के प्राप्त करने के पूर्व ही दो बार प्रथम अलउद्दीन खिलजी व द्वितीय मुहम्मद बिन तुगलक की शाही सेना का
कोप भाजन बनना पड़ा। सन् १३०८ के लगभग दिल्ली सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी की शाही सेना द्वारा यहाँ आक्रमण किया गया व राज्य की सीमाओं में प्रवेशकर दुर्ग के चारों ओर घेरा डाल दिया। यहाँ के राजपूतों ने पारंपरिक ढंग से युद्ध लड़ा। जिसके फलस्वरुप दुर्ग में एकत्र सामग्री के आधार पर यह घेरा लगभग ६ वर्षों तक रहा। इसी घेरे की अवधि में रावल जैतसिंह का देहांत हो गया तथा उसका ज्येष्ठ पुत्र मूलराज जैसलमेर के सिंहासन पर बैठा। मूलराज के छोटे भाई रत्नसिंह ने युद्ध की बागडोर अपने हाथ में लेकर अन्तत: खाद्य सामग्री को समाप्त होते देख युद्ध करने का निर्णय लिया। दुर्ग में स्थित समस्त स्रियों द्वारा रात्रि को अग्नि प्रज्वलित कर अपने सतीत्व की रक्षा हेतु जौहर कर लिया। प्रात: काल में समस्त पुरुष दुर्ग के द्वार खोलकर शत्रु सेना पर टूट पड़े। जैसा कि स्पष्ट था कि दीर्घ कालीन घेरे के कारण रसद न युद्ध सामग्री विहीन दुर्बल थोड़े से योद्धा, शाही फौज जिसकी संख्या काफी अधिक थी तथा खुले में दोनों ने कारण ताजा दम तथा हर प्रकार के रसद तथा सामग्री से युक्त थी, के सामने अधिक समय तक नहीं टिक सके शीघ्र ही सभी वीरगति को प्राप्त हो गए।




तत्कालीन योद्धाओं द्वारा न तो कोई युद्ध नीति बनाई जाती थी, न नवीनतम युद्ध तरीकों व हथियारों को अपनाया जाता था, सबसे बड़ी कमी यह थी कि राजा के पास कोई नियमित एवं प्रशिक्षित सेना भी नहीं होती थी। जब शत्रु बिल्कुल सिर पर आ जाता था तो ये राजपूत राजा अपनी प्रजा को युद्ध का आह्मवाहन कर युद्ध में झोंक देते थे व स्वयं वीरगति को प्राप्त कर आम लोगों को गाजर-मूली की तरह काटने के लिए बर्बर व युद्ध प्रिया तुर्कों के सामने जिन्हें अनगिनत युद्धों का अनुभव होता था, निरीह छोड़े देते थे। इस तरह के युद्धों का परिणाम तो युद्ध प्रारंभ होने के पूर्व ही घोषित होता था।

सल्तनत काल में द्वितीय आक्रमण मुहम्मद बिन तुगलक (१३२५-१३५१ ई.) के शासन काल में हुआ था, इस समय यहाँ का शासक रावल दूदा (१३१९-१३३१ ई.) था, जो स्वयं विकट योद्धा था तथा जिसके मन में पूर्व युद्ध में जैसलमेर से दूर होने के कारण वीरगति न पाने का दु:ख था, वह भी मूलराज तथा रत्नसिंह की तरह अपनी कीर्ति को अमर बनाना चाहता था। फलस्वरुप उसकी सैनिक टुकड़ियों ने शाही सैनिक ठिकानों पर छुटपुट लूट मार करना प्रारंभ कर दिया। इन सभी कारणों से दण्ड देने के लिए एक बार पुन: शाही सेना जैसलमेर की ओर अग्रसर हुई। भाटियों द्वारा पुन: उसी युद्ध नीति का पालन करते हुए अपनी प्रजा को शत्रुओं के सामने निरीह छोड़कर, रसद सामग्री एकत्र करके दुर्ग के द्वार बंद करके अंदर बैठ गए। शाही सैनिक टुकड़ी द्वारा राज्य की सीमा में प्रवेशकर समस्त गाँवों में लूटपाट करते हुए पुन: दुर्ग के चारों ओर डेरा डाल दिया। यह घेरा भी एक लंबी अवधि तक चला। अंतत: स्रियों ने एक बार पुन: जौहर किया एवं रावल दूदा अपने साथियों सहित युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुआ। जैसलमेर दुर्ग और उसकी प्रजा सहित संपूर्ण-क्षेत्र वीरान हो गया।

परंतु भाटियों की जीवनता एवं अपनी भूमि से अगाध स्नेह ने जैसलमेर को वीरान तथा पराधीन नहीं रहने दिया। मात्र १२ वर्ष की अवधि के उपरांत रावल घड़सी ने पुन: अपनी राजधानी बनाकर नए सिरे से दुर्ग, तड़ाग आदि निर्माण कर श्रीसंपन्न किया। जो सल्तनत काल के अंत तक निर्बाध रुपेण वंश दर वंश उन्नति करता रहा। जैसलमेर राज्य ने दो बार सल्तनत के निरंतर हमलों से ध्वस्त अपने वर्च को बनाए रखा।

मुगल काल के आरंभ में जैसलमेर एक स्वतंत्र राज्य था। जैसलमेर मुगलकालीन प्रारंभिक शासकों बाबर तथा हुँमायू के शासन तक एक स्वतंत्र राज्य के रुप में रहा। जब हुँमायू शेरशाह सूरी से हारकर निर्वासित अवस्था में जैसलमेर के मार्ग से रावमाल देव से सहायता की याचना हेतु जोधपुर गया तो जैसलमेर
के भट्टी शासकों ने उसे शरणागत समझकर अपने राज्य से शांति पूर्ण गु जाने दिया। अकबर के बादशाह बनने के उपरांत उसकी राजपूत नीति में व्यापक परिवर्तन आया जिसकी परणिति मुगल-राजपूत विवाह में हुई। सन् १५७० ई. में जब अकबर ने नागौर में मुकाम किया तो वहाँ पर जयपुर के राजा भगवानदास के माध्यम से बीकानेर और जैसलमेर दोनों को संधि के प्रस्ताव भेजे गए। जैसलमेर शासक रावल हरिराज ने संधि प्रस्ताव स्वीकार कर अपनी पुत्री नाथीबाई के साथ अकबर के विवाह की स्वीकृति प्रदान कर राजनैतिक दूरदर्शिता का परिचय दिया। रावल हरिराज का छोटा पुत्र बादशाह दिल्ली दरबार में राज्य के प्रतिनिधि के रुप में रहने लगा। अकबर द्वारा उस फैलादी का परगना जागीर के रुप में प्रदान की गई। भाटी-मुगल संबंध समय के साथ-साथ और मजबूत होते चले गए। शहजादा सलीम को हरिराज के पुत्र भीम की पुत्री ब्याही गई जिसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया गया था। स्वयं जहाँगीर ने अपनी जीवनी में लिखा है - 'रावल भीम एक पद और प्रभावी व्यक्ति था, जब उसकी मृत्यु हुई थी तो उसका दो माह का पुत्र था, जो अधिक जीवित नहीं रहा। जब मैं राजकुमार था तब भीम की कन्या का विवाह मेरे साथ हुआ और मैने उसे 'मल्लिका-ए-जहांन' का खिताब दिया था। यह घराना सदैव से हमारा वफादार रहा है इसलिए उनसे संधि की गई।'

मुगलों से संधि एवं दरबार में अपने प्रभाव का पूरा-पूरा लाभ यहाँ के शासकों ने अपने राज्य की भलाई के लिए उठाया तथा अपनी राज्य की सीमाओं को विस्तृत एवं सुदृढ़ किया। राज्य की सीमाएँ पश्चिम में सिंध नदी व उत्तर-पश्चिम में मुल्तान की सीमाओं तक विस्तृत हो गई। मुल्तान इस भाग के उपजाऊ क्षेत्र होने के कारण राज्य की समृद्धि में शनै:शनै: वृद्धि होने लगी। शासकों की व्यक्तिगत रुची एवं राज्य में शांति स्थापित होने के कारण तथा जैन आचार्यों के प्रति भाटी शासकों का सदैव आदर भाव के फलस्वरुप यहाँ कई बार जैन संघ का आर्याजन हुआ। राज्य की स्थिति ने कई जातियों को यहाँ आकर बसने को प्रोत्साहित किया फलस्वरुप ओसवाल, पालीवाल तथा महेश्वरी लोग राज्य में आकर बसे व राज्य की वाणिज्यिक समृद्धि में अपना योगदान दिया।

भाटी मुगल मैत्री संबंध मुगल बादशाह अकबर द्वितीय तक यथावत बने रहे व भाटी इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र शासक के रुप में सत्ता का भोग करते रहे। मुगलों से मैत्री संबंध स्थापित कर राज्य ने प्रथम बार बाहर की दुनिया में कदम रखा। राज्य के शासक, राजकुमार अन्य सामन्तगण, साहित्यकार, कवि आदि समय-समय पर दिल्ली दरबार में आते-जाते रहते थे। मुगल दरबार इस समय संस्कृति, सभ्यता तथा अपने वैभव के लिए संपूर्ण विश्व में विख्यात हो चुका था। इस दरबार में पूरे भारत के गुणीजन एकत्र होकर बादशाह के समक्ष अपनी-अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया करते थे। इन समस्त क्रियाकलापों का जैसलमेर की सभ्यता, संस्कृति, प्राशासनिक सुधार, सामाजिक व्यवस्था, निर्माणकला, चित्रकला एवं सैन्य संगठन पर व्यापक प्रभाव पड़ा।

मुगल सत्ता के क्षीण होते-होते कई स्थानीय शासक शक्तिशाली होते चले गए। जिनमें कई मुगलों के गवर्नर थे, जिन्होंने केन्द्र के कमजोर होने के स्थिति में स्वतंत्र शासक के रुप में कार्य करना प्रारंभ कर दिया था। जैसलमेर से लगे हुए सिंध व मुल्तान प्रांत में मुगल सत्ता के कमजोर हो जाने से कई राज्यों का जन्म हुआ, सिंध में मीरपुर तथा बहावलपुर प्रमुख थे। इन राज्यों ने जैसलमेर राज्य के सिंध से लगे हुए विशाल भू-भाग को अपने राज्य में शामिल कर लिया था।
अन्य पड़ोसी राज्य जोधपुर, बीकानेर ने भी जैसलमेर राज्य के कमजोर शासकों के काल में समीपवर्ती प्रदेशों में हमला संकोच नहीं करते थे। इस प्रकार जैसलमेर राज्य की सीमाएँ निरंतर कम होती चली गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत आगमन के समय जैसलमेर का क्षेत्रफल मात्र १६ हजार वर्गमील भर रह
गया था। यहाँ यह भी वर्णन योग्य है कि मुगलों के लगभग ३०० वर्षों के लंबे शासन में जैसलमेर पर एक ही राजवंश के शासकों ने शासन किया तथा एक ही वंश के दीवानों ने प्रशासन भार संभालते हुए उस संझावत के काल में राज्य को सुरक्षित बनाए रखा।

जैसलमेर राज्य में दो पदों का उल्लेख प्रारंभ से प्राप्त होता है, जिसमें प्रथम पद दीवान तथा द्वितीय पद प्रधान का था। जैसलमेर के दीवान पद पर पिछले लगभग एक हजार वर्षों से एक ही वंश मेहता (महेश्वरी) के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता रहा है। प्रधान के पद पर प्रभावशाली गुट के नेता को राजा के द्वारा नियुक्त किया जाता था। प्रधान का पद राजा के राजनैतिक वा सामरिक सलाहकार के रुप में होता था, युद्ध स्थिति होने पर प्रधान, सेनापति का कार्य संचालन भी करते थे। प्रधान के पदों पर पाहू और सोढ़ा वंश के लोगों का वर्च सदैव बना रहा था।

मुगल काल में जैसलमेर के शासकों का संबंध मुगल बादशाहों से काफी अच्छा रहा तथा यहाँ के शासकों द्वारा भी मनसबदारी प्रथा का अनुसरण कर यहाँ के सामंतों का वर्गीकरण करना प्रारंभ किया। प्रथा वर्ग में 'जीवणी' व 'डावी' मिसल की स्थापना की गई व दूसरे वर्ग में 'चार सिरै उमराव' अथवा 'जैसाणे रा थंब' नामक पदवी से शोभित सामंत रखे गए। मुगल दरबार की भांति यहाँ के दरबार में सामन्तों के पद एवं महत्व के अनुसार बैठने व खड़े रहने की परंपरा का प्रारंभ किया। राज्य की भूमि वर्गीकरण भी जागीर, माफी तथा खालसा आदि में किया गया। माफी की भूमि को छोड़कर अन्य श्रेणियां राजा की इच्छानुसार नर्धारित की जाती थी। सामंतों को निर्धारित सैनिक रखने की अनुमति प्रदान की गई। संकट के समय में ये सामन्त अपने सैन्य बल सहित राजा की सहायता करते थे। ये सामंत अपने-अपने क्षेत्र की सुरक्षा करने तथा निर्धारित राज राज्य को देने हेतु वचनबद्ध भी होते थे।

ब्रिटिश शासन से पूर्व तक शासक ही राज्य का सर्वोच्च न्यायाधिस होता था। अधिकांश विवादों का जाति समूहों की पंचायते ही निबटा देती थी। बहुत कम विवाद पंचायतों के ऊपर राजकीय अधिकारी, हाकिम, किलेदार या दीवान तक पहुँचते थे। मृत्युदंड देने का अधिकार मात्र राजा को ही था। राज्य में कोई लिखित कानून का उल्लेख नही है। परंपराएँ एवं स्वविवेक ही कानून एवं निर्णयों का प्रमुख आधार होती थी।

भू-राज के रुप में किसान की अपनी उपज का पाँचवाँ भाग से लेकर सातवें भाग तक लिए जाने की प्रथा राज्य में थी। लगान के रुप में जो अनाज प्राप्त होता था उसे उसी समय वणिकों को बेचकर नकद प्राप्त धनराशि राजकोष में जमा होती थी। राज्य का लगभग पूरा भू-भाग रेतीला या पथरीला है एवं यहाँ वर्षा भी बहुत कम होती है। अत: राज्य को भू-राज से बहुत कम आय होती थी तथा यहाँ के शासकों तथा जनसाधारण का जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण था।