शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

राजस्थानी भाषा के प्रचार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रम तय


अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर 


राजस्थानी भाषा के प्रचार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रम तय 


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर  ने राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यकर्मो को तय किया हें ,समिति द्वारा आयोजित आम बैठक में समिति के प्रदेश कार्यकारिणी से मिले निर्देशानुसार राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार पर व्यापक चर्चा कर इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रमों का निर्धारण किया गया ,समिति के संयोजक चन्दन सिंह बहती ने बताया की सेवा सदन में समिति ,मोटियार परिषद् ,महिला परिषद् तथा चिंतन परिषद् की संयुक्त बैठक का आयोजन जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता की अध्यक्षता में आयोजित की गई बैठक में सांग सिंह लूनू ,प्रकाश जोशी ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,एडवोकेट विजय कुमार ,श्रीमती उर्मिला जैन ,श्रीमती देवी चौधरी ,रघुवीर सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,रमेश गौड़ ,सुल्तान सिंह रेडाना ,दीप सिंह रणधा ,डॉ हरपाल सिंह राव ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सहित समिति के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे ,इस अवसर पर प्रदेश कार्यकारिणी के निर्देशानुसार राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए इक्कीस सूत्रीय कार्यक्रमों को तय किया गया तथा शीघ्र पुरे जिले में राजस्थानी भाषा के प्रचार प्रसार के कार्यक्रम आरम्भ करने का निर्णय लिया गया ,जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने बताया की  
राजस्थानी भाषा व संस्कृति रा प्रचार वास्ते इक्कीस सुत्रीय कार्यक्रम निम् तय किये जाकर अमल में लाये जायेंगे 
1. राजस्थानी लोगा ने आपस में राजस्थानी में इज बाता करणी चाइजे।
2. राजस्थानी फ़िल्मा, गाणा, भजना री कैसेट व सी.डी. खरीदणी, सुणनी व साथ-साथ मित्रां व रिस्तेदारां ने भी सुणाणी।
3. ब्याव-शादियाँ रा कार्ड राजस्थानी भाषा में छपवाणा व इण अवसरा पर राजस्थानी गाणा व गीतों पर विशेष कार्यक्रमा रो आयोजन करणों व राजस्थानी गायका ने आमंत्रित करणों।
4. हज़ारां री संख्या में राजस्थानी भाषा रा कैलेंडर, टेबल कैलेंडर आदि छपवाणा तथा बांटणा।
5. हर एक राजस्थानी परिवार ने राजस्थानी भाषा री किताब, अख़बार, साहित्य, कविता, संग्रह आदि रे वास्ते हर महीने 10-1,00 रुपया ख़र्च करणा।
6. मित्रा, रिस्तेदारा, आडौस-पडौस आदि में राजस्थानी भाषा री पुस्तका बांटणी।
7. मेळा, सामाजिक कार्यक्रमां व धार्मिक कार्यक्रमा सु जुडी सामग्री ने राजस्थानी भाषा में छपवाणों। सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक कार्यक्रमों रा व्याख्यान, व भाषण राजस्थानी भाषा में देणा व सुणवा रे वास्ते आग्रह करणों।
8. हर एक जिला सु राजस्थानी भाषा में चार पेज रो साप्ताहिक या दैनिक समाचार पत्र निकाळणो व बांटणों। या माइने बालका व युवा वास्ते अलग सु राजस्थानी भाषा में ज्ञान-विज्ञान, राजनीति, खेल, देश-विदेश, समाज, धर्म व मनोरंजन री खबरा वेवें। (500-1000 कापियॉ सु शुरुआत की जाई सके।)
9. राजस्थानी भाषा री फिल्मा रो निर्माण करणों व पुराणी राजस्थानी फ़िल्मा रा नुवा डिजिटल संस्करण सी.डी. व डी.वी.डी. रे रूप में निकालणा।
10. देश-विदेश, छोटा-छोटा गांव, तथा शहरा मा राजस्थानी भाषा रा सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन, नाटक, कवि सम्मेलन आदि रा नियमित आयोजन करणा। इण रा आयोजना रे वास्ते राजस्थानी कलाकारा ने बुलाणों।
11. राजस्थानी भाषा रे प्रचार-प्रसार रे वास्ते राजस्थान रा सभी गाँवा व शहरा में समितियाँ बणावणी और विशेष कोष स्थापित करणो तथा इके वास्ते राजस्थानी लोगा सु भी आगे आवा रो आग्रह करणों।
12. राजस्थानी तीज-त्यौहार, ब्याव-शादियों में राजस्थानी वेश भुषा पेहननो।
13. विधान सभा व लोक सभा रा चुनाव रा पोस्टर, घोषणा पत्र व अन्य सामग्री राजस्थानी भाषा में छपवावा रो आग्रह सभी राजनैतिक दला सु करणों तथा नेता लोगा सु राजस्थानी में भाषण देवा को आग्रह करणों।
14. राजस्थानी भाषा व साहित्य रे क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करवा वाळा ने पुरस्कार व सम्मान देणों इण्सु अन्य दुसरा लोग भी प्रोत्साहित वेवेला।
15. पुराणा ज्ञान भंडारा में जो हस्तलिखित राजस्थानी भाषा रा ग्रंथ पड़या है वाणै छपवावा के वास्ते सब राजस्थानी उधोगपति सु एक-एक ग्रंथ उणारे जीवन काल में छपवावा र वास्ते निवेदन करणों।
16. पुरा देश में जठे-जठे राजस्थानी लोग ज्यादा संख्या में रेवे, वा जगहा रेडियों स्टेशन व टी.वी. चैनल पर राजस्थान (राजस्थानी) सु जुडा छोटा-छोटा कार्यक्रम शुरू करणा।
17. हर एक शहर में राजस्थानी मॉल खोलणां जिणामें खाली राजस्थानी चीजां मिलें।
18. राजस्थान री सभी स्कुल व कॉलेज स्तर रे पाठयक्रम में एक राजस्थानी भाषा व साहित्य रो सर्टीफिकेट स्तर रो विषय चालु करवाणों।
19. राजस्थानी भाषा में वेबसाईटा रो निर्माण करणों और ज्यादा सु ज्यादा साहित्यकारां व दुसरा विशिष्ट लोगा ने इण कार्य सु जोडणो।
20. पुराणा किला व इमारता ने स्कुल, कॉलेज व विश्वविधालय में बदल देणो ताकि राजस्थान रा असली इतिहास सु, आगे आवा वाली पीढियां सीधी जानकारी लेई सके।
21. विश्व राजस्थानी संघ री स्थापना करणो।

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