पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल
बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले की जालोर जिले की सरहद पर स्थित तीन सौ साल पुरानी बाबा अब्बनशाह की दरगाह जिसे पूरा हिन्दुस्तान पीरों की जाल के नाम से जसनता हैं।इस दरगाह में गत तीन सौ सालों से चमत्कार हो रहे हैं।इस चमत्कार से हजारों लोगों को नयी जिन्दगी मिली।विज्ञान के इस युग में भले ही लोग इसे अंधविश्वास का नाम दें मगर जो लोग चमत्कार से नई जिन्दगी पाऐं हैं।उनकी मानें तो पीरों की जाल आस्था और चमत्कार का अवतार हैं।जॅहा मानसिक रोगी बुरी स्थिति से बाहर निकल आते हैं।
कहते हें किसी मर्ज का इलाज अस्पताल में होता हें लेकिन कभी सुना हें आपने कि कब्रिस्तान में किसी मर्ज का इलाज होता हें . आपकी सोच और दिमागी दोड़ से कोसो दूर हम आपको रूबरू करवा रहे हें एक ऐसे अस्पताल में जहा अपने दिमाक का संतुलन कहो चुके मरीजो के इलाज के दावे होते हें . लेकिन ये दावे धरती पे एक कब्रिस्तान में उतरते नजर आते हें . बाड़मेर जालोर कि सीमा पर स्थित पिरो की जाल में हें कब्रिस्तान में हें पागलो का अस्पताल .
राजस्थान के जालोर जिले में एक कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल है. देश और दुनिया की सोच से परे एक इसी जगह झा होता हे पागलपन का इलाज . न किसी तरह का बिस्तर न कोई डाक्टर और न ही कोई दवाई . यह हे पिरो की जाल . पिरो की जाल में राजस्थान ,गुजरात ,महारास्ट,बिहार सहित देश के की इलाको से अलग अलग मजहब से जुड़े लोग आते हे . बताते हे कि जिन पर पागलपन या फिर भूतो का साया हो और जो किसी भी इलाज से सही नही हुए है उन लोगो के घर वाले यहा पर उन्हें लेकर आते है जिस समय उन को लाया जाता है उस समय उनकी हालत मरने सरीखी होती हे . लेकिन उन्हें यहा लेन पर बरसों से चले आ रहे इलाज को दोर होता हे शुरू . उन लोगो को कब्रिश्तान में जजीरो से बांध दिया जाता हे . बाड़मेर के रहने वाले सरकारी कर्मचारी राजेंद्र खत्री के अनुसार सन 1971 में उसके घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से उसकी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर सन 1971 में मरे घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से मेरी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया
राजेद्र खत्री के अनुसार पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था
पिरो कि जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे पागलो का इलाज . इस अनूठे अस्पताल के बारे में वह के खलीफा मोहोमद बक्स खिलिफा बताते हे कि कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है
मोहोमद बक्स खिलिफा पीरो की जाल जालोर कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है
राजस्थान के जालोर जिले में एक कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल है. देश और दुनिया की सोच से परे एक इसी जगह झा होता हे पागलपन का इलाज . न किसी तरह का बिस्तर न कोई डाक्टर और न ही कोई दवाई . यह हे पिरो की जाल . पिरो की जाल में राजस्थान ,गुजरात ,महारास्ट,बिहार सहित देश के की इलाको से अलग अलग मजहब से जुड़े लोग आते हे . बताते हे कि जिन पर पागलपन या फिर भूतो का साया हो और जो किसी भी इलाज से सही नही हुए है उन लोगो के घर वाले यहा पर उन्हें लेकर आते है जिस समय उन को लाया जाता है उस समय उनकी हालत मरने सरीखी होती हे . लेकिन उन्हें यहा लेन पर बरसों से चले आ रहे इलाज को दोर होता हे शुरू . उन लोगो को कब्रिश्तान में जजीरो से बांध दिया जाता हे . बाड़मेर के रहने वाले सरकारी कर्मचारी राजेंद्र खत्री के अनुसार सन 1971 में उसके घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से उसकी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर सन 1971 में मरे घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से मेरी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया
राजेद्र खत्री के अनुसार पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था
पिरो कि जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे पागलो का इलाज . इस अनूठे अस्पताल के बारे में वह के खलीफा मोहोमद बक्स खिलिफा बताते हे कि कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है
मोहोमद बक्स खिलिफा पीरो की जाल जालोर कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है