सोमवार, 24 दिसंबर 2018

बाड़मेर के दिग्गज नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह का किया बहिष्कार

बाड़मेर के दिग्गज नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह का किया बहिष्कार

गहलोत सरकार के नवगठित कैबिनेट मे पूर्व राजस्व मंत्री हेमाराम चोधरी पूर्व पंचायती राज मंत्री अमीन खान पचपदरा विधायक मदन प्रजापत व बाङमेर विधायक मेवाराम जैन ने सपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया! चारों विधायको ने शपथ ग्रहण समारोह में ना जाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की गौरतलब है कि राजस्थान सरकार के मंत्रीमण्डल का गठन आज जयपुर में हुआ था जिसको लेकर रविवार को चयनित विधायकों की लिस्ट सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर दिखाई जा रही थी जिसमें बाड़मेर के दिग्गज नेता हेमाराम चौधरी और अमीन खान सहित लगातार तीसरी बार जीतने वाले बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन का नाम नही होने से उनके प्रसंशको व कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी जिससे कार्यर्कर्ताओं में रोष की स्थिति पैदा हो गयी उसके बाद रविवार शाम से ही कार्यकर्ता लगातार सोशल मीडिया पर पार्टी का विरोध कर रहे हैं साथ ही कई प्रसंशको ने इस्तीफे और प्रदर्शन की भी पेशकश की मगर समझाइश के बाद वर्तमान समय तक ऐसा कोई मामला सुनने में नही आया मगर कार्यर्कर्ताओं की भावना को देखते हुए बाड़मेर के चारों विधायकों ने शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार कर अपना गुस्सा जाहिर किया!


उल्लेखनीय है की बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी विधानसभा विधायक और 5 बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी,शिव विधानसभा से 5 बार विधायक रहे अमीन खान और बाड़मेर विधानसभा से लगातार तीसरी बार विधायक बनने वाले मेवाराम जैन का नाम मंत्रीमण्डल में होना लगभग तय माना जा रहा था मगर ऐनवक्त उनको शामिल ना करने से कार्यर्कर्ताओं की नाराज हो गए जिनकी नाराजगी को देखते हुए आगामी लोकसभा चुनाव में निंसंदेह पार्टी को नुकसान हो सकता है जो कांग्रेस के लिए खतरे का संकेत है

फिर चला गहलोत का जादू , मंत्रिमंडल में भी पायलट पर भारी पड़े अशोक गहलोत, समझें कैबिनेट का समीकरण

फिर चला गहलोत का जादू , मंत्रिमंडल में भी पायलट पर भारी पड़े अशोक गहलोत, समझें कैबिनेट का समीकरण


राजस्थान में आज कांग्रेस सरकार का मंत्रिमंडल बन जाएगा. राजभवन में सुबह 11.30 बजे 23 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे. इनमें से 17 यानी दो तिहाई से ज्यादा नए चेहरे हैं. जातिगत समीकरणों को देखते हुए 13 कैबिनेट और 10 राज्य मंत्री बनाए गए हैं. वहीं, गठबंधन की राजनीति को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय लोक दल से जीते भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग को भी मंत्री बनाया जा रहा है. बड़ी बात ये है कि कैबिनेट में 60 फीसदी अशोक गहलोत समर्थक हैं तो 40 फीसदी पायलट समर्थकों को जगह मिली है. यानी एक बार फिर गहलोत सचिन पायलट पर भारी पड़ गए हैं.


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13 कैबिनेट मंत्री

बीडी कल्ला, शांति धारीवाल, परसादी लाल मीणा, मास्टर भंवरलाल मेघवाल, लालचंद कटारिया, डॉ रघु शर्मा, प्रमोद जैन भाया, विश्वेंद्र सिंह, हरीश चौधरी, रमेश चंद्र मीणा, उदयलाल आंजना, प्रताप सिंह खाचरियावास, सालेह मोहम्मद.

10 राज्य मंत्री

गोविंद सिंह डोटासरा, श्रीमति ममता भूपेश, अर्जुन बामनिया, भंवरसिंह भाटी, सुखराम विश्नोई, अशोक चांदणा, टीकाराम जूली, भजनलाल जाटव, राजेंद्र यादव, सुभाष गर्ग.

गहलोत कैबिनेट का विश्लेषण

विश्वेंद्र सिंह-मंत्रिमंडल में शामिल विधायकों में विश्वेंद्र सिंह है जो डीग से विधायक हैं और तीन बार सांसद रह चुके हैं, पूर्वी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और पहली बार मंत्री बन रहे हैं. उनकी पायलट से नहीं पटती है.

हरीश चौधरी- हरीश चौधरी बायतु से चुनाव जीते हैं और कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं. पश्चिमी राजस्थान के बड़े जाट नेता हैं और एक बार बाड़मेर से सांसद भी रह चुके हैं. ये पायलट के करीबी माने जाते हैं.

रमेश चंद्र मीणा- पहली बार विधायक चुने गए हैं और पहली बार ही मंत्री बन रहे हैं. 2008 से में पहली बार बहुजन समाज पार्टी से जीते थे. कांग्रेस सरकार को समर्थन देकर संसदीय सचिव बने और लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे हैं. सपोटरा से बड़े मीणा नेता किरोड़ी लाल मीणा की पत्नी गोलमा देवी को हराकर विधान सभा में पहुंचे हैं और पायलट के करीबी हैं.

रघु शर्मा- रघु शर्मा ने अजमेर लोकसभा उपचुनाव जीतकर कांग्रेस का कद बढ़ाया था. उसके बाद कैंपेन समिति के अध्यक्ष भी बने हैं. केकड़ी विधानसभा से दूसरी बार चुनाव जीते हैं. गहलोत के खास हैं. कभी पायलट के करीबी भी थे.

उदय लाल आंजना- उदय लाल निंबाहेड़ा से दूसरी बार विधायक हैं और ओबीसी के बड़े नेता हैं. एक बार सांसद रह चुके हैं और गहलोत समर्थक हैं.

प्रताप सिंह खाचरियावास- प्रताप सिंह जयपुर के जिला अध्यक्ष हैं और 5 साल तक उन्होंने बीजेपी सरकार के खिलाफ संघर्ष किया है. दूसरी बार विधायक बने हैं. जयपुर की सिविल लाइन सीट से जीते हैं. पायलट के बेहद करीबी हैं.

सालेह मोहम्मद- सालहे पोकरण से दूसरी बार चुनाव जीते हैं और सरकार में एकमात्र मुस्लिम मंत्री हैं. विवादों में रहने वाले सालेह मोहम्मद पश्चिमी राजस्थान के बड़े मुस्लिम नेता गाजी फकीर के बेटे हैं. सालहे गहलोत कैंप के हैं.

गोविंद सिंह- डोटासरा विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से मुख्य सचेतक रहे गोविंद सिंह लक्ष्मणगढ़ से तीसरी बार विधायक बने हैं. पायलट के करीबी हैं और उन्हें गहलोत से भी परहेज नहीं है.

ममता भूपेश- ममता मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला चेहरा हैं और दूसरी बार विधायक बनी हैं. इससे पहले कांग्रेस सरकार में संसदीय सचिव रह चुकी हैं. किसी कैंप में नही हैं.

अर्जुन बामणिया- ये बांसवाड़ा से तीसरी बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं और कांग्रेस में प्रदेश सचिव रह चुके हैं. अर्जुन बामणिया को गहलोत समर्थक माना जाता है.

भंवरसिंह भाटी- कोलायत से दूसरी बार लगातार जीते भंवरसिंह भाटी ने बीजेपी के बड़े दिग्गज नेता देवी सिंह भाटी को पहली बार हराया था और दूसरी बार उनकी बहू को हराया है. भाटी गहलोत समर्थक हैं.


सुखराम बिश्नोई- सुखराम सांचौर सीट से लगातार दूसरा चुनाव जीते हैं. मोदी लहर के बावजूद भी वह पिछली बार जीत कर आए थे और बिश्नोई समाज के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रिमंडल में शामिल किए गए हैं. सुखराम गहलोत समर्थक हैं.

अशोक चांदणा- युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चांदणा भी मंत्री बन रहे हैं जो लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं. विपक्ष में उनका तेवर काफी रहा है और वे गहलोत समर्थक हैं.

टीकाराम जूली- अलवर ग्रामीण से दूसरी बार विधायक हैं और कांग्रेस में जितेंद्र सिंह के करीबी हैं.

भजन लाल जाटव- भजन लाल पहली बार 2014 में विधानसभा उपचुनाव में वैर सीट से ही जीते थे और इस बार भी जीते हैं. भजन लाल पायलट के करीबी हैं.

राजेंद्र यादव- कोटपूतली विधानसभा से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए राजेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव में भी यादव वोट दिलवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यादव गहलोत समर्थक हैं.

सुभाष गर्ग- कांग्रेस के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल के टिकट पर पहली बार चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं.

बीडी कल्ला- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और बीकानेर पश्चिम से चुनाव जीते हैं. राजस्थान में करीब 12 मंत्रालय संभाल चुके हैं. गहलोत कैंप में हैं.

शांति धारीवाल- कोटा दक्षिण से चुनाव जीते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं. इन्हें भारी-भरकम मंत्रालय मिलता रहा है .

परसादी लाल मीणा- लालसोट से चुनाव जीते हैं और पिछला चुनाव हार गए थे. मीणा समाज से कांग्रेस का चेहरा हैं. गहलोत के करीबी हैं.

मास्टर भंवरलाल मेघवाल- मास्टर भंवरलाल सुजानगढ़ से चुनाव जीते हैं और सचिन पायलट के बेहद करीबी हैं. एससी समाज के नेता हैं. शिक्षा मंत्री थे, लेकिन इस्तीफा देना पड़ा था.

लालचंद कटारिया- जयपुर की झोटवाड़ा सीट से विधायक बने हैं और मनमोहन सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. पहली बार राज्य मंत्री बनने जा रहे हैं और अशोक गहलोत के करीबी हैं.

प्रमोद जैन भाया- प्रमोज जैन अंता सीट से विधायक बने हैं और सचिन पायलट के बहुत करीबी हैं. पिछली सरकार में बीच में हटा दिया गया था.

इन दिग्गजों को नहीं मिली जगह

राजस्थान में इस बार जिन बड़े दिग्गज नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है उनमें सीपी जोशी, हेमाराम चौधरी, भरत सिंह, दीपेंद्र सिंह शेखावत, परसराम मोरदिया, राजेंद्र पारीक, अशोक बैरवा, महेश जोशी, जितेंद्र सिंह , महेंद्रजीत सिंह मालवीय, बृजेंद्र ओला और राजकुमार शर्मा हैं.

जातिगत आधार पर देखें तो सबसे ज्यादा 4 जाट विधायक मंत्री बन रहे हैं. दो ब्राह्मण, दो राजपूत, 3 वैश्य, 4 एससी, 3 एसटी, एक गुर्जर, एक विश्नोई, एक मुस्लिम, दो ओबीसी हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दोनों ओबीसी से आते हैं.

रविवार, 23 दिसंबर 2018

*मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार*

*मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार*

*चन्दन सिंह भाटी*

*बाडमेर विपरीत परिस्थितियों में बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगा कर विधानसभा में पहुंचे मेवाराम जैन को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार है।आखिर जैन की कैबिनेट में अनदेखी क्यों कि गई।।यह बड़ा सवाल है।।मेवाराम जैन ने हमेशा बाडमेर सीट विपरीत परिस्थितियों में जीत कर कांग्रेस को दी।गत चुनाव में मोदी लहर में पश्चिमी राजस्थान से मात्र तीन विधायक जीते जिनमे एक मुख्यमंत्री बनेऔर एक को काबीना मंत्री बनाया जा रहा है।।तीसरा विधायक मेवाराम जैन को अलग थलग रखा।।शायद इसका कारण है कि वो बड़े जातीय समुहबक प्रतिनिधित्व नही करते।मगर कांग्रेस भूल रही है कि मेवाराम जैन छतीस कौम का प्रतिनिधित्व करते है।एक बड़ा व्वत बैंक उनके साथ जुड़ा है।।मेवाराम जैन ने विधानसभा में जिले की समस्याओं को प्रखरता से उठाया।।बहुत सारे मुद्दे पटल पर रखे।।संजीदगी और राजनीति का सामंजस्य है।।मेवाराम जैन को मंत्री मंडल में प्रमोद जैन और शांति धारीवाल पे प्राथमिकता देनी चाहिए थी।।ये दोनो हाडौतो से आते है।।जब कद्दावर जाट नेता हेमाराम चौधरी पर हरीश चौधरी और अमीन खान पर साले मोहम्मद को प्राथमिकता दी जा सकती है तो मेवाराम को क्यों नही।।शायद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख मंत्रियों का चयन किया।।हम किसी की काबिलियत पर शक नही कर रहे मगर जनता की आवाज़ बन चुके मेवाराम जैन मंत्रिमंडल में शामिल होने की सारी योग्यता रखते है।।दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को बड़े अंतर से हराना कोई कम उपलब्धि नही है।।राहुल गांधी ने भी बयान दिया था कि बड़ी जीत वालो को मौका दिया जाएगा।।फिर मेवाराम जैन मामले में चूक कैसे हो गई।।मेवाराम जैन से लोगो को अपेक्षाएं रहती है ।इन अपेक्षाओं पे वो खरा भी उतरते है।।मंत्रिमंडल में मेवाराम जैन होने चाहिए थे।।हालांकि उन्हें अगले विस्तार में कोई न कोई पद दे दिया जाएगा मगर वो जिस पद के हकदार है उन्हें फिलवक्त वंचित रखा।।यह बाडमेर जिले के लोगो के गले नही उतरती।।मंत्री मंडल में शामिल करना न करना मुख्यमंत्री का विषधाधिकार है।मगर मेवाराम जैन जनता की आवाज़  है।।

बाड़मेर । मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल ना करना क्षेत्र के लोगों के साथ इमोशनल अत्याचार

बाड़मेर। मेवाराम जैन को मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार

चन्दन सिंह भाटी

बाडमेर विपरीत परिस्थितियों में बाडमेर विधानसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगा कर विधानसभा में पहुंचे मेवाराम जैन को अशोक गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल न करना क्षेत्र के लोगो के साथ इमोशनल अत्याचार है।आखिर जैन की कैबिनेट में अनदेखी क्यों कि गई।।यह बड़ा सवाल है।।मेवाराम जैन ने हमेशा बाडमेर सीट विपरीत परिस्थितियों में जीत कर कांग्रेस को दी।गत चुनाव में मोदी लहर में पश्चिमी राजस्थान से मात्र तीन विधायक जीते जिनमे एक मुख्यमंत्री बनेऔर एक को काबीना मंत्री बनाया जा रहा है।।तीसरा विधायक मेवाराम जैन को अलग थलग रखा।।शायद इसका कारण है कि वो बड़े जातीय समुहबक प्रतिनिधित्व नही करते।मगर कांग्रेस भूल रही है कि मेवाराम जैन छतीस कौम का प्रतिनिधित्व करते है।



एक बड़ा वोट बैंक उनके साथ जुड़ा है।।मेवाराम जैन ने विधानसभा में जिले की समस्याओं को प्रखरता से उठाया।।बहुत सारे मुद्दे पटल पर रखे।।संजीदगी और राजनीति का सामंजस्य है।।मेवाराम जैन को मंत्री मंडल में प्रमोद जैन और शांति धारीवाल पे प्राथमिकता देनी चाहिए थी।।ये दोनो हाडौतो से आते है।।जब कद्दावर जाट नेता हेमाराम चौधरी पर हरीश चौधरी और अमीन खान पर साले मोहम्मद को प्राथमिकता दी जा सकती है तो मेवाराम को क्यों नही।।शायद कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रख मंत्रियों का चयन किया।।हम किसी की काबिलियत पर शक नही कर रहे मगर जनता की आवाज़ बन चुके मेवाराम जैन मंत्रिमंडल में शामिल होने की सारी योग्यता रखते है।।दिग्गज जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को बड़े अंतर से हराना कोई कम उपलब्धि नही है।।राहुल गांधी ने भी बयान दिया था कि बड़ी जीत वालो को मौका दिया जाएगा।।फिर मेवाराम जैन मामले में चूक कैसे हो गई।।मेवाराम जैन से लोगो को अपेक्षाएं रहती है ।इन अपेक्षाओं पे वो खरा भी उतरते है।।मंत्रिमंडल में मेवाराम जैन होने चाहिए थे।।हालांकि उन्हें अगले विस्तार में कोई न कोई पद दे दिया जाएगा मगर वो जिस पद के हकदार है उन्हें फिलवक्त वंचित रखा।।यह बाडमेर जिले के लोगो के गले नही उतरती।।मंत्री मंडल में शामिल करना न करना मुख्यमंत्री का विषधाधिकार है।मगर मेवाराम जैन जनता की आवाज़  है।।

*हरीश चौधरी और सालेमोहम्मद होंगे केबिनेट में शामिल* *आज़ादी के बाद जेसलमेर को मिलेगा पहला मंत्री*

*हरीश चौधरी और सालेमोहम्मद होंगे केबिनेट में शामिल*
*आज़ादी के बाद जेसलमेर को मिलेगा पहला मंत्री*


*राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार में कैबिनेट के गठन होने जा रहा है।।जिसमे बाडमेर से बायतु विधायक हरीश चौधरी और जेसलमेर पोकरण क्षेत्र से बिधायक साले मोहम्मद शामिल होंगे। हालांकि पीकरण लोकसभा क्षेत्र जोधपुर का हिस्सा है।।

*साले मोहम्मद*

जेसलमेर जिले को आज़ादी के बाद पहली बार केबिनेट में भागीदारी मिल रही है। अल्पसंख्य नेता धर्मगुरु गाज़ी फ़क़ीर के विधायक पुत्र साले मोहम्मद पहली बार मंत्री बनेंगे।।साले मोहम्मद को भाजपा के दिग्गज महंत प्रतापपुरी को हराने का तोहफा मिल रहा है।।साले मोहम्मद 2008 में पीकरण से पहले विधायक बने थे।।पिछले चुनाव हार गए थे।इस बार कड़े मुकाबले में जीत हासिल कर विधायक बने।।अशोक गहलोत के करीबी माने जाते है।।

*हरीश चौधरी*

हरीश चौधरी एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान राजस्थान विधानसभा में बायतू से विधायक है। वे भारत के बाड़मेर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद थे।ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव है। वो पहली बार २००९ में सांसद बने।राष्ट्रीय राजनीति से इसी साल राज्य की राजनीति में हरीश चौधरी ने भाग्य आजमाया।जीते।।गत लोकसभा चुनाव हार गए थे।।कांग्रेस का जाट नेता चेहरा है।।इसीलिए उन्हें प्राथमिकता दी केबिनेट में।।चौधरी पहली बार मंत्री बनेंगे।।

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक की और से साले मोहम्मद और हरीश चौधरी को हार्दिक बधाई।*

5 साल रहेगी हमारी सरकार...कहते हुए शख्स ने पुलिस वालों को खूब सुनाया भला-बुरा, देखे वायरल वीडियो


5 साल रहेगी हमारी सरकार...कहते हुए शख्स ने पुलिस वालों को खूब सुनाया भला-बुरा,  देखे 
वायरल वीडियो



जालोर. नर्मदा विभाग के अधिकारियों से एक किसान द्वारा बदसलूकी करने का वीडियो वायरल हो रहा है. जहां किसान, विधायक और सरकार के दम पर अधिकारियों को धमकाता दिख रहा है. विधायक सुखराम बिश्नोई ने असामाजिक तत्व बताकर अपना किनारा कर लिया.

जिले के सांचोर व चितलवाना की जीवनदायिनी कहीं जाने वाली नर्मदा नहर में अंतिम टेल तक पानी नहीं पहुंचने की शिकायत किसानों को रहती है. जिसके कारण नर्मदा विभाग के अधिकारी पुलिस कार्मिकों के साथ पानी चोरी को रोकने के लिए गस्त कर रहे है. इस दौरान नहर से अवैध तरीके से पानी चोरी कर फसलो की सिंचाई करने वाले किसानो को चेतावनी दी गई. लेकिन अवैध तरीके से लगाये गए पाइप नहीं हटाये तो अधिकारी पुलिस जाब्ते के साथ मौके पर गए और अवैध तौर पर लगे पाइप हटाने लगे.


इस दौरान भीखाराम गुरु नाम का किसान आया और अधिकारियों से बदसलूकी करने लगा. इस दौरान दौरान वहां पर मौजूद नर्मदा विभाग के एक कार्मिक ने वीडियों बना लिया. जिसको बाद में वायरल कर दिया गया. भीखाराम पुलिस कार्मिकों को अपनी सरकार होने की धमकी देते हुए अभद्रता करने लगा. वीडियों में किसान कहता विधायक हमारा है और सरकार भी हमारी है. अब आप पांच साल तक हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते है. इसके बाद किसान भीखाराम अधिकारियों के सामने किसी को कॉल करता है, और पुलिस वालों पर रौब दिखाने की कोशिश करता है. इस वायरल वीडियों में किसान ने इतनी भद्दी गालियां दे रहा है कि इसे वीडियों में दिखाया भी नहीं जा सकता.

किसानों के लिए खुशखबरी...प्रदेश में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू

किसानों के लिए खुशखबरी...प्रदेश में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू

जयपुर. राजस्थान के उन इलाकों में यूरिया की खेप पहुंचना शुरू हो गई है. जहां यूरिया की सबसे ज्यादा किल्लत हो रही थी. प्रदेश में कुछ दिनों से जारी यूरिया की समस्या ने विकराल रूप ले लिया था. यूरिया की बढ़ती मांग और किसानों के बढ़ते प्रदर्शन पर प्रशासन ने सावधानी बरतते हुए यूरिया की खेप भेजना शुरू कर दिया है.

जानकारी के अनुसार चंदरिया, भगत की कोठी, लालगढ़, सूरतगढ़, कनकपुरा और अलवर में यूरिया पहुंच गई है.
यहां यूरिया की सबसे ज्यादा किल्लत चल रही थी. पांच और स्थानों के लिए यूरिया की रैक पहुंचने वाली है. इसके अलावा बंदरगाह से 5 रैक लोड हो चुकी है. यह रैक बूंदी, हमीरगढ़, कोटा, बारां और हिंडौन के लिए रवाना होगी. यह जल्द से जल्द वहां पहुंच जाएगी. इसके अलावा दो हजार मेट्रिक टन यूरिया चंबल फर्टिलाइजर्स से सड़क मार्ग से रवाना होगी. और यह यूरिया बूंदी, कोटा, झालावाड़, बारां, टोंक और सवाई माधोपुर जाएंगी.


यह जानकारी जॉइंट डायरेक्टर इनपुट रामगोपाल शर्मा ने दी है. उनका कहना है कि आने वाले दो-तीन दिनों में यूरिया की जो किल्लत प्रदेश में चल रही है. उसे जल्द दूर कर लिया जाएगा. यूरिया की किल्लत के कारण किसानों को खाद के लिए प्रदर्शन भी करना पड़ा. इस दौरान पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज भी किया. जिसके बाद सीएम को भी इस मामले में दखल देना पड़ा था. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि प्रदेश के किसानों को यूरिया की कमी नहीं होने दी जाएगी. उन्होंने केंद्र से बातचीत के लिए सचिव अभय कुमार को दिल्ली भी भेजा था. इसके बाद प्रशासन ने प्रदेश में एक लाख दो हजार मीट्रिक टन यूरिया पहुंचने का दावा किया था.

*गहलोत मंत्री मंडल मे यह हो सकते है मंत्री*

*गहलोत मंत्री मंडल मे  यह हो सकते है मंत्री*

जयपुर/ राजस्थान में नई सरकार को मंत्रिमंडल का इंतजार खत्म होता जा रहा है इसके लिए काउंटडाउन भी शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत-डिप्टी सीएम पायलट के बीच मंत्रिमंडल के घटन को लेकर सहमति बन गई है। जानकारी के अनुसार मंत्रिमंडल में इस बार कुछ नये चेहरों के भी शपथ लेने की संभावना है।

ऐसे में मंत्रिमंडल की दौड़ में कुछ नामों पर सहमति बनी है जो कि संभावित मंत्री हो सकते है। उनमे प्रमुख नाम डॉ.रघु शर्मा, शांति धारीवाल, मास्टर भंवरलाल मेघवाल लालचंद कटारिया, डॉ.सीपी जोशी, दीपेंद्र सिंह शेखावत विश्वेंद्र सिंह,डॉ.जितेंद्र सिंह,रामनारायण मीणा,रमेश मीणा नरेंद्र बुडानिया, बीडी कल्ला, सालेह मोहम्मद,हेमाराम चौधरी प्रमोद जैन भाया, शकुंतला रावत, जाहिदा खान, सुभाष गर्ग महेंद्रजीत सिंह मालवीय, प्रशांत बैरवा, राजेन्द्र पारीक , कृष्णा पूनिया,राजकुमार शर्मा,हरीश मीना ममता भूपेश और अमीन खान का नाम शामिल है।

राजस्थान मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल 11:30 बजे*

*राजस्थान मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल 11:30 बजे*


जयपुर। नई सरकार के मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह कल सुबह 11:30 बजे राजभवन में होगा।  शपथ ग्रहण के साथ ही मंत्रियों के पदभार ग्रहण करने के लिए कक्ष और ऑफिस से लेकर गाड़ियों तक की शुरुआती इंतजाम कर लिए गए हैं । वहीं कैबिनेट सचिवालय ने भी आयोजन की पूरी व्यवस्था कर ली है।गहलोत सरकार में कल सुबह 11:30 बजे दो दर्जन मंत्रियों के शपथ ग्रहण की संभावना है। शपथ ग्रहण होते ही मंत्री अपना पदभार तुरंत संभालने इसके लिए सचिवालय स्तर पर पहले ही तैयारी कर ली गई है। कार्मिक विभाग ने 30 से ज्यादा कक्ष तैयार करवा लिए हैं । वहीं मोटर गैराज विभाग में करीब 40 गाड़ियां तैयार की है जो कि राजभवन में शपथ ग्रहण के समय ही भेज दी जाएंगी। मंत्रिपरिषद में करीब दो दर्जन मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है और इसी के मद्देनजर यह तैयारियां की गई हैं वहीं सबसे ज्यादा पसोपेश उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के ऑफिस को लेकर है। सचिवालय के स्तर पर तो अभी उनके लिए ओल्ड सीएमओ का पूरा सेक्शन रखा गया है लेकिन पायलट की ओर से अभी इस पर सहमति नहीं जताई गई है। उन्होंने सीएमओ और मंत्रालय भवन में भी कक्ष और ऑफिसेस देखे हैं। ऐसे में संभावना यह भी मानी जा रही है कि वे सीएमओ में अपने लिए कोई ऑफिस रखें हालांकि अभी उनकी ओर से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है... लेकिन यदि वे कोई ऐसी प्रस्ताव रखते हैं तो इस संबंध में निर्णय सीएमओ स्तर पर किया जाएगा। वहीं कैबिनेट सचिवालय ने शुरुआती तैयारी के रूप में करीब 200 से 300 निमंत्रण पत्र छपवाए हैं

शनिवार, 22 दिसंबर 2018

*मुद्दे की बात* जैसलमेर *जवाहिर अस्पताल की खैर खबर अब तो ले लो,सरकार भी बदल गई*

*मुद्दे की बात*

जैसलमेर *जवाहिर अस्पताल की खैर खबर अब तो ले लो,सरकार भी बदल गई*

जेसलमेर जिला मुख्यालय का एक मात्र नाममात्र का अस्पताल जवाहिर अस्पताल की सांस लम्बे समय से टूटी हुई है।मगर इसे ऑक्सीजन देने का कभी कोई सार्थक प्रयास नही हुआ।उसका मुख्य कारण चिकित्सको की आपसी गुटबाज़ी,प्रमुख चिकित्सा अधिकारी की मनमानी।।जेसलमेर के हज़ारो लोगो की आस्था का केंद्र जवाहिर चिकित्सालय है। मगर अंदर खाने की बात करे तो अस्पताल कम धर्मशाला ज्यादा लगती है।।अच्छा खासा व्यक्ति इस अस्पताल परिसर में एक मिनट खडा राह जाए तो यकीनन बीमार होकर बाहर निकलेगा। कहने को अस्पताल प्रशासन द्वारा सफाई के 2 ठेके अलग अलग हो रखे है इस ठेकेदार को दोनो परिसरों में तीन परियों में कुल 16_16 सफाईकर्मी लगाने होते है मगर ठेकेदार और पी एम ओ की मिलीभगत से दोनो परिसरों में मात्र छह छह सफाई कर्मी लगे है। अस्पताल परिसर की सफाई व्यवस्था किसी से छिपी  नही है।।फिर भी प्रति माह दो से तीन लाख का भुगतान ठेकेदार को होता है ।।बिल प्रमाणीकरण खुद अधिकारी करते है। पूरा मामला गड़बड़ झाला है जिला कलेक्टर को इस मामले की विशेष जांच करवानी चाहिए। अस्पताल के चिकित्सकों में जबरदस्त गुटबाज़ी है खासकर गायनिक में।।बिना सुविधा शुल्क लिए कोई भी चिकित्सक काम नह करता। एक एक केस पे चिकित्सको में झगड़े होते है।।अस्पताल की व्यवस्था संभालने का जिम्मा जिस महिला चिकित्सक को दे रखा है वो अपनी प्रशासनिक और राजनीतिक पहुंच बता विरोध करने वालो को न केवल चुप करती है बल्कि हाथों हाथ कलेक्टर,निदेशक को फोन लगा सच झूठ बोल रिपोर्ट कर देती है। प्रमुख चिकित्सा  अधिकारी पूर्व विधायक की सरपरस्ती में मनमानी करती आई है तो अब मुख्यमंत्री कार्यालय की धमकी दी जा रही है। अलबत्ता अस्पताल में खुद अधिकारी चिकित्सक निशुल्क दवा उपलब्ध होने के बावजूद बाहरी दवाईयां धड़ले से लिखते है।जब अधिकारी बाहर की दवा लिखे तो बाकी चिकित्सको के लिए बाहर की दवा लिखने की राह आसान हो गई।।अस्पताल में लेबर रूम की बुरी स्थति बनी हुई है।मगर उसे सुधारे कौन।।जिला कलेक्टर और नव निर्वाचित विधायक को अस्पताल की व्यवस्थाएं सुधारने में खास पहल करनी चाहिए ताकि जनता को राहत मिले।।आखिर जनता को अस्पताल की सुविधाओं का लाभ कब मिलेगा। दीमक की तरह सरकारी बजट के बंदरबांट के अलावा कोई काम नही होता।।कार्य करने वाले कार्मिकों को पी एम ओ सहयोग नही करती। चिकित्सक भगवान का रूप होता है जो लोगो को नई जिन्दगि देता है मगर जवाहिर अस्पताल में सारा मामला उल्टा है। पूरे कुएं में जब भांग पड़ी हो तो जिम्मेदारों को आगे आना चाहिए।। जनहित में।।

भाजपा की हारः फेल चाणक्य हुआ...लेकिन समीक्षा के नाम पर नपेंगे जिलाध्यक्ष और विस्तारक


भाजपा की हारः फेल चाणक्य हुआ...लेकिन समीक्षा के नाम पर नपेंगे जिलाध्यक्ष और विस्तारक



राजस्थान चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद समीक्षा का दौर जारी है. पार्टी के चाणक्य राजस्थान के सियासी मैदान में फेल साबित हुए हैं. इस परिणाम के बाद अब माना जा रहा है कि आगामी दिनों में कई पदिधिकारियों व कार्यकर्ताओं पर गाज गिर सकती है....

जयपुर . राजस्थान चुनाव में भाजपा के चाणक्य अमित शाह की रणनीतिक कौशल के बाद भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. इस हार के बाद पार्टी समीक्षा के नाम पर कई पदाधिकारी और विस्तारकों पर गाज गिराने की तैयारी कर रही है. पार्टी के स्तर पर आज से दो दिवसीय समीक्षा बैठकों का सिलसिला जिला स्तर पर शुरू होगी. इसकी रिपोर्ट के बाद कई जिलों के जिलाध्यक्षो और विस्तारकों के साथ ही बूथ इकाई अध्यक्षों पर कार्रवाई हो सकती है.


चुनाव के दौरान सरकार बदलने  की ट्रेंड को तोड़ने का दावा करने वाली भाजपा को मिली हार के बाद से पार्टी के भीतर पारा चढ़ा हुआ है. चुनावों की रणनीति को साधने में माहिर शाह राजस्थान की सियासी जमीन पर फेल साबित हुए हैं. चुनाव परिणाम सामने आने के बाद अब पार्टी के स्तर पर समीक्षा की जा रही है. जिला स्तर पर दो दिन होने वाली बैठक के दौरान हार के कारणों को जानते हुए उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. सभी जिलों में समीक्षा बैठक के लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजा गया है. सूत्रों का कहना है कि सभी जिलों की रिपोर्ट पहले प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी को सौंपी जाएगी. इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष इसे पार्टी अध्यक्ष शाह को देंगे. पार्टी के उच्च सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर कई पदाधिकारियों पर आगामी दिनों में कार्रवाई हो सकती है. माना जा रहा है कि चुनाव में निष्क्रिय रहे बूथ इकाईयों के साथ ही करीब 50 विस्तारकों को भी बदला जा सकता है. जबकि, करीब आधा दर्जन जिलाध्यक्षों को भी बदलने की तैयारी अंदरूनी स्तर पर जारी है. बताया जा रहा है कि शाह ने  सभी जिलों के चुनावी प्रदर्शन की रिपोर्ट भी मांगी है.


संगठन में बदलाव आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा. आपको बता दें कि चुनाव में भाजपा के चाणक्य शाह की फेलियर में प्रदेश नेताओं का भी पूरा योगदान रहा. खासतौर पर शाह के वह दूत जिन्हें राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व ने इसी मकसद से तैनात किया था कि वह केंद्र की आंख बनकर यहां काम करें. इसमें सबसे प्रमुख है प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी सतीश. संगठन महामंत्री चंद्रशेखर राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे थे. केंद्र से मिलने वाले तमाम निर्देशों की पालना प्रदेश संगठन में वही करवाते थे. अमित शाह ने विस्तारक योजना शुरू करवाई जिसे अमलीजामा पहनाने का काम भी चंद्रशेखर मिश्रा ने ही राजस्थान में किया.


इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट और इनकी मॉनिटरिंग के लिए अलग से कॉल सेंटर और मॉनिटरिंग सेल का गठन करने का काम भी संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की ओर से ही किया गया. इन तमाम व्यवस्थाओं के बाद भी राजस्थान का चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आ पाया. खास बात यह भी रही कि चुनाव के दौरान तक मॉनिटरिंग सेल और प्रदेश से जुड़े नेता आलाकमान को यही फीडबैक देते रहे कि इस बार राजस्थान में भाजपा की सरकार रिपीट हो रही है. जो संख्या बताई गई वह आंकड़े भी बहुत अधिक थे. लेकिन जब परिणाम सामने आया तो तमाम दावे सिरे से फैल हो गए.

गहलोत मंत्रिमंडल में हेमाराम चौधरी का दावा मजबूत ,हरीश भी दौड़ में

 गहलोत मंत्रिमंडल में हेमाराम  चौधरी का दावा मजबूत ,हरीश भी  दौड़ में 

बाड़मेर. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद अब कांग्रेस में मंत्री पद को लेकर माथापच्ची का दौर जारी है. दिल्ली से लेकर जयपुर तक बैठकों का दौर जारी है तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. वहीं मंत्री पद को लेकर राजस्थान में कई नेता इस कतार में है.

इसके साथ जो ख़बरें आ रही है कि इस बार गहलोत सरकार का मंत्रिमंडल छोटा होने के आसार है. हमेशा यह देखा गया है कि गहलोत सरकार में एक मंत्री कैबिनेट बाड़मेर जिले से होता आया है लेकिन एक बात तो तय है कि मंत्रिमंडल आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बनाया जाएगा. अगर बात बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र की करें तो ऐसा माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के कैबिनेट में बाड़मेर जैसलमेर से एक जाट व किसान नेता का कैबिनेट में जाना तय माना जाता है.


जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा हेमाराम चौधरी की हो रही है जो कि इससे पहले अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही वसुंधरा सरकार में प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. इस बार छठी बार विधानसभा का चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं दूसरा नाम   विधायक हरीश चौधरी का बताया जाना है. जिनको भी मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन यह तो तय है कि दोनों में से एक का बनाना तय माना जा रहा है.


दरअसल बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में जाट किसान मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. ऐसे में पार्टी बाड़मेर जिले से किसी भी एक जाट व किसान नेता को मंत्री बनाकर जाट वोटर्स के साथ ही किसान वोटर्स को लोकसभा चुनाव में अपनी तरफ़ लाने की कोशिश करेगी और दूसरा इसका बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि इस बार बाड़मेर जिले से भाजपा का सूपड़ा ही साफ हो गया.


सात में से 1 विधानसभा सीटें भाजपा के हाथ लगी है बाकी 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है तो वहीं बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो 8 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और एक सीट पर भाजपा का कब्जा है. आम तौर पर बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा ज्यादा रहा है लेकिन पिछली बार मोदी लहर में भाजपा के खाते में यह सीट चली गई थी. इस बार कांग्रेस इस सीट को अपने खाते में लाने के लिए जाट व किसान नेता को मंत्री पद में शामिल कर एक बड़े वोट वोट बैंक को अपने साथ लाने की कोशिश कर सकती है.

BSF जवानों के लिए आस्था का केंद्र है बनासकांठा के नाडेश्वरी माता का मंदिर

BSF जवानों के लिए आस्था का केंद्र है बनासकांठा के नाडेश्वरी माता का मंदिर
नाडेश्वरी माता का मंदिर

नाडेश्वरी माता का मंदिर गुजरात के बनासकांठा के बॉर्डर पर बना है. यह मंदिर आम लोगों के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों के लिए भी आस्था और श्रद्धा का बहुत बड़ा धर्मस्थल बना हुआ है.

बनासकांठा बॉर्डर पर जब भी किसी जवान की ड्यूटी लगती है तो वह ड्यूटी देने से पहले मंदिर में माथा टेक कर ही जाता है. ऐसी मान्यता है कि मां नाडेश्वरी खुद यहां जवानों की जिंदगी की रक्षा करती हैं.

दरअसल, पहले यहां पर कोई मंदिर नहीं था, एक छोटा सा मां का स्थान था, लेकिन 1971 के युद्ध के बाद उस वक्त के कमान्डेंट ने इस मंदिर का निर्माण कराया. इस मंदिर कि खास बात यह भी है कि बीएसएफ का एक जवान यहां पुजारी के तौर पर ही अपनी ड्यूटी करता है.

बनासकांठा का सुई गांव जो भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर आखिरी गांव है जहां यह मंदिर स्थित है. यहां से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान की सीमा शुरू हो जाती है. यह क्षेत्र बीएसएफ के निगरानी में ही रहता है.

मंदिर के निर्माण की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के वक्त भारतीय सेना की एक टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गई और इसके बाद वह रास्ता भटक गई क्योंकि रन का इलाका होने की वजह से उन्हें रास्ता भी नहीं मिल रहा था.

कहा जाता है कि खुद कमान्डेंट ने मां नाडेश्वरी से मदद की गुहार लगाई और सकुशल सही जगह पहुंचाने की विनती की तो खुद मां ने दिये की रोशनी के जरिये भारतीय सेना की टुकड़ी की मदद की और उन्हें वापस अपने बेस कैंप तक लेकर आई. इस दौरान किसी भी जवान को खरोंच तक नहीं आई.

वहां ऐसी मान्यता है कि जब तक इस बॉर्डर पर मां नाडेश्वरी देवी विराजमान हैं किसी भी जवान को कुछ नहीं हो सकता. इस मंदिर के ट्रस्टी खेंगाभाई सोलंकी का कहना है कि 1971 में जब जवान अपना रास्ता भटक गए और पाकिस्तान की सीमा में पहंच गए थे, तब खुद मां ने ही उन्हें रास्ता दिखाया था, तब से यहां पर आने वाले हर एक जवान के लिए मां अस्था और श्रद्धा का सब से बड़ा केंद्र बना हुआ है.

दिल्ली सियासी हलचल तेज़,सचिन से मिले मानवेन्द्र सिंह

दिल्ली सियासी हलचल तेज़,सचिन से मिले मानवेन्द्र सिंह

जयपुर/नई दिल्ली। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही दिल्ली के जोधपुर हाउस में एक बार फिर रौनक छा गई है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे दिल्ली आती थीं तो लेख विहार स्थित अपने आवास में ठहरती थीं। ऐसे में पांच वर्ष बाद यहां फिर से मुख्यमंत्री के ठहरने की तैयारी की गई है। गहलोत अपने पिछले कार्यकाल के दौरान भी दिल्ली प्रवास में यहीं ठहरते थे।



राज्यपाल और मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास: लुटियन जोन में 25, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड स्थित जोधपुर हाउस राजस्थान के राज्यपाल और मुख्यमंत्री का आधिकारिक निवास है। यदि एक साथ प्रदेश के राज्यपाल और मुख्यमंत्री दिल्ली आते हैं तो शिष्टाचार के लिहाज से राज्यपाल जोधपुर हाउस और मुख्यमंत्री राजस्थान हाउस चले जाते हैं। अशोक गहलोत अब तक इस परम्परा को निभाते आए हैं। उधर, मुख्यमंत्री प्रोटोकॉल के तहत शाम 5:30 बजे डाक्टरों के दल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जोधपुर हाउस में चैकअप किया।



विधायकों ने डाला दिल्ली में डेरा
मंत्रिमण्डल में विधायकों को शामिल करने को लेकर चल रहे बैठकों के दौर के बीच बड़ी संख्या में विधायकों ने भी दिल्ली डेरा जमा रखा है। गहलोत और पायलट दोनों ही खेमों के विधायक दिल्ली पहुंच चुके हैं। पायलट के दिल्ली स्थित निवास पर आधा दर्जन विधायकों ने बैठक भी की। विधायक बी.डी. कल्ला सुबह 10 बजे से पहले ही जोधपुर हाउस गहलोत से मिलने पहुंच गए। उधर, रमेश मीणा, हरीश मीणा और मानवेन्द्र सिंह सहित कई विधायकों ने पायलट से मुलाकात की।

शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

जिला बास्केटबॉल संघ के तत्वावधान में जिले के खेल संघों ने जैसलमेर विधायक रूपाराम धनदे का किया बहुमान

जिला बास्केटबॉल संघ के तत्वावधान में जिले के खेल संघों ने जैसलमेर विधायक रूपाराम धनदे का किया बहुमान

जिले में खेल एवं खिलाड़ियों के विकास के लिये कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जाएगी-रूपाराम धनदे
सम्मान समारोह में षरीक हुए सुरेन्द्र कटारिया अर्जुन अवार्डी बास्केटबॉल व सुरेष मिश्रा अर्जुन अवार्डी वॉलीबॉल

जैसलमेर विधानसभा क्षेत्र से नव-निर्वाचित विधायक रूपाराम धनदे का स्वागत एवं अभिनन्दन समारोह गुरूवार सॉय को इन्दिरा इण्डोर स्टेडियम में जिला बास्केटबॉल संघ के तत्वाधान में विभिन्न खेल संघों द्वारा भव्य रूप से किया गया। इस अवसर पर रूपाराम धनदे ने कहा कि मैं जिले में खेलों के एवं खिलाड़ियों के विकास के लिये सदैव तत्पर रहुंगा एवं अपने द्वारा बास्केटबॉल खेल एवं अकादमी के संबंध में विस्तार से बताते हुए कहा कि मेने 2004 में बास्केटबॉल को षुन्य से उठाकर अन्तर्राश्ट्रीय षिखर तक पहुंचाया, इसके योगदान में जनप्रतिनिधि, जिला प्रषासन, पुलिस प्रषासन, नगर परिशद, जिले के खेल संघ, मीडियाकर्मी व विषेश रूप से लक्ष्मण सिंह तंवर व आषाराम सिंधी ने मुझे बास्केटबॉल खेल के लिये प्रेरित किया। उनको साधुवाद देता हूं। ज्ञात रहे रूपाराम धनदे टेनिक्यूइट, हैण्डबॉल संघ के राज्य अध्यक्ष, जिला बास्केटबॉल संघ के तत्कालीन अध्यक्ष व वर्तमान में मुख्य संरक्षक एवं टेबल-टेनिस के जिला अध्यक्ष है। आषाराम सिंधी अध्यक्ष जिला बास्केटबॉल संघ ने स्वागत भाशण में अवगत करवाया कि रूपाराम धनदे ने बास्केटबॉल खेल को जिले से अन्तर्राश्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया, जिसके फलस्वरूप विधायक बनने पर खेल संघों एवं खिलाड़ियों द्वारा सम्मान किया गया। श्री रूपाराम धनदे का अर्जुन अवार्डी एवं अन्तर्राश्ट्रीय खिलाड़ी सुरेन्द्र कटारिया व सुरेष मिश्रा ने साफा व षोल पहनाकर स्वागत करते हुए कहा कि रूपाराम धनदे विधायक के रूप में जिले में विभिन्न क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ जिले में खेल एवं खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मुहैया करवाने में अपना पूर्ण सहयोग देंगें। इस अवसर पर अतिथि के रूप में जिला प्रमुख अंजना मेघवाल, नगर परिशद सभापति कविता कैलाष खत्री ने भी पुश्प गुच्छ भेंट कर स्वागत किया एवं अपने उद्गार में कहा कि रूपाराम धनदे एवं धनदे परिवार सदैव खेलों के विकास में अग्रणी रहा है और आगे भी इसी तरह सहयोग देता रहेगा। खेल संघों के प्रतिनिधि के रूप में टेनिस संघ से विक्रमसिंह नाचना, क्रिकेट संघ से मदनसिंह राजमथाई, उम्मेदसिंह तंवर पूर्व सचिव यू.आई.टी. ने भी स्वागत कर इनके खेलों के क्षेत्र में दिये गये सहयोग व विषेश रूप से जैसलमेर बास्केटबॉल अकादमी के खिलाड़ियों के उत्थान के लिये किये गये प्रयासों की मुक्त कण्ठ से सराहना की। इस अवसर पर खेल अधिकारी एवं अकादमी के प्रभारी लक्ष्मणसिंह तंवर ने बताया कि रूपाराम धनदे के अध्यक्ष के कार्यकाल में 2004 से 2012-13 तक विभिन्न वर्गों में बास्केटबॉल की राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं, राश्ट्रीय स्तरीय प्रतियोगिताएं, भारतीय टीम के प्रषिक्षण षिविर एवं विषेश रूप से भारतीय राश्ट्रीय सीनियर महिला टीम के थाइलेण्ड में भारतीय टीम के मैनेजर रहते हुए टीम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया एवं जैसलमेर बास्केटबॉल अकादमी को खेल छात्रावास से मुख्यमंत्री बजट घोशणा 2012-13 में इसे अकादमी के रूप में स्थापित करवाने में इनकी महती भूमिका रही हैं। हाल ही में उदयपुर में आयोजित यूथ बास्केटबॉल प्रतियोगिता में राजस्थान टीम ने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था उसमें अकादमी के षामिल खिलाड़ियों व प्रषिक्षक राकेष बिष्नोई को ट्रॉफी देकर सम्मान किया एवं कहा कि अकादमी के विकास के लिये खेल अधिकारी लक्ष्मणसिंह व प्रषिक्षक राकेष बिष्नोई का कार्य सराहनीय रहा है आगे भी इसी लगन से कार्य करते रहें। इस अवसर पर सॉफ्टबॉल संघ के अमीन खान, साइक्लिंग संघ के विकास व्यास, फुटबॉल संघ से मांगीलाल सौलंकी, राजेन्द्र सिंह चौहान, मनोहर सिंह कुण्डा व महेन्द्र पंवार, हैण्डबॉल संघ से कोजाराम और जोधाराम, केमल पॉलो संघ से हरदेव सिंह भाटी व रामसिंह, तैराकी संघ से पी.एस.राजावत, टेनिस संघ से राजेष भाटिया, टेबल-टेनिस से विवेक भाटिया, समाजसेवी राणसिंह चौधरी, ग्रुप फॉर पीपुल के संयोजक चंदनसिंह भाटी, संजय राहड़, खेल भामाषाह गाजी खान, बास्केटबॉल संघ से देवकीनन्दन षर्मा, फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. हितेष चौधरी, पर्यटन व्यवसायी फजरूदीन, डॉ. नवरंग खान, पूर्व सरंपच अमरसागर द्वारकाराम माली, सेवादल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष खटन खान, रंगकर्मी एवं मरूश्री विजय बलाणी के द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। इस अवसर पर बालिका बास्केटबॉल टीम की अभिभावक श्रीमती कमल षेखावत, श्रीमती निमिशा व श्रीमती सुखवीर कौर भी उपस्थित थी।