शनिवार, 22 दिसंबर 2018

भाजपा की हारः फेल चाणक्य हुआ...लेकिन समीक्षा के नाम पर नपेंगे जिलाध्यक्ष और विस्तारक


भाजपा की हारः फेल चाणक्य हुआ...लेकिन समीक्षा के नाम पर नपेंगे जिलाध्यक्ष और विस्तारक



राजस्थान चुनाव में भाजपा को मिली हार के बाद समीक्षा का दौर जारी है. पार्टी के चाणक्य राजस्थान के सियासी मैदान में फेल साबित हुए हैं. इस परिणाम के बाद अब माना जा रहा है कि आगामी दिनों में कई पदिधिकारियों व कार्यकर्ताओं पर गाज गिर सकती है....

जयपुर . राजस्थान चुनाव में भाजपा के चाणक्य अमित शाह की रणनीतिक कौशल के बाद भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है. इस हार के बाद पार्टी समीक्षा के नाम पर कई पदाधिकारी और विस्तारकों पर गाज गिराने की तैयारी कर रही है. पार्टी के स्तर पर आज से दो दिवसीय समीक्षा बैठकों का सिलसिला जिला स्तर पर शुरू होगी. इसकी रिपोर्ट के बाद कई जिलों के जिलाध्यक्षो और विस्तारकों के साथ ही बूथ इकाई अध्यक्षों पर कार्रवाई हो सकती है.


चुनाव के दौरान सरकार बदलने  की ट्रेंड को तोड़ने का दावा करने वाली भाजपा को मिली हार के बाद से पार्टी के भीतर पारा चढ़ा हुआ है. चुनावों की रणनीति को साधने में माहिर शाह राजस्थान की सियासी जमीन पर फेल साबित हुए हैं. चुनाव परिणाम सामने आने के बाद अब पार्टी के स्तर पर समीक्षा की जा रही है. जिला स्तर पर दो दिन होने वाली बैठक के दौरान हार के कारणों को जानते हुए उसकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी. सभी जिलों में समीक्षा बैठक के लिए पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजा गया है. सूत्रों का कहना है कि सभी जिलों की रिपोर्ट पहले प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी को सौंपी जाएगी. इसके बाद प्रदेशाध्यक्ष इसे पार्टी अध्यक्ष शाह को देंगे. पार्टी के उच्च सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट के आधार पर कई पदाधिकारियों पर आगामी दिनों में कार्रवाई हो सकती है. माना जा रहा है कि चुनाव में निष्क्रिय रहे बूथ इकाईयों के साथ ही करीब 50 विस्तारकों को भी बदला जा सकता है. जबकि, करीब आधा दर्जन जिलाध्यक्षों को भी बदलने की तैयारी अंदरूनी स्तर पर जारी है. बताया जा रहा है कि शाह ने  सभी जिलों के चुनावी प्रदर्शन की रिपोर्ट भी मांगी है.


संगठन में बदलाव आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा. आपको बता दें कि चुनाव में भाजपा के चाणक्य शाह की फेलियर में प्रदेश नेताओं का भी पूरा योगदान रहा. खासतौर पर शाह के वह दूत जिन्हें राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व ने इसी मकसद से तैनात किया था कि वह केंद्र की आंख बनकर यहां काम करें. इसमें सबसे प्रमुख है प्रदेश भाजपा संगठन महामंत्री चंद्रशेखर मिश्रा और राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री वी सतीश. संगठन महामंत्री चंद्रशेखर राजस्थान में केंद्रीय नेतृत्व के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे थे. केंद्र से मिलने वाले तमाम निर्देशों की पालना प्रदेश संगठन में वही करवाते थे. अमित शाह ने विस्तारक योजना शुरू करवाई जिसे अमलीजामा पहनाने का काम भी चंद्रशेखर मिश्रा ने ही राजस्थान में किया.


इसके अलावा बूथ मैनेजमेंट और इनकी मॉनिटरिंग के लिए अलग से कॉल सेंटर और मॉनिटरिंग सेल का गठन करने का काम भी संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की ओर से ही किया गया. इन तमाम व्यवस्थाओं के बाद भी राजस्थान का चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आ पाया. खास बात यह भी रही कि चुनाव के दौरान तक मॉनिटरिंग सेल और प्रदेश से जुड़े नेता आलाकमान को यही फीडबैक देते रहे कि इस बार राजस्थान में भाजपा की सरकार रिपीट हो रही है. जो संख्या बताई गई वह आंकड़े भी बहुत अधिक थे. लेकिन जब परिणाम सामने आया तो तमाम दावे सिरे से फैल हो गए.

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