शनिवार, 22 दिसंबर 2018

गहलोत मंत्रिमंडल में हेमाराम चौधरी का दावा मजबूत ,हरीश भी दौड़ में

 गहलोत मंत्रिमंडल में हेमाराम  चौधरी का दावा मजबूत ,हरीश भी  दौड़ में 

बाड़मेर. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद अब कांग्रेस में मंत्री पद को लेकर माथापच्ची का दौर जारी है. दिल्ली से लेकर जयपुर तक बैठकों का दौर जारी है तो वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. वहीं मंत्री पद को लेकर राजस्थान में कई नेता इस कतार में है.

इसके साथ जो ख़बरें आ रही है कि इस बार गहलोत सरकार का मंत्रिमंडल छोटा होने के आसार है. हमेशा यह देखा गया है कि गहलोत सरकार में एक मंत्री कैबिनेट बाड़मेर जिले से होता आया है लेकिन एक बात तो तय है कि मंत्रिमंडल आने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए बनाया जाएगा. अगर बात बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र की करें तो ऐसा माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के कैबिनेट में बाड़मेर जैसलमेर से एक जाट व किसान नेता का कैबिनेट में जाना तय माना जाता है.


जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा हेमाराम चौधरी की हो रही है जो कि इससे पहले अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. साथ ही वसुंधरा सरकार में प्रतिपक्ष के नेता भी रह चुके हैं. इस बार छठी बार विधानसभा का चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे हैं. वहीं दूसरा नाम   विधायक हरीश चौधरी का बताया जाना है. जिनको भी मंत्री बनाया जा सकता है लेकिन यह तो तय है कि दोनों में से एक का बनाना तय माना जा रहा है.


दरअसल बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र में जाट किसान मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. ऐसे में पार्टी बाड़मेर जिले से किसी भी एक जाट व किसान नेता को मंत्री बनाकर जाट वोटर्स के साथ ही किसान वोटर्स को लोकसभा चुनाव में अपनी तरफ़ लाने की कोशिश करेगी और दूसरा इसका बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि इस बार बाड़मेर जिले से भाजपा का सूपड़ा ही साफ हो गया.


सात में से 1 विधानसभा सीटें भाजपा के हाथ लगी है बाकी 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हो गया है तो वहीं बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र की बात की जाए तो 8 विधानसभा सीटों में से 7 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है और एक सीट पर भाजपा का कब्जा है. आम तौर पर बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा ज्यादा रहा है लेकिन पिछली बार मोदी लहर में भाजपा के खाते में यह सीट चली गई थी. इस बार कांग्रेस इस सीट को अपने खाते में लाने के लिए जाट व किसान नेता को मंत्री पद में शामिल कर एक बड़े वोट वोट बैंक को अपने साथ लाने की कोशिश कर सकती है.

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