रविवार, 29 सितंबर 2013

महिला ने पति को रखा नौ साल कैद

महिला ने पति को रखा नौ साल कैद
भोजपुर। 50 साल की एक महिला ने अपने पति को 9 साल तक कैद रखा और रिकॉर्ड में मृत दिखा दिया, ताकि वह विधवा पेंशन हासिल कर सके। घटना बिहार के भोजपुर जिले के एक गांव की है।

पुलिस ने जगत नारायण सिंह को दो दिन पहले मुक्त कराया, जब धनकेसरी देवी का अपने बेटे सुनील से विवाद हो गया और उनके पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। सुनील पिता की नौकरी चाहता था। जगत झारखंड के दुमका में 2004 तक चपरासी थे। दोनों ने पहले उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। फिर मृत्यु प्रमाण पत्र ले लिया। सुनील (18) को तब नाबालिग होने के कारण नौकरी नहीं मिली थी।

बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह





बाजीराव-मस्तानी के अमर प्रेम का गवाह


कमल-कुमुदिनियों से सुशोभित मीलों तक फैली बेलाताल झील के किनारे खडे जैतपुर किले के भग्नावशेष आज भी पेशवा बाजीराव और मस्तानी के प्रेम की कहानी बयां करते हैं। ऋषि जयंत के नाम पर स्थापित जैतपुर ने चंदेलों से लेकर अंग्रेजों तक अनेक उतार-चढाव देखे हैं।

मुगल सुबेदार का आक्रमण
जैतपुर का इतिहास उस समय अचानक मोड लेता है जब इलाहाबाद के मुगल सुबेदार मुहम्मद खां बंगश ने 1728 ई. में जैतपुर पर आक्रमण किया और जगतराज को किले में बंदी बना लिया। राजा छत्रसाल उस समय वृद्ध हो चले थे। मुगल सेना की अपराजेय स्थिति को देखकर उन्होंने एक ओर तो अपने बडे पुत्र हृदयशाह, जो उस समय अपने अनुज जगतराज से नाराज होकर पूरे घटनाक्रम के मूकदर्शक मात्र बने थे, को पत्र लिखा तो दूसरी ओर उन्होंने मराठा पेशवा बाजीराव से सहायता की विनती भी की।

राजा छत्रसाल का पत्र पाते ही पेशवा अपनी घुडसवार सेना के साथ जैतपुर आते हैं और एक रक्तरंजित युद्ध में मुहम्मद खां बंगश पराजित होता है और उसका पुत्र कयूम खान जंग में काम आता है। उसकी कब्र मौदहा में आज भी विद्यमान है।

मस्तानी का युद्ध

जैतपुर के युद्ध में पेशवा ने एक महिला को भी लडते हुए देखा और उसके कद्रदान हो गए। पेशवा ने छत्रसाल से उस महिला योद्धा की मांग की। यह योद्धा मस्तानी थी, जो छत्रसाल की पुत्री थी। डा. गायत्री नाथ पंत के अनुसार छत्रसाल ने मध्य एशिया के जहानत खां की एक दरबारी महिला से विवाह किया था, मस्तानी उसी की पुत्री थी। मस्तानी प्रणामी संप्रदाय की अनुयायी थी, जिसके संस्थापक प्राणनाथ के निर्देश पर इनके अनुयायी कृष्ण और पैगंबर मुहम्मद की पूजा एक साथ करते थे। छत्रसाल ने ड्योढी महल में एक समारोह में पेशवा और मस्तानी का विवाह कराकर उसे पूना विदा किया।

छत्रसाल की पुत्री मस्तानी जब ढेर सारे अरमान लिए पूना पहुंची तो पूना उसको वैसा नहीं मिला, जैसा उसने सोचा था। पेशवा की माता व छोटे भाई ने इस संबंध का पुरजोर विरोध किया। पेशवा ने मस्तानी का नाम नर्मदा रखा किंतु यह मान्य नहीं हुआ। पेशवा और मस्तानी के एक पुत्र हुआ जिसका नामकरण पेशवा ने कृष्ण किया किंतु पारिवारिक सदस्यों के विरोध के कारण कृष्ण का रूपांतरण भामशेर बहादुर किया गया। रघुनाथ राव के यज्ञोपवीत संस्कार और सदाशिवराव के विवाह संस्कार के अवसर पर उच्चकुलीन ब्राह्मणों ने यह स्पष्ट कर दिया कि जिस संस्कार में बाजीराव जैसा दूषित और पथभ्रष्ट व्यक्ति उपस्थित हो वहां वे अपमानित नहीं होना चाहते। इसी प्रकार एक दूसरे अवसर पर जब बाजीराव शाहू जी से भेंट करने के लिए उनके दरबार में गए तो मस्तानी उनके साथ थी, जिसके कारण शाहू जी ने उनसे मिलने से इंकार ही नहीं किया बल्कि मस्तानी की उपस्थिति पर असंतोष भी व्यक्त किया।

बाजीराव-मस्तानी का प्रेम इतिहास

बाजीराव-मस्तानी का प्रेम इतिहास की चर्चित प्रेम कहानियों में है। पेशवा ने विजातीय होते हुए भी मस्तानी को अपनी अन्य पत्नियों की अपेक्षा बेपनाह मुहब्बत दी। पूना में उसके लिए एक अलग महल बनवाया। मस्तानी के लगातार संपर्क में रहने के कारण पेशवा मांस-मदिरा का भी सेवन करने लगे। पेशवा खुद ब्राह्मण थे और उनके दरबार में jज्यादातर सरदार यादव थे, क्योंकि शिवाजी की मां जीजाबाई यदुवंशी थीं और उसी समय से मराठा दरबार में यदुवंशियों की मान्यता स्थापित थी। दोनों जातियों में मांस-मदिरा को घृणा की दृष्टि से देखा जाता था। एक दिन पेशवा के भाई चिमनाजी अप्पा और पुत्र बालाजी ने मस्तानी को भनिवारा महल के एक कमरे में नजरबंद कर दिया, जिसे छुडाने का विफल प्रयास बाजीराव द्वारा किया गया।

मस्तानी की याद पेशवा को इतना परेशान करती कि वो पूना छोडकर पारास में रहने लगे। मस्तानी के वियोग में पेशवा अधिक दिनों तक जीवित न रहे और 1740 में पेशवा मस्तानी की आह लिए चल बसे। पेशवा के मरने पर मस्तानी ने चिता में सती होकर अपने प्रेम का इजहार किया। ढाउ-पाउल में मस्तानी का सती स्मारक है।

बाजीराव-मस्तानी से एक पुत्र भामशेर बहादुर हुए जिन्हें बांदा की रियासत मिली और इनकी संतति नवाब बांदा कहलाई। भामशेर बहादुर सन 1761 में पानीपत के युद्ध में अहमद शाह अब्दाली के विरुद्ध मराठों की ओर से लडते हुए मारे गए। इनकी कब्र भरतपुर में आज भी विद्यमान है जो उस समय जाटों के अफलातून सूरजमल की रियासत थी। भामशेर बहादुर द्वितीय, जुल्फिकार अली बहादुर और अली बहादुर द्वितीय इस वंश के प्रमुख नवाब हुए। भामशेर बहादुर द्वितीय मराठा समाज में पले बढे थे। उन्होंने बांदा में एक रंगमहल बनवाया जो कंकर महल के नाम से जाना जाना जाता है। उन्होंने दूर-दूर से शास्त्रीय गायकी के उस्तादों को बुलाकर बांदा में आबाद किया। उस मुहल्ले का नाम कलावंतपुरा था जो आजकल कलामतपुरा हो गया है।

जुल्फिकार अली बहादुर ने बनवायी बांदा की जामा मस्जिद

बांदा की जामा मस्जिद, जो दिल्ली की जामा मस्जिद की तर्ज पर बनी है, का निर्माण जुल्फिकार अली बहादुर ने कराया। मिर्जा गालिब इसी नवाब को अपना रिश्तेदार बताते हैं। अपनी मुफलिसी के वक्त गालिब बांदा आए और नवाब ने सेठ अमीकरण मेहता से उन्हें 2,000 रुपये कर्ज अपनी जमानत पर दिलवाया। इसी परंपरा में नवाब अली बहादुर द्वितीय हुए जिन्होंने 1857 में अंग्रेजों से भयंकर युद्ध किया। रानी झांसी अली बहादुर को अपना भाई मानती थीं और उनके संदेश पर अली बहादुर उनके साथ लडने कालपी गए। 1857 में अली बहादुर ने बांदा को स्वतंत्र घोषित कर दिया था।

1857 के गदर में बांदा पहली रियासत थी जिसने अपनी आजादी का ऐलान किया। कालांतर में विटलॉक ने यहां कब्जा किया और भूरागढ के किले में लगभग 80 क्रांतिकारियों को फांसी दी गई। नवाब बांदा को इंदौर निर्वासित कर दिया गया। इसके बाद बाजीराव-मस्तानी के वंशज इंदौर में ही रहे। 1849 में बाजीराव-मस्तानी के प्रेम का अमूक गवाह जैतपुर डलहौजी की हडप नीति का शिकार बना।

बेलाताल झील

जैतपुर पर्यटकों और इतिहासकारों के लिए एक खूबसूरत जगह है। बेलाताल नाम की झील बारिश के दिनों में 14 मील तक फैल जाती है। जाडे में रूस से आए साइबेरियाई पक्षी इसी झील में अपना बसेरा बनाते हैं। सरकारी डाकबंगले से इस झील के कमल और पक्षियों को निहारना बेहद सुखद है। जैतपुर से पर्यटक पांडव नगरी पनवाडी और बुंदेलखंड का कश्मीर चरखारी देख सकते हैं जो यहां से कुछ ही दूरी पर है।



इन्हें दहेज में मिलते हैं कुत्ते और गधे

इन्हें दहेज में मिलते हैं कुत्ते और गधे

बाड़मेर। दहेज में कुत्ता एवं गधा देने की बात कही जाए तो शायद हर कोई इसे मजाक समझेगा। लेकिन यह हकीकत है। इतना ही नहीं, दो साल तक संभावित औरत को मांगकर खिलाने की शर्त पूरी करने के बाद गर्भावस्था में सियार का मांस ही उनकी खुशहाल जिन्दगी आधार बनता है। यह अलग बात है कि यह परंपरा महज जोगी जाति के कुछ परिवारों तक ही सिमट गई है।

पश्चिमी राजस्थान में घुमक्कड़ एवं भीख मांगकर गुजारा चलाने वाली जोगी जाति के परिवारों के लिए ऐसी परंपराएं आम बात रही है। भले ही इन पर दूसरे लोग विश्वास करें या नहीं। प्रतापनाथ को आज भी अपनी शादी का वो दिन याद है जब उसे दहेज में कुत्त्ते के साथ गधा मिला था। कुत्ता उसे अस्थाई ठिकाने के रखवाली एवं शिकार में मदद के लिए और गधा इसलिए कि वो आसानी से अपना बोरियां-बिस्तर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सके। यह बात भी महज दस पुरानी है जब उसने शादी के लिए अपनी औरत रूपो को दो साल तक कमाकर खिलाया था। उसके बाद रूपो की रजामंदी से ही तो उसकी शादी हुई थी।

हालांकि उसे अभी भी मलाल है कि वह अपनी औरत को गर्भावस्था के दौरान सियार का मांस नहीं खिला पाया। हालांकि उसने कोशिश तो की थी परंतु सियार उसकी पकड़ में नहीं आया था। प्रतापनाथ के शब्दों में वो रिवाज अब लगभग खत्म होने को है। शादी की बात हो या अन्य कोई काम इनके अपने रिवाज है।

आजादी के 55 साल बाद भी न तो इनके पास जमीन है और न हीं रहने के आशियाने। खुले आसमान में जीवन यापन करने की मजबूरी के साथ ये कई ऐसे दर्द छुपाएं हुए है, जिन्हें वो बताकर अपना दर्द बढ़ाना भी नहीं चाहते। अब तक मांगकर गुजारा करने वाले इन लोगों को अब भीख भी नहीं मिलती। ऐसे में वे परंपरागत काम छोड़कर अन्य काम अपना रहे है। बावजूद इसके इसमें कई दिक्कतें पेश आ रही है। रही सरकारी मदद की बात, वो मिले भी कैसे? कईयों के नाम तो राशनकार्ड में भी दर्ज नहीं है।

कानाता में डेरा डाले एक बुजुर्ग कानाराम बताते है कि राशनकार्ड ऐसे कुछ जोगियों के बनाए गए है जिन्होंने समय-समय पर पटवारियों एवं सरपंचों वगैरह की बेगार निकाली है। इन लोगों को रोजगार एवं जमीन वगैरह की जरूरत तो है। इससे भी अधिक चिन्ता उन्हें इस बात की है कि जिस परंपरा रूपी विरासत को संभाले हुए है, वो खत्म होती जा रही है।

बाड़मेर शहर से दो किमी दूर डेरा डाले कुछ जोगियों ने पेट पालने के लिए पत्थर तोड़ने का काम शुरू कर दिया है। केर के पिछवाड़े में रहने वाले इन लोगों ने यहां बूई एवं बबूल की झाड़ियों से बाड़े बनाए है। जिनकी हालत जानवरों के बाड़े से भी बदत्तर है। वहीं कुछ तो ही खुले आसमान के तले गुजारा कर रहे है। इन्हीं बाड़ों में उनकी दुनिया समाई है इसमें कुत्ते, मुर्गे एवं गधे भी शामिल है।

अपनी बदलती परंपरा पर प्रकाश डालते हुए एक बुजुर्ग जोगी केसराराम ने बताया कि अन्य समाजों के दबाब के कारण कुछ स्थानों पर सगाई के दौरान 400 एवं शादी के अवसर पर 1000 रुपए लड़के द्वारा लड़की के पिता को देने की शुरूआत की गई है। लड़के के पहले दो साल साथ में रहने का रिवाज धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है।
उनके अनुसार अन्य समाजों में शादी के दौरान लड़की के पिता को दहेज देना पड़ता है, परंतु उनके यहां लड़के का पिता लड़की के पिता को दहेज देता है, तभी जाकर उसकी शादी कराई जाती है।

बहरहाल जोगी समाज शुरूआत से चली आ रही अपने रिवाजों को जिन्दा रखने की कोशिश तो कर रहा है, फिर भी यह कोशिश कितनी कारगर साबित हो पाएगी यह आने वाला वक्त ही बता पाएगा।

अभी तक बेआसरे जिन्दगी : इन परिवारों में अधिकांश परिवारों की जिन्दगी अभी भी घुमक्कड़ हैं, ये लोग किस्मत के भरोसे जीवन की गाड़ी को हांकने पर मजबूर हैं। राज्य सरकार हो या केंद्र की सत्तासीन सरकार, किसी के द्वारा अब तक इस घुमक्कड़ जाति को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और आम जनजीवन से जोड़ने की कोशिश इमानदारी से नहीं की गई। इसकी वजह से ही बाड़मेर समेत पूरे राज्य में जोगी बिरादरी के लोग सरकार की उदासीन नीतियों की वजह से आज भी सभी मूलभूत सुविधाओं से महरूम हैं।

बाड़मेर,सिवाना हल्देश्वर महादेव तीर्थ जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है

हल्देश्वर महादेव तीर्थ जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है  

हल्देश्वर महादेव तीर्थ  बाड़मेर जिले के  सिवाना से दस किलामीटर दूर स्थित पीपलून गांव की तलहटी में छप्पन की मनोरम पहाडिय़ों में रचा-बसा है हल्देश्वर महादेव तीर्थ। अरावली पर्वत श्रृंखला के अंतिम छोर पर स्थित है हल्देश्वर महादेव तीर्थ, जहाँ मनोरम पहाडिय़ा, कलरव करते पक्षी, जगह-जगह बहते झरनो के बीच बिराजमान है भगवान भोलेनाथ।
हल्देश्वर महादेव तीर्थ जाने के लिए श्रद्धालुओं कोहल्देश्वर महादेव तीर्थबालोतरा से सिवाना के रास्ते जाना पड़ता हैं। सिवाना से दस किलोमीटर पीपलून गांव की तलहटी से करीब 9 किलोमीटर 7 दुर्गम पहाडिय़ों के टेडे-मेडे व संकरे रास्तों से जाना पड़ता है। यहा हर श्रावण मास में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैं। भोले बाबा के दर्शनार्थ दूर-दूर से मन में आस्था लेकर शिव के दरबार में पहुंचते हैं। यहा आने वाले भक्तों के पैर भी पैदल चलते-चलते जवाब देने लगते है फिर भीहल्देश्वर महादेव तीर्थ भक्तों व कावड़ीयों का विश्वास कायम रहता हैं। शिव भक्त सैकड़ो की तादाद में यहा हर साल दर्शन करने के लिए आते हैं। यहा हल्देश्वर महादेव का अपना रूप ही निराला हैं। भक्त दर्शन करने के पश्चात मन्नते मांग कर पूजा अर्चना करते है तथा क्षेत्र में खुशहाली की कामना करते है।हल्देश्वर महादेव तीर्थ
यह है मान्यता : पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पांडवों के अज्ञातवास में कुंती पुत्र पांडवों ने इस मंदिर को स्थापित किया था। इस मंदिर के इर्द-गिर्द स्थित छप्पन की पहाडिय़ों में हल्दिया राक्षस रहता था और उसने यहां पर आतंक फैला रखा था। उस वक्त हल्दिया राक्षस के आतंक की वजह से ग्रामीणों ने भगवान भोलेनाथ को याद किया तब शंकर भगवान इसी स्थान पर एक पीपल के वृक्ष के नीचे प्रकट हूए और हल्दिया राक्षस का वध किया था। उसी दिन से यह स्थान हल्देश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के उत्तर में एक बड़ी शिखर टेकरी है उसमें गुरू गोरक्षनाथ महाराज की धूणी व गुफा है यहा पर गुरू गोरक्षनाथ ने कई वर्षो तक तपस्या की थी। पहाडों में सबसे उंची चोटी पर मॉ भवानी का मंदिर भी हैं। यहां पर पहुंचना बहुत ही कठिन हैं।
हल्देश्वर महादेव तीर्थअनूठी है पूंगला-पूंगली की पोल : हल्देश्वर महादेव मंदिर पर जाने वाले रास्ते में पहाडिय़ों के मध्य भाग में स्थित है पूंगला-पूंगली पोल। इस पाले की पौराणिक मान्यता है कि यहा पर सत्रहवीं सदी में कनाना के शासक आसकरण के पुत्र वीर दुर्गादास राठौड़ ने बनवाई थी। तत्कालीन महाराजा जसवंतसिंह को जोधपुर की गद्दी पर बिठाने के लिए दिल्ली औरंगजेब से वीर दुर्गादास राठौड़ ने अनुरोध किया तब औरंगजेब ने जोधपुर को शाही रियासत के अंदर सम्मिलित करने को कहा और अजीतसिंह को महाराजा बनाने से इंकार कर दिया। तब वीर दुर्गादास ने अपने सैनिकों के साथ दिल्ली प्रस्थान किया एवं दुर्गादास की बात मानने से मना कर दिया तत्पश्चा दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब के पुत्र व पुत्री ( पूंगला-पूंगली) का अपहरण कर मारवाड़ में सिवाना के समीप छप्पन की पहाडिय़ों में लाकर छुपा दिया। फिर यहा पर वीर दुर्गादास ने पत्थरों की कारीगरी से एव विशाल पोल का निर्माण करवाया। इस पोल के अंदर दो कमरे बनाए उसमें औरंगजेब के पुत्र व पुत्री को गुप्त रूप से रखा गया था। आखिर अपने पुत्रों की खातिर औरंगजेब ने वीर दुर्गादास की बात मान ली और अजीतसिंह को मारवाड़ का राजा बना दिया। तब वीर दुर्गादास ने औरंगजेब के दोनो बच्चों को सकुशल वापस लौटा दिया। इस पोल की खासियत यह भी है कि पोल को सिर्फ पत्थरों से बनाया गया है इसमें चूना व सिमेंट का कही नामों निशान तक नही हैं।
बनाया जा सकता है पर्यटन स्थल : यहां वर्ष में दो माह तक श्रद्धालुओं का आवागमन रहता हैं। यहा आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु का यही कहना है कि प्रकृति का यहा एक अनोखा आनंद भी है। भगवान भोले बाबा का दरबार भी तो सरकार या पर्यटन विभाग पहल करे तो इस स्थान पर मूलभूत सुविधाएं व दुर्गम व उबड़-खाबड़ रास्तों को ठीक करे और विद्युत व्यवस्था करवाई जाएं तो सरकार के लिए नया आमदनीहल्देश्वर महादेव तीर्थ का रास्ता खुल सकता हैं। हल्देश्वर महादेव मंदिर को देवस्थान विभाग व पर्यटन विभाग मिलकर इस तीर्थ को विकसित करे तो हर साल अच्छी आमदनी भी हो सकती हैं।
पिकनिक स्थल भी : शिव भक्त बड़ी संख्या में यहा दर्शनार्थ तो आते है लेकिन भक्त यहा मनोरम पहाडिय़ों के बीच बहते झरने व पहाडिय़ों के बीच बने कई तालाबों में नहाने का भी भरपूर आनंद लेते हैं। चारों ओर हरियाली की ओट में बसे इस तीर्थ पर भक्त श्रावण व भाद्रपद्र मास में सैकड़ो की तादाद में पिकनिक भी मनाने आते हैं।
मिल सकती है जड़ी बुटियां : छप्पन की पहाडिय़ों में कई तरह की जड़ी बुटियां व अमूल्य खनिज के भंड़ार हो सकते हैं। बुजुर्गो का मानना है कि यहा पर कई तरह की जड़ी-बुटियां होती थी और उन्हें घरेलू उपचार व गंभीर बिमारियों के इलाज के लिए काम में लिया जाता था। जानकारों का कहना है कि सरकार गंभीर विचार कर इसे पर्यटन स्थल घोषित करे तो यहां विकास के नए आयाम स्थापित हो सकते है तथा इस पहाडी पर कई तरह के खनिज के भंड़ार भी हो सकते हैं।

शनिवार, 28 सितंबर 2013

केरल में मुस्लिम लड़कियों की शादी की उम्र पर सियासत



इन दिनों केरल में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां एक स्वर से राज्य में मुस्लिम लड़कियों के विवाह की कानूनन उम्र 18 वर्ष से कम न किए जाने की वकालत करती नजर आ रही हैं.

राजनीतिक पार्टियों का सीधा निशाना राज्य के कोझिकोड के 9 प्रमुख मुस्लिम संगठन हैं, जिन्होंने समुदाय की लड़कियों की विवाह की उम्र को 18 वर्ष से घटाकर कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. लेकिन संगठनों ने अर्जी में इस बात का उल्लेख नहीं किया कि लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से घटाकर कितनी रखी जाए.

मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने हमेशा की तरह इस मुद्दे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य के कानून के तहत इस मसले पर फैसला लिया जाएगा. हालांकि आश्चर्य की बात है कि मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने काफी देर से इस बात पर अपनी प्रतिक्रिया जताई. पार्टी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को पूरे मामले में खलनायक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए संगठन की आलोचना की.

विपक्ष के नेता वी. एस. अच्युतानंदन ने कहा कि आईयूएमएल की संस्कृति की तो बात ही नहीं की जानी चाहिए जो लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 16 भी नहीं बल्कि 14 रखने की बात करता है. अच्युतानंदन किसी मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रियाओं के लिए जाने जाते हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता एम.एम. हसन ने भी आईयूएमएल के सुप्रीम कोर्ट में जाने के फैसले की निंदा की और कहा कि संगठन को अपना यह विचार त्याग देना चाहिए क्योंकि यह पूरे मुस्लिम समुदाय के हित के लिए शुभ संकेत नहीं है.

राजनीतिक पार्टियों के विरोधी रुख को देखते हुए आईयूएमएल ने अपने सभी प्रमुख शीर्ष नेताओं से मुद्दे को लेकर बेहद सावधानी बरतने को कहा है, क्योंकि उसे पता है कि इस मुद्दे के साथ पार पाना संगठन के लिए आसान नहीं होगा. फिलहाल इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है.


संन्‍यासी का धर्म एक विदेशी महिला तय नहीं कर सकती.



बाबा रामदेव अभी अमेरिका के शिकागो में हैं. उन्‍होंने आज तक से खास बातचीत में कई मुद्दों पर राय रखी. बाबा रामदेव ने आज तक से कहा, 'मुझे लंदन में दिक्‍कत भारत सरकार की वजह से हुई. उन्‍होंने कहा, भारत सरकार की कोई प्रतिष्‍ठा नहीं बची है.
बाबा रामदेव
उनसे जब पूछा गया कि आपको ऐसा क्‍यों लगता है कि लंदन में जो हुआ वो भारत सरकार की वजह से हुआ, तो रामदेव ने कहा, 'लंदन में मुझे रोकने वाले अधिकारियों ने कहा था कि मेरे नाम का रेड अलर्ट है और रेड अलर्ट कैसे जारी होता है ये सब जानते हैं.' योग गुरु ने कहा कि लंदन में उन्‍हें रोके जाने पर कई तरह के सवाल उठे हैं और भारत सरकार जानबूझ कर उनका अपमान करा रही है. उन्‍होंने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद के उपदेशों की आज दोबारा जरूरत है.

गौरतलब है कि 20 सितंबर को बाबा रामदेव को लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर रोक कर 8 घंटे से भी ज्‍यादा समय तक पूछताछ की गई थी. इस बात से खफा योग गुरु ने सोनिया गांधी पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत में बैठी विदेशी महिला के कहने पर ही उन्‍हें लंदन में इस तरह रोका गया.

मोदी की तारीफों के बांधे पुल
मोदी से जुडे सवालों पर रामदेव ने कहा कि हिन्‍दुस्‍तान के लोग मोदी को पसंद करते हैं. उन्‍होंने कहा कि मोदी एक फकीर है, वो बेईमान नहीं हो सकता, वो देश को लूट नहीं सकता. उन्‍होंने कहा, 'मोदी देश का साहस और पराक्रम कम नहीं होने देंगे और मैं मुद्दों के आधार पर मोदी का समर्थन करता हूं.' योग गुरु ने कहा कि मोदी को अमेरिकी वीजा नहीं मिलने के पीछे भी भारत सरकार ही जिम्‍मेदार है और वो मोदी का अपमान करवा रही है.

मनमोहन पर भी साधा निशाना
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला बोलते हुए रामदेव ने कहा, 'मनमोहन सिंह रोबोट की तरह काम करते हैं और रिमोट से चलते हैं.' उन्‍होंने कहा कि राजनीति युद्ध और सैन्‍यशक्ति से चलती है और कमजोर को सत्ता में नहीं रहना चाहिए. बाबा रामदेव ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद ने आर्थिक और आध्‍यामिक रूप से शक्तिशाली भारत का सपना देखा था और भारत को शक्तिशाली बनना ही पड़ेगा.

जब उनसे पूछा गया कि क्‍या एक संन्‍यासी को राजनीति में दखल देना चाहिए, तो योग गुरु ने कहा, 'राजनीति में हमेशा ही संन्‍यासियों का दखल रहा है. उन्‍होंने कहा कि संन्‍यास की परिभाषा संसद से तय नहीं होगी और संन्‍यासी का धर्म एक विदेशी महिला तय नहीं कर सकती.


पाक को मनमोहन की नसीहत, रिश्ते सुधारने हैं तो बंद करनी होगी आतंकवाद की फैक्ट्री



संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में अपने भाषण के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्‍तान को कड़ा संदेश दिया. जम्‍मू-कश्‍मीर को भारत का अभिन्‍न अंग बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत की अखंडता से समझौत हमें कतई मंजूर नहीं है.
मनमोहन सिंह
उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान के साथ समस्‍यों को भारत बातचीत के जरिए हल करना चाहता है और कश्‍मीर समस्‍या का समाधान शिमला समझौते के तहत ही किया जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि वह अपने यहां मौजूद ‘आतंकी मशीनरी’ को बंद करे. संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने संबोधन में मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की इस मांग को लगभग नकार दिया कि कश्मीर मुद्दे का हल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के तहत किया जाये और कहा कि भारत सभी मुद्दों का समाधान शिमला समझौते के तहत चाहता है.

शरीफ ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रस्तावों के अनुरूप हल करने की बात कही थी. उन्होंने कहा, ‘भारत पाकिस्तान के साथ जम्मू और कश्मीर सहित तमाम मुद्दे शिमला समझौते के तहत द्विपक्षीय बातचीत के जरिए सुलझाना चाहता है.’ भारत संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों को पुराना मानता है.

सिंह ने कहा कि आतंकवाद हर जगह सुरक्षा और स्थायित्व के लिए गंभीर खतरा बना हुआ है और दुनियाभर में इसकी वजह से बहुत सी जानें जाती हैं. उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले कुछ दिन में ही अफ्रीका से लेकर एशिया तक, आतंकवाद की इस लानत के कई रूप देखे हैं.’ सिंह ने गुरुवार को जम्मू के निकट हुए दोहरे आतंकी हमले, जिसमें दस लोग मारे गए थे और केन्या में एक मॉल पर हुए आतंकी हमले के संदर्भ में यह बात कही.

उन्होंने कहा, ‘सरकार प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद भारत के लिए खास तौर से चिंता का कारण है, यह तथ्य भी ध्यान देने योग्य है कि हमारे क्षेत्र में आतंक का केन्द्र हमारे ठीक पड़ोस में पाकिस्तान में स्थित है.’

जम्मू-कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को द्विपक्षीय वार्ता के जरिए सुलझाने की इच्छा जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा, ‘हालांकि, इस संबंध में प्रगति के लिए, यह जरूरी है कि पाकिस्तानी जमीन और उसके नियंत्रण वाले क्षेत्रों का इस्‍तेमाल भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए न हो.’

उन्होंने कहा, ‘यह भी समान रूप से महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान से शह पा रही आतंकी मशीनरी को बंद किया जाए. यह बात स्पष्ट रूप से समझ ली जानी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारत की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के साथ कभी कोई समझौता नहीं किया जा सकता.’ प्रधानमंत्री सिंह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ रविवार को आमने सामने की बैठक करेंगे. जून में शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद यह दोनों की पहली बैठक है.

भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता प्रक्रिया इस साल जनवरी में पटरी से उतर गई थी, जब नियंत्रण रेखा पर एक भारतीय सैनिक का सिर कलम कर दिया गया था. संबंधों में खटास पिछले महीने और बढ़ गई, जब पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा के इर्द गिर्द पांच और भारतीय सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.

जम्मू के नजदीक हुए आतंकी हमले से, जिसमें 10 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर सुरक्षाकर्मी थे, न्यूयार्क में दोनो देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच होने वाली बातचीत खतरे में पड़ती दिखाई दे रही थी और मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री से शरीफ के साथ अपनी बैठक रद्द करने की मांग की थी.

लेकिन सिंह ने इस बैठक के निर्धारित कार्यक्रम पर आगे बढ़ने का फैसला किया. उनका कहना था कि इस तरह के हमले वार्ता प्रक्रिया को पटरी से उतारने में सफल नहीं होंगे. इस उच्च स्तरीय बैठक के बारे प्रधानमंत्री ने स्वयं ही गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से भेंट के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि आतंकवाद जो अभी भी हमारे उपमहाद्वीप में सक्रिय है उसे देखते हुए इस बैठक से कम उम्मीद लगानी चाहिये. सिंह ने जोर देकर कहा था कि पाकिस्तान ‘आतंक का केन्द्रबिंदु’ बना हुआ है और शरीफ के साथ उनकी मुलाकात को लेकर लगाई जा रही उम्मीदें कम हो गई हैं.


ओबामा ने मनमोहन को दिया दुर्लभ सम्मान

ओबामा ने मनमोहन को दिया दुर्लभ सम्मान

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दुर्लभ सम्मान दिया। राष्ट्रपति के अधिकृत कार्यालय ओवल आफिस में मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद वे उन्हें छोड़ने के लिए व्यक्तिगत रूप से व्हाइट हाउस के पोर्टिको तक चलकर आए।

व्हाइट हाउस के सख्त प्रोटोकॉल को जानने वाले लोग कहते हैं कि यह राष्ट्रपति का दुर्लभ से दुर्लभतम भाव प्रदर्शन है जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा।

अधिकारियों ने पहले भी इस बात पर गौर किया है ओबामा न केवल एक महान नेता और राजनेता के तौर पर प्रधानमंत्री सिंह का सम्मान करते हैं बल्कि एक अर्थशास्त्री के रूप में भी उनका आदर करते हैं।

दोनों नेताओं के बीच एक अच्छा निजी तालमेल है। ओबामा ने अपनी प्रेसीडेंसी का पहला राजकीय भोज नवंबर 2009 में मनमोहन सिंह को दिया था और उन्होंने भारत और अमेरिका को 21वीं सदी के अत्यावश्यक सहयोगी देश कहा है।

पहला व्यवसायिक करार
भारत और अमेरिका के बीच हुआ ऎतिहासिक असैन्य परमाणु समझौता क्रियान्वयन की दिशा में आगे बढ़ा है और भारतीय परमाणु विद्युत निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) और वेस्टिंगहाउस इलेक्ट्रिक कंपनी ने एक प्रारंभिक व्यावसायिक करार पर हस्ताक्षर किए हैं।

पहले व्यावसायिक सौदे पर समझौते की घोषणा राष्ट्रपति बराक ओबामा ने शुक्रवार को भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ व्हाइट हाउस के ओवल कक्ष में अपनी शिखर बैठक के बाद स्वयं की। इस समझौते से भारत में एपी-1000 परमाणु रिएक्टर प्रौद्योगिकी का लाइसेंस देने की दिशा में तेजी आएगी।

साझा रक्षा परियोजनाओं की तैयारी
दोनों देश रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के प्रयास के तहत अगले एक साल में आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों और प्रणालियों की सहयोगात्मक परियोजनाओं की पहचान करने के लिए सहमत हो गए हैं।

द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की तारीफ और रक्षा संबंधों में हुई प्रगति पर संतुष्टि जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने संयुक्त बयान में दोनों पक्षों की ओर से और ज्यादा रक्षा सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।

साझा घोषणा में कहा गया कि दोनों देशों के साझा सुरक्षा हित हैं और दोनों एक दूसरे को अपने करीबी सहयोगियों के रूप में देखते हैं।

जलवायु परिवर्तन पर कार्यकारी समूह
भारत और अमेरिका ने जलवायु परिवर्तन के वैश्विक मुद्दे के समाधान के उद्देश्य से द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त कार्यकारी समूह बनाने की घोषणा की है।

भारत-अमेरिका जलवायु परिवर्तन कार्यकारी समूह स्थापित करने की घोषणा ओबामा और सिंह की बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान के जरिये की गई। ओबामा और सिंह हाइड्रोफ्लोरोकार्बन पर भारत-अमेरिका कार्य बल की तत्काल बैठक बुलाने पर सहमत हुए ताकि बहुपक्षीय पहलों पर चर्चा की जा सके।

दोनों नेताओं ने वर्ष 2014 तक एक प्रोटोकॉल को मंजूरी देने, अन्य कानूनी उपायों या सीओपी21 के दौरान वर्ष 2015 तक सभी पक्षों पर लागू होने वाली संधि के तहत आने वाले कानूनी प्रावधान के साथ सहमत नतीजों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति को गति देने के संरा महासचिव के प्रयासों का भी स्वागत किया।

नाबालिग साली को भगा ले गया जीजा

नाबालिग साली को भगा ले गया जीजा

जयपुर। आमेर थाना इलाके में दवा दिलाने के बहाने एक जीजा द्वारा अपनी नाबालिगसाली को भगा ले जाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।

पुलिस के अनुसार आमेर नाई की थड़ी निवासी एक व्यक्ति ने मामला दर्ज कराया है कि गुरूवार दोपहर को उसके घर पर उनकी बड़ी बेटी का पति मोहम्मद शाह आया था। वह अपनी 14 वर्षीय साली को डॉक्टर को दिखाने के लिए अपने साथ ले गया।

कई घंटों बाद भी दामाद व छोटी पुत्री के नहीं लौटने पर परिजनों ने रिश्तेदारों के यहां फोन करते हुए दोनों के संबंध में जानकारी जुटाई। लेकिन दोनों की कोई जानकारी नहीं हो सकी। इसके बाद परिजनों ने थाने में अपने दामाद के खिलाफ अपनी छोटी पुत्री को बहला-फुसला कर भगा ले जाने का मामला दर्ज कराया।

पिता ही बन गया बेटी की अस्मत का लुटेरा

जयपुर। कोई गैर अगर किसी महिला से हरकत करे तो समझ में आता है लेकिन कोई पिता ही गर बेटी की इज्जत से खिलवाड़ करे तो समाज में क्या चल रहा है हैरान के साथ ही परेशान कर देता है। ऎसा ही एक मामला राजस्थान की राजधानी जयपुर में सामने आया जहां पिता ही अपनी बेटी की अस्मत का लुटेरा बन गया। मामला राजधानी के सोडाला थाना इलाके में हुआ है। पुलिस ने पीडिता का मेडिकल कराया है। आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया गया है। पिता ही बन गया बेटी की अस्मत का लुटेरा
बेटी को अकेला पाकर बिगड़ी नीयत
पुलिस के अनुसार सोडाला थाना इलाके में रहने वाली 14 वर्षीय किशोरी ने रिपोर्ट दी थी कि वह अपने माता-पिता व भाई के साथ यहां किराए से रहती है। दो दिन पहले जब उसकी मां व भाई घर से बाहर गए हुए थे, इस दौरान उसके पिता ने उससे दुष्कर्म किया। मां के घर लौटने पर पीडिता ने घटनाक्रम की जानकारी दी। मां, पीडिता को लेकर थाने पहुंची और मामला दर्ज कराया। एसीपी मानसरोवर ने बताया कि आरोपी रघुवीर सिंह स्थानीय इलाके में ऑटो चलाता है।

पिता के कारण चली गई थी ननिहाल
पीडिता ने पुलिस को बताया कि जब वह कक्षा छह में पढ़ती थी, उस दौरान भी उसकापिता उसके साथ अभद्रता और अश्लील हरकतें करता था। इस बात की शिकायत करने पर उसकी मां ने उसे पढ़ने के लिए ननिहाल भेज दिया। अपने ननिहाल में तीन साल रहने के बाद वह जुलाई महीने में जयपुर आई थी और अपने परिजनों के साथ रह रही थी।

पहले भी किया प्रयास
पीडिता का आरोप है कि यहां उसके पिता की ओर से मां व भाई की अनुपस्थिति में अश्लील हरकतें करते हुए कई बार दुष्कर्म का प्रयास किया गया था। लेकिन हर बार वह असफल रहा।

भगत सिंह की डायरी, बिना बराबरी के शादी कानूनी वेश्यावृति

नई दिल्ली। शहीद भगत सिंह वो नाम है जो हंसते-हंसते देश की आजादी के लिए 23 साल की उम्र में फांसी पर चढ़ गया। उन से सिर्फ जोश और जज्बे की ही सीख नहीं मिलती, बल्कि आज भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है। भगत सिंह की डायरी, बिना बराबरी के शादी कानूनी वेश्यावृति
देश की आजादी के लिए अपने जुनून से ब्रिटिश साम्राज्य को हिलाने वाले भगत सिंह के उस समय भी आज के वक्त को देखते हुए बहुत उदारवादी थे।

देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाले इस क्रांतिकारी ने अपनी फांसी की सजा से पहले सितंबर 1929 से लेकर 22 मार्च,1931 तक 404 पेज की एक डायरी लिखी थी जिसमें उनके सकारात्मक विचारों का पता चलता है।

27 सितंबर को भगत सिंह की 106 की जयंती मनाई गई। अपनी डायरी में उन्होंने अमरीकी कवि चार्ललोट पर्किस का हवाला देते हुए बाल श्रम की तीखी आलोचना की है। समान अवसर और सामाजिक मामलों पर उनके विचारों की आज भी मिसाल दी जाती है।

उन्होंने अपनी डायरी में लिखा की जब तक आर्थिक असामनता खत्म नहीं होगी, तब तक लोगों के बीच गैर-बराबरी की खाई दूर नहीं होगी,चाहे फिर वो राजनीति की बात हो या कानून की।

भगत सिंह लैंगिग समानता के पक्षधर थे, उन्होंने लिखा है कि बिना समानता के शादी एक तरीके से बंधुआ मजदूरी की तरह है और यहां तक उसे कानूनी वेश्यावृति तक बता डाला है। हालांकि अंग्रेजों की नजर मे वे एक बागी थे।

भगत के पड़पोते यदविंदर सिंह ने कहा कि उस समय भी लोकतंत्र मे पूर्ण आस्था रखने वाला यह महान क्रांतिकारी इस बात का समर्थक था कि अगर कोई राजनेता जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है, तो उसे वापस (राइट टू रिकॉल) बुला लिया जाए।

फांसी की सजा सुनाए जाने के बावजूद भगत सिंह मृत्युदंड के पक्षधर थे। युवा क्रांतिकारी जिंदा रहते भारत को आजाद देखना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका। 23 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों ने उन्हें सूली पर चढ़ा दिया था।

हालांकि, भगत सिंह ने कहा था कि उनकी विरासत को लोग भविष्य में भी याद करेंगे।

थार में गर्मी में सर्दी का अहसास। .लोगो ने निकले गर्म कपडे

थार में गर्मी में सर्दी का अहसास। .लोगो ने निकले गर्म कपडे


बाड़मेर गत दो दिन से थार नगरी में हो रही लगातार बारिश से मौसम ने एकदम पलटी मार दी। बारिश के कारन थार का तापमान चालीस डिग्री से पांच डिग्री पर आ जाने से लोग ठिठुरने लगे। दो दिन से घरो के पंखे और कूलर बंद हो गए ,रात्रि को गुलाबी सर्दी ने लोगो को ओढ़ के सोने को मजबूर कर दिया। दो दिन की रिमझिम ने बाड़मेर के लोगो को पहाड़ी क्षेत्रो की ठण्ड का अहसास करा दिया ,बाड़मेर की पहाडियों पर बादलो की आवाजाही ने कश्मीर सा नज़ारा बना दिया। ठन्डे मौसम के चलते नमकीन ,कचौरी ,पकोड़ी ,भजिया की दुकानों पर भरी भीड़ लग रही हें। लोग बदलते मौसम का भरपूर आनंद ले रहे हें। वही कई लोगो ने गर्म कपडे पहने शुरू कर दिए ,

बाड़मेर सिवाना *पकड़ से बाहर हुआ डेंगू. . . . .पेंतीस मरीज चिन्हित


*पकड़ से बाहर हुआ डेंगू. . . . .पेंतीस मरीज चिन्हित 

*बेमौसम बारिश से और बढ़ी परेशानी *प्रशासन की उदासीनता से लोगो में आक्रोश *सहयोग के लिए आगे आए क्षेत्र के युवा 

सिवाना से जितेन्द्र जांगिड की रिपोर्ट 

बाड़मेर जिले के सिवाना। कस्बे सहित क्षेत्रभर में फैला डेंगू का प्रकोप अब प्रशासन की पकड़ से बाहर होता नजर आ रहा है।वही पिछले दो दिने से जारी बूंदाबादी से फैले कीचड़ से हालत बद से बदतर होने की आशंका गहरा गई है। इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा इसके नियन्त्रण में नाकाम होने से कस्बेवासियो में रोष व्याप्त है। क्षेत्र के मुठली, मेली, अर्जियाणा, देवन्दी, मिठौडा सहित कस्बे के कुल चालीस मरीजो को चिह्नित किया गया है। सरकार द्वारा निशुल्क चिकित्सा और जाँच का दावा किया जाता है जबकि हकीकत इससे कोसो दूर है। स्थानीय समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजो को जाँच और इलाज की समुचित सुविधा नही मिल रही है इससे मजबूर होकर उन्हें निजी चिकित्सालयो में उपचार करवाना पड रहा है। डेंगू के नियन्त्रण को लेकर चिकित्सा विभाग अब तक पूर्ण रूप से नाकाम रहा है। इससे लोगो में काफी रोष व्याप्त है। -सिवाना में सम्भाग के सर्वाधिक मरीज ताजा आंकड़ो के अनुसार जोधपुर संभाग के इस दौर में डेंगू के सर्वाधिक मरीज सिवाना में है।मेडिकल कोलेज जोधपुर द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार एमडीएमएच और एमजीएच में आए डेंगू के रोगियों में सर्वाधिक बाड़मेर जिले के सिवाना, बालोतरा और जैसलमेर जिले के है। इस रिपोर्ट के बाद क्षेत्र के लोगो में भय व्याप्त है। -ग्रामीणों में रोष डेंगू को लेकर किसी प्रकार के उपाय नहीं किए जाने से ग्रामीणों में रोष है।मुठली सरपंच मालाराम मेघवाल, पूर्व सरपंच हाथीराम भील, सामाजिक कार्यकर्ता शंकरलाल सैन सहित ग्रामीणों ने गुरूवार को खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस डी बोडा को मूठली के एक दर्जन डेंगू मरीजों की सूची पेश कर गांव में पैराथियम छिड़काव व खून जांच के साथ पुख्ता इलाज के बंदोबस्त करवाने की मांग की। -रक्त देने आगे आए क्षेत्र के युवा जोधपुर के चिकित्सालयो में उपचाररत डेंगू रोग के मरीजो को रक्त की समस्या से निजात दिलवाने के लिए सिवाना युवा संगठन आगे आया है। संगठन के संदीप सांखला, दीपक नायर, महेश कुमार, महबूब खां, विष्णु नायर, कपिल आचार्य, विकास कुमार, दिलावर खां, तुलसीदास वैष्णव, महेन्द्र खंडेलवाल ने जोधपुर में करीब बारह यूनिट रक्त दान किया। . .प्रशासन ने नही उठाए प्रभावी कदम. . कस्बे सहित क्षेत्र भर में फैला डेंगू बहुत ही भयावह रूप ले चूका है । प्रशासन द्वारा इसके नियन्त्रण के लिए प्रभावी कदम नही उठाए जा रहे है। अभी तक चिह्नित मोहल्ले में फोगिंग स्प्रे नही करवाया गया है। -जितेन्द्र जांगिड, उपाध्यक्ष, भाजयुमो, सिवाना नगर . .करवाएँगे स्प्रे. . क्षेत्र में अब तक 35 एनएच-1 डेंगू के मरीज चिह्नित किए गए है। इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियो को भी भेज दी गई है। चिकित्सा विभाग द्वारा शीघ्र ही इसके नियन्त्रण के लिए फोगिंग स्प्रे करवाएँगे। -डॉ.एस.डी.बोडा, खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी -युवा करे सहयोग डेंगू रोग के प्रभावितों को खून की कमी से अपनी जान गंवानी पड़े इसके लिए क्षेत्र के युवाओ को रक्तदान के लिए आगे आना होगा। आपके रक्त की एक बूंद किसी को जीवनदान दे सकती है। -संदीप सांखला, अध्यक्ष, सिवाना युवा संगठन

गुजरात के बाद अब बारिश से रेगिस्तान बेहाल

गुजरात के बाद अब बारिश से रेगिस्तान बेहाल 

बाड़मेर गुजरात में बारिश के कहर के बाद अब राजस्थान के रेगिस्तान में बारिश ने अपना कहर बरपा रही है आलम यह है कि रेगिस्तान में बाड़मेर जिले के शहर से लेकर गाव तक पिछले करीब 36 घंटे से लगातार बारिश का दोर जारी हैलगातार हो रही बारिश ने आम लोगो के साथ ही मवेशियों का भी जीना बेहाल कर दिया है अब रेगिस्तान के लोग इंद्रदेव से यह दुआ कर रहे है कि आखिर आफत की बारिश कब बंद होगी
बाड़मेर शहर में पिछले 36 घंटो से हो रही लगतार बारिश ने कई परिवारों के लिए आफत खड़ी कर दी है शुक्रवार को सुबह से इंद्र देवता बाड़मेर जोरदार महरबान है और जमकर बरस रहे है जिसके चलते शहर की सडको पर और कई निचले इलाको में पानी भर रहा है लगातार हो रही बारिश के चलते शहर में कच्ची बस्ती में रहने लोगो के अब यह भय सटाने लगा है कि कई उनके कच्चे मकान ढह न जाए बाड़मेर शहर में रहने वाले रतन के अनुसार बारिश का कहर इस कददर है कि कल पूरी रात हम सो नहीं पाए क्योकि हमें इस बात डर है कि लगतार हो रही बारिश से मकान के अंदर उपर से पानी टपक रहा है कई मकान ढह न जाए अब हम तो दुआ कर रहे है कि बारिश के दोर अब थम जाए बच्चे को स्कूल नहीं भेज पा रहे है क्योकि सडको पर पानी जमा है न तो घर से निकल सकते है और न ही घर में बात सकते है यह आलम है हमारा


ऐसा नहीं है कि बारिश का कहर सिर्फ शहर में ही है गाव की लोगो की माने तो गाव में हो रही लगतार बारिश से कच्चे मकान ढह गए है मवेशियों मरने लगे है खाना भी नहीं बना सकते है क्योकि लकडिया सब गीली हो गई है अभी तक भी बारिश लगातार जारी है आम तोर इस समय इस तरीके की बारिश नहीं होती है यह बारिश फसलो के लिए भी नुक्सान दायक है अब यह दोर कब थमेगा इस बात का हम इन्जार कर रहे है
जिला कलेक्टर बगलों भी बारिश के कहर से बच नहीं पाया देखते ही देखते बंगलो पूरा तालाब बन गयाबंगलो सिटी के बीचो बीच स्थित है आज सुबह से ही नगर परिषद् के दर्जनों कर्मचारी पानी निकालने लगे है लेकिन पानी इतना है कि करीब पाच घटे बीत जाने के बाद भी पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है अब नगर परिषद ने बंगलो से पानी निकालने के लिए मशीने लगाई गई है पानी भरने से बाड़मेर के जिला कलेक्टर बंगलो के आवास पर आने जाने में कलेक्टर को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है प्रशाशन ने पुरे जिले में अधिकारियो के साथ ग्राम सेवक और पटवारियों को भी अपने इलाके में अलर्ट रहने के निर्देश जारी किये है मोसम विभाग ने अगले 24 घंटो में बाड़मेर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है

पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान में भूकंप के झटके



पाकिस्तान में सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों के कई शहरों में शनिवार को भूकंप के बाद के भयंकर झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता 6.8 थी। तीन दिन पहले इस क्षेत्र में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिससे 500 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
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पाकिस्तान के मौसम विभाग ने बताया कि आज भूकंप के बाद के झटके की तीव्रता रिक्टर पैमाने 7.2 थी, जबकि अमेरिकी भू-गर्भ सर्वेक्षण विभाग ने इसकी तीव्रता 6.8 रिकॉर्ड किया। ये झटके प्रांतीय राजधानियों कराची और क्वेटा में महसूस किए गए।



सभी स्थानीय टेलीविजन चैनलों पर दिखाया गया कि कराची में इस नवीनतम झटके के बाद लोग अपने दफ्तरों से निकलकर भाग रहे थे। एक मीडिया ग्रुप के कर्मचारी अदनान अहमद ने कहा कि झटके पिछली बार की तरह उतने शक्तिशाली नहीं थे, लेकिन कुर्सियों और मेजों को हिलते हुए महसूस किया जा सकता था।



नेशनल सिस्मिक सेंटर के निदेशक जाहिद रफी ने कहा कि इस भूकंप का केंद्र एक बार फिर अवारान था। रफी ने बताया कि कराची, क्वेटा, लरकाना, जैकोबाबाद, खीरपुर, नसीराबाद, सुक्कुर, मस्तंग और खरान में झटके महसूस किए गये। मंगलवार को भूकंप से प्रभावित सुदूर इलाकों में अबतक बचाव दल नहीं पहुंच पाए हैं, जिनमें सर्वाधिक प्रभावित बलूचिस्तान का अवारान जिला है, उसी के समीप भूकंप का केंद्र था।



भूकंप प्रभावित इलाके में कल भी बाद के झटके आए थे जिनकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 5 थी। पाकिस्तान के मौसम विभाग ने बताया कि बाद के झटके का केंद्र ओरमरा था और उसकी गहराई 10 किलोमीटर थी। एक सरकारी प्राथमिक नुकसान आकलन के अनुसार अवारान में 30-40 फीसदी का आंशिक नुकसान हुआ।



दो अन्य जिलों माशकल और मलार पर बहुत बुरा असर पड़ा और वहां 80-90 फीसदी नुकसान हुआ। इसी बीच, कल अवारण जिले के माशकाय में संदिग्ध आतंकवादियों ने भूकंप प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत सामग्री लेकर जा रहे एक हेलीकॉप्टर पर गोलियां चलायीं। हेलीकॉप्टर बाल-बाल बच गया। यह इस इलाके में सेना के हेलीकॉप्टर पर दूसरा हमला था।