इन दिनों केरल में सभी प्रमुख राजनीतिक पार्टियां एक स्वर से राज्य में मुस्लिम लड़कियों के विवाह की कानूनन उम्र 18 वर्ष से कम न किए जाने की वकालत करती नजर आ रही हैं.
राजनीतिक पार्टियों का सीधा निशाना राज्य के कोझिकोड के 9 प्रमुख मुस्लिम संगठन हैं, जिन्होंने समुदाय की लड़कियों की विवाह की उम्र को 18 वर्ष से घटाकर कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. लेकिन संगठनों ने अर्जी में इस बात का उल्लेख नहीं किया कि लड़कियों की उम्र 18 वर्ष से घटाकर कितनी रखी जाए.
मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने हमेशा की तरह इस मुद्दे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि राज्य के कानून के तहत इस मसले पर फैसला लिया जाएगा. हालांकि आश्चर्य की बात है कि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने काफी देर से इस बात पर अपनी प्रतिक्रिया जताई. पार्टी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को पूरे मामले में खलनायक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए संगठन की आलोचना की.
विपक्ष के नेता वी. एस. अच्युतानंदन ने कहा कि आईयूएमएल की संस्कृति की तो बात ही नहीं की जानी चाहिए जो लड़कियों के लिए विवाह की उम्र 16 भी नहीं बल्कि 14 रखने की बात करता है. अच्युतानंदन किसी मुद्दे पर अपनी तीखी प्रतिक्रियाओं के लिए जाने जाते हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता एम.एम. हसन ने भी आईयूएमएल के सुप्रीम कोर्ट में जाने के फैसले की निंदा की और कहा कि संगठन को अपना यह विचार त्याग देना चाहिए क्योंकि यह पूरे मुस्लिम समुदाय के हित के लिए शुभ संकेत नहीं है.
राजनीतिक पार्टियों के विरोधी रुख को देखते हुए आईयूएमएल ने अपने सभी प्रमुख शीर्ष नेताओं से मुद्दे को लेकर बेहद सावधानी बरतने को कहा है, क्योंकि उसे पता है कि इस मुद्दे के साथ पार पाना संगठन के लिए आसान नहीं होगा. फिलहाल इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना बाकी है.
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